अंतरराष्ट्रीय
एक सूजे हुए कलेजे या एक विकलांग कंकाल जैसे मानव अवशेषों को संग्रहालयों में लगाया जाना चाहिए या नहीं? ऑस्ट्रिया में एक संग्रहालय में दिखाई जा रही चीजों को लेकर ऐसे ही सवाल खड़े हो गए हैं.
ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना के प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय में कई सालों से कई चिकित्सा संबंधी मानव अवशेष रखे हुए हैं. हाल ही में नवीनीकरण के दौरान संग्राहलय के क्यूरेटरों के सामने यह प्रश्न उठ खड़ा हुआ कि इस तरह के अवशेषों का आखिरकार प्रदर्शन कैसे किया जाए.
इन अवशेषों में एक विशाल सूजा हुआ कलेजा, फटे हुए चमड़े वाला एक नवजात, एक युवा लड़की का विकृत कंकाल आदि जैसी चीजें शामिल हैं. क्यूरेटरों की दुविधा यह है कि नैतिक मूल्यों और सुरुचि की आधुनिक रेखाओं को लांघे बिना इन अवशेषों का प्रदर्शन कैसे किया जाए.
आधुनिक युग की कसौटियां
ऐसे अवशेषों की संख्या 50,000 के आस पास है. इनमें से कुछ तो 200 सालों से भी ज्यादा पुराने हैं. इनके संकलन की शुरुआत चिकित्सा के छात्रों को प्रशिक्षण देने के लिए 1796 में हुई थी.
आज की दुनिया में इस तरह के संग्रहों को लेकर कई सवाल उठ सकते हैं, जैसे क्या लोकहित मानवीय मर्यादा, शक्ति और शोषण जैसे विषयों से ज्यादा बड़ा है और जिन मृत लोगों के अंगों का प्रदर्शन किया जा रहा उनकी सहमति आवश्यक है या नहीं?
क्यूरेटर एडवर्ड विंटर कहते हैं, "हम जितना संभव हो सके उतनी व्याख्या दे कर वॉयरिस्म को दूर रखने की कोशिश करते हैं." उन्होंने बताया कि दर्शक दीर्घा में तस्वीरें खींचने की इजाजत नहीं है.
उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें उम्मीद है कि संग्रहालय में आने वालों को जब "30 किलो का एक कलेजा दिखाया जाएगा...तब वो समझेंगे कि शराब मानव शरीर का क्या हाल कर सकती है."
अंतरराष्ट्रीय मानक
जिज्ञासु लोग शरीर पर वायरसों के असर के बारे में भी और जल जाने पर रक्त वाहिकाएं कैसी दिखती हैं, यह सब जान सकेंगे. वे मानवीय अंगों, खोपड़ी और शरीर के दूसरे हिस्सों को देख सकेंगे. कई देशों में ऐसी चीजों को सिर्फ शोध करने वाले ही देख सकते हैं.
प्रदर्शनी की निदेशक कैटरीन वोलांड कहती हैं, "एक दिन सबको बीमारी का सामना करना ही पड़ेगा." उन्होंने बताया कि कुछ लोग यहां इसलिए आते हैं क्योंकि वो खुद कुछ स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से प्रभावित हैं और कुछ इसलिए आते हैं क्योंकि वो "विज्ञान की तरक्की के बारे में और जानना चाहते हैं."
प्रदर्शनी आम जनता के लिए सितंबर 2021 में दोबारा खोली गई और इस बार संग्रह में पड़े अवशेषों में से सिर्फ कुछ को ही इसमें रखा गया. संग्रहालय आई बायोलॉजी के टीचर क्रिस्टियन बिहेवी कहती हैं, "मैं पिछली प्रदर्शनी से वाकिफ थी. लेकिन यह वाली बेहतर ढंग से तैयार की गई है क्योंकि हर चीज का विवरण है, पहले से काफी ज्यादा जानकारी है."
इस चर्चा को दिशा देने के लिए संग्रहालयों की अंतरराष्ट्रीय परिषद ने एक कोड ऑफ एथिक्स बनाया है, जो कहता हैं कि मानव अवशेषों को तभी "लेना चाहिए अगर उनके सुरक्षित रूप से रखा जा सके और उनकी आदर से देखभाल की जा सके." इसके अलावा वो अवशेष जिस समुदाय से हों उसके "हितों और मान्यताओं" का भी ख्याल रखना जरूरी है.
सीके/एए (एएफपी)
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक उत्तरी इथियोपिया में टिग्रे अलगाववादियों और उनके खिलाफ सैन्य अभियान ने गंभीर संकट पैदा कर दिया है.
संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि इथियोपिया में टिग्रे पीपल्स लिबरेशन फ्रंट के संघर्ष ने देश के उत्तरी हिस्से में नागरिकों के जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक उत्तरी इथियोपिया में खाद्य की कमी से इस क्षेत्र में भोजन की गंभीर कमी होने की संभावना है.
यह भी उल्लेख किया गया कि उत्तरी इथियोपिया में 94 लाख लोगों को खाद्य सहायता की सख्त जरूरत है. वहीं, तीसरे संघर्ष की तीव्रता में कोई कमी नहीं आई है.
टिग्रे में मानव त्रासदी की गंभीरता
इथियोपिया के टिग्रे क्षेत्र में मानवीय संकट हर गुजरते दिन के साथ गहराता जा रहा है. क्षेत्र के 25 लाख लोगों को सहायता की जरूरत है. उनके अलावा अफार में 5,34,000 और अमहारा में 33 लाख लोग मदद का इंतजार कर रहे हैं. अफार और अमहारा क्षेत्र टिग्रे के पास स्थित हैं और सशस्त्र संघर्ष ने उनके दैनिक जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है. उत्तरी इथियोपियाई शहर कोम्बोल्चा में बंदूकधारियों द्वारा भोजन और आवश्यक वस्तुओं के एक बड़े गोदाम को लूटने के बाद संयुक्त राष्ट्र ने पिछले दिनों राहत भोजन के वितरण को निलंबित कर दिया था.
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंटोनियो गुटेरेश के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक के अनुसार कुछ स्थानीय लोग तीन अन्य अलगाववादियों के साथ कोम्बोल्चा के गोदाम को लूटने में शामिल थे. डुजारिक के मुताबिक, "लुटेरों ने गोदाम से बच्चों के खाने-पीने का सामान और दवाइयां भी चुरा लीं."
मानवीय सहायता की कोशिश
घाना की राजधानी अक्रा में विदेश नीति और सुरक्षा विश्लेषक आदिब सानी का कहना है कि मानवीय संकट से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रयास अराजकता की स्थिति में सफल नहीं हो रहे हैं क्योंकि युद्धरत पक्ष सबसे बड़ी बाधा हैं. सानी के मुताबिक, "उनके सशस्त्र कार्यों के कारण मानवीय संकट गहरा रहा है और वे स्थिति के लिए एक दूसरे को दोषी ठहराते हैं."
विश्लेषक आदिब सानी ने स्पष्ट किया कि सशस्त्र स्थिति कम नहीं हुई है और आम आदमी के लिए स्थिति कठिन होती जा रही है. उनके अनुसार स्थिति राहत कार्यों को जारी रखने के लिए अनुकूल नहीं थी और राहत सामग्री गंभीर रूप से प्रभावित लोगों तक नहीं पहुंच रही थी.
उत्तरी इथियोपिया में पिछले एक साल से सरकारी बलों और टिग्रे अलगाववादियों के बीच झड़पें होती रही हैं. हिंसा में अब तक हजारों मर चुके हैं. दो लाख से ज्यादा लोग बेघर हो चुके हैं. संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षकों ने पार्टियों पर गंभीर मानवाधिकारों के हनन का भी आरोप लगाया है.
अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी इस संकट के समाधान के लिए काम कर रहा है. अमेरिकी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता का कहना है कि इथियोपिया में मानवीय संकट "विनाशकारी" बन गया है और यह अमेरिका के लिए प्राथमिकता है. अमेरिका ने भी युद्धरत पक्षों से बातचीत के माध्यम से अपने मतभेदों को हल करने का आग्रह किया है.
एए/सीके (एएफपी, एपी)
शिकागो. अमेरिका के शिकागो में रहने वाली एक अश्वेत सोशल वर्कर को पुलिस की बदसलूकी के लिए 2.9 मिलियन डॉलर बतौर हर्जाना मिलेगा. साल 2019 में एक अपराधी की तलाश में पुलिस अधिकारी निर्दोष अंजनेट यंग के घर जबरन घुस आए थे. तलाशी के दौरान पुलिस ने महिला के सारे कपड़े उतरवा लिए थे और हथकड़ी पहनाकर उसे काफी देर तक खड़ा रखा था. जबकि पुलिस जिस अपराधी को खोज रही थी, वह पड़ोस के घर में रहता था.
शिकागो सन-टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, शिकागो के मेयर लोरी लाइटफुट ने रविवार को पीड़ित महिला के लिए इस हर्जाने का प्रस्ताव दिया. शिकागो ट्रिब्यून ने मामले की प्रत्यक्ष जानकारी वाले कई स्रोतों का हवाला देते हुए कहा कि वह इस सप्ताह के अंत में पूर्ण परिषद के सामने आने से पहले नगर परिषद की वित्त समिति से सोमवार को मामले के निपटान के लिए चर्चा करने के लिए तैयार है.
अंजनेट यंग ने फरवरी 2021 में शिकागो शहर के खिलाफ एक नागरिक मुकदमा दायर किया था, जिसमें उसने आरोप लगाया था कि कई सीनियर पुलिस अधिकारी नागरिक अधिकारों के उल्लंघन की साजिश में शामिल हैं. अपनी शिकायत में यंग ने शिकागो शहर और एक दर्जन शिकागो पुलिस को प्रतिवादी के रूप में नामित किया है. उसका आरोप है कि पुलिस एक मुखबिर की सूचना को वेरिफाई कराने में नाकाम रही. दूसरे अपराधी की वजह से उसे ये अपमान और उत्पीड़न झेलना पड़ा.
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फरवरी 2019 को पुलिस अधिकारियों ने यंग के घर में धावा बोल दिया था. उस वक्त यंग सोने जाने के लिए कपड़े चेंज कर रही थी. पुलिस ने उसे आधे घंटे से अधिक समय तक ऐसे ही बिना कपड़ों के खड़ा रखा और हथकड़ी पहना दी. बातचीत के दौरान यंग ने महसूस किया कि पुलिस गलत पते पर अपराधी की तलाश कर रही है. ये मामला खूब चर्चा में आया था. अब करीब दो साल बाद महिला को इंसाफ मिलता दिख रहा है.
