राजनीति
नई दिल्ली, 14 दिसंबर | कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार को एक रिपोर्ट के सामने आने के बाद कहा कि फेसबुक पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का कब्जा है। फेसबुक इसलिए नफरत फैलाने वाली सामग्री पर कार्रवाई नहीं करती। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए और कहा, "एक बार फिर साबित हो गया है कि भारत में फेसबुक भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नियंत्रण में है।"
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने फेसबुक को लेकर अमेरिकी अखबार वाल स्ट्रीट जर्नल में छपी एक खबर का हवाला देते यह टिप्पणी की।
कांग्रेस नेता ने एक टीवी समाचार का वीडियो पोस्ट किया, जिसमें अमेरिकी अखबार वाल स्ट्रीट जर्नल में छपी खबर का हवाला देते हुए कहा गया है कि फेसबुक ने अपना कारोबार बिना बाधा के चलते रहने, अपने कार्यालयों तथा कर्मचारियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के भड़काऊ वीडियो पर कार्रवाई नहीं की।
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि कार्रवाई करने पर फेसबुक को सत्ताधारी भाजपा के साथ संबंध खराब होने का डर था, इसलिए उसने बजरंग दल के भड़काऊ वीडियो को लेकर उसके खिलाफ कभी कोई कार्रवाई नहीं की।
अखबार ने लिखा है कि यदि फेसबुक बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करती तो कंपनी को अपना काम करने में दिक्कत होती, साथ ही उसके कर्मचारियों और कार्यालयों को भी खतरा हो सकता था।
यह पहली बार नहीं है कि फेसबुक विवाद में है। इससे पहले, इस साल अगस्त में वॉल स्ट्रीट जर्नल ने बताया था कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की नीतियां कथित रूप से पक्षपाती थीं और व्यापारिक हितों के कारण सत्तारूढ़ भाजपा के पक्ष में थीं।
रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में फेसबुक की सार्वजनिक नीति की प्रमुख अंखी दास ने प्लेटफॉर्म पर अभद्र टिप्पणी पोस्ट किए जाने के बावजूद सत्ता पक्ष और उसके एक नेता के पक्ष में पैरवी की थी।
फेसबुक ने हालांकि इन आरोपों से इनकार किया था। इस साल अक्टूबर में अंखी दास ने कंपनी छोड़ दी।
उस समय कांग्रेस ने कहा था कि सिर्फ एक व्यक्ति को बदलने से मसला हल नहीं होगा।
कांग्रेस के महासचिव (संगठन) के. सी. वेणुगोपाल ने इससे पहले नसीहत दी थी कि फेसबुक को अपनी संस्थागत प्रक्रियाओं और मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) के पूरी तरह से सुधार के माध्यम से अपनी तटस्थता का प्रदर्शन करना चाहिए।
उन्होंने कहा, "भारत के सामाजिक सौहार्द को खतरे में डालते हुए झूठे, धार्मिक ध्रुवीकरण और नफरत फैलाने वाले समाचार/सामग्री को उनके प्लेटफॉर्म पर फैलने से रोकने के लिए उठाए गए कदमों को भी रेखांकित करना चाहिए।"
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने 14 अगस्त को अंखी दास की अगुवाई वाली फेसबुक इंडिया की टीम के कथित पक्षपातपूर्ण मामलों पर महत्वपूर्ण सूचना दी थी और कांग्रेस ने इस मुद्दे को उठाया था।
इसने रिपोर्ट की थी कि अंखी दास ने सत्तारूढ़ दल और उसके नेताओं का पक्ष लिया था और प्रचार प्रसार के माध्यम से नकली और घृणित समाचार फैलाए जा रहे थे।
इसके बाद, कांग्रेस ने फेसबुक इंक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग को दो पत्र लिखे, जिसमें उन्होंने मामले को गंभीरता से देखने का आग्रह किया था। फेसबुक ने अपनी तटस्थता और उचित कार्रवाई का वादा करते हुए पत्रों का जवाब दिया था। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 14 दिसंबर | दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने किसानों के समर्थन में सोमवार को एक दिन का उपवास रखा। केजरीवाल के मुताबिक किसान और जवान किसी भी देश की नींव होते हैं और अगर किसी देश के किसान और जवान संकट में हों तो वह देश कैसे तरक्की कर सकता है। जिस किसान को खेतों में होना चाहिए वह इतनी कड़कड़ाती ठंड में सड़कों पर बैठा है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, "मुझे खुशी इस बात की है कि आज पूरा देश किसानों के साथ खड़ा है। देशभर में फौजी किसान के साथ खड़े हैं, जवान किसान के साथ खड़े हैं, खिलाड़ी किसानों के साथ खड़े हैं, बड़ी-बड़ी बॉलीवुड की हस्तियां किसानों के साथ खड़ी हैं, देश के वकील, डॉक्टर सब किसानों के साथ खड़े हैं।"
दिल्ली स्थित आम आदमी पार्टी के मुख्यालय पहुंचे केजरीवाल ने यहां सामूहिक उपवास में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि लोग भले ही सिंघु बॉर्डर न पहुंच पाए हों, लेकिन देश भर में लाखों करोड़ों लोगों ने किसानों के साथ खड़े होकर उनके लिए दुआएं मांगी हैं।
केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी के विधायकों पार्षदों एवं कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि, "सोच कर देखो कितने ही किसान ऐसे हैं जिनके दो बेटे हैं। एक बेटा किसान बन गया और दूसरा बेटा सरहद पर जवान बन गया। फौज में जब उनका बेटा सुनता है कि मेरे भाई को आतंकवादी कहा जा रहा है तो उसके दिल पर क्या गुजरती होगी।"
मुख्यमंत्री के मुताबिक यह सही नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि जितने भी लोग गंदी राजनीति के तहत किसानों को अपशब्द कह रहे हैं, मैं उनसे हाथ जोड़कर विनती करता हूं कि किसानों के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल न करें।
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा, "नए कृषि कानून में लिखा है कि कोई भी आदमी कितनी भी जमाखोरी कर सकता है। अभी तक जमाखोरी करना कानून में भी अपराध माना जाता था और शास्त्रों में भी पाप माना जाता था। जिन लोगों के पास पैसे हैं, ऐसे लोग दो तीन साल तक का सामान स्टोर करके रख लेंगे। इससे महंगाई हो जाएगी। इस कानून में लिखा है कि अगर एक साल में महंगाई दोगुनी हो जाएगी, सरकार तभी छापेमारी कर सकती है। ऐसे में तो यदि दाल के रेट बढ़ते हैं और मुख्यमंत्री को मालूम है की दाल की जमाखोरी की जा रही है तो भी मुख्यमंत्री छापेमारी के आदेश नहीं दे सकता।" (आईएएनएस)
भोपाल, 14 दिसंबर | मध्यप्रदेश के भोपाल संसदीय क्षेत्र से भाजपा की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने सोमवार को एक कार्यक्रम में कहा कि शूद्र को शूद्र कहो तो उसे बुरा लग जाता है, क्योंकि उसमें नासमझी है। प्रज्ञा ठाकुर ने राजधानी के करीब सीहोर में क्षत्रिय समाज के कार्यक्रम में कहा, "हमारी धर्म व्यवस्था में चार वर्ग तय किए गए थे। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र। ब्राह्मण को ब्राह्मण कहो उसे बुरा नहीं लगता, क्षत्रिय को क्षत्रिय कहो उसे बुरा नहीं लगता, वैश्य को वैश्य कहो तो बुरा नहीं लगता, मगर शूद्र को शूद्र कहो तो उसे बुरा लग जाता है, क्योंकि उसमें नासमझी है, ये समझ नहीं पाते।"
पश्चिम बंगाल में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हुए हमले को लेकर प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि "पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अब समझ में आ गया है कि ये भारत है। ये पाकिस्तान नहीं है।"
