राष्ट्रीय
वेंकटचारी जगन्नाथन
चेन्नई, 15 मई | भारत में रणनीतिक क्षेत्र के दो दिग्गज संस्थान न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) कोरोनावायरस के खिलाफ देश की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
यह अस्पतालों में ऑक्सीजन वितरण बुनियादी ढांचे/ऑक्सीजन बेड और वातानुकूलित मुर्दाघर की स्थापना के लिए वित्तपोषण के साथ ही ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर की आपूर्ति, वेंटिलेटर डिजाइन करना आदि कई कार्यों में अपना योगदान दे रहे हैं।
एनपीसीआईएल भारत में एकमात्र परमाणु ऊर्जा जनरेटर है, जबकि इसरो देश की एकमात्र अंतरिक्ष एजेंसी है।
एनपीसीआईएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक एस. के. शर्मा ने आईएएनएस को बताया, हमारे पास सात परमाणु ऊर्जा उत्पादन स्थल हैं। प्रत्येक साइट की जरूरतें अलग हैं और इसलिए इन्होंने स्थानीय राज्य प्रशासन के साथ मिलकर जरूरतों की पहचान करने और अंतर को दूर करने के लिए काम किया है।
शर्मा के अनुसार, कंपनी ने अस्पतालों में मरीजों के लिए ऑक्सीजन वितरण के बुनियादी ढांचे और राजस्थान के एक अस्पताल में वातानुकूलित मुर्दाघर के निर्माण के लिए वित्त पोषण किया है।
शर्मा ने यह भी कहा कि एनपीसीआईएल ने अस्पतालों के लिए ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर उपलब्ध कराएं हैं और स्थानीय प्रशासन के साथ अपनी खुद की स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं को भी साझा किया है।
शर्मा ने कहा, हमने अपने स्वयं के अस्पतालों के एक विंग को कोविड केयर वार्ड के रूप में परिवर्तित कर दिया और हमारे डॉक्टरों ने भी टेली-परामर्श की पेशकश की।
उनके अनुसार, एनपीसीआईएल द्वारा कोविड-19 राहत पर 43 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई है।
शर्मा ने बताया कि लगभग 11,000 कर्मचारियों में से उनके लगभग 1,400 कर्मचारी कोरोनावायरस से संक्रमित हुए हैं। उन्होंने कहा कि लगभग 1,200 लोग ठीक हो चुके हैं, मगर दुर्भाग्य से उनमें से 15 ने कोरोनावायरस से जूझते हुए अपनी जान गंवा दी और शेष का इलाज चल रहा है।
शर्मा ने कहा कि कोरोना वायरस के कारण जान गंवाने वाले कर्मचारियों के परिवारों को 30 लाख रुपये की सहायता राशि दी गई है।
वहीं भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने तमिलनाडु के महेंद्रगिरि में अपने इसरो प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स (आईपीआरसी) से ऑक्सीजन की आपूर्ति शुरू कर दी है।
इसरो तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश और चंडीगढ़ को आपूर्ति कर रहा है।
इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने आईएएनएस से कहा, हमारी उत्पादन क्षमता बहुत कम है।
अहमदाबाद में इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र ने अहमदाबाद और आसपास के अस्पतालों में भंडारण और आपूर्ति के लिए लगभग 1.65 लाख लीटर की क्षमता वाले दो तरल नाइट्रोजन टैंक को तरल ऑक्सीजन टैंक में परिवर्तित कर दिया है।
इसके अलावा, अहमदाबाद के अस्पतालों में फेस शील्ड और पीपीई किट की भी आपूर्ति की जा रही है।
अंतरिक्ष एजेंसी ने बेंगलुरू, शिलांग और श्रीहरिकोटा में भी कोविड केयर सेंटर स्थापित किए हैं।
अंतरिक्ष एजेंसी ने वेंटिलेटर और ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर भी विकसित किए हैं।(आईएएनएस)
चंडीगढ़, 15 मई | एक दिल दहला देने वाली तस्वीर सामने आई है, जहां एक गरीब व्यक्ति ने अपनी 11 वर्षीय बेटी के शव को अपने कंधों पर उठाकर जालंधर शहर में कब्रगाह ले गया। उसकी मौत कोविड-19 के कारण हुई थी। शव ले जाने वाले शख्स का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।
दिलीप नाम के शख्स ने मीडिया को बताया कि पिछले रविवार को उसकी बेटी की मौत हो गई थी।
उन्होंने कहा कि वीडियो सोमवार का है जब वह अपने बेटे के अंतिम संस्कार के लिए कब्रिस्तान गए थे।
उन्होंने कहा, "मैं एक गरीब आदमी हूं। चूंकि कोई भी उसके दाह संस्कार में मेरी आर्थिक मदद के लिए आगे नहीं आया, इसलिए मैंने उसके शव को अपने कंधे पर ले जाने का फैसला किया।"
"मेरी बेटी का अमृतसर में इलाज चल रहा था, उसकी मृत्यु के बाद शव को चादर में लपेटकर मुझे सौंप दिया गया। मैं शव को यहां (जालंधर) दाह संस्कार के लिए लाया। किसी की मदद से जिसने मुझे 1,000 रुपये दिए, मैंने उसका अंतिम संस्कार किया।"
एक दिन पहले, हिमाचल प्रदेश में अपने कंधे पर दाह संस्कार के लिए अपनी मां के शव को ले जाने वाले एक व्यक्ति का वीडियो वायरल हुआ था, जिसकी भी कोविड -19 के कारण मृत्यु हो गई थी।
वह व्यक्ति कांगड़ा जिले के धर्मशाला से लगभग 30 किलोमीटर दूर रानीताल शहर के पास भंगवार गांव का था। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 15 मई | भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शनिवार को आरोप लगाया कि ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर की जमाखोरी और कालाबाजारी के आरोपी व्यवसायी नवनीत कालरा के साथ कांग्रेस के करीबी संबंध हैं। नई दिल्ली से भाजपा की लोकसभा सदस्य मीनाक्षी लेखी ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, कांग्रेस का हाथ जमाखोरों और कालाबाजारी करने वालों के साथ है।
उन्होंने कहा, कानून के अनुसार महामारी के दौरान जमाखोरी और कालाबाजारी अवैध है। मैट्रिक्स सेल्युलर के नवनीत कालरा और गौरव खन्ना से 13 करोड़ रुपये मूल्य के लगभग 7,500 ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर जब्त किए गए हैं।
लेखी ने आरोप लगाया कि ये लोग कंस्ट्रेटर की जमाखोरी कर रहे थे। इन्होंने जानबूझकर दिल्ली में कंस्ट्रेटर की कमी कर रखी थी। राहुल गांधी और उनके मित्र हाहाकार मचाते कि दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी है। फिर कांग्रेस के लोग कंस्ट्रेटर की चोरी, कालाबाजारी, जमाखोरी करते हुए पकड़े जाते हैं।
भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि उन्होंने स्थिति का फायदा उठाने के लिए ऑक्सीजन की जानबूझकर कमी पैदा की।
मीनाक्षी लेखी ने कहा कि नवनीत कालरा का कांग्रेस से सीधा संबंध है। अगर आप उनकी फेसबुक टाइमलाइन देखें, तो वह महामारी के लिए प्रधानमंत्री को जिम्मेदार ठहराते हैं। उनके रेस्टोरेंट के शेफ की राहुल और सोनिया गांधी के साथ तस्वीरें हैं। वो उन्हें भारत का पहला परिवार कहते हैं।
लेखी ने कहा कि अजय माकन जब शहरी विकास मंत्री थे, तब कालरा को दिल्ली गोल्फ क्लब की सदस्यता दी गई थी।
उन्होंने आरोप लगाया कि जब कांग्रेस नेता अजय माकन शहरी विकास मंत्री थे, तब उन्होंने 2004-05 में रॉबर्ट वाड्रा और 2005-06 में नवनीत कालरा को दिल्ली गोल्फ क्लब का नामांकन दिया था।
लेखी ने कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी की ओर से कालाबाजारी और जमाखोरी के आरोपी का वकील बनने को लेकर भी निशाना साधा।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी को कोर्ट में उनका बचाव करते हुए पाया गया है। इसलिए मैं कहती हूं कि कांग्रेस का हाथ जमाखोरों, कालाबाजारियों के साथ है।(आईएएनएस)
मुंबई, 15 मई | चक्रवात तौकते के गुजरात तट की ओर बढ़ने के साथ ही महाराष्ट्र तटीय और कुछ अंदरूनी हिस्सों पर इसके प्रभाव से जूझने की तैयारी कर रहा है, जो भारी बारिश और तेज हवाओं से प्रभावित हो सकते हैं। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। मुंबई के अलावा पालघर, ठाणे, रायगढ़, रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग सहित संपूर्ण तटीय क्षेत्र हाई अलर्ट की स्थिति में है और किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सभी बचाव और राहत एजेंसियां पूरी तैयारी में हैं।
चक्रवात तौकते के लिए एनडीआरएफ ने मुंबई में 3 टीमें, पुणे में 15 और गोवा में एक टीम को तैनात किया है, जो अब उत्तरी कर्नाटक-दक्षिण महाराष्ट्र तटों से दूर अरब सागर में है।
हालांकि, अधिकारी आशान्वित हैं कि महाराष्ट्र चक्रवात के प्रकोप से बच सकता है क्योंकि इसके अरब सागर में लगभग 250 किलोमीटर से गुजरने की संभावना है, जो 7 किलोमीटर प्रति घंटा की औसत गति से आगे बढ़ रहा है।
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने स्थिति की समीक्षा की है और लोगों और सरकारी मशीनरी को सतर्क रहने के लिए कहा है, जो विनाशकारी चक्रवात निसारगा की यादों को फिर से जीवंत कर रहा है, जिसने जून 2020 में रायगढ़-रत्नागिरी को महामारी में लॉकडाउन को चरम पर पहुंचा दिया था।
सीएमओ के एक अधिकारी ने बताया, "शुक्रवार रात को चक्रवात तौकते के संबंध में एक बैठक में, ठाकरे ने सभी संभागीय आयुक्तों और जिला कलेक्टरों को तटीय क्षेत्रों, खासकर पालघर, रायगढ़, रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग में सतर्क और सुसज्जित रहने का निर्देश दिया है।"
कोंकण के रहने वाले उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री उदय सामंत ने कहा कि अधिकारी अगले कुछ दिनों में किसी भी घटना से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
सामंत ने कहा, हमने अस्पतालों और कोविड -19 देखभाल केंद्रों के लिए विशेष व्यवस्था की है, ऑक्सीजन प्लांटों के लिए बैकअप जनरेटर की व्यवस्था की है, मरीजों को निकालने की आवश्यकता होने पर एम्बुलेंस के बेड़े और अन्य आवश्यकताओं को तैनात किया गया है।
क्लाइमेट रिसर्च एंड सर्विसेज पुणे में एसआईडी के प्रमुख के एस होसलीकर ने कहा कि नए उपग्रह चित्र संकेत देते हैं कि सिस्टम परिपक्व हो रहा है और क्लाउड बैंड अब तटीय उत्तर कर्नाटक, गोवा और दक्षिण महाराष्ट्र में भी हैं।
आईएमडी ने कहा कि पिछले तीन दिनों से, लक्षद्वीप द्वीपों और अरब सागर के ऊपर एक कम दबाव का क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा है, जिसमें एक शक्तिशाली चक्रवात तौकते भारत के पश्चिमी-तट पर राज्यों से टकराने की उम्मीद है।
आईएमडी ने पहले ही मुंबई और ठाणे को येलो अलर्ट के तहत रखा है, जो तेज हवाओं के साथ अलग-अलग भारी बारिश का संकेत देता है, जबकि गुजरात और केरल के कई जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट और रेड अलर्ट जारी किया गया है।
चक्रवात तौकते रविवार को एक पूर्ण चक्रवाती तूफान में बदल जाएगा, जिससे देश के दक्षिणी और पश्चिमी तटीय भागों में तेज हवाओं के साथ भारी बारिश होगी और इसके 18 मई की सुबह तक गुजरात तट से टकराने की उम्मीद है।
तूफान के कारण लक्षद्वीप द्वीप समूह, केरल, सिंधुदुर्ग, रत्नागिरी और पालघर के कुछ हिस्सों में बड़े क्षेत्रों में बारिश हो चुकी है, कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश और रविवार तक अलग-अलग स्थानों पर अत्यधिक भारी बारिश की भविष्यवाणी की गई है।
आईएमडी के अनुसार, केरल में, शनिवार को बहुत ज्यादा बारिश और रविवार और सोमवार को अलग-अलग स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश का अनुमान है।
चक्रवात के कारण मुंबई, तटीय दक्षिणी कोंकण क्षेत्र के रायगढ़, महाराष्ट्र के रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग जिलों, गोवा और गुजरात के कुछ हिस्सों में अगले तीन दिनों में भारी बारिश होगी, जब यह मंगलवार को गुजरात तट पर पहुंचेगा।
रविवार और सोमवार को रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग में बहुत भारी बारिश होने की संभावना है, जबकि मुंबई, ठाणे, रायगढ़ में सोमवार को बहुत भारी बारिश हो सकती है, इसके अलावा रविवार और सोमवार को सतारा, कोल्हापुर, पश्चिमी घाट के कुछ हिस्सों और पुणे में गरज के साथ बौछारें पड़ने की संभावना है।
तटीय महाराष्ट्र विशेष रूप से दक्षिण कोंकण शनिवार को 60 किमी प्रति घंटे की गति तक पहुंचने वाले तूफानों से प्रभावित हो सकता है और रविवार (16 मई) को महाराष्ट्र-गोवा तटों पर 80 किमी प्रति घंटे तक बढ़ सकता है।
अरब सागर में पहले से मौजूद मछुआरों को वापस लौटने की सलाह दी गई है और अन्य लोगों को 14-18 मई तक समुद्र में ना जाने की चेतावनी दी गई है।(आईएएनएस)
-रंजना दुबे
भोपाल/सागर. मध्य प्रदेश में कोरोना महामारी के हाहाकार के बीच एक ऐसा गांव भी है, जहां एक भी मरीज नहीं है. ये गांव है सागर जिले का जनकपुर गांव. ये गांव केसली ब्लॉक में बसा हुआ है. गांव वालों ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए पूरा गांव ही सील कर दिया है. इतना ही नहीं कोरोना गाइडलाइन तोड़ने वाले जुर्माना भी भरते हैं.