वजीर (केन्या), 14 दिसम्बर| केन्या की पुलिस ने पूर्वोत्तर सीमा क्षेत्र के कोंटन, वजीर काउंटी में एक मस्जिद में संदिग्ध अल-शबाब आतंकवादियों के नागरिकों को अगवा करने की कोशिश को नाकाम कर दिया है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, वजीर काउंटी के पुलिस कमांडर हिलेरी टोरोइटिच ने कहा कि लगभग 5 लोगों के एक गिरोह ने एक स्थानीय मस्जिद पर हमला कियाऔर लगभग 40 लोगों को बंधक बना लिया।
टोरोइटिच ने कहा कि यह संदिग्ध आतंकवादी पड़ोसी सोमालिया से आए थे और उन्होंने नागरिकों को बाहर करने का आदेश दिया और उन्हें पास के केन्या-सोमालिया सीमा पर ले जाने की कोशिश की।
पुलिस कमांडर ने कहा कि उनका निशाना इमाम (इस्लामी उपदेशक) था, जो एक पुलिस कर्मी भी है और उस समय नमाज का नेतृत्व कर रहा था।
उन्होंने कहा कि यह इस प्रक्रिया में गिरोह को अपना मिशन छोड़ने और भागने के लिए मजबूर करने के लिए गोलियां चलाई गई।
उन्होंने कहा, "लेकिन किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। हमने गिरोह पर नजर रखने में मदद के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बल भेजे हैं।"
यह क्षेत्र सोमालिया सीमा के पास है और आतंकवादी आमतौर पर अपनी इच्छा से सीमा पार करते हैं और वापस भागने से पहले हमले करते हैं। (आईएएनएस)
जकर्ता, 14 दिसम्बर | इंडोनेशिया के पूर्वी नुसा तेंगारा प्रांत में रिक्टर पैमाने पर 7.3 की तीव्रता वाले भूकंप के बाद मंगलवार को सुनामी की चेतावनी जारी की गई। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, मौसम विज्ञान, जलवायु विज्ञान और भूभौतिकी एजेंसी के अधिकारियों ने पुष्टि की है कि भूकंप में सुनामी की लहरें पैदा करने की क्षमता है।
एजेंसी ने कहा कि भूकंप स्थानीय समयानुसार 10.20 बजे आया, जिसका केंद्र पूर्वी फ्लोर्स जिले के लारंटुका उप-जिले से 113 किमी उत्तर पूर्व में और समुद्र के नीचे 10 किमी की उथली जगह पर था।
नुकसान या हताहतों की अभी जानकारी सामने नहीं आई है।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 13 दिसम्बर| इस्लामाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनल्लाह ने सोमवार को देश में जबरन 'गुमशुदा' या 'गायब' होने जैसी घटनाओं पर गंभीर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि देश के 'प्रमुख अधिकारी' अंतत: इस तरह के कृत्यों के लिए जवाबदेह हैं।
पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत ने इस बात पर भी गौर किया कि संविधान के अनुच्छेद 6 (उच्च राजद्रोह) के तहत क्यों न उन पर आरोप लगाया जाए।
न्यायमूर्ति मिनल्लाह ने यह टिप्पणी लापता पत्रकार मुदस्सर नारू के परिवार द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान दलील पेश कर रहे पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल खालिद जावेद खान के समक्ष की।
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार को हुई सुनवाई में, इस्लामाबाद हाईकोर्ट (आईएचसी) के मुख्य न्यायाधीश ने जबरन गायब होने को 'पाकिस्तान पर एक कलंग (धब्बा)' करार दिया और इस प्रकार के घटनाक्रम को 'भ्रष्टाचार का सबसे खराब रूप' कहा। उन्होंने कहा कि प्रमुख अधिकारी आजकल अपनी किताबों में इसके बारे में लिखकर इस प्रथा पर गर्व करते हैं।
मुख्य न्यायाधीश ने सवाल करते हुए कहा, "अगर स्टेट कहीं मौजूद होता, तो प्रभावित परिवार को अदालत का दरवाजा खटखटाने की आवश्यकता क्यों होती और हमें इसे प्रधानमंत्री के संज्ञान में लाने की आवश्यकता क्यों होती?"
अगस्त 2018 में, नारू कघान घाटी में छुट्टी पर गया था, लेकिन तब से वह लापता है। उसे आखिरी बार काघन नदी के पास देखा गया था। शुरू में उसके परिवार और दोस्तों ने सोचा कि वह गलती से नदी में गिर गया होगा और डूब गया होगा, लेकिन उसका शव अभी तक नहीं मिला है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अन्य कुछ लोगों ने अनुमान लगाया है कि नारू ने आत्महत्या कर ली होगी। हालांकि इस संभावना को उनके परिवार द्वारा तुरंत खारिज कर दिया गया है। उसके परिजनों का कहना है कि उन्हें नारू को लेकर निराशा के कोई संकेत दिखाई नहीं दिए थे, जिनकी वजह से वह आत्महत्या कर सकता है।
उसके परिवार ने बाद में 'अज्ञात व्यक्तियों' के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने की कोशिश की। जब पुलिस ने सहयोग करने से इनकार कर दिया, तो उन्हें नागरिक अधिकार संगठनों से संपर्क करने पर मजबूर होना पड़ा, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। उसके लापता होने के कुछ महीनों बाद, उसके एक दोस्त ने कहा कि उसने नारू को 'लापता व्यक्तियों' के लिए एक हिरासत केंद्र में देखा था।
मामले की पिछली सुनवाई में, यह दावा किया गया था कि नारू, जो एक सामाजिक कार्यकर्ता और मानवाधिकार रक्षक भी है, को लापता होने से पहले राष्ट्र संस्थानों के अधिकारियों से कथित तौर पर धमकियां मिल रही थीं। (आईएएनएस)
अमेरिका में एक साथ आए करीब 30 बवंडरों ने तबाही मचा दी है. 100 से भी ज्यादा लोगों के मारे जाने की आशंका है. राहत कार्यकर्ता अभी भी बचने वालों की तलाश में लगे हुए हैं.
बवंडरों का प्रकोप कई राज्यों में रहा और वो अपने पीछे कई शहरों में भारी तबाही छोड़ गए. जानोमाल का सबसे ज्यादा नुकसान केंटकी राज्य में हुआ, जहां के गवर्नर ने कहा है कि खोजी कुत्तों को अभी भी लाशें मिल रही हैं.
साल के इस समय बवंडरों का आना एक दुर्लभ घटना माना जा रहा है. राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इसे अमेरिकी इतिहास की "सबसे बड़ी" तूफानी घटनाओं में से एक बताया. इस समय 94 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है. अधिकारियों का कहना है कि यह संख्या अभी बढ़ सकती है.
कई राज्यों में असर
केंटकी के गवर्नर ऐंडी बेशियर ने एक समाचार वार्ता में कहा, "हमें सबसे पहले तो साथ मिल कर शोक मनाना है और उसके बाद हम साथ मिल कर फिर से अपने राज्य को बनाएंगे."
80 से ज्यादा लोग अकेले केंटकी में मारे गए हैं जिनमें से कई मेफील्ड नगर में मोमबत्ती बनाने की एक फैक्ट्री में काम करते थे. बेशियर ने पहले कहा था कि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है लेकिन बाद में उन्होंने बताया कि फैक्ट्री के मालिक को और लोगों की खबर मिली है.
उन्होंने कहा कि अगर मरने वालों की संख्या में कमी होती है तो यह "बहुत अच्छा" होगा. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वो अभी इस जानकारी की पुष्टि नहीं कर पाए हैं. इलिनॉय के ऐडवर्ड्स्विल शहर में अमेजॉन के एक गोदाम में रात की शिफ्ट में काम कर रहे लोगों में से छह की मौत हो गई.
सर्वनाश जैसा नजारा
टेनिसी में चार लोग मारे गए, अर्कांसस और मिसूरी में दो-दो लोगों की मौत हो गई. मिसिसिपी में भी बवंडरों का असर रहा. मेफील्ड में रहने वाले 69 साल के बिल्डर डेविड नॉर्सवर्दी ने बताया कि तूफान में उनके घर की छत और आगे का बरामदा उड़ गया और उनके परिवार को एक शेल्टर में छिपना पड़ा.
तूफान में इतनी ताकत थी कि उसे इतिहास के सबसे बड़े तूफानों में से माना जा रहा है. तूफानों की खबर रखने वालों ने बताया कि उसने मलबे को हवा में 30,000 फुट तक उठा दिया था. मेफील्ड के बवंडर ने तो लगभग 100 सालों पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया. उसकी रफ्तार 320 किलोमीटर प्रति घंटे से भी ज्यादा थी.
गवर्नर बेशियर ने कहा कि उन्होंने ऐसा विध्वंस अपने जीवन में पहले कभी नहीं देखा. अधिकारियों ने मेफील्ड को "ग्राउंड जीरो" बताया. 10,000 लोगों की आबादी वाले इस शहर में हर तरफ सर्वनाश जैसा नजारा था.
पूरे के पूरे मोहल्ले ढह गए थे, ऐतिहासिक मकान और घरों में भी बस सिल्लियां बाकी रह गई थीं. पेड़ों की भी टहनियां उखड़ गई थीं और मैदानों में गाड़ियां उल्टी पड़ी थीं. वहां की महापौर केथी ओ'नान ने कहा कि शहर "माचिस की तीलियों" जैसा लग रहा है.
पूरे इलाके में करीब 30 बवंडरों के आने की बात कही जा रही है. फेडरल इमरजेंसी मैनेजमेंट एजेंसी डीन क्रिसवेल ने सीएनएन को बताया, "अब यही हमारा 'न्यू नॉर्मल' है. और जलवायु परिवर्तन के जो असर हम देख रहे हैं वो हमारी पीढ़ी का सबसे बड़ा संकट है."
सीके/एए (एएफपी)
रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने बताया है कि 1991 में सोवियत संघ के टूट जाने के बाद उनकी हालत इतनी खराब हो गई थी कि उन्हें घर चलाने के लिए टैक्सी चलानी पड़ी थी.
रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने बताया है कि 1991 में सोवियत संघ के टूट जाने के बाद उनकी हालत इतनी खराब हो गई थी कि उन्हें घर चलाने के लिए टैक्सी चलानी पड़ी थी. सोवियत संघ के विघटन के बाद देश की आर्थिक हालत काफी खराब हो गई थी और लोगों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा था.
पुतिन ने कहा कि सोवियत संघ के टूटने पर उन्हें बहुत अफसोस हुआ था. उन्होंने उस विघटन को ‘ऐतिहासिक रूस का बिखरना' बताया. इस टिप्पणी की अहमियत तब और ज्यादा हो जाती है जबकि दुनियाभर में इस बात की आशंका है कि रूस यूक्रेन पर हमला कर सकता है.
चलानी पड़ी टैक्सी
रविवार को एक टीवी चैनल पर दिखाई गई डॉक्युमेंट्री फिल्म ‘रशिया, न्यू हिस्ट्री' में व्लादीमीर पुतिन ने ये बातें कही हैं. उन्होंने कहा, "सोवियत संघ के नाम पर यह ऐतिहासिक रूस का विघटना था. पश्चिमी देशों में तब यह माना जा रहा था कि रूस के और टुकड़े हो जाएंगे.”
वैसे पुतिन पहले भी सोवियत संघ के विघटन को लेकर अपने विचार जाहिर करते रहे हैं लेकिन उनकी निजी जिंदगी के पहलू चैनल वन की इस डॉक्युमेंट्री के जरिए पहली बार सार्वजनिक हुए हैं.
रूसी जासूसी एजेंसी केजीबी में काम कर चुके पुतिन ने बताया, "कई बार कुछ अतिरिक्त पैसा कमाने के लिए मुझे टैक्सी चलानी पड़ी. सच कहूं तो उस बारे में बात करना कोई खुशी की बात नहीं है लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा ही हुआ था.”
