अंतरराष्ट्रीय
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चीन की आलोचना करते हुए कहा है कि कोरोना महामारी की शुरुआत को समझने के लिए वहां जाने वाली रिसर्च टीम के लिए वह बाधाएं खड़ी कर रहा है. वहीं चीन का कहना है कि यह मामला "पेचीदा" है.
चीन, 6 जनवरी | चीन का कहना है कि वह डब्ल्यूएचओ के साथ अब भी रिसर्च टीम के आने की तारीख पर चर्चा कर रहा है. एक दिन पहले ही डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक तेद्रोस अधनोम गेब्रयेसुस ने चीन की आलोचना करते हुए कहा था कि वह रिसर्च टीम को आने से रोक रहा है. इसके जवाब में चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा है कि महामारी की शुरुआत का पता लगाने के लिए चीन का रवैया हमेशा ही "खुला और जिम्मेदाराना" रहा है. उन्होंने कहा कि चीन डब्ल्यूएचओ के साथ मिल कर इस दिशा में काम कर रहा है लेकिन रिसर्च टीम के चीन आने का सही समय अभी वे निर्धारित नहीं कर पाए हैं.
बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने कहा, "इस समस्या की जड़ बहुत जटिल है. अंतरराष्ट्रीय टीम का काम चीन में सफलतापूर्वक पूरा हो सके, यह सुनिश्चित करने के लिए हमें कुछ जरूरी नियमों का पालन करना होगा और ठोस योजनाएं बनानी होंगी. फिलहाल दोनों पक्ष (चीन और डब्ल्यूएचओ) इस सिलसिले में बातचीत कर रहे हैं. यह मात्र वीजा का मुद्दा नहीं है. हम उनके साथ संपर्क में हैं."
चुनयिंग ने कहा की चीनी रिसर्चर इस वक्त देश में जगह जगह हो रहे संक्रमण को समझने में लगे हैं, "हमारे रिसर्चर पूरे दिल से महामारी को काबू में लाने की इस मुश्किल जंग में लगे हुए हैं." उन्होंने इसे एक छोटी सी "गलतफहमी" का नाम दिया और कहा कि इसमें किसी भी तरह का मतलब निकालना गलत होगा.
टीम को नहीं दिया वीजा
दरअसल 10 अंतरराष्ट्रीय रिसर्चरों की एक टीम को जनवरी में चीन के वुहान पहुंचना था. वुहान से ही एक साल पहले कोरोना महामारी की शुरुआत हुई थी. डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक गेब्रयेसुस ने कहा कि इस टीम के सदस्य अपने अपने देशों से रवाना होने को तैयार थे लेकिन ऐन मौके पर चीन ने कह दिया कि उसकी तैयारियां अभी पूरी नहीं हुई हैं, "आज हमें यह पता चल रहा है कि चीनी अधिकारियों ने टीम के आने के लिए जरूरी अनुमति तक नहीं ली है. मैं यह सुन कर बहुत निराश हुआ हूं, खास कर तब जब दो लोग अपने देशों से रवाना भी हो चुके हैं और बाकियों को आखिरी मौके पर बताया गया कि उन्हें नहीं आना है."
समाचार एजेंसी एपी की एक खोजी रिपोर्ट के अनुसार चीनी सरकार अपने रिसर्चरों से वायरस की शुरुआत से जुड़ी जांच करा रही है और चीन से बाहर के रिसर्चरों को इससे दूर रख रही है. इसके अलावा देश में इस बात का भी प्रचार किया जा रहा है कि वायरस की शुरुआत चीन में ना हो कर, कहीं और हुई थी. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप कोरोना महामारी को ले कर चीन की खुल कर आलोचना करते रहे हैं और इसी सिलसिले में उन्होंने डब्ल्यूएचओ से अलग होने की बात भी कही थी. ट्रंप ने आरोप लगाया था कि डब्ल्यूएचओ सबसे अधिक पैसा अमेरिका से लेता है लेकिन काम चीन के हित में करता है.
आईबी/एके (एपी, रॉयटर्स)
उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने माना है कि उनका देश "लगभग किसी भी क्षेत्र में अपने आर्थिक लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पाया है". हर पांच साल में होने वाली पार्टी कांग्रेस में उन्होंने यह बात कही.
dw.com
उत्तर कोरिया की सरकारी समाचार एजेंसी केसीएन ने खबर दी कि मंगलवार को सत्ताधारी वर्कर्स पार्टी का हर पांच साल में होने वाला अधिवेश शुरू हुआ. इसके उद्घाटन सत्र में दिए भाषण में किम जोंग उन ने नीतियों की विफलता की बात मानी. केसीएनए ने किम के हवाले से लिखा है कि 2016 में जो लक्ष्य तय किए गए थे, "वे बहुत हद तक किसी भी क्षेत्र में हासिल नहीं किए जा सके हैं." उन्होंने यह भी कहा कि "देश को पीड़ादायक सबकों को दोहराना नहीं चाहिए."
उन्होंने सत्ताधारी पार्टी की "शानदार कामयाबी" का जिक्र भी किया, लेकिन यह भी कहा कि "राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को सुधारने के लक्ष्यों को हासिल करने में विलंब हुआ है."
क्या होगा कांग्रेस में
बुधवार को उत्तर कोरिया के सरकारी मीडिया ने खबर दी कि वर्कर्स पार्टी के अधिवेशन में देश भर के 4750 प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं और लगभग दो हजार लोग इसकी कार्यवाही को देख सकते हैं. किम ने कहा कि पार्टी कांग्रेस के दौरान अगले पांच साल के लिए लक्ष्य तय किए जाएंगे. उम्मीद है कि वह देश के नेतृत्व से जुड़े कुछ फैसले भी इस दौरान लेंगे. खास तौर से किम अपनी बहन किम यो जोंग को कोई नई भूमिका दे सकते हैं. इसके अलावा देश के बजट, संगठनों और ऑडिट से जुड़े फैसले भी लिए जाएंगे.
विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर कोरिया अपनी इस पार्टी कांग्रेस से अमेरिका में राष्ट्रपति पद संभालने जा रहे जो बाइडेन को संदेश भी देना चाहता है. माना जाता है कि उत्तर कोरिया को लेकर उनका रवैया मौजूदा राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से अलग हो सकता है.
किम ने कांग्रेस के उद्घाटन सत्र में कहा कि देश ने अपनी वैश्विक प्रतिष्ठा बढ़ाने में "चमत्कारिक जीत" हासिल की है. उनका इशारा एक तरफ 2017 में अंतरमहाद्वीपीय मिसाइलों के सफल परीक्षणों की तरफ था तो दूसरी तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के साथ मुलाकात भी उनके लिए बड़ी उपलब्धि है.
उद्घाटन
उत्तर कोरिया सरकार ने समजियोन शहर को नए सिरे से आधुनिक सुविधाओं से लैस किया है. परियोजना पूरी होने पर सुप्रीम लीडर किम जोंग उन ने रिबन काट कर इसका उद्घाटन किया. किम ने इसे 'आधुनिक सभ्यता का सार' कहा है.
2016 में जब पिछली बार पार्टी कांग्रेस हुई थी तो यह बीते 40 साल में पहला ऐसा अधिवेशन था. इसने देश की सत्ता पर किम जोंग उन की पकड़ और किम परिवार के उत्तराधिकार के तौर पर उन्हें मजबूत किया.
पिछले साल उत्तर कोरिया ने पिछली पंचवर्षीय योजना को चुपके से खत्म कर दिया क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था हर तरफ से चुनौतियों का सामना कर रही है और पता चला कि लक्ष्यों को हासिल करने में "बहुत विलंब" हो रहा है. 2020 में आए तूफानों और बाढ़ के कारण खेतों, घरों और बुनियाद विकास के ढांचे को बहुत नुकसान हुआ.
स्थिति कोरोना महामारी के कारण और खराब हो गई. सबसे अलग थलग रहने वाला देश दुनिया से और ज्यादा कट गया. उत्तर कोरिया के सबसे बड़े व्यापारिक साझीदार चीन ने उससे लगने वाली सीमा को बंद कर दिया. इससे 2020 के पहले 11 महीनों में व्यापार में 80 फीसदी की गिरावट आई.
उत्तर कोरिया का यह भी दावा है कि उसके यहां कोविड-19 का एक भी मामला नहीं है. लेकिन विशेषज्ञों को इन दावों पर संदेह है.
एके/आईबी (एएफपी, एपी)
चीन को हजारों साल पुराना राष्ट्र-राज्य माना जाता है लेकिन यह धारणा गलत है. बिल हेटन ने अपनी नई किताब में ये दावा किया है. चीन में राष्ट्र निर्माण प्रक्रिया के बारे में डीडब्ल्यू के रोडियॉन एबिगहाउजेन ने उनसे बात की.
डॉयचे वैले पर रोडियोन एबिगहाउजेन का लिखा-
अपनी नई किताब, 'द इन्वेंशन ऑफ चाइना' में पत्रकार बिल हेटन ने आधुनिक चीन की राष्ट्र-निर्माण प्रक्रिया का खांका खींचा है. उनका कहना है कि 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी के शुरुआती दिनों में राष्ट्रवादी सोच रखने वाले बुद्धिजीवियों और कार्यकर्ताओं ने लोगों, भाषा, क्षेत्र और इतिहास की पश्चिमी अवधारणाओं का इस्तेमाल कर हजारों साल पुराने राष्ट्र-राज्य की तस्वीर बनाई है, जो वास्तव में कभी भी अस्तित्व में नहीं थी. डीडब्ल्यू के साथ एक साक्षात्कार में, हेटन ने चीन के राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया के बारे में बताया कि यह दूसरे देशों को कैसे प्रभावित कर रहा है और राष्ट्रवादी होते चीन से लोकतांत्रिक देशों को किस तरह निबटना चाहिए.
डीडब्ल्यू: चीन में राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया कब से कब तक चली
बिलहेटन: मैं कहूंगा कि यह एक सतत प्रक्रिया है. मिसाल के तौर पर, चीनी गृहयुद्ध (1945-49) में कम्युनिस्टों की जीत के बाद मार्क्सवाद सबसे महत्वपूर्ण कारक था. लेकिन इसने राष्ट्र को उन लोगों में बांट दिया जो इसके खिलाफ थे और जो क्रांति के लिए लड़े थे. 1989 में त्यानआनमेन चौक पर विरोध प्रदर्शन और नरसंहार के बाद वहां चीनी राष्ट्र को फिर से परिभाषित करने और गृहयुद्ध में हारे लोगों तथा ताइवान को राष्ट्र के अंदर वापस लाने के प्रयास हुए.
हाल में, राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उन सब को एक ही चीनी राष्ट्र में शामिल करने की कोशिश में एक नया अध्याय जोड़ा, जिन्हें जातीय अल्पसंख्यक माना जाता है, जैसे तिब्बती, उइगुर और अन्य. और उसे भी फिर से परिभाषित किया गया है कि चीनी राष्ट्र क्या है. चीनी राष्ट्र का विचार काफी बदल गया है. मुख्य चीजों में से एक ये विचार है, और जाहिर तौर पर शी जिनपिंग इस समय इससे जूझ रहे हैं, कि क्या एक एकल चीनी राष्ट्र, एकल झोंगहुआ मिंजु है, या 56 विभिन्न राष्ट्र हैं, यानि देश के भीतर विभिन्न जातीय समूह, मिंजु शब्द का प्रयोग दोनों के लिए किया जाता है.
