राष्ट्रीय
संदीप पौराणिक
भोपाल, 19 मई | देश की सियासत में उमा भारती की पहचान तेजतर्रार नेता के तौर पर रही है। वे मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, सांसद और विधायक भी रह चुकी हैं, मगर इन दिनों सक्रिय राजनीति से दूर हैं, अब वे सक्रिय राजनीति में लौटने की इच्छा जता रही हैं । सवाल यह उठता है कि आखिर उन्हें सक्रिय राजनीति में आने से रोक कौन रहा है।
उमा भारती उन नेताओं में से एक हैं जिन्होंने मध्य प्रदेश की दिग्विजय सिंह के नेतृत्व वाली सरकार को उखाड़ फेंका था और वर्ष 2003 में हुए विधानसभा के चुनाव में भाजपा को जीत दिलाई थी। उमा भारती इसके बाद राज्य की मुख्यमंत्री बनी थीं, मगर हुबली के तिरंगा प्रकरण की वजह से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था और उसके बाद से वे मध्य प्रदेश की सियासत में ताकतवर तरीके से भाजपा में नहीं लौट पाई, हां यह बात अलग है कि उन्होंने उत्तर प्रदेश से जाकर विधानसभा और लोकसभा का चुनाव लड़ा, उन्हें केंद्र सरकार में मंत्री भी बनाया गया।
उमा भारती कई बार भाजपा के मंच पर तो सक्रिय नजर आईं, मगर सियासी तौर पर उनकी सक्रियता कम होती गई और वे गंगा के संरक्षण के अभियान में लगी रहीं। मंगलवार को उमा भारती ने एक साथ कई ट्वीट किए और फिर सक्रिय राजनीति में लौटने की इच्छा जताई है। उन्होंने अपने एक ट्वीट में कहा है, "मेरी इच्छा थी कि मुझे भाजपा संगठन में जिम्मेवारी मिले। मैं स्वतंत्र चेतना के साथ गंगा किनारे एवं हिमालय में विचरण कर सकूं। मैं 2024 में लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहती हूं। इस बीच का समय मैं भाजपा संगठन, हिमालय एवं गंगा को देना चाहती हूं।"
उमा भारती के इस ट्वीट के बाद सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है और कई मायने निकाले जाने लगे हैं।
राजनीतिक विश्लेषक अरविंद मिश्रा का मानना है कि, उमा भारती वास्तव में कभी सन्यासी तो रही नहीं, उन्होंने भी सत्ता को करीब से देखा है, साथ ही वे अपने समर्थकों को यह संदेश देना चाहती हैं कि वे अभी भी सक्रिय हैं। साथ ही उनकी कहीं न कहीं पार्टी पर दवाब बनाने की भी कोशिश है। इसके बावजूद इस बात की संभावना है कि पार्टी कोई महत्व देगी।
मिश्रा साथ ही सवाल करते हैं कि क्या भाजपा की एक लॉबी उन्हें सक्रिय राजनीति में लौटने देगी, कोई चुनाव लड़ने देगी, क्योंकि उनकी सक्रियता बढ़ने का मतलब है, कई राजनेताओं खासकर मध्य प्रदेश के नेताओं के भविष्य पर खतरा मंडराना। ऐसी स्थिति मंे उमा भारती की इच्छा पूरी हो पाएगी, यह आसान नहीं लगता।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केके मिश्रा ने भी ट्वीट कर उमा भारती के राजनीति में लौटने और चुनाव लड़ने की इच्छा पर तंज कसा है और कहां है "दीदी उमा भारती जी ने 'गंगा सप्तमी' को 2024 में लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताई, बेलगाम घोड़ों पर लगाम के लिए यह जरूरी है, पर दीदी गंगा के बुलावे पर बनारस पहुंचे उस पुत्र (?) से भी गंगा में तैर रही अनगिनत लाशों की कैफियत भी ले लीजिए?"
जानकारों की मानें तो, "भाजपा के पास उमा भारती सहित अन्य भगवाधारी लोगों की जगह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैसा चेहरा मिल चुका है और पुरानी पीढ़ी के कट्टर समर्थकों को किनारे किया जा चुका है तो फिर पार्टी का वर्तमान नेतृत्व उमा भारती जैसे नेताओं को फिर से जगह क्यों देगा, यह बड़ा सवाल है। यही लोग हैं जो उमा भारती का रास्ता रोके हुए हैं और वे इसे जान भी चुकी हैं। " (आईएएनएस)
जयपुर, 19 मई | प्रतापगढ़ के धरियावद विधानसभा क्षेत्र से राजस्थान के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक गौतमलाल मीणा का बुधवार सुबह कोविड-19 से निधन हो गया।
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की पहल पर मीणा को 16 मई को उदयपुर के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। दो दिन पहले उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था।
पिछले दो दिनों से उनकी हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी और बुधवार सुबह करीब नौ बजे उनकी मौत हो गई।
उनके निधन के बाद राज्य में मातम छा गया।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने मीणा के निधन पर शोक जताया।
वह राज्य के चौथे ऐसे विधायक हैं, जिन्होंने हाल के दिनों में कोविड-19 संक्रमण के कारण अपनी जान गंवाई है।
इससे पहले, राजसमंद से भाजपा विधायक किरण माहेश्वरी और कांग्रेस नेता भीलवाड़ा के सहदा से कैलाश त्रिवेदी और उदयपुर के वल्लभनगर में गजेंद्र सिंह शक्तिवत का कोविड के कारण निधन हो गया था।(आईएएनएस)
मनोज पाठक
पटना, 19 मई | विवाह के पहले वर-वधू की कुंडली मिलाने और उसके मुताबिक गुणों की गणना करने की परंपरा बहुत पुरानी है, लेकिन इस कोरोना काल में वर-वधू के कुंडली मिलान के साथ ही कोरोना की जांच भी करवाई जा रही है। अगर कोरोना की जांच हो गई है तो उसकी रिपोर्ट भी देखी जा रही है। कई लोग तो पंडित जी सहित समारोह में भाग लेने वाले सभी लोगांे की कोरोना जांच करवाने की बात कर रहे हैं।
पटना में तो कुछ लोग शादी करने के पूर्व सभी से अलग रह रहे हैं। बिहार में कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार पर अंकुश लगाने के लिए लॉकडाउन लगाया गया है, लेकिन सरकार ने कई शर्तों के साथ विवाह समारोह की अनुमति दी है। हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोगों से शादी, विवाह और अन्य सामाजिक समारोहों को कुछ दिन के लिए टालने की अपील की है।
कई लोगों ने तो मुख्यमंत्री की अपील के बाद इन समारोहों को टाल दिया है, लेकिन कुछ शादियां हो भी रही हैं। ऐसे में कई परिवार कोरोना को लेकर पूरी तरह एहतियात बरत रहे हैं।
पटना के पटेल नगर की रहने वाले पूजा की शादी इसी महीने है। पूजा के परिजनों ने लड़के वालों की मांग के मुताबिक पूजा की कोरोना जांच करवाई और उन्हें कुछ दिन के लिए क्वारंटीन भी कर दिया। पूजा के परिजन कहते हैं कि पूजा दिल्ली से लौटी है, इस कारण कोरोना जांच करवाकर उसे क्वारंटीन कर दिया गया है।
परिजन कहते हैं कि इसमें बुराई भी नहीं है। यह दोनों पक्षों की भलाई के लिए ही है।
इधर, दरभंगा के रहने वाले राजेश दास की बहन की शादी 29 मई को है। उन्होंने अपनी बहन को अलग कमरे में कर दिया है। आने वाले मेहमानों से भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर मिलने को कहा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि बारात में आने वाले लोगों की भी कोरोना जांच करवाकर लाने को बोला गया है। दास कहते हैं कि शादी करवाने वाले पंडित जी की भी कोरोना जांच करवाई जाएगी।
उल्लेखनीय है कि दरभंगा में पिछले दिनों एक परिवार को इसका खामियाजा उठाना पड़ा है। शादी समारोह के 15 दिनों के भीतर एक परिवार में ऐसा कोरोना बम फूटा कि परिवार के चार लोगों की मौत हो गई।
दास कहते हैं कि शादी तो आगे बढ़ाई नहीं जा सकती है, लेकिन कोरोना गाइड लाइन का पालन करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि घटना के पूर्व ही एहतियात बरतना आवश्यक है।
उल्लेखनीय है कि राज्य में मंगलवार को 6,286 नए कोरोना संक्रमितों की पहचान हुई थी, जबकि 111 संक्रमितों की मौत हो गई थी। बिहार राज्य स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक राज्य में फिलहाल कोरोना के 64,698 सक्रिय मरीज हंै।(आईएएनएस)
भावनगर, 19 मई : चक्रवात ‘‘ताउते'' से गुजरात में हुए जान और माल के नुकसान का जायजा लेने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को भावनगर पहुंचे जहां मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने उनका स्वागत किया. रूपाणी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भावनगर पहुंच गए हैं। वह चक्रवात ताउते से प्रभावित अमरेली, गिर सोमनाथ और भावनगर जिलों का हवाई सर्वेक्षण करेंगे.'' प्रभावित इलाकों का मुआयना करने के बाद प्रधानमंत्री अहमदाबाद में एक बैठक भी करेंगे जिसमें मुख्यमंत्री के अलावा उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहेंगे.
गुजरात में चक्रवाती तूफान के कारण तटीय इलाकों में भारी नुकसान हुआ, बिजली के खंभे तथा पेड़ उखड़ गए तथा कई घरों व सड़कों को भी नुकसान पहुंचा। इस दौरान हुई घटनाओं में करीब 13 लोगों की मौत भी हुई है. चक्रवाती तूफान के कारण 200 से अधिक तालुकाओं में बारिश हुई। एहतियाती तौर पर राज्य सरकार ने पहले ही दो लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया था.
मौसम विभाग ने कहा कि ताउते गुजरात के तट से “बेहद गंभीर चक्रवाती तूफान” के तौर पर आधी रात के करीब गुजरा और धीरे-धीरे कमजोर होकर “गंभीर चक्रवाती तूफान” तथा बाद में और कमजोर होकर अब “चक्रवाती तूफान” में बदल गया है. रुपाणी ने मंगलवार को कहा था कि 16000 से ज्यादा घरों को नुकसान पहुंचा, 40 हजार से ज्यादा पेड़ और 70 हजार से ज्यादा बिजली के खंभे उखड़ गए जबकि 5951 गांवों में बिजली चली गई.