जनकपुर गांव की ग्राम पंचायत के सहायक सचिव भरत सिंह लोधी ने बताया कि सागर में कोरोना के लगातार बढ़ रहे संक्रमण को देखते हुए जनकपुर गांव के लोगों ने आपस में बैठक बुलाई. बैठक में तय किया गया कि अब गांव में न कोई आएगा और न कोई बाहर जाएगा. गांव वालों ने खुद ही कोरोना कर्फ्यू लगा दिया और घरों में कैद हो गए. इसका परिणाम ये निकला कि अब तक यहां एक भी कोरोना पॉजिटिव मरीज नहीं मिला है.
इस तरह एक्टिव हैं गांव के लोग
जनकपुर ग्राम पंचायत ने बिना मास्क लगाए घर से बाहर निकलने वालों के खिलाफ 20 रूपए का जुर्माना तय किया. गांव में भाप केंद्र और जन औषधि केंद्र खुलवाए गए हैं. यहां ग्रामीण रोज भाप लेने आते हैं. बता दें, गांव के बाहर जाने वाले सभी रास्तों पर अलग-अलग शिफ्टों में पहरेदारी करने के लिए ग्रामीणों की ड्यूटी लगाई गई है.
45+ का हो चुका वैक्सीनशन
जनकपुर गांव की ग्राम पंचायत के सहायक सचिव भरत सिंह लोधी का कहना है कि 45 प्लस के 338 लोगों में से 325 लोगों का वैक्सीनेशन हो चुका है. इसमें बड़ी संख्या में बुजुर्ग भी शामिल हैं. वैक्सीनेशन और सतर्कता का ही परिणाम है कि 1465 लोगों की आबादी वाले गांव में एक भी व्यक्ति को कोरोना नहीं हुआ है. हमारा गांव कोरोना मुक्त गांव है.
लगातार लोगों से अपील कर रहे सीएम
गौरतलब है कि प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान लगातार लोगों से कोरोना को हराने और गाइडलाइन का पालन करने की अपील कर रहे हैं. शिवराज सिंह ने कहा- हमें कई काम करने हैं. आज ऐसी स्थिति नहीं है कि हम ये कह सकें कि संक्रमण को हमने काबू कर लिया है. स्थिति में सुधार है फिर भी अभी कोरोना कर्फ्यू में ढील नहीं दे सकते. जिला क्राइसेस मैनेजमेंट ग्रुप को इसका फैसला लेना है. नहीं तो सारे किये धरे पर पानी फिर जाएगा. जहां संक्रमण की दर बहुत नीचे है वहां कर्फ्यू हटाया जा सकता है. लेकिन बहुत सोच समझकर वैज्ञानिकों से बात करके फैसला लेना.
कानपुर जिले के घाटमपुर के बिराहिनपुर गांव में एक व्यक्ति ने अपनी नाबलिग बेटी और उसके प्रेमी की कथित रूप से कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी. पुलिस ने बताया कि आरोपी पिता शिव आसरे खंगर पेशे से ट्रक ड्राइवर है और उसे गिरफ्तार कर हत्या में प्रयुक्त कुल्हाड़ी बरामद कर ली गयी है.
घाटमपुर के पुलिस क्षेत्राधिकारी पवन गौतम ने बताया कि शिव आसरे की 16 साल की बेटी का पड़ोस के 15 साल के किशोर के साथ प्रेम संबंध था.
शुक्रवार को किशोरी के माता पिता रिश्तेदार की सगाई समारोह में शामिल होने बांदा गए थे, तब उसने अपने नाबालिग प्रेमी को घर बुला लिया. इस बात की जानकारी किशोरी के चाचा ने उसके पिता को दी. उन्होंने बताया कि उसके पिता ने लौटकर अपनी बेटी और उसके प्रेमी की कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी. पुलिस ने शवों को पोस्टमार्टम के लिये भेजकर मामले की जांच आरंभ कर दी है.
महामारी के इस दौर में जिले में कोरोना वायरस से संक्रमित एक महिला ने अस्पताल में एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया है. राजकीय मेडिकल कॉलेज की जनसंपर्क अधिकारी डॉक्टर पूजा त्रिपाठी ने शनिवार को बताया, “तिलहर क्षेत्र की निवासी सरलादेवी (30) शुक्रवार शाम को कोविड- संक्रमित होने पर मेडिकल कॉलेज के गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) वार्ड में भर्ती की गई थीं, इसके बाद उनके प्रसव पीड़ा शुरू हो गई और उन्होंने शाम को ही एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया.”
उन्होंने बताया कि इस दौरान पीपीई किट पहन कर महिला डाक्टरों ने डेढ़ घंटे के अथक प्रयास के बाद सामान्य रूप से सरला का प्रसव कराया. पीआरओ ने बताया कि उनके आईसीयू कोविड वार्ड में तीसरे बच्चे ने जन्म लिया है इससे पहले भी दो और बच्चों ने जन्म लिया था उनकी माताएं कोविड-19 से पीड़ित थीं, हालांकि उनमें से एक नवजात की मौत हो गई थी. उन्होंने बताया कि नवजात शिशु व कोविड वार्ड में भर्ती सरला दोनों स्वस्थ हैं और नवजात शिशु को सरला की बहन को जन्म के बाद दे दिया गया है जो घर पर रह रहा है.
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में महज कुछ समय में कोरोना वायरस को नियंत्रित करना काफी कठिन होगा, लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जा सकता है. उनका जोर सरकारी तंत्र को बेहतर बनाने और चिकित्सा सुविधाओं को व्यवस्थित करने पर है.
डॉयचे वैले पर अंकिता मुखोपाध्याय की रिपोर्ट
मध्य प्रदेश के इंदौर के रहने वाले अशोक जैन (बदला हुआ नाम) की कोविड-19 की रिपोर्ट 30 अप्रैल को पॉजिटिव आई थी. जब उनका ऑक्सीजन लेवल तेजी से नीचे गिरने लगा, तो उनके परिवार के लोग इंदौर के एक छोटे से अस्पताल में उन्हें ले गए. 2 मई को उन्होंने अपने दामाद को बुलाया और अपनी जिंदगी के आखिरी शब्द बोले, "मुझे यहां से ले चलो, अन्यथा मैं मर जाउंगा.” इसके अगले दिन जैन इस दुनिया को अलविदा कह गए.
जैन की एक रिश्तेदार, प्राजक्ता (बदला हुआ नाम) इस मौत के पीछे स्वास्थ्य के क्षेत्र में निवेश की कमी को एक महत्वपूर्ण कारण बताती हैं. उनका मानना है कि आने वाले कुछ समय तक भारत कोविड-19 से बढ़ती मौतों को नहीं रोक पाएगा. उन्होंने डॉयचे वेले से बात करते हुए कहा, "भारत ने स्वास्थ्य से जुड़ी प्रणाली को ऐतिहासिक रूप से कमजोर कर दिया है. यही वजह है कि अंततः पूरी प्रणाली ध्वस्त हो गई.” वह दावा करती हैं कि कुछ अस्पताल यह बात अच्छी तरह से समझते हैं कि उनके पास कोरोना मरीजों के इलाज की सुविधा नहीं है, इसके बावजूद वे मरीजों को भर्ती कर लेते हैं.
दुर्भाग्य की बात यह है कि यह कहानी किसी एक की नहीं है. भारत सरकार महामारी से निपटने और कोरोना वायरस के नए म्यूटेशन की वजह से तेजी से फैल रहे संक्रमण और हो रही मौतों को नियंत्रित न कर पाने की वजह से गंभीर आलोचना का सामना कर रही है.
‘धीमी और दर्दनाक होगी नियंत्रण की प्रक्रिया'
इंडियन थिंक टैंक, ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) में हेल्थ इनिशिएटिव के प्रमुख ओमेन सी. कुरियन के मुताबिक, कोरोना पर नियंत्रण एक ‘धीमी और दर्दनाक प्रक्रिया होगी.' उन्होंने डॉयचे वेले को बताया, "हम अपनी बुजुर्ग आबादी और ज्यादा जोखिम वाले दूसरे समूहों के बीच आक्रामक रूप से टीकाकरण करके कोरोना से होने वाली मौतों की संख्या को सीमित कर सकते हैं. अगर हम कोरोना की अगली लहर में इस तरह की स्थिति को रोकना चाहते हैं, तो टीकाकरण के साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग और गंभीर रोगियों को सबसे पहले स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने पर जोर देना होगा.”
भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के. विजय राघवन पहले ही तीसरी लहर की चेतावनी दे चुके हैं. बिहार के भागलपुर के रहने वाले डॉक्टर शरद कुमार (बदला हुआ नाम) का मानना है कि अगले सात से आठ सप्ताह में कोरोना की दूसरी लहर थम जाएगी. कुमार ने बताया, "अगर आप महामारियों के इतिहास को देखते हैं, तो पता चलता है कि आम तौर पर इसकी दूसरी और तीसरी लहर आती है.” वह कहते हैं, "कोरोना एक ऐसा वायरस है जो हमारे श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है इसलिए इसे नियंत्रित करना थोड़ा कठिन है. अगर ज्यादा लोग प्रभावित होते हैं, तो इससे वायरस को म्यूटेट होने का अवसर मिल जाता है.
डॉ. कुमार के अनुसार इस बात की भी संभावना है कि एक बार ठीक होने के बाद, लोग इससे दूसरी बार भी संक्रमित हो सकते हैं. वे कहते हैं, "अगर हम तीसरी लहर को रोकना चाहते हैं, तो हमें संक्रमण की दर को रोकना होगा. पूरी कोशिश करनी होगी कि हम दोबारा इससे संक्रमित न हों.” कुमार कहते हैं कि वायरस के प्रसार को रोकने के लिए माइक्रो कंटेनमेंट जोन बनाना एक समाधान है, "आखिरकार, हमारा लक्ष्य स्वास्थ्य प्रणाली पर पड़ रहे बोझ को कम करना है. इसके लिए हमें यह पक्का करना होगा कि हल्के मामले गंभीर अवस्था तक न पहुंचे. पिछले साल ऑक्सीजन के जिन संयंत्रों के लिए टेंडर की अनुमति दी गई थी उनके लिए हमें सरकार को जवाबदेह ठहराने की भी जरूरत है.”
स्वास्थ्य के क्षेत्र में निवेश की कमी
बाल रोग विशेषज्ञ और सार्वजनिक स्वास्थ्य सलाहकार वंदना प्रसाद का मानना है कि मौजूदा हालात से निपटने की तैयारी करने के लिए भारत सरकार के पास एक साल का समय था, लेकिन हाल के बजट में स्वास्थ्य देखभाल से जुड़ी प्रणाली के लिए कोई विशेष निवेश शामिल नहीं किया गया. प्रसाद ने डॉयचे वेले से कहा, "जब लहर कम होती है, तो क्या हम अपने सिर को शुतुरमुर्ग की तरह रेत में छिपा लेंगे और दूसरी लहर का सामना करने के लिए तैयार नहीं होंगे?” प्रसाद भी इस लहर में कोरोना वायरस का शिकार हो गईं.
वह आगे कहती हैं, "भारत में स्वास्थ्य देखभाल से जुड़ी प्रणाली इतनी खराब हो चुकी है कि बुनियादी जरूरतों को भी पूरा नहीं किया जा सकता है. आने वाले समय की संभावित महामारियों या बीमारियों से निपटने के लिए हमें स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी निवेश करना होगा, इस क्षेत्र से जुड़े लोगों को पर्याप्त वेतन देने होंगे, और उन्हें स्थायी तौर पर नौकरियां देनी होंगी.” प्रसाद सरकार की जवाबदेही तय करने की भी बात करती हैं, "सारी बातों से अलग, अगर सरकार आने वाले समय में किसी लहर को नियंत्रित करना चाहती है, तो उसे इससे निपटने के लिए काफी तेजी से खुद को तैयार करना होगा. उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री इस बात से इनकार कर रहे हैं कि प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी है. हालांकि, लोग हर दिन ऑक्सीजन के बिना मर रहे हैं.”
