अंतरराष्ट्रीय
(ललित के झा)
वाशिंगटन, 16 सितंबर। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नवंबर में मध्यावधि चुनाव से पहले प्रभावशाली भारतीय-अमेरिकी समुदाय को लुभाने के लिए भारत-अमेरिका की मित्रता के संबंध में हिंदी में तैयार एक नारे का अभ्यास करते नजर आए।
रिपब्लिकन हिंदू कोलिशन (आरएचसी) द्वारा जारी वीडियों में ट्रंप ‘भारत एंड अमेरिका सबसे अच्छे दोस्त’ नारे का अभ्यास करते दिख रहे हैं। 30 सेकंड के इस वीडियो में ट्रंप शिकागो के कारोबारी एवं आरएससी के सदस्य शलभ कुमार के साथ बैठे नजर आ रहे हैं।
यह नया नारा ट्रंप के 2016 के ‘अबकी बार ट्रंप सरकार’ नारे से प्रेरित है। इस नारे ने भारतीय अमेरिकियों का ध्यान आकर्षित किया था और कई प्रमुख प्रांतों में रिपब्लिकन पार्टी को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी।
‘अबकी बार ट्रंप सरकार’ और ‘भारत एंड अमेरिका सबसे अच्छे दोस्त’ के नारे तैयार करने में अहम भूमिका निभाने वाले कुमार ने इस सप्ताह ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा था कि उन्होंने और आरएचसी ने भारतीय-अमेरिकी समर्थन हासिल करने के लिए भारतीय मीडिया में पूर्व राष्ट्रपति के नए नारे का प्रचार करने की योजना बनाई है।
राजनीतिक पर्यवेक्षक और ताजा सर्वेक्षण इशारा करते हैं कि मध्यावधि चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी को प्रतिनिधि सभा में एक बार फिर बहुमत मिल सकता है।
कुमार ने कहा, ‘‘मुख्य मकसद सीनेट में पांच (रिपब्लिकन) उम्मीदवारों के लिए भारी समर्थन जुटाना है, जहां मतों का अंतर 50,000 से भी कम रहेगा और कुछ सीट पर तो यह 10,000 या पांच हजार मत के आसपास भी रह सकता है।’’
उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘‘हिंदू मतों से अंतर पड़ेगा। इनमें स्वतंत्र मतदाताओं की सबसे बड़ी संख्या है।’’
कुमार और आरएचसी 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप के प्रचार अभियान का महत्वपूर्ण हिस्सा थे, लेकिन 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में दोनों अलग हो गए थे।
कुमार ने कहा कि उन्होंने इस साल 21 मार्च को मार-ए-लागो में ट्रंप से मुलाकात की थी। उसके बाद भी दोनों के बीच कुछ बैठकें हुई हैं।
अमेरिका के पंजीकृत मतदाताओं में करीब एक प्रतिशत भारतीय-अमेरिकी हैं। (भाषा)
पाकिस्तान ने गुरुवार को कहा कि उसने आधिकारिक तौर पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी मसूद अज़हर के अफगानिस्तान में मौजूदगी का मुद्दा, अफ़ग़ान अधिकारियों के सामने उठाया है.
पाकिस्तान के इस बयान से एक दिन पहले ही तालिबान सरकार ने जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अज़हर की अफ़गानिस्तान में मौजूदगी की ख़बरों को ख़ारिज कर दिया था.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता आसिम इफ़्तिखार अहमद से गुरुवार को अज़हर की अफ़ग़ानिस्तान में मौजूदगी के बारे में पूछने पर उन्होंने यह जवाब दिया.
उन्होंने कहा कि वह UN द्वारा घोषित अपराधी है और पाकिस्तान में आतंकवाद से संबंधित कई मामलों में वांटेड है.
प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान के साथ ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय के पास इस बात पर विश्वास करने की पर्याप्त वजह है कि अफ़ग़ानिस्तान में अब भी कई ऐसे इलाके हैं जिसका इस्तेमाल आतंकवादी गुट सुरक्षित पनाहगाह के रूप में करते हैं.
उन्होंने अफ़गान अधिकारियों से अपील की है कि वे अफ़ग़ानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी भी देश के ख़िलाफ नहीं होने देने के अपने आश्वासन पर कदम उठाएं.
अफ़ग़ानिस्तान की तालिबान सरकार ने बुधवार को अज़हर की इस देश में मौजूदगी की ख़बरों को सीधे तौर पर ख़ारिज कर दिया था.
तालिबान ने कहा था कि वे अफ़ग़ान भूमि का दूसरे देशों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल की अनुमति नहीं देते हैं. (bbc.com/hindi)
(सज्जाद हुसैन)
इस्लामाबाद, 15 सितंबर। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि पाकिस्तान के बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए 15 करोड़ डॉलर उपलब्ध कराने का संकल्प जताया गया था लेकिन अब तक केवल 3.8 करोड़ डॉलर की सहायता प्राप्त हो सकी है।
संयुक्त राष्ट्र के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बृहस्पतिवार को मीडिया में यह खबर सामने आई।
‘डॉन’ अखबार की खबर के मुताबिक, पाकिस्तान में विनाशकारी बाढ़ के कारण 1,400 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 78,000 वर्ग किलोमीटर की फसलें बाढ़ की चपेट में हैं।
कई देश इस संकट में पाकिस्तान को सहायता प्रदान करने के लिए आगे आए हैं।
पाकिस्तान और संयुक्त राष्ट्र ने 16 करोड़ डॉलर के प्रारंभिक वित्त पोषण के लिए अपील जारी की है, जिसमें से कई देशों की ओर से 15 करोड़ डॉलर की सहायता का संकल्प जताया गया है।
संयुक्त राष्ट्र के केंद्रीय आपातकालीन प्रतिक्रिया कोष के अलावा अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, जापान, डेनमार्क, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर मुख्य दानदाताओं में शामिल हैं।
खबर में संयुक्त राष्ट्र के स्थानीय एवं मानवीय समन्वयक जूलियन हार्निस के हवाले से कहा गया, ‘‘हम आर्थिक सहायता जुटाने के अभियान में काफी सफल रहे हैं और मौजूदा परिस्थितियों में 15 करोड़ डॉलर की सहायता के लिए संकल्प जताया जाना अहम है। त्वरित अपील के तहत अब तक केवल 3.8 करोड़ डॉलर की सहायता प्राप्त हो सकी है।’’(भाषा)
वाशिगंटन, 15 सितंबर | पिछली सदी की तुलना में हाल के दशकों में न्यूजीलैंड के आसपास समुद्र का स्तर तेजी से बढ़ा है। देश के सांख्यिकी विभाग स्टैट्स एनजेड ने गुरुवार को यह जानकारी दी है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, स्टैट्स एनजेड के हाल ही में अपडेट किए गए पर्यावरण संकेतक कोस्टल सी-लेवल राइज के अनुसार, पूरे न्यूजीलैंड में चार तटीय निगरानी स्थलों पर पिछले 60 वर्षों में सापेक्ष वार्षिक समुद्र का स्तर तेजी से बढ़ा है।
स्टैट्स एनजेड पर्यावरण और कृषि सांख्यिकी वरिष्ठ प्रबंधक मिशेल लॉयड ने एक बयान में कहा, "भविष्य के जलवायु परिवर्तन अनुमानों से संकेत मिलता है कि समुद्र के स्तर में वृद्धि जारी रहेगी। बढ़ते समुद्र के स्तर तटीय समुदायों, बुनियादी ढांचे, तटीय आवासों और जैव विविधता को प्रभावित करते हैं।"
लॉयड ने कहा, 1901 से 1960 की तुलना में पिछले 60 वर्षों में चार मुख्य स्थलों -- ऑकलैंड, वेलिंगटन, लिटलटन और डुनेडिन में समुद्र का स्तर तेजी से बढ़ा।
उन्होंने कहा कि, समुद्र के स्तर में वृद्धि की दर पिछले 60 वर्षों में दोगुनी हो गई है, जब रिकॉर्ड रखने का काम पहली बार 1960 से शुरू हुआ था।
जिन स्थानों पर 120 वर्षों में निगरानी की गई उनमें क्राइस्टचर्च के निकट लिटलटन में 2.24 मिमी/वर्ष सापेक्ष समुद्र-स्तर में वृद्धि देखी गई।