यह राज्य में आया, अब तक का सबसे भयावह चक्रवात बताया जा रहा है. ताउते के कारण सौराष्ट्र से लेकर उत्तरी गुजरात के तट तक भारी बारिश देखने को मिली और कम से कम 46 तालुका में 100 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश हुई जबकि 12 में 150 से 175 मिलीमीटर तक बारिश दर्ज की गई. चक्रवात ताउते दोपहर बाद अहमदाबाद जिले की सीमा से लगते हुए उत्तर की तरफ बढ़ गया । इससे पहले और इस दौरान भी यहां लगातार भारी बारिश हुई जिससे शहर के कई इलाकों में घुटनों तक जलभराव हो गया. (भाषा)
दिल्ली के मुख्यमंत्री के सिंगापुर में कोरोना के नए "स्वरूप" को लेकर ट्वीट के बाद सिंगापुर के स्वास्थ्य मंत्रालय ने खंडन जारी किया है. केजरीवाल ने कहा था सिंगापुर में आया नया "स्वरूप" बच्चों के लिए बेहद खतरनाक है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट
अरविंद केजरीवाल ने अपने ट्वीट में कहा था यह "वेरिएंट" भारत में तीसरी लहर के रूप में आ सकता है. भारत में कोरोना के वेरिएंट बी.1.617.2 ने भारी तबाही मचाई और इसकी चपेट में आकर लाखों लोग संक्रमित हुए और हजारों की जान जा चुकी है. मंगलवार को केजरीवाल ने अपने ट्वीट में लिखा था, "सिंगापुर में आया कोरोना का नया रूप बच्चों के लिए बेहद खतरनाक बताया जा रहा है, भारत में ये तीसरी लहर के रूप में आ सकता है. केंद्र सरकार से मेरी अपील-सिंगापुर के साथ हवाई सेवाएं तत्काल प्रभाव से रद्द हों, बच्चों के लिए भी वैक्सीन के विकल्पों पर प्राथमिकता के आधार पर काम हो." इसके बाद भारत में सिंगापुर के दूतावास ने केजरीवाल के दावों का खंडन करते हुए एक ट्वीट किया है, "इसमें कोई सच्चाई नहीं है कि सिंगापुर में कोविड का कोई नया स्ट्रेन है. फाइलोजेनेटिक जांच में दिखा है कि सिंगापुर में पिछले कुछ हफ्तों में मिले संक्रमण के मामलों में पहले से मौजूद बी.1.617.2 वेरिएंट ही मुख्य रुप से मिला है." दूतावास की ओर से ट्वीट में स्वास्थ्य मंत्रालय का बयान भी संलग्न है.
इस विवाद के बाद सिंगापुर ने भारतीय उच्चायुक्त को तलब कर आपत्ति दर्ज कराई. इसके बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री के पास कोरोना वेरिएंट या विमान नीति पर बोलने का अधिकार नहीं है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी ट्वीट कर कहा, "सिंगापुर और भारत दोनों ही कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं. हम लॉजिस्टिक हब और ऑक्सीजन सप्लायर के तौर पर सिंगापुर की मदद की सराहना करते हैं. हमारी मदद के लिए सैन्य विमान की तैनाती करने का उनका कदम बताता है कि हमारे रिश्ते कितने अच्छे हैं." साथ ही जयशंकर ने कहा, "हालांकि, कुछ लोगों के गैर-जिम्मेदाराना बयानों से लंबी चली आ रही भागीदारियों को नुकसान पहुंच सकता है. तो मैं स्पष्ट करता हूं कि- दिल्ली के मुख्यमंत्री भारत के लिए नहीं बोलते हैं."
केजरीवाल ने अपने ट्वीट में सिंगापुर के साथ हवाई सेवाएं रद्द करने की अपील की थी, इसके जवाब में नागरिक विमानन मंत्री हरदीप सिंह ने कहा था, "मार्च 2020 से ही अंतरराष्ट्रीय उड़ानें बंद हैं. सिंगापुर के साथ एयर बबल भी नहीं है. बस कुछ वंदे भारत उड़ानों से हम वहां फंसे भारतीयों को वापस लाते हैं. ये हमारे अपने ही लोग हैं. फिर भी स्थिति पर हमारी नजर है. सभी सावधानियां बरती जा रही हैं."
कोरोना का भारतीय स्वरूप बहुत संक्रामक है और यह कई देशों में पाया गया है. भारत के पड़ोसी देश नेपाल ने भी इस वेरिएंट की अपने देश में मौजूदगी की पुष्टि की है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक वेरिएंट की सबसे प्रबल किस्म को पहली बार दिसंबर 2020 में भारत में देखा गया था. इसका पिछला स्वरूप अक्टूबर 2020 में भी देखा गया था. डब्ल्यूएचओ ने 10 मई को इसे एक "चिंताजनक प्रकार" बताया और ब्रिटेन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रिका में पाए गए दूसरी चिंताजनक किस्मों की श्रेणी में डाल दिया था.
भारत में पिछले दिनों 2 से लेकर 18 साल के बच्चों पर कोवैक्सीन के ट्रायल को ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने मंजूरी दी थी. भारत में तीसरी लहर को लेकर चिंता बढ़ गई है और कई जानकार कह रहे हैं कि यह बच्चों के लिए खतरनाक हो सकता है.
सिंगापुर की क्या है तैयारी
18 मई को सिंगापुर एशिया का पहला ऐसा देश बन गया है जहां 12 से 15 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए फाइजर-बायोएनटेक की कोविड वैक्सीन के इस्तेमाल को मंजूरी मिल गई है. वर्तमान में केवल 16 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए यह इस्तेमाल की जा रही थी. सिंगापुर के स्वास्थ्य मंत्री ओंग ये कुंग के मुताबिक अधिकारियों ने "मूल्यांकन किया कि फाइजर-बायोएनटेक की कोविड वैक्सीन ने 12 से 15 वर्ष के आयु वर्ग के लिए उच्च सुरक्षा और प्रभावकारिता का प्रदर्शन किया." इस महीने की शुरुआत में कनाडा 12 से 15 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए वैक्सीन को मंजूरी देने वाला पहला देश बना था, जिसके कुछ ही समय बाद अमेरिका ने भी ऐसा किया.
16 मई को सिंगापुर ने स्कूलों को बंद करने का ऐलान किया था. उसने चेतावनी दी थी कि कोरोना के नए वेरिएंट ज्यादा संक्रामक हैं और भारत में पहली बार पाया गया वेरिएंट कम उम्र के बच्चों को ज्यादा अपनी चपेट में ले रहा है. देश ने ताजा पाबंदियों के तहत सार्वजनिक जमावड़े को सीमित कर दिया है और रेस्तरां में बैठकर खाने पर रोक लगा दी है. 57 लाख की आबादी वाला सिंगापुर अब तक 14 लाख लोगों को वैक्सीन की दोनों खुराकें दे चुका है. सिंगापुर का जोर अंग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों, बीमारों और 45 वर्ष के अधिक उम्र वाले लोगों को वैक्सीन देने पर है. (dw.com)
इस बीच भारत में कोरोना से मौतों का आंकड़ा बुधवार को रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. यहां बीते 24 घंटे में महामारी से 4,529 लोगों ने अपनी जान गंवा दी.
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जम्मू, 19 मई | जम्मू-कश्मीर के सांबा जिले में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों ने बुधवार को अंतरराष्ट्रीय सीमा पर घुसपैठ की कोशिश को नाकाम करते हुए एक पाकिस्तानी नागरिक को गिरफ्तार कर लिया। बीएसएफ सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तानी नागरिक को घायल हालत में उस समय पकड़ा गया जब वह भारतीय सीमा में घुसने की कोशिश कर रहा था।
"घुसपैठिए को पहले चेतावनी दी गई, जिसके बाद सैनिकों ने गोलियां चलाईं, जिससे घुसपैठिया घायल हो गया।"
सूत्रों ने कहा, "बीएसएफ की डिस्पेंसरी में उसका इलाज किया गया और बाद में उसे पुलिस को सौंप दिया गया।"
5 मई को उसी सेक्टर में घुसपैठ की एक और कोशिश को नाकाम कर दिया गया, जब बीएसएफ के सतर्क जवानों ने एक घुसपैठिए को मार गिराया था।(आईएएनएस)
कौशांबी, 19 मई| कौशांबी में एक 65 वर्षीय महिला को जिला प्रशासन ने लंबी जांच के बाद उसके बेटे को उसके खेत में ही दफनाने की अनुमति दे दी।
महिला उजरिया देवी ने मंगलवार को कौशांबी जिले के पिपरी पुलिस थाने में आवेदन देकर अपने बेटे के शव को खेत में दफनाने की अनुमति मांगी थी।
उन्होंने कहा कि उनके बेटे की लंबी बीमारी के चलते गांव गौसपुर कटौला का मजरा में मौत हो गई थी।
पुलिस, स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की एक संयुक्त टीम मौत के कारणों का पता लगाने और यह पता लगाने के लिए मौके पर पहुंची कि क्या मृतक में कोई कोविड से संबंधित लक्षण तो नहीं थे।
घटना की विस्तृत जांच करने के बाद, अधिकारियों ने गांव की परंपरा का हवाला देते हुए महिला को अपने बेटे के शव को अपनी जमीन में दफनाने की अनुमति दी।
डिप्टी एसपी (चेल), श्यामकांत ने कहा कि उजरिया देवी ने पिपरी पुलिस स्टेशन में एक आवेदन प्रस्तुत किया था जिसमें बताया गया था कि उनके 32 वर्षीय बेटे रामराज की सोमवार रात घर पर मृत्यु हो गई थी। वह उसके शरीर को खेत में दफनाना चाहती हैं।
डीएसपी ने कहा, जब पुलिस को सूचना मिली तो उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को सतर्क कर दिया। इसके बाद पुलिस, स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन के अधिकारी मामले की जांच के लिए मौके पर पहुंचे। जांच के दौरान अधिकारियों को पता चला कि रामराज खसरा से पीड़ित था। पिछले डेढ़ महीने में, और उनमें कोई भी कोविड लक्षण नहीं था। यह सुनिश्चित करने के बाद कि यह एक कोविड की मौत नहीं है, संयुक्त टीम ने महिला को अपने बेटे के शरीर को उसकी ही भूमि में दफनाने की अनुमति दी।
इससे पहले, वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने महिला को अपने बेटे के अंतिम संस्कार को उचित तरीके से करने के लिए मनाने का प्रयास किया था, और उसे बताया कि राज्य सरकार दाह संस्कार के लिए अनुदान स्वीकृत कर रही है, लेकिन बूढ़ी महिला अधिकारियों के प्रस्ताव पर सहमत नहीं हुई। (आईएएनएस)
जबलपुर, 18 मई| मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार में जीवनरक्षक की भूमिका निभाने वाले रेमडेसीविर इंजेक्शनों की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का दौर जारी है। जबलपुर में पांच लोगों को छह माह के लिए जेल भेजने के आदेश जारी किए गए हैं। कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने अवैध लाभ अर्जित करने के उद्देश्य से कोरोना मरीजों के साथ धोखाधड़ी कर ऊंचे दामों पर रेमडेसीविर इंजेक्शन बेचने के पांच आरोपियों को चोर बाजारी निवारण एवं आवश्यक वस्तु प्रदाय अधिनियम के तहत केन्द्रीय जेल जबलपुर में छह माह तक रखने के आदेश दिये हैं।
जीवन रक्षक रेमडेसीविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने के आरोप में जिन पांच व्यक्तियों को चोर बाजारी एवं अत्यावश्यक वस्तु अधिनियम के तहत केन्द्रीय जेल में छह माह के लिए निरूद्ध करने के आदेश दिये गये हैं उनमें नरेन्द्र ठाकुर, संदीप कुमार प्रजापति , रामअवतार पटेल, कृष्णपाल सिंह भदौरिया तथा कुमारी शाहजहां बेगम शामिल हैं।
जिला दंडाधिकारी ने पांचों आरोपियों को केन्द्रीय जेल भेजने का यह आदेश पुलिस अधीक्षक से प्राप्त प्रतिवेदन के आधार पर दिया है। (आईएएनएस)
-अनिरुद्ध शुक्ल
बाराबंकी. उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले की रामसनेहीघाट तहसील परिसर में बनी मस्जिद को पुलिस-प्रशासन ने ढहा दिया. मस्जिद ढहाने की खबर जंगल में आग की तरह फैली और मुस्लिम संगठनों ने कड़ी नाराजगी जताते हुए सभी दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और मौके पर मस्जिद पुनर्निर्माण की मांग की है. इस संबंध में मंगलवार को मुस्लिम धर्मगुरुओं ने मुख्यमंत्री के सचिव को एक ज्ञापन भी सौंपा.