और शी अब इस विचार के लिए प्रतिबद्ध लगते हैं कि चीनी होने का एक ही तरीका होना चाहिए, चीनी राष्ट्र का हिस्सा होने का एक ही तरीका है, और उसे वह बहुत सख्ती से थोपने वाले हैं.
दुनिया भर में अधिकांश लोग चीन को सदियों पुरानी जड़ों वाले देश के रूप में देखते हैं. इस धारणा के बारे में आप क्या कहेंगे?
आप कह सकते हैं कि संस्कृति में निरंतरताएं हैं जो बहुत लंबे समय तक पीछे जाती हैं. ये तथ्य है कि आधुनिक विद्वान बहुत पुराने ग्रंथों को पढ़ सकते हैं, यह दिखाता है कि भाषा काफी पुरानी है, कम से कम लिखित रूप में. लेकिन यह कहना अलग होगा कि चीनी राष्ट्र बहुत प्राचीन है. एक राष्ट्र के चारों ओर एक प्रकार की सीमा होती है, जो तय करती है कि कौन अंदर है और कौन बाहर है. और चीन के मामले में वह सीमा पिछली सदी में ही परिभाषित हुई है और अभी भी फिर से परिभाषित की जा रही है.
वह मुख्य 'सांस्कृतिक क्षेत्र', जिसे चीनी राष्ट्रवादी 'मूल चीन' मानते हैं, पीली और यांग्त्से नदियों की घाटियां हैं, जो मौजूदा चीन का बहुत छोटा सा हिस्सा है.
पिछले 5,000 वर्षों की महत्वपूर्ण अवधियों में उस इलाके में जो आज चीन है, पूरी तरह से अलग अलग राज्य थे और अलग लोग रहा करते थे. जाहिर है, हम आम तौर पर तिब्बतियों और उइगुरों के बारे में सोचते हैं, लेकिन यहां तक कि मंचु और युनान प्रांत के लोगों के पास अलग-अलग राज्य, बोलने के अलग-अलग तरीके, अलग-अलग संस्कृतियां थीं. यह विचार कि चीन नाम का एक अलग राज्य था, प्राचीन इतिहास का एक सामूहिक राष्ट्र, साक्ष्य द्वारा समर्थित नहीं है.
चीन पर सर्वे
अमेरिकी रिसर्च केंद्र प्यू ने दुनिया के 14 देशों में चीन को लेकर एक सर्वे किया है और इसके चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं. सर्वे अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, जर्मनी, नीदरलैंड्स, स्वीडन, दक्षिण कोरिया, स्पेन और कनाडा में कराए गए. सर्वे के मुताबिक चीन के प्रति नकारात्मक धारणाएं उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है.
यह 19वीं शताब्दी के अंत और 20वीं शताब्दी की शुरुआत के आसपास एक्टिविस्टों और बुद्धिजीवियों द्वारा लिया गया बहुत ही सोचा समझा निर्णय था. उन्होंने यूरोपीय विचार उधार लेकर एक ऐसे राष्ट्र की व्याख्या की जो उस समय यूरोप में फैशनेबल था.
और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने अभी भी इन विचारों को क्यों अपना रखा है?
उनके लिए अतीत से निरंतरता दिखाना वास्तव में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह वर्तमान स्थिति की आलोचना करने की संभावना को कम करता है. यदि आप लोगों को समझा सकें कि चीजें हमेशा से ऐसी ही रही हैं, तो उनके लिए यह सवाल करने का कोई कारण नहीं है कि उन्हें भविष्य में भी ऐसा ही क्यों नहीं रखना चाहिए.
बीजिंग तिब्बत और शिनजियांग में या हांगकांग और ताइवान जैसी जगहों पर अलगाववादी भावना को दबाने की प्रक्रिया में लगा हुआ है. और वह न केवल अपने लोगों और उन इलाकों के लोगों को, बल्कि यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका के लोगों को भी समझाना चाहता है कि ये स्वाभाविक स्थिति है और चीनी राष्ट्र हजारों साल पुराना है.
इतिहास की ऐसी व्याख्या का निष्कर्ष यह है कि इसका विरोध करने का कोई मतलब नहीं है. यह एक ऐतिहासिक तथ्य है. और इतिहास का यह उपयोग संभवतः कम्युनिस्ट चीन की टूलकिट में सबसे महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक औजार है.
तो क्या आप यह कहना चाहेंगे कि चीन एक औपनिवेशिक सत्ता है, मसलन तिब्बत या शिनजियांग के मामले में?
वे स्पष्ट रूप से घरेलू तौर पर औपनिवेशिक सत्ता हैं, इस तरह से कि उन्होंने दूसरे ऐसे समाजों पर कब्जा कर लिया है जो सांस्कृतिक रूप से अलग हैं और उन्हें एक ही पहचान में 'ढालने' की कोशिश कर रहे हैं.
तिब्बत और शिनजियांग पर नियंत्रण को बनाए रखने के लिए बीजिंग जितना संसाधन और धन खर्च कर रहा है, वैसा हमने दुनिया में कहीं और नहीं देखा है. यह विचार कि आप एक लाख लोगों को फिर से शिक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं, ऐसा कुछ हमने कभी किसी अन्य औपनिवेशिक स्थिति में नहीं देखा है.
क्या चीन पर आर्थिक रूप से बहुत ज्यादा निर्भर है भारत?
सर्वे में शामिल लगभग आधे लोगों को लगता है कि भारत की चीन पर बहुत अधिक आर्थिक निर्भरता है. वहीं 27 फीसदी को लगता है कि ऐसा नहीं है.
चीन ये चाहता है कि बहस खत्म हो, और चीन के साथ राजनयिक और व्यापारिक संबंध रखने की कीमत ये हो कि वे राष्ट्र और क्षेत्र की चीनी परिभाषा को स्वीकार करें. कंपनियों को इसलिए दंडित किया जाता है कि वे, उदाहरण के लिए, अपनी वेबसाइटों पर ताइवान का एक अलग स्थान के रूप में उल्लेख करते हैं. विश्वविद्यालयों को मुश्किल होती है यदि वे दलाई लामा को अपने परिसर में आने और बोलने की अनुमति देते हैं.
चीन अपनी आर्थिक ताकत का इस्तेमाल असल स्थिति के बारे में पूरी तरह से वैध चर्चा या बयान को दबाने के लिए करता है, जैसे कि ये तथ्य कि ताइवान का शासन दशकों से एक अलग राज्य के रूप में हो रहा है. और वे सिर्फ अपने देश में ही नहीं, बल्कि अन्य देशों में भी विकल्पों पर चर्चा को रोकने की कोशिश कर रहे हैं. हमने इसे ऑस्ट्रेलिया में देखा है जहां चीनी दूतावास ने अपनी 14 शिकायतों की सूची जारी की है. उनमें से यह भी शामिल था कि मीडिया और थिंक टैंक ऐसे विचार व्यक्त कर रहे हैं जो चीन सरकार को पसंद नहीं हैं.
लोकतांत्रिक देशों को तेजी से बढ़ते राष्ट्रवादी चीन से कैसे निबटना चाहिए
मुझे लगता है कि हमें अपने स्वयं के मूल्यों पर जोर देना होगा और अपनी मान्यताओं की रक्षा करनी होगी. हमें सवाल पूछने और अलग दृष्टिकोण के अधिकार पर भी जोर देना चाहिए. एक व्यापारिक सौदे के लिए हमारे विश्वविद्यालयों या समाचार पत्रों में चर्चा को बंद करने का कोई औचित्य नहीं है. और जाहिर है कि हमें सामूहिक रूप से काम करना होगा क्योंकि चीन अकेले देशों पर बहुत बड़ा दबाव डाल सकता है. तो छोटे और मध्यम आकार के देशों के लिए एकमात्र विकल्प एक साथ सहयोग करना है.
बिल हेटन पत्रकार, लेखक और ब्रिटिश थिंक टैंक चैथम हाउस के एक एसोसिएट फेलो हैं. उन्होंने एशिया के बारे में कई किताबें लिखीं हैं. उनकी नवीनतम रचना, द इन्वेंशन ऑफ चाइना, 2020 में येल यूनिवर्सिटी प्रेस द्वारा प्रकाशित की गई है.
बिल हेटन के साथ इंटरव्यू रोडियॉन एबिगहाउजेन ने किया.
