अंतरराष्ट्रीय
तालिबान ने कहा है कि वह अफगानिस्तान में कोरोना वैक्सीन अभियान को अपना समर्थन देगा. अफगानिस्तान को डब्ल्यूएचओ ने कोवैक्स कार्यक्रम के तहत 11.2 करोड़ डॉलर सहायता देने का वादा किया है.
अफगानिस्तान सहायता विश्व स्वास्थ्य संगठन के कोवैक्स कार्यक्रम के तहत दी जा रही है. तालिबान ने यह घोषणा ऐसे समय में की है जब पिछले साल सितंबर से उसकी और सरकार के बीच शांति वार्ता चल रही है. बातचीत के बावजूद देश में हिंसा का दौर जारी है और आतंकवादी घटनाएं कम नहीं हो रही हैं. इस बीच तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि उनका समूह टीकाकरण अभियान को "मदद और सुविधा" देगा.
टीकाकरण अभियान अफगानिस्तान में स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से चलाया जाएगा. सरकार का मानना है आतंकी टीकाकरण कार्यक्रम के सदस्यों पर हमला नहीं करेंगे क्योंकि वे दरवाजे तक नहीं जाएंगे. फंडिंग की घोषणा करते हुए स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा यह कार्यक्रम देश की 3.8 करोड़ आबादी के 20 प्रतिशत तक पहुंच पाएगा.
भारत भी देगा मदद
कोवैक्स एक वैश्विक पहल है जिसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि सभी देशों को, भले ही उनकी आय का स्तर जो भी हो, कोविड-19 का टीका तेजी से और समान तरीके से पहुंचे. डब्ल्यूएचओ साल के अंत तक दो अरब वैक्सीन दुनिया के सबसे जोखिम वाले 20 प्रतिशत लोगों तक पहुंचाना चाहता है. इसके तहत उसने 91 देशों तक टीका पहुंचाने का लक्ष्य रखा है.
अफगानिस्तान के उप स्वास्थ्य मंत्री वहीद मोजराह ने पत्रकारों को बताया कि वैक्सीन मिलने में छह महीने तक लग सकते हैं लेकिन अधिकारी जल्द पाने की कोशिशों में लगे हुए हैं. अफगानिस्तान में अब तक कोरोना वायरस के 54,854 मामले दर्ज किए जा चुके हैं और 2,390 लोगों की मौत हुई है. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि जांच में कमी और चिकित्सा सुविधाओं तक पहुंच सीमित होने के कारण कम मामले दर्ज किए जा रहे हैं. युद्धग्रस्त देश होने के कारण स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है.
अफगानिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय में टीकाकरण विभाग प्रमुख गुलाम दस्तगीर नाजरी के मुताबिक कोवैक्स के अलावा देश को भारत से एस्ट्राजेनेका की पांच लाख खुराकें भी मिलने वाली हैं. नाजरी के मुताबिक, "एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन जो भारत में निर्मित हो रही है वह जल्द अफगानिस्तान आएगी." भारत सरकार के एक सूत्र ने पुष्टि की है कि पांच लाख खुराकें अफगानिस्तान के लिए अलग रख दी गई हैं. एक और अधिकारी ने बताया कि वैक्सीन की पहली खेप फरवरी में अफगानिस्तान पहुंच जाएगी. हालांकि काबुल ने लोगों को वैक्सीन देने के प्रोटोकॉल को अब तक नहीं अपनाया है.
एए/सीके (रॉयटर्स)
टोक्यो. जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने बुधवार को अपने सांसदों के नाइट क्लब जाने पर माफी मांगी है. जापानी सरकार ने लोगों से ये अपील की है कि कोरोना महामारी के वक्त में घरों से अनावश्यक ही बाहर ना निकलें. ऐसे में जब सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार के सांसद सोमवार को नाइट क्लब में देखे गए तो प्रधानमंत्री को खुद उनकी ओर से माफी मांगनी पड़ी.
प्रधानमंत्री सुगा कोरोना से निपटने में नाकामी के चलते पहले से आलोचना का शिकार हो रहे हैं. आलोचकों ने महामारी से निपटने की सरकार की कोशिशों को काफी धीमा बताया है. अब सांसदों द्वारा ऐसी हरकत से उनकी आलोचना बढ़ गई है. योशिहिदे सुगा ने संसद में कहा- "हम लोगों को मना कर रहे हैं कि वो रात 8 बजे के बाद बाहर खाना ना खाएं और अनावश्यक घूमने जाने से खुद को रोकें. ऐसे में हमारे सांसदों द्वारा बाहर जाने के इस कदम से मैं बेहद शर्मिंदा हूं और माफी मांगता हूं. हर सांसद को ऐसा व्यवहार करना चाहिए जिससे जनता को उनपर भरोसा हो सके."
जापान ने इस महीने टोक्यो और अन्य जगहों पर कोरोना के रोकथाम के लिए एमर्जेंसी की घोषणा कर दी थी. सरकार ने रेस्टोरेंट और बार को निर्देश जारी किया है कि वो रात 8 बजे के बाद बिजनेस बंद कर दें. हालांकि, सरकार के निर्देश का पालन ना करने पर फिलहाल किसी तरह का फाइन नहीं लगाया जा रहा है.
एक वरिष्ठ सांसद जुन मत्सूमोटो ने मीडिया में इस बारे में बयान दिया- "जब हम लोगों से धैर्य रखने के लिए कह रहे हैं, ऐसे वक्त में मेरा इस तरह का बरताव बेहद गैरजिम्मेदाराना है." मत्सूमोटो ने मीडिया में बताया कि सोमवार को एक इटैलियन रेस्टोरेंट में खाना खाने के बाद वो टोक्यो के दो नाइट क्लब्स में भी गए थे. (news18.com)
नई दिल्ली/दावोस: अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की प्रमुख क्रिस्टलीन जार्जीएवा ने कोविड-19 महामारी के कारण बढ़ती असामानता पर चिंता जताई और कहा कि सतत और संतुलित पुनरूद्धार के लिए हर किसी का चाहे वह कंपनी हो या फिर सरकार अथवा केंद्रीय बैंक सभी की मदद की जरूरत है. विश्व आर्थिक मंच की ‘ऑनलाइन' दावोस एजेंडा शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मुद्राकोष ने 2021 के लिए वैश्विक वृद्धि दर 5.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है जो पूर्व के अनुमान के मुकाबले अधिक है.
उन्होंने एक परिचर्चा में कहा कि बड़े देशों ने संकट के दौरान उससे निपटने के लिये जीडीपी के 20 प्रतिशत तक की मदद प्रदान की जबकि गरीब देशों में यह उनके जीडीपी का केवल 2 प्रतिशत रहा. और उनका जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का आकार भी छोटा है. यह परेशान करने वाला है.
जीर्जीएवा ने कहा कि सतत और संतुलित पुनरूद्धार के लिये हर किसी का चाहे वह कंपनी हो या फिर सरकार अथवा केंद्रीय बैंक सभी की मदद की जरूरत है. (khabar.ndtv.com)
लुसाने, 27 जनवरी | अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने इस साल जुलाई-अगस्त में होने वाले टोक्यो ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों में भाग लेने वाली टीमों और खिलाड़ियों से कोविड-19 वैक्सीन लगवाने का अनुरोध किया है। आईओसी वेबसाइट की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, आईओसी के अध्यक्ष थामस बाक ने आगामी टोक्यो ओलंपिक खेलों और 2022 बीजिंग विंटर गेम्स की तैयारियों को लेकर राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (एनओसीएस) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ शुक्रवार को ही सलाह मशविरा किया है।
आईओसी ने कहा कि कोविड-19 काउंटरमेशर्स का एक टूलबॉक्स विकसित किया गया है, जिसमें आव्रजन प्रक्रियाएं, संगरोध उपाय, परीक्षण, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण, संपर्क ट्रेसिंग और वैक्सीन भी शामिल हैं।
बयान में कहा गया है, " वैक्सीन टूल बॉक्स में उपलब्ध कई उपकरणों में से एक हैं, जिनका उपयोग उचित समय और उचित तरीके से किया जाना है। कमजोर समूहों, नर्सों, चिकित्सा डॉक्टरों और हर कोई जो हमारे समाजों को सुरक्षित रख रहा है, टीकाकरण की प्राथमिकता का ²ढ़ता से समर्थन करता है।"
टोक्यो ओलंपिक का आयोजन पिछले साल जुलाई-अगस्त में होना था, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे इस साल तक के लिए टाल दिया गया था और इसका आयोजन इस साल जुलाई-अगस्त में होगा। (आईएएनएस)
अमेरिकी संसद के उच्च सदन सीनेट में पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप पर महाभियोग प्रस्ताव को खारिज करने के लिए पांच रिपब्लिकन सांसदों को छोड़ सभी ने पक्ष में मतदान किया. ट्रंप को हिंसा के लिए दोषी ठहराना असंभवन हो गया है.