मुस्लिम धर्मगुरु मोहम्मद साबिर अली रिजवी ने कहा कि बाराबंकी जिले की रामसनेहीघाट तहसील में स्थित एक सदी पुरानी मस्जिद को ढहा दिया गया है. उन्होंने कहा कि तहसील में स्थित गरीब नवाज मस्जिद को प्रशासन ने बिना किसी कानूनी औचित्य के सोमवार रात पुलिस के कड़े पहरे के बीच शहीद कर दिया. यह मस्जिद 100 साल पुरानी है और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड में इसका इंद्राज भी है. इस मस्जिद के सिलसिले में किसी किस्म का कोई विवाद भी नहीं है. उन्होंने सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए सरकार से इसके लिए जिम्मेदार अफसरों को निलंबित कर मामले की न्यायिक जांच कराने और मस्जिद के पुनर्निर्माण की मांग की.
सोशल एक्टिविस्ट ने कही यह बात
सोशल एक्टिविस्ट ने बताया कि मार्च के महीने में रामसनेहीघाट के उपजिलाधिकारी ने मस्जिद कमेटी से मस्जिद के आराजी से संबंधित कागजात मांगे थे. इस नोटिस के खिलाफ मस्जिद प्रबंधन कमेटी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी और अदालत ने समिति को 18 मार्च से 15 दिन के अंदर जवाब दाखिल करने की मोहलत दी थी. इसके बाद 1 अप्रैल को जवाब दाखिल कर दिया गया, लेकिन इसके बावजूद बगैर किसी सूचना के एकतरफा तौर पर जिला प्रशासन ने मस्जिद शहीद करने का जालिम कदम उठाया है, जो कि सरासर गलत है. हमारी मांग है कि जिन अफसरों ने यह गैरकानूनी हरकत की है, उनको निलंबित किया जाए. साथ ही मस्जिद के मलबे को वहां से हटाने की कार्रवाई रोकी जाए और यथास्थिति बरकरार रखी जाए. मस्जिद की जमीन पर कोई दूसरी तामीर करने की कोशिश न की जाए. यह हुकूमत का फर्ज है कि वह इस जगह पर मस्जिद तामीर कराकर मुसलमानों के हवाले करे.
डीएम ने दी सफाई
प्रशासन की इस कार्रवाई पर डीएम डॉ आदर्श सिंह का कहना है कि तहसील परिसर में उपजिला मजिस्ट्रेट के आवास के सामने अवैध रूप से बने आवासीय परिसर के संबंध में कोर्ट ने संबंधित पक्षकारों को 15 मार्च 2021 को नोटिस भेजकर स्वामित्व के संबंध में सुनवाई का मौका दिया था. नोटिस तामील होते ही परिसर में निवास कर रहे लोग परिसर छोड़कर फरार हो गए, जिसके बाद सुरक्षा की दृष्टि से 18 मार्च 2021 को तहसील प्रशासन द्वारा अपना कब्जा प्राप्त कर लिया गया. डीएम ने कहा कि माननीय इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ खंडपीठ) द्वारा इस मामले को निस्तारित करने पर यह सिद्ध हुआ कि आवासीय निर्माण अवैध है. इसी आधार पर उपजिला मजिस्ट्रेट रामसनेहीघाट न्यायालय में न्यायिक प्रक्रिया के अंतर्गत पारित आदेश का अनुपालन 17 मई 2021 को कराया गया है.
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श्रीनगर, 18 मई | हर मौसम में जोजिला सुरंग के निर्माण में शामिल हैदराबाद की एक कंपनी में कार्यरत चार लोगों ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले में जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन किया। इंफ्रास्ट्रक्च र फर्म मेघा इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्च र में कार्यरत चारों को सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग की एक टीम ने उत्तरी कश्मीर जिले के निग्राद इलाके में सिंध स्ट्रीम से रेत और बोल्डर निकालने के दौरान पकड़ा था।
बाढ़ और सिंचाई विभाग के एक अधिकारी ने कहा, "हमने चार डंपर और एक एलएंडटी अर्थ मूविंग मशीन भी जब्त की है, जिनका इस्तेमाल अवैध रूप से रेत और बोल्डर निकालने के लिए किया जा रहा था।"
अधिकारी ने कहा कि अवैध खनन के दौरान पकड़े गए चार लोगों को कानून के तहत आगे की कार्रवाई के लिए पुलिस को सौंप दिया गया है।
मेघा इंजीनियरिंग इन्फ्रास्ट्रक्च र को ऑल वेदर जोजिला टनल के निर्माण का काम सौंपा गया था, जो लद्दाख यूटी को जम्मू-कश्मीर से जोड़ेगी।
यह उल्लेख किया जाना चाहिए कि सिंध धारा से सभी निकासी पर प्रतिबंध लगाने वाले जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के स्थायी आदेश हैं। (आईएएनएस)
मुंबई, 18 मई | बृहन्मुंबई नगर निगम ने चक्रवात के बाद की ऑटोप्सी रिपोर्ट में कहा कि चक्रवात तौकते के प्रकोप से सोमवार को रिकॉर्ड सबसे अधिक बारिश हुई और अभूतपूर्व स्तर पर तबाही मची, जबकि मंगलवार को एक मौत, दो लापता और 10 घायल हो गए।
देश की आर्थिक राजधानी ने भी पिछले 73 वर्षों में सबसे बड़े चक्रवाती तूफान का अनुभव किया।
मुंबई में 110 किमी प्रति घंटा हवा की गति की आईएमडी की भविष्यवाणी के अनुसार, शहर ने 114 किमी प्रति घंटा हवाओं को कोलाबा को टक्कर देते हुए देखा, ब्रिटानिया पंपिंग स्टेशन रे रोड में 177 किमी प्रति घंटा और मलाड पश्चिम में मालवानी में 101 किमी प्रति घंटा की हवाएं देखी गई।
आईएमडी ने उपनगरों में औसतन 230.3 मिमी बारिश और शहर की तरफ औसत 207.6 मिमी बारिश दर्ज की, दोनों पिछली शताब्दी में मई की चरम गर्मी के महीने के दौरान एक रिकॉर्ड था।
शहर की वार्षिक औसत वर्षा लगभग 2,500 मिमी है, जिसका अर्थ है कि चक्रवात इस वर्ष की संभावित कुल बारिश का लगभग 9 प्रतिशत लेकर आया है।
कांदिवली (320 मिमी), बोरीवली (315 मिमी), दहिसर (292 मिमी), गोरेगांव और मलाड (281 मिमी प्रत्येक), दक्षिण-मध्य मुंबई के जी-साउथ वार्ड या आसपास (266 मिमी) और वर्ली (254 मिमी) में सबसे अधिक वर्षा के आंकड़े दर्ज किए गए।
इमारतों में कुछ झुग्गियों या फ्लैटों में पानी के रिसने की खबरों के साथ, शहर के 56 निचले इलाकों में कई घंटों तक बाढ़ और जलभराव देखा गया, जिससे यातायात और पैदल चलने वालों की आवाजाही बाधित हुई।
शहर में छोटे या बड़े घर या दीवार दुर्घटना की 43 घटनाएं देखी गई, जिसमें 9 घायल हो गए और बिजली के बक्से या जंक्शनों में पानी के रिसने के कारण बिजली के शॉर्ट-सर्ट की 39 शिकायतें हुई।
पूरे शहर में चक्रवात के दौरान कम से कम 2,364 पेड़ या बड़ी शाखाएं टूट गईं, जिससे एक की मौत हो गई और एक घायल हो गया।
बीएमसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि मालवानी और माहिम तटों में मछली पकड़ने वाली नौकाओं को उनके लंगर से उखाड़ दिया गया, जिसमें दो लोग अभी भी लापता हैं, जबकि 8 सुरक्षित तैरने में कामयाब रहे।
चक्रवात तौकते के गुजरात तट पर घूमने और सोमवार की देर रात पहुंचने के कुछ घंटों बाद मुंबई और बाकी तटीय कोंकण में आज आधी रात से छिटपुट बारिश हुई, हालांकि अलग-अलग इलाकों में तेज हवाएं और बारिश जारी रही।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 18 मई | दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को व्यापारी नवनीत कालरा की जमानत याचिका पर शीघ्र निर्णय लेने से इनकार कर दिया, जिन्हें कोविड महामारी की एक क्रूर दूसरी लहर के बीच ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की कथित कालाबाजारी के लिए गिरफ्तार किया गया है। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की एकल पीठ ने कहा, "कानून को अपना काम करने दें।"
उच्च न्यायालय ने एक सत्र अदालत की टिप्पणियों में हस्तक्षेप करने से भी परहेज किया, जिसने कालरा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
कालरा का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा ने किया।
कालरा को राहत देने से इनकार करते हुए अदालत ने कहा कि उन्होंने अग्रिम जमानत याचिका दायर की है जो उनकी गिरफ्तारी के बाद निष्फल हो गई है और इसलिए मामले में कुछ भी नहीं बचा है।
कालरा के वकील ने उच्च न्यायालय से निचली अदालत को उनकी जमानत पर शीघ्र निर्णय करने का निर्देश देने का अनुरोध किया। उन्होंने अदालत से सत्र अदालत द्वारा अपने मुवक्किल पर की गई टिप्पणियों को हटाने का भी आग्रह किया, क्योंकि गिरफ्तारी के बाद वह अग्रिम जमानत से इनकार करने वाले आदेश को चुनौती नहीं दे सकते।
दिल्ली की एक अदालत ने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर जमाखोरी मामले में रविवार देर रात गिरफ्तार कालरा को सोमवार को तीन दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया।
साकेत जिला अदालत में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अर्चना बेनीवाल ने दिल्ली पुलिस और कालरा के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद आदेश पारित किया। दिल्ली पुलिस ने ऑक्सीजन कंसंट्रेटरों की कथित कालाबाजारी और जमाखोरी के सिलसिले में पूछताछ के लिए कालरा की पांच दिन की हिरासत मांगी थी।
दिल्ली पुलिस ने सात मई से फरार चल रहे कालरा को रविवार देर रात गुरुग्राम स्थित अपने देवर के फार्महाउस से गिरफ्तार कर मामले की जांच कर रही अपराध शाखा को सौंप दिया है।
कालरा अपने तीन रेस्तरां खान चाचा, टाउन हॉल और नेगे एंड जू से 524 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर जब्त किए जाने के बाद से फरार थे।
उच्च न्यायालय ने 14 मई को उन्हें गिरफ्तारी से कोई अंतरिम संरक्षण देने से इनकार कर दिया, जबकि उनकी अग्रिम जमानत की याचिका उसके समक्ष लंबित थी।