अरुल लुइस
न्यूयॉर्क, 6 जनवरी | अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके समर्थक जो बाइडेन के चुनाव को पलटने का एक आखिरी असफल प्रयास करने को तैयार हैं, जब कांग्रेस बुधवार को नवंबर के चुनाव में उनकी जीत पर आखिरी मुहर लगाएगी।
सीनेट और प्रतिनिधि सभा दोनों के सदस्य एक संयुक्त सत्र में उपराष्ट्रपति माइक पेंस की अध्यक्षता में बैठक करेंगे और इस दौरान चुनावी कॉलेज के वोटों की गिनती की जाएगी और इसे प्रमाणित किया जाएगा।
ट्रंप से उम्मीद की जा रही है कि वे इस दौरान अपने समर्थकों को संबोधित करेंगे।
यह दावा करते हुए कि चुनाव में व्यापक धोखाधड़ी हुई है, ट्रंप और उनके कट्टर समर्थकों ने 3 नवंबर के चुनाव के परिणाम और निर्वाचक मंडल के फैसले को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है जिसमें बाइडेन को राष्ट्रपति और कमला हैरिस को उपराष्ट्रपति के रूप में चयनित किया गया है।
विभिन्न स्तरों पर अदालतों में ट्रंप और उनके समर्थकों ने 50 से अधिक कानूनी मुकदमे किए, लेकिन असफल रहे।
संवैधानिक रूप से आवश्यक संयुक्त सत्र ज्यादातर रूटीन मामले रहे हैं, लेकिन इस बार सीनेटर टेड क्रूज के नेतृत्व में रिपब्लिकन के एक छोटे समूह ने घोषणा की है कि वे संयुक्त सत्र के दौरान इलेक्टोरल कॉलेज के निर्णय को चुनौती देंगे।
ट्रंप के कांग्रेसी समर्थकों के इस कदम से उनकी रिपब्लिकन पार्टी में फूट पड़ने की संभावना है, क्योंकि उनके अधिकांश नेता जैसे मिच मैककोनेल, जो सीनेट में पार्टी के प्रमुख हैं, वे इस बात के खिलाफ हैं और उनका मानना है कि आखिरकार प्रतीकात्मक प्रतिरोध से क्या हासिल होगा।
मैककोनेल ने पिछले महीने ही बाइडेन के चुनाव को स्वीकार करते हुए कहा था, "हमारे देश में आधिकारिक तौर पर, एक राष्ट्रपति-चयनित और एक उप-राष्ट्रपति-चयनित हैं। मैं राष्ट्रपति-चयनित जो बाइडेन को बधाई देना चाहता हूं।"
यहां तक कि पेंस ने कथित तौर पर बाइडेन के चुनाव और साथी कमला हैरिस के चयन को अस्वीकार करने के ट्रंप के सार्वजनिक अनुरोधों को ठुकरा दिया था।
ट्रंप ने मंगलवार को ट्वीट किया, "उपराष्ट्रपति के पास धोखाधड़ी से चुने गए निर्वाचकों को अस्वीकार करने की शक्ति है।" हालांकि वास्तव में वह ऐसा करने के लिए कानूनी रूप से सशक्त नहीं है।
इससे पहले सोमवार को, उन्होंने जॉर्जिया राज्य में एक रैली में कहा था, "मुझे उम्मीद है कि हमारे महान उपराष्ट्रपति.. हमारे लिए आएंगे।"
एक चेतावनी की तरह उन्होंने कहा था, "अगर वह नहीं आते हैं, तो मैं उसे बहुत पसंद नहीं करूंगा।"
पेंस ने मंगलवार को ट्रंप से मुलाकात की, लेकिन कई मीडिया रिपोटरें ने अनाम स्रोतों के हवाले से कहा कि वह संविधान का पालन करेंगे और चुनाव में हस्तक्षेप नहीं करेंगे।
बाइडेन ने 306 इलेक्टोरल कॉलेज वोट जीते, जबकि ट्रंप ने 232 इलेक्टोरल कॉलेज जीते हैं। (आईएएनएस)
सैन फ्रांसिस्को/नई दिल्ली, 6 जनवरी | भारत में 200 से अधिक चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाने का उदाहरण देते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक नए कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें जैक मा-स्वामित्व वाले एंट ग्रुप के अलीपे, टेनसेंट क्यूक्यू और वीचैट सहित आठ ऐप चलाने वाली चीनी कंपनियों के साथ लेनदेन को अवरुद्ध किया गया है। आदेश में कहा गया है कि 45 दिनों में लेनदेन प्रतिबंधित हो जाएगा। वहीं अन्य ऐप में कैम स्कैनर, क्यूक्यू वॉलेट, शेयरइट, टेनसेंट क्यूक्यू, वीमैट, वीचैट पे और डब्ल्यूपीएस ऑफिस शामिल हैं, जो कि भारत में पहले से ही प्रतिबंधित हैं।
ट्रंप ने अपने कार्यकारी आदेश में लिखा, "एक बयान के अनुसार, भारत सरकार ने पूरे देश में 200 से अधिक चीन से जुड़े सॉफ्टवेयर ऐप के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है; भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कहा कि ऐप उपयोगकर्ताओं के डेटा को अनधिकृत तरीके से चोरी कर रहे थे और उनके डेटा को भारत के बाहर के स्थान पर प्रसारित कर रहे थे।"
गौरतलब है कि पिछले साल अगस्त में ट्रंप ने पहले ही दो ऐप बाइटडांस, टिकटॉक की मूल कंपनी और वीचैट के साथ लेनदेन पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की थी। (आईएएनएस)
अरुल लुइस
न्यूयॉर्क, 6 जनवरी | अमेरिकी सीनेट के भविष्य का निर्धारण करने वाले जॉर्जिया के चुनाव में, डेमोक्रेटिक पार्टी ने बुधवार सुबह दो सीटों में से एक पर जीत हासिल की और दूसरे में बढ़त बनाए हुए है।
एक ईसाई प्रिस्ट और डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार राफेल वार्नोक ने मंगलवार को हुए चुनावों में रिपब्लिकन प्रतिद्वंदी केली लोफ्लर को 1 प्रतिशत मतों से हराया।
जार्जिया के समयनुसार 1.30 बजे पूवार्ह्न डेमोक्रेटिक जॉन ओस्ऑफ के पास रिपब्लिकन सीनेटर डेव पेरड्यू पर 0.8 प्रतिशत की बढ़त हासिल थी।
लेकिन परिणामों को आधिकारिक तौर पर घोषित किए जाने में अभी कुछ दिन लगेंगे, क्योंकि चुनौतियां और दुबारा गिनती लगभग निश्चित हैं।
100 सदस्यीय सीनेट में रिपब्लिकन के पास 50 सीटें हैं, जबकि दो स्वतंत्र सहयोगियों वाले डेमोक्रेट के पास 48 सीटें हैं, और अगर दो जॉर्जिया डेमोक्रेट्स को विजेता घोषित किया जाता है, तो पार्टी सीनेट को नियंत्रित करेगी क्योंकि वाइस प्रसिडेंट-इलेक्ट कमला हैरिस अपने पद की वजह से वोट डालेंगी।
वानरेक ने बुधवार की सुबह एक विजय भाषण दिया, जिसमें घोषणा की गई कि वह राज्य के सभी लोगों की सेवा करने के लिए सीनेट जा रहे हैं।"
हालांकि वार्नोक से हारने वाली लोफ्लर ने चुनाव नतीजे को स्वीकार नहीं किया है और समर्थकों से कहा कि यह 'इंच का खेल' है, जिसमें वह जीतेंगी। (आईएएनएस)
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के कार्यकाल के कुछ ही दिन बचे हैं और उन्होंने जाते-जाते आठ चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाने वाले कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किया है. उन्होंने चीनी ऐप को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया है.
ट्रंप ने अलीपे, वीचैट समेत अन्य चीनी कंपनियों से जुड़े ऐप्स के साथ लेनदेन पर प्रतिबंध के आदेश पर हस्ताक्षर किया है. उनका कहना है कि ऐप्स यूजर से जुड़ी जानकारी चीनी सरकार को पहुंचा सकते हैं. कार्यकारी आदेश 45 दिनों में प्रभावी हो जाएगा, जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के कुछ दिनों बाद. बाइडेन 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस आदेश और इसके लागू होने पर नए राष्ट्रपति प्रशासन से कोई चर्चा नहीं की गई है. इससे पहले ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश के तहत चीनी कंपनी बाइटडांस के मालिकाना हक वाले ऐप टिक टॉक पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन कोर्ट ने इस आदेश को पलट दिया था.
ट्रंप प्रशासन के अधिकारी का कहना है कि नया प्रतिबंध इसलिए लगाया है क्योंकि इन्हें डाउनलोड करने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है, जिसका मतलब है कि लाखों यूजर्स की निजी जानकारी के लीक होने का खतरा है. अधिकारी के मुताबिक, "ऐप्स बैन करने का मकसद चीन की डाटा हड़पने वाली रणनीति पर रोक लगाना है."
ट्रंप ने अपने आदेश में साथ ही वाणिज्य विभाग को अन्य ऐप्स को प्रतिबंध में शामिल करने को लेकर समीक्षा करने को कहा है.
ट्रंप के आदेश के मुताबिक अलीपे, कैमस्कैनर, क्यूक्यू वॉलेट, शेयर इट, टेंसेंट क्यूक्यू, वीमेट, वीचैट पे और डब्ल्यूपीएस ऑफिस शामिल हैं. अलीपे और टेंसेंट ने इस आदेश पर कोई प्रतिक्रिया अब तक नहीं दी है. कार्यकारी आदेश ऐप्स के साथ किस प्रकार की लेनदेन रोकने और उसे कैसे लागू करना है, उसका अधिकार वाणिज्य विभाग को देता है.
पिछले हफ्ते ही ट्रंप प्रशासन ने एक संघीय अदालत के फैसले पर अपील की थी, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर लोकप्रिय सोशल मीडिया ऐप टिक टॉक को बैन करने के बावजूद अमेरिका में संचालन की इजाजत देता है.
वाशिंगटन, 6 जनवरी (आईएएनएस)| एक नए अध्ययन के अनुसार, अमेरिका में कोविड-19 संक्रमण की संख्या आधिकारिक तौर पर बताए गए आंकड़े के लगभग चार गुना हो सकती है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, यूएस सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंसन की रिपोर्ट बताते हैं कि, 15 नवंबर तक लगभग 1.1 करोड़ कोविड-19 मामले दर्ज किए गए थे। वहीं मंगलवार को प्रकाशित अध्ययन में बताया गया कि संक्रमण की वास्तविक संख्या 4.69 करोड़ थी।
मेडिकल जर्नल जेएएमए नेटवर्क ओपन में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, अमेरिका की 14 प्रतिशत से अधिक आबादी नवंबर के मध्य तक सार्स-कोव-2 से संक्रमित हो गई थी।
अध्ययन में यह भी बताया गया कि कोविड-19 से हुई लगभग 35 प्रतिशत मौतों को दर्ज नहीं किया गया।
अध्ययन में कहा गया कि, रिपोर्ट किए गए मामलों की संख्या वास्तविक संक्रमण वाले व्यक्तियों की संख्या के समान नहीं है, क्योंकि ऐसी संभावना है कि अधिकांश कोविड-19 मरीजों ने चिकित्सा सुविधा नहीं लिया होगा, या टेस्ट नहीं कराया होगा और इसलिए कोविड-19 संक्रमण के अधिक मामले दर्ज नहीं हुए होंगे।
अध्ययन के अनुसार, इसके अलावा सार्स-कोव-2 संक्रमण वाले अनुमानित 40 प्रतिशत लोगों में इसके लक्षण नहीं थे।
शोधकतार्ओं ने राष्ट्रव्यापी रूप से राज्यों में किए गए सर्वेक्षणों की एक सीरीज में कोविड-19 एंटीबॉडी की उपस्थिति के लिए रैंडम तरीके से चयनित रक्त के नमूनों का परीक्षण किया।
उन्होंने 15 नवंबर तक देश में संक्रमणों, अस्पतालों और मौतों की संख्या का अनुमान लगाया था, जिसमें नमूनों में एंटीबॉडी की व्यापकता की तुलना की गई थी। (आईएएनएस)
रियो डी जनेरियो, 6 जनवरी | ब्राजील में पिछले 24 घंटों में कोरोनोवायरस से 1,171 मौतें दर्ज की गई, जिसके बाद यहां मौतों का कुल आंकड़ा 197,732 पर पहुंच गया। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 24 घंटों में संक्रमण के 56,648 नए मामलों का पता चला। फरवरी के अंत में महामारी की शुरूआत के बाद से यहां अब तक कुल मामलों की संख्या 7,810,400 तक पहुंच गई है।
30 दिसंबर को 1,194 मरीजों की मौत के बाद, मंगलवार को दर्ज की गई मौतों की संख्या सितंबर के बाद से सबसे ज्यादा दैनिक मौतें हैं।