सांसद ने कहा, "ये भारत है और भारत की रक्षा करने के लिए भारत के लोग तैयार हो चुके हैं। हिंदू तैयार हो चुका है। वह मुंहतोड़ जवाब उसको देगा। इतना ही नहीं, बंगाल में भाजपा का शासन आएगा। हिंदुओं का शासन आएगा और बंगाल अखंड भारत का हिस्सा है और रहेगा। वे बंगाल को भारत से अलग करने का प्रयास कर रही थीं। भाजपा डरने वाली नहीं है।" (आईएएनएस)
लखनऊ, 14 दिसम्बर | आईपैड से न केवल सरकारी योजनाओं का फीडबैक लेने और फाइलों के मूवमेंट की जांच करने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब नए तेवर में नजर आएंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब जनता का मिजाज और शहर की साफ सफाई तथा अन्य सरकारी व्यवस्थाओं का हाल जानने के लिए अचानक ही किसी भी शहर में कार से पहुंच सकते हैं। बीते शनिवार को मुख्यमंत्री ने अपनी सुरक्षा की परवाह किए बिना मुरादाबाद से गाजियाबाद तक कार से जाकर यह संकेत भी दे दिया है। हुआ यह कि मुरादाबाद से गाजियाबाद जाते हुए मुख्यमंत्री को कई जगहों पर गंदगी दिखी। तो उन्हें कई शहरों में कार्यरत अफसरों के लापरवाह मिजाज का पता भी चला। जिसके चलते सोमवार को मुख्यमंत्री ने लखनऊ में साफ-सफाई का कार्य देखने वाले उच्चाधिकारियों को तलब कर सूबे के कई शहरों की साफ-सफाई की व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त करने का निर्देश दिया। अब यह चर्चा है कि सूबे की चिकित्सा, शिक्षा और साफ-सफाई की हकीकत जानने के लिए मुख्यमंत्री राज्य के किसी भी जिले में अचानक की कार से पहुंच सकते हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गत शनिवार को मुरादाबाद गए थे। वहां से उन्हें गाजियाबाद में कैलाश मानसरोवर यात्रा भवन का लोकार्पण करने जाना था। कैलाश मानसरोवर भवन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट है। मुरादाबाद में कई कार्यक्रमों में शामिल होने के बाद जब मुख्यमंत्री गाजियाबाद के लिए चले तो पायलट ने कहा कि मौसम खराब होने के कारण हेलीकाप्टर नहीं उड़ सकता। इस पर जेड प्लस सुरक्षा के घेरे में रहने वाले मुख्यमंत्री की सुरक्षा को लेकर सुरक्षाधिकारियों ने कैलाश मानसरोवर भवन के लोकार्पण कार्यक्रम को स्थगित करने की सलाह दी।
बताते हैं कि इस सुझाव को मुख्यमंत्री ने ठुकरा दिया और कहा कि मैं गाजियाबाद जाऊंगा और लोकार्पण करुंगा। इसके बाद मुख्यमंत्री सड़क मार्ग से गाजियाबाद पहुंचे। कार से गाजियाबाद जाते हुए मुख्यमंत्री को मेरठ शहर की सड़क किनारे साफ-सफाई की व्यवस्था ठीक नहीं दिखी। कई जगहों पर उन्हें सड़क किनारे कूड़े के ढेर दिखाई दिए। दूसरी तरफ मुरादाबाद से गाजियाबाद जाते हुए सड़क के किनारे खड़े लोगों ने मुख्यमंत्री के शहर आगमन पर हाथ हिलाकर उनका स्वागत भी किया। ऐसा माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रति जनता के उत्साही मिजाज को देखते हुए अन्य शहरों में भी कार से जाने का फैसला लिया जा रहा है। कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री के ऐसे दौरों से अधिकारी लापरवाही बरतने की हिम्मत नहीं करेंगे और शहरों की साफ-सफाई से लेकर चिकित्सा व्यवस्था में सुधार होगा।
ऐसा नहीं है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहली बार किसी शहर में कार से अचानक पहुंचे हैं। इसके पहले भी वह कई जिलों में अस्पताल और मंडी स्थलों में धान और गेंहू खरीद की हकीकत जानने पहुंच चुके हैं। लॉकडाउन के दौरान जब बड़े-बड़े नेता घरों से बाहर नहीं निकल रहे थे, उस दौरान मुख्यमंत्री नोएडा और गाजियाबाद पहुंचे थे। तब उन्होंने अन्य राज्यों से आ रहे श्रमिकों को लेकर लापरवाही बरतने के प्रकरण में नोएडा के जिलाधिकारी को हटाने का आदेश दिया था।
पूर्वाचल में दौरे के दौरान मुख्यमंत्री कार से बस्ती गए थे। बीते साढ़े तीन सालों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सूबे के हर जिले का कम से कम दो बार दौरा कर चुके हैं। अब वह सीधे जनता से संवाद करने तथा जनता का मिजाज जानने और सरकारी कामकाज की हकीकत जानने के लिए अचानक किसी शहर में कार से निरीक्षण करने पहुंचेंगे। ऐसी चर्चा होने लगी है। (आईएएनएस)
चंडीगढ़, 13 दिसंबर | पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने रविवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर किसानों के चल रहे आंदोलन का राजनीतिक दोहन करने का आरोप लगाया है और कहा है कि वो अपनी पार्टी के चुनावी एजेंडे को बढ़ाने के लिए 'झूठ और झूठे प्रचार' का सहारा ले रहे हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री ने केजरीवाल पर हमला करते हुए कहा, "दिल्ली में केजरीवाल सरकार के ठीक उलट, जो कॉरपोरेट घरानों के टुकड़ों पर पनप रही है, पंजाब सरकार ने न तो अडानी पावर के साथ कोई समझौता किया है और न ही राज्य में बिजली खरीद के लिए किसी के साथ बोली लगाई है।"
अमरिंदर सिंह ने कहा, यह वास्तव में केजरीवाल सरकार थी जो बेशर्मी से 23 नवंबर को काले कृषि कानूनों को अधिसूचित कर रही थी, ऐसे समय में जब किसान कृषि कानूनों का विरोध करने के लिए दिल्ली तक मार्च करने की तैयारी कर रहे थे।
उन्होंने कहा, "और अब वे यह घोषणा करके नाटक कर रहे हैं कि वे सोमवार को किसानों की भूख हड़ताल के समर्थन में उपवास पर रहेंगे।"
उन्होंने कहा, "क्या आपको कोई शर्म नहीं है? ऐसे समय में जब हमारे किसान आपके शहर के बाहर की सड़कों पर ठंड का सामना कर रहे हैं, और अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं, आप ये सोच रहे हैं कि मौके का कैसे ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाया जाए?"
अमरिंदर सिंह ने कहा, "प्रदर्शनकारी किसानों की मदद के लिए कुछ भी रचनात्मक करने के बजाय, जो पिछले 17 दिनों से दिल्ली शहर के बाहर बैठे हैं, आप और आपकी पार्टी राजनीति करने में व्यस्त हैं।"
भगवंत मान पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, "पंजाब में बिजली खरीद पर बिना तथ्य जाने कुछ भी बोल देते हैं। आखिरकार वो एक कॉमेडियन ही तो हैं, जिन्हें कोई गंभीरता से नहीं ल्ेाता।"
यह बताते हुए कि पंजाब सालों से बुवाई के मौसम में किसानों के लिए अतिरिक्त बिजली खरीदता रहा है, मुख्यमंत्री ने कहा कि यह स्पष्ट है कि केजरीवाल और उनकी पार्टी को न तो यह पता है कि बुवाई कैसे होती है या किसानों की जरूरतें क्या हैं।
उन्होंने कहा कि वे अपने निहित राजनीतिक हितों के लिए किसानों की दुर्दशा का फायदा उठा रहे हैं।
अमरिंदर सिंह ने कहा कि कृषि कानूनों को लागू करने से लेकर दिल्ली के एक कोने में किसानों को भेज देने की कोशिश करने तक, केजरीवाल ने बार-बार साबित किया है कि वह किसानों के हमदर्द नहीं हैं।
उन्होंने दिल्ली के सीएम को चेतावनी दी कि पंजाब सरकार और किसानों के बीच दरार पैदा करने का उनका ये नया प्रयास सफल नहीं होगा।