इस मामले में मैट्रिक्स सेल्युलर कंपनी के सीईओ और उपाध्यक्ष समेत चार कर्मचारियों को भी गिरफ्तार किया गया था, जिन्हें जमानत दे दी गई है।
5 मई को कालरा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा), 120-बी (आपराधिक साजिश) और 34 (सामान्य इरादा) के तहत मामला दर्ज किया गया था। आवश्यक वस्तु अधिनियम और महामारी रोग अधिनियम के तहत भी मामला दर्ज किया गया था।(आईएएनएस)
पटना, 18 मई | जन अधिकार पार्टी के प्रमुख पप्पू यादव द्वारा पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी पर एंबुलेंस के बेकार खड़ा रखने के आरोपों पर मंगलवार को रूडी ने सफाई दी। उन्होंने कहा कि एंबुलेंस घर में नहीं बल्कि सामुदायिक केंद्र परिसर में लगाए गए थे। उन्होंने कहा कि अपराधी से लड़ना आसान है लेकिन राजनीतिक अपराधी से लड़ाई करना आसान नहीं है। पत्रकारों से बातचीत के दौरान सांसद रूडी ने कहा कि उन्हें किसी से व्यक्तिगत लड़ाई नहीं करनी है, लेकिन आज जो हालात बने हैं उसमें हमें सफाई देनी पड़ रही है।
उन्होंने कहा कि आरोप लगाया गया कि एंबुलेंस मेरे घर में खड़ी थीं, जबकि हकीकत है कि यह किसी के घर में नहीं बल्कि सामुदायिक केंद्र परिसर में थीं और उस केंद्र में चाहरदीवारी भी नहीं है। उन्होंने कहा कि जिस जमीन का जिक्र हो रहा है वह भी सरकार के नाम से निबंधित है।
उन्होंने कहा, "राजनीतिक अपराधी से लड़ना बेहद मुश्किल है। बड़े ही दुखी मन के साथ आज प्रेस वार्ता कर रहा हूं।"
रूडी ने बताया कि पप्पू यादव के खिलाफ 32 मामले दर्ज हैं। ऐसे में अपराधी यदि मंदिर में बैठ जाए तो संत नहीं हो सकता।
भाजपा नेता ने कहा कि कई एंबुलेंस चालक कोरोना काल में छोड़कर चले गए। कई के बीमा और फिटनेस फेल थे, ऐसे में तो एंबुलेंस नहीं चलवाई जा सकती।
उन्होंने गर्व के साथ कहा, "एम्बुलेंस परिचालन में सारण बिहार ही नहीं देश का पहला ऐसा जिला है, जहां इतनी संख्या में सांसद निधि की एम्बुलेंस पिछले कई वर्षों से संचालित की जा रही हैं और इसका मुझे गर्व है।"
उन्होंने कहा कि इसके लिए एक केंद्रीकृत कंट्रोल रूम है। उन्होंने बताया कि जिला एम्बुलेंस संचालन समिति के तहत एम्बुलेंस संचालित होती हैं, जिसके अध्यक्ष डीडीसी होते हैं। पंचायतों में मुखिया की यह जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि मुखिया पर भी प्रश्न उठाए जा रहे हैं, वे भी जनप्रतिनिधि हैं।
रूडी ने कहा कि जब हमने ड्राइवर के नहीं रहने के कारण एम्बुलेंस खड़े होने की बात कही तब पप्पू यादव ने 40 ड्राइवर भेजे जाने की बात कही थी, लेकिन हकीकत यह है कि कोई हमारे पास नहीं आया। उन्होंने कहा कि हमने पहले ही जिलाधिकारी को चिट्ठी लिखकर एम्बुलेंस ड्राइवर की मांग की थी।
रूडी ने पप्पू के आरोपों के जवाब में कहा कि वे किसी को जेल नहीं भेज सकते। उन्होंने कहा कि न्यायालय द्वारा एक मामले में वारंट जारी किया गया था, जिसमें पूर्व सांसद की गिरफ्तारी हुई।
उल्लेखनीय है कि कुछ दिनों पहले पूर्व सांसद पप्पू यादव ने रूडी के क्षेत्र का दौरा करने के क्रम में कई एंबुलेंस की तस्वीर जारी कर कहा था कि सांसद मद की राशि से खरीदी गई कई एंबुलेंस छिपाकर रखी गई हैं।
(आईएएनएस)
मुंबई, 18 मई | जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड ने साइबर सेल में एक आधिकारिक शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें सलमान खान स्टारर 'राधे योर मोस्ट वांटेड भाई' के पायरेटेड संस्करणों को व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे मैसेजिंग प्लेटफॉर्म पर जारी किया गया है। जी के बयान में कहा गया है, "अधिकारी सक्रिय रूप से चोरी के कृत्य में शामिल फोन नंबरों को ट्रैक कर रहे हैं और आवश्यक कानूनी कार्रवाई कर रहे हैं।"
जी ने न केवल फिल्म 'राधे' के लिए, बल्कि किसी भी तरह की सामग्री के लिए, पायरेसी को समाप्त करने में उनके समर्थन की मांग करते हुए बड़े पैमाने पर जनता से अपील की है। "फिल्में लाखों लोगों के लिए आजीविका, रोजगार और आय का स्रोत होती हैं। पायरेसी मनोरंजन उद्योग के लिए सबसे बड़ा खतरा है, आजीविका के इस स्रोत पर अंकुश लगाता है। सरकार को भुगतान किए गए करों के साथ फिल्में भी अर्थव्यवस्था में योगदान करती हैं। फिल्म के अवैध संस्करण को फैलाने में लगे लोग उद्योग के विकास और चौबीसों घंटे काम करने वाले लोगों की आजीविका पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं।"
बयान में कहा गया, "सभी जिम्मेदार नागरिकों से अपील की जा रही है कि वे पायरेसी को ना कहें और केवल आधिकारिक प्लेटफॉर्म के माध्यम से मनोरंजन या सूचना सामग्री का उपभोग करें।"
'राधे' ईद 2021 पर सलमान की रिलीज है, प्रभुदेवा के निर्देशन में दिशा पटानी, जैकी श्रॉफ और रणदीप हुड्डा भी महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं। यह फिल्म 2017 के कोरियाई एक्शन ड्रामा 'द आउटलॉज' पर आधारित है।(आईएएनएस)
कानपुर (उप्र), 18 मई | एक अजीबोगरीब घटना में दूल्हे के रहस्यमय तरीके से विवाह स्थल से गायब हो जाने के बाद दुल्हन ने बारातियों में से एक से शादी कर ली। यह घटना दो दिन पहले महाराजपुर इलाके में हुई।
खबरों के मुताबिक, जयमाला (मालाओं का आदान-प्रदान) की रस्म हो चुकी थी और दोनों परिवार विवाह के मुख्य समारोह की तैयारी कर रहे थे, तभी दूल्हा अचानक गायब हो गया।
दोनों परिवारों ने दूल्हे की तलाश शुरू कर दी और घटनाक्रम में आए मोड़ से दुल्हन घबरा गई।
कुछ देर तलाश करने के बाद दुल्हन के परिवार के सदस्यों को पता चला कि दूल्हा यूं ही गायब नहीं हुआ, बल्कि जान-बूझकर मौके से भाग गया था और इसका कारण उसे ही अच्छी तरह से पता था।
दुल्हन के परिवार को परेशान देखकर, दूल्हे की तरफ के एक मेहमान ने सुझाव दिया कि शादी बारात में आए किसी दूसरे योग्य लड़के के साथ की जानी चाहिए।
दुल्हन के परिवार ने बारात में आए लड़कों में से एक को चुना और संबंधित परिवारों ने परामर्श के बाद गठबंधन की रस्म पूरी करने पर सहमति जताई।
शादी उसी समारोह स्थल पर संपन्न हुई।
बाद में, दुल्हन के परिवार ने भागे हुए दूल्हे और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
नरवाल थाना क्षेत्र के इंस्पेक्टर शेष नारायण पांडे ने कहा, "हमें दूल्हा और दुल्हन दोनों पक्षों से शिकायत मिली है। दुल्हन पक्ष ने दूल्हे और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ उचित कार्रवाई की मांग की है। वहीं, भागे हुए दूल्हे के पिता धर्मपाल ने अपनी शिकायत में अपने लापता बेटे का पता लगाने के लिए पुलिस से मदद मांगी है। इस संबंध में जांच जारी है।" (आईएएनएस)
श्रीनगर, 18 मई । जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय के निदेशरें के मद्देनजर जेल के कैदियों को 90 दिनों की अंतरिम जमानत पर रिहा करने का फैसला किया है।
एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि न्यायमूर्ति अली मोहम्मद माग्रे की अध्यक्षता वाली एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने मार्च में शीर्ष अदालत के निदेशरें के अनुसार सभी जेल कैदियों को रिहा करने का फैसला किया।
"जस्टिस माग्रे ने जम्मू-कश्मीर कानूनी सेवा प्राधिकरण (जेकेएलएसए) को समिति के अन्य दो सदस्यों के साथ समन्वय करने का निर्देश दिया जिससे दोषियों की श्रेणी और विचाराधीन लोगों के बारे में जान सकें, जिन्हें सर्वोच्च न्यायालय के निदेशरें के अनुसार रिहा भी किया जा सकता है।"
प्रवक्ता ने कहा, "इस अभ्यास के पूरा होने के बाद, एक रिपोर्ट समिति के समक्ष रखी जाएगी।"
न्यायमूर्ति माग्रे ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी), जेल को स्वास्थ्य विभाग के साथ समन्वय स्थापित करने और कैदियों और जेल कर्मचारियों के टीकाकरण को प्राथमिकता के आधार पर सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया।
इसके अलावा, समिति ने जेल अधिकारियों को रसोई, स्नानघर आदि जैसे अक्सर जाने वाले क्षेत्रों को स्वच्छ रखने और कैदियों और कर्मचारियों को मास्क पहनने और सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश दिया।
उन्होंने यूटी भर में कानूनी सेवा संस्थानों को कैदियों को पैनल वकीलों की सेवाएं प्रदान करने का भी निर्देश दिया, जो उनकी ओर से आवेदन लेकर हिरासत से रिहा होने के योग्य हैं।
समिति ने पैरोल पर कैदियों की अतिरिक्त रिहाई या अंतरिम जमानत के आदेशों का भी आह्वान किया, जिसके लिए डीजीपी और जेकेएलएसए सदस्य सचिव को निर्धारित समय के अंदर तौर-तरीकों पर काम करने के लिए कहा गया था।
प्रवक्ता ने कहा कि कोविड मानक संचालन प्रोटोकॉल (एसओपी) का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के लिए जेल परिसरों के अंदर या बाहर अतिरिक्त या अस्थायी आवास बनाने का सुझाव दिया गया है।(आईएएनएस)
साइबर ठग कम कीमत पर जरूरी चीजें उपलब्ध कराने का भरोसा दिला कर बतौर एडवांस कुछ धनराशि खाते में जमा करने को कहते हैं और जैसे ही पैसा ट्रांसफर होता है, उनका फोन स्विच ऑफ हो जाता है.