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को महाभियोग मामले में दोषी ठहराए जाने की कोशिश लगता है सफल नहीं हो पाएगी. मंगलवार को सीनेट में इस पर मतदान कराया गया गया. सीनेट में ट्रंप के पक्ष में 45 के मुकाबले 55 मत पड़े जो दो तिहाई बहुमत (67) से 12 मत कम थे. मतदान सफल तो रहा, लेकिन डेमोक्रैट पार्टी के पक्ष में उतने मत नहीं मिले जो ट्रंप को दोषी करार दिए जाने के लिए पर्याप्त हो. इससे पता चलता है कि महाभियोग के खिलाफ न केवल रिपब्लिकन सांसदों का बहुमत है, बल्कि पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप का अभी भी पार्टी पर काफी नियंत्रण है. मतदान से यह भी साफ हो जाता है कि ट्रंप को कैपिटल हिल में 6 जनवरी को हुई हिंसा के लिए "उकसाने" के लिए दोषी ठहराए जाने की संभावना बहुत कम है.
रिपब्लिकन सदस्य रैंड पॉल ने ट्रंप पर महाभियोग लगाए जाने की प्रक्रिया को असंवैधानिक करार दिए जाने के संबंध में सीनेट में एक प्रस्ताव पेश किया जिस पर मतदान हुआ और उसे सीनेट ने 55-45 के अंतर से खारिज कर दिया. इस मामले में ट्रंप की पार्टी के लिए अच्छी बात यह रही कि इस मतदान में रिपब्लिकन पार्टी के पांच सांसदों का साथ कुछ डेमोक्रैट सांसदों ने भी दिया जिसके परिणामस्वरूप इस बात की संभावना मजबूत होती दिख रही है कि महाभियोग मामले में ट्रंप को दोषी ठहराए जाने की कोशिश संभव है कि नाकाम हो जाएगी.
8 फरवरी से सीनेट में ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही की शुरूआत होगी, लेकिन बड़ी संख्या में रिपब्लिकन इसका विरोध करेंगे. ट्रंप को कैपिटल हिल पर हिंसा के लिए प्रतिनिधि सभा में 13 जनवरी को पहले ही आरोपित किया जा चुका है, जिसमें एक पुलिस अधिकारी समेत पांच लोग मारे गए थे. अमेरिका के इतिहास में ट्रंप एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति हैं जिन पर दो बार महाभियोग का मामला चलाया गया है. इस मामले में पहली सुनवाई 8 फरवरी को होनी है.
मतदान के बाद पत्रकारों से बात करते हुए पॉल ने कहा, "45 वोट का मतलब है कि महाभियोग की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाएगी." सोमवार को प्रतिनिधि सभा के एक प्रतिनिधिमंडल ने सीनेट को आरोप पत्र सौंपा था जिसमें ट्रंप पर यह आरोप लगाया गया था कि उन्होंने 6 जनवरी को अपने हजारों समर्थकों को अमेरिकी संसद पर हमला करने के लिए उकसाया था.
एए/सीके (एपी, रॉयटर्स)
सैन फ्रांसिस्को. अमेरिका में रहने वाले स्टीफन थॉमस की काफी चर्चा हो रही है. वजह है बिटकॉइन क्रिप्टोकरेंसी. उन्होंने क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन में तब निवेश किया था जब क्रिप्टोकरेंसी का रेट काफी था.
सैन फ्रांसिस्को में रहने वाले थॉमस ने वर्ष 2011 में 7,002 बिटकॉइन लिए थे. यह आज 245 मिलियन अमेरिकी डॉलर यानि 1800 करोड़ रुपए के बराबर हो चुके हैं. लेकिन वह चाहकर भी इस पैसे को भुना नहीं सकते हैं। वे एक अजीब समस्या में फंस गए हैं।
थामस ने इन्क्रिप्शन डिवाइस में इन सभी बिटकॉइन पासवर्ड को सेव कर के रखा था लेकिन अब वे अपना पासवर्ड भूल गए हैं. थॉमस अब तक 8 गलत पासवर्ड डाल चुके हैं और हार्ड ड्राइव किसी यूजर को 10 मौके प्रदान करती है.ऐसे में अब उनके पास केवल 2 मौके हैं. उन्होंने केजीओ टीवी के साथ बातचीत में कहा- शुरुआत के कुछ हफ्तों में तो मेरी परिस्थिति खराब हो गई थी. मैं बहुत तनाव में रहने लगा था लेकिन अब मैं अपने नुकसान को लेकर काफी सहज हो चुका हूं.
प्रोग्रामर के तौर पर काम करने वाले थॉमस जर्मनी में पैदा हुए थे. उनका कहना है कि वक्त ने उनके हालातों को बेहतर बनाया है. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि समय मरहम की तरह काम करता है और टाइम बीतने के साथ-साथ मैं काफी बेहतर हो चुका हूं. मुझे अंदाजा हो गया था कि ये मेरे मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाल रहा है.
न्यूयॉर्क टाइम्स के साथ बातचीत में अपनी कहानी शेयर करने के बाद थॉमस काफी वायरल हो गए थे और उन्हें कई तरह के अजीबोगरीब सुझाव भी मिल रहे हैं. उन्होंने कहा कि एक शख्स मुझे कह रहा था कि वो कुछ भविष्यवादियों से मेरी बात करा सकता है. वही एक शख्स मुझे कुछ खास तरह के ड्रग्स लेने का सुझाव दे रहा था, ताकि मुझे अपना पासवर्ड याद आ जाए. उन्होंने कहा कि पहले मैं ये सब सोच कर काफी डिप्रेशन में रहने लगा था लेकिन समय के साथ अब मैं कूल हो चूका हूं.
पासवर्ड को क्रैक करने के फुलप्रूफ आइडिया के बाद ही हो सकेगा पैसों का उपयोग
हालांकि थॉमस वर्तमान में किसी तरह का सुझाव नहीं ले रहे हैं और उन्हें अब भी एक आखिरी उम्मीद है. वे अब 2 एटेम्पट ट्राई नहीं करेंगे और भविष्य में अगर कोई पासवर्ड को क्रैक करने के फुलप्रूफ आइडिया के साथ सामने आ जाता है तो वे इसका उपयोग कर सकते हैं. यानी उनके पास पैसे होते हुए भी अब वे फिलहाल उसका उपयोग नहीं कर पाएंगे. (news18.com)
डच पुलिस ने हिंसा को काबू में रखने के लिए देशभर में अपनी उपस्थिति बढ़ा दी है. लगातार तीन रात देश में हिंसक घटनाएं दर्ज की गईं. प्रदर्शनकारी रात के सख्त कर्फ्यू के खिलाफ विरोध कर रहे हैं.
नीदरलैंड्स में मंगलवार को स्थिति तनावपूर्ण बनी रही. डच सरकार ने कोरोना वायरस के नए संस्करण को रोकने के लिए कड़ी पाबंदियां लगाईं हैं जिसके खिलाफ लोग प्रदर्शन कर रहे हैं. लगातार तीन रातों से कर्फ्यू के दौरान हिंसा, आगजनी और विरोध प्रदर्शन हुए. सरकार ने कोरोना वायरस महामारी को नियंत्रित करने के लिए रात के कर्फ्यू सहित कई नए प्रतिबंधों की घोषणा की है. पुलिस ने हिंसक दंगों को रोकने के लिए देश भर के कस्बों और शहरों की सड़कों पर मार्च किया, जबकि व्यवसाय जल्दी बंद हो गए और दुकानें भी समय से पहले बंद कर दी गईं.
