बेमेतरा

मार्च की शुरुआत में सूखने लगी शिवनाथ, कई गांवों का जलस्तर भी घटा
03-Mar-2025 4:37 PM
मार्च की शुरुआत में सूखने लगी शिवनाथ, कई गांवों का जलस्तर भी घटा

तालाब व नाले भी सूखने लगे

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बेमेतरा, 3 मार्च।  जिला मुख्यालय में तेजी से जलसंकट पैर पसारने लगा है। वहीं जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में जलस्तर गिरने लगा है। तेजी से कम हो रहे जलस्तर की वजह से तालाब, पोखर, नाला व नदी का जलस्तर कम होता जा रहा है। ग्राम अमोरा से होकर गुजरी शिवनाथ नदी का जलस्तर कम होने से नदी की धार अब टूटने लगी है। शिवनाथ नदी में जलभराव कम होने की वजह से आसपास के गांव का वाटर लेबल गिरता जा रहा है।

नदी में कम जलभराव, आसपास के गांवों का जलस्तर भी होने लगा कम

जिले में निस्तारी व सिंचाई दोनों के लिए तैयार की गई योजना में करोड़ों खपाए गए पर मौके पर जलभराव संरक्षण का दावा कोरा साबित हो रहा है। जानकारी हो कि गत फरवरी से प्रारंभ जलस्तर कम होने का क्रम लगातार जारी है। जिला मुख्यालय में धीरे-धीरे पेयजल संकट की स्थिति बढ़ती जा रही है। वहीं तालाबों का पानी तेजी से सूखता जा रहा है। जिला मुख्यालय में पेयजल व निस्तारी के लिए जलप्रबंधन के नाम पर किए गए करोड़ो खर्च की पोल वर्तमान हालत ने खोल कर रख दी है। शहर के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में जलस्तर गिरता जा रहा है। जलस्तर गिरने की वजह से पॉवर पंपों में पाइप डालकर बढ़ाने का प्रयास हो रहा है। वहीं गावों में निस्तारी के लिए जरूरी तालाब व छोटे बांध का पानी सूखता जा रहा है। इसी तरह की स्थिति रही तो आने वाले एक माह के भीतर गांवों में निस्तारी की समस्या तेजी से बढऩे की आशंका बन रही है। ग्रामीण राजकुमार व प्रमोद साहू ने बताया कि नदी नाले का पानी सूखता जा रहा है। ग्राम खाती के नेमीचंद ने बताया कि नाला पूरी तरह सूख गया है। इसी तरह ग्राम पदमी पदुसरा के बीच नाला पूरी तरह सुख चुका है। सिरवाबांधा जलाशय का जलस्तर सिमटता जा रहा है। इसी तरह की स्थिति कई गांवों में नजर आ रही है।

शिवनाथ का जलस्तर काम होने से

एनीकट में कम हुआ जलभराव

जानकारी के अनुसार ग्राम बावनलाख अमोरा के मध्य बने एनीकट से 2 फीट नीचे पानी जा चुका है। बताया गया कि 15 दिन के दौरान नदी का पानी सूखने की वजह से ये नौबत आई है। सबसे अधिक समस्या बेमेतरा समूह एवं बेमेतरा पेयजल आवर्धन योजना की आपूर्ति के लिए बनाए गए जलागार के सप्लाई यूनिट के पास पानी कम हो रहा है। समय रहते मौके पर जलभराव नहीं हो पाने पर बेमेतरा शहर और बेमेतरा तहसील के खारा पानी प्रभावित 60 गांव के लिए होने वाली जलापूर्ति प्रभावित हो सकती है। वर्तमान में इंटकवेल का तीन वॉल डूबा रहता है। उसमें से पानी कम होने की वजह से वॉल बाहर दिखाई देने लगा है।

जल संरक्षण के लिए संचालित

योजनाओं के नाम पर भारी खर्च

 जिले में अलग-अलग 7 विभागों द्वारा जल संरक्षण के नाम पर करोड़ों का बजट खपाया गया है, जिसमें जलसंसाधन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, कृषि विभाग का वाटरशेड, वन विभाग, उद्यानिकी विभाग द्वारा जलसंरक्षण के लिए जलाशय, एनीकट, स्टॉपडेम, अमृत सरोवर योजना, फार्म पौंड, नवीन तालाब, रिचार्ज, पिट, भूमिगत डाइक, गली चेक के पौंड रिनोवेशन, चेक डेम, पौधरोपण, नर्सरी, पौधरोपण के लिए 100 करोड़ से अधिक खर्च किए गए हैं। जलसंरक्षण के नाम पर किए गए खर्च का धरातल पर सच कुछ और ही नजर आ रहा है।

पीएचई की अधूरी योजना पड़ रही है भारी

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने पेयजल व खारा पानी प्रभावित क्षेत्रों के लिए तीन अलगृअलग योजना तैयार की है। नवीन योजना में शामिल कुम्हीगुडा समूह पेयजल प्रदान योजना के लिए 3 अक्टूबर 2023 को कार्यादेश जारी किया गया था, जिससे अब तक केवल 32 फीसदी कार्य हो पाया है। इसी तरह अमलीडीह समूह जलप्रदाय योजना को 6 अक्टूबर 2023 को स्वीकृत किया गया। इस तिथि में जारी कार्यादेश के बाद आज तक योजना का काम 15 फीसदी के आसपास हो पाया है। तीसरे समूह पेयजल योजना खम्हरिया के लिए 13 माह पूर्व यानी 23 फरवरी 2024 को कार्यादेश जारी किया गया पर आज तक काम प्रारंभ नहीं हो पाया है। इन तीनों योजनाओं के अधूरे होने की वजह से समूह में शामिल गांव में योजना पाइपलाइन तक नहीं पहुंच पाई है। आधी अधूरी योजना की वजह से आने वाले समय में संभावित जलसंकट की स्थिति का सामना ग्रामाीणों को करना पड़ेगा।


अन्य पोस्ट