स्वास्थ्य के क्षेत्र में निवेश जरूरी
केरल के कोच्चि में रहने वाले सार्वजनिक स्वास्थ्य सलाहकार डॉक्टर एंटनी केआर का मानना है कि अगर फिर से अपनी स्वास्थ्य प्रणाली को ध्वस्त होने से बचाना है, तो भारत को अपनी जीडीपी का 5 प्रतिशत स्वास्थ्य के क्षेत्र में निवेश करना चाहिए. उन्होंने डॉयचे वेले को बताया, "भारत कोरोना की अगली लहर से निपटने के लिए अपनी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को संचालित करने का अधिकार जिला स्तर तक के स्थानीय अधिकारियों को दे सकता है.” अधिकारियों को राष्ट्रीय स्तर पर तकनीकी दिशा-निर्देश देने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, ताकि "मेडिकल ऑक्सीजन और दवाओं की पर्याप्त आपूर्ति" की जा सके. साथ ही, "भुखमरी से होने वाली मौतों को रोकने” के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत किया जा सके.
एंटनी केआर कहते हैं, "हमें सरकारी अस्पतालों और केंद्रों में डॉक्टरों, नर्सों, और स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े अन्य कर्मचारियों जैसे लैब टेक्नीशियन और एक्स-रे टेक्नीशियन के लिए काम का बेहतर माहौल बनाना होगा, ताकि गरीब लोग निजी क्षेत्र की दया पर निर्भर न रहें. साथ ही, हमारी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत किया जा सके.” वह कहते हैं कि केरल का उदाहरण हमारे सामने है. कोरोना महामारी से निपटने के लिए केरल की हर जगह प्रशंसा की गई. राज्य में कॉन्टैक्ट-ट्रेसिंग और हेल्थ सर्विलांस सिस्टम पर बेहतर काम के जरिए कोरोना को नियंत्रित किया गया. वह कहते हैं, "आप देख सकते हैं कि केरल में हर समय सर्विलांस के डेटा को पोर्टल पर अपलोड किया जा रहा है. राज्य ने जमीनी स्तर पर सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से अपनी सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को भी मजबूत किया है, जो कि आप शायद ही उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में देख सकते हैं.”
प्रभावी नियंत्रण के लिए प्रभावी संदेश
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में सिलसिलेवार तरीके से और राष्ट्रीय स्तर पर संदेश देकर वायरस के प्रसार को नियंत्रित किया जा सकता है. हालांकि, आलोचकों का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दिया गया सिर्फ एक भाषण, जिसमें लोगों से घरों में रहने का आग्रह किया गया था, वह पर्याप्त नहीं था. जनहित पत्रकारिता वेबसाइट IndiaSpend.com के संस्थापक गोविंदराज एथिराज के अनुसार, भारत की "सबसे बड़ी विफलताओं" में से एक ‘संवाद' है. एथिराज ने डॉयचे वेले को बताया, "सरकार को राजनीतिक रैलियों और धार्मिक समारोहों सहित शादियों और सामूहिक समारोहों जैसे कार्यक्रमों को हतोत्साहित करना चाहिए. लोगों को सलाह दी जानी चाहिए कि ऐसे कार्यक्रमों में शामिल होने से वायरस तेजी से फैल सकता है, इसलिए इनमें शामिल न हों.”
एथिराज कहते हैं, "अगर आप इतिहास को देखें, तो पता चलता है कि एड्स और पोलियो महामारी को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर लोगों के बीच संदेश प्रसारित किया गया था लेकिन कोविड-19 के दौरान हम या तो सिलसिलेवार तरीके से ऐसा नहीं कर पा रहे हैं या इसमें कमजोर साबित हो रहे हैं. हम मास्क लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे बुनियादी प्रोटोकॉल का पालन करने से जुड़े संदेश भी लोगों तक सही से नहीं पहुंचा पा रहे हैं.” (dw.com)
भोपाल, 14 मई| मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मददेनजर माध्यमिक शिक्षा मंडल ने फैसला लिया है कि हाईस्कूल 10वीं की परीक्षा नहीं होगी। आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर इसका परिणाम तैयार किया जाएगा। वहीं हायर सैकेंडरी परीक्षा को स्थगित किया गया है। प्रदेश शिक्षा विभाग की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया है कि कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए हाईस्कूल की परीक्षा नहीं कराने का फैसला लिया गया है।
इस कक्षा के छात्रों के अर्धवार्षिकीय परीक्षा, प्री बोर्ड परीक्षा, यूनिट टेस्ट और आंतरिक मूल्यांकन के अंकों के आधार पर परीक्षा परिणाम तैयार किया जाएगा।
वहीं हायर सैकेंडरी 12वीं की प्रायोगिक और सैद्धांतिक परीक्षा आगामी आदेश तक के लिए स्थगित कर दी गई है। कोरोना संक्रमण की स्थिति सामान्य होने पर परीक्षा आयोजन की सूचना 20 दिन पहले दी जाएगी। (आईएएनएस)
गुवाहाटी, 14 मई| असम के तिनसुकिया जिले के डिगबोई शहर के एक बाजार में शुक्रवार को ग्रेनेड हमले में कम से कम दो लोगों की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि डिगबोई के तिंगराई बाजार में दो मोटरसाइकिल सवार लोगों ने एक हार्डवेयर की दुकान के सामने ग्रेनेड फेंका। एक व्यक्ति की मौके पर ही मौत हो गई। हमले में घायल तीन युवकों को असम मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, डिब्रूगढ़ ले जाया गया। इनमें से एक व्यक्ति ने अस्पताल में दम तोड़ दिया।
वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में सुरक्षा बल बाजार पहुंचे और इलाके को सील कर दिया। पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों ने संयुक्त रूप से अपराधियों को पकड़ने के लिए तलाशी अभियान शुरू किया है।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, जिनके पास गृह विभाग भी है, ने हमले की निंदा की और पुलिस महानिदेशक भास्कर ज्योति महंत से कहा कि वे इसके पीछे शामिल लोगों को गिरफ्तार करें।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, उन्होंने कहा, हिंसा की यह कार्रवाई हताशा और कायरता की निशानी है। राज्य सरकार कीमती मानव जीवन के नुकसान के लिए इस तरह के जुल्म को कभी बर्दाश्त नहीं करेगी।
सरमा ने डीजीपी को संबंधित रेंज उप महानिरीक्षक को घटना स्थल पर पहुंचने, घटना की जांच करने और इसमें शामिल लोगों को पकड़ने का निर्देश देने को कहा।
इसके अलावा मुख्यमंत्री सरमा ने लोगों की मृत्यु पर शोक भी व्यक्त किया और उन लोगों की शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की, जो घायल हुए हैं।
गैर कानूनी यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असोम-स्वतंत्र ने हमले में किसी भी तरह की भागीदारी से इनकार किया है। शुक्रवार को ग्रेनेड विस्फोट चार दिनों में जिले में दूसरी ऐसी घटना देखी गई है। इससे पहले एक ग्रेनेड विस्फोट में 12 वर्षीय लड़के की मौत हो गई थी।
तिनसुकिया के पुलिस अधीक्षक वैभव निंबालकर ने कहा था कि जगुन थाना क्षेत्र के हाजोंग गांव में सुजॉय हाजोंग अपनी साइकिल से जा रहा था कि तभी सड़क किनारे पड़े हुए एक ग्रेनेड में अचानक विस्फोट हो गया और लड़के की मौत हो गई। (आईएएनएस)
-धर्मेंश पांडेय
दमोह. मध्य प्रदेश के दमाेह जिले में म्यूकॉरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस की दस्तक के साथ ही डरावनी तस्वीरें भी सामने आ रही हैं, जिसमें ब्लैक फंगस के संक्रमण के जिले में 4 मरीज सामने आए हैं, जिसमें डॉक्टरों ने 2 मरीजों की जान बचाने के लिए इलाज के दौरान उनकी एक-एक आंख भी निकालनी पड़ी है.
कोरोना कॉल में लोगों को आने वाले समय लापरवाही और भी भारी पड़ने वाली है, जो डायबिटीज के पेशेंट हैं उनके रिकवरी रेट बहुत ही धीमा होता हैं, जिसके चलते मरीज को लंबे समय तक इलाज के लिए भर्ती रहना पड़ता. जिसके चलते मरीज काफी वीकनेस हो जाती है और यही वजह है कि हवा में मौजूद म्युकोमाइकोसिस कोविड 19 मरीज को अपने चपेट में ले लेता हैं.
कोरोना से प्रभावित कमजोर मरीजो को black fungus अपनी चपेट में लेकर सबसे पहले नाक को संक्रमित करता है. इसके साथ साथ यह मुंह, फेफड़े, ब्रेन और गले को भी तेजी से अपना शिकार बनाता है. समय रहते मरीज को इलाज नही मिला तो मरीज की जान भी बचा पाना बहुत मुश्किल होता है, यह अगर आंखों पर असर करता है तो मरीज को तत्काल सही इलाज कि जरूरत होती है. सही समय पर इलाज नही मिलता तो मरीज की आंखों की रोशनी को बहुत ही तेजी खत्म कर देता है, और जिसकी वजह से मरीज की आंख भी निकालनी पड़ती.
इस संबंध में दमोह CMHO डॉ. संगीता त्रिवेदी से बात की गई तो उनका कहना है कि लोगों को ध्यान देना चाहिए कि वह घर में रहें. सुरक्षित रहें और जिससे उनको कोविड हो ही नहीं पाये, क्योंकि सुगर वाले मरीज को कोविड होने के बाद उसको रिकवर करना आसान नही होता. उसको एक लंबे इलाज के बाद बेहतर कंडीशन में काफी समय लग जाता है. जिसमें बहुत मरीज ब्लैक फंगस की चपेट में आ सकते हैं.
.हैदराबाद, 14 मई | आंध्र प्रदेश सीआईडी ने शुक्रवार को नरसापुर लोकसभा क्षेत्र से वाईएसआरसीपी के असंतुष्ट सांसद रघु रामकृष्ण राजू के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124ए, 153ए और 505 के तहत मामला दर्ज किया है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि राजू कथित तौर पर अपने भाषणों के माध्यम से समुदायों के बीच तनाव पैदा करने के लिए एक व्यवस्थित और योजनाबद्ध प्रयास में लिप्त थे।
सूत्रों ने कहा, इस वजह से सांसद के खिलाफ सीआईडी में एडीजी पी. वी. सुनील कुमार (आईपीएस) ??के आदेश पर मामला दर्ज किया गया है।
बागी सांसद हाल के दिनों में अपनी पार्टी सुप्रीमो और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई. एस. जगन मोहन रेड्डी के खिलाफ बगावती तेवर दिखा रहे थे और उनके खिलाफ कई बयान भी दे चुके थे।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि हैदराबाद में उनके घर से गिरफ्तार किए गए राजू को विजयवाड़ा ले जाया जा रहा है।
गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया देते हुए राजू के बेटे भरत ने कहा कि उनके पिता, जो मुश्किल से तीन महीने पहले दिल की सर्जरी के बाद स्वस्थ हो रहे हैं, उन्हें उनके जन्मदिन पर गिरफ्तार किया गया है।
उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा, वे वाई श्रेणी की सुरक्षा वाले एक सांसद को कैसे गिरफ्तार कर सकते हैं और वह भी दूसरे राज्य से।
भरत ने यह भी कहा कि उनके पिता को इसलिए निशाना बनाया जा रहा है, क्योंकि वह राज्य सरकार की गलतियों पर सवाल उठा रहे हैं।(आईएएनएस)
मुंबई, 14 मई। देश में कोरोना की दूसरी लहर से सबसे ज्यादा प्रभावित महाराष्ट्र में मासूम बच्चे भी सुरक्षित नहीं है. राज्य में बीते 43 दिनों में 10 साल से कम उम्र के 76,401 बच्चे कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं. 2021 में 1 जनवरी से 12 मई तक 10 साल की उम्र से नीचे 1,06,222 बच्चे कोरोना से संक्रमित हुए हैं. बच्चों पर महामारी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए अस्पतालों में नवजात बच्चों के लिए ICU बनाए जा रहे हैं. राज्य में बीते साल 2020 में 67,110 बच्चे कोरोना से संक्रमित पाए गए थे. वहीं एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए घातक साबित हो सकती है. बच्चों पर मंडराते खतरे का आंदेशा भांपते हुए महाराष्ट्र के अस्पताल पहले से सचेत हो गए हैं और अभी से तैयारी में जुट गए हैं. महाराष्ट्र में डॉक्टरों का कहना है कि करीब 70% बच्चों की कोविड रिपोर्ट निगेटिव आई है, पर एंटीबॉडी पॉज़िटिव है. ऐसे बच्चे गंभीर अवस्था में अस्पताल पहुंच रहे हैं.
