बलौदा बाजार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाज़ार, 2 जून। बलौदाबाजार जिला के बारनवापारा अभ्यारण क्षेत्र के बफर जोन में स्थित 21 गांव में आजादी के 76 साल बाद भी बिजली नहीं पहुंच पाया हैं। जिसके चलते ग्रामीणों को आज भी अत्यधिक असुविधाजनक परिस्थितियों से गुजरना पड़ रहा हैं।
विद्युत व्यवस्था न होने के चलते बिजली संबंधित काम के अलावा मोबाइल चार्ज करने भी उन्हें पास लगे अन्य गांव पर आश्रित होना पर रहा हैं। वहीं ग्रामीण इस संबंध में प्रतिनिधियों से गुहार लगाने के अलावा वन एवं विद्युत विभाग के चक्कर लगा रहे हैं। इसके बावजूद समस्या का निराकरण नहीं होने के पश्चात ग्रामीणों ने जिलाधीश दीपक सोनी को आवेदन सौंपकर समस्या के शीघ्र निराकरण कर ग्राम में बिजली आपूर्ति व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग किया हैं।
सौंप गए ज्ञापन में उल्लेख है कि अभ्यारण क्षेत्र के ग्राम बफरा, भिभोंरी, नवाडीह, गुडागढ, बार, हरदी, मुड़पार, दोद, पाडादाह, आमगांव, लोरिदखार, ढेबी, ढेबा, मोहदा, रवान, कोहाबहारा, मुरुमडीह, छातालड़बरा, रामपुर, झालपानी, फुर्फूंदी सहित 21 गांव में लोग आज भी गांव के विद्युतीकरण के लिए तरस रहे हैं।
वर्षों से इन गांवों के जनप्रतिनिधियों ने शासन प्रशासन से बार-बार बिजली लगाने सामूहिक रूप से सैकड़ो आवेदन दिए हैं। लेकिन अभी तक कोई ठोस पहल या कार्रवाई नहीं हो पाई हैं। जिसके चलते गत दिवस जिला कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष हितेन्द्र ठाकुर के नेतृत्व में बलौदाबाजार कलेक्ट्रेट पहुंचे ग्रामीणों ने जिलाधीश दीपक सोनी से मिलकर अपनी समस्याओं से अवगत कराया।
प्रतिनिधि मंडल में आए ग्राम आमगांव के पूर्व सरपंच अनिरुद्ध दीवान ने बताया कि बिजली नहीं होने का सबसे बड़ा दुष्परिणाम बच्चों के भविष्य पर पढ़ रहा हैं। ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चे वंचित हो रहे हैं। साथ ही घरों में रोशनी नहीं होने के कारण भी पढ़ाई प्रभावित हो रही हैं। फोटोकॉपी अन्य या अन्य आवश्यक कार्यों के लिए लंबी दूरी तय कर पिथौरा जाना पड़ता है जिससे आर्थिक बोझ भी सामना करना पड़ता हैं।
वहीं गड़बड़ निवासी पुरुषोत्तम प्रधान ने बताया कि वनांचल क्षेत्र के इन गांव में बिजली नहीं होने के कारण ग्रामीणों का जीना दूभर हो गया हैं। भीषण गर्मी के समय घरों में रहना कठिन हो जाता हैं। बच्चे, बूढ़े गर्मी से परेशान हो जाते हैं और बरसात में विषैले जीव जंतुओं के काटने का भय बना रहता हैं। बिजली नहीं होने के कारण कई जरूरी कामों के लिए 25 से 30 किलोमीटर दूर पिथौरा जाना पड़ता हैं। स्थिति इतनी अत्यधिक विकेट है कि मोबाइल चार्ज करने भी दूसरे गांव जाने के लिए विवश हैं। यद्यपि शासन ने सोलर लाइट की व्यवस्था किया परंतु यह अपर्याप्त हैं। किसी तरह एक दो बल्ब ही आधे घंटे जल पता हैं।
उसने यह भी बताया कि बारनवापारा में जिओ मोबाइल टावर तो लग गया है लेकिन मोबाइल चार्ज करने का साधन नहीं होने के कारण उसका भी उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। कलेक्टोरेट पहुंचे ग्रामीणों ने यह भी बताया कि बिजली नहीं होने से 21 गांव के लोगों को सरकारी योजनाओं का भी लाभ नहीं मिल पाता। स्कूलों में पदस्थ शिक्षक, चिकित्सक समेत कोई भी शासकीय कर्मचारी इन गांव में निवास नहीं करना चाहते हैं।
ग्रामीणों ने पूर्व मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया को इस समस्या से अवगत कराया था, जिस पर उन्होंने विद्युत विभाग के आला अधिकारियों से चर्चा भी की थी। उसके बाद भी विभाग के अधिकारियों द्वारा आवश्यक पहल नहीं की गई।
जोन की वजह से नहीं मिल रहा अनापत्ति प्रमाण पत्र
प्रभावित 21 ग्राम कोर अथवा बफर जोन में स्थित है, जिसके चलते इन गांव इन ग्रामों में विद्युतीकरण हेतु विद्युत विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं हो पा रहा हैं। वहीं वन्य प्राणियों की सुरक्षा के मद्देनजर भी वन विभाग को इन गांव ग्रामों के विद्युतीकरण से आपत्ति हैं।
ग्रामीणेंा के अनुसार इन गांव से लगे एक दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव में बिजली लग गई है। प्रतिनिधि मंडल में बार के सरपंच भुवन यादव, आमगांव के पूर्व सरपंच अनिरुद्ध दीवान, पुरुषोत्तम प्रधान, ढेबी, के पूर्व सरपंच अमरध्वज यादव, दिनेश ठाकुर, भगवत प्रसाद, धर्मदास रात्र, संजीव ठाकुर, अंजर सिंह नागवंशी, संमपत ठाकुर, संतोष ठाकुर, आदि शामिल थे।
वहीं कलेक्टर दीपक सोनी ने ग्रामीणों की समस्या को गंभीरता से लेते हुए तत्काल विद्युत विभाग के इंजीनियर से चर्चा कर प्रभावित गांवों में विद्युत आपूर्ति करने हेतु आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए उन्होंने आगामी दिनों बाद नया क्षेत्र बारनवापारा क्षेत्र में दौरा कर क्षेत्र की समस्याओं के निराकरण के लिए प्रयास करने की बात भी कहीं।