बेमेतरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 30 जून। जिले के ग्राम झाझाडीह गांव विकास के मामले में पिछड़ा हुआ है। गांव में 7 दशक बाद भी पक्की सडक़ नहीं बनी है। गांव से बाहर जाने के लिए पक्की सडक़ नहीं होने के कारण बारिश के दिनों में आपातकालीन वाहन नहीं पहुंच पाता है। गांव से 5 किमी दूर राशन दुकान व 2 किमी दूर स्कूल है। बारिश के दिनों में बच्चे स्कूल नहीं जाते।
गांव से बाहर रहने वाले गांव में सडक़ नहीं होने के कारण आने से कतराते हैं। ग्रामीणों द्वारा गांव में पक्की सडक़ के लिए दस से अधिक आवेदन दे चुके हैं, पर सडक़ नहीं बना है। सीएम से भी भेंट मुलाकात में समस्या को लेकर गांव के किसान बात रख चुके हैं पर समस्या यथावत है।
जानकारी हो कि एक तरफ देश आजादी का 75 वां अमृत उत्सव मना रहा है तो दूसरी तरफ जिले के नवागढ़ विधानसभा क्षेत्र के रामपुर पंचायत के आश्रित गांव झाझाडीह को अब तक बारहमासी सडक़ नसीब नहीं हुआ है।
जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर यह गांव विकास के मामले में विकास से कोसों दूर है। सडक़ के अलावा गांव में स्वास्थ्य केन्द्र, मीडिल स्कूल व राशन दुकान नहीं है। गांव के लोग उपचार के लिए गांव से 5 किलोामीटर दूर खंडसरा सीएससी जाते हैं। राशन लेने के लिए ग्राम मोतिमपुर 2 किलोमीटर दूर जाते हैं और स्कूली विद्यार्थी 5वी पढऩे के बाद मोतिमपुर, खंडसरा या अंधियारखोर जाते है या फिर 5वी के बाद स्कूल जाना छोड़ देते है।
सीएम से गुहार लगा चुके हैं ग्रामीण
ग्रामीणों को आवागमन करने के लिए जो भी रास्ता है, वह भी बरसात लगते ही कीचड़ व दलदल तबदील हो जाता है। बरसात के चलते बच्चे नहीं जाते स्कूल और ग्रामीण गर्भवती महिलाएं व किसी का तबीयत खराब हो जाए तो अस्पताल जाने में उन्हें खासी परेशानी होती है। ग्रामीण विधायक, सरपंच सहित कलेक्टर से गुहार लगा-लगा कर परेशान हो चुके हैं। ग्रामीणों का कहना है कि बरसात के दिनों में कोई नेता या कोई अधिकारी गांव में आकर ठहरे तब पता चलेगा कि किस तरह से हम जीवन यापन कर रहे हैं। गांव के टेकचंद बंजारे ने बताया कि उनके द्वारा ग्राम दाढ़ी में आयोजित भेंट मुलाकात कार्यक्रम में सीएम को अपने गांव झाझाडीह की समस्या को सामने रखा था तब सडक़ बनाने का भरोसा दिए थे। इसके बाद गांव के इस सडक़ के मेजरमेन्ट के लिए अधिकारी आते हैं, नाप करते हैं पर आगे की गतिविधि का पता नहीं चल पाता है। ग्रामीण इसके बाद सडक़ की फरियाद लेकर कलेक्टर को आवेदन सौंप चुके हैं।
बारिश में शाम को लौट आते हैं ग्रामीण
गांव की आबादी 350 के करीब है जहां बुजुर्ग भी पक्की सडक़ बनने का सपना देखते रह गये। ग्रामीणों ने बताया पहले गांव के बुजुर्ग बारहमासी सडक़ बनाने की मांग 6 दशक से अधिक समय से करते आ रहे हैं पर पक्की सडक़ उनके लिए सपना ही रह गया। आंनद कुमार टंडन के अनुसार गांव के विकास में सडक़ की कमी सबसे बड़ा रोड़ा है। बारिश के दिनों में गांव से बाहर गये लोग 4 बजे वापस लौट जाते हैं। गांव के झुमन ने सडक़ की समस्या को विकट बताया है।
सडक़ बनाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार के पास चार विभाग
बताना होगा कि ग्राम झाझाडीह पहुंचने के लिए करीब 5 किलोमीटर का सडक़ बनाने का मांग ग्रामीणो द्वारा किया जा रहा है। सरकारी तौर पर सडक़ बनाने के लिए चार विभाग काम कर रहे है जिसमें लोक निर्माण विभाग, प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना, मुख्यमंत्री ग्राम सडक़ योजना और ग्रामीण यांत्रिकी विभाग है जिनके पास अनेक योजना है। इसके बावजूद इस गांव के रहवासियों को पक्की सडक़ नही मिला है।
कलेक्टर पीएस एल्मा ने कहा कि झाझाडीह गांव के ग्रामीण आये थे जिनके द्वारा समस्या बताया गया है। सडक़ की लंबाई की जानकारी के लिए आरईएस को कहा गया है । फिलहाल कीचड़ वाल स्थान पर मुरूम या फिर जीरा गिट्टी डालने कहा गया है।


