बेमेतरा

अवैध रूप से चल रहे ईंट भट्ठों पर कार्रवाई नहीं, खत्म हो रही खेतों की उर्वरा शक्ति
01-Mar-2025 3:06 PM
अवैध रूप से चल रहे ईंट भट्ठों पर कार्रवाई नहीं, खत्म हो रही खेतों की उर्वरा शक्ति

धान के खेत में ईंट की फसल, पकाने के लिए काटे जा रहे पेड़, प्रदूषण की मार भी अलग से 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 1 मार्च।
खेतों में फसल कटने के बाद लाल ईंट बनाने का काम धड़ल्ले से चल रहा है। जिले के बेमेतरा, साजा, बेरला एवं नवागढ़ ब्लॉक में लाल ईंट बनाने के काम में प्राकृतिक संपदा का अंधाधुंध दोहन हो रहा है। वहीं ईंट पकाने के लिए पेड़ काटने व खनिज डस्ट का उपयोग कर प्रदूषण भी फैलाया जा रहा है। 

सरकारी रिकार्ड के अनुसार जिले में चिमनी  ईंट भट्ठा के लिए 25 लायसेंस एवं कुम्हारों के नाम पर 100 से अधिक अनुमति जारी की गई है, पर जमीन में सरकारी रिकार्ड से अधिक ईंटभट्ठा का संचालन हो रहा है।

मोटी कमाई व अधिक खपत होने की वजह से खेतों में इन दिनों ईंट बनाने का काम धंधा जोर पकडऩे लगा है। जिला मुख्यालय के आसपास के गांव में 15 से अधिक ईंटभट्ठा संचालित हो रहे हंै। हालत ये है कि कुम्हारों के नाम पर अनुमति लेकर दीगर लोग ईंट बनवाने के लिए अन्य राज्यों से मजदूर लाकर  ईंट बनवा रहे हंै। सबसे अधिक समस्या सडक़ किनारे ईंटभ्टठा संचालित किए जाने से है। सडक़ से होकर गुजरने वालों को डस्ट व तपिश की वजह बहुत परेशानी होती है। ईंटभट्ठों के आसापास प्रदुषण फैलने की शिकायत भी लोग कर रहे हैं।

आम के बौर झड़ जाते हैं, फसल भी होता है प्रभावित-
कृषि मामले के जानकार पलाश दुबे बातते हैं कि ईंट भट्ठा के आसपास लगे फलदार पेड़ को भारी नुकसान भटठा से निकलने वाले धुएं व गर्मी कि वजह से होती है। वहीं कई गांव में अधिक ईटभटठा होने के कारण आम का बैार नही लग पाता है।

विभागीय अनुमति के बिना चल रहे ईंट भट्ठे 
नदी किनारे या फिर गांव-गांव में तालाबों व छोटे नालों के आसपास के क्षेत्रों में सौ से ज्यादा ईंट भट्ठा का कारोबार बिना किसी विभागीय अनुमति के पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हुए बेधडक़ संचालित हो रहे हैं। ईंट भट्ठों में पेड़ों की बलि देकर लकडिय़ां खपाई जा रही हैं। साजा के कई गांवों में ईंटों का अवैध निर्माण धड़ल्ले से जारी है। अधिकारियों से मिलीभगत कर अवैध ईंट भट्ठों का कारोबार बेखौफ चल रहा है। लोग अपनी मर्जी से मुख्य सडक़ के किनारे व अंदरुनी इलाकों में ईंट बनाकर बेच रहे हैं।

ईंट पकाने के लिए काटे जा रहे हैं हरे भरे पेड़ 
अवैध ईंट भट्ठों में ईंटों को पकाने के लिए अंचल के खेतों के पेंड़ों को काटने से भी परहेज नहीं किया जा रहा है। ईंट भट्ठा लगाने के लिए पहले पर्यावरण विभाग से अनुमति लेकर खनिज विभाग में आवेदन देना होता है। अनुमति मिलने के बाद बताए गए स्थान पर ईंट भट्ठा लगाया जाता है। पर इस तरह की प्रक्रिया को पूरा किए बगैर कई ईंट भट्ठे संचालित हैं। जानकार राजू साहू ने बताया कि ईंट भट्ठे में भूमिगत जल का अंधाधुंध दोहन हो रहा है। जलदोहन के अलावा पेड़ की कटाई कर इन भट्ठों में खपाया जा रहा है।  ईंट भट्ठों में खनिज डस्ट डोलाजार का उपयोग हो रहा है।

लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान 
खनिज विभाग की उदासीनता के कारण जिले में प्राकृतिक संपदा को भारी नुकसान हो रहा है। जानकार बताते है कि जिले में साल दर साल अवैध ईंट भट्ठों में बढ़ोतरी हो रही हैं। इससे प्रशासन को लाखों रुपए के राजस्व की हानि हो रही है। ऐसा नहीं है कि खनिज एवं पर्यावरण विभाग को इस बात की जानकारी नहीं हैं, पर सब कुछ जानने के बावजूद जिम्मेदार अधिकारी खनिज माफिया पर नकेल कसने की बजाय खनिज माफिया को संरक्षण देने का काम कर रहे हैं।

एक महीने से जोर पकड़ा, कार्रवाई का पता नहीं
जिले में ग्राम मोहभट्ठा,कोबिया, बेमेतरा, बीजाभाट, नवागांव,तेंदूभाठा, उमराव नगर, गुनरबोड़, ढोलिया, बैजी समेत अन्य गांव में फूलफल रहा है। इस कारोबार एक माह से जोर पकड़ा रहा है। पहले धान फिर उन्हारी फसल कट जाने के बाद अब खेत खाली हो चुका है। खाली पड़े खेतों में ईंट बनाने के बाद पकाने के बाद भट्ठा लगाने का कारोबार किया ज रहा है। चुनाव होने के बाद अब और तेज गति से इस कारोबार के बढऩे के आसार है।
 


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