अमरिंदर सिंह ने कहा कि पंजाब सरकार ने आंदोलन के दौरान पिछले तीन महीनों में न केवल किसानों का समर्थन किया है, बल्कि विधानसभा में संशोधन भी पारित किया है ताकि कृषि कानूनों को रद्द किया जा सके। उन्होंने केजरीवाल को चुनौती दी कि वे किसी भी कल्याणकारी उपाय का एक भी उदाहरण दें जो उन्होंने किसानों के लिए किया हो। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 13 दिसंबर | तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के बीच हरियाणा के बाद अब उत्तराखंड के दर्जनों किसानों ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात कर नए कानूनों का समर्थन किया है। उत्तराखंड के किसानों का कहना है कि सितंबर में बने तीनों कानून कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने में सहायक सिद्ध होंगे। किसानों ने कृषि मंत्री तोमर के साथ बैठक भी की। तोमर ने बैठक खत्म होने के बाद मीडिया से कहा, "उत्तराखंड से आए किसान भाई मुझसे मिले और उन्होंने कृषि सुधार बिलों को समझा और राय दी। भारत सरकार की ओर से सभी किसान भाइयों का आभार व्यक्त करता हूं। किसानों के लिए सरकार के दरवाजे खुले हैं।"
उत्तराखंड के किसान नेताओं ने कृषि मंत्री को बताया कि तीनों कानून सरकार ने किसानों के हित में बनाए हैं। सुधार भले हो सकते हैं, लेकिन कानूनों को वापस लेने की कोई आवश्यकता नहीं है। उत्तराखंड के किसानों ने सरकार से इस मसले पर दबाव में न आने की अपील की। इससे पूर्व हरियाणा के प्रगतिशील किसानों ने भी कृषि मंत्री से भेंटकर तीनों कानूनों का समर्थन किया था।
सितंबर में बने तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 26 नवंबर से पंजाब और हरियाणा के किसानों की ओर से आंदोलन चल रहा है। लगातार 18 दिनों से दिल्ली सीमा का किसानों ने घेराव किया है। सिंघू बॉर्डर पर कई किसान संगठनों से जुड़े किसान डटे हैं। उधर, यूपी-दिल्ली बॉर्डर पर भी पश्चिमी यूपी के किसान आंदोलन चला रहे हैं। सरकार के साथ अब तक पांच बार हुई वार्ता में कोई हल नहीं निकल सका है। किसान संगठनों ने 14 दिसंबर को भूख हड़ताल की चेतावनी दी है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 13 दिसंबर | दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सोमवार को किसानों के समर्थन में एक दिन का उपवास करेंगे। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि किसानों को देशद्रोही बताकर उनके आंदोलन को बदनाम करने की साजिश की जा रही है। आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं से भी अपील की गई है कि वे भी सोमवार को एक दिन का उपवास रखें। रविवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, "पिछले कुछ दिनों से भाजपा के मंत्री और नेता, किसानों को देशद्रोही बताकर उनके आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। देश की रक्षा करने वाले हजारों पूर्व सैनिक भी किसानों के साथ बॉर्डर पर बैठे हैं, खिलाड़ी, सेलिब्रिटी और डॉक्टर आदि भी समर्थन में हैं, भाजपा के मंत्री-नेता बताएं कि क्या ये सारे लोग देशद्रोही हैं।"
उन्होंने कहा, "अन्ना हजारे के साथ रामलीला मैदान में हुए हमारे आंदोलन के दौरान कांग्रेस की केंद्र सरकार ने भी हमें देश विरोधी बता कर बदनाम किया था। आज वही काम भाजपा सरकार कर रही है। अभी तक देश में अनाज की जमाखोरी अपराध था, लेकिन इस बिल के बाद जमाखोरी अपराध नहीं होगा, कोई कितना भी अनाज की जमाखोरी कर सकता है। केंद्र सरकार को अपना अहंकार छोड़ देना चाहिए। अगर जनता इन बिलों के खिलाफ है, तो इन्हें वापस लिया जाए और एमएसपी पर फसलें खरीदने की गारंटी देने वाला बिल बनाया जाए।"
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि किसानों ने एक दिन के उपवास का ऐलान किया है। केजरीवाल ने पूरे देश की जनता से अपील की है कि सब लोग एक दिन का उपवास रखें।
मुख्यमंत्री ने कहा, "मैं भी उनके साथ एक दिन का उपवास रखूंगा। मैं सभी आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं, समर्थकों से अपील करता हूं कि वो भी किसानों की इन मांगों के समर्थन में एक दिन का उपवास रखें।"
सीएम केजरीवाल ने कहा, "मैं देख रहा हूं कि पिछले कुछ दिनों से केंद्र सरकार के कुछ मंत्री और भाजपा के लोग बार-बार कह रहे हैं कि यहां पर देश विरोधी लोग बैठे हुए हैं। मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि सेवानिवृत्त हो चुके हजारों पूर्व सैनिक सीमा पर किसानों के साथ बैठे हुए हैं। जिन लोगों ने एक समय देश की रक्षा करने के लिए अपनी जान की बाजी लगाई थी, क्या ये सारे देश विरोधी हैं?"
मुख्यमंत्री ने कहा, "कुछ लोग यह कह रहे हैं कि इसमें तो बस पंजाब-हरियाणा के कुछ चंद किसान शामिल हैं, बाकी जनता इसमें शामिल नहीं है। यह उनकी गलतफहमी है। मध्यम और उच्च वर्ग के लोगों ने मुझसे कहा कि यह बिल बड़े खतरनाक हैं। मैंने पूछा क्यों? तो उन्होंने कहा कि इन बिलों में यह लिखा है कि कोई भी आदमी अब कितने भी अनाज की जमाखोरी कर सकता है।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 13 दिसंबर | कांग्रेस सांसद शशि थरूर रविवार को जंतर-मंतर पर नए कृषि कानूनों को वापस लेने और संसद के शीतकालीन सत्र को आयोजित करने की मांग को लेकर अपने पार्टी के सहयोगियों के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। शशि थरूर ने ट्वीट किया, "मेरे सांसद सहयोगियों जसबीर गिल और गुरजीत एस औजला के साथ उनके किसान प्रदर्शन के समर्थन में और संसद के शीतकालीन सत्र के मांग को लेकर उनके धरने के साथ।"
थरूर ने कहा, "सांसद कह रहे हैं कि केंद्र किसान यूनियन के साथ मामला सुलझाए और संसद का शीतकालीन सत्र बुलाए।"
मध्य दिल्ली के जंतर मंतर पर पंजाब कांग्रेस के सांसदों के विरोध प्रदर्शन में पार्टी के कई विधायक और नेता शामिल हुए।
आईएएनएस से बात करते हुए, कांग्रेस सांसद जसबीर सिंह गिल डिम्पा ने कहा, "हम यहां तब तक बैठेंगे जब तक किसान नए कृषि कानूनों का विरोध करेंगे। सरकार को नए कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए और उनकी मांगों को सुनना चाहिए और मामले को सुलझाना चाहिए।"
पंजाब कांग्रेस के सांसद 7 दिसंबर से जंतर मंतर पर धरने पर बैठे हैं।
गुरजीत सिंह औजला ने कहा, "पंजाब कांग्रेस पहले दिन से किसानों के साथ है और किसानों को समर्थन देना हमारी जिम्मेदारी है .. जब तक सरकार अपने फैसले वापस नहीं लेती है, तब तक विरोध जारी रहेगा।"
सांसद संसद के शीतकालीन सत्र की भी मांग कर रहे हैं, उन्होंने दावा किया कि सरकार जानबूझकर देरी करने की कोशिश कर रही है।
सितंबर में लागू किए गए तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने के बारे में केंद्र सरकार से कोई सकारात्मक संकेत नहीं मिलने के बाद, शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों ने प्रदर्शनों को अखिल भारतीय स्तर तक विस्तारित करने की अपनी योजना की घोषणा की है। (आईएएनएस)
भुवनेश्वर, 12 दिसंबर | ओडिशा भाजपा प्रभारी दग्गुबती पुरंदेश्वरी ने शनिवार को सुशासन देने में विफल रहने के लिए बीजू जनता दल (बीजद) सरकार पर निशाना साधा। भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि ओडिशा में कोयला घोटाला, वन घोटाला, चिट फंड घोटाला, भूमि घोटाला और कालिया योजना में अनियमितता जैसे कई घोटाले हुए।
पुरंदेश्वरी ने कहा, "नयागढ़ जिले में एक पांच साल की बच्ची की हत्या कर दी गई। इस संबंध में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।"
"मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि ओडिशा के 4.5 करोड़ लोग उनका परिवार हैं और वह उनकी रक्षा करेंगे। पांच साल की लड़की उन लोगों में से नहीं थी क्या ?"