1990 के दशक में पुतिन सेंट पीटर्सबर्ग के मेयर अनातोली सोबचाक के दफ्तर में काम करते थे. वह कहते हैं कि अगस्त 1991 में मिखाइल गोर्बाचेव के खिलाफ तख्तापलट के बाद उन्होंने केजीबी से इस्तीफा दे दिया था. उसी के बाद सोवियत संघ टूट गया था.
फिर से सोवियत संघ बनाने की इच्छा
व्लादीमीर पुतिन पर उनके आलोचक आरोप लगाते हैं कि वह सोवियत संघ फिर से बनाना चाहते हैं. सोवियत रूस को लेकर पुतिन की संवेदनशीलता छिपी नहीं है. इसके विघटन के बारे में वह कहते हैं, "हम एकदम अलग देश बन गए थे. जो एक हजार साल में बना था, वह खो गया था.”
1991 में सोवियत संघ टूट कर 15 देशों में बदल गया था. पुतिन कहते हैं कि ढाई करोड़ रूसी लोग नए आजाद हुए देशों में चले गए और रूस से एकदम कट गए जो "बहुत बड़ी मानवीय त्रासदी थी”.
यूक्रेन उन्हीं 15 देशों में से एक है और रूस ने 90 हजार सैनिक उसकी सीमा पर जमा कर लिए हैं जिसे लेकर कई देशों में हमले का डर बन गया है. इसी साल की शुरुआत में पुतिन ने क्रेमिलन की वेबसाइट पर एक लंबे लेख में लिखा था कि वह क्यों मानते हैं कि यूक्रेन और उसके लोग रूसी इतिहास और संस्कृति का अभिन्न अंग हैं. यूक्रेन इस विचार को गलत मानते हुए खारिज करता रहा है.
2014 में रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया क्षेत्र को अलग करवा दिया था. वह वहां के विद्रोहियों का समर्थन करता है जिन्होंने देश के पूर्वी हिस्से पर कब्जा कर रखा है और यूक्रेन की सरकारी फौजों से लड़ रहे हैं.
वीके/सीके (रॉयटर्स)
जी-7 देशों ने रूस को यूक्रेन से परे रहने या गंभीर नतीजे झेलने की चेतावनी दी है. लिवरपूल में जी-7 के विदेश मंत्रियों की बैठक में रूस का मुद्दा छाया रहा. इसके अलावा ईरान पर भी बात हुई.
दुनिया के सबसे धनी सात देशों के संगठन जी-7 ने रविवार को युनाइडेट किंग्डम के लिवरपूल में मुलाकात की. इस बैठक के बाद जारी साझा बयान में रूस और ईरान को चेतावनी दी गई है.
जी-7 ने कहा कि परमाणु समझौता करने के लिए ईरान के हाथ से वक्त निकलता जा रहा है और अगर ऐसा ना हुआ तो उसे सख्त नतीजे झेलने होंगे. इसी के साथ रूस को यूक्रेन में आक्रमण के मंसूबे ना पालने की भी चेतावनी जारी की गई.
रूस पर प्रतिबंधों की तैयारी
जी-7 देशों के विदेश मंत्रियों ने रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले की संभावनाओं की चर्चा की. अमेरिकी जासूसी एजेंसियों का आकलन है कि रूस अगले साल की शुरुआत में पौने दो लाख की फौज के साथ यूक्रेन पर चढ़ाई कर सकता है.
रूस इन आरोपों से इनकार करता रहा है. हालांकि उसने यह गारंटी मांगी है कि यूक्रेन को नाटो में शामिल नहीं किया जाएगा और रूसी सीमा के नजदीक नाटो देश हथियार तैनात नहीं करेंगे. पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से वीडियो पर हुई एक मुलाकात में भी रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने यही मांग रखी थी.
तब जो बाइडेन ने कहा था कि अगर यूक्रेन पर चढ़ाई की जाती है तो रूस को सख्त आर्थिक प्रतिबंध झेलने होंगे. जी-7 देशों ने अमेरिका के इस कदम का समर्थन किया है. ब्रिटिश विदेश मंत्री लिज ट्रस ने मीडिया से बातचीत में कहा, "हम इस बात को लेकर स्पष्ट हैं कि यूक्रेन पर रूस के किसी भी आक्रामक कदम के गंभीर नतीजे होंगे और उनकी भारी कीमत होगी.”
पाइप लाइन पर खतरा
ट्रस ने कहा कि आर्थिक प्रतिबंधों की जहां तक बात है तो सारे विकल्पों पर विचार किया गया. हालांकि किसी तरह की स्पष्ट सहमति नहीं बनी है कि नॉर्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइप लाइन पर भी प्रतिबंध लगाया जाए या नहीं. लेकिन अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने कहा कि यदि "रूस यूक्रेन पर फिर आक्रामक होता है या फिर से कोई कार्रवाई करता है” तो पाइप लाइन के चालू होने की संभावना बहुत कम होगी.
ब्लिंकेन ने कहा, "इसलिए जब राष्ट्रपति पुतिन आगे के कदमों पर विचार कर रहे हैं तो उन्हें इस बात को भी ध्यान में रखना चाहिए.” जी-7 की बैठक के बाद जर्मनी की विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक ने टीवी चैनल जेडडीएफ को बताया कि "और आक्रामक कार्रवाई की सूरत में यह गैस पाइपलाइन सेवा में नहीं आ पाएगी.”
नॉर्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइपलाइन रूस की गैस को जर्मनी तक पहुंचाएगी. हालांकि इसके संचालन के लिए अभी जर्मनी को लाइसेंस जारी करना है. पोलैंड और अमेरिका ने जर्मनी को लाइसेंस देने से पहले थोड़ा इंतजार करने का आग्रह किया है.
ईरान का मुद्दा
जी-7 की बैठक में ईरान द्वारा परमाणु संधि को लेकर आनाकानी का मुद्दा भी उठा. ब्रिटेन ने कहा कि विएना में फिर से शुरू हो रही परमाणु वार्ता ईरान के लिए संधि के लिए फिर से आने का आखिरी मौका है. ब्रिटिश विदेश मंत्री ट्रस ने कहा, "ईरान के पास अब भी वक्त है कि समझौते पर सहमत हो.”
ब्रिटेन इस संधि के साझीदारों में से एक है और पहली बार संधि में शामिल किसी पक्ष ने ईरान को इस तरह की सख्त चेतावनी दी है. 2015 में हुए परमाणु समझौते को पुनर्स्थापित करने के लिए गुरुवार से विएना में बातचीत दोबारा शुरू हुई है. 2018 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा तोड़ दिए जाने के बाद यह समझौता खतरे में पड़ गया था.
मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि वह समझौते में वापस लौटने को तैयार हैं. ईरानी नेताओं ने भी कहा है कि वे बातचीत को लेकर गंभीर हैं. लेकिन पश्चिमी नेताओं का आरोप है कि ईरान अब तक हुई प्रगति को खत्म कर रहा है और आनाकानी के जरिए वक्त चाह रहा है.
वीके/एए (एएफपी, एपी, रॉयटर्स)
सैन फ्रांसिस्को, 13 दिसम्बर | एलन मस्क द्वारा संचालित इलेक्ट्रिक कार निर्माता टेस्ला एक महीने के भीतर अमेरिका में एक दूसरे यौन उत्पीड़न के मुकदमे की चपेट में आ गई है, जिसमें एक महिला कर्मचारी ने एक मैनेजर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। मीडिया रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है। बिजनेस इनसाइडर की एक रिपोर्ट के अनुसार, कैलिफोर्निया स्थित फैक्ट्री टेस्ला के फ्रेमोंट में असेंबली लाइन वर्कर एरिका क्लाउड ने मुकदमा दायर किया है।
मुकदमे में दावा किया गया है कि उन्हें अपने पूर्व मैनेजर से 'लगभग रोजाना ही यौन उत्पीड़न' का सामना करना पड़ा।
शिकायतकर्ता ने कहा कि उसने कई मौकों पर अग्रिमों को खारिज कर दिया।
क्लाउड ने इलेक्ट्रिक कार निर्माता पर कैलिफोर्निया में अपने फ्रेमोंट कारखाने में 'निरंतर और व्यापक' यौन उत्पीड़न के एक पैटर्न को रोकने में विफल रहने का आरोप लगाया।
टेस्ला को अभी तक दूसरे मुकदमे पर टिप्पणी नहीं है जो एक महीने के भीतर दायर किया गया था।
टेस्ला की एक महिला कर्मचारी ने पिछले महीने कंपनी के खिलाफ मुकदमा दायर किया था, जिसमें ऑटोमेकर पर एक शत्रुतापूर्ण कार्य वातावरण बनाने का आरोप लगाया गया था जहां यौन उत्पीड़न 'बड़े पैमाने पर' था।
द वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, टेस्ला मॉडल 3 पर काम करने वाली प्रोडक्शन एसोसिएट जेसिका बाराजा ने एक मुकदमे में कहा कि उसे कैलिफोर्निया के फ्रेमोंट में टेस्ला की फैक्ट्री में लगातार उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा, जिसमें 'कैटकॉलिंग और अनुचित शारीरिक स्पर्श शामिल है।'
रिपोर्ट में उन्हें यह कहते हुए उद्धृत किया गया, "लगभग तीन वर्षों से सभी उत्पीड़न का अनुभव करने के बाद, यह आपको लगभग अमानवीय बनाता है।"
टेस्ला अपने मॉडल एस, मॉडल 3, मॉडल एक्स और मॉडल वाई इलेक्ट्रिक वाहनों का उत्पादन फ्रेमोंट प्लांट में करती है।
अक्टूबर में, टेस्ला को उसी संयंत्र में एक पूर्व ठेकेदार को 137 मिलियन डॉलर का भुगतान करने का आदेश दिया गया था, जिस पर आरोप लगा था कि वह नस्लीय उत्पीड़न के अधीन था। (आईएएनएस)
आपको राजेश खन्ना का एक डायलॉग तो याद ही होगा, ‘…जिंदगी बड़ी होनी चाहिए लंबी नहीं!’ हर इंसान की जिंदगी में एक ऐसा पल आता है जब वो जीवन से ऊबने लगता है. उसे आगे का कोई रास्ता नहीं नजर आता. ऐसे में वो डिप्रेशन का शिकार हो जाता है. कई बार जो लोग गंभीर बीमारियों से जूझते हैं उनके साथ ऐसा अधिक होता है. मगर जिस इंसान के अंदर जिंदगी जीने का जज्बा होता है वो बीमारियों को भी चुनौती देने की हिम्मत रखता है. हाल ही में एक शख्स ने ऐसी ही सीख लोगों को दी. कैंसर से जंग लड़ रहे बुजुर्ग शख्स ने मरने से पहले आइस स्केटिंग सीखने का अपना शौक पूरा किया और गजब की स्केटिंग कर सबको हैरान कर दिया.
ओन ट्रेल नाम की कंपनी की सीईओ रेबेका बैस्टिन ने हाल ही में ट्विटर पर एक ऐसा पोस्ट शेयर किया जिसे देखकर सब हैरान रह गए और साथ ही काफी भावुक भी हो गए. रेबेका ने अपने पिता का एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा- “मेरे पिता 77 साल के हैं और उन्हें स्टेज-4 का प्रोस्टेट कैंसर है. उन्होंने कैंसर के दौरान ही कुछ साल पहले आइस स्केटिंग सीखी और अब अपनी टीचर के साथ उन्होंने आइस स्केटिंग करते हुए गजब की डांस परफॉर्मेंस दी है. ये वीडियो उन लोगों के लिए है जो सोचते हैं कि कुछ भी नया शुरू करने के लिए अब देर हो चुकी है.”