डॉयचे वैले पर मनीष कुमार तिवारी की रिपोर्ट
कोरोना की दूसरी लहर के बीच बिहार समेत देश के कई राज्यों में ऑक्सीजन सिलेंडर, अस्पतालों में बेड, प्लाज्मा व रेमडेसिविर इंजेक्शन जैसी जीवनरक्षक दवाओं की मारामारी से परेशान कोविड के मरीज या उनके परिजन सोशल मीडिया पर अपना पता व टेलीफोन नंबर सार्वजनिक कर लोगों से मदद की गुहार लगा रहे हैं.
इस गुहार का कई मामलों में फायदा होता है और उनकी जरूरतें पूरी भी हो जातीं हैं. किंतु, सोशल मीडिया पर ऐसे शातिरों के गैंग सक्रिय हैं जो विपदा की इस घड़ी में ठगी को अंजाम दे रहे हैं. ये शातिर बतौर कोरोना वॉरियर अपना नंबर फेसबुक, ट्विटर या व्हाट्सऐप पर भी वायरल करते हैं या फिर सोशल मीडिया में दिए गए मरीजों को कॉल करते हैं और फिर कांफ्रेंस में बातचीत कर उचित मदद का आश्वासन देते हैं, बतौर एडवांस पंद्रह सौ से लेकर पचास हजार की राशि ट्रांसफर करने को कहते हैं. जैसे ही पैसा उनके खाते में चला जाता है, वे फोन बंद कर लेते हैं या पीड़ित का नंबर ब्लॉक कर देते हैं.
बिहार में बैठ कई राज्यों में कर रहे ठगी
दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड, बंगाल, असम व बिहार के सैकड़ों लोग ऑनलाइन ठगी के शिकार हो चुके हैं. अधिकतर मामलों में इनके तार बिहार से जुड़े हैं. केवल दिल्ली में ऐसे तीन सौ से अधिक मामले दर्ज किए जा गए हैं.
बिहार की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) तथा दिल्ली पुलिस के संयुक्त अभियान में ऐसे करीब सौ शातिरों को गिरफ्तार किया जा चुका है. पिछले कई दिनों से दिल्ली पुलिस की टीम बिहार में डेरा डाले हुई है. दिल्ली पुलिस ने करीब 900 से ज्यादा फोन नंबरों ट्रेस किए हैं जिनका इस्तेमाल दिल्ली में करीब चार सौ लोगों से ठगी में किया गया.
ट्रू-कॉलर में इनके कई फोन नंबर कोविड हेल्पलाइन से सेव किए गए हैं, जो प्रथमदृष्टया काफी हद तक लोगों को यह भरोसा दिलाते हैं कि वे सही जगह पर कॉल कर रहे हैं. करीब साढ़े तीन सौ से अधिक फोन नंबरों को ब्लॉक कर दिया गया है. इनके अधिकतर सिम पश्चिम बंगाल से लिए गए हैं.
ऐसे 300 से अधिक बैंक खातों का पता चला है जिनमें ठगी के पैसे कोविड पीड़ितों या उनके परिजनों से जमा कराए गए. अधिकतर अकाउंट पटना, महाराष्ट्र तथा दिल्ली की शाखाओं के हैं. इनमें कई खातों को फ्रीज कर दिया गया है.
नालंदा-नवादा बना ठगी का ठिकाना
साइबर क्राइम खासकर बैंक फ्रॉड का अड्डा रहे झारखंड के जामताड़ा के बाद कोरोना की दूसरी लहर में बिहार का नालंदा-नवादा जिला शातिरों का नया ठिकाना बन गया है. इसके अलावा पटना के दानापुर व बख्तियारपुर तथा शेखपुरा से भी ठगी के तार जुड़े हैं. नालंदा-नवादा से एक दर्जन से ज्यादा लोग पकड़े गए हैं. इनके करीब ढाई सौ बैंक खातों का पता चला है.
स्थानीय पुलिस की मदद से ईओयू व दिल्ली पुलिस की टीम पिछले कई दिनों से इन इलाकों में ताबड़तोड़ छापेमारी कर रही है. हालांकि मास्टरमाइंड अभी गिरफ्त से बाहर है.
मजबूर लोगों से ऑक्सीजन सिलेंडर के नाम पर पचास हजार से एक लाख तक की वसूली करने के आरोप में बीते दिनों चार ठगों को गिरफ्तार किया गया. इनके कब्जे से तेरह एटीएम कार्ड, 19,500 रुपये नकद, लैपटॉप व नौ मोबाइल फोन जब्त किए गए. नालंदा के एसपी एस हरि प्रसाथ कहते हैं, "‘कोविड काल में भी कुछ बदमाश परेशान लोगों को ठगने का काम कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर मदद के नाम मैसेज वायरल किए जा रहे हैं. लोग मदद की उम्मीद में पैसे भेजकर ठगी का शिकार हो जा रहे हैं."
इसी तरह दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने ईओयू के सहयोग से पटना से विजय बेनेडिक्ट नामक साइबर अपराधी को गिरफ्तार किया. इसके पास से चेक बुक, कई एटीएम कार्ड व पासबुक जब्त किए गए. इसके अकाउंट में 16 लाख रुपये पाए गए. विजय ने खाता खोलते समय अपनी बहन का फोन नंबर दिया था. इसी फोन नंबर के आधार पर बहन से पूछताछ पर पुलिस ने विजय बेनेडिक्ट को गिरफ्तार किया.
नकली दवा बेचने वाले भी सक्रिय
इनके साथ-साथ कालाबाजारी करने वाले भी सक्रिय हैं. पुलिस ने पटना के एसपी वर्मा रोड से रेमडेसिविर की कालाबाजारी करने के आरोप में रेनबो अस्पताल के निदेशक अशफाक अहमद, एजेंट अल्ताफ अहमद व मेडिकल रिप्रजेंटेटिव राजू कुमार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. पटना में ऐसे कई कालाबाजारियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है.
पड़ोसी देश नेपाल में पुलिस ने एक सूचना के आधार पर नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन जब्त किए. बताया गया कि स्टॉसेफ नामक एंटीबॉयोटिक इंजेक्शन की शीशी के ऊपर रेमडेसिविर का लेबल लगाकर उसे बाजार में बेचा जा रहा है. दोनों की शीशी की साइज एक होने का फायदा धंधेबाज उठा रहे थे. रेमडेसिविर के नाम पर 40 से 50 हजार रुपये तक की वसूली की जा रही थी.
ऐसा नहीं है कि सोशल मीडिया में जारी सभी नंबरों पर गलत ही हो रहा है. कई लोग वाकई आगे बढ़-चढ़कर मदद कर भी रहे हैं. विपदा की इस घड़ी में जरूरत है आपदा के अवसर समझने वालों को बेनकाब करने की. (dw.com)
पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में पत्रकारों के उत्पीड़न और दमन के मामले तेजी से बढ़े हैं. सरकार को ऐसा कोई पत्रकार पसंद नहीं है जो सोशल मीडिया के जरिए भी उस पर अंगुली उठा रहा हो.
डॉयचे वैले पर प्रभाकर मणि तिवारी की रिपोर्ट
ताजा मामले में एक पत्रकार और एक मानवाधिकार कार्यकर्ता को इसलिए गिरफ्तार कर लिया गया है कि उन्होंने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा था कि गोमूत्र और गोबर कोरोना का इलाज नहीं है. उन्होंने यह पोस्ट कोरोना संक्रमण से प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष टिकेंद्र सिंह के निधन के बाद लिखी थी. पत्रकार किशोर चंद्र वांगखेम के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) लगा दिया गया है. तमाम पत्रकार संगठनों ने इस गिरफ्तारी की आलोचना की है.
बीते सप्ताह मणिपुर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सैखोम टिकेंद्र सिंह की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई थी. उसके बाद पत्रकार किशोर चंद्र वांगखेम ने अपनी एक फेसबुक पोस्ट में लिखा था, "गोबर और गोमूत्र काम नहीं आया. यह दलील निराधार है. कल मैं मछली खाऊंगा." इसी तरह एक मानवाधिकार कार्यकर्ता एरेंड्रो लिचोम्बम ने लिखा था, "गोबर और गोमूत्र से कोरोना का इलाज नहीं होता है. विज्ञान से ही इलाज संभव है और यह सामान्य ज्ञान की बात है. प्रोफेसर जी आरआईपी."
इसके बाद प्रदेश बीजेपी उपाध्यक्ष उषाम देबन और महासचिव पी प्रेमानंद मीतेई ने इन दोनों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. उसके आधार पर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत उनको गिरफ्तार कर लिया.