इस बीच, 1961 और 2020 के बीच सभी निगरानी स्थलों की वार्षिक औसत समुद्र-स्तर वृद्धि की दर में सबसे बड़ी वृद्धि राजधानी वेलिंगटन में देखी गई।
जलवायु परिवर्तन समुद्र के स्तर में वृद्धि के मुख्य कारणों में से एक है। चूंकि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पृथ्वी के वायुमंडल को गर्म कर रहा है, ये गर्मी महासागर द्वारा अवशोषित की जाती है।
उन्होंने कहा कि, गर्म होने पर समुद्री जल का विस्तार, ग्लेशियरों के पिघलने और बर्फ की चादरों के कारण समुद्र की मात्रा में वृद्धि के साथ, समुद्र के स्तर में वृद्धि में योगदान देता है।
राष्ट्रीय जल और वायुमंडलीय अनुसंधान संस्थान और भूमि सूचना न्यूजीलैंड द्वारा तटीय समुद्र-स्तर वृद्धि संकेतक के लिए डेटा प्रदान किया गया है।
तटीय समुद्र-स्तर वृद्धि संकेतक को आखिरी बार 2019 में अपडेट किया गया था। (आईएएनएस)|
बीजिंग, 15 सितम्बर| इस साल के 12वें तूफान मुइफा ने पहले चीन के झेजियांग प्रांत के झोउशान तट पर और गुरुवार को शंघाई के फेंग्जियान जिले में दस्तक दी। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, पहला लैंडफॉल बुधवार रात करीब 8.30 बजे और दूसरा गुरुवार सुबह 12.30 बजे दर्ज किया गया।
प्रांतीय बाढ़ नियंत्रण, आंधी और सूखा राहत मुख्यालय के अनुसार, झोउशान में पुटुओ के तट पर तूफान की रफ्तार 151.2 किमी प्रति घंटे थी।
मुख्यालय ने मंगलवार शाम 5 बजे तूफान आपातकालीन प्रतिक्रिया स्तर को उच्चतम स्तर पर अपग्रेड किया।
स्थानीय अधिकारियों ने बुधवार सुबह अचानक आई बाढ़ को लेकर रेड अलर्ट भी जारी किया।
बुधवार शाम तक, झेजियांग के 1.3 मिलियन से अधिक निवासियों को स्थानांतरित कर दिया गया, जबकि कुल 11,680 मछली पकड़ने वाली नौकाएं बंदरगाह पर लौट आईं।
इस बीच शंघाई में, तूफान की रफ्तार 126 किमी प्रति घंटे थी और इसके केंद्र में 975 हेक्टोपास्कल का वायुमंडलीय दबाव था।
1949 के बाद से शंघाई में कुल 10 तूफान आए हैं, जिनमें मुइफा सबसे शक्तिशाली है।
जिआंगसु और शेडोंग प्रांतों में मुइफा के कमजोर होने की संभावना है। बताया जा रहा है कि बोहाई सागर में प्रवेश करने के बाद शुक्रवार को मुइफा एक साइक्लोन में बदल जाएगा। (आईएएनएस)|
पेरिस, 15 सितंबर | सोमवार से फ्रांस के दक्षिण-पश्चिमी विभाग जिरोंद में 3,700 हेक्टेयर से अधिक भूमि आग में जल गई है। इस बात की जानकारी जिरोंद के प्रीफेक्च र ने एक बयान में दी। प्रीफेक्च र ने बुधवार को कहा कि, जेंडरमेस ने बुधवार को 1,000 और लोगों को वहां से निकाला गया, जिससे सोमवार से निकासी की कुल संख्या 1,840 हो गई।
प्रीफेक्च र ने कहा, "जिरोंद और अन्य विभागों के 1,000 से अधिक अग्निशामकों को जुटाया जा रहा है। छह कैनेडायर, तीन डैश और दो वाटर बॉम्बर हेलीकॉप्टर इलाके में तैनात किए गए हैं।"
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, प्रीफेक्च र ने कहा कि, ले पोर्गे और अन्य नगर पालिकाओं में निकासी के लिए आपातकालीन आवास की पेशकश की जा रही है।
प्रीफेक्च र ने नोट किया कि, जंगल की आग नियंत्रित हुई है लेकिन तेज हवाओं के कारण फिर से बढ़ जाती है।
इसने जंगल की आग वाले क्षेत्रों के पास रहने वालों धुएं से बचने के लिए एफएफपी2 या एफएफपी3 मास्क पहनने को कहा गया है।
स्थानीय मीडिया ने बताया कि इस गर्मी में शुष्क मौसम और लू के कारण जिरोंद में 30,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि जल गई। (आईएएनएस)|
यूक्रेन में एक जलाशय पर बनी बांध पर मिसाइल हमले के बाद लोग बाढ़ के ख़तरे का सामना कर रहे हैं.
स्थानीय लोगों ने मांग की है कि उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले जाया जाए.
इलाक़े के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को कहा था कि क्रिवइ रिह के दो जिलों की 22 सड़कें इससे प्रभावित हैं.
अधिकारियों ने बताया कि बांध में दरारों से 100 क्यूबिक मीटर प्रति सेकेंड की दर से पानी बहने से इनहुलेट्स नदी का जलस्तर खतरनाक रूप से बढ़ रहा है.
यूक्रेन का दावा है कि उसके जवाबी हमले से परेशान होकर रूस ने यह हमला किया है.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने रूस को ‘आतंकवादी देश’ बताया है.
ज़ेलेंस्की ने बुधवार देर रात कहा, ‘‘कायर ही आम नागरिकों पर हमले करते हैं.’’
ज़ेलेंस्की की पैदाइश क्रिवइ रिह की है और वह बुधवार देर रात लोगों को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा, ‘‘ वे बदमाश जो युद्ध के मैदान से भाग खड़े हुए हैं, वे दूर से हमले करके नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं.’’
ज़ेलेंस्की इस बयान में देश के उत्तर-पूर्वी खारकीएव क्षेत्र में मिली सैन्य सफलता का हवाला दे रहे थे. हालांकि, यूक्रेन को किस स्तर तक सफलता मिल पाई है, इसकी पुष्टि अभी बीबीसी ने नहीं की है.
ज़ेलेंस्की ने कहा कि यह जलाशय ‘सैन्यअभियान के लिहाज़ से महत्वपूर्ण नहीं था.’’
अधिकारियों ने बताया है कि इससे जलापूर्ति प्रभावित हो गई है और 600,000 लोगों के बाढ़ से प्रभावित होने का ख़तरा है.
हालांकि, अब तक इस कथित हमले पर रूस की प्रतिक्रिया नहीं आई है. (bbc.com/hindi)
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की की कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई है. सरकार ने एक प्रवक्ता ने ये जानकारी दी है.
एक संक्षिप्त बयान में सर्गी निकिफ़ोरोव ने कहा है कि एक निजी कार, राष्ट्रपति की आधिकारिक कार से टकरा गई.
उन्होंने कहा, "राष्ट्रपति की डॉक्टर ने जांच की है और पाया है कि उन्हें कोई गंभीर चोट नहीं लगी है."
राष्ट्रपति के काफ़िले से टकराई निजी कार के मालिक को भी चोटें आई थीं. उन्हें उपचार के लिए एंबुलेंस के ज़रिए अस्पताल में पहुँचाया गया.
अधिकारियों का कहना है कि इस दुर्घटना के सभी पहलुओं की विस्तृत जांच हो रही है. प्रवक्ता ने इससे अधिक जानकारी नहीं दी है.
इससे पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति वोल्दोमीर ज़ेलेंस्की, इज़ियम शहर पहुंचे जिसे यूक्रेनी सेना ने रूसी कब्ज़े से छुड़ा लिया है.
अपने दौरे पर ज़ेलेस्की ने उन सैनिकों को शुक्रिया कहा जिन्होंने रूस पर हमले को अंजाम किया. इसके अलावा उन्होंने यूक्रेन के झंडे के ध्वजारोहण में हिस्सा लिया. यूक्रेन के अधिकारियों का कहना है कि वो डोनबास के इलाकों को निशाना बना रहे है.
हाल के दिनों में यूक्रन की सेना ने कई वैसे इलाक़ों पर कब्ज़ा किया जहां रूसी सेना मौजूद थी, वहां उन्होंने रूसी सेना को पीछे खदेड़ा. ज़ेलेंस्की ने कहा कि वो ख़ारकीएव के 8000 वर्ग किलोमीटर में अपनी पकड़ मज़बूत कर रहे हैं. (bbc.com/hindi)
एक चीनी दंपति की प्रशांत क्षेत्र में स्थित मार्शल द्वीपों में एक मिनी स्टेट बनाने की साज़िश की इन दिनों खूब चर्चा है.
इस फ़र्जीवाड़े को लेकर चले मुकदमे से जुड़े अमेरिकी वकीलों का कहना है कि उन्होंने अपना काम निकालने के लिए सांसदों और अधिकारियों को रिश्वत दी.
मार्शल आईलैंड्स हवाई और ऑस्ट्रेलिया के बीच कई द्वीपों की एक श्रृंखला है. पहले यह अमेरिका के अधीन था, लेकिन 1979 में इसे आज़ादी मिल गई थी.