आठ महीने के मासूम मुस्तफा को महामारी ने घेरा
आठ महीने का मुस्तफा बीते आठ दिनों से बीमार है. उसे मुंबई के के.जे सोमाया अस्पताल में भर्ती कराया गया है. कुछ दिन तक वह वेंटिलेटर पर रहा. मुस्तफा कोविड निगेटिव है पर ऐंटीबॉडी पॉजिटिव है. बच्चे को मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमैट्री सिंड्रोम नाम की ऐसी तकलीफ है जो कोविड संक्रमण के कुछ समय बाद होती है. उसकी हालत में पहले से सुधार है. मुस्तफा की मां नजमा ने बताया कि पहले उनके बच्चे को खांसी बुखार की परेशानी थी. आठ दिन से पहले भी दिक्कत थी, पर इतनी नहीं थी. पास के अस्पताल में दिखाया दवा ली फिर भी फायदा नहीं हुआ. फिर मैं बच्चे को लेकर सोमाया अस्पताल आयी, अभी मेरा बच्चा पहले से काफी अच्छा है.
मुस्तफा चार दिन के रेस्पिरेटरी फेल्योर के साथ आया था
केजे सोमाया अस्पताल के PICU इंचार्ज व पीडीऐट्रिक इंटेंसिविस्ट डॉ इरफान अली ने बताया कि मुस्तफा चार दिन के रेस्पिरेटरी फेल्योर के साथ आया था. रेस्पिरेटरी रेट जहां 30-40 होना चाहिए था, इस बच्चे का 70-80 था. करीब 80% सैच्युरेशन था. बच्चे को आते ही वेंटिलेटर पर डाला गया. बच्चे की हालत बहुत खराब थी, उसे स्टेरोईड देना शुरू किया गया. धीरे-धीरे बच्चे की कंडिशन इम्प्रूव हुई. अभी बच्चा नॉन इन्वेसिव वेंटिलेशन सपोर्ट पर है.
जल्दी जांच और इलाज ने मिले तो बच्चों के लिए खतरा
डॉ इरफ़ान अली ने बताया कि ऐसे बच्चों की संख्या बहुत बढ़ी है, 60-70% बच्चे फ़ीवर के साथ आ रहे हैं, डायरिया की शिकायत है, इचिंग, स्किन पर रैश, ये सब शिकायत के साथ आ रहे हैं. 60-70% बच्चे जांच में कोविड ऐंटीबॉडी पॉज़िटिव आ रहे हैं. ये MIS-C कैटेग्री के बच्चे हैं जिसके तीन टाइप होते हैं. पहला- माइल्ड फ़ीवर, दूसरे में हाई फ़ीवर, हाई इन्फ़्लेमैट्रा साइन और तीसरे कैटेग्री में बच्चा बुरे कंडिशन हाई शॉक के साथ आता है. ऐसे में बीपी (Blood Pressure) बहुत कम होता है, जल्दी जांच और इलाज नहीं मिले तो बड़ा खतरा रहता है. हाई स्टेरोईड देना पड़ता है, वेंटिलेटर सपोर्ट देना पड़ता है.
नवजात बच्चों के लिए तैयार हो रहा ICU
सोमाया अस्पताल में नवजात बच्चों के लिए Newborn intensive care unit (NICU) तैयार किया गया है. बड़ों के मुक़ाबले बच्चों के अस्पताल और ICU बेड बेहद कम हैं. ऐसे में बच्चों में बढ़ते मामले और तीसरी लहर की तैयारी के लिए बच्चों के ICU बेड बढ़ाने शुरू हो गए हैं. एक्स्पर्ट्स की हिदायत है, नन्हें बच्चे अपनी तकलीफ़ बयां नहीं कर सकते, इसलिए कोविड रिपोर्ट और जांच पर नहीं बल्कि बच्चों में दिख रहे हल्के लक्षण पर ही सावधान हों और फ़ौरन डॉक्टर से सम्पर्क करें.
‘छत्तीसगढ़’ न्यूज डेस्क
रायपुर, 14 मई। कांग्रेस प्रवक्ता शक्ति सिंह गोहिल ने आज पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि एक हिंदुस्तानी होने के नाते मैं बहुत दुख के साथ कहना चाहता हूं कि आज पूरी दुनिया जो कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है, उसमें हमारा देश भारत जो 100 की आबादी पर वैक्सीन का डोज देने की, जो दुनिया के देशों की नंबरिंग दी गई है, उसमें हमारा देश 77 नंबर की पायदान पर गिरा हुआ है और इस बात का मुझे भारतीय होने के नाते दुख हो रहा है कि हम वैक्सीन की डोज देने में दुनिया के देशों में 77 नंबर पर नीचे गिरे हुए हैं। ये हमारी हालत है। दुनिया के चार देश ऐसे भी हैं कि जिन्होंने 100 की आबादी पर पूरे 100 डोज दिए हैं या उससे ऊपर भी गए हैं और उन देशों में सेशेल्स, इजरायल, यू.ए.ई और सैन मैरिनो।
श्री गोहिल ने कहा कि अमेरिका और यूके से लेकर मालदीव तक बहुत सारे देश ऐसे हैं कि जिन्होंने 100 की आबादी पर 80 कोरोना वैक्सीन के डोज दिए हैं, मतलब कि 80 प्रतिशत को वो छू चुके हैं या उससे ऊपर गए हुए हैं। ऐसे बहुत सारे देश हैं, जिसमें अमेरिका और यूके से लेकर जैसे मैंने कहा मालदीव तक। हमारे देश में जिनको एक डोज मिला है, ऐसे 100 की आबादी पर 10 लोग हैं, 10 प्रतिशत और जिनको दोनों डोज मिल गया 2.7 प्रतिशत। इन दोनों को हम जोड़ लें, तो हमारा देश कोरोना के वैक्सीन के डोज देने में 13 प्रतिशत का भी आंकड़ा नहीं छु रहा है। और ये सब हमारे देश में हो रहा है, जिस देश के पास वैक्सीन मैन्युफैक्चरिंग की कैपेसिटी अव्वल नंबर की है। आज जो दोनों वैक्सीन हमारे देश में बन रही है, वो दोनों इंस्टीट्यूट, दोनों लेबोरेटरी जो हैं, वो मोदी जी के आने से पहले से बनी हुई हैं, वो कहते थे 70 साल में क्या किया था? तो ये उस वक्त की, वही दोनों लेबोरेटरी में ये वैक्सीन बन रही है। हमारी कपैसिटी बहुत बेहतरीन है और इसी को देखते हुए जो पार्लियामेंट की हमारी स्टैंडिंग कमेटी है, डिपार्टमेंट रिलेटेड स्टैंडिंग कमेटी, जो हेल्थ की रिलेटेड स्टैंडिंग कमेटी है, उसने 16 अक्टूबर को डिपार्टमेंट के साथ बात की। और उसके बाद ये डिपार्टमेंट को 16 अक्टूबर, 2020 को कहा गया कि इस देश में वैक्सीन जो पैदा हो रहा है या जहाँ पर जो कर रहे हैं, उसकी आप युद्ध के तौर पर इसकी बढ़ोतरी कीजिए, जल्द से जल्द इसमें बढ़ोतरी कीजिए। अक्टूबर, 2020 को स्टैंडिंग कमेटी ने कहा और ये भी कहा कि ज्यादा से ज्यादा सब्सिडी दीजिए। स्टैंडिंग कमेटी ने ये भी कहा कि हर देशवासी को सरकार ये सुनिश्चित करे कि देश के हर नागरिक को ये वैक्सीन देनी चाहिए। ये बात स्टैंडिंग कमेटी की सरकार ने क्यों नहीं मानी? सवाल वहां पर उठता है। अगर वो बात मान ली होती, तो आज पूरी दुनिया में जिन देशों ने अच्छे से वैक्सीन किया 100 से 60 से या ऊपर नंबर तक गए हैं, वहां पर ना महामारी से किसी की जान जा रही है ज्यादा और ना ही वहां पर कोई लॉकडाउन या दूसरे साधन की ज़रुरत हो रही है। वहां नॉर्मल लाइफ है। अगर स्टैंडिंग कमेटी ने, मैं आपको उसकी प्रतिलिपि सभी मीडिया के साथियों को और पब्लिक डोमेन में रखता हूं। तो उस स्टैंडिंग कमेटी में भाजपा के ज्यादा लोग थे, मतलब सभी पार्टी की पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी है। उसमें ये कहा गया था उस बात को।
उन्होंने कहा कि हमारे देश का इतिहास रहा है। हमने जैसे चेचला, या गुजरात में या बिहार में शीतला कहते हैं, वो आया या पोलियो आया। इसका वैक्सीन जब हमने शुरू किया, ना स्मार्ट फोन था, ना इंटरनेट था और हमारे देश ने चाहे वो चेचला हो या पोलियो हो या दूसरे वैक्सीन देने की बात आई, तो पूरी दुनिया में भारत को बहुत गौर के साथ दुनिया ने बधाई दी कि आपने जो काम किया है, वो बेहतरीन काम किया। वही देश आज इतनी बुरी हालत से क्यों गुजर रहा है? दुनिया के जिन देशों ने वैक्सीन बनाई या बनाने की जिनकी क्षमता थी, उन्होंने पहले अपने देश के नागरिकों की चिंता की। अमेरिका जैसे समृद्ध देश ने ये एक पॉलिसी बनाई, अमेरिका पहले। अमेरिका ने जब अपने देश के नागरिकों को पूरी तरह से जब तक आसानी से डोज ना मिले, ऐसी व्यवस्था ना हुई, तब तक एक डोज भी वैक्सीन की अमेरिका ने बाहर नहीं जाने दिया।
श्री गोहिल ने कहा कि मेरा सीधा सवाल सरकार से है कि आपने करोड़ों कोरोना की वैक्सीनेशन डोज अगर मेरे गुजरात की 6 करोड़ की आबादी है, अगर आप डोज की पूरी की पूरी, पैदा हुआ, वहाँ से वृद्ध आदमी है, सबको अगर वैक्सीन दे देते, तब भी आपके पास वैक्सीन बचती। इतनी वैक्सीन तो आपने बाहर के देशों को दे दी। क्यों आपको चिंता नहीं हुई कि बाहर के देश में जो बेच रहे हैं, पहले मेरे देशवासी को मिलना चाहिए? अगर अमेरिका कहता है कि अमेरिका पहले, पहले अमेरिकन को वैक्सीन का डोज मिलेगा, तो मेरा देश क्यों नहीं कह सकता है कि ढ्ढठ्ठस्रद्बड्ड द्घद्बह्म्ह्यह्ल, पहले भारतवासी को पहले डोज मिलेगा? करोड़ों डोज बाहर भेज दिए और आज मेरे देश का हर नागरिक एक वैक्सीन का डोज लेने के लिए दर-दर की ठोकर क्यों खाए? कौन है इसके लिए जिम्मेदार? जैसे इस दिल्ली की गद्दी पर एक सुल्तान आया था, तुगलक कहा जाता है उसको। जिसने दिल्ली से दौलताबाद किया और फिर दौलताबाद से राजधानी दिल्ली किया। उसी तरह से हमारे प्रधानमंत्री ने भी हमारे देश से करोडों डोज वैक्सीन के पहले बाहर भेज दिए, अब बाहर के देशों से वही डोज वापस ला रहे हैं। ये तुगलक की तरह हमारे देश के सुल्तान जो काम कर रहे हैं, इससे देश बर्बाद हो रहा है।
प्रधानमंत्रीजी से कुछ सवाल हैं :
पहला सवाल है कि आपने अमेरिका की तरह क्यों नहीं किया? आपने क्यों वैक्सीन बाहर भेजी, जब देशवासियों को जरुरत थी?
दूसरा सवाल है कि देश की संसद की पार्लियामेंट्री कमेटी ने, स्टैंडिंग कमेटी ने 16 अक्टूबर को आपको कहा था कि देशवासी को पहले वैक्सीन का डोज मिले, इसलिए आप इसमें पूरी तरह से एक तो पारदर्शिता लाइए। तीन बातें की थी, तीनों पैराग्राफ मैं आपको भेज रहा हूं। पहली बात थी -पारदर्शिता लाओ। दूसरी बात थी युद्ध के तौर पर मैन्युफैक्चरिंग डोज का बढ़ाओ। तीसरा बात थी कि आप पूरी सब्सिडी दो और पूरे देश को वैक्सीन हर नागरिक को मिले, उसका इंतजाम हो। ये क्यों नहीं किया, इसका जवाब प्रधानमंत्री जी दें?