वैसे, पत्रकार किशोर चंद्र और लिचोम्बम से सरकार की परेशानी कोई नई नहीं है. इससे पहले भी उनको दो बार फेसबुक के कथित आपत्तिजनक पोस्ट के लिए गिरफ्तार किया जा चुका है. किशोर चंद्र को तो मुख्यमंत्री के खिलाफ टिप्पणी के लिए राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि रानी लक्ष्मीबाई का मणिपुर से कोई लेना-देना नहीं था.
उन्होंने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की आलोचना करते हुए उनको केंद्र की कठपुतली करार दिया था. वांगखेम ने मुख्यमंत्री से पूछा था कि क्या झांसी की रानी ने मणिपुर के उत्थान में कोई भूमिका निभाई थी? उस समय तो मणिपुर भारत का हिस्सा भी नहीं था. वांगखेम ने अपनी पोस्ट में कहा था कि वे मुख्यमंत्री को यह याद दिलाना चाहते हैं कि रानी का मणिपुर से कोई लेना-देना नहीं था, "अगर आप उनकी जयंती मना रहे हैं, तो आप केंद्र के निर्देश पर ऐसा कर रहे हैं."
इसके बाद उनको देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. तब उनको लगभग छह महीने जेल में रहना पड़ा और मणिपुर हाईकोर्ट के निर्देश के बाद वे अप्रैल 2019 में जेल से रिहा हो सके. इसके बाद उनको फेसबुक की एक पोस्ट की वजह से बीते साल 29 सितंबर को ही दोबारा गिरफ्तार किया गया था.
लिचोम्बम ने कुछ साल पहले पीपुल्स रिसर्जेंस एंड जस्टिस एलायंस नामक एक राजनीतिक दल का गठन किया था. मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने भी इसी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था.
किशोर चंद्र और लिचोम्बम की गिरफ्तारी पर स्थानीय पत्रकारों और पत्रकार संगठनों में तो रहस्यमय चुप्पी है. लेकिन इसके खिलाफ देश के कई मानवाधिकार और पत्रकार संगठनों ने आवाज उठाई है.
कई संगठनों ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से भी इस मामले में हस्तक्षेप की अपील की है. मुंबई प्रेस क्लब ने रविवार को अपने एक ट्वीट में इन गिरफ्तारियों की कड़ी निंदा करते हुए उन दोनों को शीघ्र रिहा करने की मांग की है.
मणिपुर के एक वरिष्ठ पत्रकार नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं, "बीजेपी के सत्ता में आने के बाद राज्य में पत्रकारों के खिलाफ उत्पीड़न के मामले लगातार तेज हो रहे हैं. कब किस पोस्ट या रिपोर्ट के आधार पर हमें राजद्रोह का आरोप लगा कर जेल भेज दिया जाएगा, यह कहना मुश्किल है. सरकार अपनी आलोचना बर्दाश्त नहीं कर पाती." उनका कहना है कि यहां होने वाले उत्पीड़न की खबरें अमूमन देश के दूसरे हिस्से में नहीं पहुंच पाती. (dw.com)
एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि मौसम में एक विशेष बदलाव की वजह से ग्रीनलैंड में गर्मी और अंधेरा बढ़ रहा है. इसके लिए बर्फबारी में बदलाव जिम्मेदार है. ताजा बर्फ ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर से दूर गिर रही है.
अध्ययन में कहा गया है कि ताजा, हलके रंग की बर्फ की मात्रा कम होने से ज्यादा पुरानी और गहरे रंग की बर्फ सतह पर आ जाती है. ऐसा होने से बर्फ की चादर और ज्यादा गर्मी सोखती है और ज्यादा जल्दी पिघलती है. जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में छपे इस अध्ययन के सह-लेखक एरिक ऑस्टरबर्ग कहते हैं, "जैसे जैसे बर्फ घंटों और दिनों पुरानी होती जाती है उसकी परावर्तन (रिफ्लेक्शन) करने की क्षमता घटती जाती है और इसी वजह से ताजा बर्फ बहुत जरूरी होती है."
ऑस्टरबर्ग डार्टमाउथ कॉलेज में पृथ्वी विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर हैं. उन्होंने और उनके सहयोगियों ने बर्फबारी में गिरावट के लिए "अटमॉस्फेयरिक ब्लॉकिंग" नाम की एक मौसमीय घटना को जिम्मेदार बताया, जिसमें कई बार बर्फ की चादरों पर हवा का ज्यादा दबाव हफ्तों तक बना रहता है. इस तरह के हालात इस इलाके में 1990 के दशक की बाद से ज्यादा देखने को मिल रहे हैं.
इनसे पश्चिमी ग्रीनलैंड के ऊपर गर्म हवा रुक जाती है, रोशनी को रोकने वाले बादलों का घनत्व कम हो जाता है और बर्फीले तूफान उत्तर की तरफ धकेल दिए जाते हैं. ऑस्टरबर्ग कहते हैं कि इसका नतीजा होता है एक "तिहरी मार. ये सब मिल कर ग्रीनलैंड के और तेजी से पिघलने में योगदान देते हैं." कुछ शोधों में इन घटनाओं का इंसानी गतिविधियों की वजह से हो रहे जलवायु परिवर्तन से संबंध बताया गया है, लेकिन ऑस्टरबर्ग ने कहा कि ऐसा क्यों हो रहा है यह जानने के लिए और अध्ययन की जरूरत है.
नई बर्फ बनाम पुरानी बर्फ
उन्होंने एक ईमेल में बताया, "अटमॉस्फेयरिक ब्लॉकिंग" ग्रीनलैंड के लिए कितनी जरूरी है इस बात को ध्यान में रखते हुए मुझे लगता है कि इस पर शोध जरूरी है ताकि हम भविष्य में समुद्र स्तर के बढ़ने को लेकर अपने पूर्वानुमान को और सुधार सकें." अध्ययन के सह-लेखक गेब्रियल लुईस ने इसमें यह भी जोड़ा कि तापमान के बढ़ने की वजह सिर्फ बर्फबारी में कमी होना ही नहीं है, बल्कि दूसरे किस्म की बर्फ का बाकी रह जाना भी है.
उन्होंने कहा, "एक बार बर्फ जब गिरने के बाद धूप में बर्फ की चादर पर बैठ जाती है, तब उसका आकार बदलने लगता है और समय के साथ बर्फ के दाने और बड़े होते जाते हैं."यह बर्फ नई, क्रिस्टल के आकार की बर्फ के मुकाबले और गोल और कम परावर्तन करने वाली बन जाती है. इस टीम के मुताबिक, ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर की परावर्तन की क्षमता में अगर एक प्रतिशत का भी बदलाव आया तो उससे तीन सालों में 25 गीगाटन अतिरिक्त बर्फ नष्ट हो जाएगी.
इस अध्ययन में हवाला दिए गए शोध के मुताबिक 1982 से ले कर आज तक ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर करीब 2.7 डिग्री सेल्सियस गर्म हुई है और यह महाद्वीप कम से कम पिछले 450 सालों में बर्फ के पिघलने की सबसे तेज दरों का सामना कर रहा है. (dw.com)
सीके/एए (एएफपी)
नई दिल्ली, 18 मई 2021: भाजपा ने मंगलवार को कांग्रेस पर कोरोना महामारी के दौरान देशवासियों में भ्रम फैलाने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को धूमिल करने का आरोप लगाया और कहा कि इस संकट काल में विपक्षी दल की ‘‘गिद्धों की राजनीति'' उजागर हुई है. एक ‘‘टूलकिट'' का हवाला देते हुए भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने आरोप लगाया कि कोरोना के समय जब पूरा देश महामारी से लड़ रहा है तो कांग्रेस ने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए भारत को पूरे विश्व में ‘‘अपमानित और बदनाम'' करने की कोशिश की है. कांग्रेस ने पलटवार करते हुए भाजपा पर ‘‘फर्जी टूलकिट'' को प्रचारित करने का आरोप लगाया और कहा कि वह इस मामले में सत्ताधारी दल के नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराएगी.
‘‘टूलकिट'' एक प्रकार का दस्तावेज होता है जिसमें अपने अभियान को आगे बढ़ाने के लिए बिंदुवार मुद्दे होते हैं. अपने अभियान को धार देने के लिए इन्हीं मुद्दों पर विरोधियों को घेरने के लिए प्रचार-प्रसार किया जाता है. हाल ही में किसान आंदोलन के दौरान भी एक टूलकिट सामने आया था जिसकी काफी चर्चा भी हुई थी. पात्रा ने दावा किया कि कांग्रेस ने महामारी के समय ऐसे ही ‘‘टूलकिट'' के जरिए सरकार के घेरने के लिए विभिन्न माध्यमों से देश में भ्रम की स्थिति पैदा कर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश की.
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘राहुल गांधी (पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष) ने महामारी को प्रधानमंत्री मोदी की छवि धूमिल करने के मौके के रूप में इस्तेमाल किया. कांग्रेस कार्यकर्ताओं को कोरोना के नये स्ट्रेन को मोदी स्ट्रेन का नाम देने का निर्देश दिया. विदेश पत्रकारों की मदद से भारत को बदनाम करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी गई.''
पात्रा ने कहा कि कोरोना का जो नया स्ट्रेन आया है और उसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी भारतीय स्ट्रेन कहने से मना कर दिया है लेकिन कांग्रेस इसे ‘‘इंडियन स्ट्रेन'' और उससे भी आगे बढ़कर ‘‘मोदी स्ट्रेन'' के नाम से प्रसारित करने में लगी है.
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘यह बहुत ही दुखद है. कहीं न कहीं देश को पूरे विश्व में अपमानित और बदनाम करने के लिए एक वायरस को भारत के नाम, प्रधानमंत्री के नाम पर प्रतिपादित करने की चेष्टा है. मुझे लगता है यह कांग्रेस पार्टी के असली चेहरे को दर्शाता है.'' भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि आज वह दस्तावेज उनके हाथ आया है जिसके सहारे राहुल गांधी रोज सुबह उठकर रोज ट्वीट करते थे. उन्होंने दावा किया, ‘‘इस टूलकिट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी को बार बार पत्र लिखें. आपने देखा होगा, कभी सोनिया जी चिट्ठी लिख रही हैं कभी कोई और लिख रहा है. ये सब ऐसे ही नहीं हो रहा है. सब कुछ एक डिजायन के तहत हो रहा है, जिसका ब्योरा इस टूलकिट में है.''
