बेमेतरा

बेमेतरा में रीपा के नाम पर लीपापोती की होगी जांच
17-Feb-2024 3:44 PM
बेमेतरा में रीपा के नाम पर लीपापोती की होगी जांच

रोजगार के नाम पर जारी हुआ था 16 करोड़ का बजट 

आशीष मिश्रा

बेमेतरा, 17 फरवरी(‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। 16 करोड़ की प्रारंभिक फंड से जिले के 8 ग्राम पंचायतों में संचालित रीपा योजना जांच के दायरे में हैं। विधानसभा में उपमुख्यमंत्री व विभागीय मंत्री विजय शर्मा ने पूरे प्रदेश में स्थापित रीपा की जांच किए जाने की घोषणा की है, जिसमें बेमेतरा रीपा की इकाई भी शामिल है। रोजगार प्रदान करने के लिए तैयार की गई रीपा योजना की सार्थकता को लेकर पूर्व से हि सवाल उठाये जाने लगे हैं।

जानकारी हो कि जिले की महिलाओं को रोजगार प्रदान कर आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रारंभ किया महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क योजना के नाम पर किया गया करोड़ों का खर्च व गडबड़ी अब जांच के दायरे में होगा। 

जिले के रीपा के तहत 8 इकाई स्थापित किया गया है जिसमें बेमेतरा ब्लॉक के ग्राम झालम में रीपा के तहत कडकनाथ, वेल्डिग वर्कशॉप, दाल मिल, पेन्ट, आयल मिल, फिनाईल, मछलीपालन, बाड़ी विकास, मुर्गीपालन, ग्राम गांगपुर में बीज उत्पादन, उन्नत मत्स्य बीज संवर्धन, साजा के ग्राम राखी में हेंडमेड पेपर वर्क, जैविक खाद, कपड़ा साड़ी, कैन्डी आचार, हेन्डीक्राप्ट, ग्राम ओडिय़ा में मिनी राईस मिल, गोमूत्र उत्पाद, मसाला प्लान्ट, बेरला के ग्राम भाड़ में मुर्गी पालन, मशरूम उत्पादन, बेकरी कार्य, ग्राम सांकरा में मिनरल वाटर, आफसेेट प्रिंटीग प्रेस, नवागढ़ के ग्राम मोहतरा में प्लाईवुड निर्माण, फर्नीचर फेब्रीकेशन, मछली पालन, खाद बोरी निर्माण, ग्राम अमलडीहा में ब्लैक ब्रिक्स, चेकर टाईल्स, चैल, लिंक, फेंसिंग पोल, गला निर्माण, बैग व गढ़ कलेवा समेत अन्य उत्पाद तैयार करने के लिए उत्पादन इकाई लगाने में करोड़ो का फंड खपाया जा चुका है। योजना पर मनरेगा, खनिज संस्थान न्यास व अन्य फंड से करोड़ों रूपया लगाया गया है। योजना प्रारंभ हुए दो साल से अधिक समय बित चुका है, इतने समय बीज जाने के बाद भी जिले में रीपा के तहत कार्यरत समूहो को प्राप्त आय से परिवार चलाना मुश्किल हो गया है।

ग्राम राखी में केला के तने से बैग ,साड़ी बनाने की योजना को लेकर पूर्व में जिस तरह से ढिंढोरा पीटा गया था उस तरह की स्थिति नजर नही आया है। रीपा में काम करने वाली महिलाओं के अनुसार उनके लिए यहां से प्राप्त आय से परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है। वर्तमान में हालत ये है कि महिलाओं द्वारा तैयार किया गया उत्पाद का खरीददार नहीं मिल रहा है।

जहां पर बेचना था वो भी निजी उत्पाद वाला हो गया 
बताना होगा कि पूरी योजना में सबसे अधिक समस्या बाजार में उत्पाद बेचने को लेकर है। महिलाओं से हुई चर्चा के अनुसार मार्केटिंग में पीछे हटना पड़ रहा है। 8 इकाईयों में उत्पादित सामग्रियों को बेचने के लिए जिला मुख्यालय में सी मार्ट प्रारंभ किया गया था। वर्तमान समय में सी मार्ट में निजी व बहुराष्ट्रीय कंपनियों का उत्पाद बेचा जाने लगा है जिसके कारण भी रीपा योजना ठप्प होने की स्थिति में है।

जिले में स्थापित रीपा ईकाई की संख्या -8
- रीपा इकाई वाले गांव : ग्राम झालम, गांगपुर, राखी, ओडिय़ा, भाड़, सांकरा, मोहतरा, अमलड़ीहा
- योजना से महिलाओं को प्राप्त आय- जानकारी उपलब्ध नहीं
- गांगपुर में केवल अगरबत्ती व कपूर बना रही है महिलाएं

गांगपुर में केवल अगरबत्ती व कपूर बना रही महिलाएं 
बेमेतरा ब्लाक के ग्राम गांगपुर में रीपा के तहत इकाई निर्माण के लिए 2 करोड़ का फंड तय किया गया था जिसमें 1 करोड़ 2 लाख की लागत से भवन निर्माण, अन्य 78 लाख से उपकरण, उत्पाद व अन्य मद पर व्यय किया जाना था । सरंपच राजा वर्मा के अनुसार अभी भी भवन निर्माण का द्वितीय किस्त प्राप्त नहीं हुआ है। इस रीपा से जुड़ी महिला समूह की महिलाएं अगरबत्ती व कपुर उत्पाद तैयार कर रही है।

गड़बड़ी का मामला भाजपा विधायकों ने उठाया
 जानकारी हो कि पूरे प्रदेश में 300 रीपा योजना कार्य में हुए 600 करोड़ रूपए की गडबड़ी का मामला विधानसभा में विधायक धर्मलाल कौशिक, अजय चंद्राकर व धर्मजीत सिंह ने मुददा उठाया था। इसके जवाब में विभागीय मंत्री विजय शर्मा ने रीपा में हुए खर्च का जांच किए जाने की बात कही गई है जिसके बाद से जिले में योजना को लेकर खलबली मची हुई है। बताना होगा योजना के तहत बेमेतरा जिले के बेमेतरा विधानसभा में तीन, साजा विधानसभा में दो और नवागढ़ विधानसभा में 3 ईकाई स्थापित किया गया है।
सीईओ जिला पंचायत लीना कमलेश मंडावी ने कहा कि रीपा में हुए खर्च की जानकारी संबधित जनपद पंचायत सीईओ ही दे पाएंगे।
 


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