मंगलवार की रात 9 बजे जब कर्फ्यू लागू हुआ तो हुड़दंग करने वाले कुछ युवा एम्स्टर्डम और हिलवेर्सुम में इकट्ठा हुए लेकिन उन्हें खदेड़ दिया गया. रॉटरडम में पुलिस ने 33 लोगों को सामाजिक दूरी के नियमों का पालन नहीं करने और तोड़फोड़ के आरोप में हिरासत में लिया. यह सोमवार की रात के बिल्कुल विपरीत था, जब देश भर में पत्थरबाजी की घटनाएं हुईं थी. 180 लोगों को गाड़ियों में आग लगाने और लूटपाट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. दूसरे विश्व युद्ध के बाद नीदरलैंड में लगाए गए पहले राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू के विरोध में राजधानी समेत कई शहरों में प्रदर्शन हो रहे हैं.
राष्ट्रीय पुलिस प्रमुख विलेम वोल्डर्स ने डच पब्लिक टेलीविजन को बताया, "कल के मुकाबले आज बिल्कुल दूसरी तस्वीर थी. हमें दंगा रोधी पुलिस या अन्य सुरक्षाबलों की जरूरत नहीं पड़ी." लेकिन उन्होंने आगाह किया कि एक रात की शांति का मतलब यह नहीं है कि वे सतर्क रहना छोड़ देंगे. वोल्डर्स ने कहा, "हमें सतर्क रहना होगा."
सोशल मीडिया से भड़की हिंसा?
सरकार ने कोरोना वायरस को नियंत्रित करने के प्रयास में कर्फ्यू और कुछ नए प्रतिबंधों की घोषणा की थी, जिसके बाद देशभर के कई शहरों में लोग सड़कों पर उतर आए. सोशल मीडिया पर दुकानों में लूटपाट की तस्वीरें तेजी से वायरल हुई. एक तस्वीर में एक पत्रकार पर पथराव करते हुए देखा जा सकता है. प्रदर्शनकारियों ने पहली रात एक कोरोना परीक्षण केंद्र में भी आग लगा दी थी. हाल के सालों में नीदरलैंड्स में इस तरह की हिंसा नहीं देखी गई है. हिंसा की शुरूआत सख्त लॉकडाउन के खिलाफ हुई, जो कि मध्य दिसंबर के बाद से लागू है लेकिन सोशल मीडिया में घूम रहे संदेशों के कारण भीड़ द्वारा लूटपाट की घटना में यह तब्दील हो गई. सोमवार की रात को उपद्रवियों ने रॉटरडम और डेन बॉश में पुलिस पर पथराव किया, पटाखे छोड़े और दुकानों में लूटपाट की.
प्रधानमंत्री मार्क रुटे ने ट्वीट कर लिखा, "यह आपराधिक हिंसा बंद होनी चाहिए." उन्होंने कहा, "दंगों का आजादी के लिए संघर्ष करने से कोई लेना देना नहीं है. हमें एक साथ वायरस के खिलाफ लड़ाई जीतनी है, क्योंकि यह हमारी आजादी वापस पाने का एकमात्र तरीका है." देश के न्याय मंत्री फेर्ड ग्रेपरहॉस ने मंगलवार को कहा कि दंगा करने वाले जल्द ही कोर्ट में पेश किए जाएंगे और दोषी पाए जाने पर जेल की सजा पाएंगे.
देश में कर्फ्यू का समय रात 9 बजे से लेकर सुबह 4.30 बजे तक है और 10 फरवरी तक जारी रहने की उम्मीद है. कर्फ्यू का उल्लंघन करने वालों पर 8,400 रुपये के करीब का जुर्माना लगाया जा सकता है. नीदरलैंड्स में अब तक कोरोना वायरस के कारण 13,650 लोग मारे जा चुके हैं.
एए/सीके (एपी, रॉयटर्स, डीपीए)
जर्मनी आप्रवासियों का देश है. यहां रहने वाले लोगों में करीब 20 फीसदी विदेशी मूल के हैं. एक सर्वे के अनुसार यहां रहने वाले तुर्की, पोलिश या रूसी मूल के लोग मूल जर्मनों के मुकाबले ज्यादा धार्मिक प्रवृति के हैं.
धार्मिक आस्था के बारे में प्रतिनिधि सर्वे सत्ताधारी पार्टी सीडीयू से जुड़े कोनराड आडेनावर फाउंडेशन ने कराया है. इस सर्वे के अनुसार तुर्क मूल के जिन लोगों से सवाल किए गए उनमें से 82 प्रतिशत ने कहा कि वे कुछ धार्मिक या अत्यंत धार्मिक हैं. करीब आधे लोगों ने माना कि वे रोज नमाज पढ़ते हैं. पोलिश और रूसी मूल के लोगों में करीब आधे खुद को थोड़ा या अत्यंत धार्मिक मानते हैं. सिर्फ 15 से 20 प्रतिशत लोगों ने इस सर्वे में कहा है कि वे अपने आपको को कतई धार्मिक नहीं मानते.
इसके विपरीत ऐसे जर्मनों का, जिनका विदेशों में कोई मूल नहीं रहा है, उनमें से 38 प्रतिशत ने कहा कि वे कतई धार्मिक नहीं हैं. 13 प्रतिशत ने कहा कि वे शायद ही धार्मिक हैं जबकि 39 प्रतिशत ने कहा कि वे कुछ धार्मिक हैं. मूल रूप से जर्मन लोगों में सिर्फ 9 प्रतिशत ने अपने आपको अत्यंत धार्मिक बताया. आप्रवासी समाज में साझा क्या नाम वाले इस सर्वे के लिए अक्टूबर 208 से फरवरी 2019 के बीच 3003 लोगों से टेलिफोन पर सवाल पूछे गए थे.
अंतरधार्मिक विवाह पर मतांतर
सर्वे में शामिल लोगों से ये भी पूछा गया कि यदि उनकी बेटी किसी ईसाई, मुस्लिम या यहूदी से शादी करती है तो उन्हें कैसा लगेगा? विभिन्न गुटों में इस सवाल पर जवाब में बहुत अंतर दिखा. मूल जर्मनों में सिर्फ दो प्रतिशत ने ईसाई दामाद पर एतराज दिखाया जबकि 11 प्रतिशत को यहूदी दामाद पर और 23 प्रतिशत को मुस्लिम दामाद पर ऐतराज था.
पोलिश मूल के लोगों में 61 प्रतिशत ऐसे थे जिन्हें अपनी बेटी का किसी मुस्लिम से शादी करना पसंद नहीं था. 39 प्रतिशत ने यहूदी दामाद को भी अस्वीकार कर दिया. तुर्क मूल के लोगों ने 47 प्रतिशत को उनकी बेटी
जर्मनी के कारोबारी शहर फ्रैंकफर्ट में एक आदमी ने चाकू से हमला कर कई लोगों को घायल कर दिया. हमलावर को पकड़ लिया है, लेकिन हमले के कारणों का पता नहीं है. पुलिस मामले की जांच कर रही है.
फ्रैंकफर्ट के रेलवे स्टेशन इलाके में एक आदमी ने कई लोगों पर चाकू से हमला किया और उन्हें घायल कर दिया. 24, 40 और 78 साल के गंभीर रूप से घायल लोगों को इलाज के लिए तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया. यह इलाका बहुत भीड़ भरा इलाका है क्योंकि ट्रेन से शहर आने वाले बहुत से लोग यहां से होकर गुजरते हैं. इसके अलावा इस इलाके में बहुत ही दुकानें भी हैं.
पुलिस के प्रवक्ता थॉमस होलरबाख ने कहा, "लगभग नौ बजे लड़ाई हो गई जिसमें चाकू का इस्तेमाल किया गया. इसमें कई लोग घायल हो गए." मंगलवार को अपराध स्थल पर जांच के दौरान होलरबाख ने कहा, "परिणामस्वरूप हमने एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया है.”
घटनास्थल पर और उसके पास स्थित कैफे की खिड़की पर खून के छींटे हटाए नहीं गए थे. खिड़की के पीछे एक साल पहले हानाऊ में हुए हमले के पीड़ितों की तस्वीरें हैं. जांच अधिकारी घटनास्थल पर सुराग तलाश रहे हैं, इलाकें की सड़कें सुनसान पड़ी हैं. रेलवे स्टेशन का इलाका ड्रग कारोबार का केंद्र है, जांच के लिए बड़े इलाके में पुलिस ने नाकेबंदी कर दी है.