बुजुर्ग शख्स ने दिखाया गजब का हुनर
वीडियो में बुजुर्ग व्यक्ति गजब की आइस स्केटिंग कर रहे हैं. वो अपनी डांस पार्टनर के साथ बर्फ पर स्केटिंग करने के साथ कई डांस स्टेप करते भी दिखाई दे रहे हैं. बड़ी बात ये है कि कैंसर और इतनी उम्र होने के बावजूद वो किसी महारथी कि तरह स्केटिंग कर रहे हैं और शानदार डांस भी करते दिखाई दे रहे हैं. आपको बता दें कि इस वीडियो को कुछ ही दिन में 26 लाख से ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं और डेढ़ लाख के करीब लोगों ने इसे लाइक किया है वहीं 15 हजार से ज्यादा लोग वीडियो को रीट्वीट कर चुके हैं.
My father is 77 years old and has stage 4 prostate cancer. He decided to learn how to ice skate a few years ago, and just did this performance with his teacher.
— Rebekah Bastian (@rebekah_bastian) December 9, 2021
For anyone that thinks it’s too late to try something new… ❤️ pic.twitter.com/0SZ3FmbNGE
वीडियो पर कई लोगों ने कमेंट कर शख्स की तारीफ की
वीडियो पर रेबेका ने कमेंट किया कि उन्होंने अपने पिता को ये बात बताई कि वो वायरल हो चुके हैं. इस बात पर पिता काफी खुश हुए और कहा कि वो हमेशा से ही फेमस एथलीट बनना चाहते थे. कई बुजुर्गों ने रेबेका के पिता की तारीफ की और उनके हुनर की भी सराहना की जबकि युवा उनसे इंस्पिरेशन लेने की बात लिख रहे हैं.
किराये पर घर लेने और बेचने के लिए अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स मौजूद हैं. अब एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे देखकर आप सोच में पड़ जाएंगे. किराये पर कमरा देने के अनोखे विज्ञापन ने सोशल मीडिया यूजर्स को हैरत में डाल दिया है. न्यूज़ीलैंड में एक शख्स ने अपने घर के गैराज में एक चारपाई, कुर्सी और टेबल लगाकर घर किराये पर उठाने का विज्ञापन लगा दिया.
इस विज्ञापन के सामने आने के बाद न्यूजीलैंड में घरों की कमी का कड़वा सच भी सामने आया है. इस तस्वीर ने आम लोगों से लेकर राजनीतिज्ञों तक का ध्यान अपनी ओर खींचा है. पार्किंग में लगी कार के बगल में लगी चारपाई वाला ये विज्ञापन न्यूज़ीलैंड के ऑकलैंड का है. रेंटर्स यूनियन के प्रवक्ता जिओर्डी रोजर्स ने कहा है कि ये विज्ञापन किरायेदारों की एक दुर्भाग्यपूर्ण सच्चाई को दिखाने वाला है.
ऐसा भी होता है मकान ?
Mirror की रिपोर्ट के मुताबिक एक मकान मालिक ने अपने गैरेज को कमरे के तौर पर किराये पर उठाने के लिए उसकी तस्वीर डाली है. इस मामले की अब देश भर में निंदा की जा रही ऑकलैंड के रहने वाले एक शख्स ने अपने गैरेज में बिस्तर लगा दिया और पास में एक टेबल और चेयर रखकर उसकी तस्वीर खींच ली. फिर इसे किराए पर देने के लिए वेस्ट ऑकलैंड फेसबुक ग्रुप पर पोस्ट कर दिया है. इस विज्ञापन में फर्नीचर के बगल में कार लगी हुई भी दिखाई दे रही है. इसे देखकर लोग मकानमालिक को खूब खरी-खोटी सुना रहे हैं.
न्यूजीलैंड में मकान हैं बड़ी समस्या
न्यूजीलैंड में लोगों की संख्या के मुकाबले मकानों की संख्या काफी कम है . ये विज्ञापन इस बात की पुष्टि कर रहा है. घरों की कमी की वजह से रेंटर्स कैसी भी स्थिति में रहने को मजबूर हैं. ऑकलैंड सेंट्रल और ग्रीन पार्टी के सांसद क्लो स्वारब्रिक ने भी इस मामले का संज्ञान लेते हुए रेंटर्स के लिए बेहतर व्यवस्था की जानी चाहिए. इस तरह के विज्ञापन न सिर्फ कम आमदनी वाले युवाओं की बुरी स्थिति दिखाती है, बल्कि इसका व्यावसायिक लाभ उठाने वालों की मानसिकता भी प्रदर्शित करती है.
यरूशलम. इजराइल की संसदीय समिति ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की पत्नी और उनके वयस्क बेटों को अब सुरक्षा मुहैया नहीं कराने के पक्ष में रविवार को मतदान किया. यह फैसला सोमवार से प्रभावी होगा. नेतन्याहू ने कई बार कहा है कि उनके परिवार को जान से मारने की धमकियां लगातार मिल रही हैं. इसके बावजूद समिति ने यह फैसला किया. फैसले के तहत नेतन्याहू के परिवार से सुरक्षा के साथ ही ड्राइवर और कार की सुविधा भी वापस ले ली जाएगी.
विपक्ष के नेता होने के कारण नेतन्याहू को मिलेगी सुविधाएं
नफ्ताली बेनेट ने इजराइल के प्रधानमंत्री पद की जून में शपथ ली थी और इसी के साथ 12 साल से प्रधानमंत्री पद पर काबिज नेतन्याहू का कार्यकाल खत्म हो गया. नई सरकार के लिए अलग-अलग विचारधाराओं के दलों ने गठबंधन किया. नेतन्याहू अब विपक्ष के नेता हैं और उन्हें सरकार की ओर से सुरक्षा मुहैया कराई जाती है.
मानक प्रक्रियाओं के तहत, पूर्व प्रधानमंत्री के परिवार को कार्यकाल समाप्त होने के बाद शुरुआती छह महीने तक सुरक्षा एवं चालक के साथ एक वाहन मुहैया कराया जाता है, लेकिन नेतन्याहू के जोर देने पर एक मंत्रिस्तरीय समिति ने जनवरी में इस सीमा को एक साल तक बढ़ा दिया था. उसी मंत्रिस्तीय समिति ने सुरक्षा मुहैया कराने की अवधि को रविवार को कम करके फिर से छह महीने करने की ‘शिन बेट’ सुरक्षा सेवा की सिफारिश स्वीकार कर ली. उसने कहा कि नेतन्याहू की पत्नी या उनके बच्चों को कोई आसन्न खतरा नहीं है.
भ्रष्टाचार मामले में नेतन्याहू की मुश्किलें बढ़ी
नेतन्याहू के पूर्व प्रवक्ता नीर हेफेट्ज मुकदमे में अभियोजन पक्ष के मुख्य गवाह बन गए हैं. उनकी गवाही को नेतन्याहू के खिलाफ लगे आरोपों के सिलसिले में काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. हालांकि, अब विपक्ष के नेता की भूमिका निभा रहे पूर्व प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कुछ भी गलत करने से इनकार किया है. उन्होंने सभी आरोपों को झूठा और बेबुनियाद करार दिया है. (एजेंसी इनपुट)
जिनान, 13 दिसम्बर| परिवहन मंत्रालय के बेइहाई रेस्क्यू ब्यूरो ने कहा कि पूर्वी चीन के शेडोंग प्रांत के यांताई शहर के तट पर एक मालवाहक जहाज के डूबने से नौ चालक दल के सदस्यों की मौत हो गई है।
मालवाहक जहाज, 'तियानफेंग 369', रविवार की सुबह तड़के यंताई से 30 समुद्री मील उत्तर-पूर्व में समुद्र के पानी में डूब गया। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, दुर्घटना के समय चालक दल के कुल 14 सदस्य सवार थे।
बचाव ब्यूरो को सुबह 4:43 बजे दुर्घटना की सूचना मिली और फिर बचाव अभियान में शामिल होने के लिए एक बचाव हेलीकॉप्टर और एक बचाव पोत भेजा गया।
रात 10 बजे तक, बचाव दल ने 12 लोगों को पानी से बाहर निकाल लिया था, जिनमें से तीन की हालत स्थिर थी और नौ लोगों की मौत हो चुकी थी।
शेष दो लापता चालक दल के सदस्यों के लिए बचाव और खोज अभियान अभी भी जारी है।
जहाज का स्वामित्व शेडोंग प्रांत के शौगुआंग शहर में तियानफेंग मरीन शिपिंग कंपनी लिमिटेड के पास है। (आईएएनएस)
रियो डी जनेरियो, 13 दिसम्बर| ब्राजील के पूर्वोत्तर राज्य बाहिया में भारी बारिश के कारण कम से कम 7 लोगों की मौत हो गई और हजारों लोग विस्थापित हो गए। ये सूचना क्षेत्रीय नागरिक सुरक्षा ने दी है। पिछले सप्ताह बाहिया के दक्षिणी क्षेत्र में एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात के कारण हुई बारिश शनिवार को तेज हो गई, जिससे क्षेत्र के कुछ हिस्सों में बाढ़ आने से तबाही हुई।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, नागरिक सुरक्षा के अनुसार, बारिश से लगभग 30 नगरपालिकाएं प्रभावित हुई, जिनमें से अब तक 7 लोग मारे गए जबकि 175 घायल हुए हैं और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।
आंधी-तूफान ने कई कस्बों और ग्रामीण इलाकों को प्रभावित किया, जिससे राहत टीमों का उन तक पहुंचना मुश्किल हो गया। रविवार को 200 से ज्यादा सैन्य अग्निशामकों ने दो हेलीकॉप्टरों के समर्थन से प्रभावित समुदायों के लोगों को बचाया।
ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो और बाहिया के गवर्नर रुई फलकाओ ने रविवार को प्रभावित जगहों का दौरा किया और पुनर्निर्माण सहायता देने का वादा किया। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 13 दिसंबर | मौलिक अधिकारों के लिए ग्वादर के लोगों के हफ्तों विरोध के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने रविवार को कहा कि सरकार ग्वादर तट पर ट्रॉलरों द्वारा अवैध रूप से मछली पकड़ने के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी। यह जानकारी एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने दी। खान ने एक ट्वीट में कहा कि उन्होंने ग्वादर के मेहनती मछुआरों की वैध मांगों पर ध्यान दिया है, जो चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) परियोजना की मुख्य कड़ी है।
प्रधानमंत्री के अनुसार, वह बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री अब्दुल कुद्दुस बिजेंजो से भी बात करेंगे, ताकि बलूचिस्तान मछुआरा समुदाय के आरक्षण को लागू किया जा सके।
ग्वादर के लोग 20 दिनों से अधिक समय से अपने मौलिक अधिकारों के लिए बंदरगाह शहर में धरना दे रहे हैं। धरने का नेतृत्व जमात-ए-इस्लामी बलूचिस्तान के प्रांतीय महासचिव मौलाना हिदायत-उर-रहमान कर रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बलूचिस्तान सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच कई दौर की वार्ता विफल रही है, क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे केवल मौखिक वादों पर अपना विरोध समाप्त नहीं करेंगे।