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अधिकारी राज्य में सरकार चला रहे हैं।
"ओडिशा के लोगों ने नवीन पटनायक पर विश्वास जताते हुए बीजद को अपना जनादेश दिया। इसका मतलब है कि मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को राज्य में सुशासन करना चाहिए।"
आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए सत्तारूढ़ बीजद ने कहा कि बालासोर और तीर्थोल उपचुनावों में हार के बाद पुरंदेश्वरी अपने पार्टी कैडर और नेताओं को प्रेरित करने के लिए आई हैं। (आईएएनएस)
जयपुर, 12 दिसंबर | राजस्थान में वरिष्ठ नेता और छह बार के विधायक घनश्याम तिवाड़ी की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में 'घर वापसी' हुई है। उन्होंने शनिवार को केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी का दामन थाम लिया। तिवाड़ी ने 2018 में राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ मतभेदों के चलते भाजपा का दामन छोड़ दिया था और 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
तिवाड़ी भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष सतीश पुनिया की उपस्थिति में पार्टी में शामिल हुए।
तिवारी पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता वसुंधरा राजे के कड़े आलोचक रहे हैं। उन्होंने राजे के साथ अपने मतभेदों के कारण ही 2018 में भाजपा छोड़ दी थी और अपनी पार्टी भारत वाहिनी बनाई और उसके बाद कांग्रेस से हाथ मिला लिया था।
तिवाड़ी हालांकि इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में सांगानेर निर्वाचन क्षेत्र से लड़े, मगर अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए थे।
मार्च 2019 में तिवाड़ी पार्टी के पूर्व प्रमुख राहुल गांधी की उपस्थिति में कांग्रेस में शामिल हो गए, जो एक रोड शो में भाग लेने के लिए जयपुर आए थे।
भाजपा के पूर्व नेता और कैबिनेट मंत्री सुरेंद्र गोयल और जनार्दन गहलोत भी तिवाड़ी के साथ कांग्रेस में शामिल हुए थे।
भाजपा के करीबी सूत्रों ने खुलासा किया कि भगवा पार्टी राजस्थान में उन नेताओं को मनाने में लगी हुई है, जो वसुंधरा राजे और उनकी कार्यशैली से नाराज हैं।
दिवंगत दिग्गज नेता जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह भी इसी तरह का कदम उठा सकते हैं। उन्होंने भी वसुंधरा के साथ अपने मतभेदों के कारण भाजपा छोड़ दी थी।
मानवेंद्र सिंह ने भाजपा छोड़ने के बाद झालरापाटन निर्वाचन क्षेत्र से वसुंधरा के खिलाफ कांग्रेस के टिकट पर 2018 का विधानसभा चुनाव लड़ा था।
अब अटकलें लगाई जा रही हैं कि वह जल्द ही भाजपा में वापसी कर सकते हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 12 दिसंबर | दिल्ली में शीला दीक्षित की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे हारून यूसुफ ने अरविंद केजरीवाल सरकार को चेतावनी दी कि अगर वह करीब 55 लाख लोगों को राशन कार्ड नहीं देती है या उन्हें कोविड-19 महामारी के संकट के समय पर मुफ्त राशन प्रदान नहीं करती है तो उनकी पार्टी इसके खिलाफ अभियान शुरू करेगी। यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए यूसुफ ने कहा कि पिछले छह वर्षो से 11.49 लाख गरीब परिवार अपने राशन कार्ड का इंतजार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अगर एक परिवार में औसतन पांच सदस्य भी रहते हैं तो केजरीवाल सरकार 55 लाख लोगों का निवाला छीन रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी इन परिवारों के समर्थन में सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेगी।
उन्होंने कहा कि गरीब लोग अपने जीवन यापन के लिए राशन की दुकानों के माध्यम से आपूर्ति किए जाने वाले अनाज, दालों और अन्य आवश्यक वस्तुओं पर पूरी तरह से निर्भर हैं और राशन कार्ड के अभाव में ऐसे परिवारों के बच्चे तेजी से कुपोषण का शिकार हो रहे हैं।
कांग्रेस नेता ने केजरीवाल सरकार की ओर से विज्ञापनों पर किए जाने वाले खर्च पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि आप सरकार के पास गरीबों की कीमत पर प्रचार के लिए 511.78 करोड़ रुपये खर्च करने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि उनमें से अधिकांश नौकरियों से बाहर हैं और महामारी के कारण अपना काम-धंधा को चलाने में असमर्थ हैं।
उन्होंने आरोप लगाया है कि केजरीवाल सरकार ने बीते सात सालों में 461 राशन की दुकानों को बंद कर दिया है। जबकि, शराब के ठेकों की संख्या में 450 का इजाफा हुआ है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रव्यापी बंद (लॉकडाउन) के दौरान शराब की दुकानों के जल्द खुलने से राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े।
यूसुफ ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान, दिल्ली सरकार के 'जनता संवाद पोर्टल' ने उल्लेख किया है कि सरकार ने केवल लगभग 10 लाख लोगों को मुफ्त राशन की आपूर्ति करने के लिए एक योजना शुरू की है, जबकि 54 लाख लोगों ने मुफ्त राशन के लिए आवेदन किया हुआ है। इससे साबित होता है कि सरकार ने 80 प्रतिशत गैर-राशन कार्ड धारकों को नियमित राशन देने से इनकार कर दिया है। (आईएएनएस)
लखनऊ , 12 दिसम्बर | उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि पांच साल में चार लाख युवाओं को रोजगार देने का लक्ष्य सरकार ने रखा है। उपमुख्यमंत्री ने शनिवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा लाई गई नई इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग पॉलिसी-2020 के तहत अगले 5 साल में 40,000 करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य रखा है। इन पांच साल में चार लाख युवाओं को रोजगार देने का लक्ष्य सरकार ने रखा है। राज्य में तीन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सैमसंग जैसी और भी कंपनियां यूपी में निवेश करें। इसके लिए राज्य सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है। शर्मा ने कहा कि इसके अलावा ली-आयन सेल के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना को राज्य सरकार ने सैद्घान्तिक मंजूरी दे दी है।
आईटी एंड इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग द्वारा पिछले तीन साल में किए कामों का ब्यौरा देते हुए उप मुख्यमंत्री ने बताया कि तीन साल के दौरान इस इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में 20,000 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। जिससे प्रदेश में तीन लाख से अधिक रोजगार के अवसर युवाओं को मिले।
अपर मुख्य सचिव, आईटी एंड इलेक्ट्रॉनिक्स आलोक कुमार ने बताया कि हर राजस्व मंडल में आईटी पार्क बनाया जाएगा। जिसमें 200 करोड़ रुपये का निवेश आएगा। जिससे 15,000 रोजगार की संभावना पैदा होगी। मौजूदा समय में मेरठ, आगरा, वाराणसी और गोरखपुर में नए आईटी पार्क पर काम किया जा रहा है। इन आईटी पार्क को अगले साल तक शुरू कर दिया जाएगा। इसके अलावा लखनऊ में 40 एकड़ जमीन पर एक अत्याधुनिक आईटी कॉम्प्लेक्स, एक आईटी पार्क और देश का सबसे बड़ा इन्क्यूबेटर सेंटर बनाए जाने की योजना है।
हर जिले में बनेंगे इन्क्यूबेटर स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार हर जिले में इन्क्यूबेटर बनाएगी। राज्य सरकार की योजना प्रदेश में कुल 100 इन्क्यूबेटर खोलने की है। बड़े जिलों में एक से अधिक इन्क्यूबेटर बनाए जाएंगे। ताकि स्टार्टअप्स को मदद मिल सके। इन स्टार्टअप्स के जरिए राज्य सरकार ने बड़े पैमाने पर युवाओं को स्वरोजगार देने का लक्ष्य रखा है। राज्य सरकार ने इन इन्क्यूबेटर्स के जरिए 10,000 स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने की योजना है।
इससे 50,000 लोगों को प्रत्यक्ष और एक लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। मौजूदा समय में प्रदेश में 3300 से अधिक स्टार्टअप इकाईयां काम कर रही हैं। मौजूदा समय में प्रदेश में 18 इन्क्यूबेटर्स काम कर रहे हैं। इन्क्यूबेटर्स और स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए एक अनलाइन पोर्टल भी शुरू किया गया है। स्टार्टअप की वित्तीय मदद के लिए राज्य सरकार ने 1000 करोड़ रुपये का स्टार्टअप फंड बनाया है। इन्क्यूबेटर के लिए बांदा, वाराणसी, नोएडा, लखनऊ , मथुरा और गाजियाबाद जिले को मंजूरी दी गयी है।