हालांकि ये प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका का रणनीतिक अड्डा बना रहा. यहां अमेरिका अपने सुरक्षा गठजोड़ के साथ कायम है, लेकिन चीन यहां तेज़ी से अपना असर बढ़ाने की कोशिश में है.
दोनों ने मार्शल आइलैंड्स के एक सुदूर द्वीप में अर्द्ध स्वायत्त क्षेत्र कायम करने के लिए वहां के सांसदों पर दबाव डालने की कोशिश की.
इस तरह प्रशांत क्षेत्र में स्थित इस देश में विदेशी पहुंच का संदेह पैदा हो गया है.
मार्शल आईलैंड्स की संप्रभुता पर चोट की कोशिश
हालांकि मार्शल आइलैंड्स सरकार ने ऐसे आरोपों का अब तक कोई जवाब नहीं दिया है. जबकि अमेरिका के विपक्षी दल इस बारे में कई बार सवाल उठा चुके हैं.
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि मिनी स्टेट बनाने की कोशिश करने वाले केरी यान और जिना झाऊ ने इस द्वीपीय देश की संप्रभुता को नुक़सान पहुंचाने का काम किया है.
अमेरिकी वकीलों (सरकारी अभियोजकों) का कहना है कि इन दोनों की वजह से मार्शल आईलैंड्स की संसद में 2018 और 2020 में अर्द्ध स्वायत्त क्षेत्र के गठन पर चर्चा हुई थी.
इन लोगों का कहना है कि चार्जशीट में मार्शल आईलैंड्स के जिन अनाम सांसदों ने इस बिल के समर्थन में वोट दिया उन लोगों को सात हज़ार से लेकर 22 हज़ार डॉलर तक रिश्वत दी गई.
कैसे हुआ साज़िश का भंडाफोड़
बहरहाल मार्शल आईलैंड्स में मिनी स्टेट बनाने की साज़िश रचने वाले इस जोड़े को 2020 में थाईलैंड में हिरासत में लिया गया था. पिछले सप्ताह उन्हें अमेरिका ले जाया गया.
न्यूयॉर्क में सदर्न डिस्ट्रिक्ट के अटॉर्नी डेमियन विलियम्स ने कहा, '' यान और झाऊ ने मार्शल आईलैंड्स की संप्रभुता और संसदीय मर्यादा का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन करते हुए रिश्वत दी ''
वकीलों का कहना है कि यान और झाऊ न्यूयॉर्क में एक एनजीओ चलाते थे. इसी के ज़रिये इन लोगों ने मार्शल आईलैंड्स के अधिकारियों से संपर्क किया और उन्हें रिश्वत दी.
ये एनजीओ 2016 में शुरू हुआ था. एक सुदूर द्वीप रॉन्जलेप पर एक अर्द्ध स्वायत्त क्षेत्र बनाने की कोशिश में इन लोगों ने मार्शल आईलैंड्स के सांसदों से संपर्क किया था. 1950 में यहां अमेरिका ने हाइड्रोजन बम की टेस्टिंग की थी. इसके बाद से इस द्वीप को यूं ही छोड़ दिया गया था.
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि यान और झाऊ का इरादा काफ़ी हद तक इस द्वीप के क़ानून को बदल देने का था. मसलन, वो चाहते थे कि इस द्वीप में लोगों की टैक्स में कटौती की जाए. यहां लोगों के आने पर जो पाबंदी लगी है उन्हें भी शिथिल किया जाए.
आरोप है कि इन लोगों ने मार्शल आईलैंड्स के छह सांसदों के साथ खाना-पीना किया था. न्यूयॉर्क और हॉन्गकॉन्ग के होटलों में उनके ठहरने और फ़्लाइट टिकट का इंतज़ाम किया गया था. यहां अर्द्ध स्वायत्त क्षेत्र के गठन के लेकर एक कॉन्फ्रेंस हुई थी और ये लोग उनके खर्चे पर यहां आए थे.
इनमें से एक अधिकारी ने रिश्वत लेकर यान को मार्शल लैंड्स का विशेष सलाहकार बनाया था.
जिन सांसदों ने रिश्वत ली थी उन्होंने 2018 में संसद में अर्द्ध स्वायत्त क्षेत्र के गठन के समर्थन में बिल पेश किया था.
हालांकि ये बिल पारित नहीं हो सका क्योंकि उस वक्त आईलैंड्स की राष्ट्रपति हिल्दा हिन ने इसका कड़ा विरोध किया था. हिल्दा ने उस समय कहा था कि विपक्षी दल चीन की ओर से काम कर रहे हैं और सुदूर द्वीपीय क्षेत्र में 'देश के भीतर देश' कायम करना चाहते हैं.
2019 में हिल्दा चुनाव हार गईं. नई संसद के गठन के बाद 2020 में एक प्रस्ताव पारित हुआ जिसने अर्द्ध स्वायत्त क्षेत्र का समर्थन किया. इसने इस तरह के क्षेत्र के गठन के लिए एक नए बिल का रास्ता साफ़ किया.
लेकिन पिछले साल यान और झाऊ थाईलैंड में पकड़ लिए गए. उन पर अमेरिका में विदेश में साज़िश रचने का आरोप लगाया गया. उनके ख़िलाफ़ मनी लॉन्ड्रिंग और रिश्वत देने से जुड़े मुकदमे किए गए. पिछले सोमवार को पूर्व राष्ट्रपति हिल्दा हिन ने ये मामला उठाया और कहा कि मार्शल आईलैंड्स की सरकार इस मुद्दे को सुलझाए.
उन्होंने पूछा कि नितिजेला ( संसद) और सरकार मार्शल आईलैंड्स से जुड़े इस मुद्दे को सुलझाने के लिए आख़िर क्या कर रही है. (bbc.com/hindi)
बीजिंग, 14 सितंबर। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का शिखर सम्मेलन बृहस्पतिवार को उज्बेकिस्तान के समरकंद में होगा जो कोविड महामारी के कारण दो साल के अंतराल के बाद प्रत्यक्ष उपस्थिति वाला होगा।
यह सम्मेलन समूह के सभी आठ सदस्य देशों के प्रमुखों को मुख्य बैठक से इतर साझा चिंता के ज्वलंत वैश्विक एवं क्षेत्रीय मुद्दों पर आमने-सामने वार्ता का अवसर देगा।
एससीओ का पिछला प्रत्यक्ष सम्मेलन 2019 में किर्गिस्तान के बिश्केक में हुआ था। उसके बाद 2020 में मॉस्को सम्मेलन कोविड-19 महामारी के कारण डिजिटल प्रारूप में हुआ था, वहीं 2021 का सम्मेलन दुशान्बे में मिश्रित प्रारूप में आयोजित किया गया था।
एससीओ की शुरुआत जून 2001 में शंघाई में हुई थी। इसके छह संस्थापक सदस्य समेत आठ पूर्णकालिक सदस्य हैं। संस्थापक सदस्य देशों में चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान हैं। भारत और पाकिस्तान 2017 में इसके पूर्णकालिक सदस्यों के रूप में शामिल हुए थे।
एससीओ के पर्यवेक्षक देशों में अफगानिस्तान, बेलारूस और मंगोलिया शामिल हैं, वहीं संवाद साझेदारों में कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका, तुर्की, आर्मीनिया एवं आजरबैजान हैं।
साल 2020 में कोविड महामारी सामने आने के बाद यह पहला मौका है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दो दिवसीय सम्मेलन में भाग लेंगे।
कोविड की चिंताओं को छोड़ते हुए एससीओ सम्मेलन में चिनफिंग के शामिल होने की आकस्मिक घोषणा हुई। वह बुधवार को दो साल से अधिक समय की अवधि के बाद पहली बार चीन के बाहर गये हैं।
वह जनवरी 2020 के बाद से अपनी पहली राजकीय यात्रा पर कजाकिस्तान गये और वहां से समरकंद में एससीओ सम्मेलन में भाग लेने के लिए उज्बेकिस्तान जाएंगे।
चीन ने अपने कार्यक्रमों से पर्दा नहीं उठाया है और शी चिनफिंग की सम्मेलन से इतर पुतिन एवं मोदी से मुलाकात की खबरों की पुष्टि नहीं की है।
चीन ने गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स में पेट्रोल प्वाइंट 15 से अपने सैनिकों को वापस लेने की भारत की मांग को पिछले दिनों स्वीकार कर लिया था। कुछ विशेषज्ञों ने इसे पूर्वी लद्दाख में जारी सैन्य गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में कदम बताया जो मई 2020 में शुरू हुआ था और जिसके बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनाव आ गया था।
दोनों देशों ने श्रृंखलाबद्ध सैन्य एवं कूटनीतिक वार्ताओं के परिणाम स्वरूप पिछले साल पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण किनारों पर तथा गोगरा इलाके से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया पूरी की थी।
पेट्रोल प्वाइंट 15 से सैनिकों की वापसी के बाद से समरकंद में मोदी और शी चिनफिंग की मुलाकात की संभावना को लेकर अटकल शुरू हो गयी थी। (भाषा)