अमेरिका के बाद ब्राजील दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कोविड-19 मौतों वाला देश है, और मामलों की संख्या में तीसरा सबसे बड़ा।
ब्राजील में सबसे अधिक आबादी वाले साओ पाउलो राज्य में 1,486,551 मामले सामने आ चुके हैं और यहां 47,222 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके बाद रियो डी जनेरियो में 443,607 मामले और 25,837 मौतें हुईं।
ब्राजील में फिलहाल कोविड-19 के प्रकोप की दूसरी लहर चल रही है, जिसमें दिसंबर के बाद से मामलों में काफी अधिक वृद्धि हुई है, जिसके चलते सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली पर काफी दबाव बढ़ गया है।
उत्तरी अमेजॅन राज्य की राजधानी मनौस में मंगलवार को 180 दिनों के आपातकाल की घोषणा की गई। यहां कोविड-19 रोगियों से अस्पताल भरे पड़े हैं और कहीं भी कोई बेड खाली नहीं है।
(आईएएनएस)
वाशिंगटन, 6 जनवरी | अमेरिका में चार राज्यों में कोविड -19 वेरिएंट के संक्रमण की पुष्टि हुई है, वहीं वैक्सीन रोलआउट राष्ट्रव्यापी शेड्यूल से पीछे चल रहा है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, न्यूयॉर्क राज्य में सोमवार को कोरोनावायरस के नए व अधिक संक्रामक वेरिएंट का पहला मामला दर्ज किया गया।
न्यूयॉर्क राज्य के गवर्नर एंड्रयू कुओमो के अनुसार, इस मामले की पहचान सरतोगा काउंटी के एक 60 वर्षीय व्यक्ति में की गई, जिसने कोई यात्रा नहीं की थी।
न्यूयॉर्क देश का चौथा राज्य है जहां नए वेरिएंट के संक्रमण की पुष्टि हुई है, इससे पहले यह कैलिफोर्निया, फ्लोरिडा और कोलोराडो में भी पाया गया है।
विशेषज्ञों ने कहा है कि वेरिएंट को अधिक संक्रमणीय माना जाता है, लेकिन इससे लोगों को अधिक बीमार बनाने या मौत का खतरा बढ़ाने जैसा कुछ नहीं है।
वहीं वेरिएंट संक्रमित लोगों में बीमारी को अधिक गंभीर बनाने का कारण नहीं माना जा रहा है और वर्तमान वैक्सीन इसके खिलाफ प्रभावी होना चाहिए।
गवर्नर गेविन न्यूसम ने सोमवार को कहा कि कैलिफोर्निया राज्य के दक्षिणी भाग में नए वेरिएंट के छह मामलों की पुष्टि की गई है। सैन डिएगो काउंटी के एक व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
उन्होंने कहा कि राज्य के स्वास्थ्य अधिकारी संपर्क ट्रेस करने का प्रयास कर रहे हैं।
सीडीसी ने दिसंबर के अंत में एक नया आदेश लागू किया है, जिसमें यूनाइटेड किंगडम से यूनाइटेड स्टेट्स पहुंचने वाले हवाई यात्रियों को नेगेटिव टेस्ट रिपोर्ट दिखाने की आवश्यकता है, यह कोविड-19 टेस्ट प्रस्थान से पहले 72 घंटे से अधिक अवधि की नहीं होनी चाहिए।
अमेरिका के चयनित राष्ट्रपति जो बाइडन के कोविड -19 के सलाहकार बोर्ड के सदस्य माइकल ओस्टरहोम ने मंगलवार को कहा कि, कोरोनावायरस के नए वेरिएंट के और अधिक मामले अमेरिका में सामने आ सकते हैं।
इस बीच, स्वास्थ्य विशेषज्ञों और अधिकारियों ने राज्यों को धीमी गति से वैक्सीन रोलआउट के लिए दोषी ठहराया है। देश में 2020 के अंत तक 2 करोड़ अमेरिकियों को इंजेक्शन लगाने की योजना बनाई गई थी। हालांकि, सीडीसी के अनुसार, 4 जनवरी तक सिर्फ 4.56 मिलियन लोगों को ही शॉट्स लगाए गए हैं।
(आईएएनएस)
पेरिस, 6 जनवरी| फ्रांस में कोविड -19 के नए पुष्टि किए गए मामलों की संख्या 24 घंटे की अवधि में 20,489 तक पहुंच गई है। संक्रमण के कारण और 867 रोगियों की मौत हो गई है। यह जानकारी आधिकारिक आंकड़ों से मिली।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, फ्रांस में वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों की कुल संख्या 26,80,239 हो गई है। वहीं कोरोना से जुड़े मौतों के मामले 66,282 हो गई है।
देश के अस्पतालों में मंगलवार को 24,904 कोविड -19 रोगियों को भर्ती कराया गया, जिसमें आईसीयू में 2,625 गंभीर मामले भी शामिल हैं।
फ्रांस अभी भी सामान्य की ओर लौटने के लिए निर्धारित लक्ष्य 5000 एक दिवसीय मामलों से काफी दूर है। इसके अलावा साल के अंत की छुट्टियों के बाद महामारी में पुनरुत्थान का खतरा अधिक है।
हाल ही में ब्रिटेन में खोजे गए कोरोनावायरस स्ट्रेन के दस संदिग्ध या सिद्ध मामले फ्रांस में भी सामने आए हैं। फ्रांस के स्वास्थ्य मंत्री ओलिवर वेरन ने कहा, "यह एक ऐसा वेरिएंट है, जो हमें चिंतित कर रहा है और डायग्नोस्टिक संसाधन जुटा रहे हैं।"
उन्होंने कहा, "दिसंबर की शुरुआत से हम ऐसे स्थिति में हैं, जो ऊंचा है। इसका मतलब है कि हम प्रतिबंधों में ढील नहीं दे सकते।"
वहीं यूरोपीय योजना के हिस्से के रूप में फ्रांस ने 27 दिसंबर को वैक्सीनेशन अभियान शुरू किया था, जिसमें रोलआउट के पहले चरण के दौरान नसिर्ंग होम के सबसे कमजोर लोगों को वैक्सीन दिया जाएगा।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 1 जनवरी तक देश में सिर्फ 516 लोगों का वैक्सीनेशन किया गया है।
(आईएएनएस)
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने दो हफ़्ते के अंदर हिंदू संत की समाधि का पुनर्निमाण शुरू करने का आदेश दिया है.
इसके साथ ही ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह प्रांत की सरकार को कोर्ट में रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है.
हाल ही में ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह प्रांत के करक ज़िले में हिंदू संत श्री परम हंस जी महाराज की ऐतिहासिक समाधि को स्थानीय लोगों की एक नाराज़ भीड़ ने ढहा दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए मंगलवार को सुनवाई की. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गुलज़ार अहमद की अगुवाई में तीन सदस्यों की बेंच ने मामले की सुनवाई की.
पुलिस आईजी सनाउल्लाह अब्बासी और ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह प्रांत के मुख्य सचिव डॉक्टर काज़ीम नियाज़ सुनवाई के दौरान कोर्ट में मौजूद थे.
सुप्रीम कोर्ट में क्या-क्या हुआ
पुलिस के आईजी सनाउल्लाह अब्बासी ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में अब तक 92 पुलिस वालों को निलंबित कर दिया गया है. इसमें एसपी और डीएसपी भी शामिल हैं.
इस घटना को अंजाम देने वाले 109 लोगों को गिरफ़्तार भी किया गया है. घटना स्थल के पास एक सौ पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं.
उन्होंने बताया कि एक मौलवी शरीफ़ ने भीड़ को हिंसा के लिए भड़काया.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस गुलज़ार अहमद ने कहा कि पुलिस अधिकारियों को निलंबित करना ही काफ़ी नहीं है.
चीफ़ जस्टिस गुलज़ार अहमद ने कहा कि सरकार के आदेश का किसी भी स्थिति में पालन होना चाहिए. इस घटना ने पाकिस्तान की छवि को दुनिया भर में ख़राब किया है.
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने दो हफ़्ते के अंदर समाधि को फिर से बनाए जाने का काम शुरू करने का आदेश दिया.
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने निर्माण कार्य के लिए पैसा मौलवी शरीफ़ और उनके 'गैंग' से वसूलने की बात कही.
ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह इवैक्यू ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड के चेयरमैन ने कोर्ट को बताया कि समाधि की देखभाल हिंदू समुदाय की ओर से किया जाता है और चूंकि इस समाधि के आस-पास कोई हिंदू आबादी नहीं है इसलिए यह समाधि बंद पड़ा हुआ है और कोई बोर्ड स्टाफ़ यहाँ नियुक्त नहीं किया गया है.
हिंदुओं के लिए पवित्र स्थल
पाकिस्तान हिंदू काउंसिल के चेयरमैन रमेश कुमार ने कोर्ट से कहा कि सैकड़ों हिंदू हर साल समाधि स्थल पर आते हैं.
उन्होंने यह भी बताया कि साल 1997 में मौलवी शरीफ़ ने यहाँ मंदिर तोड़ दिया था. तब हिंदू वहाँ अपने पैसे से मंदिर बनाना चाहते थे लेकिन बोर्ड ने मना कर दिया था.
अल्पसंख्यक आयोग के शोएब सुदले शिकायत करते हैं कि प्रॉपर्टी बोर्ड ने इसे बचाने के लिए जो करना चाहिए था वो नहीं किया.
उन्होंने कहा कि यह जगह हिंदुओं के लिए वैसे ही पवित्र स्थल है जैसे सिखों के लिए करतारपुर. ना कि सिर्फ़ यह बात है कि इस घटना से पाकिस्तान की बेइज़्ज़ती हुई है.
ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह प्रांत के मुख्य सचिव डॉक्टर काज़ीम नियाज़ ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वस्त किया कि प्रांतीय सरकार मंदिर को फिर से बनाने का ख़र्च उठाएगी.
लेकिन चीफ़ जस्टिस ने उन्हें समाधि में आग लगाने वालों से पैसे वसूलने के लिए कहा है.
उन्होंने कहा कि वो ऐसा दोबारा करेंगे अगर जब तक कि उनकी जेब से पैसे नहीं निकलते हैं.
कार्रवाई और रिपोर्ट
चीफ़ जस्टिस गुलज़ार अहमद ने इवैक्यू ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड के चेयरमैन को आदेश दिया है कि वो तत्काल घटना स्थल का दौरा करें और पुनर्निमाण का कार्य शुरू करवाएं.
चीफ़ जस्टिस गुलज़ार अहमद ने छोड़े गए वक़्फ़ संपत्तियों का पूरा लेखा-जोखा भी माँगा. इसके साथ ही निर्देश दिया कि वो बंद पड़े मंदिरों और खुले मंदिरों का विवरण भी दें.
ख़ाली पड़ी वक़्फ़ संपत्तियों पर जिन अधिकारियों ने अवैध क़ब्ज़ा कर रखा है, उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने का भी निर्देश चीफ़ जस्टिस ने दिया.
उन्होंने दो हफ़्तों के अंदर ये सारी रिपोर्टें बेंच के सामने पेश करने को कहा है.
इस मामले में अगली सुनवाई दो हफ़्तों के लिए स्थगित कर दी गई है. बाद में इस पर विस्तार से फ़ैसला आने की उम्मीद है.
क्या है विवाद की वजह
पिछले हफ़्ते ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह प्रांत के करक ज़िले के टेरी गांव में हिंदू संत श्री परम हंस जी महाराज की ऐतिहासिक समाधि को स्थानीय लोगों की एक नाराज़ भीड़ ने ढहा दिया था.
पुलिस के मुताबिक़ स्थानीय लोग एक हिंदू नेता की ओर से इस समाधि से लगते हुए अपना घर बनाने को लेकर नाराज़ थे.
इलाक़े के रूढ़िवादी लोग इस समाधि स्थल का शुरू से ही विरोध करते रहे थे. साल 1997 में इस समाधि पर पहली बार स्थानीय लोगों ने हमला किया था.
हालांकि बाद में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह की प्रांतीय सरकार ने इसका पुनर्निमाण कराया था.
सरकार के समर्थन और कोर्ट के फ़ैसले के बावजूद टेरी में हालात तनावपूर्ण बने रहे.
समाधि के पुनर्निमाण शुरू करने से पहले स्थानीय प्रशासन ने टेरी कट्टरपंथी लोगों से लंबी बातचीत की थी.