उप मुख्यमंत्री ़दिनेश शर्मा ने बताया कि प्रदेश की हर ग्राम पंचायत में दो जनसेवा केंद्र खोले जाएंगे। वहीं शहरी क्षेत्र में हर 10,000 की आबादी पर दो जन सेवा केंद्र खोले जाएंगे। राज्य सरकार को उम्मीद है कि इस परियोजना से लगभग 4़5 लाख ग्रामीण युवा उद्यमियों को स्वरोजगार मिलेगा।
डॉ दिनेश शर्मा ने बताया कि प्रदेश सरकार की 27 विभागों की 130 डीबीटी योजनाओं को अनबोर्ड किया गया है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में 56,000 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि डीबीटी के माध्यम से लाभार्थियों के बैंक खातों में उपलब्ध कराई गई है। (आईएएनएस)
मुंबई, 12 दिसंबर | शरद पवार शनिवार को 80 साल के हो गए, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि किसी व्यक्ति को अपनी विचारधारा या दर्शन को आगे बढ़ाने के लिए अथक परिश्रम करना आवश्यक है। पीएम नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अनुभवी राजनीतिज्ञ को उनके जन्मदिन पर बधाई दी। पवार ने नई पीढ़ी में महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, छत्रपति शाहू महाराज, महात्मा ज्योतिबा फुले और बाबासाहेब अम्बेडकर की शिक्षाओं और दर्शन को शामिल करने का आह्वान किया।
उन्होने कहा कि, "मुझे युवा पीढ़ी को पार्टी में आगे आते देखकर खुशी हो रही है। इससे मुझे नई ऊर्जा मिलती है। किसी को भी विचारधारा से समझौता नहीं करना चाहिए। इन महान नेताओं को याद करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उनके रास्ते पर चलना भी जरूरी है।"
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक कार्य करते समय सतर्क और जागरूक बने रहने की आवश्यकता है, और यह सुनिश्चित करें कि परिवार को नजरअंदाज न किया जाए।
पवार ने कहा, "जब आप समाज के अंतिम व्यक्ति की जरूरतों का ध्यान रखते हैं, तो आपको रास्ते की स्पष्टता और दिशा के बारे में बहुत कुछ पता चलता है।"
राकांपा प्रमुख ने कहा कि वह 'वास्तव में अभिभूत हैं' और अपने जन्मदिन पर पार्टी नेताओं, कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों की भावनाओं को स्वीकार किया।
एनसीपी और उसके फ्रंटल संगठनों ने इस अवसर पर एक भव्य स्वागत समारोह का आयोजन किया।
इनमें उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, राकांपा महासचिव प्रफुल्ल पटेल, राज्य राकांपा अध्यक्ष और जल संसाधन मंत्री जयंत पाटिल, राकांपा मुंबई के अध्यक्ष और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नवाब मलिक, खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल, ग्रामीण विकास मंत्री हसन मुशरिफ शामिल थे। (आईएएनएस)
तिरुवनंतपुरम, 12 दिसंबर | केरल भाजपा अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने शनिवार को कहा कि स्थानीय निकाय चुनावों के नतीजे बड़े आश्चर्य में डालने वाले होंगे। निकाय चुनाव के तीसरे और अंतिम चरण की पूर्व संध्या पर मीडिया से बात करते हुए, सुरेंद्रन ने कहा कि पहली बार भाजपा तिरुवनंतपुरम निगम में 61 सीटें जीतने जा रही है।
उन्होंने कहा, "वोटों की गिनती के बाद राजनीतिक परिदृश्य में एक बदलाव होने जा रहा है और हम तिरुवनंतपुरम निगम में 61 सीटें जीतेंगे। इसी तरह कोच्चि, कोल्लम और कोझिकोड में हम भारी बढ़त बना लेंगे और कन्नूर में हम एक शानदार शुरूआत करेंगे।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 12 दिसंबर | आम आदमी पार्टी का आरोप है कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम में ढाई हजार करोड़ रुपए से अधिक का घोटाला हुआ है। पार्टी इसकी जांच सीबीआई द्वारा करवाने की मांग कर रही है। अपनी इस मांग को लेकर आप के विधायक और पार्षद रविवार को गृह मंत्री अमित शाह और दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल से मुलाकात करने उनके आवासों पर जाएंगे। आम आदमी पार्टी के मुताबिक जब तक इस मामले में सीबीआई जांच के आदेश नहीं होते, तब तक पार्टी कार्यकर्ता एवं नेता गृहमंत्री और उपराज्यपाल आवास के बाहर धरना देंगे। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने इस मामले में सचिव स्तर की जांच के आदेश दिए हैं। आम आदमी पार्टी इसके के लिए सीबीआई जांच की मांग कर रही है।
आम आदमी पार्टी की विधायक एवं प्रवक्ता आतिशी ने कहा, "नॉर्थ एमसीडी में 2500 करोड़ का घोटाला हुआ है। हमारे पार्षद और विधायक रविवार सुबह 11 बजे एलजी साहब और अमित शाह जी के घर जाएंगे। उनसे मिल कर सीबीआई जांच की मांग करेंगे। जब तक जांच के आदेश नहीं होते, तब तक हमारे पार्षद और विधायक एलजी साहब और अमित शाह जी के घर के बाहर बैठे रहेंगे।"
दिल्ली पुलिस पर तंज कसते हुए आतिशी ने कहा, "दिल्ली पुलिस का नया नियम है कि संवैधानिक पद पर बैठे लोगों के घर के बाहर धरना दिया जा सकता है। जिस तरह दिल्ली पुलिस ने भाजपा के पार्षदों को मुख्यमंत्री आवास के सामने बैठने कि अनुमति दी है, मुझे पूरा भरोसा है कि वो हमारे पार्षदों को एलजी आवास और अमित शाह जी के घर के बाहर बैठने की अनुमति देंगे।"
आम आदमी पार्टी के मुताबिक भाजपा ने एमसीडी को भगवान भरोसे छोड़ा हुआ है। मेयर धरना देने में व्यस्त हैं और नार्थ, साउथ और ईस्ट एमसीडी में पिछले 15 दिनों से एक भी कमिश्नर मौजूद नहीं है।
आम आदमी पार्टी का कहना है कि ऐसे हालात में सवाल उठता है कि एमसीडी की जिम्मेदारियां कौन निभा रहा है। एमसीडी का बजट कौन बना रहा है। नए टैक्स कौन लगा रहा है।
पार्टी प्रवक्ता आतिशी ने कहा, "नार्थ एमसीडी कहती है कि हमारे पास डॉक्टर्स, नर्सेज, सफाई कर्मचारी की सैलरी देने का पैसा नहीं है। पिछले साल तक नार्थ एमसीडी के बजट में उन्हें साउथ एमसीडी से ढाई हजार करोड़ रुपए लेने थे, लेकिन इस साल के बजट में वो जीरो हो गया। वो ढाई हजार करोड़ किस की जेब में गया है।" (आईएएनएस)
शिलान्ग, 11 दिसम्बर | मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा ने शुक्रवार को कहा कि उनका कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आया है। संगमा ने अपने सम्पर्क में आने वाले लोगों से कहा है कि वे भी अपना कोरोना टेस्ट करा लें और जरूरी एहतियात बरतें।
42 साल के संगमा ने ट्विटर के जरिए यह जानकारी दी।
संगमा ने लिखा कि वह कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं और अभी होम आइसोलेशन में। सीएम के मुताबिक उनके अंदर कोरोना के हल्के लक्षण हैं।
संगमा नेशनल पिपुल्स पार्टी के अध्यक्ष भी हैं। संगमा ने शुक्रवार को वर्चुअली कई इवेंट्स में हिस्सा लिया। (आईएएनएस)
आरती टिक्कू सिंह
नई दिल्ली, 11 दिसंबर | भारत के घरेलू मामलों में विदेशी हस्तक्षेप के खिलाफ नरेंद्र मोदी सरकार के कड़े रुख से कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को अपनी बयानबाजी और किसान आंदोलन को समर्थन देने से पीछे हटना पड़ा है।
पिछले हफ्ते, ट्रूडो ने भारत के किसान आंदोलन को अपना समर्थन दिया था, यह दावा करते हुए कि स्थिति चिंताजनक है।
टोरंटो में सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि ट्रूडो की टिप्पणी पर मोदी सरकार के नई दिल्ली में कनाडाई उच्चायुक्त को बुलाने और विदेश मंत्री एस. जयशंकर के इस घोषणा के बाद कि वो कोविड-19 (एमसीजीसी) पर कनाडा के नेतृत्व वाले मंत्री समन्वय समूह को छोड़ देंगे, कनाडा के सरकारी हलकों में दहशत फैल गई।
भारत सरकार ने स्पष्ट संदेश भेजा था कि इस तरह के व्यवहार से द्विपक्षीय व्यापार प्रभावित होगा क्योंकि यह ट्रूडो सरकार में पहले भी हो चुका है। भारत और कनाडा के बीच द्विपक्षीय व्यापार ट्रूडो के खालिस्तानी समर्थक ²ष्टिकोण के चलते 2017-18 से 2018-19 तक लगभग 1 बिलियन डॉलर कम हो गया।
भारत और कनाडा के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2017-18 में 7.23 बिलियन डॉलर का था। इस अवधि में कनाडा को भारत का निर्यात 2.51 बिलियन डॉलर और कनाडा से आयात 4.72 बिलियन डॉलर था, जो कि 2018-19 में 6.3 बिलियन डॉलर का था।
कनाडाई निवेशक भारत को निवेश के लिए एक आकर्षक देश मानते हैं, विशेषकर कोरोनावायरस के बाद की अवधि में। 400 से अधिक कनाडाई कंपनियों की भारत में मौजूदगी है, और 1,000 से अधिक कंपनियां सक्रिय रूप से भारतीय बाजार में कारोबार कर रही हैं।
