बेमेतरा

अपने हाथों से एक मच्छर भी नहीं उड़ा सकता 14 साल का महेंद्र
04-May-2023 2:30 PM
अपने हाथों से एक मच्छर भी नहीं उड़ा सकता 14 साल का महेंद्र

जिस गंभीर बीमारी ने बड़े बेटे की जान ली, छोटा भी उसी से जूझ रहा

तीन साल से मदद के लिए दफ्तरों के चक्कर लगा रहा पिता

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बेमेतरा, 4 मई।  गंभीर बीमारी का उपचार नहीं करा पाने की वजह से एक जवान बेटे को खो चुके कुमार वर्मा अपने दूसरे बेटे को बचाने के लिए सरकार व जिला प्रशासन के पास तीन साल से गुहार लगा रहा है। कुमार ने बताया कि उसके दोनों बेटे स्कूल जाने लगे थे पर मांसपेशियों से जुड़ी गंभीर बीमारी की चपेट में आ गये।

शहर के सिधौरी वार्ड निवासी कुमार वर्मा का पुत्र महेन्द्र वर्मा (14) बीते 6 साल से मांसपेशियों की गंभीर बीमारी मस्कुलर डिस्ट्राफी से पीडि़त है। पूर्व में पैदल चलकर स्कूल जाने वाला महेन्द्र अब बेड रेस्ट पर है। उसके बड़े भाई पेखन वर्मा की मौत इसी बीमारी की वजह से एक साल पहले हुई है।

बड़ा लडका 10 साल पहले हुआ था बीमार

परिजनों ने बताया कि कुमार का बड़ा पुत्र पेखन वर्मा को 12 साल के आयु में मस्कुलर डिस्ट्राफी हुआ था। पहले चलने में दिक्कतें हुई फिर धीरे-धीरे मर्ज ने शरीर को जकडऩा शुरू किया तो कमर, पेट, सीना व गले के निचला हिस्सा बीमारी की चपेट में आ गया। करीब 10 साल उपचार के बाद भी उसे बचाया नहीं जा सका।

लाइलाज बीमारी, सिकुड़ जाती हैं मांसपेशियां

यह लाइलाज रोग वंशानुगत है, इसमें धीरे-धीरे बच्चे की सारी मांसपेशियां सिकुडऩे लगती हैं। बीमारी की वजह से 14 साल के कम आयु में भी महेन्द्र बेहद कमजोर हो चुका है। एक तरह से वह पराधीन है। डीएमडी से पीडि़त बच्चा अपनी दिनचर्या के कार्यों के लिए परिजनों पर ही आश्रित है। 14 साल का महेंद्र इस उम्र में अपने हाथ से मच्छर भी नहीं उड़ा सकता और धीरे-धीरे बीमारी का दायरा बढ़ते जा रहा है।

कभी दौड़ते हुए स्कूल जाया करता था महेंद्र

महेन्द्र 6 साल पहले शासकीय स्कूल में पढऩे जाया करता था। कक्षा चौथी तक सामान्य बच्चों की तरह था। 6 साल पहले घुटने के पास की मांसपेशियों में परेशानी होने लगी।

डॉक्टर ने उसे भी बड़े भाई की तरह रोग होने की बात कही। 2019 में दोनों की रिपोर्ट देखने के बाद डॉक्टरों ने मस्कुलर डिस्ट्राफी होना बताया। पिता कुमार ने बताया कि एक साथ दो बच्चों को गंभीर बीमारी होने की वजह से पूरा परिवार परेशान है। अब तक मुंबई, नासिक, जोधपुर, हरिद्वार, बिलासपुर, भिलाई, रायपुर, नागपुर समेत अनेक शहर के डॉक्टर से उपचार करा चुके हैं। अब आगे उपचार के लिए दीगर प्रदेश जाने और लाखों का व्यय होगा जिसके लिए सरकारी मदद के लिए गुहार लगा रहे हैं

न राशन कार्ड है और न ही बना दिव्यांग प्रमाणपत्र

कुमार ने बताया कि उनके बच्चे की स्थिति के बारे में शासन प्रशासन सब जानते हैं। कई बार आवेदन देने के बाद भी उनका गरीबी रेखा राशन कार्ड नहीं बना। बच्चों का दिव्यांग प्रमाण पत्र नहीं बना। न ही बच्चों को पेंशन दी जाती है। कई बार विभागों के चक्कर लगा चुके हैं, फिर भी सिर्फ आश्वासन मिला। मदद के लिए कलेक्टर पीएस एल्मा से मिला, उन्होंने मदद का आश्वासन दिया है। परिवार में उम्मीदे जगी हैं।

स्वास्थ विभाग को निर्देश दिया गया है - कलेक्टर एल्मा

कलेक्टर पीएस एल्मा ने बताया कि बालक को गंभीर बीमारी होने की वजह से उपचार के लिए मदद मांगने के लिए पिता कुमार वर्मा का आवेदन मिला है। आवेदन आने के बाद जिला स्वास्थ्य अधिकारी को मेडिकल रिर्पोर्ट के अनुसार उपचार के लिए मेडिकल कालेज भेजने कहा गया है। प्रशासन द्वारा उपचार के लिए यथासंभव मदद करने की बात कही गई है। बहरहाल बेटे के उपचार के लिए पिता परेशान होकर तीन साल से कार्यालयों का चक्कर लगा रहा है।


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