पात्रा ने दावा किया कि इस टूलकिट के जरिए पीएम केयर्स के वेटिलेटर्स पर सवाल उठाने और सेंट्रल विस्टा परियोजना को ‘‘मोदी के निजी घर और महल'' के रूप में प्रचारित करने का जिक्र किया गया है. उन्होंने कहा, ‘‘यहां तक कि कुंभ को सुप्रर स्प्रेडर के रूप में प्रचारित करने की बात की गई है. ईद और कुंभ की तुलना कर धर्म को बदनाम करने की कोशिश कांग्रेस ने की है. आप कुंभ को बदनाम करिए और ईद के विषय में कुछ मत कहिए. इस प्रकार की सोच भी हो सकती है क्या किसी की.''
उन्होंने दावा किया कि राहुल गांधी जो ट्वीट करते हैं, आज उसका स्रोत सामने आया है. उन्होंने कहा, ‘‘वेंटिलेटर्स, टीकों कोविड प्रबंधन को लेकर जो नकारात्मक राजनीति आप फैलाते हैं, आज उसका स्रोत हमारे पास है. बहुत दुख के साथ हमें यह कहना पड़ रहा है कि यह जो कांग्रेस की गिद्धों की राजनीति है आज वह संपूर्ण रूप से उजागर हो गई है. हमें सोनिया जी से और राहुल जी से जवाब चाहिए.''
कांग्रेस के शोध विभाग के प्रमुख और राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव गौड़ा ने भाजपा के दावे को लेकर पलटवार करते हुए केंद्र की सत्तारूढ़ पार्टी पर ‘फर्जी टूलकिट' को प्रचारित करने का आरोप लगाया और कहा कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा तथा प्रवक्ता संबित पात्रा के खिलाफ ‘जालसाजी' की प्राथमिकी दर्ज करवाई जाएगी. गौड़ा ने ट्वीट किया, ‘‘ भाजपा ‘कोविड कुप्रबंधन' पर फर्जी टूलकिट का दुष्प्रचार कर रही है और इसे कांग्रेस के शोध विभाग से जोड़ रही है. हम जालसाजी को लेकर जेपी नड्डा और संबित पात्रा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा रहे हैं.'' उन्होंने दावा किया, ‘‘हमारा देश कोविड की तबाही का सामना कर रहा है, ऐसे समय लोगों को राहत प्रदान करने की बजाय भाजपा बेशर्मी के साथ फर्जीवाड़ा कर रही है.''
उत्तर प्रदेश में गंगा किनारे एक के बाद एक कर कई स्थानों पर दफनाए हुए शव मिल रहे हैं. यह शव कोविड-19 से संक्रमित लोगों के हैं या नहीं इस बात की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन शवों का इस तरह नदी किनारे दफना दिया जाना जारी है.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश में गंगा नदी में तैरती और उसके किनारे पर रेत में दफनाए गए शवों पर कई मीडिया रिपोर्टों के सामने आने के बाद पुलिस और प्रशासन इसकी जांच और रोकथाम में लग गए हैं. जीपों और नावों में पुलिस लाउडस्पीकरों पर घोषणा करवा रही है कि शवों को नदियों में नहीं डालना है. पुलिस कह रही है, "हम अंतिम संस्कार करने में आपकी मदद करने के लिए तत्पर हैं." लेकिन शवों के मिलने का सिलसिला थम नहीं रहा है.
स्थानीय मीडिया में आई कई खबरों के मुताबिक प्रयागराज में एक बड़े घाट पर रेत में दफनाए हुए करीब 5,000 शव मिले हैं. बारिश और तेज हवा की वजह से शवों के ऊपर डाली गई मिट्टी हट गई. अधिकारियों का कहना है कि वैसे तो नदी किनारे इस तरह शवों को दशकों से दफनाया जा रहा है, पर इस बार महामारी की छाया में इतनी बड़ी संख्या में शवों के मिलने से इस समस्या पर लोगों का ज्यादा ध्यान जा रहा है.
प्रशासन का इनकार
राज्य सरकार के एक प्रवक्ता नवनीत सहगल ने नदियों में इतनी बड़ी संख्या में शवों के मिलने की खबरों को खारिज करते हुए कहा, "मैं शर्त लगा कर कह सकता हूं कि इन शवों का कोविड-19 से कोई लेना देना नहीं है." उनका कहना है कि कुछ गांवों में लोगों के बीच साल में कभी कभी कुछ धार्मिक कारणों की वजह से मृतकों का दाह संस्कार करने की जगह उनके शवों को नदियों में बहा देने या नदी किनारे दफना देने की परंपरा है.
दाह संस्कार करने में लोगों की मदद करने वाली परोपकारी संस्था बंधु महल समिति के सदस्य रमेश कुमार सिंह ने बताया कि ग्रामीण इलाकों में इस समय मृत्यु दर बहुत बढ़ी हुई है. उन्होंने बताया कि लकड़ी की कमी भी हो गई है और अंतिम संस्कार करने का खर्च बहुत बढ़ गया है, इसलिए गरीब लोग शवों को नदी में बहा दे रहे हैं. अंतिम संस्कार का खर्च तीन गुना बढ़ कर 15,000 रुपयों तक पहुंच गया है.
गांवों में स्वास्थ्य व्यवस्था
ग्रामीण इलाकों में कोविड जांच की व्यवस्था ही नहीं है, इसलिए इस बात की पुष्टि नहीं हो पा रही है कि इतने लोग महामारी की वजह से मरे या किसी और वजह से. कई गांवों में पत्रकारों को मरने वालों के परिवार के सदस्यों ने बताया कि मृतक को कुछ दिनों तक बुखार रहा, फिर सांस फूलने लगी और उसके बाद मृत्यु हो गई. इस तरह के बयानों से इस अनुमान को बल मिल रहा है कि ग्रामीण इलाकों में महामारी का प्रसार प्रशासन की पकड़ में नहीं आ रहा है, लेकिन जब तक इन गांवों में पर्याप्त जांच ना हो तब तक इसकी पुष्टि होना मुश्किल है.
इसी स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने कहा है कि ग्रामीण इलाकों में प्राथमिक चिकित्सा केंद्र, उप-केंद्र और अन्य स्वास्थ्य संस्थानों में रैपिड एंटीजन टेस्ट की व्यवस्था की जाए. आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को भी गांवों में स्थिति पर नजर रखने को कहा गया है. थर्मामीटरों और ऑक्सीमीटरों का भी इंतजाम करने को कहा गया है और जिला स्तर पर कम से कम 30 बिस्तरों के कोविड केंद्र बनाने को कहा गया है. अब देखना यह है कि यह सारे इंतजाम कितनी जल्दी शुरू हो पाते हैं. (एपी)
पश्चिम बंगाल में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देख लॉकडाउन लगा है. इसी बीच सोमवार सुबह नारदा स्टिंग मामले में राज्य के दो मंत्रियों समेत चार नेताओं की गिरफ्तारी से राज्य में राजनीतिक बवंडर पैदा हो गया है.
डॉयचे वैले पर प्रभाकर मणि तिवारी की रिपोर्ट
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इसके खिलाफ सीबीआई दफ्तर में धरने पर बैठ गईं तो उनकी पार्टी टीएमसी ने इसे बदले की भावना से की गई कार्रवाई करार दिया है. इन गिरफ्तारियों के खिलाफ राज्य में टीएमसी समर्थकों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया है. सीबीआई दफ्तर के सामने तो पुलिस वालों से उनकी भिड़ंत हुई और स्थिति पर काबू पाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज तक करना पड़ा.
क्यों मचा है बवाल
दरअसल, राज्य में विधानसभा चुनाव के समय से ही टीएमसी और बीजेपी में टकराव चल रहा है. चुनावी नतीजों के बाद राज्य में बड़े पैमाने पर हुई हिंसा में इन दोनों दलों के करीब डेढ़ दर्जन कार्यकर्ताओं की मौत हो गई. उसके बाद बीजेपी के तमाम नेताओं ने संदिग्ध वीडियो और तस्वीरों के जरिए सरकार को कठघरे में खड़ा करने का प्रयास किया. हाल में राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने भी कथित हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया और सरकार पर लगातार हमले करते रहे.
उसके बाद सीबीआई ने सोमवार को सुबह अचानक नारदा स्टिंग मामले में ममता बनर्जी सरकार के दो मंत्री और एक विधायक समेत चार नेताओं को गिरफ्तार कर लिया. अब सीबीआई मंत्री फिरहाद हाकिम, सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा और तृणमूल कांग्रेस के पूर्व नेता शोभन चटर्जी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर रही है.
अभियुक्तों के खिलाफ चार्जशीट
सीबीआई के अधिकारियों ने कहा है कि जांच एजेंसी को नारदा स्टिंग टेप मामले में अपना आरोपपत्र दाखिल करना था. इसलिए अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है. सीबीआई की एक टीम सुबह भारी तादाद में केंद्रीय बलों के साथ ममता सरकार में मंत्री फिरहाद हाकिम, सुब्रत मुखर्जी और टीएमसी विधायक मदन मित्र के अलावा टीएमसी नेता व पूर्व मंत्री शोभन चटर्जी के घर पहुंची और उनको अपने दफ्तर ले आई. वहां उन चारों को गिरफ्तार कर लिया गया. राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने हाल में इन नेताओं के खिलाफ सीबीआई को चार्जशीट दायर करने की अनुमति दी थी. पार्टी के नेताओं की गिरफ्तारी की खबरें आने के तुरंत बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने नेताओं के साथ सीबीआई कार्यालय पहुंच गईं. ममता की दलील थी कि इन नेताओं की गिरफ्तारी गैरकानूनी है. इसकी वजह यह है कि इसके लिए विधानसभा अध्यक्ष विमान बनर्जी से अनुमति नहीं ली गई है.
टीएमसी ने भी इन गिरफ्तारियों को गैरकानूनी और राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित बताया है. पार्टी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि बिना किसी नोटिस के इनकी गिरफ्तारी गैरकानूनी है. उनका सवाल था कि इसी मामले में अभियुक्त बीजेपी नेता मुकुल राय और शुभेंदु अधिकारी को आखिर गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया? घोष के मुताबिक, बीजेपी में शामिल होने की वजह से ही इन दोनों नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
उधर, विधानसभा अध्यक्ष विमान बनर्जी ने भी गिरफ्तारियों को अवैध बताते हुए कहा है कि उनसे इसकी अनुमति नहीं ली गई है. विमान बनर्जी कहते हैं, "एक एडवोकेट के तौर पर मैं कह सकता हूं कि यह गिरफ्तारियां गैरकानूनी हैं. किसी विधायक को गिरफ्तार करने से पहले विधानसभा अध्यक्ष की अनुमति जरूरी है. लेकिन सीबीआई ने इस मामले में महज राज्यपाल से अनुमति ली है.” उनका कहना था कि राज्यपाल को इन नेताओं की गिरफ्तारी को हरी झंडी देने का अधिकार नहीं है. टीएमसी के लोकसभा सदस्य सौगत राय कहते हैं, "यह सीधे तौर पर राजनीतिक बदले की भावना से की गई कार्रवाई है. बीजेपी चुनावी हार पचा नहीं पा रही है. इसलिए उसने सीबीआई के जरिए नेताओं और मंत्रियों को गिरफ्तार कराया है.”