पुलिस के अनुसार सुबह करीब नौ बजे घटनास्थल पर 42 वर्षीय संदिग्ध अपराधी ने फुटपाथ पर पड़े एक आदमी को मारा, लातों से मारा और चाकू से हमला करने की कोशिश की. 40 वर्षीय व्यक्ति खड़ा हो गया और हमले को रोकने में कामयाब रहा, लेकिन गंभीर रूप से घायल हो गया. अपराधी ने उसे छोड़कर दो और तीन अन्य लोगों पर चाकुओं से हमला कर दिया.
प्रत्यक्षदर्शियों ने पुलिस को सतर्क किया और उस आदमी को जल्दी से गिरफ्तार कर लिया गया. गिरफ्तारी के समय उसके हाथ में चाकू था. वह खुद भी थोड़ा घायल हो गया था और पुलिस ने उसका इलाज करवाया. पुलिस का कहना है कि अभी तक ये पता नहीं है कि हमलावर और पीड़ितों को कोई संबंध है या नहीं, क्या वे एक दूसरे को जानते हैंऔर क्या उनके बीच पहले भी झगड़ा हुआ था.
42 वर्षीय संदिग्ध हमलावर के खिलाफ हत्या की कोशिश करने के आरोप में जांच चल रही है. अपराध की पृष्ठभूमि अभी साफ नहीं है. जांच में पुलिस ने एक ड्रोन का भी इस्तेमाल किया और गवाहों से पूछताछ की गई. पुलिस ये भी पता कर रही है कि क्या घटनास्थल की कोई वीडियो रिकॉर्डिंग मौजूद है.
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दक्षिण अफ्रीका में मुस्लिम समुदाय के लोग, कोविड-19 की वजह से मरे लोगों के शव को रीतियों और सम्मान के साथ नहला कर दफना रहे हैं. कोविड से बचने के लिए पहने जाने वाली पीपीई किट भी इसमें बाधा नहीं बन रही है.
"हम अल्लाह के हैं और उसके पास हम लौट आएंगे. पहला गुसल खाना.” कोविड-19 के पीड़ितों के लिए समर्पित एक कमरे के दरवाजे पर गुसल यानी सफाई की रस्म का हवाला देते हुए यह संदेश लिखा हुआ है.
कोविड-19 से मरे व्यक्ति के शव को कफन में लपेटा गया और ताबूत में रखा गया. इसके बाद, जोहानिसबर्ग के बाहरी इलाके में लगभग 1,00,000 की आबादी वाले समुदाय, लेनोसिया के एक कब्रिस्तान में सभी परंपराओं का पालन करते हुए उसे दफनाया गया. दफनाने से पहले शव को परंपराओं के मुताबिक नहलाया भी गया. इस दौरान वहां मौजूद लोगों की सुरक्षा पर भी पूरा ध्यान था. यह सब स्थानीय लोगों की एकजुटता की वजह से संभव हो पाया है. इसमें साबरी चिश्ती संगठन का अहम योगदान है.
24 घंटे के भीतर दफन
कोविड की वजह से दक्षिण अफ्रीका में काफी ज्यादा लोगों की मौत हुई है. इन मौतों को देखते हुए, साबरी चिश्ती संगठन अब सुरक्षित तरीके से मृतकों के शरीर को दफन करने का काम कर रहा है. संगठन की टीम ने तो मौत के 12 घंटे के अंदर ही कई शव को सुरक्षित तरीके से दफना दिया. इस्लामिक परंपरा में 24 घंटे के भीतर शव को दफन करना होता है. संगठन इस बात का पूरा ख्याल रखता है कि सारा काम 24 घंटे के भीतर पूरा हो जाए.
साबरी चिश्ती सोसायटी के चेयरमैन अबू बकर सईद हैं. सईद कहते हैं, "हमने कोविड के दौरान विदेशों की कई खबरें देखीं. काफी संख्या में लोगों की मौत की खबर सुनी. बड़ी संख्या में शव को दफनाने की खबर सुनी. तब हमने खुद से पूछा कि अगर हमारा देश इस बीमारी की चपेट में आता है, तो क्या हम इससे निपटने के लिए तैयार होंगे?”
पिछले 30 वर्षों से अधिक समय से साबरी चिश्ती एंबुलेंस सेवा और आपातकालीन स्थितियों में लोगों की दूसरे तरीकों से मदद करती है. इस एंबुलेंस सेवा को चलाने के लिए समुदाय के लोग चंदा देते हैं. कोविड-19 की बीमारी फैलने के बाद इस सेवा का विस्तार किया गया है. एम्बुलेंस से मरीजों के लिए ऑक्सीजन भी पहुंचाया जा रहा है.
कोविड की चुनौती
कोविड महामारी के दौरान पूरी दुनिया में मुस्लिम समुदाय के सामने, "परंपरागत तरीके से शव को दफन” करने की चुनौती आ खड़ी हुई. दक्षिण अफ्रीका में सामाजिक संगठन ने मेडिकल विशेषज्ञों से शवों को सुरक्षित तरीके से धोने और दफनाने के बारे में सलाह ली. सईद कहते हैं, "इमामों ने हमारे वॉलंटियरों को ट्रेनिंग दी. यह हमारी युवा पीढ़ी के लिए, खुद को क्रिक्रेट के मैदान पर बल्लेबाज के तौर पर साबित करने जैसा था. ऐसा इसलिए, क्योंकि उन्हें अपनी पिछली पीढ़ी की परंपराओं को आगे बढ़ाना था. उन्हें सीखना था.”
इस समूह ने जोहानिसबर्ग, डरबन और केपटाउन के अन्य हिस्सों में मुस्लिम समुदायों के साथ अपने दिशानिर्देशों को साझा किया और उन्हें ट्रेनिंग दी. सईद बताते हैं, "सफाई की रस्म के समय परिवार के सदस्यों को भी मृतक को देखने की अनुमति मिलती है. हालांकि, कोविड से मरने पर सबसे खराब बात ये है कि परिवार के सदस्य अपने परिजन को अलविदा नहीं कह सकते लेकिन सुरक्षित तरीके से सफाई की रस्म की वजह से वे अपने अजीज को अंतिम समय में देख पा रहे हैं. मैंने उस समय यह नहीं सोचा था कि इससे मेरे परिवार को या मुझे मदद मिलेगी.”
सईद के पिता और चाचा दोनों की मौत पिछले साल जुलाई महीने में कोविड की वजह से हो गई. दोनों को एक-दूसरे के बगल में दफनाया गया. सईद भावुक होते हुए कहते हैं, "इस रस्म से मुझे काफी ज्यादा मदद मिली.” उनके पिता संगठन के प्रेसिडेंट और चाचा चेयरमैन थे. अब सईद, संगठन के चेयरमैन हैं. वे कहते हैं, "सोसायटी ने ऐसे 180 लोगों को दफनाया है जिनकी मौत कोविड-19 की वजह से हुई."
ज्यादा कब्रों के साथ तैयारी
कब्रिस्तान में काफी ज्यादा कब्रें खोदी गई हैं. ऐसे में, दफनाने के लिए पर्याप्त जगह है. घर पर हल्के लक्षणों वाले लोगों की मदद के लिए साबरी चिश्ती एंबुलेंस सेवा का भी विस्तार हुआ है. अन्य संगठनों के सहयोग से, घर में रोगियों की देखभाल के लिए 70 ऑक्सीजन सिलिंडर की व्यवस्था की गई है. कई डॉक्टर भी अपनी सेवा दे रहे हैं.
दक्षिण अफ्रीका में एक बार फिर कोरोना तेजी से फैल रहा है. पहले के मुकाबले इस बार दोगुनी संख्या में लोग प्रभावित हो रहे हैं. इन हालातों में, सोसायटी की दो एंबुलेंस कोविड-19 से प्रभावित लोगों की हर दिन मदद कर रही है. यह सेवा लेनोसिया और आसपास के क्षेत्रों के सभी निवासियों को दी जाती है. इसमें, सोवतो के कुछ हिस्से भी शामिल हैं क्योंकि यहां रहने वाले अधिकांश लोगों की आय बहुत कम है. इसलिए, गरीब लोगों से पैसे नहीं लिए जाते हैं.
