अंतरराष्ट्रीय
अमेरिकी संसद पर अपने समर्थकों के हमले के ठीक पहले दिए भाषण का राष्ट्रपति ट्रंप ने बचाव किया है.
एंड्रयू एयरफ़ोर्स बेस पर पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने कहा, "आपको हमेशा हिंसा से बचना चाहिए. हमें बहुत समर्थन है, शायद ऐसा समर्थन है जैसा इससे पहले किसी ने देखा नहीं होगा."
लेकिन पत्रकारों ने जब उनसे पूछा कि संसद भवन में जो कुछ हुआ उसमें उनकी व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी कितनी थी, तो उनका जवाब था, अगर आप मेरा भाषण सुनेंगे और कई लोगों ने सुना है और मैंने अख़बारों और टीवी में देखा है. इसका आकलन किया गया है और लोगों को लगता है कि मैंने जो भी कहा था वो बिल्कुल वाजिब था.
ट्रंप ने आगे कहा, वरिष्ठ नेताओं समेत कई लोगों ने कहा है कि पुलिस हिरासत में जॉर्ज फ़्लॉयड की मौत के बाद पिछले साल हुए विरोध प्रदर्शन और दंगे वाशिंगटन में हुए दंगों से ज़्यादा चिंताजनक थे.
ट्रंप के भाषण के बाद जब उनके समर्थकों ने पुलिस पर हमले शुरू कर दिए थे उससे दो घंटे पहले ट्रंप ने भीड़ से कहा था, ''हमलोग जहन्नम की तरह लड़ते हैं. और अगर आप जहन्नम की तरह नहीं लड़ते हैं तो फिर आप इस देश को नहीं बचा पाएंगे.''
डेमोक्रैट्स का कहना है कि ट्रंप के शब्द बग़ावत की एक कोशिश थी. (बीबीसी)
जर्मनी के डॉयचे बैंक ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी कंपनियों से व्यापारिक रिश्ता ख़त्म करने की घोषणा की है.
डॉयचे बैंक ट्रंप की कंपनियों के लोन का एक बहुत बड़ा स्रोत है और बैंक का यह फ़ैसला ट्रंप के व्यापार के लिए बहुत बड़ा धक्का हो सकता है.
डॉयचे बैंक ने ऐसे समय में यह फ़ैसला किया है जब कई दूसरे संगठन भी ट्रंप से अपने रिश्ते ख़त्म करक रहे हैं.
ट्विटर से लेकर प्रोफ़ेशनल गोल्फ़र्स एसोसिएशन तक सभी ने ट्रंप से संबंध तोड़ लिया है. इन सभी कंपनियों ने ट्रंप ब्रैंड को बनाने में अहम भूमिका निभाई थी.
बैंक ने इस बारे में आधिकारिक रूप से कोई बयान नहीं दिया है लेकिन रिपोर्ट का कहना है कि बैंक अब ट्रंप के साथ कोई भी बिज़नेस नहीं करेगा.
90 के दशक में जब ट्रंप दिवालिया होने के कगार पर थे तो डॉयचे बैंक अकेला बैंक था जिसने ट्रंप को लोन दिया था.
ट्रंप समूह को अभी डॉयचे बैंक को अगले कुछ सालों में 34 करोड़ डॉलर का लोन चुकाना है.
ट्रंप समूह के एक और बैंकर सिग्नेचर बैंक ने कहा है कि वो ट्रंप के दो निजी बैंक खाते को बंद कर रहा है. (बीबीसी)
अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ़ रिप्रेज़ेन्टेटिव्स में इस समय राष्ट्रपति ट्रंप को हटाने के लिए एक प्रस्ताव पर बहस जारी है.
प्रस्ताव में कहा गया है कि ट्रंप ने 'पूरे प्रचार-प्रसार के साथ और खुल कर उस भीड़ को उकसाया' था जिसने पिछले हफ़्ते अमेरिकी संसद पर हमला किया था.
प्रस्ताव में आगे कहा गया है कि उप-राष्ट्रपति माइक पेन्स को राष्ट्रपति की ज़िम्मेदारी संभाल लेनी चाहिए.
डेमोक्रैट्स जिनका फ़िलहाल सदन में बहुमत है, वो पेन्स से आग्रह कर रहे हैं कि वो 'फ़ौरन' संविधान के 25वें संशोधन का इस्तेमाल करते हुए राष्ट्रपति ट्रंप को इस पद के अयोग्य घोषित करें.
25वें संशोधन के तहत उप-राष्ट्रपति को राष्ट्रपति बनने का अधिकार होता है जब राष्ट्रपति अपनी ज़िम्मेदारियों को निभाने में असमर्थ होते हैं, मिसाल के तौर पर अगर वो शारीरिक या मानसिक बीमारी के कारण अयोग्य हो जाते हैं.
सदन में इस समय 25वें संशोधन के सेक्शन चार पर बहस हो रही है जो उप-राष्ट्रपति को अधिकार देता है कि वो कैबिनेट की बहुमत के साथ मिलकर राष्ट्रपति को अपने ज़िम्मेदारी निभाने के अयोग्य घोषित कर सकते हैं.
उप-राष्ट्रपति को संसद अध्यक्ष और ऊपरी सदन सीनेट के पीठासीन अधिकारी को एक पत्र लिखकर बताना होगा कि राष्ट्रपति शाषण करने के लिए योग्य नहीं हैं या अपने पद की ज़िम्मेदारी को निभाने के अयोग्य हैं.
ऐसा करने के बाद उप-राष्ट्रपति तत्काल प्रभाव से राष्ट्रपति बन जाएंगे.
इन सबके बीच राष्ट्रपति को लिखित जवाब देने का मौक़ा दिया जाता है और अगर वो इस निर्णय को चुनौती देते हैं तो फिर यह संसद को तय करना होता है.
सीनेट और निचले सदन में राष्ट्रपति को हटाने के किसी प्रस्ताव को पारित करने के लिए दो-तिहाई बहुमत की ज़रूरत होती है. लेकिन जब तक इस मसले का कोई हल नहीं निकलता है तब तक उप-राष्ट्रपति, राष्ट्रपति की जगह पर काम करते रहेंगे. (बीबीसी)
लिस्बन, 12 जनवरी | पुर्तगाल के राष्ट्रपति मारसेलो रेबेलो डी सूजा कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। इसके साथ ही वह कोरोना संक्रमित होने वाले विश्व के शीर्ष नेताओं की सूची में शामिल हो गए हैं। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, "सोमवार रात को जारी बयान में, पुर्तगाल प्रसिडेंसी ने कहा कि मारसेलो रेबेलो डी सूजा कल नेगेटिव पाए गए थे और आज का भी एंटीजेन टेस्ट नेगेटिव आया था। लेकिन आज पीसीआर टेस्ट में वह पॉजिटिव पाए गए।"
बयान में बताया कि है कि डी सूजा बेलम प्रसेडिंशियल पैलेस में काम करते रहेंगे और आवासीय क्षेत्र में आइसोलेशन में रहेंगे।(आईएएनएस)
इस्लामाबाद, 12 जनवरी | पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में हिमस्खलन की चपेट में आने से चार लोगों की मौत हो गई। दरअसल ये लोग जिस वाहन से यात्रा कर रहे थे, वह हिमस्खलन की चपेट में आकर दब गया। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से बताया कि यह हादसा सोमवार को मानसेहरा जिले में हुआ।
लोग जिले में स्थित अपने एक गांव जा रहे थे, लेकिन हिमस्खलन की चपेट में आने से उनका वाहन बर्फ के नीचे दब गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बचाव दल सोमवार देर रात तक ही शव बरामद कर पाए।
हिमस्खलन से यातायात भी प्रभावित हो गया। हालांकि यातायात पुलिस ने बाद में क्षेत्र से बर्फ हटा दिया, उसके बाद ही यातायात सामान्य हो सका। (आईएएनएस)
वाशिंगटन, 12 जनवरी | अमेरिका ने क्यूबा को आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले देशों की सूची में डाल दिया है, एक ऐसा कदम जो हवाना के साथ संबंधों को फिर से बहाल करने में आगामी जो बाइडेन प्रशासन के प्रयासों को बाधित कर सकता है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, विदेश विभाग ने सोमवार को एक बयान में कहा कि उसने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के कृत्यों के लिए आतंकवादियों की मदद करने के कारण क्यूबा को आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले देशों की सूची में डाल दिया है।
अमेरिकी मीडिया ने बताया कि निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने पद छोड़ने से पहले क्यूबा को सूची में वापस डालने पर विचार किया था।
30 दिसंबर, 2020 को एक ट्वीट में, क्यूबा के विदेश मंत्री ब्रूनो रोड्रिग्ज ने कहा, "मैं फ्लोरिडा में क्यूबा विरोधी अल्पसंख्यक को खुश करने के लिए आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले देशों की सूची में क्यूबा को शामिल करने के लिए विदेश मंत्री पोम्पियो के पैंतरेबाजी की निंदा करता हूं।"
क्यूबा को 1982 में आतंकवाद प्रायोजित देशों की सूची में डाला गया था और 2015 में इसे सूची से हटा दिया गया था लेकिन ट्रंप प्रशासन ने इसे फिर से सूची में डाल दिया।
मार्च 2016 में, बराक ओबामा 1928 के बाद से क्यूबा के दौरे पर जाने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बने, जिन्होंने दिसंबर 2014 में शुरू हुए द्विपक्षीय संबंधों को गर्मजोशी से शुरू करते हुए 54 साल की दुश्मनी का अंत किया था।
लेकिन 2014 में ट्रंप के पद संभालने के बाद क्यूबा और अमेरिका के बीच तनाव फिर से बढ़ गया। (आईएएनएस)
एफ़बीआई ने चेतावनी दी है कि जो बाइडन के राष्ट्रपति पद के शपथ ग्रहण समारोह से पहले पूरे अमेरिका में हथियारबंद प्रदर्शन हो सकते हैं.
ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि हथियारबंद समूह 20 जनवरी को बाइडन के शपथ ग्रहण समारोह से पहले सभी 50 राज्यों की कैपिटल और वाशिंगटन डीसी में इकट्ठा होने की योजना बना रहे हैं.
शपथ ग्रहण समारोह के लिए कड़ी सुरक्षा की व्यवस्था की जा रही है. सोमवार को बाइडन ने पत्रकारों से कहा कि वो अमेरिकी कैपिटल के बाहर शपथ ग्रहण करने से डरेंगे नहीं.
संभावना है कि अब भी बाइडन और कमला हैरिस बिल्डिंग के बाहर ही शपथ ले सकते हैं. उनका शपथ ग्रहण समारोह उस घटना के दो हफ्ते बाद होगा जब चुनाव नतीजों के विरोध में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थक यूएस कैपिटल की इमारत में घुस आए थे. इस घटना में हिंसा हुई और कुछ लोगों की जान भी चली गई थी.
होमलैंड सिक्योरिटी विभाग के कार्यकारी प्रमुख चैड वुल्फ ने सोमवार को कहा कि उन्होंने यूएस सीक्रेट सर्विस को बुधवार के समारोह के लिए छह दिन पहले विशेष अभियान शुरू करने का निर्देश दिया है.
अधिकारियों के मुताबिक़, समारोह को मद्देनज़र 15,000 राष्ट्रीय गार्ड के बलों को तैनात किया जा सकता है. (bbc.com)
20 जनवरी को जो बाइडेन प्रशासन के उद्घाटन के पहले वाशिंगटन में और ज्यादा हिंसा भड़कने की आशंका जताई जा रही है. उदघाटन के पहले अमेरिका के एक्टिंग होमलैंड सुरक्षा के सचिव चैड वूल्फ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय का लिखा
होमलैंड सुरक्षा विभाग के मुखिया के रूप में वूल्फ को ही उदघाटन के दिन सुरक्षा के इंतजाम की देखरेख करनी थी. विभाग कई कानून प्रवर्तन एजेंसियों का निरीक्षण करता है, जिनमें व्हाइट हाउस और राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार सीक्रेट सर्विस भी शामिल है.
वूल्फ का कहना था कि वो कार्य-विधि संबंधी कारणों से इस्तीफा दे रहे हैं. उन्होंने फेडरल इमरजेंसी मैनेजमेंट एजेंसी के प्रशासक पीट गैनोर का नाम अगले सचिव के लिए मनोनीत किया. लेकिन इसके बावजूद उदघाटन के पहले और उसके दौरान राजधानी की सुरक्षा को लेकर उठे सवाल शांत नहीं हुए.
एफबीआई की एक आतंरिक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि आने वाले सप्ताहांत और 20 जनवरी के बीच राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के समर्थक हथियारों के साथ सभी 50 राज्यों में प्रदर्शन कर सकते हैं. व्हाइट हाउस ने एक बयान में कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने "कोलंबिया जिले में आपात काल की घोषणा कर दी है और 59वें राष्ट्रपति के उदघाटन की वजह से 11 जनवरी से 24 जनवरी, 2021 तक लागू आपात काल को देखते हुए जिले के प्रयासों में केंद्र की तरफ से मदद के भी आदेश दिए हैं."
व्हाइट हाउस के अनुसार यह आदेश होमलैंड सुरक्षा विभाग को "लोगों की जान और संपत्ति की रक्षा के लिए और जन स्वास्थ्य और सुरक्षा के हित में कदम उठाने और कोलंबिया जिले में दुर्घटना के खतरे को कम करने या उससे बचने के लिए कदम उठाने को" अधिकृत करता है.
इस बीच फेडरल और वॉशिंगटन प्रशासन दोनों ही स्तरों पर अधिकारी पिछले बुधवार कैपिटल हिल पर हुए घटनाक्रम के लिए एक दूसरे पर उंगलियां उठा रहे हैं. पेंटागन ने सोमवार को कहा कि उसने शपथ समारोह के लिए नैशनल गार्ड्स के 15,000 सैनिकों को तैनात करने की अनुमति दे दी है.
रक्षा विभाग के नैशनल गार्ड ब्यूरो के प्रमुख जनरल डेनियल होकान्सन ने बताया कि 6,200 सैनिक पहले से वॉशिंगटन में तैनात हैं और आने वाले सप्ताहांत तक 10,000 और सैनिक तैनात किए जाने की योजना है. उन्होंने यह भी बताया कि उदघाटन के दिन तक 5,000 और सैनिक तैनात किए जा सकते हैं. उनके पास दंगा-विरोधी उपकरण और हथियार भी होंगे लेकिन अभी तक उन्हें राजधानी की सड़कों पर हथियार उठाने के लिए अधिकृत नहीं किया गया है.
उदघाटन की तैयारियां तेजी से हो रही हैं. बाइडेन के शपथ ग्रहण समारोह से पहले कैपिटल के मैदानों के चारों तरफ सुरक्षा बाड़ खड़ी कर दी गई है. देश के नागरिकों से अपील की गई है कि वो समारोह को देखने के लिए वॉशिंगटन ना आएं, और वर्चुअल तरीके से ही समारोह को देखें.
सीके/एए (एएफपी)
वाशिंगटन, 12 जनवरी| अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पहला डोज लेने के चार हफ्ते बाद कोविड-19 वैक्सीन का दूसरा डोज लिया है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, बाइडेन को सोमवार को उनके गृह राज्य, डेलावेयर के नेवार्क में एक अस्पताल में फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन का दूसरा डोज दिया गया, जहां (डेलावेयर) उनका ट्रांजिशन हेडक्वार्टर स्थित है।
उन्होंने 21 दिसंबर, 2020 को पहला डोज लिया था।
एक छोटी आस्तीन वाली पोलो शर्ट पहने बाइडेन ने अमेरिकियों से मास्क पहनना जारी रखने का आग्रह किया।
उन्होंने ट्वीट कर कहा, "दोस्तों, मैंने बस अभी कोविड-19 वैक्सीन का दूसरा डोज लिया और पहले डोज की तरह यह सुरक्षित, त्वरित और दर्द रहित था।
बाइडेन ने कहा, "मैं सभी से आग्रह करता हूं कि अपनी बारी आने पर टीकाकरण करवाएं। क्योंकि केवल एक साथ हम जिंदगियां बचा सकते हैं और इस वायरस को हरा सकते हैं।"
उन्होंने कहा कि हम यह सुनिश्चित करने जा रहे हैं कि टीका हर अमेरिकी को जल्दी, समान रूप से और निशुल्क वितरित किया जाए।
जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार, देश अभी भी दुनिया भर में कोरोना मामलों में बड़े अंतर से आगे है। अमेरिका में अब तक 22,612,384 मामले सामने आ चुके हैं।
वहीं, मरने वालों की संख्या बढ़कर 376,051 हो चुकी है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है। (आईएएनएस)
सैन फ्रांसिस्को, 12 जनवरी | 20 जनवरी को राष्ट्रपति चुने गए जो बाइडेन के पद ग्रहण करने के मौके पर फेसबुक ने अपने सभी प्लेटफार्मों पर ऐसे कंटेंट पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है, जिसमें 'स्टॉप द स्टील' (चोरी करना बंद करो) के वाक्यांश का उपयोग किया गया हो। इससे पहले नवंबर में कंपनी ने 'स्टॉप द स्टील' ग्रुप को हटा दिया था। फेसबुक में इंटीग्रिटी के वाइस प्रेसिडेंट गाय रोसेन ने सोमवार को एक बयान में कहा, "हम अगले 2 हफ्तों को एक प्रमुख नागरिक समारोह के रूप में मान रहे हैं। हम अब फेसबुक और इंस्टाग्राम से हमारी कोऑर्डिनेटिंग हार्म पॉलिसी के तहत 'स्टॉप द स्टील' वाक्यांश वाले कंटेंट को हटा रहे हैं।"
फेसबुक में ग्लोबल पॉलिसी की वाइस प्रेसिडेंट मोनिका बिकर्ट ने कहा, "हमने नवंबर में स्टॉप द स्टील के मूल ग्रुप को हटा दिया था और अभी भी ऐसे पेज, ग्रुप और इवेंट्स को हटाने का काम जारी है जो हमारी किसी भी नीति का उल्लंघन करते हैं, जिसमें हिंसा भी शामिल है।"
कंपनी ट्रंप समर्थकों द्वारा की गई हिंसा को देखते हुए अतिरिक्त कदम उठा रही है। फेसबुक ने कहा कि वह अपने इंटीग्रिटी ऑपरेशंस सेंटर को कम से कम 22 जनवरी तक चालू रखेगा ताकि किसी भी तरह के खतरे की रियल टाइम मॉनीटरिंग की जा सके।
राष्ट्रपति ट्रंप के अकाउंट को अनिश्चितकालीन समय तक बंद रखने के अलावा भी, फेसबुक राजनीति या चुनावों को लेकर अमेरिका में सभी विज्ञापनों को फिलहाल रोक रही है। फेसबुक ने कहा है, "इसका मतलब है कि हम राष्ट्रपति ट्रंप समेत किसी भी राजनेता के विज्ञापन को अनुमति नहीं दे रहे हैं। साथ ही जो बाइडेन के पदभार ग्रहण करते ही हम लेबल में बाइडेन को मौजूदा प्रेसिडेंट लिखेंगे।"
20 जनवरी को यूएस कैपिटल में बाइडेन के शपथ ग्रहण के पूरे उद्घाटन कार्यक्रम का लाइव वीडियो भी फेसबुक पर चलेगा। (आईएएनएस)
जर्मनी में 2,50,000 से ज्यादा लोगों के पास अपनी नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज नहीं है. बिना कागजों के इन्हें वापस भी नहीं भेजा जा सकता. नागरिकता का पता लगाने के लिए जर्मनी दूसरे देशों के दूतावासों को पैसा देता है.