साल 2015 में ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह के एडिशनल एडवोकेट जनरल वक़ार अहमद ख़ान ने सुप्रीम कोर्ट में इस सिलसिले में एक रिपोर्ट पेश की थी.
इस रिपोर्ट में कहा गया था कि हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोग जब पाँच शर्तों पर तैयार हो गए थे, उसके बाद ही समाधि के पुनर्निमाण की इजाज़त दी गई.
ऐसा कहा जाता है कि समझौते की एक शर्त ये भी थी कि हिंदू समुदाय के लोग टेरी में अपने धर्म का प्रचार-प्रसार नहीं करेंगे.
वे वहां पर केवल अपनी धार्मिक प्रार्थनाएं कर सकेंगे.
समाधि पर उन्हें न तो बड़ी संख्या में लोगों को इकट्ठा करने की इजाज़त होगी और न ही समाधि स्थल पर किसी बड़े निर्माण कार्य की मंज़ूरी दी जाएगी.
इसके अलावा हिंदू समुदाय के लोग उस इलाक़े में ज़मीन भी नहीं ख़रीद सकेंगे और उनका दायरा केवल समाधि स्थल तक ही सीमित रहेगा.
यह समाधि इवैक्यू ट्रस्ट बोर्ड की संपत्ति है.
इसका निर्माण उस जगह कराया गया था जहां हिंदू संत श्री परम हंस जी महाराज का निधन हुआ था और साल 1919 में यहीं पर उनकी अंत्येष्टि की गई थी.
उनके अनुयायी यहां पूजा-पाठ के लिए हर साल आते रहे थे. साल 1997 में ये सिलसिला उस वक़्त रुक गया जब ये मंदिर ढहा दिया गया.
इसके बाद हिंदू संत श्री परम हंस जी महाराज के अनुयायियों ने मंदिर के पुननिर्माण की कोशिशें शुरू कीं.
हिंदू समुदाय के लोगों का आरोप था कि एक स्थानीय मौलवी ने सरकारी ट्रस्ट की प्रॉपर्टी होने के बावजूद इस पर क़ब्ज़ा कर लिया था.
यह संपत्ति औक़ाफ़ विभाग से ताल्लुक़ रखती है जिसका काम प्रांत में धार्मिक स्थलों की देखरेख करना है.
आख़िरकार सुप्रीम कोर्ट के दख़ल के बाद साल 2016 में फिर से यह समाधि बन पाई थी. (bbc)
लंदन, 5 जनवरी | ब्रिटेन की एक अदालत ने 17 साल के लड़के पर छह आतंकी आरोप लगाए हैं। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिणपूर्वी इंग्लैंड के एसेक्स का किशोर सोमवार को लंदन में वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट के सामने वीडियो लिंक के माध्यम से पेश हुए।
उसे 22 जनवरी को ओल्ड बेली सेंट्रल क्रिमिनल कोर्ट में पेश करने के लिए रिमांड पर लिया गया।
काउंटर टेररिज्म पुलिसिंग नॉर्थ ईस्ट (सीटीपी) की अगुवाई में पूर्वी क्षेत्र विशेष ऑपरेशन यूनिट और एसेक्स पुलिस द्वारा समर्थित एक जांच के बाद उस पर छह आतंकवाद के आरोप लगाए गए थे।
सीटीपी ने कहा कि किशोर को 29 दिसंबर 2020 को आतंकवाद-निरोधक अधिनियम के तहत गिरफ्तार और हिरासत में लिया गया था, जो एक पूर्व-नियोजित, खुफिया-अगुवाई वाले ऑपरेशन के हिस्से के रूप में काम करता था।
पुलिस ने बताया कि गिरफ्तारी के सिलसिले में एसेक्स में चेम्सफोर्ड और ब्रेंटवुड में दो घरों की तलाशी ली गई। (आईएएनएस)
लॉस एंजेलिस, 5 जनवरी | अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने इस बात की जानकारी दी है कि उनकी वेब फिल्म 'वी कैन बी हीरोज' के सीक्वेल पर काम शुरू कर दिया गया है। अभिनेत्री ने मंगलवार को ट्विटर पर बताया कि इस सुपरहीरो फिल्म के रिलीज होने के महज चार हफ्तों के भीतर इसे 4.4 करोड़ घरों में देखा गया।
प्रियंका लिखती हैं, " 'वी कैन बी हीरोज' की रिलीज के चार हफ्तों में 4.4 करोड़ परिवारों ने इसे देखा और अब ब्रेकिंग न्यूज यह है कि इस सुपरहीरो फिल्म की अगली कड़ी भी आ रही है। रॉबर्ट रोड्रिग्ज और नेटफ्लिक्स के साथ इसके सीक्वेल पर काम शुरू हो गया है।"
रोड्रिग्ज द्वारा लिखित और निर्देशित यह फिल्म उनकी फ्रेंचाइजी 'द एडवेंचर्स ऑफ शार्कबॉय एंड लावागर्ल इन 3-डी' और 'स्पाई किड्स' का स्पिन-ऑफ है। फिल्म में प्रिंयका को मिस ग्रेनेडा के किरदार में देखा गया है, जो जो महाशक्तिशाली बच्चों से एक संस्थान की लीडर हैं। इसमें उनके किरदार के कई सारे पहलू हैं।
फिल्म की कहानी दुनिया के सुपरहीरोज के बच्चों के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसमें एलियंस द्वारा उनके माता-पिताओं का अपहरण कर लिया जाता है। रोड्रिग्ज इस सीक्वेल के साथ अपनी वापसी करेंगे। (आईएएनएस)
जर्मनी में होने वाले नेटुराले फिल्म महोत्सव में सर्वोत्तम शॉर्ट फिल्म का पुरस्कार विजय बेदी और अजय बेदी की फिल्म द स्टॉर्क सेवियर्स को मिला है. विजय बेदी और उनके जुड़वां भाई वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफरों के परिवार से आते हैं.
डॉयचे वैले पर महेश झा का लिखा-
जर्मनी, 5 जनवरी | नेचर एंड टूरिज्म फिल्म फेस्टिवल नेटुराले दो साल पर जर्मन शहर वीसबाडेन में आयोजित किया जाता है. इसमें प्रकृति, पर्यावरण, यात्रा और टूरिज्म से जुड़ी फिल्में दिखाई जाती है. इस फिल्म महोत्सव से जुड़े जर्मन फिल्मकार आंद्रेयास एवेल्स कहते हैं कि पर्यावरण को बचाने के लिए लोगों की भागीदारी तभी होगी जब वह उसे जानेंगे. इलसिए पर्यावरण और पर्यटन से जुड़ी फिल्में संरक्षण में अहम योगदान दे सकती हैं. इस साल इस महोत्सव में सर्वोत्तम शॉर्ट फिल्म का पुरस्कार विजय बेदी और अजय बेदी की फिल्म द स्टॉर्क सेवियर्स को मिला है.
बचपन से ही रही ट्रेनिंग
विजय बेदी और उनके जुड़वां भाई वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफरों के परिवार से आते हैं. वे अपने पिता और दादा को पांच साल की उम्र से ही काम करते देखते रहे हैं और उनके साथ ही कॉर्बेट पार्क में हाथियों के पीछे जाना या बांधवगढ़ में शेरों का पीछा करना सीखा है. स्वाभाविक है कि उनका बचपन से ही जंगली जानवरों से लेना देना रहा है. यही शौक उन्हें भी वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी की ओर लाया. उन्होंने अपनी पहली फिल्म 21 साल की उम्र में बनाई और उसके बाद विभिन्न चैनलों के लिए फिल्में बनाई हैं और अनगिनत पुरस्कार जीते हैं.
बेदी बंधुओं ने 2019 में उभयचरों के ऊपर फिल्म बनाई जिसके लिए भारत के राष्ट्रपति द्वारा दिए जाने वाले तीन राष्ट्रीय पुरस्कार जीते. वे अपनी फिल्म के लिए ग्रीन ऑस्कर जीतने वाले सबसे युवा एशियाई फिल्मकार भी हैं. लाल पांडा पर बनाई गई फिल्म के लिए उन्हें एम्मी पुरस्कार के लिए नॉमिनेशन भी मिला है.
रिपोर्टों के साथ वे जंगली जीवन के संरक्षण को प्रोत्साहन दे रहे परिवार की तीसरी पीढ़ी में हैं. उनके पिता नरेश बेदी भी मशहूर संरक्षणवादी हैं. उनकी पहली फिल्म लाल पांडा पर थी जबकि दूसरी फिल्म जामुनी मेढ़कों के बारे में. अपनी फिल्मों के जरिए वे और उनके जुड़वां भाई अजय बेदी भारत की जैव विविधता को तो टटोलते ही हैं, लेकिन विजय बेदी ने डॉयचे वेले के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि खुद को वे खुद को फिल्मकार से ज्यादा संरक्षणवादी मानते हैं.
यूरोप का सारसों का गांव
जर्मन पर्यावरण फिल्म महोत्सव नटुराले में जीतने वाली विजय बेदी और अजय बेदी की फिल्म द स्टॉर्क सेवियर्स सारसों को बचाने के लिए हो रहे प्रयासों की कहनी है. विजय बेदी और अजय बेदी ने इस लघु फिल्म में उन्हें बचाने के लिए कंजर्वेशन बायोलॉजिस्ट पूर्णिमा बर्मन की पहलकदमियों को दिखाया है. गुआहाटी में रहने वाली पूर्णिमा बर्मन ने इन सारसों को बचाने के लिए स्थानीय लोगों को इन प्रयासों में शामिल किया है.
जर्मनी में दो तरह के सारस हैं. सारस प्रवासी पक्षी होते हैं. इन्हें पूर्वी और पश्चिमी प्रवासी पक्षियों में बांटा गया है क्योंकि वे पूरब और पश्चिम के रास्ते अपने शीतकालीन प्रवास में जाते हैं. पूर्वी रास्ता उन्हें बालकन होकर अफ्रीका ले जाता है जबकि पश्चिमी रास्ता फ्रांस होकर स्पेन ले जाता है. आमतौर पर जर्मनी के पूर्वी प्रदेशों में रहने वाले सारस पूर्वी रास्ते से अफ्रीका जाते हैं और सर्दियां खत्म होने के बाद मार्च से मई के बीच जर्मनी लौट आते हैं. पश्चिमी प्रातों के सारस अपनी सर्दियां स्पेन में गुजारते हैं. गर्मियों में वे ब्रीडिंग के लिए जर्मनी लौट आते हैं.
बर्लिन के निकट स्थित जर्मनी के ब्रांडेनबुर्ग प्रांत को देश में सारसों का प्रदेश कहा जाता है. यहां जितने सारस ब्रीडिंग करते हैं उतने देश के और किसी प्रांत में नहीं करते. हर साल करीब 1400 जोड़े यहां ब्रीडिंग के लिए आते हैं. ब्रांडेनबुर्ग के स्प्रीवाल्ड इलाके को जर्मनी में सारसों की सबसे घनी आबादी वाला इलाका माना जाता है. प्रांत के पश्चिमोत्तर का गांव रूहस्टेट तो सारसों को इतना पसंद है कि इस गांव को यूरोप का सारसों का गांव कहा जाता है. यहां के नम माहौल में उन्हें पर्याप्त खाने को मिलता है. 1996 रिकॉर्ड वाला साल था, जब सारसों की 44 जोड़ियां यहां ब्रीडिंग के लिए आई थीं. वे गांव की छतों पर अपना घोंसला बनाते हैं. सारसों की ब्रीडिंग वाले ये इलाके इतने लोकप्रिय हैं कि मार्च से मई के महीनों में हजारों टूरिस्ट उन्हें देखने इस इलाके में पहुंचते हैं.