उनकी मांगों में नागरिकों को पीने योग्य पानी, नागरिक सुविधाएं, स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर और शहर भर में फैली अनावश्यक सुरक्षा चौकियों को हटाना शामिल है।
प्रदर्शनकारियों ने विदेशी ट्रॉलरों द्वारा ग्वादर के पानी में अवैध मछली पकड़ने को समाप्त करने की भी मांग की है, यह कहते हुए कि अवैध मछली पकड़ने वाले ट्रॉलर बलूच मछुआरों की आजीविका और समुद्री पर्यावरण को नष्ट कर रहे थे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अब तक केवल ग्वादर में शराब की दुकानों को बंद करने की मांग पूरी की गई है।(आईएएनएस)
लंदन, 13 दिसंबर| ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अप्रैल के अंत तक कोविड के ओमिक्रॉन स्वरूप से होने वाली मौतों की संख्या 25,000 से 75,000 तक हो सकती है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि देश में टीकाकरण में कितनी प्रगति है। बीबीसी ने शनिवार को बताया कि विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड के ओमिक्रॉन स्वरूप को लेकर अभी भी अनिश्चितता है।
अध्ययन लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन (एलएसएचटीएम) में रोग प्रतिरूपकों के एक प्रभावशाली समूह द्वारा किया गया है जो सरकार को सलाह भी देते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, अनुसंधान इस धारणा पर आधारित है कि यदि किसी को टीका लगाया गया है तो ओमिक्रॉन का असर उस पर कम है और मौजूदा प्लान बी उपायों को भी ध्यान में रखा गया है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि बूस्टर खुराक अधिक लेने से ओमिक्रॉन तरंग का प्रभाव कम होने की संभावना है।
ब्रिटेन में शनिवार को 54,073 नए मामलों की घोषणा की गई, जिसमें ओमिक्रॉन के 633 मामले शामिल हैं। हालांकि ओमिक्रॉन मामलों की वास्तविक संख्या बहुत अधिक होने का अनुमान है।
शोधकर्ताओं में से एक, निक डेविस ने कहा कि ओमिक्रॉन बहुत तेजी से फैल रहा है, जो काफी चिंताजनक है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रिटेन में फिलहाल हर 2 से 4 दिन में संक्रमित लोगों की संख्या दोगुनी हो रही है। (आईएएनएस)
बीजिंग, 13 दिसंबर | चीनी ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा ने एक महिला कर्मचारी को नौकरी से निकाल दिया है, जिसने बॉस और एक ग्राहक पर शराब पीकर बिजनेस ट्रिप पर उसका यौन शोषण करने का आरोप लगाया था। बीबीसी ने बताया कि बर्खास्तगी पत्र में कहा गया है कि उसने झूठ फैलाया, जिससे कंपनी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा।
महिला कर्मचारी ने अगस्त में अपने आरोप को सार्वजनिक करते हुए कहा कि कंपनी जुलाई में हुई घटना पर कार्रवाई करने में विफल रही है।
माना जा रहा है कि ग्राहक अभी भी पुलिस जांच के दायरे में है।
महिला ने सरकार समर्थित अखबार दाहे डेली को बताया कि उसे पिछले महीने के अंत में नौकरी से निकाल दिया गया।
महिला कर्मचारी को यह कहते हुए उद्धृत किया गया, "मैंने कोई गलती नहीं की है और निश्चित रूप से इस परिणाम को स्वीकार नहीं करूंगी और भविष्य में अपने अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए कानूनी साधनों का उपयोग करूंगी।"
अलीबाबा ने अभी तक उसकी बर्खास्तगी पर कोई टिप्पणी नहीं की है।(आईएएनएस)
क्विटो, 13 दिसंबर| दक्षिणी इक्वाडोर के मोरोना सैंटियागो के अमेजोनियन प्रांत के सुकुआ कैंटन में एक यात्री बस दुर्घटना में कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई और 25 अन्य घायल हो गए। एकीकृत सुरक्षा सेवा ईसीयू 911 ने यह जानकारी दी। एजेंसी ने रविवार को एक बयान में कहा कि दुर्घटना शनिवार रात हुंबी में हुई, जब मैकास-लोजा मार्ग को कवर करने वाली बस अपनी लेन पर पलट गई।
शवों को सुकुआ मुर्दाघर में स्थानांतरित कर दिया गया। नाबालिगों और वयस्कों सहित 25 घायलों को विभिन्न स्थानीय अस्पतालों में ले जाया गया।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, विभिन्न राहत संस्थानों और अग्निशमन विभाग की बचाव इकाइयों के कर्मियों के साथ तत्काल सहायता शुरू कर दी गई है। (आईएएनएस)
वाशिंगटन, 12 दिसम्बर | दक्षिणी अमेरिका के अरकंसास, इलिनोइस, केंटकी, मिसौरी और टेनेसी राज्यों सहित मिडवेस्ट में आए तूफान ने तबाही मचाई है, जिसमें दर्जनों लोगों के मारे जाने की आशंका है। इस तूफान में हजारों लोगों के घरों की बिजली चली गई है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने अमेरिका के एक प्रमुख मीडिया नेटवर्क का हवाला देते हुए बताया कि रात भर में कम से कम 30 बवंडर आए, जिसमें से केंटकी राज्य सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ।
केंटकी के गवर्नर एंडी बेशियर ने शनिवार की सुबह तूफान से हुए नुकसान और राज्य की प्रतिक्रिया पर एक ब्रीफिंग में कहा, "हमारा मानना है कि इस घटना से मरने वालों की संख्या बढ़कर 50 से ज्यादा हो जाएगी, शायद 70 से 100 लोगों की जान चली गई।"
बेशियर ने कहा, "यह केंटकी के इतिहास की सबसे कठिन रातों में से एक रही है। कुछ क्षेत्र इस तरह से प्रभावित हुए कि शब्दों में बयां करना मुश्किल है।"
राज्य में आए तूफानों को केंटकी के इतिहास में सबसे गंभीर बवंडर घटना करार देते हुए, बेशियर ने आपातकाल की आधिकारिक स्थिति घोषित कर दी है।
मीडिया नेटवर्क से बात करते हुए, आपातकालीन प्रबंधन के केंटकी निदेशक माइकल डोसेट ने अपने राज्य में बवंडर से हुई क्षति कोोज्य के इतिहास के सबसे काले दिनों में से एक के रूप में वर्णित किया।
डोसेट ने शनिवार को कहा, "यह सबसे महत्वपूर्ण, सबसे व्यापक आपदाओं में से एक होगा, जिसका केंटकी ने सामना किया है।"
डॉसेट ने कहा कि सभी संपत्तियां पश्चिमी केंटकी की ओर जा रही हैं, जो नेशनल गार्ड और घटना प्रबंधन टीमों सहित सबसे कठिन हिट क्षेत्रों में से एक है।
ब्लेंकशिप ने कहा कि आज सुबह मोनेट में दो और पास के शहर में एक की मौत हो गई।
शहर में बिजली भी नहीं है और ब्लेंकशिप ने कहा कि वह नहीं जानते कब वापस आएगी।
एडवर्डसविले, इलिनोइस में एक अमेजन गोदाम तूफान में आंशिक रूप से गिर गए।
शहर के पुलिस प्रमुख माइक फिलबैक ने शनिवार सुबह एक संवाददाता सम्मेलन में पुष्टि की है कि कम से कम दो लोग मारे गए हैं और बचाव के प्रयास पहले उत्तरदाताओं की सुरक्षा के लिए धीरे-धीरे चल रहे हैं। (आईएएनएस)
दार एस सलाम, 12 दिसम्बर | पूर्वी अफ्रीका के चार देशों तंजानिया, केन्या, युगांडा और रवांडा ने इस क्षेत्र में प्लास्टिक प्रदूषण से लड़ने के लिए हाथ मिलाया है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, नाइप फागियो की कार्यकारी निदेशक एना ले रोचा ने कहा कि चार देशों ने इस क्षेत्र में सिंगल-यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल के खिलाफ विरोध करने के लिए सिंगल-यूज प्लास्टिक फ्री ईस्ट अफ्रीकन कम्युनिटी (ईएसी) अभियान शुरू करने का फैसला किया है।
नाइप फागियो एक किस्वाहिली नारा है जिसका मतलब 'मुझे झाड़ू दो' होता है।
यह एक पब्लिक एडवोकेसी संगठन है जो तंजानिया में सतत विकास को बढ़ावा देने और जागरूकता बढ़ाने पर केंद्रित है।
ले रोचा ने कहा कि अभियान क्षेत्र में एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक के उत्पादन और प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने पर जोर देता है।
पूर्वी अफ्रीकी देशों ने एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिसमें रवांडा एक महत्वपूर्ण सफलता का मामला है और केन्या में इसका पालन नहीं करने के लिए सबसे अधिक जुर्माना लगाया जाता है।
ले रोचा ने कहा, "ईएसी एक वैश्विक उदाहरण और दुनिया में पहला एकल-उपयोग प्लास्टिक मुक्त क्षेत्र बन सकता है।" (आईएएनएस)
-फ़ैसल इस्लाम
एक तरफ़, दुनिया 9/11 हमलों की प्रतिक्रिया में उलझी थी. दूसरी ओर, इसके ठीक तीन महीने बाद 11 दिसंबर को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) एक ऐसी घटना के केंद्र में था, जिसका असर 21वीं सदी में पूरी दुनिया पर होने वाला था.
इसके बावजूद, बहुत कम को पता है कि ऐसा कुछ हुआ था. तारीख़ पता होने की बात तो दूर की है.
डब्ल्यूटीओ में चीन के शामिल हो जाने से अमेरिका, यूरोप और एशिया के अधिकतर देशों के खेल को ही बदल दिया. यही नहीं, तेल और मेटल जैसे बहुमूल्य संसाधनों वाले हर देश के लिए चीज़ें बदल गईं.
इस घटना का आर्थिक और भूराजनैतिक महत्व तो बहुत ज़्यादा था, लेकिन आम लोगों ने इस पर ग़ौर नहीं किया. दुनिया ने जो वैश्विक वित्तीय मंदी देखी, उसकी जड़ में भी इसी से हुआ असंतुलन था. उत्पादन से जुड़ी नौकरियों को चीन भेजने को लेकर जी-7 देशों में पैदा हुए घरेलू असंतोष से राजनीतिक चोट भी हुई.
नाकाम हुईं अमेरिकी उम्मीदें
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन जैसे नेताओं ने वादा किया था कि 'लोकतंत्र के सबसे ठोस मूल्यों में से एक आर्थिक आज़ादी' को चीन भेजने से दुनिया का ये सबसे अधिक आबादी वाला देश राजनीतिक आज़ादी के रास्ते पर भी चलेगा.
क्लिंटन ने कहा था, "जब लोगों के पास सिर्फ़ सपने देखने की ही नहीं बल्कि सपनों को पूरा करने की भी आज़ादी होगी, तब वो चाहेंगे कि उनकी बात भी सुनी जाए."
लेकिन ये नीति नाकाम रही. चीन ने अपनी मौजूदा स्थिति की तरफ़ तेज़ी से बढ़ना शुरू कर दिया. चीन इस समय दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और उसका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना तय है.
