बलौदा बाजार

1संतान की लंबी उम्र के लिए माताओं ने रखा हलषष्ठी व्रत
29-Aug-2021 5:59 PM
1संतान की लंबी उम्र के लिए माताओं ने रखा हलषष्ठी व्रत

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 29 अगस्त।
शनिवार को माताओं ने संतान की लंबी आयु के लिए हलषष्ठी (कमरछठ) का उपवास रख व नियत स्थान पर सगरी बनाकर पूजन किए व पसहर चावल का खिचड़ी खाकर व्रत का परायण की। 

हलषष्ठी व्रत संतान की लंबी आयु के लिए माताओं द्वारा रखा जाता है। यह व्रत छत्तीसगढ़ का प्रमुख व्रत है। शनिवार को माताएं यह व्रत रखकर व नियत स्थानों में एकत्रित होकर मिट्टी का सगरी, गौ माता, बलराम व नाव-नाविक बनाकर विशेष प्रकार के सामान से पूजा अर्चना आरती करते हुए कथा का श्रवण किए। इस पर्व में विशेष प्रकार के पूजन सामग्री लाई, महुआ के फल, दोना-पत्तल, दातौन, पसहर चावल, छह प्रकार की भाजी, काशी फूल, कमल फूल, भैंसा का दूध, दही, घी, नारियल, छुही का उपयोग पूजन में किए। व्रत धारी महिलाएं निश्चित स्थान पर एकत्रित होकर सामूहिक पूजन कर हलषष्ठी महारानी का कथा सुने फिर आरती व प्रसाद वितरण के बाद अपने बच्चों को सिंदूर का तिलक लगाकर छुही से पोता मारते हुए लंबी उम्र का आशीर्वाद दिया। रात्रि में विशेष प्रकार के पसहर चावल से बने खिचड़ी का प्रसाद ग्रहण कर व्रत का परायण किया। संतान प्राप्ति और बच्चों की लंबी आयु के लिए इसे मनाया जाता है।

धार्मिक कथाओं में कमरछठ व्रत कथा का वर्णन है। इसे हलषष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। इस कारण हल से जोत कर उत्तपादित सामग्री का उपयोग नहीं किया जाता है। विशेष प्रकार के चावल, महुआ फल, पत्ता, दातौन, काशी फूल, कमल फूल का उपयोग पूजन सामग्री में होता है। व्रतधारी महिलाएं निश्चित स्थान पर एकत्रित होकर मिट्टी का सगरी नाव और नाविक बनाती हैं जहां सामूहिक पूजन कर हलषष्ठी महारानी की कथा सुनती है। इसके पूजन व उपवास में भैंसा का दूध, दही, घी, नारियल और फूल के साथ सुबह से उपवास रखती हैं। शाम को सभी महिलाएं नियत स्थान पर एकत्रित होकर व सगरी बनाकर एक साथ पूजा करती हैं। पूजा करने के बाद बच्चों के पीठ पर हाथों का पंजा लगाया जाता है, ताकि बच्चों की आयु लंबी हो और वे हर मुसीबत से बचे रहे हैं। फिर रात्रि में पसहर चावल से बना खिचड़ी व छह प्रकार जे भाजी से बना सब्जी का भोजन कर व्रत तोड़ते हैं।
 


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