नवंबर 2020 की बात है. एमादू जब अपने कमरे पर लौटा तो एक चिट्ठी को देख कर डर से कांपने लगा. चिट्ठी में लिखा था कि उसे अपने देश गिनी के कॉन्सुलेट में पेश होना है. एमादू शरणार्थियों के लिए बनाए गए एक अस्थाई बसेरे में रहता है. डीडब्ल्यू से बात करते हुए उसने कहा कि चिट्ठी देखते ही वह उसका मतलब समझ गया था, "क्योंकि मेरे पास कागज नहीं हैं. इसलिए जर्मन अधिकारी मुझे वहां भेजना चाह रहे हैं, ताकि मुझे कागज मिल जाएं और वे मुझे यहां से डिपोर्ट कर दें. लेकिन क्यों? मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है." एमादू इनका असली नाम नहीं है. क्योंकि ये अपनी पहचान जाहिर नहीं करना चाहते, इसलिए हमने इनका नाम बदल दिया है.
एमादू की असायलम की अर्जी रद्द कर दी गई थी. और अब गिनी के कॉन्सुलेट में जाते हुए उसे डर लग रहा है, "मुझे लगता है कि अब मुझे यहां से जाना पड़ेगा. अपने इस कमरे को, अपने दोस्तों को पीछे छोड़ना पड़ेगा, लगता है जैसे मेरे लिए अब कुछ बचा ही नहीं है. बस अब जर्मनी की जेल, फिर कोनाक्री की और उसके बाद मौत." यह कहते हुए एमादू का गला भर आता है.
जर्मनी में इसे "एम्बेसी हियरिंग" का नाम दिया जा रहा है और ये देश भर में हो रही हैं. अधिकारियों को इन लोगों पर जिस देश के होने का शक होता है, उस देश के दूतावास को जर्मनी पैसे देता है ताकि वे उन्हें बुला कर पूछताछ कर सकें. इनमें सबसे ज्यादा अफ्रीकी देशों के लोग हैं. 2019 और 2020 में नाइजीरिया के 1,100 और घाना के 370 लोगों को इस तरह से बुलाया गया. साथ ही गाम्बिया के 146 और गिनी के 126 लोगों को भी बुलाया गया. जर्मनी की लेफ्ट पार्टी की सांसद उला येल्पके की मांग पर जर्मन सरकार ने ये आंकड़े जारी किए हैं.
सरकार का दावा है कि यह कानूनी भी है और अनिवार्य भी. डॉयचे वेले ने जब इस बारे में पूछा तो गृह मंत्रालय ने बयान दिया, "लोगों की नागरिकता का पता लगाने के लिए ये 'हियरिंग' अहम हैं ताकि तय किया जा सके कि किसे देश छोड़ने के लिए कहना है. कागजात तभी बनाए जा सकते हैं, जब उनकी राष्ट्रीयता का पता लगाया जा सके. जर्मनी में इस तरह की सुनवाइयां सालों से होती आई हैं, ये कानूनी हैं और इनकी उपयोगिता सिद्ध की जा चुकी है." गृह मंत्रालय की प्रवक्ता ने अपने जवाब में लिखा है कि यूरोपीय संघ के अन्य देशों में भी इस तरह की प्रक्रियाएं होती हैं.
अफ्रीकी देशों पर दबाव
जर्मन काउंसिल ऑन फौरन रिलेशंस के अनुसार 2020 में देश में करीब ढाई लाख लोग गैरकानूनी रूप से रह रहे थे. 2018 में गृह मंत्रालय का भार संभालते हुए गृह मंत्री होर्स्ट जेहोफर ने कहा था कि वे इस संख्या को कम करेंगे और 2019 में करीब 22 हजार लोगों को डिपोर्ट भी किया गया.
जर्मन अधिकारियों का कहना है कि असायलम ना मिलने के मामले में देशों की जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने लोगों को वापस लें और इसके लिए जरूर दस्तावेज भी जल्द से जल्द तैयार करें. अधिकारियों का आरोप है कि अफ्रीकी देश इस काम में काफी ढील दे रहे हैं और कागज तैयार करने में लंबा वक्त लगा रहे हैं. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल के हर अफ्रीका दौरे में यह मुद्दा उठता रहा है और अफ्रीकी सरकारें भी लगातार आरोप लगाती रही हैं कि जर्मनी उन पर दबाव बना रहा है.
जल गया ग्रीस का रिफ्यूजी कैंप
देश में विपक्षी दल भी इसकी आलोचना करते रहे हैं. लेफ्ट पार्टी की उला येल्पके ने डीडब्यलू से इस बारे में कहा, "इस प्रक्रिया में कोई पारदर्शिता नहीं होती है और लोग अकसर अपने अधिकारों के उल्लंघन की शिकायत करते हैं." उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि जर्मन अधिकारी किस तरह से लोगों की नागरिकता के बारे में पता लगाते हैं. उन्होंने ऐसे भी मामले बताए जब सिएरा लियोन के व्यक्ति को नाइजीरिया भेज दिया गया था.
गृह मंत्रालय ऐसे आरोपों का खंडन करता है. मंत्रलाय की प्रवक्ता का कहना है, "लोगों को तभी किसी देश भेजा जाता है जब उनकी नागरिकता की ठीक तरह से पुष्टि हो जाती है. साथ ही वे चाहें तो वकील के जरिए फैसले को चुनौती दे सकते हैं.
जिंदगियों के साथ खिलवाड़
2018 में जर्मन सरकार ने एमादू के देश गिनी के साथ एक करार किया था जिसके तहत गिनी के नागरिकों को जर्मनी से डिपोर्ट करने की प्रक्रिया को तेज किया जाना था. अक्टूबर 2020 तक इस समझौते के तहत 40 लोगों को वापस भेजा जा चुका है, लेकिन यह देश बुरे दौर से गुजर रहा है. राष्ट्रपति अल्फा कोंडे ने पिछले साल मार्च में संविधान में बदलाव किए हैं और लगातार तीसरी बार देश के राष्ट्रपति बने हैं.
येल्पके कहती हैं, "पिछले महीनों और सालों में वहां नागरिक मारे जा रहे हैं या उन्हें जबरन कैद में डाला जा रहा है. उस देश में लोगों को डिपोर्ट करने का मतलब होगा उनकी जिंदगी के साथ खिलवाड़ करना, उनकी जान को खतरे में डालना."
एमादू का कहना है कि गिनी के एक प्रभावशाली कमांडर के बेटे ने सालों तक उसे प्रताड़ित किया और जब उसने इसकी शिकायत की तो उसे जेल में डाल दिया गया. जेल में उसके साथ बुरा बर्ताव किया गया और वहां से निकलने के बाद भी उसकी जान पर हमेशा खतरा रहा. यह भी एक वजह है कि वह अपने देश की कॉन्सुलेट में जाने से डर रहा है, "मुझे उन पर भरोसा नहीं है. मुझे उनसे डर लगता है. वो लोग सरकार के साथ मिले हुए हैं."
रिपोर्ट: डानिएल पेल्स/आईबी
बीते हफ़्ते कैपिटल बिल्डिंग की हिंसा में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के किरदार को लेकर डेमोक्रेटिक पार्टी ने अमेरिकी संसद में थोड़ी देर पहले उनके ख़िलाफ़ दो महाभियोग प्रस्ताव पेश किये हैं.
इसमें ट्रंप पर विद्रोह को भड़काने का आरोप लगाया गया है और दावा किया गया है कि अमेरिकी संसद में हिंसा को ट्रंप ने सक्रिय रूप से प्रोत्साहित किया.
सीनेट की स्पीकर नैंसी पेलोसी सहित उनकी डेमोक्रेटिक पार्टी के कई दूसरे नेता राष्ट्रपति ट्रंप को इससे पहले व्हाइट हाउस से बाहर करना चाहते हैं.
राष्ट्रपति ट्रंप को सत्ता से हटाने का एक तरीक़ा महाभियोग का इस्तेमाल है, जिस पर सीनेट की स्पीकर नैंसी पेलोसी का ज़ोर अधिक है.
डेमोक्रेट बुधवार को अमरीकी संसद में हमले और इसके अंदर ज़बरदस्ती घुसने वाले दंगाइयों को कथित रूप से उकसाने पर राष्ट्रपति के विरोध में महाभियोग या 25वें संशोधन के इस्तेमाल से उन्हें उनके पद से हटाना चाहते हैं.
महाभियोग कैसे होगा?
क्या राष्ट्रपति ट्रंप इतिहास में दो बार महाभियोग के दायरे में आने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति हो सकते हैं?
अमेरिकी कांग्रेस के निचले सदन हाउस ऑफ़ रिप्रेज़ेंटेटिव्ज़ में डेमोक्रेटिक पार्टी को बहुमत हासिल है. पार्टी के सदस्य इसी पर काम कर रहे हैं.
जो दो महाभियोग प्रस्ताव पेश किए गए हैं उनमें से एक डेमोक्रेटिक पार्टी की सदस्य इलहान उमर द्वारा तैयार किया गया है. तो दूसरा इसी पार्टी के जेमी रस्किन ने तैयार किया है.
अगर हाउस में वोट हुआ तो?
राष्ट्रपति को हाउस में महाभियोग करने के लिए बहुमत चाहिए. हाउस में बहुमत डेमोक्रेटिक पार्टी को हासिल है.
इस लिए इसमें कोई बाधा नहीं होनी चाहिए. ऐसा संभव है कि ट्रंप की रिपब्लिक पार्टी के कुछ सदस्य भी इस मोशन के पक्ष में वोट दें.
पिछली बार जब राष्ट्रपति ट्रंप को महाभियोग का सामना करना पड़ा था तो पूरी प्रक्रिया में महीनों का समय लग गया था.