दक्षिण अफ्रीका की आबादी करीब छह करोड़ है. यहां कोविड-19 के 14 लाख मामलों की पुष्टि की गई है. यह पूरे अफ्रीका महाद्वीप में कोविड के पुष्टि किए गए मामलों का 40 प्रतिशत है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि एक बार फिर से कोविड का मामला बढ़ने का असर अस्पतालों पर दिखेगा.
आरआर/एनआर (एपी)
न्यूयार्क, 27 जनवरी | अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को महाभियोग मामले में दोषी ठहराए जाने की कवायद संभवत: परवान नहीं चढ़ पाएगी। इसकी एक प्रमुख वजह है कि इसके लिए मौजूदा प्रशासन को संवैधानिक आधार पर सीनेट में दो तिहाई मतों की आवश्यकता पड़ती है और फिलहाल ऐसा नहीं हो पाया है। गौरतलब है कि मंगलवार को सीनेट में इस बाबत मतदान कराया गया गया जिसमें सीनेट में ट्रंप के पक्ष में 45 के मुकाबले 55 मत मिले जो दो तिहाई बहुमत (67) से 12 मत कम थे। हालांकि मतदान सफल रहा, लेकिन डेमोक्रेटिक पार्टी के पक्ष में उतने मत नहीं मिले जो ट्रंप को दोषी करार दिए जाने के लिए पर्याप्त हों।
इस मामले में ट्रंप, या यूं कहें कि उनकी पार्टी के लिए अच्छी बात यह रही कि इस मतदान में रिपब्लिकन पार्टी के पांच सांसदों का साथ कुछ डेमोक्रेट सांसदों ने भी दिया जिसके परिणामस्वरूप इस बात की संभावना प्रबल होती दिख रही है कि महाभियोग मामले में ट्रंप को दोषी ठहराए जाने की कोशिश संभवत: नाकाम हो जाएगी।
गौरतलब है कि अमेरिका के इतिहास में ट्रंप एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति हैं जिन पर दो बार महाभियोग का मामला चलाया गया है। इस मामले में पहली सुनवाई 8 फरवरी को होनी है। सोमवार को अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के एक प्रतिनिधिमंडल ने सीनेट को आरोपपत्र सौंपा था जिसमें ट्रंप पर यह आरोप लगाया गया था कि उन्होंने 6 जनवरी को अपने हजारों समर्थकों को अमेरिकी संसद भवन (कैपिटल) पर हमला करने के लिए उकसाया। (आईएएनएस)
न्यूयॉर्क, 27 जनवरी। वैश्विक स्तर पर कोविड -19 मामलों की कुल संख्या मंगलवार को 10 करोड़ से अधिक हो गई। यह जानकारी जॉन्स हॉपकिंस विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग के आंकड़ों से मिली।
सीएसएसई के आंकड़ों के अनुसार, स्थानीय समय (1922 जीएमटी) दोपहर 2:22 बजे वैश्विक मामले 10,00,32,461 तक पहुंच गए, वहीं दुनिया भर में संक्रमण से हुई कुल मौतों की संख्या 21,49,818 हो गई।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने दुनिया भर में सबसे अधिक कोविड मामलों और उससे हुई मौतों की सूचना दी, जो क्रमश: 2,53,62,794 और 4,23,010 हैं।
संक्रमण के मामले में दुनियाभर में दूसरे स्थान पर रहे भारत में 1,06,76,838 मामले दर्ज हुए। ब्राजील में संक्रमण के 88,71,393 मामले दर्ज हुए, जबकि मौतों के मामले में अमेरिका के बाद 217,664 मौतों के साथ दूसरे स्थान पर रहा है।
सीएसएसई के आंकड़ों के अनुसार, 20 लाख से अधिक मामले दर्ज करने वाले देशों में रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, स्पेन, इटली, तुर्की, जर्मनी और कोलंबिया शामिल हैं, जबकि 50,000 से अधिक मौत दर्ज करने वाले देशों में भारत, मैक्सिको, ब्रिटेन, इटली, फ्रांस, रूस, ईरान, स्पेन, जर्मनी और कोलंबिया शामिल हैं।
गौरतलब है कि 8 नवंबर, 2020 को वैश्विक मामलों ने 5 करोड़ का आंकड़ा पार किया था और लगभग ढाई महीने में संक्रमण के मामले दोगुने हो गए।
वैश्विक स्तर पर एक चौथाई से अधिक मामले और वैश्विक मौतों का लगभग 20 प्रतिशत भागीदार रहा अमेरिका सबसे अधिक प्रभावित देश है। (आईएएनएस)
न्यूयॉर्क, 27 जनवरी| जो बाइडेन को अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में शपथ लिए अभी केवल एक सप्ताह ही हुआ है, लेकिन इसी बीच उनकी सरकार ने ऐसा महत्वपूर्ण निर्णय लिया है जिससे यूएस में काम कर रहे एच1बी वीजा धारकों ने बेहद राहत की सांस ली है। बाइडेन प्रशासन ने इस अहम फैसले में एच1बी वीजा धारक कर्मचारियों के एच-4 वीजाधारक जीवनसाथियों को काम जारी रखने की अनुमति प्रदान कर दी है। गौरतलब है कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शासन में एच1बी धारक कर्मचारियों के जीनसाथियों को इस बात की आशंका बनी हुई थी कि अमेरिका में चार वर्ष बिताने के बाद पता नहीं उन्हें आगे आगे काम करने की अनुमति मिल पाएगी अथवा नहीं, लेकिन बाइडेन प्रशासन के इस निर्णय से उन आशंकाओं पर अब विराम लग गया है।
गौरतलब है कि बराक ओबामा ने अपने शासनकाल में एच1बी वीजाधारकों के जीवनसाथियों को अमेरिका में काम करने की अनुमति सम्बंधी कानून पारित किया गया था। लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद इस कानून को रद्द करने की बहुत कोशिशें की। बहरहाल, बाइडेन के इस प्रशासनिक फैसले से इस पर विराम लग चुका है।
एच1बी वीजाधारकों के जीवनसाथियों को एच-4 वीजा के तहत अमेरिका में काम करने की अनुमति ओबामा प्रशासन द्वारा प्रदान की गई थी, लेकिन ट्रंप प्रशासन ने कथित तौर पर एक एजेंडे के तहत इसे समाप्त करने की कोशिश की।
बहरहाल, बाइडेन के इस ताजा फैसले से सैकड़ों की संख्या में लोगों ने राहत की सांस ली है। इस निर्णय पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए एच-4 वीजाधारक अटलांटा के एक बाशिंदे ने कहा कि लंबे कश्मकश के बाद हमलोग फिलहाल बहुत राहत महसूस कर रहे हैं। (आईएएनएस)
वाशिंगटन. कोरोना माहमारी सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में से एक अमेरिका में अब ब्राजील में पाया गया कोविड-19 अत्यधिक संक्रामक रूप पहुंच गया है. दुनिया के सबसे ताकतवर देश में ब्राजील के इस नए स्ट्रेन के पहुंचने के बाद दहशत का माहौल है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कोरोना का यह नया रूप कोविड-19 के वैक्सीन को भी आंशिक रूप से मात दे सकता है.
ब्राजील वाले वायरस का नाम P1
ब्राजील में पाए गए कोरोना के इस नए स्ट्रेन को P1 का नाम दिया गया है. यह वायरस अमेरिका के मिन्नेसोटा राज्य में मिला है। विशेषज्ञों की माने तो यह वायरस सामान्य कोरोना से 50 प्रतिशत ज्यादा संक्रामक है. अमेरिका के स्वास्थ्य विभाग ने एक बयान जारी कर बताया कि विभाग ने 50 लोगों के रैंडम सैंपल लिए थे.
ब्राजील की यात्रा कर लौटा है शख्स
मिन्नेसोटा में जिस व्यक्ति में यह वायरस पाया गया है वह हाल में ही ब्राजील की यात्रा से लौटा था. शख्स जनवरी के पहले हफ्ते में बीमार पड़ा और 9 जनवरी को उसका सैंपल लिया गया था.
मिन्नेसोटा के हेल्थ कमिश्नर जन मैकलम ने एक बयान जारी कहा, 'हम अपने टेस्टिंग प्रोग्राम के जरिए इस खतरनाक वायरस को पहचानने में कामयाब हुए हैं. मैं उन सभी लोगों का शुक्रिया करना चाहता हूं जो बीमार पड़ने पर टेस्ट कराने के लिए आगे आ रहे हैं.'
