बेमेतरा

जिले के 42 धान खरीदी केंद्रों में नहीं बन पाए किसान कुटीर, चार माह में बनना था पर डेढ़ साल में भी अधूरे
16-Dec-2023 2:21 PM
जिले के 42 धान खरीदी केंद्रों में नहीं बन पाए किसान कुटीर, चार माह में बनना था पर डेढ़ साल में भी अधूरे

प्रतिक्षालय व केंटीन की सुविधा किसानों को यहां मुहैया कराई जानी है  

'छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 16 दिसंबर।
जिले के धान खरीदी केन्द्रों में धान बेचने के लिए आने वाले किसानों व सहयोगियों की सुविधा के लिए अप्रैल 2022 से लेकर जून 2022 के दौरान 102 केंद्रों के किसान कुटीर बनाने के लिए फंड जारी किया गया था। निर्माण के लिए केवल 4 माह की समयावधि थी पर आज डेढ़ साल बाद भी 42 केन्द्रों में किसान कुटीरों का निर्माण पूरा नहीं हुआ है।

जानकारी होगी जिले के 102 धान खरीदी केंद्रों में 1344 लख रुपए की लागत से किसान कुटीर का निर्माण करने के लिए अप्रैल 2022 व जून 2022 के मध्य फंड पंजीकृत किया था। निविदा शर्त में निर्माण के लिए केवल चार माह का समय नियत किया गया था। जून 22 से लेकर दिसंबर 23 के मध्य 18 माह का समय गुजर चुका है, पर 42 केंद्रों का निर्माण अधूरा है। निर्माण के स्थिति का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि कहीं पर रंग रोपण नहीं किया गया है। वहीं किसी में बिजली फिटिंग का काम अधूरा है। कुछ में छत ढलाई के काम के बाद रुका हुआ है। जिसकी वजह से संबंधित धान खरीदी केंद्र में धान बेचने के लिए आने वाले को खुले आसमान के नीचे बैठना पड़ रहा है। किसने की सुविधा के लिए बनाए जा रहे किसान कुटीर में किसानों के रुकने के लिए व्यवस्था, कैंटीन व आराम करने की सुविधा मुहैया कराई जानी है, जो फिर कागजी साबित हो रहा है।

किसानों के लिए कई तरह की समस्याएं 
सप्ताह भर पूर्व हुई बारिश के दौरान जानकारी के अभाव में धान उपार्जन केंद्र तक जाने वाले किसान केंद्र में बारिश के दौरान रुके और खरीदी बंद होने पर धान वापस लेकर जाना पड़ा और दूसरे दिन फिर पहुंचे। इस बीच अगर कुटीर का निर्माण पूर्ण हुआ होता तो किसान फसल को सुरक्षित रख कर कुटीर में ठहर सकते थे। वर्तमान में धान बेचने वालों किसानों को केंद्र में रहना पड़ रहा है चाहे तौल दूसरे दिन हो। रुकने की व्यवस्था नहीं होने के कारण कई किसान अपने वाहन या परिसर में सोने के लिए बेबस है। 

एक किसान कुटीर की लागत 13.11 लाख रुपए
आम तौर पर अनाज का हिसाब किताब रखने वाली कृषि उपज मंडी को निर्माण के लिए पहली बार एजेंसी बनाया गया था। जिला मुख्यालय में कृषि उपज मंडी कार्यालय से ही निविदा व अन्य प्रकिया पूर्ण की गई है। एक किसान कुटीर का निर्माण तय मानक के अनुसार किया जाना है। शासन द्वारा प्रत्येक कुटीर बनाने के लिए 13 लाख 11 हजार रुपए का बजट स्वीकृत किया गया था। कछुए की रफ्तार से हो रहे निर्माण को पूरा करने के लिए कई बार एक्टेंशन लेने के बाद भी ठेकेदार काम पूरा नहीं कर पा रहे हैं।

इन केन्द्रों में अधूरा है किसान कुटीर का निर्माण
जिले के ग्राम मउ, सल्धा, पतोरा, सोढ़, गोढीकला, सल्धा बेरला, सैगोना, चंदनु, उमरिया, छिरहा, दाढ़ी, पुटपुरा, मुरता, कुरदा, मारो, झाल, मोहगांव, मावलीभाठा, आनंदगांव, कुसमी, बारगांव, सिलधट, मोहभटठा, डोगी खपरी, डगनिया, गोढ़गिरी, केहका, बेरतरा, चेचानमेटा, मोहतरा, देवकर, भरदा, सोमईकला, कोगियाकला, गाडाडीह, जेवरा, सरदा, बोंरतरा, नेंवसा, हाथडाडु व खैरझिटीकला में किसान कुटीर का निर्माण अधूरा है।

जिले में धान खरीदी को डेढ़ माह पूरे, इस सत्र में नसीब नहीं होगा  
जिले के 129 धान खरीदी केन्द्रों में अब तक 62405 किसान धान बेच चुके हैं। किसानों से अब तक 1335600 मोटा, 234596 पतला व 150271 क्विंटल समेत कुल 3073010 क्विंटल धान खरीदी जा चुकी है। किसानों से अब तक 6713074766 रुपए का धान खरीदा गया है। जिले के 90 हजार से अधिक किसानों से धान खरीदी शेष है। इनमें हजारों की संख्या में अधूरे निर्माण वाले किसान कुटीर से संबंधित हैं, जिस रफ्तार से निर्माण हो रहा है। उसे देखते हुए माना जा रहा है कि इस सत्र में 42 किसान कुटीर का निर्माण अधूरा है। भवन निर्माण होने के बाद भी बिजली व अन्य सुविधा मुहैया कराने में समय लग सकता है।

नोटिस भी जारी करते हैं 
सचिव कृषि उपज मंडी ब्रम्हाराम मेरावी ने कहा कि कई किसान कुटीर का निर्माण अधूरा है। संबंधितों को नोटिस देते हैं पर वे ऊपर से निर्माण के लिए समयावधि बढ़वा लेते हैं।

इन आंकड़ों पर करें गौर
स्वीकृत किसान कुटीर- 102
निर्माण पूर्ण- 60
अधूरा निर्माण- 42
प्रत्येक की लागत-3.11 लाख रुपए


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