बलौदा बाजार

युक्तियुक्तकरण का विरोध, फेडरेशन ने नीति को अव्यवहारिक बताया, पुनर्विचार की मांग
06-May-2025 8:23 PM
युक्तियुक्तकरण का विरोध, फेडरेशन ने नीति को अव्यवहारिक बताया, पुनर्विचार की मांग

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बलौदाबाजार, 6 मई। छत्तीसगढ़ में शिक्षा विभाग द्वारा जारी युक्तियुक्तकरण नीति एक बार फिर शिक्षकों के विरोध का कारण बन गई है। अगस्त 2024 में जारी इस नीति को बिना किसी संशोधन के दोबारा लागू कर दिया गया है, जिससे प्रदेश भर में शिक्षकों में असंतोष की लहर दौड़ गई है। छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक समग्र शिक्षक फेडरेशन ने इसे पूरी तरह से दोषपूर्ण और अव्यावहारिक बताया है और तत्काल इस पर पुनर्विचार की मांग की हैं।

फेडरेशन के जिला अध्यक्ष कोमल प्रसाद साहू ने कहा कि अतिशेष शिक्षकों के समायोजन की मंशा तो सही है, लेकिन जिन शालाओं में निर्धारित पदों से अधिक शिक्षकों की पोस्टिंग की गई, उसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों को चिन्हांकित कर कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि शिक्षकों की कोई गलती नहीं है, क्योंकि उनकी नियुक्ति और पदस्थापना विभाग के अधिकारियों द्वारा की गई है।

सोमवार को प्रदेशभर में छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक समग्र शिक्षक फेडरेशन के पदाधिकारी ने शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी से मंत्रालय में मुलाकात कर उनके समक्ष अपनी मांगे रखी, पर शिक्षा सचिव ने उनकी मांगों पर तत्काल विचार करने के बजाय कहा कि पहले युक्तिकरण की प्रक्रिया पूर्ण हो जाने दीजिए, इसके बाद प्रमोशन सहित अन्य मांगों पर विचार किया जाएगा। एसोसिएशन के सदस्य अब इस मुद्दे को लेकर बड़े आंदोलन की तैयारी में हैं।

एसोसिएशन ने सुझाव दिया कि 2008 के सेटअप को पुन: लागू किया जाए जिसमें प्राथमिक शालाओं में न्यूनतम एक प्रधान पाठक और दो सहायक शिक्षक, वहीं मिडिल स्कूलों में एक प्रधान पाठक और चार शिक्षक का प्रावधान था। यह संरचना व्यावहारिक और शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने में सहायक मानी जाती हैं।

युक्तियुक्तकरण नीति के संगठन के पदाधिकारी ने बताएं ये नुकसान

एक ही परिसर में शालाओं को एकीकरण से शैक्षणिक व्यवस्थाएं बाधित होगी और नियंत्रण कमजोर होगा। इससे  शिक्षण गुणवत्ता में गिरावट आने की पूरी आशंका हैं। प्रधान पाठक के पद को समाप्त किए जाने से शिक्षकों की पदोन्नति की संभावनाएं 50 फीसदी तक कम हो जाएगी जो कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के भी विरुद्ध हैं। पदों में कटौती से आने वाले शिक्षक वर्षों में शिक्षकों की भर्ती रुकेगी, जिससे प्रशिक्षित बेरोजगारों के लिए अवसर सीमित होंगे। जहा नियमित शिक्षक अतिशेष माने जा रहे हैं वहीं अतिथि शिक्षकों को युक्तियुक्तकरण से बाहर रखा गया हैं।

जिले के 200 स्कूल होंगे मर्ज, प्रधान पाठक को भी 200 पद होंगे समाप्त

प्रदेश में लगभग 2 हजार स्कूल मर्ज हो जायेगे और इतने में ही प्रधान पाठकों के पद की समाप्त हो जाएंगे। बलौदा बाजार जिले में ही युक्तियुक्तकरण से लगभग 200 से 215 स्कूल मर्ज हो जाएंगे, वहीं इतने ही प्रधान पाठकों के पद समाप्त हो जाएंगे। कसडोल, सोनाखान जैसे ट्राईबल एरिया के बच्चे शिक्षा से दूर हैं यहां के 20 स्कूल ऐसे हैं, जहां बच्चों की संख्या ले देकर 10 से 12 ही पहुंच पाई है ऐसे में यहां के स्कूलों की संख्या कम कर दी जाएगी तो यह संख्या और भी घट सकती हैं।

क्या है युक्तियुक्तकरण नीति जिसका हो रहा विरोध

मिडिल हाई हाई सेकेंडरी स्कूल की कक्षाओं में विशेष विशेष शिक्षकों के पद समाप्त कर दिये गये। प्राथमिक शाला में 35 बच्चों पर एक शिक्षक, प्राथमिक शाला में 30 बच्चों पर एक शिक्षक रहेगा। जिन स्कूलों में इस दर्ज संख्या के अनुपात में शिक्षकों की संख्या अधिक है, उन शिक्षकों को जिन स्कूलों में शिक्षकों की कमी है, वहां पदस्थ किया जाएगा। जिस स्कूलों में बच्चों की दर संख्या कम है, उसे समीप के स्कूलों में मर्ज किया जाएगा। प्राथमिक स्कूल माध्यमिक स्कूल अगर एक ही परिसर में है तो प्राथमिक शाला को मिडिल स्कूल के अधीनस्थ किया जाएगा।


अन्य पोस्ट