चीन को डबल्यूटीओ में शामिल करने के फ़ैसले में भूमिका निभाने वाली अमेरिकी का ट्रेड प्रतिनिधि चार्लीन बारशेफ्स्की ने हाल ही में वॉशिंगटन इंटरनेशनल ट्रेड एसोसिएशन के पैनल में कहा था कि चीन के आर्थिक मॉडल ने कुछ हद तक इस पश्चिमी विचार को धता बताया है कि 'आप राजनीतिक नियंत्रण में एक अभिनव समाज नहीं बना सकते.'
उन्होंने कहा, "कहने का मतलब ये नहीं है कि चीन की नवाचार क्षमता उसके आर्थिक मॉडल से मज़बूत हुई है. कहने का मतलब ये है कि पश्चिमी देशों ने जिस सिस्टम को असंगत माना था वो दरअसल, असंगत सिस्टम नहीं था."
साल 2000 से पहले चीन की पहचान प्लास्टिक के अलग-अलग सामान और सस्ते सामान के प्रमुख उत्पादनकर्ता की थी. ये चीज़ें ज़रूरी तो थीं लेकिन ना ही इनसे दुनिया बदल रही थी और ना ही आप इनसे दुनिया को हरा सकते थे.
दुनिया के कारोबार की सूची में चीन के ऊपर चढ़ने से एक बड़ा वैश्विक बदलाव आया है. काम करने को इच्छुक चीन की आबादी और सुपर हाई टेक फैक्ट्रियों और चीन की सरकार और पश्चिमी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बीच ख़ास रिश्तों ने ऐसा शक्तिशाली गठजोड़ बनाया की दुनिया की शक्ल ही बदल गई.
चीन धीरे-धीरे दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों की सप्लाई चेन का हिस्सा बनता गया. चीन के पास सस्ते मज़दूरों की सेना थी जो पश्चिम के उच्च जीवनस्तर के लिए ज़रूरी हर सामान का उत्पादन कर रही थी. अर्थशास्त्री इसे सप्लाई शॉक कहते हैं और इसका असर बेशक चौंकाने वाला है. इसका असर आज भी दुनिया भर में दिखाई दे रहा है.
विश्व की अर्थव्यवस्था में चीन के शामिल होने ने कई बड़ी आर्थिक उपलब्धियां हासिल की हैं, इनमें बड़ी आबादी को ग़रीबी से निकालना है. चीन के डब्ल्यूटीओ में शामिल होने से पहले देश की पचास करोड़ आबादी ग़रीबी रेखा से नीचे थे. आज की बात की जाए तो ये शून्य है क्योंकि इस दौरान देश की अर्थव्यवस्था 12 गुणा बढ़ चुकी है. चीन का विदेशी मुद्रा भंडार 16 गुणा बढ़कर 2.3 ट्रिलियन डॉलर पहुँच गया है.
साल 2000 में चीन उत्पादों के आयात में दुनिया में सातवें नंबर पर था लेकिन जल्द ही यह नंबर एक पर पहुंच गया. चीन में अभी आर्थिक प्रगति की दर 8 प्रतिशत सालाना है लेकिन एक समय यह 14 प्रतिशत तक पहुंच गई थी जबकि पिछले साल यह 15 प्रतिशत पर स्थिर हो गई थी.
कंटेनर जहाज़ वैश्विक व्यापार की रीढ़ होते हैं. डब्ल्यूटीओ में शामिल होने में चीन आने-जाने वाले कंटेनरों की संख्या 4 करोड़ से बढ़कर आठ करोड़ पहुंच गई थी. जबकि साल 2011 में चीन के डब्ल्यूटीओ में शामिल होने के एक दशक बाद चीन से आने जाने वाले कंटेनरों की संख्या तीन गुणा बढ़कर 12 करोड़ 90 लाख को पार कर गई थी.
पिछले साल ये संख्या 24.5 करोड़ थी. चीन पहुँचने वाले आधे कंटेनर जहाँ ख़ाली थे, वहीं चीन से निकलने वाले सभी कंटेनर सामान से भरे थे.
बुनियादी ढांचे में भी आया बदलाव
चीन का हाइवे नेटवर्क भी तेज़ी से बढ़ा है. 1997 में चीन में 4700 किलोमीटर लंबे हाईवे थे जो 2020 में बढ़कर 161000 किलोमीटर लंबे हो गए हैं. चीन के पास अब दुनिया का सबसे लंबा हाईवे नेटवर्क है. चीन में दो लाख से अधिक आबादी वाले 99 प्रतिशत शहर अब हाइवे से जुड़े हैं.
इस उन्नत इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ चीन को उत्पादन बढ़ाने के लिए मेटल, ईंधन, और खनिजों की भी ज़रूरत है. चीन की तेज़ी से बढ़ती ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रिकल एप्लायंस इंडस्ट्री के लिए स्टील ज़रूरी है. साल 2005 में चीन पहली बार स्टील का निर्यातक बना और अब चीन दुनिया का सबसे बड़ा स्टील निर्यातक है.
1990 के दशक में चीन सालान दस करोड़ टन स्टील का उत्पादन करता था. डब्ल्यूटीओ का सदस्य बनने के बाद चीन साल 2012 में 70 करोड़ टन स्टील उत्पादन तक पहुंच गया था और साल 2020 में चीन ने सौ करोड़ टन का आँकड़ा पार कर लिया.
चीन इस समय दुनियाभर में स्टील उत्पादन का 57 फ़ीसदी उत्पादन करता है और जितनी स्टील पूरी दुनिया साल 2001 में उत्पादित करती थी उतनी अब अकेले चीन कर रहा है. सेरेमिक टाइल और उद्योग में काम आने वाले कई अन्य उत्पादों के मामले में भी चीन ने ऐसा ही किया है.
इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़ों, खिलौनों और फर्नीचर के मामले में भी चीन दुनिया में सप्लाई का सबसे प्रमुख स्रोत है और चीन ने दुनिया भर के उत्पादकों को दाम कम करने पर मजबूर किया है.
चीन के डब्ल्यूटीओ में शामिल होने के बाद अर्थशास्त्रियों ने उत्पादनों की क़ीमतों में हैरान करने वाली गिरावट दर्ज की थी.
साल 2000 से 2005 के बीच चीन का कपड़ों का निर्यात दोगुना हो गया और इस दौरान वैश्विक कारोबार में चीन का हिस्सा पाँचवें से होकर तीसरा हो गया.
साल 2005 के बाद कपड़ा क्षेत्र में उत्पादन कोटा हटा दिया गया और चीन की हिस्सेदारी और भी ज़्यादा बढ़ गई. हालांकि चीन में उत्पादन महंगा होने से बांग्लादेश और वियतनाम जैसे विकासशील देशों में उत्पादन बढ़ने लगा और चीन की हिस्सेदारी पिछले साल 32 फ़ीसदी पर पहुंच गई.
'चीन को शामिल करना उनकी भूल नहीं थी'
चीन के डब्ल्यूटीओ में शामिल होने के ज़िम्मेदार रहे मंत्री लोगं योंग्टू ने बीते दो दशकों पर रोशनी डालते हुए स्वीकार किया कि, "मैं ये नहीं मानता कि चीन को डब्ल्यूटीओ में शामिल करना एक ऐतिहासिक भूल थी (अमेरिका और पश्चिमी देशों की), हालांकि मैं ये मानता हूँ की इसके फ़ायदे ऊंचे-नीचे हैं. पूरी तस्वीर ये है कि जब चीन का अपना विकास हो रहा था तब दुनिया को भी एक बड़ा एक्सपोर्ट मार्केट मिल रहा था."
लोंग योंग्टू ने कहा, "जब दौलत का बँटवारा बराबर नहीं होता है तब सरकारों को घरेलू नीतियों के ज़रिए उस बंटवारे को सही करना चाहिए. लेकिन ऐसा करना आसान नहीं है."
उन्होंने कहा, "हो सकता है कि दूसरे पर आरोप लगाना आसान हो लेकिन मैं ये नहीं मानता कि दूसरों पर आरोप लगाने से समस्या का समाधान हो जाता है. चीन की अनुपस्थिति में अमेरिका का उत्पदान उद्योग मेक्सिको पहुँच जाएगा."
फिर उन्होंने चीन के एक ग्लास उत्पादक का उदाहरण दिया, जिसने अमेरिका में फ़ैक्ट्री खोलने के लिए संघर्ष किया. उन्होंन कहा, "उसके लिए वहां प्रतिद्वंदी कर्मचारी खोजना बहुत मुश्किल हो गया. उसने मुझे बताया कि अमेरिका के कामगारों का पेट तो मेरे पेट से भी बड़ा है."
अब घूमकर बात फिर वहीं आ गई है. डब्ल्यूटीओ के भीतर चीन ने अहम कामयाबी हासिल की है. अभी बाइडन प्रशासन पूर्ववर्ती प्रशासन की रुकावटों वाली नीतियों को बदलने की जल्दबाज़ी में नहीं है.
चीन को पश्चिमी की वर्कशाप के रूप में देखा गया था लेकिन चीन ने डब्ल्यूटीओ की अपनी सदस्यता का इस्तेमाल इससे कहीं अधिक हासिल करने के लिए कर लिया है.
उदाहरण के तौर पर चीन ने ऐसे गठजोड़ बनाए हैं जो उसे नेट ज़ीरो जलवायु परिवर्तन उत्पादन करने के लिए ज़रूरी रेयर अर्थ मटीरियल (ऐसे प्राकृतिक संसाधन जो आसानी से उपलब्ध नहीं है) मुहैया कराएंगे.
चीन ने दुनिया भर में अपनी इंडस्ट्री को फैलाया है और उसके पीछे चीन की सरकार खड़ी है. अमेरिका कूटनीतिक और आर्थिक रूप से चीन को रोकने की कोशिशें कर रहा है और इसके लिए वो एशिया और यूरोप में गठबंधन बना रहा है.
जैसा की अमेरिका की पूर्व कारोबार प्रतिनिधी बारशेफ्स्की कहती हैं, "चीन कुछ समय से इस बहुत अलग रास्ते पर चल रहा है. इसका मतलब क्या है? राष्ट्र केंद्रित आर्थिक मॉडल का मज़बूत होना
इसमें तय उद्योगों को भारी सब्सिडी दी जाती है. चीन एक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है और इस नए दौर का नेता बन रहा है, जिसे वो चौथी ओद्योगिक क्रांति कहता है. यहाँ संभालने के लिए बहुत कुछ है. डब्ल्यूटीओ इतना नहीं संभाल सकता है."
अब 20 साल बाद एक ऐसे निर्णय ने दुनिया को बदल दिया है, जिस पर बहुत ध्यान नहीं दिया गया था. चीन के लिए ये एक बड़ी कामयाबी साबित हुआ है. पश्चिमी देशों की भूराजनैतिक रणनीति फेल हो गई है.
यदि आर्थिक दृष्टिकोण से कहा जाए तो इस निर्णय से पश्चिमी देश चीन जैसे बनते जा रहे हैं. (bbc.com)
अमेरिका की ज्यादा से ज्यादा कंपनियां अपने उत्पादन और विनिर्माण इकाइयों को वापस अपने देश में वापस ला रही हैं. ऐसी क्या वजह रही है कि विदेशों से उनका मोहभंग हो गया है और वे उत्पादन इकाइयां फिर से देश के अंदर ला रही हैं?