इस बार समय कुछ दिनों का है, बल्कि इसी हफ्ते करना होगा. अब जबकि प्रस्ताव पेश किया जा चुका है, लिहाजा जल्द ही इस पर चर्चा और वोटिंग की उम्मीद है.
सीनेट का दो तिहाई बहुमत ज़रूरी
अमेरिकी संविधान के मुताबिक़ सीनेट को राष्ट्रपति को उनके पद से हटाने के लिए मुक़दमा चलाने और दोषी ठहराने के लिए वोटिंग कराना आवश्यक है.
और राष्ट्रपति दोषी ठहराने के लिए और उन्हें उनके पद से हटाने के लिए दो-तिहाई सीनेटरों की सहमति ज़रूरी होगी.
इसका मतलब ये हुआ कि रिपब्लिकन पार्टी के सदस्यों की अच्छी खासी संख्या को राष्ट्रपति के ख़िलाफ़ वोट देने की ज़रूरत पड़ेगी.
इस समय सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी को बहुमत हासिल है लेकिन केवल दो सीटें की. सवाल ये है कि क्या रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर्स राष्ट्रपति ट्रंप के ख़िलाफ़ वोट देंगे?
फ़िलहाल इसकी उम्मीद कम है.
ट्रंप के ख़िलाफ़ वोट
राष्ट्रपति ट्रंप के सहयोगी और रिपब्लिकन पार्टी के एक अहम नेता सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने राष्ट्रपति से नाता तोड़ लिया है.
लेकिन इसके बावजूद उनका कहना है कि वो उन्हें पद से हटाने का समर्थन नहीं करेंगे.
साल 2012 में राष्ट्रपति चुनाव के हारे उम्मीदवार सीनेटर मिट रोमनी पिछली बार रिपब्लिकन पार्टी के ऐसे अकेले सदस्य थे जिन्होंने ट्रंप के ख़िलाफ़ वोट दिया था.
लेकिन इस बार उनका कहना है कि महाभियोग से कोई फ़ायदा नहीं क्योंकि समय बहुत कम है.
लेकिन एक ओर उनकी पार्टी के ही एक और सीनेटर ने कहा है कि वो ट्रंप के ख़िलाफ़ वोट देंगे.
हकीक़त तो ये है कि रिपब्लिकन पार्टी के अधिकतर सीनेटर्स ने अब तक अपनी राय सामने नहीं रखी है.
तो ट्रंप के लिए इसका क्या मतलब है?
शिकागो यूनिवर्सिटी में अमेरिकी कानून और संविधान के विशेषज्ञ डॉक्टर इब्राहिम गिंसबर्ग बीबीसी से एक बातचीत में कहते हैं, "इसका मतलब ये है कि महाभियोग पिछली बार की तरह ही नाकाम हो सकता है. पिछली बार की तुलना में इस बार ट्रंप के ख़िलाफ़ कुछ रिपब्लिकन सिनेटर्स खुलकर सामने आए हैं लेकिन अधिकतर लोग उनके ख़िलाफ़ अब भी जाने को तैयार नहीं हैं."
पद से हटने के बाद भी ट्रंप पर शामत आ सकती है
प्रोफ़ेसर गिंसबर्ग के अनुसार संविधान के हिसाब से ट्रंप के राष्ट्रपति पद से हटने के बाद भी उन्हें महाभियोग के लिए दोषी ठहराया जा सकता है और उन्हें राष्ट्रपति के पद के लिए चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है. जब बाइडन शपथ लेंगे तो डेमोक्रेट सीनेटर्स सीनेट में बहुमत में होंगे. उस समय ये काम शायद थोड़ा आसान हो.
लेकिन प्रो गिंसबर्ग पूछते हैं कि बाइडन सीनेट में ट्रायल आयोजित करवाना पसंद करेंगे या अपने चुनावी वादों पर अमल करना?
वो कहते हैं कि महामारी से लड़ना उनकी प्राथमिकता होगी.
दूसरी तरफ़, सीनेट में बहुमत हासिल करने के बाद भी, डेमोक्रेटिक पार्टी को कम से कम 16 रिपब्लिकन सीनेटर्स का समर्थन चाहिए. क्या ये हो सकता है? इस समय ये कहना मुश्किल है.
25वाँ संशोधन
लेकिन स्पीकर नैंसी पेलोसी की कोशिश होगी कि महाभियोग तक नौबत ही न पहुंचे और उपराष्ट्रपति माइक पेंस 25वाँ संशोधन का इस्तेमाल करके ट्रंप को 20 जनवरी से पहले उन्हें उनके पद से हटा दें और खुद कार्यवाहक राष्ट्रपति बन जाएँ.
स्पीकर पेलोसी और सीनेट और डेमोक्रेटिक पार्टी के वरिष्ठ नेता चक शूमर ने उपराष्ट्रपति माइक पेंस और ट्रंप की कैबिनेट से आग्रह किया है कि राष्ट्रपति को 'विद्रोह के लिए उकसाने' के लिए उनके पद से हटाया जाए. ऐसा करने के लिए माइक पेंस को 25वें संशोधन का इस्तेमाल करना होगा.
25वाँ संशोधन उपराष्ट्रपति को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनने की उस समय अनुमति देता है जब एक राष्ट्रपति अपने कर्तव्यों को जारी रखने में असमर्थ होता है, जब वो शारीरिक या मानसिक बीमारी के कारण अपने काम से असमर्थ हो जाता है.
लेकिन इसके लिए उपराष्ट्रपति पेंस और कम से कम आठ कैबिनेट सदस्यों की रज़ामंदी की ज़रूरत होगी, जिसकी फ़िलहाल संभावना कम है.
प्रोफ़ेसर गिंसबर्ग के अनुसार डेमोक्रेटिक पार्टी की इस बात का ख्याल रखना पड़ेगा कि सार्वजनिक रूप से ट्रंप के समर्थकों और अमेरिकी नागरिकों को ऐसा न लगे कि सब राष्ट्रपति के पीछे पड़े हैं. वे कहते हैं, "अगर ऐसा हुआ तो ट्रंप के प्रति हमदर्दी बढ़ सकती है जिसका फायदा वो अगले चुनाव में उठाना चाहेंगे." (बीबीसी)
कैथोलिक चर्च में महिलाओं को पादरी बनाना या पादरी जैसी भूमिकाएं मिलनी चाहिए या नहीं इस पर विवाद चल रहा है. पारंपरिक रूप से ये पद महिलाओं के लिए उपलब्ध नहीं रहे हैं. क्या पोप फ्रांसिस ये सूरत बदल सकते हैं?
(dw.com)
पोप फ्रांसिस ने रोमन कैथोलिक चर्च के नियमों को बदल कर महिलाओं को कई नई जिम्मेदारियां दी हैं लेकिन यह भी कहा है कि वो अभी भी पादरी नहीं बन सकती हैं. पोप ने चर्च के नियम बदल कर महिलाओं को गॉस्पेल पढ़ने की और चर्च के आल्टर पर बतौर मिनिस्टर सेवाएं देने की अनुमति दे दी है.
इससे पहले यह भूमिकाएं पुरुषों तक ही सीमित थीं, हालांकि कभी कभी नियमों से छूट दे दी जाती थी. अब दुनिया के कई हिस्सों में महिलाएं इन भूमिकाओं को निभाती हैं. पोप का कहना है कि वो ये बदलाव चर्च में महिलाओं के "बहुमूल्य योगदान" को और सम्मान देने के लिए कर रहे हैं. उनका कहना था कि बैप्टाइज किए हुए सभी कैथोलिक ईसाईयों की चर्च के मिशन में एक भूमिका है.
लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा करने में पादरी बनने जैसी चर्च की नियुक्तियों और योग्य जन-साधारण के लिए उपलब्ध भूमिकाओं में अंतर समझना होगा. वैटिकन पादरी बनना सिर्फ पुरुषों के लिए आरक्षित रखता है. ये बदलाव ऐसे समय पर आए हैं जब पोप पर दबाव बढ़ रहा है कि वो महिलाओं को कम से कम डेकन या छोटा पादरी बनने की अनुमति दें.
डेकन भी वैटिकन द्वारा नियुक्त किए जाते हैं और पादरियों की कई जिम्मेदारियां वो भी निभा सकते हैं. इनमें शादियां, बपतिस्मा और अंतिम संस्कार कराना शामिल है. इस समय पादरी बनना सिर्फ पुरुषों के लिए संभव है. महिलाएं डेकन बन सकती हैं या नहीं इसका अध्ययन करने के लिए पोप ने इससे पहले विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया जो किसी नतीजे पर नहीं पहुंची थी.
अब इसी उद्देश्य के लिए पोप ने एक और समिति का गठन किया है. महिलाओं को डेकन बनाने के समर्थक कहते हैं कि ऐसा करने से चर्च के प्रशासन में महिलाओं को ज्यादा अवसर मिलेंगे और इसके साथ दुनिया के कई कोनों में पादरियों की कमी को भी पूरा किया जा सकेगा. इसका विरोध करने वाले कहते हैं कि इसकी अनुमति देने से महिलाओं के पादरी बनने का रास्ता भी खुल जाएगा.