वाशिंगटन, 14 सितंबर | नासा दो विफलताओं के बाद अपने आर्टेमिस चंद्रमा मिशन को लॉन्च करने की तैयारी शुरू कर दी है और 2 अक्टूबर को तैयारी की समीक्षा संभावित है। नासा ने कहा कि उसने क्रायोजेनिक प्रदर्शन परीक्षण के लिए लक्षित तिथियों और आर्टेमिस आई लिए अगले लॉन्च के अवसरों को समायोजित किया।
लॉन्च के लिए जाने से पहले एजेंसी 21 सितंबर को प्रदर्शन परीक्षण करेगी।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने एक बयान में कहा, "अपडेट की गई तारीखें कई लॉजिस्टिक विषयों पर सावधानीपूर्वक विचार करती हैं, जिसमें क्रायोजेनिक प्रदर्शन परीक्षण की तैयारी के लिए अधिक समय और बाद में लॉन्च की तैयारी के लिए और अधिक समय शामिल है।"
आर्टेमिस टीमों ने रॉकेट के इंजनों में से एक में हाइड्रोजन रिसाव के क्षेत्र में मरम्मत कार्य पूरा कर लिया है।
3 सितंबर को नासा ने आर्टेमिस आई लॉन्च करने का प्रयास किया, लेकिन तरल हाइड्रोजन रिसाव का पता लगाने के बाद इसे बंद कर दिया।
आर्टेमिस आई नासा का मानव रहित उड़ान परीक्षण है जो गहरे अंतरिक्ष में मानव अन्वेषण के लिए एक आधार प्रदान करेगा और चंद्रमा और उससे आगे मानव अस्तित्व का विस्तार करने के लिए नासा की प्रतिबद्धता और क्षमता को प्रदर्शित करेगा।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने 30 अगस्त को एसएलएस रॉकेट के इंजनों में से एक के साथ तकनीकी खराबी के कारण पहली बार मिशन लॉन्च को खंगाला।
दूसरे लॉन्च प्रयास के दौरान, इंजीनियरों ने एसएलएस रॉकेट से तरल हाइड्रोजन को भरने और निकालने के लिए उपयोग की जाने वाली 8-इंच लाइन के आसपास के ग्राउंड साइड और रॉकेट साइड प्लेट्स के बीच एक गुहा में एक रिसाव देखा। (आईएएनएस)|
काठमांडू, 14 सितंबर | नेपाल और भारत ने नई दिल्ली में विदेश सचिव स्तर की वार्ता के दौरान द्विपक्षीय और आपसी हितों पर चर्चा की। अपने भारतीय समकक्ष विनय मोहन क्वात्रा के निमंत्रण पर, नेपाल के विदेश सचिव भारत राज पौडयाल नई दिल्ली पहुंचे और मंगलवार को हैदराबाद हाउस में द्विपक्षीय वार्ता की, जहां दोनों पक्षों ने आपसी हित से जुड़े मुद्दों की एक विस्तृत श्रृंखला पर चर्चा की।
नई दिल्ली में नेपाली दूतावास द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि विदेश सचिवों ने नेपाल और भारत के बीच व्यापार, पारगमन, संपर्क, बुनियादी ढांचा, बिजली क्षेत्र, सिंचाई और बाढ़, कृषि, निवेश, विकास सहयोग, स्वास्थ्य क्षेत्र सहयोग, संस्कृति और लोगों से लोगों के बीच संबंधों को शामिल करते हुए सहयोग के कई क्षेत्रों पर चर्चा की।
बयान में कहा गया, "उन्होंने नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की 1-3 अप्रैल के बीच भारत यात्रा और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 16 मई को लुंबिनी की यात्रा के दौरान हुई चर्चाओं की प्रगति की समीक्षा की। दोनों विदेशी सचिवों ने उन यात्राओं से हुई प्रगति पर चर्चा की। उन्होंने बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग पर भी चर्चा की।"
क्वात्रा और पौडयाल ने बिजली क्षेत्र, पारेषण लाइन के निर्माण, रेलवे कनेक्टिविटी, आईसीपी के निर्माण, पुल और अन्य महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे सहित विभिन्न क्षेत्रों में हुई प्रगति पर संतोष व्यक्त किया।
नेपाली पक्ष द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि उन्होंने इसके प्रोटोकॉल और समझौता ज्ञापन सहित ट्रांजिट संधि के शीघ्र समापन और व्यापार संधि की समीक्षा में तेजी लाने पर भी चर्चा की।
उर्वरक आपूर्ति से संबंधित मामले, गेहूं, चीनी, धान और चावल में निर्यात प्रतिबंधों में छूट भी एजेंडे में थे।
नेपाल सालाना भारत से उर्वरक प्राप्त करने की उम्मीद कर रहा है और कुछ आवश्यक वस्तुओं पर बैन से छूट की मांग कर रहा है जो भारत ने रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के बाद निर्यात पर लगा दिया था।
उच्च स्तरीय यात्राओं के परिणाम को याद करते हुए, दोनों पक्षों ने निर्बाध बिजली व्यापार पर चर्चा की, नेपाली पक्ष द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि दोनों विदेश सचिवों ने सीमा मामलों पर भी चर्चा की।
नेपाली बयान में कहा गया कि इस संबंध में, उन्होंने स्थापित द्विपक्षीय तंत्र के माध्यम से शेष खंडों पर सीमा कार्यो को पूरा करने पर विचारों का आदान-प्रदान किया।
इसी तरह, भारतीय बयान के अनुसार, दोनों विदेश सचिवों ने भारत और नेपाल के बीच आर्थिक और वाणिज्यिक सहयोग, कनेक्टिविटी बढ़ाने, विकास सहयोग, व्यापार, संस्कृति और लोगों से लोगों के संबंधों सहित द्विपक्षीय सहयोग के पूरे स्पेक्ट्रम की समीक्षा की।
भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, "नेपाली पक्ष ने महामारी के दौरान भारत द्वारा प्रदान की गई कोविड-19 सहायता की सराहना की और व्यापार की आपूर्ति लाइनों को खुला रखने के लिए भी भारतीय पक्ष को धन्यवाद दिया।"
मंत्रालय ने कहा कि जन-जन संपर्क को और मजबूत करने के लिए, दोनों पक्ष रामायण सर्किट के लिए परियोजना प्रस्तावों पर तेजी से प्रगति करने पर सहमत हुए।
भारतीय बयान में कहा गया है कि दोनों पक्ष अमलेखगंज से चितवन तक पेट्रोलियम पाइपलाइन के विस्तार और मोतिहारी से चितवन तक एक एलपीजी पाइपलाइन के निर्माण पर भी सहमत हुए।
पौडयाल आज (बुधवार को) विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात करने वाले हैं। (आईएएनएस)|
बोस्टन, 14 सितंबर । अमेरिका के बोस्टन में मंगलवार रात पुलिस का एक बम निरोधक दस्ता नॉर्थईस्टर्न विश्वविद्यालय परिसर में एक संदिग्ध पैकेट की जांच के लिए पहुंचा। परिसर में एक धमाका होने और उसमें कम से कम एक व्यक्ति को मामूली चोटें आने की अपुष्ट खबरें थीं।
बोस्टन पुलिस ने कहा कि विश्वविद्यालय के होम्स हॉल के पास छोड़े गए दो संदिग्ध पैकेट की जांच की जा रही है। अधिकारियों ने विस्तृत जानकारी देने से इनकार कर दिया, लेकिन डब्ल्यूसीवीबी-टीवी ने कहा कि एक व्यक्ति को अस्पताल ले जाया गया है और दमकल व चिकित्सा कर्मी घटनास्थल पर थे।
डब्ल्यूबीजेड-एएम रेडियो ने अज्ञात पुलिस अधिकारियों के हवाले से कहा कि धमाके में घायल व्यक्ति को मामूली चोटें आई हैं।
अपुष्ट खबरों के मुताबिक, विश्वविद्यालय परिसर में बम की सूचना मिलने के बाद पुलिस दल रात आठ बजे वहां पहुंचा। इससे पहले, विश्वविद्यालय प्रबंधन ने उन छात्रों से इमारत खाली करा ली थी, जो शाम की कक्षा के लिए होम्स हॉल में एकत्रित हुए थे।
नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी बोस्टन शहर में स्थित एक निजी विश्वविद्यालय है।(एपी)
येरेवान/नयी दिल्ली, 14 सितंबर। आर्मीनिया और आजरबैजान की सीमा पर चल रही लड़ाई में दोनों तरफ के करीब 100 सैनिकों की मौत हो गई। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच लंबे समय से चल रही दुश्मनी के और गहरा होने की आशंका बढ़ गई है।
आर्मीनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशिनयान ने मंगलवार को कहा कि आजरबैजान द्वारा देर रात किए गए हमलों में 49 आर्मीनियाई सैनिकों की मौत हो गई। वहीं आजरबैजान ने कहा है कि उसके 50 सैनिक मारे गए हैं।