बाइडन ने ट्रैवल प्रतिबंध बढ़ा दिए
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कोविड-19 के नए स्ट्रेन मिलने के बाद इसके संक्रमण को रोकने के लिए यूरोप, ब्रिटेन और ब्राजील से आवाजाही पर रोक लगाने का फैसला किया था.
ब्राजील के अमेजोनास से फैल रहा है यह खतरनाक वायरस
कोरोना वायरस का यह बेहद संक्रामक रूप ब्राजील के अमेजोनास से दुनियाभर में फैल रहा है. विशेषज्ञों के अनुसार, इस बात के ज्यादा आशंका है कि यह खतरनाक वायरस जुलाई महीने से ही दुनिया में फैल रहा है. ब्राजील में कोरोना के इस नए वायरस के पाए जाने के बाद वहां मौतों की संख्या में इजाफा होने की आशंका बढ़ गई है. (news18.com)
इजराइल में भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को लेकर लोगों का गुस्सा अभी भी बरकरार है. पीएम के खिलाफ साप्ताहिक प्रदर्शन के लिए यरुशलम में हजारों लोग जमा हुए और उनसे इस्तीफे की मांग की. इसके अलावा देश के अन्य इलाकों में भी चौराहों और पुलों पर कई छोटे-छोट प्रदर्शन हुए.
दरअसल, नेतन्याहू पर धोखाधड़ी, विश्वासघात और तीन मामलों में रिश्वत लेने के आरोप हैं. ये मामले उनके अरबपति सहयोगियों और मीडिया क्षेत्र के दिग्गजों से जुड़े हुए हैं. हालांकि, नेतन्याहू इन सभी आरोपों से इनकार करते रहे हैं लेकिन प्रदर्शनकारियों का कहना है कि आरोप के साथ वह उचित तरीके से देश का नेतृत्व नहीं कर सकते हैं.
पिछले साल गर्मी के मौसम से ही प्रत्येक सप्ताह इन प्रदर्शनों का आयोजन किया जा रहा है खास तौर पर यरुशलम के एक चौराहे पर नेतन्याहू के आधिकारिक आवास के निकट विरोध प्रदर्शन का आयोजन होता है. सर्दी के मौसम में भले ही इसमें शामिल होने वाले लोगों की संख्या कम हुई हो, लेकिन प्रदर्शन जारी रहा.
इजराइल में दो साल के भीतर मार्च में चौथी बार चुनाव होंगे और प्रधानमंत्री को अपनी लिकुड पार्टी के भीतर भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. कोरोना वायरस संकट से निपटने के सरकार के तरीकों की वजह से भी लोगों गुस्सा है. देश में तीसरी बार लॉकडाउन अब भी लागू है और बढ़ती संक्रमण दर के बीच लागू प्रतिबंधों के कारण अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है. (news18)
(फोटो: सोशल मीडिया)
मेक्सिको के 'ला प्रेन्सा' नाम के अखबार ने एक हैरान करने वाले मामले को रिपोर्ट किया है. मेक्सिको के एक शहर में एक महिला ने अपने पति पर चाकू से इसलिए हमला कर दिया क्योंकि महिला ने पति के मोबाइल में उसकी और एक कम उम्र की महिला की साथ में कुछ अंतरंग तस्वीरें देख लीं. बाद में पता चला कि वो महिला कोई और नहीं वो खुद है!
सुनने में ये खबर थोड़ी कंफ्यूजिंग लग सकती है मगर ये चौंकाने वाला मामला मेक्सिको के सोनोरा का है. इस मामले का खुलासा तब हुआ जब कुछ लोगों ने पुलिस को तब फोन कर के बुलाया जब उन्होंने अपने पड़ोस के घर में घरेलू हिंसा की आवाजें सुनीं. रिपोर्ट के मुताबिक लियोनोरा नाम की महिला ने अपने पति जुआन (Juan) पर जलन के कारण चाकू से हमला कर दिया. उसने अपने पति के फोन में एक कम उम्र की महिला के साथ पति की कुछ अंतरंग तस्वीरें देख ली थीं जिसके बाद वो आग-बबूला हो उठी. उसने जलन और गुस्से में चाकू उठाया और पति पर हमला बोल दिया. उसने पति को सफाई में कुछ कहने का मौका ही नहीं दिया और पति को अपशब्द देते हुए चाकू चलाना शुरू कर दिया.
पुलिस को दी गई पति की गवाही के अनुसार, जुआन ने खुद को बड़ी मुश्किल से चाकुओं के वार से बचाया जिससे वो गंभीर रूप से घायल हो सकते थे. उन्होंने अपनी पत्नी के गुस्से को शांत कर जानने की कोशिश की कि वो क्यों उनपर हमला कर रही हैं. लियोनोरा ने जुआन को फोन की तस्वीरें दिखाईं. तब जुआन ने उन्हें बताया कि तस्वीर में उनके साथ दिख रही महिला लियोनोरा ही हैं.
जुआन ने अपनी पत्नी और फिर पुलिस को इस बात की जानकारी दी कि उन्होंने अपनी पत्नी लियोनोरा और उनकी कुछ पुरानी फोटोज को एक पुराने इमेल से खोजा था. ये तस्वीर उस वक्त की थी जब दोनों की शादी नहीं हुई थी और दोनों एक दूसरे को डेट कर रहे थे. तब दोनों ने अपनी कुछ अंतरंग तस्वीरें खींची थीं. ये तस्वीरें जुआन के एक पुराने इमेल में थीं. वहां से निकालकर उन्होंने तस्वीरों को अपने मोबाइल में सेव कर लिया. उन तस्वीरों में लियोनोरा काफी पतली थीं और यंग भी थीं. उस वक्त वो काफी मेकअप किया करती थीं. मगर वक्त के साथ उनके वजन और रूप-रंग में इतना परिवर्तन आया कि वो खुद को ही नहीं पहचान पाईं.
लियोनोरा को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है और अब जेल में रह कर वो अदालत के फैसले का इंतजार कर रही हैं. उनपर घरेलू हिंसा का आरोप लगा है. अगर उन्हें दोषी पाया गया तो उन्हें जेल में वक्त बिताना पड़ेगा. (news18)
दलियान. चीन के लिओनिंग प्रांत में स्थित एक गैस पाइपलाइन में रिसाव होने के कारण विस्फोट हो गया. यह घटना सोमवार सुबह की है. ग्लोबल टाइम्स की एक खबर के मुताबिक इस विस्फोट में दो लोगों की मौत और करीब 8 लोग घायल हो गये हैं. जबकि गैस कंपनी के तीन लोग लापता हैं. मौके पर फायर ब्रिगेड की 10 गाड़ियां आ चुकी हैं और आग बुझाने का काम जारी है. फिलहाल पुलिस भी मौके पर पहुंच घटना की जांच कर रही है. (news18)
लिस्बन. पुर्तगाल के मध्यमार्गीय-दक्षिणपंथी उदारवादी राष्ट्रपति मार्केलो रेबेलो डी सोसा चुनाव जीत गए हैं. इसके साथ ही एक बार फिर वह देश के राष्ट्रपति होंगे. पुर्तगाल में राष्ट्रपति चुनाव के लिए रविवार को मतदान हुआ था. जानकारी के मुताबिक उन्हें 61.5 प्रतिशत मत मिल चुके हैं. जबकि चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवार को 50 फीसदी से ज्यादा वोटों की जरूरत होती है. मशहूर टेलीविजन हस्ती रहे 72 वर्षीय सोसा लगातार 60 फीसदी या इससे अधिक लोगों की पसंद बने रहे हैं. पुर्तगाल में राष्ट्र प्रमुख के पास विधायी शक्तियां नहीं होने के बावजूद देश को चलाने में उनकी प्रभावशाली भूमिका होती है. विधायी शक्तियां संसद एवं सरकार के पास ही होती हैं.
