-ज़ुबैर अहमद
गुरुवार को ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज़ ट्रस के इस्तीफ़ा देने के बाद दोबारा सुनक को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद की रेस में बताया जा रहा है.
इस बीच वहां के सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा तेज़ है कि पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन भी पद पर वापसी कर सकते हैं.
हालांकि जेरेमी हंट का भी नाम सामने आया था, लेकिन उन्होंने लीडरशिप की दौड़ में शामिल होने से इनकार कर दिया.
इस बीच पेनी मॉरडॉन्ट ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद की रेस के लिए आधिकारिक तौर पर अपनी दावेदारी पेश कर दी है. वो पिछली दौड़ में भी शामिल हुई थीं, लेकिन नाकाम रही थीं.
ऋषि सुनक ब्रिटेन के साउथम्पटन शहर के रहने वाले हैं.
वहां उनके जानने वाले इस बात से काफ़ी उत्साहित हैं कि वो देश के अगले प्रधानमंत्री बन सकते हैं. शहर के जिस मंदिर में ऋषि सुनक जाते हैं उसके अध्यक्ष संजय चंद्राना ने बीबीसी हिंदी से कहा कि लोगों में उत्साह है.
वो कहते हैं, "मैं अपने सर्कल में जिससे भी बात करता हूँ वह चाहता है कि ऋषि प्रधानमंत्री बनें. देश को अभी जिन आर्थिक नीतियों और स्थिरता की ज़रूरत है, उसके आधार पर ऋषि सुनक के पास प्रधानमंत्री बनने का अच्छा मौका है."
लंदन स्थित वरिष्ठ पत्रकार प्रसून सोनवलकर कहते हैं कि वास्तविकता यह है कि सत्तारूढ़ कंज़र्वेटिव पार्टी अब बुरी तरह से विभाजित है.
वो कहते हैं, "पार्टी में ऐसे सांसद हैं जो बोरिस जॉनसन को वापस लाना चाहते हैं, कुछ दूसरे सांसदों का कहना है कि अगर बोरिस लौटते हैं तो वो इस्तीफ़ा दे देंगे."
ब्रिटेन का सियासी संकट
- लिज़ ट्रस ने पीएम बनने के 44 दिन बाद गुरुवार को दिया इस्तीफ़ा
- ऋषि सुनक को पीछे छोड़ लिज़ ट्रस प्रधानमंत्री बनी थीं
- देश की आर्थिक हालत संभाल ना पाने की वजह से दिया इस्तीफ़ा
- कंज़र्वेटिव पार्टी में उनके ख़िलाफ़ सांसदों ने किया बग़ावत
- अब पूर्व वित्त मंत्री ऋषि सुनक, पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन प्रमुख दावेदार माने जा रहे
- अगले सोमवार तक उम्मीदवारों को भरना है नामांकन
- संसद का मौजूदा कार्यकाल डेढ़ साल बचा है
- नए नेता के सामने अगले चुनाव में पार्टी को जीत दिलाने की ज़िम्मेदारी होगी
42 साल के ऋषि सुनक इस साल जुलाई तक देश के वित्त मंत्री थे. उनके इस्तीफ़े के बाद ही पार्टी में उस समय के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के ख़िलाफ़ पार्टी में विद्रोह शुरू हुआ था और कई मंत्रियों ने अपने पदों से इस्तीफ़ा दे दिया था.
उनके इस्तीफे के बाद बोरिस जॉनसन को भी प्रधानमंत्री पद से हटना पड़ा था. कई हफ़्तों तक चले लीडरशिप की दौड़ में पार्टी सांसदों ने ऋषि सुनक और लीज़ ट्रस को प्रधानमंत्री पद के लिए चुना.
पार्टी के 1 लाख 60 हज़ार से अधिक सदस्यों को इन दोनों में से एक को चुनना था. लिज़ ट्रस को ज़्यादा सदस्यों का समर्थन मिला और वो प्रधानमंत्री बन गईं, और सुनक हार गए.
हालांकि ब्रिटेन के आर्थिक संकट को देखते हुए आज भी कई सांसद ऋषि सुनक को प्रधानमंत्री पद पर देखना चाहते हैं.
लिज़ ट्रस ने टैक्स कम करने और गैस के दाम को स्थिर करने जैसे कई वादे किए थे जिनके बारे में ऋषि सुनक ने आगाह किया था कि ये क़दम देश को एक बड़े आर्थिक संकट में डाल देंगे.