रूस की मध्यस्थता में दोनों देशों के बीच संघर्षविराम था और संघर्षविराम समझौते के तहत क्षेत्र में लगभग 2,000 रूसी सैनिक शांति सैनिकों के रूप में तैनात हैं। रूस ने दोनों पूर्व सोवियत देशों से मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखने का आह्वान किया है।
आर्मीनिया के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, आजरबैजान की सेना ने तोपों और ड्रोन से हमले किए। मंत्रालय ने कहा कि संघर्ष विराम के लिए रूस द्वारा त्वरित मध्यस्थता के प्रयास के बावजूद दिन में लड़ाई जारी रही। उसने कहा कि गोलाबारी कम हो गई है लेकिन आजरबैजान के सैनिक अब भी आर्मीनियाई क्षेत्र में आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं।
आजरबैजान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि आर्मीनियाई बलों ने देश के तीन जिलों में सेना की चौकियों पर गोलीबारी की और आर्मीनियाई हमलावरों ने इन क्षेत्रों में बारुदी सुरंगें बिछाईं। उसने कहा कि आजरबैजान के बल अनिर्दिष्ट संख्या में हताहत हुए और ‘‘कड़ी जवाबी कार्रवाई की गई।’’
उधर आजरबैजान का कहना है कि उसने आर्मीनिया द्वारा सोमवार देर रात और मंगलवार सुबह किए गए हमलों के जवाब में कार्रवाई करते हुए हमले किए।
इस बीच, भारत ने मंगलवार को दोनों देशों से आक्रमकता खत्म करने और तत्काल संघर्ष विराम करने की अपील करते हुए कहा कि सैन्य संघर्ष से किसी भी समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता। विदेश मंत्रालय के प्रवक्त अरिंदम बागची ने कहा कि भारत का विश्वास है कि द्विपक्षीय विवादों का समाधान कूटनीति और संवाद से होना चाहिए।
गौरतलब है कि आजरबैजान और आर्मीनिया के बीच नागोर्नो-काराबाख को लेकर दशकों से संघर्ष चल रहा है। नागोर्नो-काराबाख आजरबैजान का हिस्सा है, लेकिन यह 1994 में एक अलगाववादी युद्ध समाप्त होने के बाद से आर्मीनिया द्वारा समर्थित बलों के नियंत्रण में है।
दोनों के बीच 2020 में छह सप्ताह तक चले युद्ध में 6,600 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। (एपी/भाषा)
विलियम रूटो ने मंगलवार को कीनिया के नए राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली.
नैरोबी के एक स्टेडियम में हुए शपथ ग्रहण समारोह में पूरे अफ्रीकाई देशों के प्रमुख शामिल हुए.
शपथ ग्रहण समारोह को अद्वितीय क्षण बताते हुए रूटो ने कहा कि एक ग्रामीण परिवेश का लड़का आज कीनिया का राष्ट्रपति बना है.
रूटो ने कहा कि उनकी सरकार का तत्काल ध्यान खाद्य उत्पादों को बढ़ाना, युवाओं के लिए रोजगार पैदा करना, उद्यम के लिए अनुकूल माहौल और स्वतंत्र संस्थानों को मजबूत बनाकर जीवन यापन की लागत को घटाना है.
शपथ ग्रहण समारोह में रैला ओडिंगा ने शिरकत नहीं की. बीते महीने हुए चुनाव में विलियम रूटो ने रैला ओडिंगा को शिकस्त दी थी.
रूटो के बाद वे राष्ट्रपति पद के प्रबल दावेदार थे.
ओडिंगा चुनाव के परिणामों से खुश नहीं थे. वे इसके ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट तक गए लेकिन कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से कराए गए थे.
चुनाव में रुटो को जहां 50.5% वोट मिले थे, वहीं ओडिंगा को 48.8%.
रूटो इससे पहले कीनिया के उप राष्ट्रपति रह चुके हैं और उन्होंने पिछले महीने ही राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की थी. (bbc.com/hindi)
क्रिस्टी कूनी, जॉर्ज बाओडेन
महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय के निधन के बाद स्कॉटलैंड पुलिस ने दो लोगों को शाही परिवार के ख़िलाफ़ नारे लगाने के आरोप में गिरफ़्तार किया है. एक और व्यक्ति को गिरफ़्तार करने के बाद रिहा कर दिया गया है.
अभिव्यक्ति की आज़ादी का समर्थन करने वाले कार्यकर्ताओं ने इसे "बेहद चिंताजनक" बताया है.
गिरफ़्तारी की ये घटनाएं ऐसे वक्त हुई हैं जब महारानी एलिज़ाबेथ के पार्थिव शरीर को एडिनबरा के सेंट गाइल्स कथेड्रल में लोगों के अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया है और उनके बेटे किंग चार्ल्स तृतीय को ब्रिटेन का नया सम्राट घोषित किया गया है.
आने वाले दिनों में महारानी के पार्थिव शरीर को एडिनबरा से लंदन लाया जाएगा, जहां वेस्टमिन्स्टर हॉल में चार दिनों के लिए लोग उनके अंतिम दर्शन कर सकेंगे. इसके लिए लंदन में लोगों की कतारें पहले ही लगनी शुरू हो गई हैं.
लंदन मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने कहा है कि "लोगों को विरोध करने का हक़ है."
रविवार को एडिनबरा के सेंट गाइल्स कथेड्रल के सामने हो रहे कार्यक्रम के दौरान शांति भंग करने के लिए 22 साल की एक महिला को गिरफ़्तार किया गया. बाद में उन्हें छोड़ दिया गया, लेकिन वो कुछ दिनो में एडिनबरा शेरिफ़ कोर्ट में पेश होंगी.
रविवार को ही 45 साल के साइमन हिल को ऑक्सफ़ोर्ड में हो रहे एक कार्यक्रम के दौरान शांति भंग करने और चिल्लाकर "उन्हें किसने चुना?" कहने के संदेह में गिरफ़्तार किया गया. साइमन का कहना है कि उन्हें चुप रहने के लिए कहा गया.
टेम्स वैली पुलिस ने बताया कि बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया. पुलिस ने ये भी कहा कि हिल "स्वेच्छा से" अधिकारियों की मदद कर रहे हैं.
सोमवार को 22 साल के एक व्यक्ति को एडिनबरा में शाही कार्यक्रम के दौरान शांति भंग करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया. कथित तौर पर वो प्रिंस एंड्र्यू पर चिल्ला रहे थे.
महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय का निधन 8 सितंबर को हुआ.
वो सबसे लंबे वक़्त तक ब्रिटेन पर राज करने वाली महारानी थीं.
10 सितंबर कोउनके बड़े बेटे चार्ल्स को देश का नया सम्राट घोषित किया गया.
उन्हें अब किंग चार्ल्स तृतीय के नाम से जाना जाएगा.
11 सितंबर को महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय के पार्थिव शरीर को बालमोरल से एडिनबरा लाया गया.
12 सितंबर को महारानी के पार्थिव शरीर को सेंट गाइल्स कथेड्रल में लोगों के अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया.
13 सितंबर को उनके पार्थिव शरीर को विमान के ज़रिए लंदन के बकिंघम पैलेस लाया जाएगा.
उनके पार्थिव शरीर को 14 सितंबर को वेस्टमिन्स्टर हॉल ले जाया जाएगा जहां चार दिनों तक आम लोग उनके अंतिम दर्शन कर सकेंगे. स्थानीय समयानुसार 14 तारीख़ की शाम 17.00 बजे से लेकर 19 सितंबर के सवेरे 06.30 बजे तक लोग उनके अंतिम दर्शन कर सकेंगे.
19 सितंबर को महारानी के पार्थिव शरीर को वेस्टमिन्स्टर ऐबे ले जाया जाएगा, जहां सेंट जॉर्ज चैपल में उन्हें दफ़नाया जाएगा.
'चिंता का विषय'
इंडेक्स ऑन सेन्सरशिप के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रुथ सुमित ने कहा है कि ये गिरफ़्तारियां "चिंता का विषय" हैं. उन्होंने कहा, "अभिव्यक्ति की आज़ादी नागरिकों का अधिकार है और ग़लती से हो या फिर जान-बूझ कर, हमें उनके अधिकारों का हनन करने के लिए इस मौक़े का इस्तेमाल नहीं करने देना चाहिए."
बिग ब्रदर वॉच के निदेशक सिल्की कार्लो ने कहा कि पुलिस अधिकारियों का ''ये कर्तव्य तो है ही कि वो महारानी के अंतिम दर्शनों के लिए आ रहे लोगों के हक़ का सम्मान करें, साथ ही ये भी उनका कर्तव्य है कि वो लोगों के मूलभूत अधिकारों की रक्षा करें."