डॉयचे वैले पर सबरीना केसलर की रिपोर्ट-
जब जॉनसन एंड जॉनसन ने जेम्स वाइनर को कंपनी से बाहर का रास्ता दिखाया था, तो वह काफी निराश हुए थे. टेक्स्टाइल क्षेत्र से जुड़ी उनकी कंपनी शॉमुट कॉर्पोरेशन ने द्विपक्षीय आपूर्ति अनुबंधों की बदौलत अतीत में काफी पैसा कमाया था. हालांकि, 1990 के दशक के मध्य में जॉनसन ऐंड जॉनसन ने लागत में कटौती करने के लिए सुरक्षा से जुड़े उपकरण के उत्पादन की इकाई को एशिया में स्थानांतरित करने का फैसला किया.
इसका नतीजा ये हुआ कि वाइनर सहित 250 कर्मचारियों को कंपनी छोड़नी पड़ी. मसैचुसेट्स में उनका संयंत्र अचानक खाली हो गया था. उन्होंने बिजनस मैगजीन फॉर्च्यून को बताया, "हमने देखा कि हमारा कारोबार हमारे देश से बाहर चला गया."
जॉनसन ऐंड जॉनसन कोई अपवाद नहीं है. दशकों से, अमेरिकी कंपनियां सस्ते माल और श्रम की खोज में अपनी उत्पादन इकाइयों को विदेशों में स्थानांतरित कर रही हैं. वैश्वीकरण की वजह से कई उद्योगों की लागत और लाभ का मार्जिन कम हो गया है. आपूर्ति श्रृंखला में काफी ज्यादा प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है.
सिस्टम से जुड़ीं कमियां
जैसे-जैसे महामारी फैल रही है, लोग महसूस कर रहे हैं कि यह किस तरह की अजीब व्यवस्था है. सामान्य तौर पर, अमेरिकी अर्थव्यवस्था में तेजी से उछाल कई घरेलू कंपनियों के लिए समस्या पैदा कर रहा है. ये ऐसी कंपनियां हैं जो कच्चे माल और आपूर्तिकर्ता की कमी की शिकायत कर रहे हैं. इनके लिए, माइक्रोचिप पाना काफी मुश्किल हो रहा है और इसकी जगह पर इस्तेमाल करने लायक दूसरे उत्पाद उपलब्ध नहीं हैं.
विशेष रूप से छोटी और मध्यम आकार की कंपनियों के लिए खराब आपूर्ति की समस्या तेजी से सिरदर्द बन रही है. ये ऐसी कंपनियां हैं जिनके पास कीमतें निर्धारित करने के लिए बहुत कम ताकत है. जैसे ही सामान की कमी होती है, कीमतें बढ़ जाती हैं.
सिर्फ अक्टूबर महीने में, अमेरिका में विनिर्माण से जुड़ी सामग्री की कीमतों में 8.6% की वृद्धि हुई, जो अब तक की सबसे बड़ी मासिक वृद्धि है. स्थिति ये हो गई है कि बड़ी कंपनियों को भी कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. विश्लेषकों के मुताबिक, 2024 से पहले ये मुश्किलें कम नहीं होने वाली हैं.
इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र की दिग्गज कंपनी ऐप्पल के राजस्व में तीसरी तिमाही में 6 बिलियन डॉलर की गिरावट दर्ज की गई है. खेल से जुड़े सामान बनाने वाली कंपनी नाइकी ने वियतनाम में अपनी उत्पादन इकाई को बंद करने की सूचना दी है. इसका मतलब साफ है कि अब यह कंपनी हर साल 16 करोड़ कम जूतों का उत्पादन करेगी.
खिलौना बनाने वाली कंपनी हैस्ब्रो माल ढुलाई की लागत में वृद्धि होने से परेशान है. मांस के कारोबार की अग्रणी कंपनी बियॉन्ड मीट की शेयर कीमतों में हाल में काफी ज्यादा गिरावट देखी गई है.
अपने देश का रुख कर रही कंपनियां
हालात ऐसे बन रहे हैं कि ज्यादा से ज्यादा अमेरिकी कंपनियां वापस अपने देश की ओर रुख कर रही हैं. इस प्रक्रिया को रीशोरिंग कहा गया है. 2019 की शुरुआत में, जब चीन और अमेरिका के बीच व्यापार विवाद जोरों पर था, तब अमेरिकी कंपनियों ने एशियाई बाजार पर अपनी निर्भरता कम करने की मांग की थी.
इस साल मार्च महीने में, इंटेल कंपनी ने घोषणा की कि वह ऐरिजोना में दो नए सेमीकंडक्टर इकाइयों में 20 बिलियन डॉलर का निवेश करेगी. जनरल मोटर्स मिशिगन में बैटरी उत्पादन की इकाई को फिर से शुरू कर रही है. यहां लिथियम से बनाए जाने वाले उत्पाद के लिए नई इकाई स्थापित की जाएगी.
स्टील की कीमतों में तेजी की वजह से यूएस स्टील ने विदेश में 3 बिलियन डॉलर की लागत से फैक्ट्री स्थापित करने की योजना को रद्द कर दिया है. अब यह फैक्ट्री अलबामा या अर्कांसॉ में स्थापित की जाएगी. लॉकहीड, जनरल इलेक्ट्रिक और थर्मो फिशर भी अपनी इकाइयों को फिर से अमेरिका में ही स्थापित करने पर विचार कर रहे हैं.
उद्योग से जुड़े संगठन रीशोरिंग इनिशिएटिव के मुताबिक, करीब 1800 अमेरिकी कंपनियां अपने पूरे कारोबार या एक बड़े हिस्से को वापस अमेरिका में स्थापित करने पर विचार कर रही हैं. अगर ऐसा होता है, तो अमेरिका में 2,20,000 नए रोजगार सृजित होंगे. करीब एक दशक पहले भी कुछ कंपनियों ने विदेशों में स्थित अपनी इकाई को बंद करके उन्हें देश में फिर से स्थापित किया था. इससे 6,000 नए रोजगार सृजित हुए थे.
अमेरिकी प्रशासन को है समस्या की जानकारी
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को पता है कि सोचने-समझने के लिए ज्यादा समय नहीं है. व्हाइट हाउस ने आपूर्ति से जुड़ी मौजूदा समस्या की पहचान कर ली है. सत्ता में आने के तुरंत बाद, बाइडेन ने आपूर्ति श्रृंखला पर निर्भरता की जांच का आदेश दिया. साथ ही, घरेलू उत्पादकों को सहायता पहुंचाने के इरादे से संसद में कुछ ही दिनों पहले बुनियादी ढाचे को बेहतर बनाने के लिए पैकेज की भी घोषणा की गई है.
हालांकि, रीशोरिंग विशेषज्ञ हैरी मोजर को लगता है कि अमेरिकी प्रशासन को अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है. मोजर ने करीब 22 सालों तक एक इंजीनियरिंग कंपनी की कमान संभाली है. वह कहते हैं, "हमारे देश में विनिर्माण से जुड़ी लागत जर्मनी की तुलना में 15 प्रतिशत और चीन की तुलना में 40 प्रतिशत अधिक है."
वह आगे कहते हैं, "प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए लागत को कम करना होगा. इसके लिए टैक्स में छूट दी जा सकती है या श्रमिकों को प्रशिक्षित और कुशल बनाने के लिए उनके ऊपर निवेश किया जा सकता है. अगर हम बुनियादी समस्याओं का हल नहीं करते हैं, तो सब्सिडी वाले चिप और बैटरी की पर्याप्त खपत के लिए इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद और इलेक्ट्रिक वाहन का उत्पादन नहीं कर पाएंगे."
इन सब के बावजूद, मोजर का मानना है कि घरेलू श्रम बाजार को बढ़ावा देने के लिए, रीशोरिंग की प्रक्रिया जारी रहेगी. वॉशिंगटन स्थित थिंक टैंक, इकोनॉमिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट का अनुमान है कि विनिर्माण उद्योग में हर नई नौकरी अंततः पांच से सात और नौकरियां पैदा करती हैं.
कुशल श्रमिकों की कमी
तमाम प्रयासों के बावजूद, कई कंपनियों को कुशल श्रमिक मिलने में समस्या हो सकती है. बड़ी संख्या में ऐसे अमेरिकी लोग हैं जिन्होंने सोच-विचार के बाद कंपनियों में काम न करने का फैसला किया. कई लोग अब नौकरी ही नहीं करना चाहते हैं, खासकर असेंबल करने जैसे क्षेत्र में. सिर्फ सितंबर महीने में 44 लाख अमेरिकी श्रमिकों ने अपनी नौकरी छोड़ दी. पूरे देश में चली इस प्रवृति को ‘द ग्रेट रेजिग्नेशन' कहा गया.
हालांकि, वाइनर का शॉमुट कॉर्पोरेशन इस प्रवृति को कम कर रहा है. अमेरिकी सरकार ने फेस मास्क के उत्पादन के लिए इस कंपनी को काफी मदद की. इस वजह से यह कंपनी विदेशों में स्थित अपनी उत्पादन इकाई को बंद कर देश में फिर से चालू करने में सफल रही. कुछ ही समय में वाइनर की कंपनी में कर्मचारियों की संख्या 300 हो जाएगी, जो 1990 के दशक से 50 अधिक होगी. इस कंपनी को अपने उत्पादन के लिए जिस कच्चे माल की जरूरत है वह सिर्फ घरेलू आपूर्तिकर्ता से मिल रहा है. वाइनर वादा करते हैं, "अब यह आपूर्ति श्रृंखला सीमाओं को पार नहीं करेगी." (dw.com)
विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि एक ही टीके की दो खुराक लेने की जगह दो अलग-अलग टीकों की खुराक लेने से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली बेहतर होती है. साथ ही, एंटीबॉडी भी ज्यादा विकसित होते हैं.
डॉयचे वैले पर कार्ला ब्लाइकर की रिपोर्ट-
इस साल 7 दिसंबर को यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी और यूरोपियन सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन ऐंड कंट्रोल ने स्पष्ट तौर पर कहा कि कोरोना वायरस से बचने के लिए मिक्स ऐंड मैच टीकाकरण की जरूरत है. इसमें कोविड-19 से बचाव के लिए तैयार किए गए वेक्टर आधारित और एमआरएनए दोनों तरह के टीके शामिल हैं. दूसरे शब्दों में कहें, तो मेडिकल एजेंसी ने एक ही टीके की दो खुराक लेने की जगह, दो अलग-अलग टीकों की दो खुराक लेने की सिफारिश की है.
यह सिफारिश तब की गई है जब इंग्लैंड में ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के वायरोलॉजिस्ट मैथ्यू स्नेप ने कहा कि मिक्स ऐंड मैच टीकाकरण का सकारात्मक परिणाम दिख रहा है. स्नेप इस अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता हैं. उन्होंने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बात करते हुए इन परिणामों के बारे में बताया.
मिक्स एंड मैच वैक्सीन की शुरुआत कैसे हुई
यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी से मंजूरी मिलने के बाद इस साल जनवरी महीने में जर्मनी में सभी वयस्कों को कोविड-19 की एस्ट्राजेनेका वैक्सीन लगाई गई थी. हालांकि, टीकाकरण की स्टैंडिंग कमेटी ने अप्रैल में एस्ट्राजेनेका का इस्तेमाल 60 साल से ऊपर के लोगों तक ही सीमित रखने की सिफारिश की थी क्योंकि वैक्सीन लगने के बाद विशेष रूप से कुछ युवतियों के मस्तिष्क में खून का थक्का बनने का खतरा बढ़ गया था.
