बेमेतरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 28 अगस्त। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में विकास दिवस छत्तीसगढ़ ही भाषा एवं संस्कृति के विकास पर पांच दिवसी प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन हुआ। इसमें बेमेतरा, सजा, बेरला व नवागढ़ विकासखंड से कुल 80 शिक्षकों ने भाग लिया। प्राचार्य जेके धृतलहरे ने छत्तीसगढ़ी भाषा और सुंदर संस्कृति को अक्षुण्ण बनाए रखने पर बोल दिया।
उन्होंने कहा कि कक्षा पहली से लेकर कक्षा बारहवीं तक के बच्चों को हमारी सुंदर संस्कृति को स्मरण कराने की आवश्यकता है। संस्कार के अभाव में आज बच्चे दिग्भ्रमित हो रहे हैं, रास्ता भटक रहे हैं। छत्तीसगढ़ की सुंदर संस्कृति और संस्कार ही उन्हें सही मार्ग पर ला सकती है। यह कार्य बच्चों के माता-पिता के अलावा सिर्फ शिक्षक ही कर सकते हैं।
जिला नोडल अधिकारी थलज कुमार साहू ने बताया कि छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति हमारी आत्मा है। छत्तीसगढ़ी बोली, लोक गीत, लोक कला, लोक चित्रकला, लोकनाट्य, लोक नृत्य, लोरिक चंदा, ढोला मारु, पंडवानी, नाचा गम्मत, सुआ, डंडा पिच रंगा, सुर, गेड़ी दौड़, खुरमी, ठेठरी, चीला अईरसा, गुलगुल भजिया आदि की प्रदर्शनी भी लगाई गई। उन्होंने कहा कि सप्ताह में एक दिन स्कूली छात्रों के बीच गतिविधि कराई जाए, जिससे बच्चों को खुला मंच मिल सके और स्थानीय बोली भाषा व संस्कृति को समझ सकें। डॉ. बसुबंधु दीवान ने छत्तीसगढ़ की माटी की महक को संरक्षित और संवर्धन करने की दिशा में प्रयास करने पर बल दिया। हमारा छत्तीसगढ़ और उसकी पावन भूमि देवी-देवताओं और ऋ षि-मुनियों का धाम है। हमारा छत्तीसगढ़ माता कौशिल्या का मायका और भगवान राम का मामा गांव है।
मास्टर ट्रेनर शांत कुमार पटेल ने छत्तीसगढ़ के गांवों के नामकरण और व्यक्तियों के नामकरण के बारे में बताया। शासकीय प्राथमिक शाला समेसर की शिक्षिका गोपेश्वरी साहू ने पंडवानी की प्रस्तुति दी। व्याख्याता जी एल खुटियारे, गजानंद शर्मा, स्मिता साहू, हेमंत भुवाल, ईश्वर लाल साहू, भुवन लाल साहू, जयप्रकाश अजीम प्रेमजी फाउंडेशन, शांत कुमार पटेल का विशेष योगदान रहा। इस अवसर पर राजकुमार वर्मा, श्रद्धा तिवारी, अमिंदर, तुकाराम साहू आदि उपस्थित थे।