तीसरा सवाल, बिहार का चुनाव था, आपके वित्त मंत्री ने और आपने अनाउंस किया था कि पूरे देश में भारत सरकार मतलब सेंट्रल गवर्नमेंट फ्री में वैक्सीन देगी। ये क्या जुमला था आपका? आज क्यों आप राज्यों के ऊपर बर्डन डाल रहे हैं? आपने तो पहले ये कहा था तो राज्य भी सभी स्टेट मान कर चल रहे थे कि 100 प्रतिशत भारत सरकार और आपका बजट का प्रावधान भी था, राज्यों ने अपने बजट में प्रावधान भी नहीं किया क्योंकि आप फ्री पूरे देश को देने वाले थे। अब आप अपने पाप का ठीकरा स्टेट गवर्नमेंट के सिर पर क्यों फोड़ रहे हो? इसका जवाब दीजिए।
श्री गोहिल ने आगे कहा- एक और सवाल है कि आज जिस तरह से आप कन्फ्यूजन पैदा करते हो, उससे बाहर क्यों नहीं निकलते? पहले आपने जुमला दिया कि मित्रों, 21 दिन में कोरोना को जीत लेंगे, हुआ नहीं। आपने कहा कि जो जहां है, वहीं रहे - जान है तो जहान है। लॉकडाउन भी जरूरी है। पर अब कहते हैं कि मरना है तो मरो, नेशनवाइड लॉकडाउन नहीं करेंगे, क्यों? हर रोज का लेकर हर रोज खाने वाला है, उसके खाते में सीधे पैसे न्याय योजना की तरह क्यों नहीं डाल रहे? आप किसान को बर्बाद होते हुए देख रहे हैं, उसकी जेब से लूट रहे हैं और फिर चव्वनी जेब में डालने के लिए आप मीडिया के सामने लाइव होते हो, आपने क्यों खाद की कीमतों में 46 से 58 फीसदी बढ़ोतरी क्यों की? इसका जवाब दीजिए। 1400 हजार करोड़ आपने फार्मर के ऊपर बोझ क्यों डाला? इसका जवाब दीजिए और उसके बाद चव्वनी वापस करने की बात करते हो, इसका जवाब देश को दीजिए।
एक प्रश्न पर कि आज यूथ कांग्रेस के दफ्तर पर दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम ने पहुंचकर पूछताछ की, क्या कहेंगे, श्री शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि इस देश के सुल्तान ने खुद मदद नहीं की और जो कोई इधर उधर से जनसेवा के लिए निकला, वो भी इस देश के सुल्तान से बर्दाश्त नहीं हो रहा है और खासकर कांग्रेस पार्टी कोई अच्छा काम कर रही है, जिससे यहाँ सोशल मीडिया में सराहना होती सुनाई दी। इंटरनेशनल लेवल पर भी यूथ कांग्रेस के साथियों का, कांग्रेस के लोगों की जनसेवा कोरोना के दौरान जो हो रही है, उसकी सराहना हो रही है तो सुल्तान से शायद ये बर्दाश्त नहीं हुआ। मेरे दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष को भी नोटिस मिला है कि आपका स्टेटमेंट रिकॉर्ड करना है और पुलिस आपके यहां आएगी। कौन सा गुनाह कर दिया हमने? अगर बिना ऑक्सीजन किसी की जान जा रही है और ऑक्सीजन का सिलेंडर पहुंचाया गया, क्या ये गुनाह था? अगर किसी को अस्पताल तक पहुंचने के लिए वाहन नहीं मिल रहा है और हमने एंबुलेंस भेज दी, तो क्या हमने गुनाह कर दिया? कोई कोरोना में पूरी फैमिली बर्बाद हो रही है, उसके पास रसोई बनाने वाला कोई नहीं है, उसके घर पर हमने खाना पहुंचा दिया तो क्या हमने कोई गुनाह कर दिया? किसी को कोई दवा नहीं मिल रही है और इधर-उधर हाथ-पैर मारकर अगर हमने उस तक लाइफ सेविंग ड्रग पहुंचा दी, तो क्या हमने गुनाह कर दिया? अगर गुनाह कहीं हुआ है, कहीं क्राइम ब्रांच को या इस देश की पुलिस को या अदालत को पहुंचना चाहिए तो गुजरात में भारतीय जनता पार्टी के स्टेट प्रेसीडेंट 5,000 रेमडेसिविर इंजेक्शन कहाँ से लेकर आए। एक इंजेक्शन के लिए लोगों की जान जा रही थी, उनके पास 5,000 इंजेक्शन कहां से आए? आए तो उसने किसको बांटा? आज तक उन्होंने वो साझा नहीं किया है। और वही भाजपा के एक एक्स कॉर्पोरेट का बेटा सूरत में रेमडेसिविर इंजेक्शन का डुप्लीकेट करता हुआ पकड़ा गया है, ये भाजपा का चाल, चलन और चरित्र है। न मेरे एक भी कार्यकर्ता ने एक भी ऐसा करने की कोशिश नहीं की, जिससे जो बन पाया, जैसे सेतु बनता था, तो नील-सुग्रीव जैसे बड़े पर्वत डालते थे और एक पक्षी चोंच में डालकर एक पत्ता या एक गिरोड़ी शरीर को धूल में रगडक़र वहीं लेट जाता था कि थोड़ी सी धूल मैं भी डाल दूँ। मेरे हर कार्यकर्ता ने राहुल गांधी जी के आह्वान पर जनसेवा का काम किया है, और उसके वहाँ जो पुलिस भेजकर वहां क्राइम ब्रांच भेजकर अगर मेरे कार्यकर्ता को डराने-धमकाने की कोशिश होगी, तो इससे सुल्तान को और नुकसान होगा। पब्लिक है, सब जानती है। सुल्तान जो नहीं कर पाए, वो हम कर रहे हैं। इसी का सुल्तान को दर्द है।
उन्होंने एक अन्य प्रश्न पर कहा कि हाई कोर्ट ने जो नोटिस दिया था दवाइयों की कालाबाजारी को लेकर, क्या आपको लगता है कि दिल्ली पुलिस की क्राइंम ब्रांच जो जांच कर रही है, वो गलत दिशा में है, श्री गोहिल ने कहा कि सबसे पहले कहाँ शुरु हुआ था। जांच की शुरुआत वहां करनी चाहिए, जहाँ पर ऐसी चीजें हों, जिसके पाबंदी हो। 5,000 रेमडेसिविर, जो बिना प्रिस्क्रिप्शन, बिना डॉक्टर, बिना लाइसेंसिंग मेडिकल स्टोर के बेचना, रखना या स्टोर करना गुनाह है। मेरे किसा कार्यकर्ता के पास 5,000 रेमडेसिविर नहीं है। भाजपा के प्रदेश प्रमुख गुजरात के उनके पास था, तो वहाँ जांच क्यों नहीं हो रही है? पहले जांच वहाँ भाजपा के उन एक्स कॉर्पोरेटर के बेटे ने डुप्लीकेट इंजेक्शन बनाकर लोगों को मौत के मुंह में धकेला, वहाँ होनी चाहिए। इन सबके बाद अगर उनको चाहिए, मेरा कार्यकर्ता जवाब देगा, कि मैंने अगर किया है तो क्या किया है। मैंने हजारों रेमडेसिविर इक_ा नहीं किया। मैंने कोई ऑक्सीजन सिलेंडर के पैसे नहीं लिए, मैंने एक दवाई का एक पैसा नहीं लिया, तो ये सिर्फ हमारे वहाँ भेजकर सुल्तान क्या संदेश देना चाहते हैं, वो करें, वो सब लीला और दूसरा कोई सेवा भी करे, तो गुनाह, ये सुल्तान की जो मानसिकता है, इसके खिलाफ हम हैं।
श्री गोहिल ने कहा कि क्राइम ब्रांच के पुलिस अधिकारी यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष से पूछ रहे हैं कि लोगों को ऑक्सीजन नहीं मिल रहा है, आपको कहां से मिल रहा है, दूसरा, इस समय स्टैंडिंग कमेटी की मीटिंग बुलाकर छानबीन करनी चाहिए, क्या कहेंगे, श्री गोहिल ने कहा कि स्टैंडिंग कमेटी ने तो अपना काम कर दिया है। स्टैंडिंग कमेटी ने इसके ऊपर एक्सपर्ट्स के साथ और अगर आप पूरी रिपोर्ट देखोगे, तो उसमें बहुत अच्छे से स्टैंडिंग कमेटी ने काम किया है, मैं आपको कुछ पैराग्राफ साझा करता हूँ, और जिन दोस्तों को पूरी कमेटी की रिपोर्ट चाहिए उनको भी मैं साझा करू ंगा, पूरी कमेटी की रिपोर्ट। बहुच अच्छे से स्टैंडिंग कमेटी ने आज जो हम दर-दर की ठोकरें खाते हैं, वो उस वक्त 16 अक्टूबर 2020 की मीटिंग में ये बातें हुई और नवम्बर में ये भेजी गई स्पीकर को और चेयरमैन को और उसके बाद वो टेबल हुई, पर टेबल होने से पहले 16 अक्टूबर को सरकार को ये कहा गया था कि आप ये काम कीजिए अगर वो काम किया होता, तो आज ये हालत नहीं होती। मैं तो ये भी मांग करता हूं, आज ये भी मांग करता हूं कि स्टैंडिंग कमेटी ने कहा था कि पारदर्शिता रखिए वैक्सीन के मामले में। मैं इस देश के सुल्तान से मांग करता हूं कि आज तक वैक्सीन हमारे देश में जो दो कंपनियां हैं, उसने कितना मैन्युफैक्चरिंग किया, उसमें से कितना विदेश में दे दिया, कितना आपने मंजूर किया बाहर भेजने के लिए और कितना हमारे देश में रखा और ये भी बताइए कि आज वो कितना मैन्युफैक्चरिंग हो रहा है और वहां से कहां-कहां जा रहा है, क्योंकि स्टैंडिंग कमेटी ने तो कह दिया है कि पारदर्शिता होनी चाहिए तो ये सुल्तान हमको बताएं कि ये दोनों कंपनियाँ जो यहाँ पर अभी वैक्सीन बना रही हैं, ये उसका व्हाइट पेपर, एक बताए, साझा करे, ताकि पता चले।
उन्होंने कहा कि अमेरिका, फस्र्ट वो अमेरिका करता है, वहां 80 प्रतिशत, सौ की आबादी में 80 को वैक्सीन के डोज मिल गए, वहां नॉर्मल सी बात है, हमारे गुजरात बहुत हैं अमेरिका में, मैंने ये पीसी करने से पहले उन लोगों से बात की, वहां सारा ईज हो गया है, नॉर्मल्सी आ गई है। तो अगर यही काम हम क्यों नहीं कर सकते? हमारे यहां, हमारे फॉर्मर प्राइम मिनिस्टर, मनमोहन सिंह जी ने, सोनिया जी ने सुझाव दिया, राहुल जी ने कहा कि यहां पर 12 ऐसी मैन्युफैक्चरिंग लैबोरेट्रीज हैं, यहां पर ऐसे इंस्टीट्यूट्स हैं, कि आप इनको दे दो, ये बना देंगे, आपके देशवासियों के लिए आपको करना है और हमारे वहाँ जो कानून है, डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट, इसके पास सुल्तान तो अपना पावर मिसयूज करता है, इसमें अवाम के लिए पावर यूज करने के लिए सुल्तान के हाथ में सत्ता है, कर दीजिए इसको। सबको मिल जाए वैक्सीन और अगर आज हो जाता, आज तो सवाल और बहुत बड़े खड़े हो रहे है, अब कह रहे हैं कि एक डोज लिया है और दूसरा आपको तीन महीने के बाद लेना है, तो पहले जिन्होंने 4 हफ्ते में ले लिया, यो पहले 28 दिनों में ले लिया, दोनों डोज ले लिए, तो क्या उसको तीसरा डोज लेना पड़ेगा, ये बताए सुल्तान। आप ये कह रहे हो कि अगर ये डोज नजदीक, नजदीक दे देंगे, दोनो वैक्सीन का तो इससे इम्यूनिटी में फायदा नहीं होता है, तो जिन करोड़ों लोगों ने ये दोनों डोज ले लिए और कम डिस्टेंस में ले लिए हैं, तो उनको तीसरा डोज लेना पड़ेगा क्या, पूछिए तो सही ये साइंटिस्ट्स को। आपने खुद प्रधानमंत्री जी, दोनों डोज छोटे से गैप में ले लिया, तो आपको तीसरा डोज लेना पड़ेगा क्या, बताइए तो सही देशवासियों को।
श्री गोहिल ने एक अन्य प्रश्न पर कि अमेरिका के एक प्रमुख साइंटिस्ट हैं डॉ एंथोनी फाउची, उन्होंने कहा है कि अगर आपके पास वैक्सीन नहीं है तो गैप बढ़ाया जा सकता है, दूसरा, किसान सम्मान निधि योजना के तहत आज प्रधानमंत्री ने 8वीं किस्त जारी की है, इस पर कांग्रेस का क्या कहना है, श्री गोहिल ने कहा कि पहला आपका सवाल था उसी में जवाब भी था, क्योंकि अमेरिका के एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर आपने बढा दिया है समय, अगर आपको वैक्सीन नहीं मिलती है पूरी तब तो ठीक है, इसका मतलब क्या हुआ? कि अगर आपको पूरी वैक्सीन मिल रही है, तब ये गैप बढ़ाने की जरुरत नहीं है, पर क्योंकि आपको वैक्सीन नहीं मिल रही है, गैप बढ़ा देंगे तो अच्छा है। सबसे पहले साइंटिस्ट ने कहा कि एक डोज से आप सुरक्षित नहीं हो, आपकी इम्यूनिटी नहीं बढ़ती। हरियाणा के हैल्थ मिनिस्टर को जब फस्र्ट डोज लेने के बाद कोरोना पॉजिटिव आया तो सबने ये कहा कि इन्होंने सिर्फ फस्र्ट डोज लिया है, इसलिए ये सुरक्षित नहीं थे। दोनों डोज के बाद आपकी एंटी बॉडीज बनती है, अगर वो बात सही है, तो आप 4 महीने तक अगर सेकेंड डोज नहीं दोगे, तो आप उस 4 महीने तक फस्र्ट डोज लेने के बाद तो इसलिए एंटी बॉडीज नहीं बनेगी तो आप उसको खुला छोड़ रहे हो, जो सुरक्षित नहीं है और अगर सुरक्षित तभी होता है, जब गैप ज्यादा होना चाहिए तो फर्स्ट और सेकंड जिन्होंने नजदीक में ले लिया, तो उनको थर्ड डोज देना चाहिए क्योंकि तभी उनकी इम्यूनिटी बढ़ेगी। तो ये जो फ्लिप-फ्लॉप है, ये सुल्तान अपनी नाकामियां छुपाने के लिए ये सारी चीजों का खेल करा रहे हैं। क्योंकि आपके सवाल से ये साफ निकलता है कि अमेरिका के एक्सपर्ट ने कहा है कि अगर आपके पास डोज नहीं है, तो टाइम बढ़ा दो तो अच्छा है, इसी में इसका जवाब आ रहा है।
उन्होंने कहा- दूसरा आपका सवाल जो किसान वाला है, आप सभी को मैं कहना चाहता हूँ कि देश के इतिहास में कभी ऐसा नहीं हुआ है कि खाद के दाम 46 प्रतिशत से 58 प्रतिशत अलग-अलग खाद में बढ़ा हो, ऐसा आजतक देश की आजादी के इतिहास में कभी नहीं हुआ। डीएपी को खाद है, वो 1,200 रुपए में 50 किलोग्राम मिलता था, 1,900 रुपए हो गया है, उसी तरह से जो अलग-अलग खाद की जो अलग-अलग वैरायटी हैं, उन सभी में 46-58 प्रतिशत दाम बढ़ा दिया है। जीएसटी भी पहली बार लगाया गया है। 250 करोड़ की जीएसटी की इंकम ये बढ़े हुए दामों की वजह से एक्स्ट्रा इंकम सरकार को होगी, मानें आप किसान की जेब पर लूट करते हुए करोड़ों वहाँ से उठा लेते हो और फिर चवन्नी वापस उसकी जेब में डालते हो कि मैं ये किस्त दे रहा हूं, तो ये देश के किसान का अपमान है और इस देश का किसान अगर सुल्तान ये समझते हैं कि दिमाग मेरे ही पास है, तो मैं सुल्तान को कहना चाहता हूं कि कड़ी धूप में, खेत में काम करने वाला किसान उसके पास आपसे ज्यादा तेज दिमाग है, और आपने जो लूट मचाई खाद के दामों में और आप चवन्नी दे रहे हो, इससे देश का किसान आपके वोट बैंक नहीं बनेगा।
लखनऊ, 14 मई : उत्तर प्रदेश की जेल में हुए शूटआउट में तीन लोगां की मौत हो गई है. जानकारी के अनुसार, राज्य के चित्रकूट जेल में एक कैदी ने अपने दो साथियों को गोली मार दी, जिसमें दोनों को मौत हो गई. आधिकारियों ने कैदियों को समर्पण करने के लिए कहा, बाद में आत्मरक्षा में उसे गोली मारनी पड़ी. घटना की जांच के आदेश दिए गए हैं. विस्तृत जानकारी का इंतजार है. रगौली जेल के जेलर एसपी त्रिपाठी ने बताया कि जेल में बंद कुछ कैदियों के बीच हुई आपसी झड़प के दौरान एक बंदी ने दो कैदियों की गोली मारकर हत्या कर दी, बाद में जेल सुरक्षाकर्मियों ने उसे भी मार गिराया.जेलर त्रिपाठी ने बताया कि अभी फिलहाल जिले के वरिष्ठ अधिकारी घटनास्थल का निरीक्षण कर रहे हैं.
