बेमेतरा

नेत्र चिकित्सालय का ताला बंद, इस सत्र में 146 मोतियाबिंद ऑपरेशन
21-May-2024 3:02 PM
नेत्र चिकित्सालय का ताला बंद, इस सत्र में 146 मोतियाबिंद ऑपरेशन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 21 मई। अंधत्व
निवारण कार्यक्रम को सुचारू रुप से जिले में संचालित करने के लिए शहर में करोड़ों की लागत से बना 40 बिस्तर नेत्र चिकित्सालय गत पांच साल से मरीजों के किसी काम नहीं आ रहा है। नेत्र चिकित्सालय में स्टाफ की कमी की वजह से संसाधन होने के बाद भी जरूरतमंदों को जिले से बाहर रेफर किया जा रहा है। जिले में साल भर में 2800 से अधिक मरीजों को रायपुर व राजनांदगांव में मोतियाबिंद ऑपरेशन व अन्य उपचार कराने के लिए अस्पताल प्रबंधन द्वारा रेफर किया गया।

जानकारी हो कि आंख से संबधित सभी तरह के उपचार के लिए जिला मुख्यालय में सुविधा मुहैया कराने के लिए करोड़ों की लागत से जिला अस्तपाल परिसर में दो मंजिला नेत्र चिकित्सालय के लिए भवन मापदंड के अनुसार बनाया गया। यहां उपचार के लिए 40 बिस्तर, आने वाले सभी मरीजों के बैठने के लिए पर्याप्त व्यवस्था, ऑपरेशन के बाद रूकने वाले मरीजों के लिए सुविधायुक्त कमरा, ऑपरेशन थियेटर, जांच के लिए कक्ष व रिकॉर्ड रूम बनाया गया है।

भवन का 23 फरवरी 2019 को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पूर्व मंत्री रविंद्र चौबे, संसदीय सचिव गुरूदयाल बंजारे, पूर्व विधायक आशीष छाबड़ा की मौजूदगी में लोकार्पण किया गया। इसके बाद हालत को देखते हुए कोविड अस्तपाल का संचालन इसी भवन में किया गया। कोविड का दौर समाप्त होने के तीन साल बाद से भवन में ताला जड़ा हुआ है। तालाबंदी के बाद से भवन की स्थिति धीरे-धीरे कमजोर होती जा रही है।

चिकित्सकीय जरूरतों को पूरा करने 97 उपकरण सूची में शामिल 
नेत्र चिकित्सालय को सर्वसुविधायुक्त बनाने के लिए भवन बनाने के साथ ही सूचीबद्ध किए गए उपकरण व संसाधन के तौर पर हैं। रिकॉर्ड के अनुसार अस्पताल में डॉक्टर चेयर, अलमारी, 165 लीटर का फ्रिज, एससी, कूलर, अंग्निशमन यंत्र, 35 हॉस्पिटल बेड, नीडिल, कटर, टॉर्च, व्हील चेयर, बीपी जांच मशीन, वेट मशीन सहित कुल 97 तरह के समान सूचीबद्ध किए गए हैं।

संचालन के लिए चाहिए सर्जन, यहां नर्स की भी कमी
नेत्र चिकित्सालय के लिए जरूरी मानव संसाधन यानी एचआर के तौर पर सर्जन से लेकर वाहन चालक के कुल 3 पद स्वीकृत हैं। स्वीकृत पद में एक सर्जन, दो नेत्र चिकित्सक के पद हैं, जिसमें एक कार्यरत है। नेत्र सहायक अधिकारी के 3 पद हैं, जिसमें 1 कार्यरत है। इसके अलावा स्टाफ नर्स के 7 पद, ओटी टेक्नीशियन, ओटी अटेडेंट के दो-दो पद, वार्ड बॉय के सभी 6 पद रिक्त हैं। आया के 3 पद रिक्त हैं। स्वीपर, चौकीदार, भृत्य व वाहन चालक के 1-1 पद रिक्त हैं।

3005 में से केवल 146 का जिला अस्पताल में किया ऑपरेशन 
अंधत्व निवारण के लिए चलाए गए कार्यक्रम के तहत जिले में जांच के दौरान विभिन्न आयु वर्ग के लिए 3005 लोगों में मोतियाबिंद होना पाया गया था। मोतियाबिंद होने के बाद मरीजों को मुत में सरकारी खर्च में ऑपरेशन कराने की सुविधा प्रदान की जानी है। जिले में सत्र के दौरान जिला अस्पताल में केवल 146 मोतियाबिन्द के ऑपरेशन किए गए। जिला अस्तपाल में सर्जन नहीं होने की वजह से रायपुर की डॉ. समीता रंगारी द्वारा सप्ताह में दो दिन आकर मोतियाबिंद ऑपरेशन किया जा रहा है। 

डॉ. रंगारी ने ही सभी 146 मोतियाबिन्द ऑपरेशन किए हैं। इसके अलावा जिले के बाहर भेजकर 2849 मरीजों का दुर्ग, रायपुर व राजनांदगाव के निजी अस्पतालों में ऑपरेशन कराया गया है, जिसके एवज में निर्धारित राशि का भुगतान शासन ने किया है।

 दशक बाद भी जिलेवासियों को नया अस्पताल नसीब नहीं 
अंधेपन के लिए प्रमुख कारण मोतियाबिंद के ऑपरेशन पर निजी अस्पताल मे होने वाले व्यय की वजह से कमजोर आय वाले आपरेशन कराने से बचते है.. जिसे देखते हुए अंधत्व निवारण कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय स्तर पर मोतियाबिंद का निशुल्क ऑपरेशन के लिए योजना तैयार की गई है। जिला मुख्यालय में बेहतर नेत्र चिकित्सालय प्रारंभ करने के लिए करीब 10 साल पूर्व 40 बिस्तर अस्पताल की स्वीकृति केंद्र सरकार द्वारा दी गई थी स्वीकृति के दो दशक बाद भी जिलेवासियों को मोतियाबिंद आपरेशन व जांच के लिए नया अस्पताल नसीब नहीं हो पाया है।

अब आई हॉस्पिटल चलाने के लिए भवन पर करना होगा खर्च 
नेत्र चिकित्सालय के भवन को अब पांच साल बाद एक बार फिर संधारण की जरूरत है। भवन में लगाया गया प्लोर टाइल्स उखडऩे लगा है। अंदर कक्ष के दरवाजे, पंखा, बिजली फिटिंग व अन्य सामान खराब होने की स्थिति में हैं। रैप व दीवार दरकने की वजह से मेंटेनेस के लिए भारी खर्च करना होगा, तब जाकर भवन का संचालन हो सकेगा।

नेत्र चिकित्सालय के लिए स्वीकृत स्टॉफ - 30
उपलब्ध स्टॉफ -03
जिले में मोतियाबिंद मरीजों का ऑपरेशन- 3005
जिला अस्पताल में हुआ मोतियाबिंद ऑपरेशन -146
जिला अस्पताल के बाहर मोतियाबिंद ऑपरेशन -2849
स्टॉफ की कमी के कारण 
अस्पताल का संचालन नहीं 
सीएमओ दुर्ग डॉ. एसआर चुरेंद्र ने कहा कि जिला अस्पताल में बने 40 बिस्तर के चिकित्सालय के लिए स्टॉफ की कमी है, इसलिए संचालन प्रारंभ नहीं हुआ है। फिलहाल नेत्र चिकित्सालय जिला अस्पताल में ही किया जा रहा है।


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