बलौदा बाजार

लेईहरा और रोपा से हो रही धान की बुवाई
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कसडोल, 15 जुलाई। खरीफ फसल धान की बोनी का काम लगातार अत्यधिक बारिश की भेंट चढ़ गया है। किसानों के पास एकमात्र अवसर लेईहरा तथा रोपा से भरपाई शेष बचा है, जिसके लिए किसान जी जान से जुट गए हैं।
खुर्रा बोनी के बजाय लेईहरा की अधिकता कसडोल तहसील क्षेत्र के 2 नगर पंचायत टुंड्रा एवं कसडोल सहित 118 पंचायतों के 230 ग्रामों में कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 40 से 42 हजार हेक्टे, कृषि भूमि में खरीफ फसल धान की खेती का अनुमान है। क्षेत्र में असिंचित कृषि भूमि की अधिकता है। जिसकी वजह से 70 से 75 प्रतिशत खेतों की खुर्रा बोनी होते आ रहा है, किंतु इस साल पूरे जून तथा जुलाई के प्रथम सप्ताह तक लगातार बारिश की वजह से खुर्रा बोनी प्रभावित हुआ है, जिसमें मात्र 25 प्रतिशत खेतों की ही खुर्रा बोनी हो पाई है और किसान धान बोनी पिछडऩे से मायूस घरों में बैठे रहे। क्योंकि खेतों में पानी भरा था तथा धार चल रही थी। इसलिए बोनी का काम रुका पड़ा था।
आज की स्थिति में अभी भी 25 फीसदी खेत पड़ती पड़े हुए हैं। जिसे लेईहरा और रोपा लगाने तैयार किया जा रहा है।
कृषि विकास खण्ड अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार कुल कृषि रकबा 40 हजार हेक्टे. में 10 हजार हेक्टे, कृषि भूमि में ही खुर्रा बोनी हो पाया है। शेष 50 प्रतिशतअर्थात 20 हजार हेक्टे, खेतों की धान बोनी का काम लेईहरा से सम्पन्न होनें का अनुमान है। शेष 25 प्रतिशत अर्थात 10 हजार हेक्टे, कृषि भूमि पर रोपा कतार बोनी श्रीबोनी तथा लेईहरा से होने की संभावना है।
कसडोल विकास खण्ड में इस साल करीब 10 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि में किसानों ने रबी फसल लिया है। जिसके फसल कटते ही बारिश शुरू होने से बोनी पूरी तरह थम गया था।
कसडोल तहसील में अब तक 622 एम एम वर्षा रिकार्ड की गई है, जो पिछले साल की तुलना में काफी अधिक है । चार एवं पांच जुलाई की झमाझम बारिश ने पूरे खेत खलिहानों जन जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है, जो बीच बीच में अभी भी जारी है जिसमें सबसे ज्यादा नुकसान लेईहरा धान बीज डाले किसानों को खेतों में पानी भरने से हुई है।
किसानों को अत्यधिक बारिश की वजह लेईहरा खेती में प्राय: सभी इलाकों में कई किसानों को दोबारा तिबारा धान बीज डालना पड़ा है। क्षेत्र के किसानों को सहकारी समितियों के गोदाम खाली होने से बगैर खाद के लौटना पड़ रहा है। खाद की कमी से निश्चित ही पैदावार की कमी से इंकार नहीं किया जा सकता है।