बेमेतरा
रिकॉर्ड में सुधार के बाद मिली ऋण पुस्तिका
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 11 जनवरी। जिले के ग्राम खाती में 70 वर्ष पूर्व हुए चकबंदी के दौरान दस्तावेजों में हुए त्रुटि सुधार, कब्जादार व हकदार को कब्जा दिलाने के लिए 3 साल पूर्व प्रांरभ किया गया राजस्व रिकार्ड सुधार का मैराथन कार्य 1000 दिन में पूर्ण करने के बाद किसानों को ऋण पुस्तिका पर्ची जारी किया गया। पूरे प्रदेश में राजस्व सुधार का पहला प्रकरण है जिसमें रिकार्ड दुरूस्तीकरण के लिए लगातार 3 साल तक कार्रवाई की गई। ग्राम खाती की रिकार्ड सुधार की कार्यावाही पूरे प्रदेश के लिए उदाहरण बन चुका है। मैराथन प्रयास के बाद हकदारों के पास जमीन का कब्जा व दस्तावेज दोनों है।
थान खम्हरिया तहसील के ग्राम खाती का रिकार्ड सन 1965-66 में हुए चकबंदी व्यवस्था में हुए त्रुटि के कारण किसानों की जमीन विवादित था जिसकी वजह से जो किसान जिस जमीन पर काबिज थे। उक्त जमीन उनके नाम पर दर्ज नहीं था और रिकार्ड किसी अन्य किसान के नाम पर था। करीब गांव वालों के लिए इस तरह की स्थिति करीब 60 साल से गंभीर समस्या बना हुआ था।
न फसल बेच पा रहे थे न ही बीमा करा पा रहे थे
त्रुटि होने के कारण प्रभावित किसान अपने नाम पर न ही धान बेच पा रहे है और न ही खाद, बीज, बीमा, क्षति पूर्ति जैसे अन्य शासन की योजनाओं के लाभ से वंचित रहे हैं। गांव में इस तरह की स्थिति का सामना करते-करते तीन से चार पीढ़ी का जीवन गुजरते रहा पर किसी का खाता अपने नाम पर नहीं आया, न ही किसी का खाता अलग हो पाया था। गांव में विवाद आौर मारपीट का कारण बन चुके जमीन के लिए खाता को अलग करना संकट का साया बनकर पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ते रहा है। पूर्व में जब बेमेतरा जिला दुर्ग जिला का अभिन्न अंग हुआ करता था तब भी खाता अलग करने व रिकार्ड सुधार के लिए शासन-प्रशासन को अवगत कराने के लिए गामीण चक्कर काटते रहे पर समस्या का हल नहीं निकल पाया।
सन 1927-28 में हुआ था प्रथम बंदोबस्त
आजादी के पूर्व गांवों में 1927-28 के दौरान बंदोबस्त किया गया था। इसके बाद 1965-66 में चंकबंदी किया गया जिसे रिकार्ड दुरूस्त किये बगैर फालो किया जा रहा था। इसी स्थिति में 1986-87 के दौरान फिर पूर्ववर्त स्थिति में सुधार किये बगैर बंदोबस्त किया गया था जिसमें जमीन पर कब्जा रखने वाले और रिकार्ड में दर्ज नाम में अंतर था। शासन की अनुमति के बाद राजस्व रिकार्ड में सुधार की प्रकिया अपनाई गई।
पूरी कार्रवाई 2022 तक पूर्ण करने के बाद प्रकाशन के लिए एक साल तक इंतजार करने के बाद जनवरी 2023 को किसानों को ऋण पुस्तिका प्रदान किया गया। कार्रवाई के दौरान दुखित राम साहू, मोहल लाल साहू, ईश्वर साहू, दुर्गेश, नेमी चंद साहू व राजू साहू समेत 100 से अधिक ग्रामीण प्रशासन के साथ जुटे रहे।
पंचायत के प्रस्ताव से प्रारंभ हुई प्रक्रिया
रिकार्ड सुधार के लिए 2020 के दौरान करीब 100 ग्रामीणों द्वारा पंचायत प्रस्ताव के साथ जिला प्रशासन को आवेदन प्रस्तुत कर व्यथा व्यक्त किया गया जिसके बाद जनवरी 2021 तक जमीन नापने का कार्य याने सुधार सर्वे का कार्य किया गया तब राजस्व विभाग की टीम द्वारा रकबा मिलान, नापने किया गया। साथ ही रकबा व मौका में अंतर होने पर सुधार के लिए आवेदन प्रस्तुत किया गया। प्रक्रिया के चकबंदी आफिस विशेष तौर पर स्टेट से ग्राम खाती में प्रारंभ किया गया। साथ ही पूरी कार्यवाही के दौरान बंटवारा, नामांतरण, रजिस्ट्री, पंजीयन व पर्ची वितरण गांव के उक्त अस्थाई कार्यालय में किया गया।
आमतौर पर इस तरह की प्रकिया न्यायालय में होता पर ग्राम खाती के लिए नायब तहसीलदार, पटवारी आरआई की विशेष टीम का गठन किया गया। प्रकिया को लेकर जानकारी रखने वाले तत्कालीन तहसीलदार मोहन झारिया ने बताया कि प्रक्रिया विधिवित अनुमति लेने के बाद लगातार कार्रवाई किया गया, जिसके बाद किसानों के कब्जे वाले जमीन का हक उन्हें मिला है।
रिकॉर्ड में अनेक विसंगतियां थी जिसे दूर किया गया
कलेक्टर-बेमेतरा जितेन्द्र शुक्ला ने बताया, ग्राम खाती के राजस्व रिकार्ड में अनेक विसंगतियां थी जिसे भू राजस्व सहिता प्रावधानों के तहत प्रक्रिया पूर्ण विसंगतिया को दूर किया गया है, जिससे ग्राम खाती के रहवासी लाभान्वित हुए हैं।