सीके/एए (एपी)
लॉस एंजेलिस, 11 जनवरी | हॉलीवुड स्टार अर्नोल्ड श्वार्जनेगर ने अमेरिका में कैपिटल हिल पर हुए हमले की निंदा की है और डोनाल्ड ट्रंप को अब तक का सबसे खराब राष्ट्रपति कहा है। कैलिफोर्निया के पूर्व गवर्नर ने कैपिटल हिल पर हमला करने वाली भीड़ की तुलना नाजियों से भी की। सात मिनट के वीडियो में, जिसे श्वार्जनेगर के ट्विटर अकाउंट पर रविवार रात पोस्ट किया गया था, अभिनेता ने इस घटना की तुलना 1938 के क्रिस्तालनाट से की।
उन्होंने कहा, " इस देश में एक अप्रवासी के रूप में, मैं अपने साथी अमेरिकियों और दुनिया भर के हमारे दोस्तों के लिए हाल के दिनों की घटनाओं के बारे में कुछ शब्द कहना चाहूंगा। मैं ऑस्ट्रिया में पला-बढ़ा।"
श्वार्जनेगर ने कहा कि मैं क्रिस्तालनाट या ब्रोकन ग्लास से बहुत परिचित हूं। यह 1938 में नाजियों द्वारा यहूदियों के खिलाफ बरपाई गई कहर की रात थी। बुधवार को ब्रोकन ग्लास यहां अमेरिका में देखने को मिला। लेकिन भीड़ ने न सिर्फ कैपिटल की खिड़कियों को चकनाचूर कर दिया, बिल्क हमारे विचारों को भी चकनाचूर कर दिया।
अभिनेता ने कहा, "उन्होंने न केवल अमेरिकी लोकतंत्र को बनाए रखने वाली इमारत के दरवाजे ही नहीं तोड़े, बल्कि उन सिद्धांतों को रौंद दिया, जिन पर हमारे देश की नींव पड़ी।"
श्वार्जनेगर ने कहा, "मैं द्वितीय विश्व युद्ध के दो साल बाद 1947 में पैदा हुआ था। मैं बड़ा होकर, उन लोगों से घिरा हुआ था जो इतिहास में सबसे बुरे शासन में अपनी भागीदारी पर खुद को अपराधी महसूस कर टूट से चुके थे।"
श्वार्जनेगर ने कहा, "मैंने इसे कभी भी सार्वजनिक रूप से साझा नहीं किया क्योंकि यह एक दर्दनाक स्मृति है। लेकिन मेरे पिता सप्ताह में एक या दो बार घर आते थे और वह चिल्लाकर हमें पीटते थे और मेरी मां डर जाती थीं।"
'टर्मिनेटर' स्टार ने कहा, "मैंने उन्हें इसके लिए पूरी तरह से जिम्मेदार नहीं माना, क्योंकि हमारा पड़ोसी भी परिवार के साथ ऐसा ही कर रहा था, और उसका अगला पड़ोसी भी ऐसा ही करता था। मैंने इसे अपने कानों से सुना और अपनी आंखों से देखा।"
उन्होंने याद किया कि कैसे युद्ध की दर्दनाक यादों से उनके पिता और पड़ोसी जूझ रहे थे।
उन्होंने कहा कि यह सब झूठ और असहिष्णुता के साथ शुरू हुआ। यूरोप से होने के नाते मैंने पहली बार देखा कि चीजें कैसे नियंत्रण से बाहर हो सकती हैं।
शवार्जनेगर ने कहा, "राष्ट्रपति ट्रंप ने एक निष्पक्ष चुनाव के परिणामों को पलटने की मांग की। उन्होंने झूठ बोलकर लोगों को गुमराह करके तख्तापलट करना चाहा। मेरे पिता और हमारे पड़ोसियों को भी झूठ के साथ गुमराह किया गया था और मुझे पता है कि इस तरह के झूठ कहां लेकर जाते हैं।"
उन्होंने कहा, "राष्ट्रपति ट्रंप एक विफल नेता हैं। वह इतिहास में अब तक के सबसे खराब राष्ट्रपति के रूप जाने जाएंगे। अच्छी बात यह है कि वह जल्द ही एक पुराने ट्वीट की तरह अप्रासंगिक हो जाएंगे।"
अभिनेता ने कहा कि जो ड्रामा हुआ उससे अब हमें उबरने की जरूरत है। हमें न सिर्फ एक रिपब्लिकन या डेमोक्रेट्स के रूप में बल्कि एक अमेरिकी के रूप में इन सबसे उबरने की जरूरत है।
उन्होंने वीडियो का अंत नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन को शुभकामनाएं देते हुए की।
श्वार्जनेगर ने कहा, "नवनिर्वाचित राष्ट्रपति बाइडेन जो लोग हमारे लोकतंत्र को नुकसान पहुंचा सकते हैं, उनसे इसकी रक्षा के लिए हम आज, कल और हमेशा आपके साथ खड़े रहेंगे।" (आईएएनएस)
खुर्रम हबीब
सिडनी, 11 जनवरी | सिडनी क्रिकेट ग्राउंड (एससीजी) पर आस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए तीसरे टेस्ट मैच की दूसरी पारी में सोमवार को भारतीय विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत द्वारा खेले गए 97 रनों की आक्रामक पारी ने भारत के लिए वह प्लेटफॉर्म तैयार किया, जिससे भारतीय टीम मैच को ड्रॉ कराने में सफल रही।
कप्तान अजिंक्य रहाणे के आउट होने के बाद पंत को हनुमा विहारी से पहले पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी के लिए भेजा गया और उन्होंने 118 गेंदों पर 97 रनों की आक्रामक पारी खेलकर भारतीय टीम को मैच में बनाए रखा।
कप्तान रहाणे ने बाद में कहा कि पंत को पहले भेजने का फैसला क्रीज पर बाएं और दाएं हाथ के संयोजन को लाने और ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को भ्रमित करने के लिए किया गया था।
रहाणे ने कहा, "बाएं हाथ और दाएं हाथ का संयोजन हमारे लिए, विशेष रूप से आज बहुत महत्वपूर्ण था। उन्हें नंबर 5 पर भेजा गया था। उन्होंने जिस तरह से जवाबी आक्रामक बल्लेबाजी की, वह वास्तव में अच्छा था। जिस तरह से उन्होंने पारी को संभाला। हम जानते हैं कि वह किसी भी स्थिति में हमारे लिए मैच जीत सकते हैं।"
2019 विश्व कप के बाद से पंत को महेंद्र सिंह धोनी के उत्तराधिकारी के रूप में देखे जाने लग गया था, लेकिन पूर्व मुख्य चयनकर्ता और विकेटकीपर एमएसके प्रसाद पंत के आलोचक थे।
प्रसाद ने आईएएनएस से कहा, "देखो, जब लोग तुलना करना शुरू करते हैं, तो आप स्वाभाविक रूप से उस जाल में फंस जाते हैं। हर विकेटकीपर अलग होता है। उनके पास खेलने का अपना तरीका और शैली होनी चाहिए। पंत के साथ, उनका अपना तरीका होना चाहिए और खुद को अगला धोनी नहीं मानना चाहिए।"
पंत के बचपन के कोच तारक सिन्हा ने कहा, "उन्होंने खुद को फिनिशर के रूप में सोचना शुरू कर दिया। हमने उनसे कहा कि आपको स्ट्रोक खेलने के लिए जाना होगा। यह खुद का एक दबाव था। वह सोचने लगे कि उन्हें फिनिशर बनना है और उन्होंने अपने खेल का बहुत अधिक विश्लेषण करना शुरू कर दिया। उनका स्ट्रोक सही नहीं था। वह ड्राइव नहीं खेल पा रहे थे और ना ही गेंद को जज कर पा रहे थे।"
सिन्हा का मानना है कि तीसरा टेस्ट पंत के लिए करो या मरो जैसा था, क्योंकि वह चोटिल भी थे। लेकिन उनकी इस पारी ने उन्हें फिर से एक लाइफलाइन दे दिया है।
रहाणे ने इस बात पर सहमति जताई कि टीम ने पंत ने समर्थन किया।
उन्होंने कहा, "श्रेय (जाता है) वास्तव में पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी करने के लिए। कप्तान और टीम प्रबंधन के रूप में, आप रणनीति बना सकते हैं, लेकिन यह खिलाड़ी पर निर्भर है कि आप वहां जाएं और क्रियान्वित करें।"(आईएएनएस)
अमेरिकी संसद के निचले सदन की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने साथी सांसदों के साथ वह योजना साझा की है जिसके तहत ट्रंप पर महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने से पहले ही उन्हें राष्ट्रपति दफ़्तर से हटाने का पूरा ब्यौरा है.
अमेरिका : हाउस ऑफ़ रिप्रजेंटेटिव्स एक रिजॉल्यूशन पर वोटिंग के ज़रिए उप-राष्ट्रपति माइक पेंस से ट्रंप की बतौर राष्ट्रपति सभी शक्तियां वापस लेने की अपील करेंगे.
इसके बाद कैपिटल हिल पर हुए हिंसक हमले में ट्रंप की भूमिका को देखते हुए डेमोक्रैट्स ट्रंप के ख़िलाफ़ ‘विद्रोह के लिए भड़काने‘ के आरोप को सदन में पेश करेंगे.
वोटिंग की पहली प्रक्रिया सोमवार को हो सकती है.
रविवार को पेलोसी ने सभी सांसदों से लिखित योजना साझा कि ताकि औपचारिक रूप से उप-राष्ट्रपति माइक पेंस से 25वां संशोधन लागू करने का निवेदन किया जाए.
इस संशोधन के लागू होने के बाद माइक पेंस राष्ट्रपति की भूमिका में आ जाएंगे और ट्रंप को व्हाइट हाउस से हटाया जा सकेगा.
पेलोसी की चिट्ठी के मुताबिक़ 25वां संशोधन लागू करना पहला क़दम होगा इसके बाद महाभियोग की प्रक्रिया सदन में शुरू की जाएगी.
उन्होंने लिखा है कि ‘’अपने संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए हमें तत्काल क़दम उठाने होंगे क्योंकि राष्ट्रपति इन दोनों ही चीज़ों के लिए बड़ा ख़तरा बन गए हैं.‘’
‘बाइडन को 100 दिन देने के बाद सीनेट में जाएगा क़ानून’
एक अन्य वरिष्ठ डेमोक्रैट नेता और हाउस व्हिप जेम्स क्लाइबर्न ने अमेरिकी न्यूज़ चैनल सीएनएन को दिए गए एक इंटरव्यू में कहा है कि महाभियोग के एक अनुच्छेद पर इस हफ़्ते वोटिंग हो सकती है, उनकी पार्टी इस अनुच्छेद को सीनेट में ट्रायल के लिए तब तक नहीं भेजेगी जब तक नव-निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन के शासनकाल के 100 दिन पूरे नहीं हो जाते.