विलुप्त हो रहे हैं हरगिला सारस
जर्मनी के विपरीत पूर्वोत्तर भारत में सारसों की प्रजाति हरगिला विलुप्त होने के खतरे में हैं. हरगिला संस्कृत भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है हड्डियों को निगलने वाला. यह सारस दक्षिण एशिया में व्यापक रूप से पाया जाता है लेकिन इस बीच इसकी ज्यादातर प्रजातियां लुप्त हो गई हैं. असम में ब्रह्मपुत्र घाटी को इस लुप्तप्राय सारसों का अंतिम गढ़ माना जाता है. एक समय में सर्दियों में ये सारस उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में जाते थे, लेकिन इनका प्रजनन क्षेत्र काफी समय तक पता नहीं था. अब तो ये सिर्फ असम में और बिहार के भागलपुर इलाके में बचे हैं.
ये सारस आम तौर पर पेड़ों के ऊपर अपने घोंसले बनाते हैं. ब्रीडिंग के मौसम में नर सारस पेड़ों के ऊपर चढ़कर मादा सारसों को आकर्षित करता है. अंडों को सेने का काम 35 दिनों तक नर और मादा सारस बांट बांट कर करते हैं. बाद में चूजे करीब पांच महीने घोंसलों में रहते हैं और उसके बाद बाहर निकलते हैं. सारस निजी घोंसलों में रहना पसंद करते हैं, लेकिन उनका बसेरा पेड़ों के मालिकों के ऊपर निर्भर करता है. पेड़ अगर काट दिए जाएं तो फिर उनके बसेरे की जगह भी समाप्त हो जाती है. चूंकि ये सारस हड्डियां खाते हैं इसलिए लोग उन्हें अपवित्र मानते हैं और उन्हें रिहायशी इलाकों से भगाने की कोशिश में रहते हैं.
कंजर्वेशन बायोलॉजिस्ट पूर्णिमा बर्मन की अगुआई में अब उन्हें बचाने की शुरूआत हुई है. वे स्थानीय महिलाओं को इस काम में साथ लाई हैं. पूर्णिमा बर्मन ने डॉयचे वेले को बताया कि सारसों से उनका प्रेम पीएचडी के सिलसिले में शुरू हुआ जब वह गुआहाटी के पास स्थित कामरूप जिले में सारसों पर अपने काम के सिलसिले में गईं. इस लुप्त हो रहे पक्षी को बचाने के लिए उन्होंने इलाके की महिलाओं को साथ लिया. हरगिला सारसों को बचाने वाली महिलाओं की सेना को सारस सिस्टर्स या हरगिला बैदो के नाम से जाना जाता है. उनके प्रयासों से पिछले चार साल से घोंसले वाले पेड़ काटे नहीं गए हैं और खासकर ब्रीडिंग के मौसम में महिलाएं अंडों और चूजों को बचाने की कोशिश करती हैं. (dw.com)
जर्मनी ने 2020 में अपने पर्यावरण लक्ष्यों को पूरा कर लिया है. सरकार की नीतियों के साथ साथ कोरोना महामारी का भी इसमें योगदान रहा है.
जर्मनी, 5 जनवरी | 2007 में अंगेला मैर्केल ने वादा किया था कि 2020 तक देश कार्बन उत्सर्जन को 40 फीसदी तक घटाएगा और वाकई 2020 में 1990 की तुलना में उत्सर्जन 42.3 फीसदी कम रहा. यानी जर्मनी ने अपना लक्ष्य पूरा कर लिया. आंकड़े दिखाते हैं कि 2020 में जर्मनी ने 72 करोड़ टन CO2 का उत्सर्जन किया. 2019 की तुलना में यह आठ करोड़ टन कम था - कुल मिला कर दस फीसदी की कमी. इसमें पांच करोड़ टन यानी लगभग दो तिहाई हिस्सा तो कोरोना महामारी के कारण कम हुआ. महामारी के दौरान कई कारखाने बंद रहे जिस कारण ऊर्जा की खपत भी कम हुई.
सबसे अच्छा असर बिजली के उत्पादन में देखा गया जहां अक्षय ऊर्जा स्रोतों से 50 फीसदी से ज्यादा बिजली की पैदावार हुई. 27 फीसदी बिजली पवन ऊर्जा से, दस फीसदी सौर ऊर्जा से, नौ फीसदी बायोमास ईंधन से बनी और चार फीसदी पनबिजली से. इसके अलावा 13 फीसदी परमाणु ऊर्जा, 12 फीसदी प्राकृतिक गैस, और 24 फीसदी कोयले से बनी बिजली रही. पिछले साल की तुलना में बिजली उत्पादन में कोयले के इस्तेमाल में कुल 48 फीसदी की कमी दर्ज की गई है.
इसके अलावा कोरोना महामारी के कारण उड़ानें बंद होने का भी फायदा मिला है. 2019 की तुलना में 2020 में केरोसीन की बिक्री 55 प्रतिशत गिरी है. इसी तरह कारों और ट्रकों में इस्तेमाल होने वाले पेट्रोल और डीजल की बिक्री भी नौ प्रतिशत कम हुई. इस तरह से कुल मिला कर साल भर में करीब डेढ़ करोड़ टन कार्बन डाय ऑक्साइड उत्सर्जन घटा है.
जर्मनी ने 2035 तक कार्बन न्यूट्रल बनने का लक्ष्य रखा है. मौजूदा आंकड़ों को देखते हुए ऐसा जरूर लगता है कि जर्मनी सही राह पर है लेकिन जानकारों का मानना है कि महामारी के खत्म होते ही हालात एक बार फिर पहले जैसे हो सकते हैं और ऐसे में ना ही जर्मनी कार्बन न्यूट्रल बनने का सपना पूरा कर सकेगा और ना पेरिस संधि के अपने वादे को पूरा कर सकेगा.
चांसलर अंगेला मैर्केल ने देश में ई-कारों को प्रचलित करने का भी लक्ष्य रखा था जो पूरा ना हो सका. जर्मनी एक बड़ा ऑटो बाजार है और मर्सिडीज, फोल्क्सवागेन, बीएमडब्ल्यू जैसी घरेलू कारों को टेस्ला इत्यादि की ई-कारें अब भी टक्कर नहीं दे पा रही हैं.
आईबी/एके (डीपीए, एएफपी)
नई दिल्ली / वाशिंगटन, 5 जनवरी | पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के प्रशासन ने जानबूझकर आतंकी संगठन अल-कायदा से संबद्ध संगठन को वित्त पोषित किया। अमेरिका के सीनेट कमेटी की हालिया जारी रिपोर्ट से यह जानकारी मिली। रिपोर्ट सीनेट की वित्त समिति के अध्यक्ष चक ग्रासले के कार्यालय द्वारा ओबामा प्रशासन की तरफ से 2 लाख अमेरिकी डॉलर के अनुदान की जांच से जुड़ा है, जिसके तहत अमेरिका के ईसाई धर्म से जुड़े सहायता संगठन वल्र्ड विजन ने अल-कायदा से संबद्ध, इस्लामिक रिलीफ एजेंसी(इसरा) को अनुदान दिया।
संयोग से, वल्र्ड विजन भारत में भी काम करता है और इंटर एक्शन का सदस्य है, जो अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठनों का सबसे बड़ा गठबंधन है। पिछले साल आईएएनएस ने एक बड़े खुलासे में बताया था कि कैसे अमेरिकी सरकारी एजेंसियां इंटर एक्शन के जरिए पाकिस्तान और मध्य पूर्व में स्थित आतंकी समूहों से जुड़ी इस्लामिक चैरिटी को फंडिंग कर रही हैं।
इंटर एक्शन के टुगेदर प्रोजेक्ट में सबसे विवादास्पद इस्लामिक चैरिटी हेल्पिंग हैंड फॉर रिलीफ एंड डेवलपमेंट (एचएचआरडी) शामिल है, जो कश्मीर में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के धर्मार्थ और राजनीतिक विंग के साथ काम करता है।
जनवरी 2014 में, यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) को सूडान के संघर्ष-ग्रस्त ब्लू नील क्षेत्र में मानवीय सेवाएं प्रदान करने के लिए फंड देने की वजह से सम्मानित किया गया था। वर्ल्ड विजन ने इसरा के लिए सेवा उपलब्ध कराई थी। ऐसा वे पहले भी करते रहे थे।
लेकिन 2004 से अमेरिकी सरकार द्वारा इसरा पर प्रतिबंध लगा दिया गया। वर्ल्ड विजन ने अपने बचाव में दावा किया है कि इसरा के आतंकवाद के संबंध की वजह से उसपर लगे प्रतिबंधों के बारे में उसे पता नहीं था।
हालांकि सीनेट कमेटी की रिपोर्ट ने वर्ल्ड विजन पर जानबूझकर गलत काम करने के अरोपों से मुक्त कर दिया, लेकिन गैरकानूनी तरीके से सरकारी धन को इसरा को भेजने के लिए फटकार लगाई।
हालांकि वल्र्ड विजन को सितंबर 2014 में एक प्रतिबंधित इकाई के रूप में इसरा की स्थिति के बारे में सूचित किया गया था और इसके भुगतान रोक दिए गए थे, फिर भी इसने अनुरोध भेजा कि इसरा को अनुबंध पूरा करने के लिए एक अस्थायी लाइसेंस दिया जाए। इसरा पर प्रतिबंध लगने की आधिकारिक पुष्टि के बावजूद, अमेरिकी विदेश विभाग ने 4 मई, 2015 को ऑफिस ऑफ फॉरेन एसेट्स कंट्रोल (ओएफएसी) को वल्र्ड विजन की बात मानने के लिए कहा।
सीनेट समिति ने कहा कि इसके अलावा, हालांकि हमें वल्र्ड विजन के दावे पर संदेह करने का कोई कारण नहीं मिलता है कि कुल मिलाकर उनके धन का इस्तेमाल इसरा ने मानवीय उद्देश्यों के लिए किया, लेकिन यह पैसा अनिवार्य रूप से उनकी आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देता है। (आईएएनएस)
नॉर्वे पेट्रोल और डीजल से ज्यादा इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री देखने वाला पहला देश बन गया है. नॉर्वे ने 2025 तक पेट्रोल और डीजल की गाड़ियों को पूरी तरह से अलविदा कह देने का लक्ष्य तय किया है.
नॉर्वे, 5 जनवरी | नॉर्वे ने पेट्रोल और डीजल पर निर्भरता को अंत करने में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. पिछले साल नॉर्वे में पहली बार एक साल में खरीदी गई गाड़ियों में से 50 प्रतिशत से भी ज्यादा हिस्सा इलेक्ट्रिक गाड़ियों का रहा. इसका मतलब है देश में पहली बार डीजल और पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियों से ज्यादा इलेक्ट्रिक गाड़ियां खरीदी गईं.
