बेमेतरा
कफन-दफन और अंतिम संस्कार करने में लोगों को आ रही अड़चन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 11 दिसंबर। शहर का सबसे पुराना पिकरी मुक्तिधाम इन दिनों बदहाली के दौर से गुजर रहा है। मुक्तिधाम के अंदर साफ-सफाई का अभाव है। करीब सवा चार एकड़ जमीन इस मुक्तिधाम के लिए आरक्षित है, जिसमे आधे से अधिक हिस्से में जंगली घास व गंदा पानी भरा हुआ है। स्थान की कमी होने के कारण यहां पहुचने वालों को अंतिम संस्कार व दफन-कफन के दौरान दिक्कतें होती है।
पालिका का दावा है कि उन्नयन योजना से मुक्तिधाम का सुधार होगा पर सीमांकन की प्रक्रिया के कारण काम लटका हुआ है। शहर के वार्ड 2 में नेशनल हाईवे के किनारे मुक्तिधाम की स्थिति बहुत ही बदहाल है। यहां नाली के आधे-अधूरे निर्माण, देखने की कमी व निकासी की सुविधा नहीं होने की वजह से नालियों का गंदा पानी भर जाता है। सबसे अधिक समस्या कफन- दफन करने के समय होती है। जब शव के अंतिम संस्कार के लिए खोदने के लिए जमीन की कमी का सामना संबंधितों को करना पड़ता है। हालत यह है कि शव को मजबूरी वश आसपास ही दफन करना पड़ रहा है। स्मृति कायम रखने के लिए मृतक के परिवार के लोग चबूतरा भी नहीं बन पा रहे हैं।
संस्था के लोग काम करते है इसलिए कुछ हिस्से में सफाई है
मुक्तिधाम की साफ-सफाई व पौधरोपण के लिए शहर की समाज सेवी संस्थाओं के सदस्य लंबे अर्से से कम करते आ रहे है, जिसकी वजह से मुक्तिधाम का एक हिस्सा बेहतर साफ-सुथरा है। संस्था द्वारा मुक्तिधाम की जिम्मेदारी की सुध ली जाती है।
21 वार्ड में से 13 वार्ड के लोगों की हैं निर्भरता
पिकरी मुक्तिधाम से शहर के पिकरी , मानपुर , कुर्मिपारा , साहू पारा, सिविल लाइन , कचहरी पारा, मोहभठ्ठा रोड व पुरानी बस्ती के साथ-साथ नई बसाहट वाले इलाकों के रहवासी की निर्भरता है।
साबुन पानी व गंदगी की वजह से पेड़ सूखने लगे हैं
जंगली घास के अलावा मुक्तिधाम में सैकड़ों की संख्या में बबूल व अन्य प्रजाति के पेड़ हैं, जो प्रदूषित जल की वजह से सूखते जा रहे हैं। वर्तमान समय में अधिकांश स्थानों पर पेड़-पौधे हरे-भरे थे। पर यहां के पेड़ों से पत्ते नदारद हैं और अब जमीन धीरे-धीरे दलदल में तबदील होने लगी है। बहरहाल मुक्तिधाम उन्नयन की योजना को कागज से बाहर निकाल कर जमीन स्तर पर पूरा करने की अवश्यकता है, जिससे बेकार नजर आ रहा भूखंड भी उपयोगी हो सके।
पूर्वजों के समय से है मुक्तिधाम, बेहतर बनाना जरूरी
बताना होगा कि मुक्तिधाम का कुल रकबा करीब सवा चार एकड़ का है, जिसमें से पौने दो एकड़ के दायरे में नगर पालिका द्वारा एक तरफ का बाउंड्रीवाल बनाया गया था। अभी भी लगभग ढाई एकड भूखंड का बाउंड्रीवाल बनना बचा है। सबसे अहम बात है कि मुक्तिधाम का 60 फीसदी हिस्सा बेकार साबित हो रहा है। बारिश व नाली का पानी भरे होने के कारण इसका उपयोग किसी तरह से नहीं हो पा रहा है। जानकार मानते हैं कि शहर के सबसे पुराने इस मुकितधाम में पूर्वजों का अंतिंम संस्कार हुआ है। इस लिहाज से इसे बेहतर बनाया जाना जरूरी हो गया है।
क्या कहते हैं लोग
मानपुर निवासी धरमु वर्मा ने कहा कि मुक्तिधाम के एक बड़े हिस्से में पानी भरा हुआ है। भारी संख्या में घास है, जिसके कारण दिक्कतें होती है।
बेमेतरा निवासी मोहन यादव ने कहा कि कफन-दफन के दौरान कम स्थान होने के कारण समस्या होती है। पानी की निकासी व घास कटवा कर इसे बेहतर बनाया जाए।
वार्ड पार्षद व उपाध्यक्ष नगर पालिका पंचू साहू ने कहा कि मुक्तिधाम में नाली निर्माण अधूरा है। समतलीकरण व सौदर्यीकरण के लिए आवेदन दे चुका हूं पर पालिका ध्यान नहीं दे रही है।
सीमांकन प्रकिया में है
बेेमेतरा नगर पालिका सीएमओ भूपेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि मुक्तिधाम को उन्नयन योजना में शामिल किया गया है। इससे निकासी कर गंदे पानी को नहर में डालने, बाउंड्रीवाल व अन्य कार्य कराए जाएंगे। फि लहाल एक शेड का निर्माण कराया गया है।