ऋषि सुनक की चेतावनी सही साबित हुई ?
संजय चंद्राना जिन्होंने हाल में सॉउथम्पटन के मंदिर में ऋषि सुनक के साथ एक लंबा समय बिताया था, बीबीसी से कहते हैं कि लिज़ ट्रस के आर्थिक क़दमों के बारे में ऋषि सुनक की वॉर्निंग अब सही साबित हुई.
वो कहते हैं, "लिज़ ट्रस ने आर्थिक नीतियों के बारे में जो सपने दिखाए थे ऋषि उस बारे में सही थे. उनकी बात सही साबित हुई. ये नीतियां देश के लिए घातक साबित हुईं. उच्च मुद्रास्फीति, उच्च ब्याज दर, कमज़ोर होता पाउंड और लोगों के क़र्ज़ न अदा कर पाने की स्थिति, ये सब इसी का नतीज़ा है."
वो आगे कहते हैं, "लिज़ ट्रस और ऋषि सुनक के बीच मुक़ाबले में दो बातें खुलकर सामने आई थीं. ऋषि सुनक को पार्टी के अधिकतर सांसदों का समर्थन हासिल था और पार्टी सदस्यों की युवा पीढ़ी उनके साथ थी.
लेकिन पार्टी के अंदर पुराने कंज़र्वेटिव विचारधारा के लोग बहुमत में हैं जिन्होंने ऋषि सुनक के ऊपर लीज़ ट्रस को तरजीह दी थी."
साउथम्पटन से ऋषि सुनक को जानने वाले नरेश सोनचटला कहते हैं कि उन्हें विश्वास है कि ऋषि सुनक इस बार फिर प्रधानमंत्री पद के दावेदार होंगे.
वो कहते हैं, "जहाँ तक मुझे मालूम है ऋषि को कैबिनेट का पूरा समर्थन हासिल है, देश उनके साथ है. सट्टेबाज़ भी ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री बनने की भविष्यवाणी कर रहे हैं.
निजी तौर पर मैं उनका समर्थन करता हूँ और भगवन से प्रार्थना करता हूँ कि वो लिज़ ट्रस की ग़लतियों का सुधार सकें ताकि मज़बूत लीडरशिप मिलने पर हमारी अर्थव्यवस्था पटरी पर वापस आ सके."
बोरिस की वापसी मुमकिन?
हालांकि अभी तक किसी नेता ने प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल होने की घोषणा नहीं की है, लेकिन उम्मीदवारों को सोमवार दोपहर तक अपने नाम देने होंगे.
माना जा रहा है कि ऋषि सुनक और बोरिस जॉनसन मुख्य दावेदार बन कर उभरेंगे. ख़बरें ये आ रही हैं कि बोरिस जॉनसन, जो अपनी छुट्टी गुज़ारने के लिए विदेश में थे, अब ब्रिटेन वापस आ रहे हैं.
ब्रिटेन के राजनीति विश्लेषकों का मानना है कि फ़िलहाल दोनों नेता इस बात का अंदाज़ा लगाने की कोशिश करेंगे कि उन्हें कितने सांसदों का समर्थन हासिल है.
संजय चंद्राना कहते हैं, "ब्रिटेन के ताज़ा राजनीतिक हालात देखते हुए कहा जा सकता है कि बोरिस जॉनसन भी प्रधानमंत्री की रेस में हैं और कुर्सी पर लौट सकते हैं. कंज़र्वेटिव पार्टी इस समय एक बड़ी दुविधा से गुज़र रही है."
"देश में आर्थिक संकट है और आम चुनाव डेढ़ साल बाद होना है. अगला प्रधानमंत्री ऐसा होना चाहिए जो आर्थिक संकट पर क़ाबू पाने के अलावा पार्टी को अगले चुनाव में जीत दिला सके."
तो क्या अगले प्रधानमंत्री का चुनाव इसी बुनियाद पर होगा?
प्रसून सोनवलकर कहते हैं, "सवाल ये भी है कि अगले आम चुनाव में पार्टी का नेतृत्व कौन करेगा? बोरिस जॉनसन के पास 2019 में भारी जीत का अपना सिद्ध रिकॉर्ड है. आर्थिक संकट से निपटने के लिए ऋषि सुनक भी एक बेहतर उम्मीदवार हो सकते हैं."