पुर्तगाल में चुनाव जीतने के लिए किसी भी उम्मीदवार को 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट हासिल करने होते हैं. मगर कोरोना के चलते मतदान के प्रतिशत में कमी दर्ज की गई है. प्रशासन ने मतदान केंद्रों की संख्या में भी बढ़ोतरी की थी और साथ ही वोटिंग के घंटों को भी बढ़ाया था ताकि भीड़ न हो. इसके अलावा वोटरों को अपने साथ पैन और सैनिटाइजर भी लाने को कहा गया था. मार्सेलो रेबेलो डी सोसा मार्च, 2016 में राष्ट्रपति चुने गए थे. इस बार पहले से ही उनकी जीत तय मानी जा रही थी. पुर्तगाल के टेलीविजन की जानी-मानी हस्ती माने जाने वाले सोसा प्रोफेसर होने के साथ-साथ संविधान व प्रशासनिक कानून के भी विशेषज्ञ हैं. कहा जाता है कि वह सिर्फ 4-5 घंटे ही सोते हैं और रोज दो किताबें पढ़ते हैं.
सात लोग थे दौड़ में शामिल
पुर्तगाल के राष्ट्रपति की दौड़ में सात लोग शामिल थे. मगर सोसा ने एक बार फिर से बाजी मार ली. हालांकि चुनावों से पहले ही कहा जा रहा था कि उन्हें 60 फीसदी से ज्यादा वोट मिल सकते हैं. उनके बाद दूसरे नंबर पर रहने वाली एना गोमेज को महज 14.80 फीसदी वोट मिलने की ही बात कही गई थी. (news18)
20 जनवरी को जो बाइडन ने अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाल लिया है. राष्ट्रपति बनने के बाद बाइडन ने अपने ऑफिस में कई बदलाव किए हैं. पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने वक्त में ऑफिस को जिस तरह से ढाला था, बाइडन ने उसमें कुछ चीजों को बदला है. उन्होंने अपनी डेस्क पर भी परिवर्तन किया है.
एक बारीक से बदलाव की आजकल सोशल मीडिया पर बहुत चर्चा हो रही है. इस बदलाव को ब्रॉडकास्टर टॉम न्यूटन ने खोज निकाला है. उन्होंने इससे जुड़ा एक ट्वीट भी किया जो वायरल हो चुका है. टॉम ने अपने ट्वीट में कहा- प्रेसिडेंट बाइडन ने अपनी डेस्क से डायट कोक बटन को हटा दिया है. जब मैंने साल 2019 में डोनाल्ड ट्रंप का इंटरव्यू लिया था तब उनकी डेस्क पर लगे बटन को देखकर मैं काफी चौंका था. ट्रंप ने उस लाल बटन को प्रेस किया और तुरंत एक बटलर सिल्वर प्लेट में डायट कोक लेकर आ गया था.
जब टॉम ने 21 जनवरी को ये ट्वीट किया तो लोग उसे बड़ी संख्या में रीट्वीट करने लगे. ट्वीट को एक लाख से भी ज्यादा लोगों ने लाइक किया. लोगों ने इस बात को लेकर ट्रंप और उनके रेड बटन को लेकर मीम्म बनाना शुरू कर दिए. लोग इस खबर को सुनकर ही चौंक रहे हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप की डेस्क पर एक बटन था जिसे दबाने से कोक आ जाता है. (news18)
मैक्सिको सिटी. मैक्सिको के राष्ट्रपति आंद्रे मैन्युल लोपेज ओब्राडेर कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। गौरतलब है कि देश में कोरोना से निपटने के तरीके को लेकर ओब्राडेर की काफी आलोचना हुई है। यही नहीं, मैक्सिको राष्ट्रपति ने कोरोना काल में मास्क पहनने से भी इनकार कर दिया था।
मास्क पहनने से कर दिया था इनकार
अब खुद ओब्राडेर ने ट्वीट खुद को कोरोना संक्रमित होने की जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि उन्हें कोरोना का हल्का सिम्टम दिखा है। उन्होंने बताया कि वह डॉक्टरों की निगरानी में हैं. उन्होंने ट्वीट में कहा, 'मुझे यह बताते हुए दुख हो रहा है कि मैं कोरोना संक्रमित पाया गया हूं. हालांकि मुझे कोरोना का हल्का लक्षण है. मेडिकल टीम मेरी जांच कर रही है. हमेशा की तरफ मैं आशावादी हूं.'
पुतिन से करने वाले थे बात
मैन्युअल आज रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन से बात करने वाले थे। बातचीत के दौरान रूसी कोरोना वैक्सीन स्पूतनिक V की खरीदारी को लेकर चर्चा करने वाले थे। गौरतलब है कि मैक्सिको में अभी वैक्सीन लगाने की इजाजत नहीं मिली है लेकिन सरकार फाइजर की कोरोना वैक्सीन की कमी को पूरा करने के लिए अन्य देशों के साथ बात कर रहा है।
मैक्सिको में करोना से 1.5 लाख मौतें
मैक्सिकों में कोरोना से अभी तक 1.50 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। करीब 17 लाख लोग कोरोना से संक्रमित हैं। छुट्टियों के बाद देश में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ी है। (news18)
इस्लामाबाद, 25 जनवरी | पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने राष्ट्रपति जो बाइडेन के नेतृत्व वाले नए अमेरिकी प्रशासन से 'बदले हुए' पाकिस्तान और भारत के साथ जुड़ने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा है कि पिछले चार वर्षो में बहुत कुछ बदल गया है।
कुरैशी ने कहा, "इन चार वर्षो में क्षेत्र बदल गया है और पाकिस्तान बदल गया है और आपको (बाइडेन) इस पाकिस्तान के साथ जुड़ना होगा।"
उन्होंने कहा, "भारत बदल गया है। क्या यह वही उज्जवलित और धर्मनिरपेक्ष भारत है? नहीं।"
कुरैशी ने कहा, "भारत के भीतर से उभर रहे स्वर इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि यह अब धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र नहीं है। यह हिंदुत्व का एक नया चेहरा है, जो आरएसएस की सोच का एक नया व्यावहारिक प्रदर्शन है। भारत में अल्पसंख्यक खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।"
कुरैशी ने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व में पाकिस्तान नए अमेरिकी प्रशासन से नए दृष्टिकोण और नए दिशानिर्देश के साथ जुड़ने की उम्मीद करता है।
कुरैशी ने याद दिलाया कि उन्होंने आने वाले अमेरिकी विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकेन को एक पत्र लिखा है और उन्हें भविष्य के लिए पाकिस्तान की प्रगति और वर्तमान नीतियों की समानांतर श्रेणी के बारे में अपडेट किया है।
विदेश मंत्री ने कहा, "हमने भू-रणनीतिक स्थिति से लेकर भू-आर्थिक स्थिति तक बहुत बड़ा बदलाव किया है।"
यहां यह उल्लेख करना उचित है कि पाकिस्तान तालिबान और अफगान सरकार के बीच चल रही अंतर-अफगान वार्ता में अहम भूमिका निभा रहा है, जिसने दूसरे चरण में प्रवेश किया है।
पाकिस्तान की भूमिका समग्र अफगान शांति और सुलह प्रक्रिया में भी प्रासंगिक बनी हुई है, क्योंकि पिछले अमेरिकी प्रशासन के प्रमुख और तालिबान वार्ता टीमों के प्रमुखों ने इस्लामाबाद का दौरा किया है, ताकि अफगान शांति की दिशा में आगे की राह पर चर्चा की जा सके।
पाकिस्तान ने यह भी कहा है कि अफगानिस्तान में शांति सीधे पाकिस्तान में शांति से जुड़ी है। हालांकि, यह बार-बार कहा गया है कि अफगानिस्तान में भारत की बढ़ती उपस्थिति और प्रभाव के लिए अमेरिका की इच्छा, इस्लामाबाद को गंभीरता से चिंतित करती है।
पाकिस्तान ने यह भी कहा है कि भारत उसके बलूचिस्तान प्रांत में अशांति फैलाने के लिए अफगानिस्तान में आतंकी तत्वों का समर्थन करने, धन देने और उन्हें सुविधा प्रदान करने में लगा हुआ है।
कश्मीर विवाद को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव को कम करने में अमेरिकी हस्तक्षेप इस्लामाबाद की एक मांग है, जिसके प्रयास पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के कार्यकाल में किए जा रहे थे।
--आईएएनएस
वाशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन एक नए कार्यकारी आदेश के जरिए अमेरिकी सेना में समलैंगिकों के शामिल होने पर लगे प्रतिबंध को हटा सकते हैं. मामले से अवगत एक व्यक्ति ने ‘एपी’ को यह जानकारी दी.