‘’बाइडन को 100 दिन मिलने चाहिए जिससे वह देश को चलाने के लिए अपना एजेंडा लागू कर सकें.‘’
इस अवधि में बाइडन अपनी नई कैबिनेट चुनेंगे और अपनी अहम नीतियों की शुरुआत करेंगे जिनमें कोरोना वायरस से निपटने का प्लान भी शामिल होगा. अगर सीनेट में महाभियोग क़ानून पेश हो जाता है तो इन नीतियों को लागू करने के लिए इंतज़ार करना पड़ सकता है.
शुक्रवार को ट्विटर सहित कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से बैन होने के बाद ट्रंप का कोई बयान सामने नहीं आया है.
हालांकि, रविवार को व्हाइट हाउस ने ये जानकारी दी है कि राष्ट्रपति ट्रंप मंगलवार को टेक्सस जाएंगे और मैक्सिको की सीमा पर बनी दीवार का दौरा करेंगे साथ ही अपने प्रशासन के कामकाज को लोगों के सामने रखेंगे.
ट्रंप पर महाभियोग के लिए वोट करेंगे रिपब्लिकन?
बीते बुधवार को कैपिटल हिल में हुई हिंसा के लिए डेमोक्रैट्स और कई रिपब्लिकन ट्रंप को ज़िम्मेदार मान रहे हैं. इस हिंसा में पाँच लोगों की मौत हो गई. लेकिन किसी भी रिपब्लिकन ने ये नहीं कहा है कि वह ट्रंप को उनकी ‘ग़लतियों‘ की सज़ा दिलाने के लिए सीनेट में उनके ख़िलाफ़ वोट करेंगे.
रविवार को रिपब्लिकन सीनेटर पैट टूमी ने कहा कि ट्रंप को इस्तीफ़ा दे देना चाहिए.
My message to my fellow Americans and friends around the world following this week's attack on the Capitol. pic.twitter.com/blOy35LWJ5
— Arnold (@Schwarzenegger) January 10, 2021
उन्होंने समाचार चैनल एनबीसी की प्रेस मुलाक़ात में कहा, ‘’मुझे लगता है हमारे देश से लिए सबसे अच्छा होगा कि राष्ट्रपति इस्तीफ़ा दे दें और जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी दूर हो जाएं. मैं मानता हूं कि ऐसा होता दिखाई नहीं पड़ता लेकिन मुझे लगता है ये सबसे बेहतर होगा.‘’
अलास्का की सीनेटर लिसा मुर्कोवस्की पहली रिपब्लिकन हैं जिन्होंने ट्रंप को व्हाइट हाउस छोड़ने की बात कही. नेब्रास्का से सीनेटर बेन सैस ने कहा है कि अगर हाउस में महाभियोग क़ानून लाया गया तो वह इसके बारे में सोचेंगे.
वहीं दूसरी ओर पूर्व रिपब्लिकन नेता और कैलिफ़ोर्निया के गवर्नर अर्नाल्ड श्वेक्सनेगर ने रविवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो में कहा है कि ट्रंप अमेरिका के ‘’सबसे ख़राब राष्ट्रपति‘’ हैं.
उन्होंने कैपिटल हिल की हिंसा को नाज़ी जर्मनी में साल 1938 में हुई क्रिस्टॉलनैच्ट घटना से जोड़ा, इस घटना में जर्मनी में यहूदियों के घरों-संपत्तियों को तबाह किया गया था.
ऑफ़-ड्यूटी होकर घटना में शामिल हुए कुछ पुलिस अधिकारी
जांचकर्ता कैपिटल हिल की हिंसा में शामिल दंगाईयों को पकड़ने की कोशिश में लगे हैं और इस दौरान वर्जीनिया और वॉशिंगटन पुलिस विभागों ने ऑफ़ ड्यूटी होकर कुछ अधिकारियों के इस घटना में हिस्सा लेने के कारण उन्हें प्रशासनिक छुट्टी पर भेज दिया है.
रॉयटर्स न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक़ फ्लोरिडा और न्यूयॉर्क सिटी के फ़ायर विभाग ने कहा है कि जब भीड़ का हमला कैपिटल बिल्डिंग पर हुआ तो ये संभव है कि उनके कुछ सदस्य वहां मौजूद रहे हों.
क्या होगी महाभियोग की प्रक्रिया
अगर ट्रंप पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया शुरू की जाती है तो वह अमेरिका के अकेले ऐसे राष्ट्रपति होंगे जिन पर दो बार महाभियोग चलाया गया.
ऐसा करने के लिए महाभियोग क़ानून हाउस में लाना होगा और उसे वोटिंग से पास कराना होगा.
इसके बाद ये मामला सीनेट में पेश होगा जहां राष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए दो-तिहाई वोटों की ज़रूरत होगी. अगर वह दोषी साबित होते हैं तो सीनेट ये भी फ़ैसला कर सकती है कि वह दोबारा कभी किसी भी सार्वजनिक पद पर नहीं बैठ सकते.
डेमोक्रैट्स ने अन-औपचारिक रूप से पहले ही माइक पेंस से 25वां संशोधन लागू करने की अपील की है.
वहीं माइक पेंस ने राष्ट्रपति से दूरी बनाते हुए रविवार को कहा है कि वह 20 जनवरी को बाइडन के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे. हालांकि उन्होंने इस तरह के कोई संकेत नहीं दिए हैं कि वह संशोधन लागू करने को तैयार हैं.
ट्रंप ने कहा है कि वह बाइडन के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं होंगे लेकिन इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में अपनी हार स्वीकारी है और वादा किया है कि वह शांतिपूर्ण तरीक़े से सत्ता का हस्तांतरण करेंगे. लेकिन वह वोटिंग में हुए फ़्रॉड के आधारहीन दावों को लोगों को बीच ले जाते रहेंगे.(bbc.com/hindi)
अमेरिकी संसद राष्ट्रपति ट्रंप को हटाने के लिए कार्रवाई शुरू करने जा रही है. अमेरिकी संसद भवन कैपिटॉल में ट्रंप समर्थकों के घुसने के बाद देश लोकतंत्र को लेकर शर्मसार हुआ है. ट्रंप का कार्यकाल 19 जनवरी तक है.
अमेरिकी संसद के निचले सदन की स्पीकर नैन्सी पेलोसी ने कहा है कि सदन में राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव लाया जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने उपराष्ट्रपति माइक पेंस और कैबिनेट पर दबाव बनाया है कि वो संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल कर ट्रंप को हटाने की प्रक्रिया शुरू करें. कैपिटॉल पर घातक हमले के बाद ट्रंप को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया जा रहा है. नैन्सी पेलोसी ने इस मामले में तुरंत कार्रवाई की जरूरत पर बल देते हुए कहा, "हम इस मामले में तुरंत कार्रवाई करेंगे क्योंकि राष्ट्रपति एक खतरे का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. इस राष्ट्रपति के द्वारा हमारे लोकतंत्र पर हमले का डर लगातार बना हुआ है और इसलिए तुरंत कार्रवाई की जरूरत है."
सदन में इस मुद्दे पर कार्रवाई सोमवार को ही शुरू हो सकती है क्योंकि ट्रंप को हटाने के लिए दबाव बढ़ता जा रहा है. मंगलवार को ही इस मुद्दे पर हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में मतदान भी हो सकता है. मतदान के बाद सदन में महाभियोग की कार्रवाई शुरू करने से पहले उपराष्ट्रपति पेंस के पास फैसला लेने के लिए 24 घंटे का वक्त होगा.
अलग थलग पड़े ट्रंप
यहां तक कि रिपब्लिकन पार्टी के सांसद भी इसकी मांग में खुल कर सामने आ गए हैं. अलास्का की सिनेटर लीसा मुरोकोव्स्की के बाद अब पेन्सिल्वेनिया की सीनेटर पैट टूमी ने भी मांग की है कि ट्रंप, "तुरंत इस्तीफा दे कर जितनी जल्दी हो सके दूर चले जाएं." व्हाइट हाउस में ट्रंप के आखिरी 10 दिन बेहद उथल पुथल वाले रहने की आशंका बन रही है. सांसद चेतावनी दे रहे हैं कि 20 तारीख को जो बाइडन के शपथग्रहण समारोह से पहले राष्ट्रपति कुछ नुकसान कर सकते हैं.
व्हाइट हाउस में जमे ट्रंप कैपिटॉल वाली घटना के बाद अलग थलग पड़ते जा रहे हैं. ट्रंप चुनाव में धांधली का आरोप लगा रहे हैं लेकिन इसके पक्ष में कोई सबूत अब तक पेश नहीं कर सके हैं. अमेरिका की कई अदालतों में इस शिकायत के साथ मामले दर्ज कराने की कोशिश की गई लेकिन जजों ने ये मामला खारिज कर दिया. इनमें वो जज भी शामिल हैं जिन्हें डॉनल्ड ट्रंप ने नियुक्त किया.
महाभियोग की योजना
महाभियोग की योजना पर पैट टूमी ने संदेह जताया है कि जो बाइडेन के शपथग्रहण से पहले यह मुमकिन हो सकता है. हालांकि ऐसे सांसदों की संख्या बढ़ती जा रही है जो मानते हैं कि महाभियोग की कार्रवाई जरूरी है ताकि डॉनल्ड ट्रंप फिर कभी चुनाव में हिस्सा ना ले सकें. टूमी ने कहा, "मेरा ख्याल है कि राष्ट्रपति ने खुद को हमेशा के लिए अयोग्य बना लिया है. निश्चित रूप से वे फिर यहां कभी नहीं आएंगे. मुझे नहीं लगता कि वे किसी भी तरह से चुने जाने के योग्य हैं.