एक सवाल के जवाब में जेल अधिकारी ने बताया कि बीच-बचाव करने गए एक सुरक्षाकर्मी का सर्विस रिवाल्वर छीनकर बंदी ने दो कैदियों पर गोली चलाई. उधर, लखनऊ के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार जेल के अंदर मारे गए तीनों कैदियों में अंशु दीक्षित, मेराजुददीन उर्फ मेराज अली और मुकीम काला शामिल हैं.
सूत्रों के मुताबिक दीक्षित ने मेराज अली और मुकीम काला की गोली मारकर हत्या कर दी जबकि पुलिस द्वारा की गई रक्षात्मक कार्रवाई में अंशु दीक्षित मारा गया. सूत्रों ने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कैराना के लोगों के पलायन में मुकीम गैंग का नाम आया था जबकि मेराजुद्दीन उर्फ मेराज अली को मऊ जिले के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी का करीबी बताया जाता था. दीक्षित ठेके पर हत्या करने वाला अपराधी था, जिस पर कई आपराधिक मामले दर्ज थे. मेराज अली पिछली 20 मार्च को जिला जेल बनारस से प्रशासनिक आधार पर चित्रकूट जेल लाया गया था जबकि मुकीम काला को सात मई, 2021 को सहारनपुर जिला जेल से प्रशासनिक आधार पर चित्रकूट जेल में स्थानांतरित किया गया था. पुलिस की सुरक्षात्मक कार्रवाई में मारा गया तीसरा बंदी अंशु दीक्षित प्रशासनिक आधार पर आठ दिसंबर, 2019 को जिला जेल सुलतानपुर से लाकर चित्रकूट जेल में रखा गया था.अधिकारी के मुताबिक चित्रकूट जेल में घटना सुबह दस बजे हुई और दीक्षित ने मेराज और मुकीम को मारने के बाद पांच बंदियों को असलहे का भय दिखाकर अपने कब्जे में लिया था और उन्हें मारने की धमकी दे रहा था. जेल की स्थिति अब नियंत्रण में है. (भाषा)
तिनसुकिया, 14 मई : असम के तिनसुकिया जिले में एक बार ग्रेनेड विस्फोट हुआ है. इस विस्फोट से कथित तौर पर 1 व्यक्ति की मौत हो गई और 2 लोग घायल हो गए. बताया जा रहा है, ये विस्फोट तिनसुकिया के तिंगराई बाजार में हुआ है.
इससे पहले 11 मई को असम के तिनसुकिया में ग्रेनेड विस्फोट हुआ था. जिसमें एक 12 वर्षीय लड़के की मौत हो गई थी. तिनसुकिया के पुलिस अधीक्षक वैभव निंबालकर ने बताया था कि सड़क किनारे पड़ा ग्रेनेड उस समय अचानक फट गया, जब सुजॉय हाजोंग जगुन थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले हाजोंग गांव में अपनी साइकिल चला रहा था.
भारत में कोरोना की दूसरी लहर ग्रामीण इलाकों में भी कहर ढा रही है. इस महामारी के दौरान जब महानगरों और शहरों में स्वास्थ्य का ढांचा बुरी तरह चरमरा गया है, ग्रामीण इलाकों की हालत और बुरी है.
डॉयचे वैले पर प्रभाकर मणि तिवारी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश और बिहार में गंगा नदी में बहते सैकड़ों शव तो महज एक मिसाल हैं. पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों में तो गांवों में इतना आतंक है कि लोग डर के मारे न तो जांच कराने जा रहे हैं और न ही अस्पताल में भर्ती होने. वहां होने वाली मौतों को कोरोना से हुई मौतों की सूची में भी जगह नहीं मिल रही है. ऐसे में कोरोना के असली आंकड़े भयावह हो सकते हैं. अब कई शहरों में संक्रमण की दर घट रही है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में यह लगातार तेज हो रही है.
पर्याप्त जांच नहीं होने की वजह से देहाती इलाकों से असली आंकड़े भी सामने नहीं आ रहे हैं. एक तो जांच की सुविधा कम है और दूसरे आतंक के मारे लोग जांच कराने भी नहीं पहुंच रहे हैं. संक्रमण के लक्षण उभरने के बाद लोग नीम हकीमों से पूछ कर दवा खा रहे हैं. उनमें से कइयों की संक्रमण से मौत हो रही है. लेकिन ऐसे मृतकों को कोरोना से मरने वालों की सूची में शामिल नहीं किया जाता. इसलिए तमाम देशी-विदेशी अखबारो में दावे किए जा रहे हैं कि कोरोना से मरने वालो की तादाद सरकारी आंकड़ों के मुकाबले कम से कम दस गुनी ज्यादा है.
दर्जन भर राज्यों में तेज संक्रमण
देश के कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित 24 में से 13 राज्य ऐसे हैं जहां अब ग्रामीण इलाको में संक्रमण तेजी से फैल रहा है. इनमें से कई जिले ऐसे हैं जहां हर दूसरा व्यक्ति पाजिटिव मिल रहा है. ऐसे मामलों में छत्तीसगढ़ पहले स्थान पर है जहां कुल मामलों में से 89 फीसदी ग्रामीण इलाकों से सामने आ रहे हैं. इसके बाद क्रमशः 79 और 76 फीसदी के साथ हिमाचल प्रदेश और बिहार का स्थान है. हरियाणा में 50 फीसदी मरीज शहरी और 50 फीसदी संक्रमित ग्रामीण इलाकों से हैं.
ऐसे राज्यों में ओडीशा के अलावा राजस्थान, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर का भी स्थान है. पश्चिम बंगाल में कोरोना संक्रमण के मामले में उत्तर 24-परगना जिला अब राजधानी कोलकाता को टक्कर देने लगा है. जिले में रोजाना करीब चार हजार नए मामले सामने आ रहे हैं और औसतन 35 मरीजों की मौत हो रही है. इस जिले में अप्रैल की शुरुआत में रोजाना चार सौ नए मरीज आ रहे थे. लेकिन ग्रामीण इलाकों में संक्रमण बढ़ने की वजह से यह तादाद अब दस गुना बढ़ कर चार हजार तक पहुंच गई है.
उत्तर प्रदेश में भी ग्रामीण इलाकों में कोरोना मामलों में भारी इजाफा हुआ है. राज्य में लागू लॉकडाउन को बढ़ा दिया गया है. गुजरात सरकार ने 36 शहरों में रात का कर्फ्यू लगा दिया है, लेकिन गांवों में कोरोना की वजह से स्थिति भयावह होती जा रही है. मध्यप्रदेश के ग्रामीण इलाकों में भी हालत बिगड़ रही है. राज्य में 819 कोविड सेंटर हैं जिनमें से महज 69 ग्रामीण इलाकों में हैं.
बिहार में सरकार के लिए चिंता की बात यह है कि कोरोना ने अब गांवों को अपना ठिकाना बना लिया है. राज्य में 76 फीसदी से ज्यादा मामले गांवों से आ रहे हैं. गांवों में बड़े पैमाने पर टेस्ट की सुविधा नहीं है. आंकड़ों से साफ है कि ग्रामीण क्षेत्रों में हालात काफी तेजी से बिगड़े हैं. बिहार में 9 अप्रैल को कोरोना संक्रमण के कुल मामलों में शहरी इलाकों के 47 फीसदी और ग्रामीण इलाकों के 53 फीसदी थे. एक महीने बाद 9 मई को शहरी क्षेत्रों के मामले जहां 24 फीसदी पर आ गए, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में इनका अनुपात बढ़कर 76 फीसदी पर पहुंच गया. इसी तरह उत्तर प्रदेश में नौ अप्रैल को कुल संक्रमितों में ग्रामीण इलाकों का अनुपात 49 फीसदी था जो 9 मई को बढ़कर 65 फीसदी हो गया.
बंगाल में देहाती इलाके बदहाल
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से सटे उत्तर 24-परगना जिले के वनगांव इलाके के नीरेद नाथ पाल बताते हैं कि उनके गांव में पहले तो कोरोना की जांच नहीं हो पा रही है और जांच हुई भी रिपोर्ट आने में तीन से चार दिन लग रहे हैं. उसके बाद अस्पतालों में बेड के लिए दो-तीन दिन जूझना पड़ता है. पश्चिम बंगाल सरकार भले बेड और ऑक्सीजन की कमी नहीं होने का दावा करे, ग्रामीण इलाकों की तस्वीर बदहाल ही है. झारखंड से सटे बांकुड़ा जिले में यह संक्रमण तेजी से फैल रहा है. लेकिन सरकारी आंकड़ों में जमीनी तस्वीर नहीं नजर आती.
स्थानीय पत्रकार सौरव दास बताते हैं, "गांवों में यह महामारी घर-घर फैल गई है. लेकिन पहले तो पर्याप्त टेस्ट नहीं हो रहे हैं और दूसरे लोग सामाजिक बॉयकाट के डर से जांच कराने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं. लक्षण नजर आते ही लोग डाक्टरों से दवाएं ले कर घर पर ही इलाज कर रहे हैं. इस वजह से मौतें भी हो रही हैं.” वह बताते हैं कि जिले में अस्पतालों में बेड और आक्सीजन की समस्या नहीं है. इसकी वजह मरीजों का अस्पताल नहीं पहुंचना है. ज्यादातर अस्पतालों में आरटी-पीसीआर जांच की किट नहीं है.
दो सप्ताह पहले तक राज्य में नए मरीजों की दैनिक तादाद 16 हजार से कम थी जो अब 20 हजार के पार पहुंच गई है. इसी तरह मौत का दैनिक आंकड़ा भी 68 से 134 तक पहुंच गया है. राज्य में मृत्युदर 1.23 फीसदी है. सबसे ज्यादा मरीज कोलकाता और उत्तर 24-परगना के अलावा हावड़ा और हुगली जिलों से आ रहे हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का सवाल है कि जब जांच ही नहीं हो पा रही है तो असली आंकड़े कहां से मिलेंगे? घंटों कतार में रहने के बाद अगर जांच हुई भी तो इसकी रिपोर्ट मिलने में तीन से चार दिन लग जाते हैं.