नॉर्वे ऐसी उपलब्धि हासिल करने वाला पहला देश बन गया है. नार्वेजियन रोड फेडरेशन (ओएफवी) के आंकड़ों के अनुसार देश में 2020 में जितनी भी नई गाड़ियां बिकीं उनमें बैटरी इलेक्ट्रिक गाड़ियां (बीईवी) का हिंसा 54.3 प्रतिशत था, जो अपने आप में एक विश्व रिकॉर्ड है. इसके मुकाबले 2019 में यह आंकड़ा 42.4 प्रतिशत था और एक दशक पहले तो महज एक प्रतिशत था.
नॉर्वे ने 2025 तक पेट्रोल और डीजल की गाड़ियों की बिक्री बंद कर देने वाला पहला देश बनने का लक्ष्य रखा है. इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए देश में पूरी तरह से इलेक्ट्रिक गाड़ियों को उन करों से छूट मिलती है जो जीवाश्म ईंधन से चलने वाली गाड़ियों पर लगते हैं.
इस नीति की वजह से देश में गाड़ियों का बाजार उन कंपनियों के लिए एक प्रयोगशाला जैसा बन गया है जो इंटरनल कम्बशन वाली इंजनों से मुक्त भविष्य की तरफ बढ़ने का रास्ता तलाश रही हैं. इस वजह से बीते सालों में बेस्टसेलर की सूचियों में नए नए मॉडल और ब्रांड उभर कर आए हैं.
हालांकि इसके पहले भी कुछ महीनों में नॉर्वे में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री 50 प्रतिशत से ऊपर गई है, लेकिन 2020 में ऐसा पहली बार हुआ जब पूरे साल की कुल बिक्री में बीईवी गाड़ियों ने पेट्रोल और डीजल गाड़ियों को पीछे छोड़ दिया. ओएफवी के सीईओ ओयेविन्ड थोर्सन ने एक समाचार वार्ता में कहा, "हम बिल्कुल 2025 के लक्ष्य को हासिल करने की राह पर हैं."
इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री साल के आखिरी महीनों में और तेज हो गई और दिसंबर में तो ये 66.7 प्रतिशत पर पहुंच गई. फोक्सवागन के ऑडी ब्रांड ने 2020 का सर्वप्रथम स्थान हासिल किया. उसकी ई-ट्रोन स्पोर्ट्स यूटिलिटी और स्पोर्ट्सबैक गाड़ियां सबसे ज्यादा बिकीं. 2019 की विजेता टेस्ला की मॉडल थ्री दूसरे नंबर पर खिसक गई.
उद्योग समीक्षक और गाड़ियों के डिस्ट्रीब्यूटरों का कहना है कि 2021 में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री और बढ़ने की उम्मीद है क्योंकि देश में और भी मॉडल आने वाले हैं. नार्वेजियन ईवी एसोसिएशन की प्रमुख क्रिस्टीना बू का कहना है, "हमारा प्रारंभिक पूर्वानुमान है कि 2021 में इलेक्ट्रिक गाड़ियां बाजार का 65 प्रतिशत हिस्सा हासिल कर लेंगी. अगर हम ऐसा कर पाते हैं तो 2025 में केवल शून्य उत्सर्जन वाली गाड़ियां बेचने का लक्ष्य काफी करीब होगा."
इस साल टेस्ला के स्पोर्ट्स यूटिलिटी गाड़ी मॉडल वाई और इसके अलावा फोर्ड, बीएमडब्ल्यू और फोक्सवागन की पहले एसयूवी के नॉर्वे के बाजार में उतरने की संभावना है. सिर्फ डीजल इंजन वाली गाड़ियों की बिक्री जहां 2011 में 75 प्रतिशत थी वो अब 8.6 प्रतिशत पर आ गई है. नॉर्वे में 2020 में 1,41,412 नई गाड़ियां बिकीं जिनमें से 76,789 पूरी तरह से इलेक्ट्रिक थीं.
लेकिन गाड़ियां आयात करने वाली कंपनी बर्टल ओ स्टीन के सीईओ हेराल्ड फ्रिगस्टाड ने कहा कि इलेक्ट्रिक गाड़ियों का बाजार में हिस्सा बढ़ता ही रहेगा लेकिन इस बात को लेकर अनिश्चितता है कि गाड़ियां बनाने वाली कंपनियां कितनी गाड़ियां नॉर्वे में भेजेंगी, क्योंकि अब पूरे यूरोप में इनकी मांग बढ़ रही है. उनका अनुमान है कि 2021 में उनकी कंपनी द्वारा बेचे जाने वाली सभी गाड़ियों में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री का हिस्सा लगभग 70 प्रतिशत होगा.
सीके/एए (रायटर्स)
जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल और सभी 16 राज्यों के मुख्यमंत्री लॉकडाउन पर चर्चा के लिए बैठक कर रहे हैं. इस बीच, मीडिया रिपोर्टों का कहना है कि देश में लागू सख्त लॉकडाउन को तीन हफ्ते और बढ़ाकर 31 जनवरी तक किया जा रहा है.
जर्मनी, 5 जनवरी | सोमवार को मिलने वाली बहुत सी मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि जर्मनी की संघीय सरकार और देश के सभी 16 राज्यों की सरकारें 31 जनवरी तक लॉकडाउन को बढ़ाने पर सहमत हो गई हैं ताकि कोरोना महामारी के फैलाव को रोका जा सके. मंगलवार को चांसलर मैर्केल और राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक हो रही है. इसके बाद लॉकडाउन को बढ़ाने का आधिकारिक ऐलान होने की संभावना है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने वार्ताकार टीम के हवाले से रिपोर्ट दी है, "दो राज्यों को छोड़कर बाकी सभी राज्य लॉकडाउन को जनवरी के अंत तक बढ़ाने पर सहमत हैं." वहीं समाचार पत्र समूह आरएनडी का कहना है कि राज्यों के बीच डेकेयर और स्कूलों को बंद रखे जाने के प्रस्ताव पर सबसे ज्यादा विवाद हो रहा है. सरकारी प्रसारक एआरडी की रिपोर्ट के मुताबिक जर्मनी के संस्कृति मंत्रालय ने कहा है कि स्कूलों में बच्चों को एक साथ क्लास में बैठकर पढ़ने की अनुमति तभी दी जा सकेगी जब लॉकडाउन में ढील दी जाए.
नाकाफी पाबंदियां
छह दिसंबर से लागू लॉकडाउन के तहत जर्मनी में शॉपिंग स्टोर, स्कूल और अन्य सेवाओं को बंद रखा गया है. सिर्फ सुपरमार्केट खुले हुए हैं ताकि लोगों को खाना खरीदने में कोई दिक्कत ना आए. मौजूदा लॉकडाउन 10 जनवरी तक है. लेकिन कोरोना के मामले और उससे होने वाली मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है जिसे देखते हुए सरकार लॉकडाउन की अवधि को बढ़ाने के लिए मजबूर है.
जर्मनी में कोरोना की स्थिति पर नजर रखने वाली संस्था रॉबर्ट कॉख इंस्टीट्यूट का कहना है कि अभी प्रति एक लाख में 139.6 लोग संक्रमित हैं. यह संख्या प्रति एक लाख 50 संक्रमण की उस सीमा से कहीं ज्यादा है जो सरकार ने पाबंदियों में ढील देने के लिए रखी है.
अवधि पर असहमति
जर्मन अखबार फ्रांकफुर्टर अल्गेमाइने साइटुंग की रिपोर्ट का कहना है कि शनिवार को हुई वीडियो कांफ्रेसिंग के दौरान राज्यों के मुख्यमंत्री लॉकडाउन को बढ़ाने पर राजी थे लेकिन उनके बीच इस बात पर मतभेद है कि इसे कितने समय के लिए बढ़ाया जाए. कोरोना संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्री लॉकडाउन को तीन हफ्तों तक बढ़ाने के हक में हैं जबकि जिन राज्यों में ज्यादा संक्रमण नहीं हैं, वहां के मुख्यमंत्रियों की दलील है कि दो हफ्ते तक बढ़ाना पर्याप्त होगा.
सेक्सनी राज्य सबसे ज्यादा कोरोना से पीड़ित है. वहां के मुख्यमंत्री मिषाएल क्रेचमर का कहना है कि लॉकडाउन को बढ़ाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है.
एके/आईबी (एएफपी, डीपीए, रॉयटर्स)
वॉशिंगटन, 5 जनवरी | भारतवंशी नीरज अंतानी ने सोमवार को अमेरिका के ओहायो के सीनेटर के तौर पर शपथ ली और इसी के साथ वह राज्य की सीनेट का हिस्सा बनने वाले भारतीय मूल के पहले अमेरिकी बन गए हैं। मीडिया रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है। वह छठे जिले से ओहायो राज्य सीनेट चुने गए हैं। साल 2015 के जनवरी से राज्य प्रतिनिधि के तौर पर काम करने वाले अंतानी ने शपथ ग्रहण करने के तुरंत बाद ट्वीट करते हुए कहा, आज आधिकारिक तौर पर राज्य सीनेटर के रूप में शपथ लेकर वाकई में सम्मानित महसूस कर रहा हूं। आज ओहायो इतिहास में मैं पहला भारतीय-अमेरिकी राज्य सीनेटर बना हूं, इसलिए मैं हर दिन कड़ी मेहनत करने का प्रण लेता हूं ताकि ओहायोवासियों को अपने सपनों को पूरा करने का मौका मिले।
उन्होंने आगे लिखा, "जिस समुदाय में मैं पला-बढ़ा हूं, उसका प्रतिनिधित्व कर पाने के चलते मैं बेहद आभारी हूं। मेरे सभी मतदाताओं, समर्थकों और टीम को धन्यवाद।"
29 वर्षीय एंटनी ने नवंबर 2020 के चुनाव में डेमोक्रेट मार्क फोगेल को हराया है।
अमेरिकन बाजार ने अपनी रिपोर्ट में कहा, छठे राज्य सीनेट में दक्षिणी, पूर्वी और उत्तरी मॉन्टगोमरी काउंटी शामिल हैं, जिसकी भारतीय-अमेरिकी आबादी 87,000 से अधिक है।
अंतानी पहली दफा साल 2014 में 42 जिलों में से ओहायो स्टेटहाउस के लिए निर्वाचित किए गए थे। 23 साल की उम्र में वह हाउस के सबसे युवा सदस्य थे। (आईएएनएस)
पाकिस्तान में लाहौर हाई कोर्ट ने पंजाब प्रांत में बलात्कार पीड़ितों के कौमार्य परिक्षण पर प्रतिबंध लगा दिया है. एक्टिविस्टों को उम्मीद है की जल्द यह प्रतिबंध पूरे देश में लागू होगा और बलात्कार पीड़ितों को थोड़ी राहत मिलेगी.
बलात्कार पीड़ितों का कौमार्य परीक्षण का इस्तेमाल पाकिस्तान में महिला की तथाकथित प्रतिष्ठा के मूल्यांकन के लिए लंबे समय से होता रहा है. इसमें "दो उंगलियों वाला टेस्ट" भी शामिल है. कौमार्य परीक्षण के आलोचकों ने परीक्षण को बैन करवाने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दी थी.