"लेकिन क्या उनके पास आम चुनाव जिताने की अपील है? उनके आलोचकों द्वारा हो सकता है एक बार फिर 'स्टॉप ऋषि' अभियान चलाया जाए".
ब्रिटेन मध्यावधि चुनाव की तरफ़?
ब्रिटेन में मुख्य विपक्षी दल लेबर पार्टी के नेता सर कीर स्टर्मर ने मध्यावधि चुनाव कराने की मांग की है.
प्रसून सोनवलकर कहते हैं, "व्यापक वास्तविकता यह है कि जनमत सर्वेक्षण लगातार सुझाव दे रहे हैं कि लेबर पार्टी अगला चुनाव जीतेगी. इसलिए अगले सप्ताह जो भी अगला प्रधानमंत्री बनेगा, उसका कार्यकाल छोटा होने की संभावना है. वैसे भी नए पीएम का आगे का कार्यकाल अर्थव्यवस्था, ऊर्जा और अन्य संकटों से निपटने पर केंद्रित होगा."
संजय चंद्राना के अनुसार, ''कंज़र्वेटिव पार्टी की पोल रेटिंग ख़राब है. इस पोल रेटिंग के हिसाब से अगला प्रधानमंत्री केवल 2024 में होने वाले चुनाव तक के लिए ही होगा. लेकिन समस्या आर्थिक है, तो ज़ाहिर है कि आम चुनाव अभी करा दिया जाए और लेबर पार्टी सत्ता में आ जाए तब भी उसे आर्थिक संकट से ही जूझना पड़ेगा."
"कोरोना महामारी के बाद विश्व की ज़्यादातर अर्थव्यवस्थाओं का हाल बुरा है. ये एक वैश्विक समस्या है. विश्लेषक कहते हैं कि देश को एक ऐसे प्रधानमंत्री की ज़रूरत है जो संयम से काम ले, बड़े-बड़े वादे न करे, लोगों का भरोसा जीते और धीरे-धीरे आगे बढ़े."
अगला प्रधानमंत्री कब तक?
पार्टी के नियमों के मुताबिक़, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के अगले उम्मीदवार को लीडरशिप की रेस में शामिल होने के लिए 357 में से कम से कम 100 सांसदों का समर्थन हासिल करने की ज़रूरत होगी.
इसका मतलब है कि अधिकतम तीन उम्मीदवार खड़े हो सकते हैं. सांसदों के बीच पहले मतदान होगा और तीन उम्मीदवारों के होने पर सबसे कम वोट वाले व्यक्ति को हटा दिया जाएगा.
इसके बाद अगर दो उम्मीदवार बच जाएं और किसी भी सूरत में दूसरे दौर के वोटिंग की ज़रूरत पड़ती है तो सांसद दोनों उम्मीदवार में अपनी वरीयता (प्रेफ़रेंस) के ज़रिए अपना मत दे सकते हैं.
इस दौर के बाद भी अगर दोनों उम्मीदवार को एक समान मत मिलते हैं तो अंतिम निर्णय पार्टी के सभी सदस्यों के ऑनलाइन वोट के माध्यम से होगा. अगस्त और
सितंबर में कराई गई लीडरशिप पर वोटिंग कई हफ़्तों तक क्यों चली और इस बार एक हफ्ते में ही अगला प्रधानमंत्री कैसे चुन लिया जाएगा?
इस सवाल पर वरिष्ठ पत्रकार प्रसून सोनवलकर कहते हैं कि इस बार किसी भी उम्मीदवार को प्रधानमंत्री की रेस में शामिल होने के लिए कम से कम 100 सांसदों का समर्थन ज़रूरी है.
सोनवलकर कहते हैं कि पिछली बार ये पैमाना 30 सांसदों के समर्थन का था. ऐसे में ख़ुद ही उम्मीदवारों की संख्या तीन से ज़्यादा नहीं हो पाएगी और इसलिए अगला प्रधानमंत्री चुनने में वक़्त पिछली बार से कम लगेगा.
उन्होंने कहा, "यदि नामांकन बंद होने पर सोमवार को केवल एक उम्मीदवार बचता है, तो उसे विजेता और अगला प्रधान मंत्री घोषित किया जाएगा." (bbc.com/hindi)