खस्ताहाल आधारभूत ढांचा
कोरोना महामारी की खासकर दूसरी लहर ने पश्चिम बंगाल के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य के आधारभूत ढांचा की असलियत उधेड़ दी है. राज्य में 923 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं. ग्रामीण इलाकों के लोग इलाज के लिए सबसे पहले वहीं पहुंचते हैं. स्वास्थ्य विभाग के रिटायर्ड अधिकारी अनिमेष बर्मन बताते हैं, ऐसे हर केंद्र पर कम से कम पांच डॉक्टरों की नियुक्ति का प्रावधान है. लेकिन ज्यादातर में एक ही डॉक्टर है. इसी तरह 348 ग्रामीण अस्पतालों में 1740 विशेषज्ञ डॉक्टरों के करीब डेढ़ हजार पद खाली हैं. पुरुष औऱ महिला सहायकों के स्वीकृत पद भी हजारों की तादाद में खाली हैं. इसलिए मरीजों की भीड़ से निपटने में दिक्कत हो रही है.
राज्य के मुख्य सचिव आलापन बनर्जी बताते हैं, "सरकार ने इंटीग्रेटेड कोविड मैनेजमेंट सिस्टम (आईसीएमसी) शुरू किया है वहां एक ही जगह बेड से लेकर आक्सीजन और वैक्सीन की जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है. इसके साथ ही आक्सीजन मैनेजमेंट इन्फार्मेशन सिस्टम भी शुरू किया गया है.” स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि महामारी की दूसरी लहर में जब बड़े महानगरों की हालत पस्त हो चुकी है तो ग्रामीण इलाको में स्थिति का अनुमान लगाना कोई मुश्किल नहीं है.
ज्यादातर राज्यों के ग्रामीण इलाकों में न तो पर्याप्त अस्पताल हैं और न ही डाक्टर या दूसरे चिकित्साकर्मी. वहां कोरोना जांच की सुविधा भी सीमित या नगण्य है. ऐसे में इलाके के लोग भगवान भरोसे ही हैं. इसके अलावा सामाजिक वहिष्कार के डर से भी लोग कोरोना की जांच नहीं करा पा रहे हैं. संक्रामक बीमारियों के विशेषज्ञ डा. कल्लोल चक्रवर्ती कहते हैं, "तमाम राज्यों में ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य के आधारभूत ढांचे को मजबूत करना कभी किसी सरकार की प्राथमिकता सूची में नहीं रहा. अब उस लापरवाही का गंभीर खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. अब भी सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए ताकि आगे आने वाली ऐसी किसी दूसरी महामारी या कोरोना की संभावित तीसरी लहर का मुकाबला किया जा सके.” (dw.com)
हिंद महासागर सबसे तेजी से गरम होने वाला महासागर ही नहीं जलवायु परिवर्तन के नाते भी अहम है. इसलिए वैज्ञानिकों ने महासागरीय अध्ययन प्रणाली को अपग्रेड करने का प्रस्ताव दिया है. अध्ययन और प्रभाव के धुरी देशों में भारत भी है.
डॉयचे वैले पर शिवप्रसाद जोशी की रिपोर्ट
जलवायु और महासागरीय परिवर्तनों में बढ़ोत्तरी को देखते हुए हिंद महासागर में एक परिष्कृत निगरानी सिस्टम का प्रस्ताव दिया गया है. हिंद महासागर के बदलावों पर नजर रखने के लिए वैज्ञानिकों ने बहुराष्ट्रीय महासागरीय निगरानी तंत्र- हिंद महासागर ऑब्जर्विंग सिस्टम (आईएनडीओओएस) को भी अपग्रेड करने का सुझाव दिया है. उनके मुताबिक तेज गति से हो रहे जलवायु परिवर्तनों को देखते हुए एक ठोस, परिपक्व और समर्थ पर्यवेक्षण सिस्टम को विकसित करने की सख्त जरूरत है. अपग्रेड के जरिए खतरे की जद में आ चुके इकोसिस्टम को बचाने और मॉनसून को समझने के नये तरीके विकसित किए जाएंगें. बारिश, सूखे और लू की भविष्यवाणियों में सुधार की कोशिश भी इस अभियान का एक हिस्सा होगा. हिंद महासागरीय जलवायु और इकोसिस्टम की स्थिति और उसके भविष्य के आकलन का ज्ञान एक व्यापक सामाजिक आर्थिक और पर्यावरणीय डाटा पर निर्भर है जिसका उल्लेखनीय हिस्सा इन्डूस मुहैया कराता है.
जलवायु परिवर्तन पर निगरानी का केंद्र
इन्डूस की स्थापना 14 साल पहले हुई थी. हिंद महासागर क्षेत्र और उससे इतर भी मानव निर्मित जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को बेहतर समझ विकसित करने के लिए ये सिस्टम बनाया गया था. प्रतिष्ठित पर्यावरणीय वेब पत्रिका मोंगाबे के भारतीय संस्करण में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक 60 से अधिक वैज्ञानिकों ने तेजी से गरम होते इस भूगर्भीय और महासागरीय क्षेत्र में सिस्टम को अपग्रेड करने का सुझाव दिया है. हिंद महासागर की परिधि में आने वाले 22 देशों में भारत भी एक है. दुनिया की एक तिहाई आबादी हिंद महासागर के किनारों पर बसर करती है. और दुनिया का सबसे तेजी से गरम हो रहा महासागर भी यही है. यानी जलवायु परिवर्तन के लिहाज से सबसे ज्यादा निगाहें इसी महासागर की हलचलों पर लगी हैं.
विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययनों में ये बात सामने आ चुकी है कि यदि तापमान में बढ़ोत्तरी की मौजूदा प्रवृत्ति जारी रहती है तो 2050 में ही हिंद महासागर में अल नीनो की परिघटना पैदा हो सकती है. वैज्ञानिक मानते है कि हिंद महासागर में जलवायु के उतार चढ़ाव की प्रबल संभावना है. भारत सहित हिंद महासागरीय तटीय देशों में चरम मौसमी घटनाओं की बढ़ती आवृत्ति और तीव्रता इस बात का प्रमाण है कि वैश्विक तापमान में वृद्धि से होने वाला जलवायु परिवर्तन अपना प्रभाव दिखाने लगा है. हिंद महासागर से जुड़ी चिंताओं के अलावा ध्रुवीय हिम के पिघलाव में आ रही तेजी चिंता का सबब बनी है. संयुक्त राष्ट्र की जलवायु परिवर्तन कमेटी की 2013 की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस शताब्दी के अंत तक अंटार्कटिक की बर्फ के पिघलने से समुद्र का जलस्तर पांच सेंटीमीटर बढ़ेगा. हालांकि नये अध्ययनों में माना जा रहा है कि ध्रुवीय हिम के पिघलने से वर्ष 2100 तक समुद्री जलस्तर लगभग 40 सेंटीमीटर बढ़ जाएगा. यानी एक लिहाज से देखा जाए तो अविश्वसनीय और अकल्पनीय सा लगने वाला, वृद्धि का ये अनुमान तथ्य, डाटा और वस्तुस्थिति की सटीक गणनाओं और वैज्ञानिक मापन पर आधारित एक वास्तविक अनुमान है और मनुष्य के अस्तित्व के लिए चिंताजनक भी.
अम्फान की बरसी और वैज्ञानिकों का सुझाव
एक वृहद और सूक्ष्म निगरानी और मापन तंत्र विकसित करने के लिए वैज्ञानिकों का कहना है कि हिंद महासागर के देशों को ना सिर्फ संसाधनों और क्षमताओं की जरूरत है बल्कि लक्ष्य निर्धारित करना और बेहतर प्रशासनिक ढांचा विकसित करना भी उतना ही जरूरी है. आंकड़ों की साझेदारी को भी अहम बताया गया है. बेहतर नतीजों के लिए देशों के बीच नये समझौतों और नई भागीदारियों की जरूरत भी है. अभी सिर्फ 15 देश इस नेटवर्क में शामिल हैं.
वैज्ञानिकों के मुताबिक इन्डूस के सुझाव भारत के लिए भी खासतौर पर महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि बंगाल की खाड़ी और अरब सागर की हलचलों को भी इस व्यापक अध्ययन के जरिए समझने में मदद मिलेगी और उन सागरों में हो रही अवांछित मौसमी परिघटनाओं और परिवर्तनों के लिए सतर्क और तैयार रहा जा सकेगा. इन्डूस से पहले हिंद महासागर का कोई टिकाऊ और व्यवस्थित पर्यवेक्षण नहीं होता था. महासागर इतना विशाल है और इसमें इतनी अधिक ताप निहित है कि इसके बदलावों पर नजर रखना जरूरी है जिससे कि जलवायु में बदलाव को समझा जा सके और तदनुसार भविष्यवाणी की जा सके. खेती, मछलीपालन, परिवहन, जलीय गतिविधियों और निर्माण आदि में भी ये जानकारियां आगे काम आती हैं. इलाकाई मॉनसून को समझने और जलवायु की बदलती स्थितियों और मौसमी आफतों के आकलन में भी इन अध्ययनों की जरूरत पड़ती है.
ऐसे अध्ययनों की और इसके लिए इन्डूस के सिस्टम को अपग्रेड करने की जरूरत इसलिए भी बतायी जा रही है कि आने वाले समय में चक्रवात और समुद्री तूफान जैसे हालात से नुकसान को न्यूनतम किया जा सके और समय रहते आपना प्रबंधन और न्यूनीकरण अभियान शुरू किया जा सके. एक साल पहले इन्हीं दिनों हिंद महासागर में आए सुपर साइक्लोन अम्फान की भला किसे याद नहीं होगी जो कि संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक जान माल के नुकसान के लिहाज से बहुत महंगा साबित हुआ था. भारत और बांग्लादेश ने इसका सर्वाधिक नुकसान झेला था. अकेले भारत को 14 अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा था. आंकड़े बताते हैं कि बाढ़, सूखे और साइक्लोन से पिछले पांच दशकों मे करीब एक लाख चालीस हजार लोगों की जान जा चुकी हैं. (dw.com)
बिहार के मुजफ्फरपुर की महिलाओं के एक समूह ने कोरोना संक्रमितों की मदद के लिए ऑक्सीजन और खाना पहुंचाने का जिम्मा उठाया है. वे मरीजों को जरूरी चीजें देने के अलावा उनका हाल जानने के लिए रोज फोन करती हैं.
बिहार के मुजफ्फरपुर की ये महिलाएं अब तक 45 से अधिक घरों में संक्रमितों को मुफ्त में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर पहुंचा चुकी हैं. साथ ही, होम आइसोलेशन में रह रहे परिवारों के लिए नाश्ता और खाना भी पहुंचा रही हैं. महिलाओं को एकजुट करने वाली लाजो केडिया बताती हैं कि यहां होम आइसोलेशन में रहने वाले संक्रमितों को काफी परेशानी हो रही थी. उन्होंने बताया कि जब मरीजों को ऑक्सीजन का संकट हुआ तो उन्होंने कंसंट्रेटर उपलब्ध कराना शुरू किया. इन महिलाओं के सामने आने के बाद जिन घरों में कल तक बेचैनी थी, अब उन घरों में निश्चिंतता है.
लाजो कहती हैं कि उन लोगों ने करीब 25 दिनों में 45 से अधिक घरों में ऑक्सीजन के सिलेंडर पहुंचाए हैं. उनके मुताबिक मदद पाने वाले अधिकांश मरीज अब ठीक होने की स्थिति में हैं और कई तो निगेटिव हो गए हैं.
वे बताती हैं कि लोग परेशान थे, पैसे रहते लोगों को ऑक्सीजन नहीं मिल रही थी. ऐसे में उन्हें कंसंट्रेटर से ऑक्सीजन देने की जानकारी मिली और उन लोगों ने इसे खरीदने का निर्णय लिया. मुजफ्फरपुर की महिला संगठन ने तत्काल 12 कंसंट्रेटर खरीदे. लाजो कहती हैं, "जब बिहार में कंसंट्रेटर उपलब्ध नहीं थे, तो रिश्तेदारों की मदद से अन्य राज्यों और नेपाल से कंसंट्रेटर खरीदे गए. हमने 11 ऑक्सीजन सिलेंडर भी मंगवाए हैं, जिनसे लोगों की मदद की जा सके."
लायंस क्लब की एक सदस्य अलका अग्रवाल बताती हैं कि जिन मरीजों को कंसंट्रेटर या ऑक्सीजन सिलेंडर दिया जाता है उनसे हर रोज फोन कर हालचाल लिया जाता है, जिससे मरीज का बीमारी से लड़ने के लिए उत्साह बना रहे. मरीज के ठीक होने के बाद कंसंट्रेटर वापस ले लिया जाता है. उन्होंने कहा कि यह सेवा पूरी तरह निशुल्क 24 घंटे चल रही है.
