बेमेतरा

बेकार वस्तुओं से भी हम उपयोगी और सुंदर चीजें बना सकते हैं- प्राचार्य घृतलहरे
30-Apr-2025 3:14 PM
बेकार वस्तुओं से भी हम उपयोगी और सुंदर   चीजें बना सकते हैं- प्राचार्य घृतलहरे

डाइट बेमेतरा में कबाड़ से जुगाड़ की प्रदर्शनी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बेमेतरा, 30 अप्रैल। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान डाइट बेमेतरा में डीएलएड द्वितीय वर्ष के छात्र अध्यापकों के द्वारा कला शिक्षण विषय के अंतर्गत कला एवं क्राफ्ट की बहुत सुंदर प्रदर्शनी लगाई गई। इसके अंतर्गत सभी छात्र अध्यापकों ने वेस्ट मटेरियल का उपयोग कर बहुत सुंदर साज सजावट की चीज और बहुत सुंदर घरेलू उपयोग की चीज बनाई। सभी 100 छात्र अध्यापकों अपने द्वारा बनाई गई क्राफ्ट का प्रदर्शन किया। जिसका डाइट बेमेतरा के प्राचार्य जे के घृतलहरे सहित सभी अकादमिक सदस्यों निरीक्षण किया।

निरीक्षण दल में वरिष्ठ व्याख्याता उषा किरण पाण्डेय, डॉ बसुबंधु दीवान, अनिल कुमार सोनी, थलज कुमार साहू, कीर्ति घृतलहरे, कमलेश शर्मा, नागेंद्र शर्मा, अमिंदर भारती, सत्येंद्र मिश्रा आदि शामिल रहे।

 छात्र अध्यापकों ने कला शिक्षण की प्रभारी और डाइट की वरिष्ठ व्याख्याता उषा किरण पांडेय के निर्देशन में 200 से भी अधिक सुंदर क्राफ्ट व हस्तकला का प्रदर्शन किया। जिसमें नीलम सेन का भगवान गणेश और बुद्ध का सुंदर चित्र, नर्मदा का उलन से डाइट का नाम, मनीता के द्वारा मूंगफली के छिलके से सजावट, न्यूज़पेपर से सामान रखने का पाट, कृष्ण सिंह के द्वारा कुलर आकाशदीप और फोटो फ्रेम गुर्नर एलार्ड के द्वारा पेपर से सुंदर बैग बनाना, गोविंदा के द्वारा बनाए हुए घर, गीतांजलि का घर खेत व बागवानी, द्रोणिका के द्वारा बैलगाड़ी, पेन स्टैंड, द्रौपदी निषाद की रंग बिरंगी चिडिय़ा, लालिनी के द्वारा राजकीय गीत का सुंदर फ्रेमिंग, दिव्या शर्मा का लिप्पन आर्ट, चंद्रशेखर के द्वारा खेल के माध्यम से रसायन व उसके रासायनिक सूत्र को याद करना, सूरज के द्वारा बनाया हुआ बहुत सुंदर जैतखाम, तनुजा का क्रिसमस ट्री, उत्पल का सुंदर बैग, मटका और दरवाजे का झालर, सतीश का प्राकृतिक आपदा का चित्रण, संजय का छत्तीसगढ़ के पारंपरिक आभूषण, प्रीति लहरे का बनाया हुआ पेन स्टैंड, ट्री, और दरवाजे का झालर सबका मन मोह लिया।

 

इसके अलावा मीनार, झोपड़ी, पेन स्टैंड, दीवारों में सजाने के लिए झूमर, फोटो फ्रेम, वृक्ष लगा हुआ गमला, कागज के और फोम के कबूतर, बत्तख, तोता, मेढक आदि चिडिय़ा झूले रंग-बिरंगे तरह-तरह के फूल फूलों को रखने के लिए सुंदर फलावर पाट, सजावटी दर्पण, कठपुतली, पानी जहाज, पैग्वीन, नगाड़ा, डांसिंग गर्ल, डस्टबिन, बॉटल, कछुवा, कप प्लेट, झूमर आदि भी बहुत सुंदर रहे।

 इस अवसर पर संस्थान के प्राचार्य जे के घृतलहरे ने कहा कि कला शिक्षण के अंतर्गत कबाड़ से जुगाड़ के माध्यम से हम ऐसी अनुपयोगी वस्तुओं को फेंकने की जगह उनसे कुछ उपयोगी वस्तुएं बना सकते हैं। इससे ना केवल हमारी अनुपयोगी वस्तुओं को कचरे आदि में फेंकने से प्रदूषण जैसी समस्याओं से मुक्ति मिलेगी, बल्कि उन अनुपयोगी वस्तुओं को किसी उपयोगी उत्पाद में भी बदला जा सकता है। जो चीज किसी काम का नहीं होता उससे पैसे कमाये जाये तो उसे ही कबाड़ से जुगाड़ कहते हैं।  ‘कबाड़ से जुगाड़ ’ एक शब्द है जिसका इस्तेमाल आमतौर पर भारत में बेकार या फेंकी गई सामग्री से कुछ उपयोगी चीज़ बनाने के कार्य का किया जाता है। इस प्रदर्शनी में सभी छात्र अध्यापकों के द्वारा बनाई गई चीज बहुत ही सराहनीय रही। सभी अकादमिक सदस्यों ने इस प्रदर्शनी की खूब प्रशंसा की।

 


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