हालांकि, तब तक काफी संख्या में लोग एस्ट्राजेनेका की पहली खुराक ले चुके थे. इन लोगों को दूसरी खुराक बायोनटेक-फाइजर या मॉडर्ना वैक्सीन की दी गई. आज जर्मनी में हर उम्र के बालिगों को फिर से एस्ट्राजेनेका का वैक्सीन लग सकता है बशर्ते वैक्सीन लगवाने वाले व्यक्ति और डॉक्टर पहले से उस पर सहमत हों.
दो खुराकों पर अलग अलग स्टडी
इस साल जून महीने में ऑक्सफर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने शुरुआती नतीजों की सफलता के बारे में बताया था. उन्होंने पाया था कि जिन रोगियों को पहली खुराक ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका की लगी और चार सप्ताह बाद दूसरी खुराक बायोनटेक-फाइजर वैक्सीन की लगी, उनमें एस्ट्राजेनेका की दो खुराक लगाने वालों की तुलना में ज्यादा एंटीबॉडी विकसित हुईं. कॉम-सीओवी परीक्षण के तौर पर ऑक्सफर्ड के शोधकर्ताओं ने 50 वर्ष से ज्यादा उम्र के 830 वॉलन्टियर को दो अलग-अलग वैक्सीन लगाए. इससे मिले नतीजों के मुताबिक, सबसे ज्यादा एंटीबॉडी उन लोगों में विकसित हुईं जिन्होंने बायोनटेक की दो खुराक ली थीं. इसके बाद, वे लोग थे जिन्होंने एक खुराक एस्ट्राजेनेका की ली थी और दूसरी बायोनटेक की. फिर वे लोग थे जिन्होंने एस्ट्राजेनेका की दो खुराक ली थीं.
बाल रोग विशेषज्ञ और वैक्सीनोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर और इस शोध का नेतृत्व करने वाले मैथ्यू स्नेप ने बीबीसी को बताया था कि कॉम-सीओवी के नतीजे कोरोना वायरस महामारी से लड़ने में एस्ट्राजेनेका की दो खुराक की अहमियत को कम नहीं आंक रहे हैं. उन्होंने कहा था, "दोनों वैक्सीन कोरोना के खिलाफ काफी कारगर हैं. ये डेल्टा वेरिएंट के प्रभाव को भी कम करती हैं. इसे लगवाने के बाद अस्पताल में भर्ती होने और गंभीर रूप से बीमार होने से बचा जा सकता है."
पश्चिमी जर्मनी में स्थित जारलैंड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया है कि जिन लोगों को पहली खुराक एस्ट्राजेनेका की लगी थी और दूसरी बायोनटेक-फाइजर की, उनमें उन लोगों के मुकाबले ज्यादा प्रतिरोधक क्षमता देखी गई जिन्हें एक ही वैक्सीन की दो खुराक लगी थीं, चाहे वह एस्ट्राजेनेका की हो या बायोनटेक की. जारलैंड विश्वविद्यालय के नतीजों को दूसरे वैज्ञानिकों ने अध्ययन किया और ये नतीजे जुलाई के आखिर में नेचर जर्नल में प्रकाशित भी हुए.
10 गुना ज्यादा एंटीबॉडी
जारलैंड के होम्बुर्ग विश्वविद्यालय के अस्पताल में 200 से ज्यादा लोगों ने इस परीक्षण में हिस्सा लिया था. उनमें से कुछ को एस्ट्राजेनेका की दो खुराक लगाई गईं और कुछ को बायोनटेक-फाइजर की. तीसरे समूह को पहले एस्ट्रजेनेका की खुराक लगाई गई और फिर बायोनटेक-फाइजर की. शोधकर्ताओं ने वैक्सीन की दूसरी खुराक लगाने के दो सप्ताह बाद सभी की जांच की. सभी की एंटीबॉडी की तुलना की गई. जारलैंड विश्वविद्यालय में ट्रांसप्लांटेशन और इंफेक्शन इम्यूनोलॉजी की प्रोफेसर मार्टिना सेस्टेर ने बताया, "हमने परीक्षण में शामिल होने वाले लोगों में न सिर्फ कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ने वाली एंटीबॉडी की संख्या देखी, बल्कि यह भी देखा कि कथित न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी कितने प्रभावी थे. इसी से पता चलता है कि ये एंटीबॉडी कोरोना वायरस संक्रमण से हमारे शरीर बचाने में कितनी कारगर हैं."
एंटीबॉडी विकसित होने के मामले में, बायोनटेक की दो खुराक के साथ-साथ एस्ट्राजेनेका-बायोनटेक की एक-एक खुराक, एस्ट्राजेनेका की दो खुराकों से बेहतर थीं. जिन लोगों ने दो अलग-अलग वैक्सीन की खुराक ली थीं, उनमें एस्ट्राजेनेके की दो खुराक लेने वालों की तुलना में 10 गुना ज्यादा एंटीबॉडी विकसित हुई. सेस्टेर ने बताया कि न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी को देखते हुए, दो अलग-अलग वैक्सीन की खुराक लेने वालों की स्थिति बायोनटेक की दो खुराक लेने वालों से ‘थोड़ी बेहतर' थी. हालांकि, स्वास्थ्य अधिकारी आमतौर पर यह कहते हैं कि जिन वैक्सीन की दो खुराक लेनी होती हैं, उनमें दूसरी खुराक भी उसी वैक्सीन की लेनी चाहिए जिसकी पहली खुराक ली थी.
एंटीबॉडी में 'उल्लेखनीय' वृद्धि
स्पेन के कार्लोस- III हेल्थ इन्स्टीट्यूट में कॉम्बिवैक्स का परीक्षण किया गया था. इसमें कुल 663 लोग शामिल हुए थे. इस परीक्षण के नतीजे भी कुछ इसी तरह के हैं. इस परीक्षण की शुरुआती रिपोर्ट नेचर पत्रिका में छपी है. हालांकि, जारलैंड विश्वविद्यालय के नतीजों की तरह इसकी रिपोर्ट भी अभी फाइनल नहीं हुई है. नेचर पत्रिका में जो रिपोर्ट छपी है, उसमें अब तक तक के नतीजों की जानकारी दी गई है. अभी तक स्वतंत्र वैज्ञानिकों ने इस रिपोर्ट की जांच नहीं की है.
इस परीक्षण में शामिल दो तिहाई लोगों को पहली खुराक एस्ट्राजेनेका की लगाई गई और दूसरी बायोनटेक-फाइजर की. हालांकि, शुरुआती जांच के नतीजे आने तक एक-तिहाई लोगों को वैक्सीन की दूसरी खुराक नहीं लगी थी. बार्सिलोना में वालडेहेब्रॉन यूनिवर्सिटी अस्पताल में कॉम्बिवैक्स स्टडी की जांचकर्ता माग्डेलीना कहती हैं, "जिन लोगों ने पहली खुराक के बाद अलग वैक्सीन की दूसरी खुराक लगवाई उनके शरीर में तेजी से एंटीबॉडी विकसित हुईं. परीक्षण के दौरान देखा गया कि ये एंटीबॉडी सार्स-कोविड-2 के प्रभाव को निष्क्रिय करने में सक्षम थीं."
नेचर पत्रिका में छपी रिपोर्ट में कनाडा के हैमिल्टन विश्वविद्यालय में इम्यूनोलॉजिस्ट चाऊ जिंग कहती हैं, "ऐसा लगता है कि बायोनटेक-फाइजर वैक्सीन की एक खुराक लेने के बाद, एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की एक खुराक लेने पर ज्यादा एंटीबॉडी विकसित होती हैं." जिंग इस अध्ययन में शामिल नहीं थीं. वह कहती हैं, "एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की दूसरी खुराक लेने वाले लोगों की तुलना में यह वृद्धि और भी अधिक स्पष्ट दिखाई दी."
हालांकि, ये नतीजे अंतिम नहीं हैं. एक समस्या यह है कि स्पेन के इस परीक्षण में उन लोगों को शामिल नहीं किया गया है कि जिन्होंने एक ही वैक्सीन की दोनों खुराक ली हैं. इसलिए, दोनों समूहों के बीच तुलना नहीं की जा सकती. अभी जर्मनी में जब तक कोई व्यक्ति एक वैक्सीन या दो अलग-अलग वैक्सीन की दो खुराक नहीं ले लेता, तब तक यह माना जाता है कि उसका टीकाकरण पूरा नहीं हुआ है. जर्मन सरकार पॉल एर्लिच इंस्टीट्यूट (पीईआई) के दिशा-निर्देशों का पालन करती है. (dw.com)
स्टॉकहोम, 11 दिसम्बर | मौजूदा कोविड-19 महामारी के मद्देनजर, स्टॉकहोम के सिटी हॉल से लगातार दूसरी बार नोबेल पुरस्कार अवॉर्ड समारोह का ऑनलाइन प्रसारण किया गया। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, पुरस्कार विजेताओं ने क्रमश: अपने घरों में पुरस्कार प्राप्त किए और शुक्रवार शाम को समारोह में पुरस्कार प्रदान करने वाले उनके वीडियो प्रसारित किए गए।
स्टॉकहोम सिटी हॉल के ब्लू हॉल में इस साल के नोबेल पुरस्कार विजेताओं को श्रद्धांजलि देने के लिए लगभग 300 मेहमान और शाही परिवार मौजूद थे। साइट पर कोई भी फेस मास्क पहने नहीं देखा गया।
इस वर्ष के पुरस्कार विजेता हैं: स्यूकुरो मानेबे, क्लाउस हैसलमैन और जियोर्जियो पेरिस (भौतिकी), बेंजामिन लिस्ट और डेविड डब्ल्यू.सी. मैकमिलन (रसायन विज्ञान), डेविड जूलियस और अर्देम पटापाउटियन (फिजियोलॉजी या मेडिसिन), अब्दुलराजाक गुरनाह (साहित्य) और डेविड कार्ड, जोशुआ डी. एंग्रिस्ट और गुइडो डब्ल्यू. इम्बेन्स (अर्थशास्त्र)।
नोबेल फाउंडेशन के बोर्ड के अध्यक्ष कार्ल-हेनरिक हेल्डिन ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा, "चल रहे कोरोना वायरस महामारी अभी भी हमारे जीवन को गहराई से प्रभावित कर रही है।"
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वर्तमान चुनौती "विज्ञान में विश्वास पैदा करना और विज्ञान को इस तरह से संप्रेषित करना है जो हमारे सभी भय और शंकाओं के साथ मनुष्य के रूप में हमारे साथ प्रतिध्वनित हो।"
उन्होंने कहा कि वर्तमान महामारी के तहत विज्ञान और वैज्ञानिक रिकॉर्ड समय में प्रभावी टीके बनाने में बेहद सफल रहे हैं, लेकिन विज्ञान के परिणामों को समान रूप से साझा करना अक्सर अधिक कठिन साबित होता है।
उन्होंने कहा, "अब हमें टीके बनाने हैं और वे कितने महत्वपूर्ण हैं इसका ज्ञान सभी लोगों तक, सभी देशों में पहुंचाना है।"
महामारी के कारण, स्टॉकहोम सिटी हॉल में इस वर्ष का नोबेल भोज रद्द कर दिया गया।
1901 से प्रतिवर्ष नोबेल पुरस्कार प्रदान किए जाते रहे हैं।
विजेताओं की घोषणा हर साल अक्टूबर में की जाती है। (आईएएनएस)