बेमेतरा

शंकराचार्य के साथ हजारों शिव भक्तों ने किया सामूहिक रुद्राभिषेक
20-Feb-2023 3:40 PM
शंकराचार्य के साथ हजारों शिव भक्तों ने किया सामूहिक रुद्राभिषेक

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 20 फरवरी। 
ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती महाशिवरात्रि पर्व पर शंकराचार्य आश्रम में प्रात: दर्शन पूजा दीक्षा पश्चात निर्माणाधीन सवा लाख शिवलिंग (लक्षेश्वर सपाद धाम) पहुंचे। निर्माणाधीन इमारत का निरीक्षण कर परिसर पर ही उन्होंने महारुद्राभिषेक किया।

शंकराचार्य के मीडिया प्रभारी अशोक साहू ने बताया सुबह से ही दूर-दूर से श्रद्धालुओं और भक्तों का सपाद व सलधा में आगमन प्रारंभ हो गया था। वहीं श्रद्धालुओं ने शंकराचार्य के दर्शन किए। लक्षेश्वर धाम प्रबंधक ने बताया कि दोपहर एक बजे शंकराचार्य का लक्षेश्वर धाम पहुंचे फिर महारुद्राभिषेक शुरू किया।

लक्षेश्वर धाम प्रबंधक ब्रह्मचारी ज्योतिर्मयानंद महाराज ने बताया महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचे हैं जिन्होंने अपने या अपने परिजनों या पितरों के नाम से शिवलिंग स्थापित करने के अपना अंश दान किया हैं। इस अवसर पर आशिष छाबड़ा विधायक, चन्द्रप्रकाश उपाध्याय विशेष कार्याधिकारी ज्योतिषपीठ, धर्मालंकार डॉ.पवन कुमार मिश्र, ब्रह्मचारी श्रवनानन्द, आचार्य राजेन्द्र शास्त्री, ब्रह्मचारी ज्योतिर्मयानंद, रवि शास्त्री, कीर्तन शुक्ला, नीलकंठ चन्द्रवंशी, मोतीराम चन्द्रवंशी, योगेश तिवारी, अवदेश चंदेल, रघुराज सिंह ठाकुर, विकाश आर्य सहित हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

सामूहिक रुद्राभिषेक
ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती महाशिवरात्रि पर्व पर शंकराचार्य आश्रम में प्रात: दर्शन पूजा दीक्षा पश्चात निर्माणाधीन सवा लाख शिवलिंग (लक्षेश्वर सपाद धाम) पहुंचे। निर्माणाधीन इमारत का निरीक्षण कर परिसर पर ही उन्होंने महारुद्राभिषेक किया।

शिवपुराण कथा का वाचन
शंकराचार्य महाराज की इच्छा के अनुरूप छत्तीसगढ़ में प्रथम श्रीगणेश पुराण बलौदाबाजार जिला के पलारी नगर में हुआ। दूसरा श्रीशिव पुराण 13 अप्रैल से 20 अप्रैल लक्षेश्वर धाम सपाद में होना है, जिसकी घोषणा मंच से मंदिर प्रबंधक ब्रह्मचारी ज्योतिर्मयानंद ने की। उन्होंने कहा दूर-दूर से आने वाले सभी श्रद्धालुओं के ठहरने व भोजन की भी व्यवस्था रहेगी।
मंदिर समिति द्वारा महारुद्राभिषेक पूजा में उपयोग होने वाली सभी सामग्री समिति की तरफ से उपलब्ध कराया गया।

समिति के कार्यकर्ताओं द्वारा लगातार घूमकर के जिन श्रद्धालुओं के बाल्टी में जल कम होते देखा, उन्हें जल तुरंत जल उपलब्ध करा देते, ताकि आस्था व पूजा में किसी भी प्रकार का विघ्न न हो। मंदिर समितियों द्वारा महारुद्राभिषेक पश्चात महाभण्डारा का आयोजन किया गया था, जहां लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।
 


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