बेमेतरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 3 मई। बेमौसम बारिश ने मिट्टी के बर्तन, ईट व अन्य सामान बनाने वालों के करोबार को भारी नुकसान पहुंचाया है। एक पखवाड़े भर से हवा-तूफान के साथ ओलावृष्टि होने से फसल को भी भारी नुकसान पहुंचा है। वहीं मौसम ने मिट्टी से ईट, घड़ा, सुराही, बर्तन बनाकर गुजर बसर करने वाले कुम्हारो को भारी झटका दिया है। जमीन के गीला होने के कारण भी भट्टा नहीं लगाया जा पा रहा है। हालात को देखते हुए मजदूर काम बंद कर चुके हैं।
मौसम की वजह से भारी नुकसान
जानकारी हो कि जिले में दिगर प्रदेश से आकर लाल ईट बनाने वाले कुम्हार व जिले के स्थानीय कुम्हारों के लिए गर्मी का सीजन ईट बनाने और बेचने के लिए बेहतर समय होता है। आम तौर कुम्हार गर्मी के दिनो को सीजन मानते हैं। करीब 100 दिन तक कड़ी मेहनत कर साल भर के गुजर बसर के लिए कुछ रूपया एकत्रित करते हैं पर इस बार बेमौसम बारिश से ईट बनाने वालों के लिए नुकसान साबित हो रहा है। माटीकला बोर्ड के पूर्व सदस्य भगत कुंभकार, शिव कुमार, बीजे कुंभकार ने बताया इस बार की बारिश और ओलावृष्टि के साथ चल रहे तेज हवाओं ने हमारे कामकाज को भारी नुकसान पहुंचाया है। हालत ये हैं कि मिटटी तैयार कर साचे से कच्चा ईट बनाने के बाद पकाने के लिए रखने के बाद सुख नहीं पा रहा है जिसकी वजह से भ_ा तैयार नहीं कर पा रहे हैं। भ_े में ईटों के अलावा मटका, सुराही, दीया, लाल व काला बर्तन भी पकाते हैं। बारिश की वजह से काम नहीं हो पा रहा है।
लोकल कुम्हार जिले के 50 से अधिक गांवों में करते हैं मिट्टी का काम
शासन की ओर से परंपरागत व रोजगारमूलक कार्य होने की वजह से कुम्हारों केा ईट व मिटटी के बर्तन, पात्र व सामान बनाने की छुट दी गई है। जिले के स्थानीय कुम्हार बेमेतरा, मोहभटठा, बीजाभाट, लोलेसरा, बैजी, खंडसरा, झाल, दाढी, आंनदगांव, बेरला, देवरबीजा, मोहभटठा, बालसमुन्द व अमोरा समेत अनेक गांवो में ईट व मिटटी के बर्तन बनाने का काम करते हैं। कुम्हारो को रायल्टी छुट की श्रेणी में रखा गया है जिसमें बेमेतरा, बहेरघाट, झाल, बीजाभाट, समेत अनेक गांव के कुम्हार सूचीबद्ध है।
मजदूर भी नहीं आ रहे
जिला मुख्यालय से लगे ग्राम लोलेसरा व मोहभटठा के ईट बनाने वालो ने बताया कि हम कच्चा ईट बनाने का काम ठेके पर देते हैं। सैकड़ा के अनुसार ईट बना कर देने पर मजदूर को भुगतान कर देते हैं पर पंद्रह दिनों से ईट बनाने के काम भी भारी मुश्किल होने के कारण बिते 5 दिनों से ईट बनाने के लिए मजदूरों ने आना बंद कर दिया है। हम सभी मौसम खुलने का इतंजार कर रहे है। चोरभठठी के ओपी कुम्हार ने भारी समस्या होने की बात कही है।कमजोर क्वालिटी की वजह से लोग नहीं ले रहे है।
बाजार में बढ़ चुका ईंट का दाम
मकान बनाने के लिए जरूरी ईट के कम बनने की वजह से इस बार बाजार में ईट का मांग बढ़ चुका है। बिते दो माह में मौसम की आंख मचैली की वजह से दाम में करीब 10 फीसदी से अधिक की बढ़त हो चुका है। इंजीनियर रजतकुमार व ठेेकेदार शशांक दुबे ने बताया कि दाम में इजाफा होने से लागत बढ़ चुका है। पं. मोरध्वज धिवरी वाले ने बताया कि मैं मकान बना रहा हूं। इस दौरान मुझे लाल ईट के दाम बढऩे का सामना करना पड़ रहा है। बहरहाल बिगड़े मौसम ने कुम्हारो के पैतृक कारोबार को भारी नुकसान पहुंचाया है।
ईंट भटठा व फ्लाईएस से किसानों को बहुत नुकसान हो चुका
कुम्हारों ने बताया जिले में 38 चिमनी ईट भटठा संचालित है। इससे हम लोग पूर्व से ही कांपीटिशन की वजह से पिछड़ चुके हैं। वहीं फ्लाइएस के ईटों को सरकार प्राथमिकता में रखती है। याने हमारा करोबार पूर्व से ही सिमटते जा रहा है। करसा व घड़ा का उपयेाग कम ही लोग करते हैं। इन सब समस्याओं का सामना करते हुए हमारा पूरा परिवार का गुजर बसर इसी से जुड़ा हुआ है। बिते 15 दिनो से जारी मौसम की हालात ने और नुकसान कर दिया है। बारिश के दिनों में ईट बना भी लेतें हैं तो कमजोर क्वालिटी की वजह से लोग नहीं ले रहे है।