वहीं लिबर्टी में पॉलिसी एंड कैम्पेन्स ऑफ़िस की जोडी बैक कहती हैं कि "पुलिस का इस तरह लोगों पर अपनी ताक़त का इस्तेमाल करना चिंता का विषय है. विरोध करने का हक़ राष्ट्र की तरफ़ से लोगों को मिला तोहफ़ा नहीं है, ये लोगों का बुनियादी अधिकार है"
सोमवार को किंग चार्ल्स तृतीय के वेस्टमिन्स्टर हॉल पहुंचने से पहले वहां से एक व्यक्ति को पुलिस ने हटाया था. ये व्यक्ति एक प्लेकार्ड लेकर खड़े थे जिस पर लिखा था, "मैं इन्हें अपना सम्राट नहीं मानता."
मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने कहा है कि लोगों को वेस्टमिन्स्टर के महल के सामने खड़े होने से मना किया गया है ताकि "गाड़ियों की आवाजाही बाधित न हो." हालांकि पुलिस ने ये भी बताया कि यहां किसी को गिरफ़्तार नहीं किया गया है, बल्कि उन्हें यहां से थोड़ी दूर जाने को कहा गया था.
सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे एक वीडियो को लेकर भी पुलिस ने सफ़ाई दी है. इस वीडियो में एक व्यक्ति कागज़ का एक टुकड़ा हाथों में हिलाते हुए दिखता है और कहता है कि वो इस पर "मैं इन्हें अपना सम्राट नहीं मानता" लिखना चाहता है. राजधानी में की जा रही सुरक्षा व्यवस्था में मदद के लिए इन अधिकारी को किसी दूसरी फ़ोर्स से बुलाया गया था. वीडियो में अधिकारी कहते हैं कि इस संदेश से "अन्य लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है."
डिप्टी असिस्टेंट कमिश्नर स्टूअर्ट कंडी ने एक बयान जारी कर कहा, "विरोध करना जनता का हक़ है इस अभूतपूर्व स्थिति में हम अपने सभी अधिकारियों को ये बता रहे हैं."
उम्मीद की जा रही हैं कि अगले सप्ताह लाखों की संख्या में लोग महारानी के अंतिम दर्शनों के लिए लंदन आएंगे, ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था के लिए सेना के 1,500 जवानों समेत सिविल डिफ़ेन्स के लोगों से भी पुलिस मदद ले रही है.
मेट्रोपॉलिटन पुलिस कमिश्रर सर मार्क रॉले ने कहा है कि पुलिस के सामने "एक अभूतवपूर्व चुनौती है. सुरक्षा सुनिश्चित करना हमारी ज़िम्मेदारी है. अंतिम दर्शनों के लिए आने वाले लाखों लोगों की सुरक्षा के लिए अच्छी सुरक्षा व्यवस्था चाहिए और इसके लिए हम हज़ारों लोगों को काम पर लगाएंगे."
इन गिरफ़्तारियों पर प्रधानमंत्री के प्रवक्ता ने अब तक कोई टिप्पणी नहीं की है. हालांकि उन्होंने कहा है कि "ये देश के लिए दुख की घड़ी है और अधिकांश लोग शोक मना रहे हैं."
उन्होंने कहा, "विरोध कर पाना लोगों का बुनियादी हक़ है और हमारे गणतंत्र के लिए ये बेहद अहम है." (bbc.com/hindi)
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ़ ने कहा है कि सेना प्रमुख की नियुक्ति एक सुनियोजित योजना के तहत होती है और इमरान ख़ान इसे विवादित बनाना चाहते हैं.
दरअसल पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने सेना प्रमुख की नियुक्ति की प्रक्रिया पर सवाल उठाए थे.
जियो न्यूज़ से बातचीत में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने कहा कि सेना प्रमुख की नियुक्ति के बारे में अभी बात करना जल्दबाज़ी होगी क्योंकि मौजूदा सेना प्रमुख का कार्यकाल ढाई महीने बचा है.
उन्होंने कहा, ‘‘इस समय इसके बारे में बात करना देशहित में नहीं है और रक्षा की गारंटी देने वाले संगठन के मुखिया को राजनीति में घसीटना ठीक नहीं है.’’
ख्वाजा आसिफ़ ने कहा, ‘‘मैं सभी राजनीतिक दलों से अपील करता हूं कि राजनीतिक लड़ाई में सेना प्रमुख की नियुक्ति को मुद्दा न बनाएं.’’
उन्होंने कहा कि इमरान ख़ान उनकी सरकार की वैधता पर सवाल उठा रहे हैं.
इसके पहले समा टीवी को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि जो इमरान ख़ान पहले सेना की तारीफ़ करते नहीं थकते थे, सत्ता जाने के बाद सेना उन्हें बुरी लगने लगी. इससे इमरान ख़ान का मानसिक और राजनीतिक पिछड़ापन दिखता है. (bbc.com/hindi)
इस्लामाबाद, 13 सितंबर | पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के नेता इमरान खान के खिलाफ नया दांव खेलना शुरू कर दिया है। इमरान खान ने ट्वीट किया, शहबाज शरीफ के लिए सवाल : क्या आप पीटीआई से डर गए है? आप मीडिया की खिंचाई, पत्रकारों के खिलाफ धमकी और हिंसा और फर्जी मामलों के लिए खुद को जिम्मेदार मानते है? मुझे टीवी और यूट्यूब से ब्लैकआउट करने की कोशिश कर रहे हैं?
एक अन्य ट्वीट में कहा गया: कल हमारा गुजरांवाला जलसा हकीकी आजादी आंदोलन वर्तमान चरण का अंतिम होगा। मैं अगले महत्वपूर्ण चरण की घोषणा जलसा में करूंगा। आयातित सरकार और उसके संचालक इतने डरे हुए हैं कि वे 'माइनस-वन फॉमूर्ले' की ओर बढ़ रहे हैं।
पीटीआई की ओर से ऐसा दावा किया गया है कि इमरान खान को भविष्य के किसी भी चुनाव से अयोग्य ठहराने के लिए फॉर्मूले के इस्तेमाल करने की कोशिश की जा रही है।
इमरान खान की पीटीआई ने माइनस-वन फॉमूर्ला के खिलाफ जमीनी विरोध शुरू किया है, जो पाकिस्तान की राजनीति में इस्तेमाल किया जाने वाला एक लोकप्रिय शब्द है। इस शब्द को अगर संक्षेप में कहा जाए तो यह एक राजनीतिक दल को उसके अपने ही नेता के विरुद्ध करने की कोशिश है।
पाकिस्तान में आमतौर पर इसका इस्तेमाल सेना की ओर से किया जाता है। अतीत में, लियाकत अली खान, फातिमा जिन्ना, जुल्फिकार अली भुट्टो, नवाज शरीफ आदि लोकप्रिय राजनेता इस फॉर्मूले का शिकार हुए हैं।
पाकिस्तान में कई ऐसे असैन्य नेता जब वे ज्यादा बड़े हो गए तो उन्हें संदिग्ध तरीकों से दरकिनार कर दिया गया। कई प्रधानमंत्री और राष्ट्रपतियों के साथ ही ढेरों अन्य नेताओं के बारे में माना गया कि उन्होंने रेड लाइन को क्रॉस किया और ऐसा करने की कोशिश करने पर उन्होंने भी खुद को 'माइनस-वन' का शिकार होना बताया।(आईएएनएस)|
ढाका, 13 सितंबर | बढ़ते जलवायु जोखिमों को देखते हुए बांग्लादेश को विकास लाभ को बनाए रखने के लिए तटीय क्षेत्रों में जलवायु लचीलापन को मजबूत करना होगा और इसके लिए निवेश जारी रखना अति महत्वपूर्ण है। इसको लेकर विश्व बैंक ने नई रिपोर्ट जारी की है। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशीलता को कम करने के लिए देश की यात्रा पर प्रकाश डाला गया है और इसके तटीय क्षेत्र के लचीलेपन में सुधार की दिशा में आगे की कार्रवाई की सिफारिश की गई है।
रिपोर्ट में जोखिमों के कारकों का विश्लेषण है। जिनमें कई समस्याओं का समाधान है।
बांग्लादेश और भूटान के लिए विश्व बैंक के कार्यवाहक देश निदेशक दंडन चेन ने कहा, "तटीय क्षेत्र में जलवायु को लचीला रखना एक स्थिर लक्ष्य नहीं है, बल्कि बदलती परिस्थितियों के अनुकूल होने और विकास के उद्देश्यों के बीच तालमेल जारी रखना इसका विशेष मसकद है।"
रिपोर्ट में पाया गया है कि तटीय लचीलापन और निवेश बांग्लादेश के लिए आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय लाभों को जारी रखेगा। (आईएएनएस)|
लॉस एजिलिस, 13 सितंबर | हॉलीवुड अभिनेता मुर्रे बार्टलेट ने 74वें टेलीविजन अकादमी पुरस्कारों में 'द व्हाइट लोटस' के लिए सीमित श्रृंखला में उत्कृष्ट सहायक अभिनेता के लिए एमी पुरस्कार जीता। उन्होंने अपने दो 'व्हाइट लोटस' सह-कलाकारों - स्टीव जहान और जेक लेसी के साथ-साथ 'डोपेसिक' अभिनेता विल पॉल्टर, पीटर सरसागार्ड, सेठ रोजन और माइकल स्टुहलबर्ग पर जीत हासिल की।
मुर्रे बार्टलेट ने 'व्हाइट लोटस' के निर्माता माइक व्हाइट के लिए सम्मान जाहिर किया।
स्मिथ को लेकर उन्होंने कहा, "मेरे भगवान, मुझे मेरे जीवन के सबसे अच्छे अनुभवों में से एक देने के लिए धन्यवाद।"
"मैं आपकी पूजा करता हूं और आपकी प्रशंसा करता हूं।"
इस साल की शुरुआत में बार्टलेट ने इस साल की शुरुआत में 'द व्हाइट लोटस' में अपनी भूमिका के लिए एक एसएजी पुरस्कार जीता। (आईएएनएस)|
यूक्रेन के ख़ारकीएव शहर के मेयर का कहना है कि महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे पर रूसी हमलों के कारण शहर में बिजली और पानी की आपूर्ति फिर से बंद कर दी गई है.