लाजो कहती हैं कि इस बीच यह भी देखने को मिला कि जब पूरे घर के सदस्य संक्रमित हो गए तो उनके सामने खाना बनाने की भी समस्या भी हो जाती है. इसके बाद इन महिलाओं ने ऐसे घरों में नाश्ता और खाना पहुंचाने का भी बीड़ा उठाया. उन्होंने बताया कि खाने में दाल, चावल, रोटी और सब्जी भेजी जा रही है. मरीजों के घर में खाना पहुंचाने के लिए ये महिलाएं अपने-अपने घरों में ही खाना पकाती हैं और एक जगह जमा होकर संक्रमितों के घर पहुंचा दिया जाता है. लाजो ने बताया कि फिलहाल दिन में करीब 250 और रात में करीब 400 रोटियां बनाई जा रही हैं और ऐसे घरों में पहुंचाई जा रही है.
आईएएनएस
नई दिल्ली, 14 मई : देश में शुक्रवार, 14 मई, 2021 को ईद-उल-फितर मनाई जा रही है. इस मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित कई लोगों ने ईद की मुबारकें दी हैं. राष्ट्रपति कोविंद ने देशवासियों को ईद-उल-फितर की बधाई देते हुए आह्वान किया कि वे कोविड-19 को हराने के लिए नियमों और दिशानिर्देशों का अनुपालन करें, साथ ही देश और समाज की भलाई के लिए काम करें.
राष्ट्रपति ने अपने संदेश में कहा, ‘ईद-उल-फितर का पावन त्योहार रमजान के संपन्न होने पर भाईचारे और सदभावना के अवसर के रूप में मनाया जाता है. ईद-उल-फितर खुद को मानवता की सेवा की ओर मोड़ने और जरूरतमंद की जिंदगी को बेहतर बनाने के अवसर के तौर पर भी मनाया जाता है.'
उन्होंने कहा, ‘हम सभी संकल्प लें कि कोविड-19 की इस महामारी में सभी नियमों और दिशानिर्देशों का अनुपालन करेंगे और समाज और देश की भलाई के लिए काम करेंगे. इस मौके पर मैं सभी देशवासियों, खासतौर पर मुस्लिम भाइयों और बहनों को बधाई देता हूं.'
पीएम मोदी ने भी ट्विटर पर बधाइयां दीं. उन्होंने कहा, 'ईद-उल-फितर के मौके पर सभी को शुभकामनाएं. मैं सभी के बेहतर स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना कर रहा हूं. आशा है कि हम सब की मिली-जुली हुई कोशिशों से हम इस महामारी से उबर जाएंगे और मानवता के कल्याण के कामों को और आगे ले जाएंगे.'
राहुल गांधी ने भी इस मौके पर ट्वीट कर कहा, 'इस मुश्किल समय में भाईचारे से एक-दूसरे की मदद करना ही हर धर्म-मज़हब की सीख है- यही हमारे देश की परम्परा रही है. आप सभी को ईद मुबारक!'
वहीं, दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया की कुलपति नजमा अख्तर ने भी विद्यार्थियों, शिक्षकों और गैर शैक्षक कर्मियों को ईद-उल-फितर की बधाई दी. उन्होंने कहा, ‘बेहतर दिन आने वाले हैं.' अख्तर ने बधाई पत्र में लोगों को मौजूदा स्थिति में सकारात्मक रहने के लिए प्रोस्ताहित किया. उन्होंने लिखा, ‘हम ईद पर मिलकर प्रार्थना करें कि हममें कभी खत्म नहीं होने वाली उम्मीद, सकारात्मकता और भरोसा बना रहे ताकि हम कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में मजबूत होकर खड़े रह सकें.' (भाषा)
जयपुर, 13 मई | राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने गुरुवार को कहा कि टीकों की कमी के कारण राज्य में टीकाकरण अभियान प्रभावित हो रहा है और लगभग 20 लाख खुराक की आवश्यकता है। "राज्य सरकार केंद्र सरकार और वैक्सीन आपूर्ति करने वाली कंपनियों से लगातार संपर्क करने की कोशिश कर रही है, लेकिन दोनों में से सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है। आखिरकार, टीकाकरण की प्रक्रिया मजबूत वैक्सीन संरचना के बावजूद टीकों की अनुपस्थिति के कारण एक चुनौती बन रही है।"
"जबकि 18 से 44 आयु वर्ग अत्यधिक प्रभावित है, 45 साल से अधिक उम्र के लोगों को भी वैक्सीन की उपलब्धता के बारे में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।"
शर्मा ने कहा कि 45 वर्ष से अधिक आयु वाले लोग 2.9 करोड़ हैं।
"हमने प्रति दिन 7 लाख लोगों को टीका लगाने की एक संरचना विकसित की है और इसलिए 60 वर्ष से अधिक उम्र के 80 प्रतिशत लोगों को पहली खुराक के साथ टीका लगाया गया है और 33 प्रतिशत को दूसरी खुराक के साथ टीका लगाया गया है।"
मंत्री ने कहा कि 18-44 वर्ष की आयु के लोगों की संख्या 3 करोड़ से अधिक है और इसलिए 3.75 करोड़ खुराक की आपूर्ति करने के लिए कहा गया है, लेकिन अब तक केवल 6.5 लाख खुराक भेजी गई हैं।(आईएएनएस)
मुंबई 13 मई| महाराष्ट्र में कोविड-19 से हुई मौतों का आंकड़ा बढ़ा है, लेकिन संक्रमण के नए मामलों में कमी आई है। गुरुवार को मुंबई में मरने वालों की कुल संख्या 14 हजार के पार चली गई। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। बुधवार को 816 मौतों की तुलना में, गुरुवार को राज्य में कोविड से 850 लोगों की मौत हो गई।
मुंबई की स्थिति में सुधार जारी है। यहां संक्रमण का स्तर 3 हजार के स्तर से नीचे आ गया है। बुधवार को नए मामलों का आंकड़ा 2,104 था जो गुरुवार को घटकर 1,952 हो गया। शहर में कुल संक्रमितों की संख्या अब 683,185 हो गई है।
मुंबई में बुधवार को मौतों की संख्या 66 थी जो गुरुवार को बढ़कर 68 हो गई। देश की वाणिज्यिक राजधानी में मौतों का कुल आंकड़ा 14 हजार का निशान पार करते हुए 13,972 से अब 14,040 हो गई है, जो देश के किसी एक शहर में सबसे अधिक है।
11 दिनों तक स्थिर रहने के बाद राज्य में सक्रिय मामलों की संख्या 546,129 से घटकर 533,294 हो गई। इस बीच 54,535 मरीज पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं। अब तक कुल 46,54,731 लोग ठीक हो चुके हैं। (आईएएनएस)
गुवाहाटी, 14 मई| नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) के असम समन्वयक ने इस प्रक्रिया में 'बड़ी अनियमितताओं' को उजागर करते हुए 'नागरिकों की सूची के व्यापक और समयबद्ध पुन: सत्यापन' के लिए सर्वोच्च न्यायालय से आग्रह किया है। अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों ने कहा कि असम एनआरसी समन्वयक हितेश देव सरमा ने अपने संवादात्मक आवेदन में असम के मतदाता सूची से अवैध मतदाताओं को हटाने के लिए भी प्रार्थना की, साथ ही एनआरसी के मसौदे में संशोधन और नागरिकता के अनुसूची के एक प्रासंगिक खंड के तहत एक अनुपूरक सूची और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना (नियम, 2003) भी शामिल है।
एक अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि देव सरमा ने मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा से मुलाकात के बाद दो दिन पहले 8 मई को आवेदन भरा। मुख्यमंत्री ने सोमवार को पद संभालने के बाद कहा था कि राज्य सरकार सीमावर्ती क्षेत्रों में एनआरसी सूची की 20 प्रतिशत और असम के अंदर 10 फीसदी जांच करेगी।
इस मामले को शीर्ष अदालत ने 11 मई को स्वीकार कर लिया था।
देव सरमा ने सर्वोच्च न्यायालय में अपने आवेदन में कहा : उचित निर्देश पारित करें कि संबंधित जिलों में एक निगरानी समिति की देखरेख में पुन: सत्यापन किया जाए और ऐसी समिति का संबंधित जिला न्यायाधीश, जिला मजिस्ट्रेट और अधीक्षक द्वारा अधिमानत: प्रतिनिधित्व किया जा सकता है।
आवेदन में कहा गया है, इस तरह के अन्य या आगे के निर्देश पारित करें, जैसा कि आपके आधिपत्य को मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में उचित और उचित लग सकता है।
असम में 1951 एनआरसी को अद्यतन करने के लिए शीर्ष अदालत द्वारा निगरानी अभ्यास शुरू करने के लिए वैधानिक अधिसूचना दिसंबर 2013 में जारी की गई थी।
अगस्त 2019 में मसौदा सूची प्रकाशित की गई थी, जिसमें उनकी भारतीय नागरिकता स्थापित करने के लिए पर्याप्त दस्तावेजों की कमी के लिए 3.3 करोड़ आवेदनों में से 19.06 लाख को शामिल किया गया था। (आईएएनएस)
बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में नदियों में बहती हुई लाशें मिलने के बाद अब पश्चिम बंगाल में भी अलर्ट जारी हो गया है. वहां का प्रशासन नदी में तैरती हुई लाशों को लेकर सजग हो गया है.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट
बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में आखिर अचानक इतनी बड़ी संख्या में नदियों में तैरती हुई लाशें कैसे सामने आईं यह अभी तक रहस्य बना हुआ है. बिहार के बक्सर में गंगा नदी में बहती हुई कई लाशों के मिलने के कई दिनों बाद भी अभी तक प्रशासन ने इस बात की पुष्टि नहीं की है कि लाशें कोविड-19 से संक्रमित थीं या नहीं. मंगलवार 11 मई को बक्सर के एक गांव में नदी किनारे मिले दर्जनों शव बरामद करने के बाद जिला प्रशासन ने वहां नदी में एक बड़ा जाल लगा दिया था.
बिहार के स्थानीय मीडिया में आई खबरों में दावा किया गया है कि बुधवार को इस जाल में कम से कम पांच शव और मिले. इस तरह मिलने वाले शवों की कुल संख्या 81 हो गई है और प्रशासन का कहना है कि सभी के जांच सैंपल और डीएनए सैंपल लेकर उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया है.
बिहार और उत्तर प्रदेश के अधिकारियों के बीच झगड़ा इस बात पर हो रहा है कि लाशें बिहार के लोगों की थीं या उत्तर प्रदश की या कहीं और दूर से बह कर आई थीं. बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय झा ने कहा है कि शवों के पोस्टमार्टम के बाद पता चला कि वो कम से कम 3-4 दिन पुराने हैं, जिसका मतलब है कि वो कहीं दूर से बह कर आए हैं. उन्होंने यह भी कहा है कि बिहार में शवों को पानी में बहा देने की कोई प्रथा नहीं है.
यह सवाल अभी भी बना हुआ है कि अगर शवों को बहाने की कोई प्रथा है नहीं तो आखिर शव नदी में पहुंचे कैसे. अटकलें लग रही हैं कि संभवतः गरीब परिवारों ने शवों के दाह संस्कार का खर्च उठाने में असमर्थता की वजह से शवों को नदी में प्रवाहित कर दिया होगा, लेकिन इस तरह की घटनाओं की पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है.
इस बीच स्थानीय लोगों में चिंता इस बात की है कि शवों की वजह से नदी का पानी कहीं संक्रमित ना हो गया हो और अगर ऐसा हुआ होगा तो उसका नदी के आस पास के इलाकों में रहने वाले लोगों पर क्या असर पड़ेगा. इस बीच उत्तर प्रदेश के उन्नाव में गंगा नदी के किनारे रेत में दबे हुए शव दिखाई देने की खबर आई है.
मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि अधिकारियों ने शवों के मिलने की पुष्टि की है लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि शव कोविड-19 से संक्रमित लोगों के थे या नहीं और आखिरकार वो यहां कैसे मिले. दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में भी प्रशासन नदी में लाशों के मिलने के प्रति सजग हो गया है.
गंगा उत्तर प्रदेश और बिहार से होते हुए पश्चिम बंगाल पहुंचती है. मालदा प्रशासन के अधिकारियों को चिंता है कि कहीं कुछ शव और आगे बहते बहते वहां ना पहुंच जाएं. प्रशासन के कर्मी लगातार नावों में गश्त लगा रहे हैं और मछुआरों को भी आगाह कर दिया गया है. (dw.com)
नई दिल्ली, 13 मई : सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकारों के लिए वर्चुअल सुनवाई की सुविधा के लिए APP जारी किया. प्रधान न्यायाधीश (CJI) एनवी रमना ने कहा कि अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग की तैयारी भी की जा रही है. CJI ने इस दौरान कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पहले कर्मचारी को 21 अप्रैल 2020 को कोविड हुआ. आज तक 800 से अधिक SC कर्मचारियों को कोविड हो चुका है, हमने 3 मूल्यवान अधिकारियों को खो दिया है. उन्होंने कहा, 'जहां तक भारतीय न्यायपालिका का संबंध है, 2768 न्यायिक अधिकारियों और 106 हाईकोर्ट जजों को भी कोरोना हुआ. 32 न्यायिक अधिकारियों और 2 हाईकोर्ट जजों ने अपनी जान गंवाई है.'सीजेआई ने कहा,'जिन परिवारों ने अपनों को खोया है, उनके प्रति मेरी संवेदना है.'