बेमेतरा

दाल मिलों के लगातार बंद होने के कारण चना उत्पादन में किसानों की रूचि कम, गेहूं में बढ़ी
29-Oct-2023 2:23 PM
दाल मिलों के लगातार बंद होने के कारण चना उत्पादन में किसानों की रूचि कम, गेहूं में बढ़ी

धान उत्पादन में चार गुना ज्यादा पानी की आवश्यकता

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बेेमेतरा, 29 अक्टूबर। जिले के किसान रबी फ सल सीजन के दौरान दलहन फ सलों की बजाय गेहूं, चना व अन्य अनाज की पैदावारी में रूचि दिखा रहे हैं। जिले में गत सीजन में 50 हेक्टेयर में गेहू की पैदावारी की जा रही थी। इस बार 6000 हेक्टेयर में गेहूं का रकबा बढाने का लक्ष्य तय किया गया है। जिले में दशक भर पूर्व 17854 हेक्टेयर मे गेहूं की फसल ली जाती थी। जिले में रबी फ सल सीजन के समय कृषि विभाग द्वारा 1 लाख 30 हजार से अधिक 167150 हेक्टेयर का लक्ष्य तय किया गया है।

चना मिल बंद होने से किसान भी बचने लगे

ओन्हारी जिले में दशक भर पूर्व 2013 में जिले की पहचान दलहन फ सल यानी चना, तिवरा उत्पादक के तौर पर हुआ करता था। गत सीजन मे जिले के बेेमेतरा साजा, बेरला व नवागढ़ ब्लॉक में 58462 हेक्टेयर में चने की फसल ली गई थी, जिसे बढ़ाकर 64000 हेक्टेयर करने का लक्ष्य विभाग द्वारा सुनिश्चित किया गया है। विपरीत होने की वजह से जिले के किसानों ने चना की पैदावारी करने से कदम पीछे हटा लिया है। किसानों की मानें तो तीन साल से चने की फ सल अवधि में बारिश होने के कारण नुकसान होने की वजह से वे पीछे हट रहे है। दूसरी तरफ जिले के दाल मिल में निकलने वाला चना दाल की मांग पहले दीगर प्रदेशो में हुआ करती थी, जिसकी वजह से उत्पादक किसान के लिए चना की खेती फ फायदे का सौदा हुआ करती थी। एक दशक के दौरान जिले के दाल मिलों के लगातार बंद होने के कारण भी किसान चना की फ सल लेने से बचने लगे हैं। किसान शंशाक पांडे ने बताया कि चना की मांग भी कम हो गई है।

रबी सीजन में 24 हजार हेक्टेयर का रकबा का इजाफा

कृषि प्रधान जिले में रबी फसल सीजन के दौरान गेहूं, मक्का, ग्रीष्मकालीन धान की कुल खेती 21328 हेक्टेयर में की जाती थी। दलहन के चना, मटर, मसुर, मूंग, उड़द, तिवरा, कुल्थी व अन्य दलहन की खेती 104768 हेक्टेयर में व तिलहन वर्ग में शामिल सरसो, अलसी, कुसुम, सूर्यमुखी, तिल, मूंगफ ली अन्य समेत 3179 हेक्टेयर में पैदावरी हुआ करती थी। तब जिले में रबी फसल सीजन का कुल रकबा 136324 हेक्टेयर का था। दस वर्ष बाद किसानों की रूचि दो फ सल लेने में अधिक दिखाई देने लगी है, जिसके फलस्वरूप जिले में चना को छोडकर दीगर फ सलों के रकबे में इजाफा हुआ है। फसल क्षेत्र बढऩे की वजह से जिले में रबी फसल सीजन का रकबा बीते साल 164051 हेक्टेयर पहुंचा था। इस बार 167158 हेक्टयर तक क्षेत्राच्छादन का रकबा होने का अनुमान है।

चना के आलावा अन्य अनाजों पर किसानों की रूचि अधिक

किसानो ने एक तरफ चने से तौबा कर लिया है। वहीं दूसरी तरफ गेहूं, तिवरा व मक्का की खेती पर अधिक रूचि दिखा रहे हैं। जिले में बीते सत्र में गेहूं की खेती 50811 हेक्टेयर में की गई थी। तिवरा की खेती 27229 हेक्टेयर, मसूर की खेती 3376 हेक्टेयर में ली गई थी। इस बार इन सभी फसलों का रकबा बढ़ाने का लक्ष्य तय किया गया है। जारी रबी फसल सीजन के दौरान गेहूं का रकबा 56 हजार हेक्टेयर, तिवरा का रकबा 32 हजार हेक्टेयर व मसूर का रबका 4 हजार हेक्टेयर होने की संभावना है। एक दशक पूर्व जिले में गेहूं की खेती केवल 17853 हेक्टेयर, तिवरा की खेती 14940 हेक्टेयर व मसूर की खेती 2128 हेक्टेयर में की जाती थी।

गर्मी की धान का रकबा चार गुना बढ़ा

दीगर फसलों की अपेक्षा धान की पैदावारी में तीन गुना सिंचाई की आवश्यकता होती है, जिसे देखते हुए बीते पांच साल से रबी फसल सीजन में धान का रकबा कम करने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। बावजूद इसके जिले में गर्मी के मौसम वाले धान के रकबा में लगातार इजाफा हो रहा है। हालांकि कृषि विभाग इस फ सल के लक्ष्य का निर्धारण जीरो के तौर पर किया जाता है। किसान संतोष साहू ने बताया कि वो पूर्व की अपेक्षा वर्तमान समय में गर्मी के दिनों में इस फसल की खेती अधिक देख रहे हैं।

अनुमान के आधार पर लक्ष्य निर्धारित

अनुविभागीय अधिकारी कृषि डॉ. श्याम लाल साहू ने बताया कि बेमेतरा ब्लॉक के लिए रबी फसल सीजन के दोैरान फसल रकबा का अनुमान के आधार पर लक्ष्य तय किया गया है।


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