इससे पहले रविवार को हुई गोलीबारी से एक बिजली संयंत्र को नुकसान पहुंचा था.
जिसके बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने कहा था कि रूस बिजली कटौती करके यूक्रेन के ''लोगों को रोशनी और गर्मी'' से वंचित रखना चाहता है. रूस ये सबकुछ यूक्रेन के जवाबी हमलों का बदला लेने के लिए कर रहा है.
यूक्रेनी सेना ख़ारकीएव क्षेत्र में अपनी ज़मीन बचाने के लिए रूसी सेना के ख़िलाफ़ लड़ रही है. हाल के दिनों में यूक्रेनी सेना ने रूसी कब़्जे वाले कई इलाकों को फिर से अपने अधिकार में ले लिया है.
ताज़ा मिली जानकारी के अनुसार, यूक्रेन ने दावा किया है कि उसकी सेना ने 20 और गांवों पर वापस अपना कब्ज़ा जमा लिया है.
वहीं रूसी सेना का कहना है कि इज़्यूम और कुपियांस्क शहर उसके निशाने पर हैं. पिछले हफ़्ते तक इन क्षेत्रों पर रूस का कब्ज़ा था.
रूस ने कहा है कि यूक्रेन के ख़िलाफ़ उसका युद्ध तब तक जारी रहेगा जब तक कि वह अपने उद्देश्यों को पूरा नहीं कर लेता. (bbc.com/hindi)
ढाका, 12 सितंबर। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने सोमवार को कहा कि देश में शिविरों में 10 लाख से अधिक रोहिंग्या शरणार्थियों का लंबे समय तक रहना सुरक्षा और स्थिरता के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है।
शेख हसीना ने भारत-प्रशांत क्षेत्र के 24 देशों के सैन्य अधिकारियों की तीन दिवसीय बैठक के उद्घाटन समारोह में कहा, ‘‘रोहिंग्या शरणार्थियों के लंबे समय तक रहने से उनके अपने कष्टों के अलावा बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, सुरक्षा और सामाजिक-राजनीतिक स्थिरता पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।’’
बांग्लादेश सेना के साथ अमेरिका ‘हिंद-प्रशांत सैन्य प्रबंधन संगोष्ठी’ का सह-मेजबान है। इसमें हिस्सा लेने वाली देशों की सेनाएं आपदा प्रबंधन, अंतरराष्ट्रीय अपराध, सुरक्षा मुद्दों और महिला सशक्तिकरण पर चर्चा कर रही हैं, वहीं बांग्लादेश मंच का उपयोग म्यांमार में हिंसा के चलते भागे रोहिंग्या शरणार्थियों के मुद्दे को उजागर करने के लिए कर रहा है।
बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल एस एम शफीउद्दीन अहमद ने कहा कि बैठक में भाग लेने वाले प्रतिभागी रोहिंग्या शरणार्थी शिविरों का दौरा करेंगे जिसमें अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जापान, इंडोनेशिया, भारत, चीन और वियतनाम के प्रतिभागी शामिल हैं।
अहमद ने कहा कि सैन्य अधिकारियों को कॉक्स बाजार जिले के शिविरों में ले जाया जा रहा है ताकि उन्हें शरणार्थी संकट की गंभीरता और यह ‘‘स्पष्ट रूप से समझाया’’ जा सके कि उन्हें म्यांमार वापस भेजना क्यों आवश्यक है।
हसीना ने कहा कि शरणार्थियों को वापस भेजना ही इस संकट का एकमात्र समाधान है, लेकिन बांग्लादेश उन्हें म्यांमार वापस जाने के लिए मजबूर नहीं करेगा।
चीन द्वारा मध्यस्थता में एक द्विपक्षीय समझौते के तहत शरणार्थियों को वापस भेजने के कम से कम दो प्रयास विफल होने के बाद बांग्लादेशी अधिकारियों ने निराशा व्यक्त की है। मुस्लिम रोहिंग्या ने कहा है कि बौद्ध बहुल म्यांमार में स्थितियां बहुत खतरनाक हैं, जहां उन्हें व्यापक भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
यूएस आर्मी पैसिफिक के कमांडिंग जनरल चार्ल्स ए फ्लिन ने संवाददाताओं से कहा कि वह नीतिगत सवालों का जवाब नहीं दे सकते, जैसे कि सेनाएं कैसे रोहिंग्या को म्यांमार वापस भेजने में मदद कर सकती हैं। उन्होंने हालांकि प्रतिनिधिमंडल के शरणार्थी शिविरों के दौरे की व्यवस्था करने के लिए बांग्लादेश को धन्यवाद दिया।
रोहिंग्या संकट अंतरराष्ट्रीय अदालतों में चला गया है, जहां म्यांमार ने कुछ भी गलत करने से इनकार किया है।
पिछले महीने, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा था कि अमेरिका रोहिंग्या और म्यांमार के सभी लोगों के लिए ‘‘न्याय और जवाबदेही को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध’’ है। (एपी)
नई दिल्ली, 12 सितंबर | भारत, चीन कोर कमांडर स्तर की बैठक के 16वें दौर में आम सहमति बनने की घोषणा के बाद भारतीय और चीनी सैनिक सोमवार को पूर्वी लद्दाख में पेट्रोलिग प्वाइंट 15 पर गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स क्षेत्र से वापसी प्रक्रिया समाप्त करेंगे। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों के बीच चल रहे सैन्य गतिरोध में यह एक बड़ी प्रगति मानी जा रही है। वापस हटने की प्रक्रिया 8 सितंबर को ही शुरू हो गई थी।
17 जुलाई, 2022 को आयोजित भारत चीन कोर कमांडर स्तर की बैठक के 16वें दौर में आम सहमति बनने की घोषणा करने के बाद दोनों पक्षों ने एक संयुक्त बयान जारी करने के बाद 8 सितंबर को डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया शुरू की।
बयान में कहा गया है कि पीपी-15 में भारतीय और चीनी सैनिक एक समन्वित और नियोजित तरीके से पीछे हट रहे हैं, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति के लिए अनुकूल है।
सप्ताहांत में, सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने पूर्वी लद्दाख में समग्र सुरक्षा स्थिति की व्यापक समीक्षा की, यहां तक कि भारतीय और चीनी सेनाओं ने क्षेत्र के गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स क्षेत्र में पैट्रोलिंग पॉइंट 15 से हटना शुरू कर दिया।
सेना ने कहा कि जनरल पांडे ने क्षेत्र में तैनात अधिकारियों और सैनिकों के साथ बातचीत के अलावा अभ्यास देखा। इस अभ्यास में आर्टिलरी गन और अन्य प्रमुख हथियार प्रणालियों द्वारा परिचालन क्षमताओं का प्रदर्शन किया गया। जनरल मनोज पांडे ने लद्धाख का दौरा किया और अभ्यास पर्वत प्रहार देखा। जमीनी स्तर पर कमांडरों द्वारा ऑपरेशनल तैयारियों के बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने अधिकारियों और सैनिकों के साथ बातचीत की और उनकी ²ढ़ता और पेशेवर मानकों के लिए उनकी सराहना की।
दोनों पक्षों के बीच पिछली सैन्य वार्ता में पीपी-15 से जुड़े ज्यादातर मुद्दों को सुलझा लिया गया है। केवल मामूली मतभेद लंबित थे, जिन्हें बाद में दोनों पक्षों के बीच एक मेजर जनरल स्तर की बैठक में चर्चा के लिए लिया गया था।
गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स क्षेत्र में दोनों सेनाओं के पीछे हटने की प्रक्रिया को एक बड़ी प्रगति के रूप में देखा गया है। लेकिन डेमचोक और देपसांग क्षेत्रों में गतिरोध में कोई प्रगति या समाधान नहीं हुआ है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बर्खास्तगी की प्रक्रिया शुरू होने की घोषणा करते हुए शुक्रवार को कहा था कि पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 में प्रक्रिया सोमवार तक पूरी कर ली जाएगी।
