बेमेतरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 18 अक्टूबर। गुड़ बनने से जिले को नई पहचान मिली है। गुड बनाने के कारोबार से किसानों को बेहतर रोजगार का विकल्प मिला है। गन्ना बेचने और गुड़ बनाने से होने वाले मुनाफे की वजह से जिले में इस फ सल का रकबा 10 हजार एकड़ से अधिक हो गया है।
जिले के बेमेतरा, साजा, बेरला व नवागढ़ ब्लॉक में खरीफ व रबी फसल सीजन में गन्ने की फसल किसान ले रहे हैं। जिले में गन्ने की सबसे अधिक पैदावारी बेरला ब्लॉक में हो रही है।
जानकारी हो कि जिले में किसान गन्ना की पैदावरी नकद फसल के तौर पर करने लगे हैं, जिसकी वजह से यहां पर साल दर साल गन्ने का रकबा बढ़ता जा रहा है। किसानों ने बताया कि अन्य फ सलों की अपेक्षा अधिक लाभ होने के कारण इस फ सल का उत्पादन अब बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। जानकारों ने बताया कि प्रति एक एकड़ में करीब 34 क्विंटल गन्ना का उत्पादन होता है। प्रति क्विंटल गन्ने से 15 से 18 किलो गुड़ बनाया जा सकता है। बाजार में गुड़ 40 से 50 रुपए किलो की दर से बिकता है। दूसरी तरफ दीगर प्रदेशों से लोग भी जिले में आकर गुड़ खरीदने लगे हैं। बाहर में भी मांग होने के कारण से गन्ना उत्पादन को बल मिला है।
किराना दुकान और स्थानीय बाजारों में कम दाम पर बिक रहा
बताना होगा कि गुड़ की खपत को देखते हुए जिले में बना हुआ गुड़ प्राय: सभी किराना दुकानों में बिक रहा है। लोकल उत्पादन होने की वजह से दाम भी कम ही है। कई ब्रांडों मे बन रहा गुड दीगर प्रदेशों में भी खपाया जा रहा है। किसानों ने बताया कि दीगर फसलों की अपेक्षा गुड़ बेचने की समस्या नहीं है। मांग होने की वजह से दलाल आकर गुड़ ले जाते हैं या फिर गुड बनाने वाले गन्ने ले जाते हैं। उत्पादक विजय तिवारी, विमल कुमार ने बताया कि उत्पादन लागत भी अन्य फसल से कम ही है।
गन्ना का रकबा 23 सौ हेक्टेयर था अब पहुंचा 43 सौ
जिले में 2017-18 के दौरान गन्ना का रकबा केवल 2370 हेक्टेयर था, जो 2019-20 में बढक़र 3337 हेक्टेयर, 2020-21 में 3778 हेक्टेयर, सत्र 2022-23 में 4200 हेक्टेयर और सत्र 2023 -24 में आंकड़ा बढकर 4306 हो गया है। इसके अलावा जिले के किसान रबी फसल सीजन में भी गन्ना का उत्पादन करते हैं पर इस सीजन मे गन्ना का उत्पादन खरीफ फसल सीजन की अपेक्षा आधे से कम का होता है पर आवक को देखते किसान दीगर फसलों की अपेक्षा गन्ना उत्पादन को महत्व दे रहे हैं। जिले में किसानों की रूचि के चलते इस फसल का रकबा बढ़ता जा रहा है।
किसान दशकों से कर रहे शक्कर कारखाना खोलने की मांग, पूरी नहीं
जिले में दशक भर पूर्व दीगर जिलों की तरह शक्कर कारखाना प्रारंभ करने की मांग की जाती रही, जिसके पीछे जिले में अच्छे किस्म का उत्पादन व रकबा को आधार माना गया। कवर्धा जिले में प्रारंभ किए गए भोरमदेव शक्कर कारखाना में जिले के 2257 गन्ना उत्पादक किसान शेयर धारक सदस्य रहे हैं, जिनकी अंश राशि 5114000 रुपए थी, जिसे देखते हुए जिले में भी अंशधारी किसानों की सहभागिता से सहकारिता के माध्यम से शक्कर कारखाना प्रारंभ किए जाने की उम्मीद की जा रहा थी। जिले में अब जब शक्कर कारखाना प्रारंभ होने की संभावना नहीं दिख रही है। ऐसे समय में भी जिले के किसानों ने गन्ना का उत्पादन कर गुड़ बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया है। जिले में विभागीय आंकड़ों के अनुसार एक लाख क्विंटल गन्ना से अधिक का उत्पादन होता है।
फसल कटते ही प्रारंभ होगा उत्पादन
जिले में लगभग 11 हजार एकड़ में गन्ना का उत्पादन किया जा रहा है, जिसके कटने के बाद अब गन्ना से गुड़ बनाने का काम प्रारंभ होने लगेगा, जिसकी तैयारी शुरु हो गई है। बहरहाल जिले के किसानों को गन्ना उत्पादन से नई उम्मीदें नजर आने लगी हैं, जिसकी वजह से फसल के रकबे में इजाफा हुआ है।
उत्पादन वर्ष क्षेत्रफल
वर्ष 2019 में —— 3337 हेक्टेयरर
वर्ष 2020 में —— 3537 हेक्टेयरर
वर्ष 2021 में —— 377778 हेक्टेयर
वर्ष 2022 में —— 4200 हेक्टेयरर
वर्ष 2023 में —— 430306 हेक्टेयर