आज समलैंगिकों के सेना में शामिल होने पर प्रतिबंध के हटने की उम्मीद
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल के प्रथम वर्ष में ही समलैंगिकों के सेना में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया था. बाइडन के कार्यभार संभालने के बाद से ही उनके पेंटागन की इस नीति में बदलाव करने की संभावनाएं बनी थीं. मामले से अवगत एक व्यक्ति ने ‘एपी’ को बताया कि व्हाइट हाउस सोमवार को इस संबंध में घोषणा कर सकता है.
मैं इस प्रतिबंध को हटाने की राष्ट्रपति की योजना का समर्थन करता हूं- ऑस्टिन
सेवानिवृत्त जनरल लॉयड ऑस्टिन ने अमेरिका के रक्षा मंत्री पद के लिए अपने नाम की पुष्टि के लिए सीनेट के समक्ष पिछले सप्ताह हुई सुनवाई के दौरान इस कदम का समर्थन किया था. ऑस्टिन ने कहा था, ‘‘मैं इस प्रतिबंध को हटाने की राष्ट्रपति की योजना का समर्थन करता हूं.’’ उन्होंने कहा था, ‘‘अगर आप सेवा करने के लिए योग्य हैं और मानकों को बनाए रख सकते हैं, तो आपको सेवाएं देने का अधिकार होना चाहिए.’’ (abplive.com)
15 अगस्त 1947 की आधी रात को भारत के टूटने से पाकिस्तान बना. ब्रिटिश लॉर्ड माउंटबेटन ने 14 अगस्त को पाकिस्तान को स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा दे दिया था. इसलिए पाकिस्तान में आजादी का जश्न 14 अगस्त को ही मनाया जाता है. लेकिन इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट के मुताबिक भारत और पाकिस्तान एक ही दिन आजाद हुए थे. जिन्ना ने भी पाकिस्तान बनने की घोषणा 15 अगस्त को ही की थी.
15 अगस्त आज़ादी के महान संघर्ष को याद करने का दिन होता है, तो 26 जनवरी भारतीय गणराज्य के शौर्य और शक्ति के प्रदर्शन का. इस दिन राजपथ पर भव्य परेड होती है, जिसकी सलामी राष्ट्रपति लेते हैं. राजसी समारोह की भव्यता के बीच यह बात थोड़ा पीछे चली जाती है कि आज के दिन भारत ने लिखित संविधान को अपनाया था, जिसे दुनिया के बेहतरीन संविधान में एक माना जाता है.
भारत और पाकिस्तान दोनो के पास एक ही तरह की राजनीतिक विरासत थी. दोनों ने ब्रिटेन की संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली को अपनाया था. पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने भी नेहरू की तरह अपने सभी नागरिकों के लिए धार्मिक स्वतंत्रता का सपना देखा था.
आजादी के बाद भारत ने अपना पूरा ध्यान बहुदलीय लोकतांत्रिक व्यवस्था को स्थापित करने में लगाया. लोकतांत्रिक संस्थाओं का गठन हुआ, उन्हे मजबूत किया गया. लेकिन पाकिस्तान आज़ाद होते ही अपने अंतर्विरोधो में फंसता चला गया. 1950 में लिखित संविधान अपनाकर भारत एक गणराज्य बन गया. दूसरी तरफ पाकिस्तान को अपना संविधान बनाने में 26 साल (1947 के बाद) लगे और वह भी पूरी तरह कामयाब नहीं हो पाया.
1947 में पाकिस्तान बनने के नौ साल बाद वहां पहला संविधान 23 मार्च, 1956 को लागू किया गया था. 23 मार्च 1956 को पाकिस्तान के पहले संविधान को अपनाया गया था. इसलिए पाकिस्तान के पहले संविधान के पारित होने के उपलक्ष्य में वहां हर साल 23 मार्च को ही पाकिस्तान दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसी दिन ही आधिकारिक तौर पर पाकिस्तान को एक इस्लामी गणराज्य भी घोषित किया गया था, लेकिन पाकिस्तान के संविधान में फेरबदल होता रहा.
1956 के बाद, 1962 में, फिर 26 मार्च 1969 में बदलाव हुआ. वहां 1970 के संवैधानिक संकट के बाद नई सरकार के लिए सबसे महत्वपूर्ण काम में से एक एक नए संविधान का मसौदा तैयार करना था. 1971 में पूर्वी पाकिस्तान के विभाजन के बाद 1972 को 1970 के चुनाव के आधार पर विधायिका बनाई गई. फिर 10 अप्रेल 1973 को समिति ने संविधान के बारे में अपनी रिपोर्ट पेश की. फिर 14 अगस्त 1973 को पाकिस्तान में नया संविधान लागू कर दिया गया.
11 सितंबर 1948 को जिन्ना की मौत के बाद से ही पाकिस्तान में नेतृत्व का संकट गहराने लगा. 1951 में पाकिस्तान में सैनिक तख्ता पलट की पहली कोशिश हुई. 1958 में पाकिस्तान में मार्शल लॉ लगा और उसके अयूब खान ने सत्ता हथिया ली. उस वक्त तक भारत में दो संसदीय चुनाव हो चुके थे.
पाकिस्तान में लंबे सैनिक शासन के खात्मे के बाद जुल्फिकार अली भुट्टो एक लोकतांत्रिक नेता के रूप में उभरे. 1973 में उन्होने पहली बार पाकिस्तान में संविधान लागू करवाया. पाकिस्तान के संविधान को वहां आईन-ए-पाकिस्तान और दस्तूर-ए-पाकिस्तान कहा जाता है. पाकिस्तान का संविधान संविधान सभा द्वारा 10 अप्रेल, 1973 को पारित और 14 अगस्त 1973 से प्रभावी हुआ. इस का प्रारूप ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो की सरकार और विपक्ष ने मिल कर तैयार किया. (news18.com)
सैन फ्रांसिस्को, 25 जनवरी | माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक और समाजसेवी बिल गेट्स ने कोविड वैक्सीन की पहली खुराक ले ली है। इस सप्ताहांत उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, "65 साल की उम्र होने का एक फायदा यह है कि मैं कोविड-19 वैक्सीन के लिए योग्य माना गया हूं। इस हफ्ते मुझे मेरी पहली खुराक मिली और मुझे काफी अच्छा लग रहा है।"
उन्होंने आगे लिखा, "सभी वैज्ञानिकों, ट्रायल प्रतिभागियों, नियामकों और फ्रंटलाइन वर्कर्स को शुक्रिया, जो हमें यहां तक लेकर आए हैं।"
हालांकि बीते दिनों कोविड-19 और इसके खिलाफ बनाई गई वैक्सीन को लेकर बिल गेट़्स पर कई आरोप लगाए गए हैं। पहले खबरें फैलाई गई थीं कि कोरोना बिल गेट्स और दवा कंपनियों की मिली-भगत है ताकि इससे दवाओं का निर्माण करने वाली कंपनियों को फायदा हो। फिर ये सुनने में आया कि कोरोनावायरस वैक्सीन के जरिए वह लोगों के शरीर में एक माइक्रोचिप डलवाना चाहते हैं ताकि वायरस की स्थिति के बारे में लोगों को और भी अधिक जानकारी मिल सके।
हालांकि माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक ने इन्हें फेक बताते हुए इन खबरों का खंडन किया है। (आईएएनएस)
न्यूयॉर्क, 25 जनवरी (आईएएनएस)| अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग मामले में रिपब्लिकन पार्टी की भारतीय मूल की लीडर निक्की हेली के वकील रह चुके बुच बॉवर्स सुनवाई के दौरान ट्रंप का बचाव करेंगे। साउथ कैरोलाइना के रहने वाले बुच बॉवर्स एक जाने-माने वकील हैं। वर्ष 2012 में जब निक्की हेली गवर्नर थीं तो उन पर अपने कर्मचारियों के लिए लॉबिंग करने का आरोप लगा था। इस मामले में बुच बॉवर्स की उल्लेखनीय बहस के बाद हेली को उन आरोपों से बरी कर दिया गया था।
ट्रंप पर यह आरोप है कि उन्होंने 6 जनवरी को अपने हजारों समर्थकों को अमेरिकी संसद भवन (कैपिटल) पर धावा बोलने के लिए उकसाया। अमेरिका के इतिहास में ट्रंप एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति हैं जिन पर दो बार महाभियोग का मामला चलाया गया है। इस मामले में पहली सुनवाई 8 फरवरी को होनी है।