विश्व स्वास्थ्य संगठन पहले ही कह चुका है कि इस तरह के परीक्षण की कोई वैज्ञानिक उपयोगिता नहीं होती और इससे बलात्कार पीड़ितों के मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है. कौमार्य परीक्षण को अवैध बताते हुए लाहौर हाई कोर्ट ने कहा कि यह, "पीड़िता की व्यक्तिगत मर्यादा को चोट पहुंचाता है और इस वजह से यह जीने के अधिकार और मर्यादा के अधिकार के खिलाफ है."
इस तरह के परीक्षण के पैरोकार दावा करते हैं कि इससे महिला की यौन गतिविधियों के इतिहास का पता लगाया जा सकता है. इस तरह के नतीजों का इस्तेमाल अक्सर बलात्कार पीड़ितों को बदनाम करने के लिए किया जाता है. पाकिस्तानी समाज का अधिकांश हिस्सा प्रतिष्ठा की एक दमनकारी व्यवस्था के तहत काम करता है जिसमें बलात्कार पीड़ितों को सामाजिक लांछनों का सामना करना पड़ता है और बड़ी संख्या में महिलाओं पर हिंसक हमलों की पुलिस से शिकायत भी नहीं की जाती.
जिस याचिका पर अदालत ने यह फैसला दिया उसे दायर करने वाले वकीलों ने एक बयान जारी कर कहा कि यह फैसला, "तहकीकात संबंधी और न्यायिक प्रक्रियाओं को सुधारने और उन्हें यौन हमले और बलात्कार के पीड़ितों के प्रति और न्यायपूर्ण बनाने की दिशा में एक अति-आवश्यक कदम है."
इससे पहले पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने दिसंबर में दो उंगलियों वाले टेस्ट पर बैन लगा दिया था. यह कदम एक नए बलात्कार विरोधी कानून के तहत उठाया गया था. इस पर तो इस नए कानून के तहत प्रतिबंध लग गया है लेकिन योनिच्छद या हाइमन में खरोंचें और चोट के निशानों की दृश्य जांच की अनुमति अब भी है.
लाहौर हाई कोर्ट के फैसले से पंजाब प्रांत में हर तरह का कौमार्य परीक्षण प्रतिबंधित हो गया है और यह पाकिस्तान में इस तरह का पहला आदेश है. इसी तरह के एक और मामले पर सिंध हाई कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है और महिला अधिकार एक्टिविस्टों को उम्मीद है कि लाहौर हाई कोर्ट का फैसला देशव्यापी प्रतिबंध के लिए मिसाल बनेगा. भारत में दो उंगलियों वाली जांच को 2013 में ही और बांग्लादेश में 2018 में बैन कर दिया गया था.
सीके/एए (एएफपी)
एक कूटनीतिक सफलता में सऊदी अरब लंबे समय तक चले संकट के बाद कतर के लिए अपनी सीमाओं और हवाई क्षेत्र को खोलने के लिए तैयार हो गया है.
कुवैत के विदेश मंत्री अहमद नसर अल-सबाह ने कहा है कि सऊदी अरब हवाई, समुद्री और जमीनी सीमाओं को कतर के लिए खोलने को सहमत हो गया है. यह एक ऐसा संकेत है जिससे लगता है कि खाड़ी में वर्षों पुराने विवाद का अंत हो रहा है. कुवैत की सरकारी न्यूज एजेंसी केयूएनए पर विदेश मंत्री अल-सबाह ने मंगलवार को सऊदी अरब में खाड़ी देशों के नेताओं की बैठक से पहले यह घोषणा की.
2017 में कतर विरोधी गठजोड़ ने कतर के साथ अपने व्यापार और सभी राजनयिक संपर्क तोड़ लिए थे. इतना ही नहीं, कतर से जुड़ने वाले जमीन, समुद्र और हवाई मार्ग भी बंद कर दिए थे. सऊदी अरब, यूएई, बहरीन और मिस्र ने कतर पर आतंकवादी संगठनों का समर्थन करने का आरोप लगाया था. हालांकि दोहा इन आरोपों से इनकार करता रहा. कुवैत और अमेरिका तब से इस संकट का समाधान करने के लिए मध्यस्थता करने की कोशिश में थे.
अल-सबाह ने अपने बयान में कहा गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल (जीसीसी) की बैठक से पहले कुवैत के अमीर नवाफ अल-अहमद अल सबाह ने कतर के अमीर तमीम बिन हमद अल थानी और सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से फोन पर बात की. उन्होंने कहा, "फोन कॉल के दौरान हर किसी ने एकता और दोबारा मिलने के लिए उत्सुकता जताई...और वे सम्मेलन में समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे, जो एक उनके भाईचारे के संबंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत करेगा." उन्होंने कहा कि सऊदी अरब और कतर ने कुवैती अमीर के उस प्रस्ताव पर सहमति जताई कि हवा, समुद्र और जमीनी सीमाएं सोमवार शाम से खोल दी जाएंगी. 2017 के बाद पहली बार कतर के अमीर जीसीसी की बैठक में शामिल होने जा रहे हैं.
जैरेड कुशनर की जीत?
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के दामाद और सलाहकार जैरेड कुशनर की तारीफ अल थानी ने की है. उन्होंने पिछले साल दिसंबर में उनके मध्य पूर्व के दौरे के दौरान अरब देशों के बीच अंतर को पाटने के प्रयासों के लिए प्रशंसा की है. कुशनर की मंगलवार को होने वाले समझौते के दौरान कार्यक्रम में मौजूद रहने की खबरें हैं. इस समझौते पर व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने कहा, "यह एक बड़ी सफलता है. इससे क्षेत्र में और स्थिरता आएगी."
कुशनर के बारे में यह भी कहा जाता है कि साल 2020 में अरब देशों और इस्राएल के साथ रिश्ते सामान्य करने के समझौतों में उन्होंने अहम भूमिका निभाई है. मध्य पूर्व में नई कूटनीति ईरान के खिलाफ एक संयुक्त मोर्चा बनाने के रूप में देखी जा रही है.
एए/सीके (रॉयटर्स, डीपीए, एपी)
संयुक्त राष्ट्र, 5 जनवरी | भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में एक गैर-स्थायी सदस्य के रूप में अपने दो साल के कार्यकाल का शुभारंभ किया। इसके साथ ही एक विशेष समारोह के दौरान भारत का तिरंगा न्यू यॉर्क सिटी के संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में सोमवार से फहराने लगा। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी.एस. तिरुमूर्ति ने कहा, यह मेरे देश के लिए और मेरे प्रतिनिधिमंडल के लिए गर्व का क्षण है।
उन्होंने कहा, भारत सुरक्षा परिषद में मानवता के छठे हिस्से का प्रतिनिधित्व करने वाले सबसे बड़ा लोकतंत्र है। भारत बहुपक्षवाद, कानून का शासन, एक निष्पक्ष और न्यायसंगत अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली और शांति, सुरक्षा और विकास के लिए प्रतिबद्ध है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक हम लोकतंत्र, बहुलवाद और मौलिक अधिकारों के प्रति प्रतिबद्धता को लेकर एक साथ खड़े हैं।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछले साल यूएनजीए में दिए गए भाषण का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, भारत विकासशील देशों के लिए एक आवाज बनेगा।
भारत अगस्त 2021 में और फिर 2022 में यूएनएससी की अध्यक्षता करेगा। यूएनएससी की अध्यक्षता प्रत्येक सदस्य द्वारा एक महीने के लिए की जाती है। भारत के अलावा आयरलैंड, केन्या, मैक्सिको और नॉर्वे गैर-स्थायी सदस्य के रूप में यूएनएससी में शामिल हुए।(आईएएनएस)
लंदन, 5 जनवरी | ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कोरोनावायरस के कारण इंग्लैंड में एक और लॉकडाउन की घोषणा कर दी है। महामारी शुरू होने के बाद इंग्लैंड में यह तीसरा लॉकडाउन है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने बताया कि लॉकडाउन मंगलवार सुबह 12 बजे से लागू हुआ। सोमवार को टेलिविजन पर दिए गए अपने संबोधन में उन्होंने देश भर के लोगों से आग्रह किया कि केवल उन कारणों के लिए घर से बाहर निकलें, जिनकी अनुमति सरकार ने दी है।
नए लॉकडाउन के तहत केवल उन लोगों को काम पर जाने की अनुमति दी गई है जिनके लिए घर से काम करना असंभव है। जैसे कि निर्माणकार्यों में लगे श्रमिक। इसके अलावा ब्रिटेन के लोगों को भोजन और दवाओं जैसी जरूरी चीजें खरीदने के लिए दिन में एक बार बाहर निकलने की छूट है।
इस बीच सभी स्कूल और कॉलेज मंगलवार से बंद हो जाएंगे और फरवरी के मध्य तक ऑनलाइन पढ़ाई करेंगे।
जॉनसन ने कहा कि स्कूल असुरक्षित नहीं थे और बच्चों के नए कोविड-19 स्ट्रैन से भी प्रभावित होने की बहुत संभावना नहीं है। यह नया स्ट्रैन पिछले महीने देश में मिला है और यह संचरण में 70 फीसदी अधिक तेज है। लेकिन स्कूल इसके ट्रांसमिशन का जरिया बन सकते हैं और वायरस घरों में फैल सकता है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, ब्रिटेन में सोमवार को कोविड-19 के 58,784 नए मामले मिले हैं। जो कि अब तक का सबसे बड़ा दैनिक आंकड़ा है। देश में अब तक कुल 27,21,622 मामले और 75,547 मौतें दर्ज हो चुकी हैं।(आईएएनएस)
लंदन, 5 जनवरी | गायिका गेरी हॉर्नर का कहना है कि जब वह अपनी महिला मित्रों के साथ होती हैं तो वह हमेशा खुद में ज्यादा आत्मविश्वास महसूस करती हैं। फीमेल फर्स्ट डॉट को डॉट यूके की रिपोर्ट के मुताबिक स्पाइस गर्ल्स की सदस्य ने अपनी यूट्यूब सीरीज 'रेनबो वुमन' के एक नए एपिसोड में सिस्टरहुड के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा है, "जब मैं स्पाइस गर्ल्स में थी उस समय मैं छोटी थी और हम एक साथ एक कमरे में प्रवेश करते थे। जब आप एक समूह में होते हैं तो आपको थोड़ा ज्यादा आत्मविश्वास महसूस होता है। यह फीमेल पैक मेंटलिटी है।"
उन्होंने आगे कहा, "मुझे उसी तरह के महिला समर्थन की, उस तरह से मुझे समझने वाले लोगों की, उस संबंध की जरूरत है जो मुझे केवल उन लोगों से ही मिल सकता है। मुझे लगता है कि महिला के रूप में हम एक-दूसरे को अच्छे से समझते हैं और सराहना करते हैं।"
इस एपिसोड में गैरी मादा हाथियों के झुंड के साथ समय बिताते नजर आती हैं और उन चीजों के बारे में बताती हैं जो बीते कई सालों में उन्हें प्रकृति ने सिखाए हैं।
उन्होंने कहा, "मुझे हमेशा दूसरी महिलाओं के आस-पास रहना पसंद है। मेरा अन्य महिलाओं के साथ जो कनेक्शन है, उससे मैं हमेशा उंचा महसूस करती हूं। यह एक अलग ही भाषा है। हम एक-दूसरे की देखभाल कर सकते हैं। आप एक-दूसरे की पीठ ठोक सकते हैं। इनमें एकता है और ये हाथी हमें ये सब सिखाते हैं।"
--आईएएनएस