बेमेतरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 6 जनवरी। जहॉं नारी की पूजा होती है, वहाँ देवताओं का वास होता है। जहाँ नारी की पूजा नहीं होती, सम्मान नहीं होता, वहाँ सभी कार्य निष्फल हो जाते हैं, और वह देश और समाज तरक्की नहीं कर सकता। 3 जनवरी को साजा विकासखण्ड के शासकीय प्राथमिक शाला बीजागोड़ में देश की प्रथम महिला अध्यापिका माता सावित्री बाई फूले की जयंती बड़े ही धूमधाम से मनाया गया।
इस अवसर पर बच्चों के द्वारा रोल प्ले, चित्रांकन एवं रचनात्मक लेखन कर उन्हें याद किया गया। विद्यालय की बालिका को माता सावित्री बाई फुले बनाकर रोल प्ले किया गया। नवाचारी शिक्षिका चंदा सिन्हा द्वारा उनके समाज को दिये गये योगदान के बारे में बताते हुए कहा कि वे एक महान समाज सुधारक थी और महिलाओं के लिए प्रथम विद्यालय का निर्माण किया।
उन्होंने समाज से बाल विवाह, अश्पृश्यता, जातीय एवं लिंग भेदभाव को मिटाने का भरसक प्रयास किया। विधवा पुनर्विवाह के लिए आपके प्रयास सराहनीय रहे। माता सावित्री बाई फूले का जन्म 3 जनवरी 1831 तथा मृत्यु 10 मार्च 1897 को पुणे महाराष्ट्र में हुई। माता सावित्री बाई फूले ने महिलाओं को शिक्षित करने के लिए गाँव-गाँव जाकर ज्ञान का अलख जगाया। इतिहास में उनका नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित है। इस अवसर पर अजीम प्रेमजी फाउन्डेशन साजा की रिसोर्स पर्सन स्वागता कर्मकार ने भी अपने विचार रखे।


