बेमेतरा
ब्लीचिंग पाउडर मिलाने वाला लैब दो साल से बंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 24 मार्च। जिला मुख्यालय में मीठे पानी की सप्लाई के लिए बनाए गए वाटर फिल्टर प्लांट में संधारण की कमी है। कई जरूरी उपकरणों का संधारण लंबे अर्से से नहीं किया गया है, जिससे प्लांट के कभी भी बंद होने का अंदेशा जताया जाने लगा है।
नगर के सभी 21 वार्डों में मीठे पानी की आपूर्ति के लिए बेमेतरा पेयजल आवर्धन योजना पर 30 करोड़ रुपए से अधिक का खर्च किया गया है। भारी भरकम खर्च के बाद भी जिला मुख्यालय के 30 फीसदी से अधिक इलाके में पानी सप्लाई नहीं है। एक तरफ योजना अधूरी है। वहीं दूसरी तरफ फिल्टर प्लांट में खामियों का संधारण नहीं कराया जा रहा है। संधारण की कमी की वजह से तीन मोटर में से एक मोटर, रॉ वाटर यूनिट और वॉल्व खराब होने से हजारों लीटर पानी बेकार बह रहा है। जिम्मेदारों की उदासीनता की वजह से ब्लीचिंग पाउडर मिलने के लिए बनाया गया लैब भी दो साल से बंद पड़ा हुआ है।
गर्मी से लोग हलाकान, अब तक नहीं ली गई सुध
एक कहावत है कि आग लगने पर कुआं खोदना। कुछ इसी तरह की स्थिति इन दिनों जिला मुख्यालय में देखी जा रही है। पेयजल आवर्धन योजना के तहत जल शुद्धिकरण के लिए बने प्लांट का गर्मी के सीजन के पूर्व सभी तरह से मेंटेनेंस करवा लेना चाहिए था लेकिन समय रहते ये काम नहीं किया गया। अब ये हालत है कि शहर के अंदर पानी टंकियों की सप्लाई वॉल तक चालू नहीं की गई। कोबिया वार्ड में लगभग 15 करोड़ की लागत से तैयार किए गए वाटर फिल्टर प्लांट के कई उपकरण महीनों से खराब हैं। हालत ये है कि नदी से आ रहे पानी को फिल्टर करने के बाद टैंक तक पहुंचाने के लिए लगाए गए तीन यूनिट में से केवल एक यूनिट से काम चल रहा है। वहीं स्टोर किए गए पानी को शहर के लिए जिस यूनिट के सहारे सप्लाई किया जाता है, वहां पर तीन मोटर में से दो मोटर से जैसे-तैसे काम चलाया जा रहा है। वहीं एक नया मोटर पंप लंबे अर्से से रखा हुआ है, जिसे लगाने की जहमत तक नहीं उठाई गई है।
कीचड़ अलग करने वाली इकाई भी बंद
शिवनाथ नदी से आ रहे जल में से फिल्टर करने के बाद बचे रॉ वाटर को फिर से उपयोगी बनाने के लिए ट्रीटमेंट ईकाई लगाई गई है, जिसमें लगे हुए चारों पॉवर पंप बीते कई दिनों से बंद है। बताया गया कि इसमें से दो पंप से पानी की सफाई एवं दो मोटर से कीचड़ अलग करने का काम होता है। चारों पंपों के बंद होने की वजह से इकाई बंद है, जिससे पानी रिसाइकिल नहीं हो पा रहा है।
तकनीकी नॉलेज रखने वाले नहीं हैं
बताना होगा कि फिल्टर प्लांट के संचालन के लिए पूर्व में पीएचई विभाग को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। तीन साल पूर्व विभाग द्वारा नगर पालिका को हैंडओवर किया गया है। नगर पालिका के पास केवल संचालन संबंधित जानकारी रखने वाले ऑपरेटर ही हैं, जो देखरेख करते आ रहे हैं।
नगर पालिका के पास प्लांट के उपकरणों के संधारण व देखरेख के लिए किसी प्रकार से तकनीकी जानकारी रखने वाली टीम नहीं है, जिसकी वजह से पालिका को पीएचई का मुंह ताकना पड़ रहा है। तकनीकी जानकार के अभाव के चलते फिल्टर प्लांट हांफने लगा है। प्लांट को संधारण की जरूरत है, जिसके अभाव में प्लांट बंद होने का खतरा बढ़ गया है।
अनुमान के मुताबिक कर्मचारी डालते हैं पाउडर
नदी से आ रहे जल के प्योरिफिकेशन व बैक्टेरिया नष्ट करने के लिए निर्धारित मात्रा में ब्लीचिंग पाउडर का मिश्रण किया जाता है, जिससे शुद्ध पानी लोगों तक पहुंच सके। बेमेतरा के फिल्टर प्लांट में ब्लीचिंग पाउडर का घोल तैयार करने के लिए लगाया गया यूनिट एक साल से अधिक समय से खराब है। वहीं करीब में एक लैब भी है, वो भी अनुपयोगी साबित हो रहा है। फिलहाल कर्मचारी अनुमान के अनुसार ब्लीचिंग पाउडर डालते हैं।
शहर में एक-एक बूंद पानी की किल्लत, यहां हजारों लीटर पानी बहता है रोजाना
प्लांट के अंदर नदी से आने वाले पानी को फिल्टर करने के बाद स्टोर करने के लिए तीन मोटरपंप वाले यूनिट तैयार किए गए हैं, जिसमें निर्धारित क्षमता के अनुसार सप्लाई की जाती है। उसमें से एक यूनिट बीते एक साल से बंद है। वहीं दूसरा यूनिट एक माह से खराब है। तीन में से केवल एक यूनिट से काम चल रहा है। इस यूनिट का वॉल खराब होने की वजह से हजारों लीटर फिल्टर पानी बह जाता है, जो आगे जाकर खराब पानी के साथ मिल जाता है।
संधारण के लिए रायपुर से जानकर को बुलाया जाता है
मुख्य नगर पालिका अधिकारी कोमल ठाकुर ने बताया कि वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के एक हिस्से में लगी मशीन का संधारण कराया जाएगा। पालिका की टीम समय-समय पर पर देखती है। अधिक खराब होने पर रायपुर से जानकार बुलाते हैं।


