बेमेतरा
गायों के तन पर दिख रहीं गांठे , तीन वार्डों से ज्यादा मामले सामने आए
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 9 नवंबर। जिला मुख्यालय में बीमार मवेशियों में लंपी रोग की तरह लक्षण दिखाई देने लगे हैं। वार्ड 1, 2 व 3 के मवेशी मालिक पशुओं को हो रहे इस तरह के रोग की वजह से परेशान हैं। शहर के मानपुर, विद्यानगर व पिकरी में पिछले साल भी गायों को बीमार हुई व कुछ गायों की मौत भी हुई थी। पिछले साल अक्टूबर व नवबंर के दौरान लंपी रोग के लक्षण मवेशियों में दिखाई दिए थे। रोग के लक्षण नजर आने के बाद उपचार, टीका व सैंपल के बाद दुर्ग से टीम गठित की गई थी, जिनके द्वारा जिला मुख्यालय के बीमार गायों का सैंपल लिया गया था।
जानकारी हो कि शहर के पिकरी, मानपुर व विद्यानगर के गोवंशी मवेशियों में लम्पी रोग की तरह के रोग के लक्षण नजर आने लगे हैं। वार्ड वासियों ने बताया कि पिछले साल की तरह इस साल भी मवेशियों के शरीर पर गोल-गोल गांठें होने लगी हैं। मवेशियों में बुखार व कमजोरी की शिकायत है। इसे देखते हुए मालिकों ने लम्पी रोग होने की आशंका जताई है। मानपुर वार्ड के मवेशी मालिक व गो सेवक कोमल यादव ने बताया कि उनके वार्ड में करीब 10 से अधिक मवेशियों में रोग के लक्षण नजर आए हैं। वहीं दो मवेशियों की मौत हुई है।
नगर पालिका उपाध्यक्ष व वार्ड पार्षद पंचू साहू ने बताया कि किसानों ने बताया कि उनके बछड़ों व गायों में भी लम्पी रोग की तरह लक्षण दिखाई देने लगे हैं। अनूप साहू के यहां भी दो मवेशियों में लक्षण दिखाई दिए हैं। पशु चिकीत्सा विभाग को सूचना दी गई है। मालिक चंपु राठी ने बताया कि दो मवेशियों की मौत भी बीमारी की वजह से हुई है। बीते साल हमारे यहां 12 से अधिक गायों की मौत हुई थी और 50 से अधिक मवेशी बीमार थे। इस बार समय रहते उपचार प्रारंभ किया जाना चाहिए, जिससे रोग का प्रसार न हो सके।
गांठदार त्वचा रोग लंपी, लक्षण मवेशियों में दिखे
पशुओं में गांठदार त्वचा रोग (लम्पीस्कीन रोग) के लक्षण को लेकर डॉक्टरों ने बताया कि रोग गौ वंशी तथा भैंसवंशी पशुओं में गांठदार त्वचा रोग वायरस के संक्रमण के कारण होता है। इस रोग का मुख्य वाहक मच्छर, मक्खी एवं किलनी हैं, जिसके माध्यम से स्वस्थ पशुओं में यह संक्रमण फैलता है।
गोट पॉक्स वैक्सीन का टीका लगाया गया था
पशुधन विकास विभाग द्वारा सीमावर्ती ग्रामों में पशुओं को इस रोग के संक्रमण से बचाने के लिए गोट-पॉक्स वैक्सीन से प्रतिबंधात्मक टीकाकरण किया जा रहा है। सीमावर्ती ग्रामों में इस रोग के लक्षण एवं रोकथाम के उपाय से अवगत कराने के लिए पशुपालकों में जागरूकता अभियान भी चलाया गया था।
गायें कमजोर होने लगीं, दूध नहीं दे पातीं
लम्पी स्कीन से रोगग्रस्त पशुओं में 02 से 03 दिन तक मध्यम बुखार आता है। इसके बाद प्रभावित पशुओं की चमड़ी मे गोल-गोल गांठें दिखाई देेने लगती हैं। लगातार बुखार होने के कारण पशुओं के खुराक पर विपरीत प्रभाव पडता है, जिसकी वजह से दुधारू मवेशी कम दूध देने लगती एवं माल वाहक पशुओं की कार्यक्षमता कम हो जाती है। रोगग्रस्त पशु दो से तीन सप्ताह में स्वस्थ हो जाते हैं। गत वर्ष जिला मुख्यालय के आलावा ग्राम बिलाई, मुरपार, पिपरभ_ा, छिरहा, कठिया व बेरला ब्लॉक के अनेक गावों के मवेशियों में इस बीमारी के लक्षण देखे गए थे। आमतौर पर रोग गौवंशी तथा भैंसवंशी पशुओं में गांठदार त्वचा रोग वायरस के संक्रमण के कारण होता है। स्वस्थ पशुओं में यह संक्रमण फैलता है। लक्षण एवं रोकथाम के उपाय से अवगत कराने के लिए पशुपालकों में जागरूकता अभियान चलाया गया था। बहरहाल जिला मुख्यलाय में शुरूवाती दौर मेें बीमार पड़े मवेशियों को उचित उपचार की जरूरत है।
उपसंचालक ने फोन रिसीव नहीं किया
पशु चिकित्सा सेवाएं विभाग के उपसंचालक डॉ. राजेन्द्र भगत से जिला मुख्यालय में लम्पी रोग की तरह लक्षण वाले रोग से मवेशियों में स्पष्ट हो रहे लक्षण पर जानकारी लेेने का प्रयास किया गया पर अधिकारी द्वारा फोन रिसीव नहीं किया गया।
6 मवेशियों का उपचार कर रहे हैं - डॉ. हेमंत
पशु चिकित्सा सेवा विभाग के डॉ. हेमन्त ने बताया कि किसानों की सूचना पर उपचार के लिए टीम भेजी गई है। फि लहाल 6 मवेशियों का उपचार किया जा रहा है। पूर्व में इन्हीं तीनों वार्ड में सभी मवेशियों को टीका लगाया था। इस बार विभाग के पास टीका उपलब्ध नहीं है।