डेमोक्रैटिक पार्टी की योजना सोमवार को महाभियोग लाने की है. रणनीति यह है कि राष्ट्रपति के कदमों की तुरंत निंदा की जाएगी लेकिन सीनेट में महाभियोग पर मुकदमे को 100 दिन बाद शुरू किया जाएगा. इससे निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन को शपथग्रहण के बाद अपनी प्राथमिकताों पर काम करने के लिए वक्त मिल जाएगा.
रिपब्लिकन पार्टी के कुछ सांसदों का कहना है कि यह महाभियोग के लिए उचित समय नहीं है. उनका मानना है कि इस वक्त देश को लोकतंत्र के लिए एकजुट होने की जरूरत है. राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाए जाने से पार्टियों में फूट पड़ेगी. उनका यह भी कहना है कि डेमोक्रैटिक पार्टी इस मौके का फायदा उठाना चाहती है.
रिपब्लिकन पार्टी को चंदा नहीं
इस बीच कैपिटॉल पर हुए दंगे के बाद अमेरिकी उद्योग और व्यापार जगत ने रिपब्लिकन पार्टी को चंदे खत्म करने की शुरुआत कर दी है. ब्लू क्रॉस ब्लू शील्ड एसोसिएशन के सीईओ और अध्यक्ष किम केक ने कहा है कि उनकी कंपनी उन सांसदों को चंदा नहीं देगी जिन्होंने बाइडेन के इलेक्टोरल कॉलेज की जीत को चुनौती दी थी. चुनौती देने वाले सभी सांसद रिपब्लिकन पार्टी के थे. सिटी ग्रुप ने किसी सांसद का नाम तो नहीं लिया है लेकिन कहा है कि वह संघीय स्तर पर सभी राजनीतिक चंदे को अगले तीन महीने के लिए रोक रही है.
कैपिटॉल पर ट्रंप समर्थकों के हमले के बाद अमेरिका में लोकतंत्र की स्थिति को लेकर सवाल उठ रहे हैं. पहली नजर में यह हमला जितना बड़ा और घातक लगा था उसकी तुलना में इसके कहीं ज्यादा नुकसानदेह होने की बात कही जा रही है. उपद्रवियों की भीड़ संसद भवन के भीतर घुस गई थी और सांसदों को अपनी सुरक्षा के लिए कमरों में बंद होना या भागना पड़ा था. इनमें उपराष्ट्रपति, स्पीकर और दूसरे वरिष्ठ नेता भी शामिल थे.
एनआर/आईबी (एपी)
ढाका, 11 जनवरी | बांग्लादेश की राजधानी ढाका के बाहरी इलाके में गाजीपुर में एक सामुदायिक रसोई के अंदर सोमवार को गैस सिलेंडर फटने से चार लोगों की मौत हो गई और 20 अन्य घायल हो गए। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, स्थानीय कलियाकोइर फायर सर्विस स्टेशन के एक अधिकारी, कबीरुल आलम ने मीडिया को बताया, "कॉलोनी की रसोई के अंदर ज्यादातर कपड़ा श्रमिकों के लिए खाना बनाने के लिए रखे गैस सिलेंडर में अचानक आग लगने और विस्फोट होने से एक महिला और तीन पुरुष मारे गए जिनमें उसका पति भी शामिल है और 20 अन्य घायल हो गए।"
उन्होंने कहा कि आग ने सोमवार को सुबह लगभग 5 बजे पूरी तरह से या आंशिक रूप से कॉलोनी के कम से कम 50 घरों को अपनी चपेट में ले लिया।
अधिकारी ने कहा कि सभी घायलों को पास के अस्पतालों में ले जाया गया।
उन्होंने कहा कि दमकलकर्मियों ने करीब एक घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग की लपटों को काबू में किया।
बांग्लादेश फायर सर्विस और सिविल डिफेंस ने घटना की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है। (आईएएनएस)
दुबई, 11 जनवरी | हवाई अड्डे बंद होने के कारण संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में फंसे भारतीयों में से कई सऊदी अरब और कुवैत जाने के लिए रियाद से बसें लेकर अपने गंतव्यों पर लौट आए हैं। रविवार को गल्फ न्यूज ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सऊदी अरब और कुवैत के लगभग 600 भारतीय प्रवासियों को पिछले महीने दोनों पड़ोसी देशों में अचानक हवाई अड्डे के बंद होने के कारण यूएई में 2 सामुदायिक समूहों ने आश्रय दिया हुआ था।
यूएई केरल मुस्लिम कल्चरल सेंटर (केएमसीसी) ने अजमान में स्वास्थ्य और रोकथाम मंत्रालय के तहत एक इमारत में करीब 350 लोगों को आश्रय दिया गया था। वहीं 250 प्रवासियों को इंडियन कल्चरल फाउंडेशन के दुबई इन्वेस्टमेंट पार्क में एक कंस्ट्रक्शन फर्म आसा ग्रुप के सहयोग से दुबई मरकज सेंटर में ठहराया गया था। फंसे हुए भारतीयों में ज्यादातर कृषि, निर्माण साइट आदि पर काम करने वाले श्रमिक हैं। इन्होंने पिछले हफ्ते से वापस जाना शुरू कर दिया था लेकिन ज्यादा किराया होने के कारण कई लोगों को फिर से अपनी किफायती टिकटें बुक करनी पड़ी। इससे इन लोगों को और देरी हुई , जिससे सामुदायिक समूहों ने बसों की व्यवस्था करने का फैसला किया ताकि इन प्रवासियों को सऊदी तक पहुंचाया जा सके।
गल्फ न्यूज की रिपोर्ट में यूएई केएमसीसी नेशनल कमेटी के प्रेसिडेंट पुथुर रहमान के हवाले से कहा, "अब तक 54 लोगों को बस से फ्री में रियाद ले जाया गया है और 29 लोग जा रहे हैं। अंतिम बस 12 जनवरी की रात को रवाना होगी।"
आईसीएफ के वॉलेंटियर कैप्टन लुकमान मंगाड ने कहा कि सप्ताहांत में 3 बसों में 70 यात्रियों को भेजा गया था। कुवैत के कुछ लोगों को छोड़कर बाकी सभी लोग चले गए हैं, जो लोग बचे हैं, वे अपनी फ्लाइट्स का इंतजार कर रहे हैं।
बता दें दुबई में भारतीय वाणिज्य दूतावास ने फंसे हुए लोगों को निकालने में मदद करने के लिए केएमसीसी को 30,000 दिरहम की वित्तीय सहायता दी है। (आईएएनएस)
जकार्ता, 11 जनवरी | सप्ताहांत में इंडोनेशिया के पश्चिम जावा प्रांत में आए विनाशकारी भूस्खलन में लापता लोगों की संख्या बढ़कर 27 हो गई, जबकि मरने वालों की संख्या 13 हो गई। इसकी जानकारी एक वरिष्ठ आपदा अधिकारी ने दी। प्रांतीय आपदा प्रबंधन एजेंसी के आपातकालीन इकाई के प्रमुख बुदी बुदिमन ने कहा, "शनिवार को सुमेदंग जिले के सिहांजुआन गांव में यह आपदा भारी बारिश के कारण हुई।"
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, "हमें रिपोर्ट मिली है कि भूस्खलन के बाद अभी और लोग लापता हैं।"
बुदिमान ने कहा कि एक पहाड़ी की ढलान में स्थित भूस्खलन से 18 घर नष्ट होने के साथ ही 18 लोग घायल हो गए हैं।
उन्होंने कहा कि पीड़ितों को बचाने के लिए खोज एवं बचाव अभिनयान को सोमवार को फिर से शुरू किया गया है। (आईएएनएस)
ब्राजीलिया, 11 जनवरी | ब्राजील में कोरोनावायरस के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 81,05,790 और मौतों की संख्या 2,03,100 हो गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के कहा है कि पिछले 24 घंटों में देश में 29,792 नए मामले और 469 मौतें सामने आईं हैं। दुनिया में संक्रमण के मामलों की संख्या में अमेरिका और भारत के बाद ब्राजील तीसरे नंबर पर है। वहीं मौतों के आंकड़ों में यह अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर है। यहां के साओ पाउलो राज्य में सबसे ज्यादा 48,351 मौतें और 15,46,132 मामले दर्ज हुए हैं।
वहीं अमेजॅनस राज्य में 1 जनवरी से 9 जनवरी के बीच 1,580 लोग अस्पताल में भर्ती हुए, जिससे यहां के हॉस्पिटल सिस्टम बुरी तरह दबाव में है। यहां के गवर्नर विल्सन लीमा ने एक फील्ड अस्पताल को फिर से खोलने की घोषणा की है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार को एक बयान में कहा कि उसे जापान से सूचना मिली है कि 2 जनवरी को टोक्यो लौटने से पहले अमेजॅनस राज्य में आए 4 यात्रियों में कोरोनावायरस का नया रूप मिला है।
मंत्रालय ने कहा कि उसने जापान सरकार से ब्राजील में संभावित संपर्कों की पहचान करने के लिए चारों जापानी आगंतुकों और उनके यात्रा कार्यक्रम की जानकारी मांगी है। (आईएएनएस)
ब्राजीलिया, 11 जनवरी| ब्राजील में कोरोनावायरस के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 81,05,790 और मौतों की संख्या 2,03,100 हो गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के कहा है कि पिछले 24 घंटों में देश में 29,792 नए मामले और 469 मौतें सामने आईं हैं। दुनिया में संक्रमण के मामलों की संख्या में अमेरिका और भारत के बाद ब्राजील तीसरे नंबर पर है। वहीं मौतों के आंकड़ों में यह अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर है। यहां के साओ पाउलो राज्य में सबसे ज्यादा 48,351 मौतें और 15,46,132 मामले दर्ज हुए हैं।
वहीं अमेजॅनस राज्य में 1 जनवरी से 9 जनवरी के बीच 1,580 लोग अस्पताल में भर्ती हुए, जिससे यहां के हॉस्पिटल सिस्टम बुरी तरह दबाव में है। यहां के गवर्नर विल्सन लीमा ने एक फील्ड अस्पताल को फिर से खोलने की घोषणा की है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार को एक बयान में कहा कि उसे जापान से सूचना मिली है कि 2 जनवरी को टोक्यो लौटने से पहले अमेजॅनस राज्य में आए 4 यात्रियों में कोरोनावायरस का नया रूप मिला है।
मंत्रालय ने कहा कि उसने जापान सरकार से ब्राजील में संभावित संपर्कों की पहचान करने के लिए चारों जापानी आगंतुकों और उनके यात्रा कार्यक्रम की जानकारी मांगी है। (आईएएनएस)
सऊदी अरब ने एक ऐसा शहर बनाने का ऐलान किया है जो कार मुक्त होगा. इसे 'द लाइन' नाम से जाना जाएगा. नियोम बिजनेस जोन को विकसित करने की दिशा में यह पहला बड़ा कदम है. शहर का निर्माण महीने भर में शुरू हो जाएगा.