क्या है नारदा मामला
पश्चिम बंगाल में 2016 के विधानसभा चुनाव से पहले नारदा स्टिंग टेप सामने आने से राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई थी. तब दावा किया गया था कि यह स्टिंग वर्ष 2014 में किया गया था और इसमें टीएमसी के मंत्री, सांसद और विधायक की तरह दिखने वाले व्यक्तियों को एक काल्पनिक कंपनी के नुमाइंदों से नकदी लेते दिखाया गया था. उक्त स्टिंग ऑपरेशन कथित तौर पर नारदा न्यूज पोर्टल के मैथ्यू सैमुअल ने किया था. इस टेप के सामने आने के बाद राज्य में खूब बवाल मचा. बीजेपी ने इसे पिछले चुनावों में बड़ा मुद्दा बनाया था, लेकिन इसका कोई असर नहीं पड़ा.
इस बार चुनावों में तो यह मुद्दा गायब ही रहा. अब ममता बनर्जी के तीसरी बार चुनाव जीतकर सत्ता में आते ही यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. इस मामले के सामने आने के बाद टीएमसी ने इस टेप को फर्जी बताया था. लेकिन जांच में उसके सही पाए जाने पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक याचिका के आधार पर इसकी जांच सीबीआई को सौंपने की सिफारिश की थी. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी इसे राजनीतिक साजिश करार देती रही हैं. उनका आरोप है कि इस स्टिंग वीडियो को बीजेपी के दफ्तर से जारी किया गया था.
तनातनी बढ़ने का अंदेशा
कलकत्ता हाई कोर्ट ने मार्च, 2017 में कोर्ट ने स्टिंग ऑपरेशन की सीबीआई जांच का आदेश दिया. सीबीआई और ईडी ने इस मामले की जांच शुरू की थी. नवंबर 2020 में ईडी ने नारदा स्टिंग ऑपरेशन में पूछताछ के लिए तीन टीएमसी नेताओं को नोटिस भेजकर संबंधित कागजात मांगे थे. इनमें मंत्री फरहाद हाकिम, हावड़ा सांसद प्रसून बंदोपाध्याय और पूर्व मंत्री मदन मित्रा की आय और खर्च का ब्योरा मांगा गया था. ईडी ने सीबीआई की शिकायत के आधार पर कथित मनी लॉन्ड्रिंग में 12 नेताओं और एक आईपीएस के अलावा 14 अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था.
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि टीएमसी पहले से ही बीजेपी पर केंद्रीय एजेंसियों को राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने के आरोप लगाती रही है. विधानसभा चुनाव के दौरान भी इन एजेंसियों की सक्रियता जारी रही थी. उसी दौरान ममता के भतीजे सांसद अभिषेक बनर्जी की पत्नी रुजिरा से कोयला खनन घोटाले में पूछताछ की गई थी. अब ताजा मामले के बाद टीएमसी और बीजेपी में तनाव बढ़ने का अंदेशा है. राजनीतिक पर्यवेक्षक समीरन पाल कहते हैं, सीबीआई की मंशा भले सही हो, लेकिन जिस तरह मंत्री स्तर के नेताओं को घर से ले आकर गिरफ्तार किया गया उससे पूरी प्रक्रिया संदेह के घेरे में है. इसकी टाइमिंग भी कई सवाल खड़े करती है. बंगाल की राजनीति पर इसका दूरगामी असर होने का अंदेशा है.
(dw.com)
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में तेजी से फैलते संक्रमण को लेकर गंभीर चिंता जाहिर की है. एक याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा राज्य के गांवों और छोटे शहरों में चिकित्सा व्यवस्था "राम भरोसे" है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट
मेरठ के जिला अस्पताल से लापता हुए 64 साल के बुजुर्ग से जुड़े मामले पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी की. अप्रैल के महीने में बुजुर्ग संतोष कुमार की मौत हो गई थी और उनके शव की शिनाख्त डॉक्टरों और मेडिकल कर्मचारियों द्वारा नहीं की गई, जिसके बाद शव को लावारिस मान कर निस्तारित कर दिया गया. हैरानी की बात यह है कि जिस वक्त यह हादसा हुआ उस समय प्रभारी डॉक्टर ड्यूटी पर उपस्थित नहीं था. रिपोर्ट के मुताबिक सुबह की ड्यूटी पर आए डॉक्टर ने शव को उस स्थान से हटवाया लेकिन व्यक्ति की पहचान नहीं हो सकी. इसी घटना पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा जब मेडिकल कॉलेज वाले शहर मेरठ का यह हाल है तो समझा जा सकता है कि छोटे शहरों और गांवों के हालात "राम भरोसे" ही हैं.
इस मामले में कोर्ट ने कहा, "अगर डॉक्टरों और पैरा मेडिकल कर्मचारी इस तरह का रवैया अपनाते हैं और ड्यूटी करने में घोर लापरवाही दिखाते हैं तो यह गंभीर दुराचार का मामला है क्योंकि यह लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ जैसा है." कोर्ट ने राज्य सरकार से इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करने को कहा है.
जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजित कुमार की बेंच ने उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस के प्रसार को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को कई अहम सुझाव भी दिए हैं. इस याचिका में कोरोना मरीजों के लिए बेहतर इलाज की मांग की गई है.
कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में चिकित्सा व्यवस्था की स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा, "जहां तक चिकित्सा के बुनियादी ढांचे का सवाल है, इन कुछ महीनों में हमने महसूस किया है कि आज जिस तरह से यह स्थिति है वह बहुत नाजुक और कमजोर है."
ग्रामीण इलाकों का हाल
बीते कुछ हफ्तों से उत्तर प्रदेश के गांवों में कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा तेजी से बढ़ा है. स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और कोरोना जांच केंद्रों की गैरमौजूदगी से गांव वालों को कई बार कोरोना पॉजिटिव या निगेटिव होने के बारे में भी पता नहीं चल पाता है. हाई कोर्ट ने ग्रामीण आबादी की जांच बढ़ाने और उसमें सुधार लाने का राज्य सरकार को निर्देश दिया और साथ ही पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने को कहा है. हाई कोर्ट में पांच जिलों के जिलाधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट पेश की. कोर्ट ने राज्य सरकार को पांच सुझाव दिए हैं, जिनमें टीकाकरण पर जोर, पांच शहरों में उच्च सुविधा वाले मेडिकल कॉलेज स्थापित करने, हर गांव के लिए दो आईसीयू एंबुलेंस और जीवन रक्षक दवाओं की कमी को दूर करने के निर्देश दिए गए हैं.
16 मई को राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि राज्य में स्थिति नियंत्रण से बाहर नहीं है और यूपी तीसरी लहर के लिए तैयार है अगर वह आती है. उन्होंने गांवों में कोरोना जांच किट, मेडिकल किट भेजने के बारे में बताया था साथ ही जांच और मौतों में पारदर्शिता का जिक्र किया था. मुख्यमंत्री ने दावा किया था कि राज्य के पास पर्याप्त बुनियादी ढांचा है, जो महामारी से लड़ने के लिए अच्छी तरह से मुस्तैद है.
राज्य और केंद्र की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि महामारी से जुड़ी शिकायतों के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई है. उत्तर प्रदेश में 1 लाख 49 हजार से अधिक कोरोना के सक्रिय मामले हैं. राज्य में 17 हजार से अधिक मौतें इस महामारी के कारण हुई हैं. (dw.com)
नई दिल्ली, 18 मई| कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को नरेंद्र मोदी सरकार की तैयारियों और योजनाओं पर चिंता व्यक्त की, क्योंकि विशेषज्ञों ने कोविड की संभावित तीसरी लहर को बच्चों के लिए घातक साबित होने वाला बताया है।
राहुल गांधी ने ट्वीट किया, आने वाले समय में बच्चों को कोरोना से सुरक्षा की जरूरत होगी। बाल चिकित्सा सेवाएं और वैक्सीन उपचार प्रोटोकॉल पहले से ही तैयार होना चाहिए। भारत के भविष्य के लिए जरूरत है कि वर्तमान में मोदी सिस्टम नींद से जाग जाए।
उनकी टिप्पणी कई देशों द्वारा 12 से 15 वर्ष की आयु के बच्चों में उपयोग के लिए एक कोविड 19 वैक्सीन को मंजूरी देने के बाद आई है।
कांग्रेस नेता जयवीर शेरगिल ने भी ट्वीट किया, "ईमानदारी से भारत के बच्चों के लिए आशा है कि भाजपा सरकार डार्क चॉकलेट खाने और गोमूत्र पीने की सलाह देने से परे प्रत्याशित तीसरी कोविड लहर की तैयारी कर रही है ।"
शेरगिल का मजाक उड़ाया, "क्या भारत सरकार ने बाल रोग विशेषज्ञों की एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है? या योजना सामान्य असहाय कार्ड खेलने की है?"
कोविड 19 महामारी संकट की दूसरी लहर में युवा बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
मंगलवार को, भारत ने 24 घंटों में 4,329 मौतें दर्ज कीं, जो एक दिन में सबसे अधिक है, वहीं कोरोना के 2.63 लाख ताजा मामले सामने आए। (आईएएनएस)
लखनऊ, 18 मई| उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने नदियों में शव न फेंकने के लिए लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए विभिन्न धर्मगुरुओं की मदद लेने का फैसला किया है। इस तरह की घटनाओं पर बढ़ती आलोचना के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को इस मुद्दे पर धार्मिक नेताओं के साथ बातचीत शुरू करने का निर्देश दिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नदियों में शवों को फेंकने के पर्यावरणीय और सामाजिक परिणामों के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करने में धार्मिक नेता सरकार की मदद कर सकते हैं।
एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि उन्होंने राज्य आपदा मोचन बल और प्रांतीय सशस्त्र बल की जल पुलिस को राज्य की सभी नदियों के आसपास गश्त जारी रखने को कहा और यह सुनिश्चित करने को कहा कि किसी भी हालत में शवों को पानी में नहीं फेंका जाए।
प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि अंतिम संस्कार सम्मानपूर्वक किया जाना चाहिए और इसके लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शवों को लावारिस छोड़ जाने की स्थिति में भी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अंतिम संस्कार किया जाना चाहिए।
राज्य के कई जिलों में बड़ी संख्या में शव नदियों में तैरते मिले हैं। (आईएएनएस)