बेमेतरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 21 अप्रैल। खारे पानी की समस्या से प्रभावित गांव के ग्रामीणों के लिए पेयजल संकट अब महांसकट बनता जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्र की हालत यह है कि सुबह 5 बजे से पानी की जुगत करने वालों को घर तक पानी लाने में दोपहर 11 बजे तक का समय लग जाता है।
‘छत्तीसगढ़’ ने ग्राम खुड़मुड़ी, बिरमपुर, नवागांव, बिटकुली व अन्य गांवों में व्याप्त पेयजल संकट की मैदानी हालत का जायजा लिया गया, जिसमें मीठे पानी की सप्लाई बंद होने से कई तरह की समस्या ग्रामीणों को होने की बात समाने आई।
पेयजल संकट के कारण गांव में शादी नहीं कर रहे, बाहर करने की मजबूरी
जानकारी हो कि जलसंकट व सूख हो चुकी नदियों की वजह से सरकारी योजना इन दिनों फेल साबित हो रही है। हालत ये है कि ग्रामीणों के लिए पीने के लिए पानी जुटाने के लिए दूसरे गांव में साधन से पानी लाना पड़ता है। शादी विवाह के दूसरे गांवों से पानी खरीदकर लाना पड़ रहा है। विवाह भी बाहर करना पड़ रहा है। पानी इन दिनों सबसे बड़ी जरूरत है, जो संकट की स्थिति में महासंकट का रूप ले रही है। गांवों की हालत सामने लाने के लिए मैदानी स्तर पर वहां की समस्याओं को समाने लाया गया है।
ग्राम खुड़मुड़ी के ग्रामीण रामकुमार निर्मलकर, कुमारी रितू व चैतराम सहित अन्य लोगों ने बताया कि गांव की पानी टंकी में पानी आना बंद हो चुका है। तीन पावर पंप बेकार हो चुके हैं। इस स्थिति में हमें गांव से दूर खेत से पानी लाना पड़ रहा है। सुबह से इसके लिए करीब लोग मौके पर अपने-अपने साधन से पहुंचते हैं।
हालत यह है कि पावर पंप से करीब 200 मीटर दूर तक पानी भरने के लिए कतार लग जाती है। इस तरह की स्थिति का सामना कर रहे ग्रामीणों की सुध लेने के लिए जिमेदार अधिकारी अभी तक नहीं पहुंचे हैं। इस तरह की स्थिति ग्राम बावामोहतरा व नवागांव में भी नजर आई।
आरो प्लांट का पता नहीं, दोनों पानी टंकी बेकार
नवागढ़ विधानसभा के प्रमुख गांवों में से एक बालसमुंद के ग्रामाीण भी पानी के लिए भारी जद्दोजहद कर रहे हैं। राहगीर पेखन यादव ने बताया कि गांव में दो पानी टंकी है। दोनों केवल देखने के काम आ रहे हैं। जलजीवन मिशन व खारा पानी की समस्या को दूर करने के लिए बनाई गईं पानी टंकियों में बीते 10 दिन से पानी ही नहीं है।
ग्रामीणों ने बताया कि गांव खारा पानी की समस्या से लंबे अर्से से प्रभावित है। इस गांव की आबादी की जरूरत को देखते हुए पूर्व में 10-10 लाख रुपए की लागत से दो आरो मशीनें लगाई गईं थीं, जिसमें से एक चौक, दूसरा स्कूल के पास था पर आज दोनों बेकार हो चुके हैं। गांव में निस्तारी के लिए कुछ हद तक तालाब से काम चल जाता है पर पेयजल के लिए कुछ नहीं है।
मीठा पानी जब मिलना शुरू हुआ तो लगा कि दिन बहुरेगा पर आज अतीत लौट आया
जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर आंदू ग्राम पंचायत के बीरमपुर में खारा पानी की समस्या की वजह से इस गांव में कोई भी व्यक्ति अपने गांव का पानी नहीं पीता है। हालत ये है कि सुबह 5 बजे से लोग दूसरे गांव जाकर 11 बजे तक पानी लाते हैं, तब कहीं काम चल पाता है।
70 साल के बुजुर्ग ओमकार साहू ने बताया कि उसे याद नहीं है कि उसने कभी अपने गांव का पानी पिया हो। हमारे लिए भूजल का खारा पानी होना भारी समस्या है। सात साल पहले जब गांव में मीठे पानी का सप्लाई प्रांरभ हुई थी, तब लगा था कि इस गांव के दिन बहुरेंगे पर इस बार जलसंकट की स्थिति ने उनके पुराने अतीत को लौटा दिया है। आज हमारे लिए पेयजल सबसे बड़ी समस्या है। एक दिन पानी लाकर कई दिन तक उपयोग करते हैं, तब काम चल पा रहा है।
युवक डोमन साहू ने बताया कि गांव में खारा पानी की समस्या को देखते हुए कई व्यक्ति गांव छोडक़र जा चुके हैं। बाहर जाकर बस गए हैं। किरण साहू, जानू साहू, हरीराम समेत कई ग्रामीणों ने भारी समस्या होने की बात कही। पंडित प्रदीप मिश्रा ने बताया कि गांव में एक मात्र बोर से काम चल रहा है। पीने के पानी के लिए 8 किलोमीटर दूर ग्राम पुरान जाकर पानी लाते हैं। गुजार करना मुश्किल हो रहा है।
आरो प्लांट का अस्तित्व समाप्त हो चुका है
ग्राम बिटकुली पेयजल के लिए एक मात्र मीठा पानी की सप्लाई एकमात्र सहारा है। 10 दिनों से पानी की सप्लाई बंद हो चुकी है। पीने के लिए पानी नहीं होने की वजह से बेमेतरा तक से पानी मंगाते हैं। गांव में पूर्व की अपेक्षा पानी बॉटल का खपत बढ़ गई है। ग्रामीण महिलाओं ने बताया कि गांव में चाय बनाना, दाल गलाना व कपड़ा धोने के लिए पानी नहीं है। खारा पानी है, जो केवल निस्तारी का काम आता है। तालाब किनारे पहले एक आरो प्लांट कबाड़ में बदल चुका है। एकमात्र आरो से काम चल रहा है। गांव के प्रमिल तिवारी, सुखनंदन पाटिल गोविन्द ने बताया कि पेयजल का भारी संकट है। आबादी के अनुसार सुविधा नहीं है। कई घरों के दाल पकाने के लिए तालाब का पानी ले जाते हैं। गांव का पानी खारा है, जिसका उपयोग करने से पेट व अन्य समस्या होती है। बहरहाल ग्रामीणो की संकट दिनों दिन बढ़ते जा रहे हैं।