सऊदी अरब ने नियोम बिजनेस जोन के तहत शून्य कार्बन उत्सर्जन वाले शहर की योजना की घोषणा की है. लाल सागर के तट पर सऊदी अरब भविष्य का व्यावसायिक केंद्र बना रहा है. रविवार 10 जनवरी को सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने शहर के लॉन्च की घोषणा की. इस शहर का नाम 'द लाइन' होगा. तेल समृद्ध देश के क्राउन प्रिंस के मुताबिक शून्य कार, शून्य सड़क और शून्य कार्बन उत्सर्जन वाले ईको-शहर में दस लाख लोग रह सकेंगे. इसमें स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र और हरियाली जैसी सुविधाएं होंगी. शहर का निर्माण इस साल की पहली तिमाही में शुरू हो जाएगा. प्रिंस मोहम्मद के मुताबिक, "हमें पारंपरिक शहर की अवधारणा को भविष्य के शहर के रूप में बदलने की जरूरत है."
नियोम में होगा अरबों का निवेश
नियोम ने एक बयान में कहा एक उच्च गति वाले सार्वजनिक परिवहन सिस्टम की योजना के साथ पैदल यात्रा वाले शहर तक यात्रा में 20 मिनट से अधिक नहीं लगने की उम्मीद है. बयान के मुताबिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका होगी, बयान के मुताबिक, "यह 100 प्रतिशत स्वच्छ ऊर्जा द्वारा संचालित होगा और यह निवासियों के लिए प्रदूषण मुक्त, स्वस्थ और अधिक स्थायी वातावरण मुहैया करेगा." सऊदी अरब के पश्चिमोत्तर में नियोम प्रोजेक्ट पर करीब 500 अरब डॉलर का निवेश हो रहा है. लाल सागर के तट पर इस नए स्पेशल आर्थिक जोन के तहत क्राउन प्रिंस का इरादा युवाओं को नौकरियां देने का है. नियोम 26,500 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला होगा और इसकी सीमाएं जॉर्डन और मिस्र को छूएंगी. साल 2017 में जब नियोम की घोषणा हुई थी तो इसमें काफी रूचि ली गई. इस प्रोजेक्ट के तहत 3,80,000 नौकरियां पैदा होंगी और 2030 तक करीब 48 अरब डॉलर सऊदी की जीडीपी में आएगा. सऊदी अरब दुनिया का प्रमुख कच्चा तेल निर्यातक है और सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाले देशों में भी शामिल है.
एए/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)
ट्रम्प को बर्ख़ास्त करने के दस्तावेज़ कांग्रेस में पहुंचे...ट्रम्प शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण के अपने बयान से पलटे, त्यागपत्र से किया इंकार उप राष्ट्रपति पेन्स से सख़्त नाराज़
अमरीकी मीडिया ने ख़ुलासा किया है कि अपने कार्यकाल के आख़िरी दिन गुज़ार रहे अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प अपने उप राष्ट्रपति माइक पेन्स से सख़्त नाराज़ हैं क्योंकि उन्होंने निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन की विजय की पुष्टि की प्रक्रिया में बाधा नहीं डाली।
मीडिया में लीक होने वाली रिपोर्टों के अनुसार ट्रम्प ने शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण के बारे में जो बयान दिया है उस पर वह पछता रहे हैं।
वाशिंग्टन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि ट्रम्प को पेन्स पर बहुत ग़ुस्सा है क्योंकि उन्होंने ट्रम्प की बात नहीं मानी और कांग्रेस की कार्यवाही को पूरा होने दिया।
सीएनएन ने पेन्स के बहुत क़रीबी सूत्र के हवाले से यह बात कही है कि ट्रम्प को राष्ट्रपति पद से बर्ख़ास्त करने के लिए संविधान के 25वें संशोधन का इस्तेमाल किया जा सकता है और अगर ट्रम्प जोखिम भरे क़दम उठाते रहे तो ट्रम्प को बर्ख़ास्त ही करना पड़ेगा।
मगर इस सूत्र का कहना है कि पेन्स की टीम को यह चिंता है कि अगर ट्रम्प को बर्ख़ास्त किया गया तो इसके विनाशकारी परिणाम सामने आ सकते हैं या अगर कांग्रेस में ट्रम्प के ख़िलाफ़ कार्यवाही की गई तब भी ट्रम्प कुछ उल्टे सीधे क़दम उठा सकते हैं।
वाशिंग्टन पोस्ट का कहना है कि कांग्रेस पर अपने समर्थकों के हमले में 5 लोगों के मारे जाने के बाद ट्रम्प ने कोई ध्यान ही नहीं दिया और इन घटनाओं में एक अमरीकी पुलिसकर्मी की हत्या के बाद उन्होंने वाइट हाउस पर लगा राष्ट्र ध्वज झुकाने का आदेश भी नहीं दिया।
अख़बार ने यह रिपोर्ट भी दी कि ट्रम्प और उनके सलाहकार जारेड कुशनर कुछ सांसदों से लगातार संपर्क कर रहे हैं कि उनके ख़िलाफ़ कोई कार्यवाही न होने पाए। कुशनर सांसदों से कह रहे हैं कि वह ट्रम्प पर क़ानूनी कार्यवाही के विरोध में बयान दें और उसे सोशल मीडिया पर शेयर करें।
प्रतिनिधि सभा की चेयर परसन नेन्सी पेलोसी ने डेमोक्रेट सांसदों को संदेश दिया है कि देश के लोकतंत्र पर हमला करने वालों के ख़िलाफ़ कार्यवाही बहुत ज़रूरी हो गई है।
पेलोसी ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस के भीतर और बाहर संवैधानिक और संसदीय विशेषज्ञों से इस बारे में बात की है कि ट्रम्प के ख़िलाफ़ क्या कार्यवाही की जा सकती है।
रोयटर्ज़ ने रिपोर्ट दी है कि कांग्रेस में सांसदों के बीच सदन में ट्रम्प पर मुक़द्दमा चलाने के विषय से संबंधित एक दस्तावेज़ गरदिश कर रहा है।
समाचार एजेंसी का कहना है कि यह दस्तावेज़ जो ट्रम्प को राष्ट्रपति पद से बर्ख़ास्त करने से संबंधित है डेमोक्रेट सांसदों ने तैयार किया है। इसमें ट्रम्प पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने जान बूझ कर हिंसा भड़काने वाले बयान दिए ताकि चुनाव के नतीजों को ताक़त के बल पर बदल सकें।
दूसरी ओर न्यूयार्क टाइम्ज़ ने ख़ुलासा किया है कि ट्रम्प ने बंद दरवाज़ों के पीछे यह कहा है कि वह कभी इस्तीफ़ा नहीं देंगे और उन्होंने गत गुरुवार को शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण के बारे में जो बयान दिया है उस पर उन्हें पछतावा है।
फ़ारेन पालीसी मैगज़ीन ने रिपोर्ट दी है कि अमरीकी विदेश मंत्रालय के 175 अधिकारियों ने विदेश मंत्री माइक पोम्पेयो को संदेश भेजकर उनसे मांग की है कि कांग्रेस पर ट्रम्प के समर्थकों के हमले की निंदा करें। पोम्पेयो से यह भी कहा गया है कि ट्रम्प ने कांग्रेस पर हमले के लिए अपने समर्थकों को उकसाया है तो इस घटना पर उन्हें बर्ख़ास्त करने के लिए कार्यवाही की जानी चाहिए। (parstoday)
चार महिला क्रू सदस्यों का दल ऐतिहासिक उड़ान भरते हुए सैन फ्रांसिस्को से बेंगलुरु पहुँच चुका है. इस दल में सिर्फ़ महिलाएँ ही शामिल थीं.
इससे पहले शनिवार को नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि पूरी तरह से महिला सदस्यों वाला क्रू सैन फ्रांसिस्को से बेंगलुरु के लिए शनिवार को उड़ान भड़ेगा.
एयर इंडिया के एक सीनियर अधिकारी ने शनिवार को बताया था कि एयर इंडिया का यह विमान उत्तरी ध्रुव के ऊपर से उड़ान भरते हुए अटलांटिक के रास्ते बेंगलुरु पहुँचेगा.
हरदीप सिंह पुरी ने क्रू के सभी महिला सदस्यों के नाम ट्वीट किए हैं.
क्रू के चारों महिला सदस्यों के नाम कैप्टन जोया अग्रवाल, कैप्टन पापागारी थनमई, कैप्टन अकांक्षा सोनावर और कैप्टन शिवानी मानहंस हैं. (bbc.com)