कनाडा दाल, अखबारी कागज, लकड़ी के गूदे, अभ्रक, पोटाश, लोहे के स्क्रैप, तांबा, खनिज और औद्योगिक रसायनों का निर्यात करता है और चाहता है कि भारत और अधिक आयात करे। सूत्रों ने कहा कि कनाडा के कारोबारी चाहते हैं कि उनकी सरकार भारत के साथ व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (सीईपीए) और द्विपक्षीय निवेश संवर्धन और भागीदारी समझौते (बीआईपीपीए) पर हस्ताक्षर करे।
कनाडा में भारतीय उच्चायोग की कूटनीति के बाद, सूत्रों ने कहा कि ट्रूडो ने अब अपना रुख नरम कर लिया है। ट्रूडो ने कहा, कनाडा हमेशा दुनिया भर में कहीं भी शांतिपूर्ण विरोध के अधिकार के लिए खड़ा रहेगा और हम डी-एस्केलेशन और बातचीत की ओर कदम बढ़ते देख खुश हैं।
सूत्रों ने कहा कि ट्रूडो के किसान आंदोलन पर भारत के खिलाफ पहले की बयानबाजी उनकी राजनीतिक मजबूरियों से प्रेरित थी - वे अपने दूसरे कार्यकाल में अल्पसंख्यक सरकार चला रहे हैं और उन्हें सिख वोट बैंक की जरूरत है।
कनाडा में छह लाख सिख प्रवासी हैं, जिनको ट्रूडो की लिबरल पार्टी से लेकर सभी दल अपनी ओर खींचना चाहते हैं। कनाडा में सिखों का एक बड़ा वर्ग वैचारिक रूप से खालिस्तान आंदोलन का समर्थक रहा है। 1980 के दशक के दौरान पंजाब में एक हिंसक अलगाववादी सिख आतंकवादी आंदोलन, पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित था। पंजाब में हजारों निर्दोष लोगों को खालिस्तानी आतंकवादियों ने मार डाला, जिसके बाद भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने उन्हें पूरी तरह से बाहर निकाल दिया।
हालांकि, पंजाब में उग्रवाद का सफाया हो चुका है, पिछले पांच सालों में, पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आईएसआई कनाडा, यूके और अन्य जगहों पर सिख प्रवासियों की मदद से आंदोलन को फिर से जीवित करने का प्रयास कर रही है। (आईएएनएस)
कैद नाजमी
मुंबई, 11 दिसम्बर | यह 30 सितंबर, 1993 को सुबह की ठंडी सुबह थी, जब लातूर भूकंप ने सोए हुए महाराष्ट्रवासियों को तड़के 3.56 बजे बुरी तरह झकझोर दिया था।
उसी शाम, इस संवाददाता (तब इंडियन एक्सप्रेस, मुंबई के साथ) को उसके चीफ रिपोर्टर डी. के. रायकर ने सोलापुर के लिए एक ईस्ट वेस्ट एयरलाइंस की कार्गो फ्लाइट से भेजा था, जिससे वह जल्द ही प्रभावित क्षेत्र में पहुंच गया।
उस रात उसे पता चला कि बगल में रेस्ट हाउस बंगले में तत्कालीन मुख्यमंत्री शरद पवार के अलावा कोई भी नहीं आया था और बाद में कुछ शिष्टाचार दिखाते हुए यह रिपोर्टर अगले दिन सुबह में अपने वाहन को सीएम के काफिले के वाहनों की जमात में शामिल करने में कामयाब रहा।
यह पवार के साथ एक शैक्षिक, तेजी से की गई यात्रा थी, क्योंकि वह गांव-गांव घूमते थे, भूकंप प्रभावित लोगों से मिलते थे, लोगों के आंसू पोंछते थे, सांत्वना देते थे। धीरे से अपने साथ मौजूद अधिकारियों को निर्देश देते जाते थे।
सफेद शर्ट और ट्राउजर, गमबूट्स पहने हुए वह मलबे, खून और कीचड़, पानी में चले जाते और गलती से शवों पर उनके पैर पड़ जाते और जब मोटर साइकिल शाम को लौटती है, तो पवार की वेशभूषा दिन भर की दास्तां को बयां कर देती।
देर रात, जब वह वापस आए तो वह एक साक्षात्कार अनुरोध पर सहमत देर रात लगभग 1 बजे उन्होंने सादा भोजन किया। उन्होंने दो घंटे से अधिक समय तक इस संवाददाता के सवालों के जवाब दिए, इस दौरान मदद के संबंध में हॉटलाइन पर उनकी प्रिंस ऑफ वेल्स, नेपाल सेना प्रमुख और अन्य वैश्विक दिग्गजों से बात हुई।
आज, उनके 80 वें जन्मदिन (12 दिसंबर) की पूर्व संध्या पर, महाराष्ट्र के लोगों के लिए पवार का उत्साह कम नहीं हुआ है और उन्होंने उसी उत्साह के साथ राज्य की सेवा करना जारी रखा है, जिसे इस संवाददाता ने पहली बार उस बड़ी प्राकृतिक आपदा के दौरान देखा था।
तब से, गोदावरी नदी का बहुत सारा पानी बह चुका है, पवार ने कांग्रेस से अलग होकर 1999 में अपनी खुद की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) बना ली और उनके और अधिक दोस्त और प्रशंसक बन गए।
आलोचकों का मुंह बंद करते हुए उन्होंने राज्य और केंद्र दोनों में एक ही साल में सुर्खियां बटोरीं - शायद किसी भी नए राजनीतिक संगठन को सत्ता में लाने की यह सबसे तेज प्रगति थी।
वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए, भारतीय राजनीति अभी भी पवार के बिना अधूरी है जो संभवत: भारत के अभी तक के सर्वश्रेष्ठ पीएम होंगे जिन्हें अभी भारत द्वारा चुनाव करना है।
अपनी बेल्ट के तहत 55 वर्षों के राजनीतिक अनुभव के साथ, वह 1967 से एक भी विधानसभा या लोकसभा चुनाव नहीं हारे, तीन बार सीएम बने, साथ ही तीन बार केंद्रीय मंत्री बने, राज्य और केंद्र में विपक्ष के नेता, संसदीय दल के नेता के रूप में कार्य किया, और अन्य शीर्ष पदों पर सेवाएं दी।
महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी या अटल बिहारी वाजपेयी के कद के कई महान नेताओं की तरह, पवार का शीर्ष राजनीतिक नेताओं के साथ व्यक्तिगत रूप से अच्छा तालमेल है। पार्टी लाइनों में कटौती करते हैं - जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हैं, जिन्होंने कभी उन्हें 'राजनीतिक गुरु' कहा था और कई लोग कठिन राजनीतिक मुद्दों पर उनकी सलाह लेते हैं।
पवार ने 27 साल पहले लातूर की तरह ही अक्टूबर 2019 में सतारा में एक लोकसभा उपचुनाव में बारिश के बीच एक रैली को संबोधित किया था।
नवंबर 2019 में, पवार ने एक और मिशन इम्पॉसिबल हासिल किया - मोदी, भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जैसे भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष कद्दावर नेताओं की नाक के नीचे से सत्ता छीनकर उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज कर दिखाया।
अपने राजनीतिक करियर में, अप्रत्याशित पवार ने 'चाणक्य', 'भीष्म पितामह', 'विली फॉक्स', 'मैकियावेली', आदि कई उपाधियां हासिल की हैं।
अप्रैल में महामारी के दौरान, उनकी बेटी, सुप्रिया सुले, सांसद, ने अपने पिता का एक वीडियो साझा किया जिसमें वह रामायण भजन गाते नजर आए लेकिन बमुश्किल चार महीने बाद उन्होंने पीएम पर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर जल्दबाजी दिखाने को लेकर निशाना साधा लेकिन उनकी (पवार की) अपनी साख बरकरार रही।
14 नवंबर को अपनी दिवंगत मां शारदाबाई को लिखे पत्र में पवार ने उनके प्रेरणादायक यादों को याद करते हुए कहा कि कैसे उन्होंने अपने सार्वजनिक जीवन में संतोषजनक रूप से प्रदर्शन करने के लिए नई युवा ऊर्जा के जोश को महसूस किया, जो उन्हें राजनीति का अबाध इंजन बना रहा है, जो अभी भी एक लंबी दौड़ में है। (आईएएनएस)
भुवनेश्वर, 11 दिसंबर | केंद्रीय मंत्री प्रताप सारंगी ने शुक्रवार को कहा कि नए कृषि कानूनों के विरोध में राष्ट्र विरोधी ताकतें पीछे हैं। उन्होंने कहा कि किसानों का नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं है।
सारंगी ने यहां मीडियाकर्मियों से कहा, "चाहे किसान हों या नेता, कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। कुछ लोगों द्वारा किसानों को उकसाया जा रहा है। कुछ किसान विरोधी ताकतें काम कर रही हैं। विरोध का कोई आधार नहीं है।"
उन्होंने कहा कि किसानों के विकास और लाभ के लिए नए कृषि कानून बनाए गए हैं।
मंत्री ने कहा कि केंद्र ने आश्वासन दिया है कि देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और मंडी प्रणाली बनी रहेगी।
उन्होंने कहा, "वास्तविक किसान कृषि कानूनों का विरोध नहीं कर रहे हैं। निहित स्वार्थ वाले कुछ लोग किसानों को उकसा रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि किसानों ने केंद्र के कृषि कानूनों का स्वागत किया है, जिससे किसानों को फायदा होगा। (आईएएनएस)
कोलकाता, 11 दिसम्बर | भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी. नड्डा पर डायमंड हार्बर में कथित तृणमूल कांग्रेस समर्थित हमले के एक दिन बाद, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने गुरुवार की घटना के बारे में केंद्र को विस्तृत रिपोर्ट भेजी। राज्यपाल धनखड़ ने बंगाल में भाजपा प्रमुख नड्डा के काफिले पर कथित हमले को लेकर अपनी रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेज दी है। सूत्रों ने कहा कि गृह मंत्रालय (एमएचए) ने रिपोर्ट प्राप्त कर ली है और राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति का आकलन करने के लिए कहा है।
ममता बनर्जी की अगुवाई वाले राज्य प्रशासन को घेरते हुए धनखड़ ने कहा, "कल (गुरुवार) जो घटनाएं हुईं, वे सबसे दुर्भाग्यपूर्ण हैं। वे हमारे लोकतांत्रिक ताने-बाने पर एक धब्बा हैं।"
पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24-परगना जिले में तृणमूल कांग्रेस समर्थकों द्वारा नड्डा के काफिले पर कथित रूप से हमला किया गया था। यह हमला तब हुआ, जब भाजपा प्रमुख गुरुवार को एक रैली में भाग लेने के लिए बाहर जा रहे थे। यह घटना शिराकोल इलाके के पास हुई जब नड्डा डायमंड हार्बर के रेडियो स्टेशन ग्राउंड में एक रैली को संबोधित करने के लिए जा रहे थे। नड्डा बुलेट-प्रूफ वाहन में यात्रा कर रहे थे।
यही नहीं उग्र भीड़ ने भाजपा के अन्य वरिष्ठ नेताओं के वाहनों पर भी हमला बोला, जिनमें पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय और अनुपम हजरा शामिल थे।
बाद में, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पूरी घटना को 'नाटक' करार दिया और दावा किया कि राज्य विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक ध्यान आकर्षित करने के लिए भगवा ब्रिगेड द्वारा इसका मंचन किया गया था।
ममता बनर्जी ने पथराव की इस घटना को भाजपा का नाटक बताते हुए कहा कि उनके पास कोई और काम नहीं, सबके सब यहीं जमे रहते हैं।
ममता ने कहा, "उनके (भाजपा) पास कोई और काम नहीं है। अकसर गृह मंत्री यहां होते हैं, बाकी समय उनके चड्ढा, नड्डा, फड्डा, भड्डा यहां होते हैं। जब उनके पास कोई दर्शक नहीं होता है, तो वे अपने कार्यकर्ताओं को नौटंकी करने के लिए कहते हैं।"
इस घटना का जिक्र करते हुए, धनखड़ ने कहा कि कल एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल के नेता पर कथित रूप से हमला किया गया। उन्होंने यहां मीडियाकर्मियों से कहा, "यह लोकतंत्र के लिए एक मौत की तरह है। राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति लंबे समय से लगातार बिगड़ रही है। एक राज्यपाल के रूप में, भारतीय संविधान को बनाए रखना मेरा कर्तव्य है।"
राज्यपाल ने सीएम के उस बयान को भी गंभीरता से लिया जिसमें उन्होंने कहा था कि बीजेपी के काफिले पर हमला 'नाटक' के अलावा कुछ नहीं था।
राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा कि ममता बनर्जी को नड्डा के काफिले पर हमले के संबंध में दिए गए अपने बयान को लेकर माफी मांगनी चाहिए। जगदीप धनखड़ ने कहा कि मैडम भारत एक है, भारत की आत्मा और नागरिकता एक है। ये जो खतरनाक खेल है कि कौन बाहरी है और कौन अंदरूनी, आप इसको त्याग दीजिए। आपने संविधान के तहत काम करने की शपथ ली है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 11 दिसंबर | 2021 असम विधानसभा चुनाव में अब कुछ ही महीने बचे हैं, ऐसे में भाजपा को हराने के लिए विपक्षी कांग्रेस को निश्चित रूप से राज्य के दिग्गज और सबसे लंबे समय तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे तरुण गोगोई की गैरमौजूदगी खल रही है। गोगोई का 23 नवंबर को निधन हो गया था। भले ही कांग्रेस के पास राज्य में कई युवा नेता हैं, जिन्होंने अपनी विरासत को आगे बढ़ाया, जिसमें गोगोई का बेटा भी शामिल है, लेकिन पार्टी निश्चित रूप से सबसे लंबे तक असम की राजनीति में उनके अपना दबदबा रखने वाले गोगोई का विकल्प नहीं ढूंढ पा रही है।
कांग्रेस पार्टी, जिसे ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के साथ गठबंधन में जाने की संभावना है, के पास कुछ ही नेता हैं, जो मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल और हेमंत बिस्वा शर्मा की जोड़ी का मुकाबला कर सके। इन दोनों नेताओं ने असम में पहली बार भाजपा की सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
कांग्रेस के पास देवव्रत सैकिया जैसे युवा नेता हैं, जो विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं और पूर्व मुख्यमंत्री हितेश्वर सैकिया के पुत्र भी हैं; गौरव गोगोई, जो तरुण गोगोई के बेटे और लोकसभा सांसद हैं; रिपुन बोरा, जो राज्य इकाई के अध्यक्ष हैं; और सुष्मिता देव, जो अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष हैं और एक और दिवंगत कांग्रेस के दिग्गज संतोष मोहन देव की बेटी हैं।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस किसी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के बिना ही विधानसभा चुनावों में जा सकती है और परिणाम सामने आने के बाद ही इस पर फैसला करेगी।
कांग्रेस विकास के मुद्दे पर आने वाला चुनाव लड़ना चाहती है और भाजपा के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और अन्य भवनात्मक मुद्दों पर नहीं उलझना चाहती।
असम मामलों के प्रभारी कांग्रेस महासचिव जितेंद्र सिंह ने हाल ही में राजनीतिक स्थिति का जायजा लेने के लिए असम का पांच दिवसीय दौरा किया। उन्होंने कहा, मैंने राष्ट्रीय राजमार्ग पर कछार से दीमा हसाओ तक ड्राइव किया। 2014 में भाजपा द्वारा इस सड़क को एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया गया था, लेकिन वे इसे ठीक करने में बुरी तरह विफल रहे। मुझे 40 किमी की दूरी तय करने में पांच घंटे से अधिक का समय लगा।
उन्होंने कहा कि वह बराक घाटी क्षेत्र, सिलचर में भी गए और राज्य के नेताओं और जिला समितियों के पदाधिकारियों के साथ बैठकें कीं ताकि पब्लिक मूड का पता चल सके।
सुष्मिता देव ने कहा कि लोग राज्य में कांग्रेस को वापस लाने के लिए तैयार हैं। लोगों और कांग्रेस कार्यकतार्ओं का उत्साह उत्साहजनक है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 10 दिसंबर | केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेलमंत्री पीयूष गोयल ने किसान नेताओं से आंदोलन का रास्ता छोड़ सरकार से बातचीत जारी रखने की अपील की है। दोनों केंद्रीय मंत्रियों ने गुरुवार को कहा कि नए कृषि कानूनों से संबंधित मसलों का हल वार्ता के माध्यम से ही निकलेगा और किसान यूनियनों की इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों की समस्याओं को लेकर बातचीत के लिए सरकार हमेशा तैयार है। नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े किसान संगठनों द्वारा विरोध-प्रदर्शन तेज करने की अपील के एक दिन बाद केंद्रीय मंत्रियों ने यहां एक प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि कोरोना महामारी का संकट है और ठंड का मौसम है, इसलिए किसान नेताओं को आंदोलन का रास्ता छोड़कर मसले का समाधान बातचीत के जरिए तलाशने की कोशिश करनी चाहिए।
केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि नए कृषि कानून से संबंधित सभी मुद्दों पर सरकार ने किसान नेताओं को संशोधन प्रस्ताव भेजा है, जिन पर उन्हें विचार करना चाहिए।
तोमर ने कहा कि मोदी सरकार कृषि के क्षेत्र में निजी निवेश खेत तक पहुंचाने और खेती-किसानी को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रही है और नए कृषि कानून के लागू होने से देश के किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए पहले से मौजूद मंडियों के अलावा अन्य विकल्प भी मिलेंगे। वहीं, कांट्रैक्ट फार्मिग से जुड़े कानून से किसान महंगी फसलों की खेती करने के प्रति उत्साहित होंगे, जिससे उनकी आमदनी बढ़ेगी।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देकर किसानों की आमदनी दोगुनी करने के को लेकर प्रतिबद्ध है।
मंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए लाए गए नए कानूनों से किसानों को फायदा होगा, इसलिए किसानों को इसे वापस लेने की मांग त्याग कर इसके फायदे के बारे में विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों को इन कानूनों से संबंधित जो भी शंकाएं हैं, उनका समाधान करने के लिए सरकार तैयार है।
तोमर ने कहा, आंदोलन का रास्ता छोड़कर किसान यूनियन बातचीत के माध्यम से किसानों की समस्याओं का समाधान तलाशें।
उन्होंने कहा कि राज्यों की कृषि उपज विपणन समितियों द्वारा संचालित मंडियों के संरक्षण के लिए नए कानून में आवश्यक संशोधन करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की मौजूदा खरीद की व्यवस्था आगे भी जारी रखने का आश्वासन सरकार देने को तैयार है।
केंद्र सरकार ने द्वारा बीते सितंबर महीने में तीन नए कानून, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 लागू किए। हालांकि अध्यादेश के जरिए इन तीनों कानूनों को जून में ही लागू किया गया था।
सरकार ने कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 में संशोधन को लेकर किसान नेताओं के पास बुधवार को प्रस्ताव भेजा, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया है।
किसान नेताओं ने अपना आंदोलन तेज करते हुए 12 दिसंबर को देशभर में सड़कों पर लग रहे टोल को फ्री करवाने के अलावा 14 दिसंबर को देशभर में प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। (आईएएनएस)
चंडीगढ़, 10 दिसंबर | नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शनकारी किसानों के मुद्दे पर हरियाणा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके सहयोगी दल जननायक जनता पार्टी (जजपा) के भीतर 'दरार' की अटकलों को खत्म करते हुए जजपा नेता और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने गुरुवार को कहा कि केंद्र ने फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को सुनिश्चित करने की मांग को स्वीकार कर लिया है। उन्होंने यहां मीडिया से कहा, "केंद्र ने लिखित रूप में एमएसपी का आश्वासन देकर किसानों की मांग को स्वीकार कर लिया है। यह अब किसानों की यूनियनों पर निर्भर है।"
चौटाला की पार्टी जजपा ने बुधवार को अपने गठन के दो साल पूरे किए हैं। उन्होंने गुरुवार को अपने आवास पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और उनके कैबिनेट सहयोगियों के लिए दोपहर के भोजन की मेजबानी की।
उन्होंने कहा, "किसानों की मांग थी कि केंद्र सरकार लिखित में एमएसपी को सुनिश्चित करे, जिसे कल (बुधवार) पूरा किया गया है। सरकार के प्रस्ताव पर अगली कार्रवाई का फैसला करना अब किसान यूनियनों पर निर्भर है।"
अपनी पार्टी के नेताओं द्वारा किसानों को समर्थन देने पर, चौटाला ने कहा, "मैं कह रहा हूं कि मैं पहले एक किसान हूं। मैंने कब इससे इनकार किया है? लेकिन यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनकी फसलों की पर्याप्त कीमत सुनिश्चित करें।"
दरअसल, भाजपा की अगुवाई वाली सरकार में महत्वपूर्ण सहयोगी जजपा के कई विधायकों ने केंद्र द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों को अपना खुला समर्थन दिया है।
इससे पहले, उनके छोटे भाई दिग्विजय चौटाला ने कहा था कि दुष्यंत चौटाला किसानों के विरोध पर केंद्रीय नेतृत्व के साथ लगातार बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने कहा था, "पार्टी हमेशा से किसानों की रही है और आगे भी किसानों की रहेगी।"
उन्होंने कहा था कि दुष्यंत चौटाला केंद्रीय मंत्रियों के साथ लगातार बातचीत कर रहे हैं और वह किसानों के मुद्दों की वकालत भी कर रहे हैं, ताकि उन्हें समस्याओं का सामना न करना पड़े।
दिग्विजय चौटाला ने पिछले सप्ताह मीडिया से कहा था कि "हम मुख्यमंत्री और गृहमंत्री से बात करेंगे कि वे किसानों के खिलाफ मामलों को वापस लेने के लिए कहें, ताकि स्थिति खराब न हो और किसी भी तरह का अविश्वास पैदा न हो।"
उन्होंने कहा कि शांतिपूर्वक विरोध करना किसानों का मौलिक अधिकार है।
जजपा की युवा शाखा के प्रमुख दिग्विजय ने कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेता सरकार के साथ किसानों की बैठक के नतीजों का इंतजार कर रहे हैं।
जजपा मुख्य रूप से ग्रामीण जाट समुदाय केंद्रित पार्टी है, जिसका वोटबैंक मुख्य रूप से किसान ही हैं। जाट, जो एक प्रमुख कृषक समुदाय है, उसकी राज्य में 28 प्रतिशत आबादी है।
वहीं प्रदर्शनकारी किसानों के साथ पहली बार खुलकर सामने आते हुए, जजपा के राष्ट्रीय प्रमुख और पूर्व सांसद अजय सिंह चौटाला ने दो दिसंबर को कहा था कि केंद्र को लिखित रूप में प्रदर्शनकारी किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर आश्वासन देना चाहिए।
अजय चौटाला ने मीडिया से कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कृषि मंत्री बार-बार कह रहे हैं कि एमएसपी जारी रहेगा, तो उस लाइन को जोड़ने में क्या हर्ज है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 9 दिसंबर | विपक्षी दलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की और लंबा खिंचते जा रहे किसान आंदोलन को लेकर अपनी चिंता जताई। विपक्षी नेताओं के प्रतिनिधिमंडल, जिसने 25 राजनीतिक दलों के समर्थन का दावा किया है, ने राष्ट्रपति कोविंद से किसानों के मुद्दे में हस्तक्षेप करने और सरकार को कृषि कानूनों को रद्द करने की सलाह देने का अनुरोध किया।
प्रतिनिधिमंडल की ओर से राष्ट्रपति को एक ज्ञापन सौंपा गया है, जिसमें कहा गया कि है कि संसद में बहस किए बिना ही अलोकतांत्रिक तरीके से इन कृषि विधेयकों को पारित किया गया है, जिन्हें निरस्त किए जाने की जरूरत है।
राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, "किसान तब तक चैन से नहीं बैठेंगे, जब तक कि कानून निरस्त नहीं हो जाते हैं। अगर ये कानून किसानों के हित में हैं, तो फिर वे सड़कों पर क्यों हैं और क्यों विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। हमने राष्ट्रपति को सूचित किया कि इन किसान विरोधी कानूनों को वापस लिया जाना बेहद जरूरी है।
प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के राहुल गांधी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के शरद पवार, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सीताराम येचुरी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के डी. राजा और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) के नेता एलंगोवन शामिल रहे।
शरद पवार ने कहा कि इस मुद्दे को हल करना सरकार का कर्तव्य है। उन्होंने कहा, "सभी विपक्षी दलों ने कृषि विधेयकों पर गहन चर्चा के लिए अनुरोध किया था और कहा था कि इन्हें एक प्रवर समिति (सलेक्ट कमेटी) को भेजा जाना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य से कोई सुझाव स्वीकार नहीं किया गया और विधेयकों को जल्दबाजी में पारित कर दिया गया।"
प्रतिनिधिमंडल के नेताओं का विचार है कि सरकार को जल्द फैसला लेना चाहिए। डी. राजा ने कहा, "एक राजनीतिक दल और विपक्ष के रूप में हम वापस बैठकर इसे नहीं देख सकते।"
विपक्षी नेता उन राजनीतिक दलों की कुछ दिनों में एक बैठक बुलाने की योजना बना रहे हैं, जिन्होंने किसानों के आंदोलन का समर्थन किया है।
इस बीच किसानों ने केंद्र सरकार की ओर से भेजे गए मसौदा प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। सरकार ने एक लिखित मसौदा प्रस्ताव के माध्यम से अपना पक्ष रखा है, जिसमें उसने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और कृषि उपज मंडी समिति (एपीएमसी) के संबंध में दो मुख्य संशोधनों पर सहमति व्यक्त की है।
हालांकि सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की किसानों की सबसे बड़ी मांग को खारिज कर दिया है।
यह कदम राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर पिछले 14 दिनों से जारी गतिरोध को तोड़ने के लिए था, जहां हजारों किसान सड़कों पर बैठे हैं। सरकार और किसानों के बीच पिछली पांच दौर की वार्ताओं में कोई समाधान नहीं निकल सका है। (आईएएनएस)
लखनऊ, 9 दिसबर | उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि 14 दिनों से पूरे देश के लाखों किसान खुले असमान में सड़कों पर बैठे हैं। सरकार को अंहकार त्याग कर उनकी मांगों का समाधान करना चाहिए। अजय कुमार लल्लू ने बुधवार को यहां अपने जारी बयान में कहा कि, "लगातार 14 दिनों से पूरे देश के लाखों अन्नदाता किसान देश की राजधानी के बॉर्डर में खुले आसमान में सड़कों पर बैठे हैं। सरकार अपने अहंकार से बाहर आने को तैयार नहीं है। जबकि सरकार को चाहिए कि अन्नदाता किसानों की मांगों को तुरन्त सरकार स्वीकार करे।"
उन्होंने कहा कि, "16 जनपदों के संगठन सृजन अभियान के तहत अपने दौरे के दौरान न्याय पंचायत स्तर के किसानों से बात करने के उपरान्त एक बात समान रूप से उभर कर आयी कि प्रदेश के किसी भी जनपद में किसानों को सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीद नहीं की जा सकी है। परिणामस्वरूप किसानों को अपनी खून पसीने से तैयार उपज को औने-पौने दामों पर बिचैलियों के हाथों बेंचने के लिए विवश होना पड़ा।"
लल्लू ने कहा कि, "गन्ना पेराई सत्र शुरू हुए एक माह से अधिक बीत जाने के बाद भी अभी तक गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य (वर्ष 2020-21) घोषित नहीं किया गया, जिसके चलते किसानों को भारी लागत लगाने के बाद अपनी फसल नुकसान में बेंचनी पड़ रही है।" (आईएएनएस)