समझौते के अनुसार, इस क्षेत्र में डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया 8 सितंबर को 8.30 बजे शुरू हुई और 12 सितंबर तक पूरी हो जाएगी। दोनों पक्ष चरणबद्ध, समन्वित और सत्यापित तरीके से इस क्षेत्र में आगे की तैनाती को रोकने के लिए सहमत हुए हैं, जिसके चलते दोनों पक्षों के सैनिकों की अपने-अपने क्षेत्रों में वापसी होगी। (आईएएनएस)|
जोहान्सबर्ग, 12 सितंबर| दक्षिण अफ्रीका के मध्य भाग में एक खदान बांध ढह गया, जिसके चलते बाढ़ आ गई और लोगों के घरों को बहा ले गई। सहकारी शासन और पारंपरिक मामलों के विभाग (सीओजीटीए) ने यह जानकारी दी। सीओजीटीए के प्रवक्ता लुंगी मत्साली ने कहा कि रविवार की सुबह भयंकर बाढ़ आई। दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने फ्री स्टेट प्रांत के जैगर्सफोन्टेन में कई विभाग के अधिकारियों को तैनात किया है, बांध के ढहने से 3 लोगों की मौत हो गई और 40 से अधिक लोग घायल हो गए।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, सीओजीटीए ने बताया कि उन्होंने पुलिस आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं, स्वास्थ्य, आपदा प्रबंधन, सामाजिक विकास, बचाव कर्मियों और इंजीनियरों को तैनात किया है।
प्रवक्ता ने कहा, "खदान बांध के ढहने से व्यक्तिगत संपत्ति और घरों को नुकसान पहुंचा है। लोग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। लोग विस्थापित हो रहे हैं। इस दौरान कई लोगों के घायल और लापता होने की सूचना भी है।"
लुंगी मत्साली ने कहा कि आपदा प्रबंधन दल को नुकसान और प्रभाव का आकलन करने और प्रत्यक्ष परिचालन सहायता प्रदान करने के लिए तैनात किया गया है।
खनिज संसाधन और ऊर्जा मंत्री ग्वेडे मंताशे ने रविवार को एक वर्चुअल मीडिया ब्रीफिंग करते हुए कहा कि सरकार घटना की जांच सुनिश्चित करेगी। उन्होंने निरीक्षकों को घटनास्थल पर भेजा है। (आईएएनएस)
यूक्रेन की सेना का दावा है कि उसने रूस के क़ब्ज़े से क़रीब तीन हज़ार वर्ग किलोमीटर इलाक़ा मुक्त करा लिया है.
यूक्रेन देश के पूर्वी हिस्से में तेज़ी से जवाबी आक्रमण कर रहा है.
अगर यूक्रेन के दावों की पुष्टि हो जाती है तो इसका मतलब ये होगा कि यूक्रेन ने बीते 48 घंटों में अपनी बढ़त को तीन गुणा कर लिया है.
गुरुवार शाम को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने कहा था कि यूक्रेन की सेना ने क़रीब एक हज़ार वर्ग किलोमीटर इलाक़ा मुक्त कराया है. शनिवार शाम को यूक्रेन ने दो हज़ार वर्ग किलोमीटर इलाक़ा मुक्त कराने की घोषणा की थी.
यूक्रेन के इन दावों की पुष्टि करना मुश्किल है क्योंकि लड़ाई के मोर्चों तक पत्रकारों को पहुंचने की अनुमति नहीं हैं.
शनिवार को पूर्वी यूक्रेन में जवाबी हमलों के दौरान यूक्रेन की सेना सप्लाई रूट के लिए बेहद अहम इज़ियम और कूपियांस्क शहरों में दाख़िल हो गई.
लेकिन ब्रिटेन के रक्षा अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि अभी इन शहरों के बाहर लड़ाई चल ही रही है. वहीं यूक्रेन के अधिकारियों का कहना है कि यूक्रेन के सैन्य बल इज़ियम के कई बाहरी इलाक़ों पर नियंत्रण के लिए लड़ रहे हैं.
रूस की सेना ने अपने सैनिकों के इज़ियम और कूपियांस्क से पीछे हटने की पुष्टि करते हुए कहा है कि इससे उसके सैन्यबलों को फिर से रूस समर्थक लड़ाकों के नियंत्रण वाले इलाक़ों में संगठित होने का मौक़ा मिलेगा.
रूस की सेना ने एक और प्रमुख शहर बालाक्लिया से अपने सैन्यबलों के पीछे हटने की पुष्टि करते हुए कहा है कि ऐसा दोनेत्स्क के मोर्चे को मज़बूत करने के लिए किया गया है. यूक्रेन के सैन्यबल शुक्रवार को इस शहर में दाख़िल हुए थे.
यूक्रेन की सेना ने इस रफ़्तार से जवाबी हमला किया है कि रूस के सैनिक भौचक्के रह गए हैं. यहां तक कि पुतिन के समर्थक चेचन नेता रमज़ान कादिरोव ने भी पुतिन की सैन्य रणनीति पर सवाल उठा दिए हैं.
टेलीग्राम पर पोस्ट किए गए एक संदेश में कादिरोव ने कहा है कि अगर रूस की स्थिति में बदलाव नहीं आता है तो वो स्थिति को लेकर रूस के नेतृत्व पर सवाल उठाने के लिए मजबूर होंगे.
शनिवार को खारकीएव क्षेत्र में रूस के तैनात किए गए प्रशासक ने कहा था कि यहां के लोग अपनी जान बचाने के लिए रूस चले जाएं.
सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए वीडियो में रूस-यूक्रेन सीमा पार करने की कोशिश कर रहे वाहनों की लंबी कतारें दिख रही हैं. हालांकि इन वीडियो की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की जा सकी है.
रूस के सीमावर्ती क्षेत्र बेलगोरोड के गवर्नर व्याचेस्लाव ग्लादकोव ने कहा है कि हज़ारों लोग सीमा पार करके उनके इलाक़े में आए हैं.
इसी बीच यूक्रेन की सेना के कमांडर जनरल वालेरी ज़ालूजन्यी ने कहा है कि उनकी सेनाएं रूस की सीमा से सिर्फ़ 50 किलोमीटर दूर हैं.
हालांकि अभी भी यूक्रेन के पांचवें हिस्से पर रूस का क़ब्ज़ा है और बहुत कम लोगों को युद्ध के जल्द ही समाप्त होने की उम्मीद है.
फ़ाइनेंशियल टाइम्स को दिए एक साक्षात्कार में यूक्रेन के रक्षा मंत्री ओलेक्सी रेज़निकोव ने अपने सैनिकों की तारीफ़ करते हुए रूस की तरफ़ से जवाबी हमलों की चेतावनी भी दी है.
उन्होंने कहा, "जवाबी हमले से हम क्षेत्र को मुक्त करा लेते हैं लेकिन इसके बाद आपको उसे नियंत्रण में करना होता है और उसकी सुरक्षा के लिए तैयार रहना होता है. ज़ाहिर तौर पर हमें चिंता है, ये युद्ध हमें सालों से चिंतित किए हुए है."
अगर यूक्रेन अपनी इस बढ़त को बरक़रार रख पाता है तो अप्रैल में रूस के राजधानी कीएव के पास से पीछे हटने के बाद ये यूक्रेन की सबसे अहम कामयाबी होगी.
कूपियांस्क रूस की सेना के लिए अहम सप्लाई रूट पर पड़ता है. इज़ियम पर क़ब्ज़ा करने के लिए रूस की सेना ने महीनेभर लड़ाई की थी. अगर यह यूक्रेन के नियंत्रण में रहता है तो इसे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के शर्मनाक माना जा सकता है.
एक सैन्य विश्लेषक के मुताबिक यूक्रेन की इस बढ़त का मतलब है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद से ये पहली बार है जब रूस की पूरी सैन्य टुकड़ी बर्बाद हो गई है.
यूक्रेन की सेना की इस बढ़त को इस रूप में भी देखा जा सकता है कि उसके पास अपने गंवाए हुए इलाक़ों को फिर से वापिस हासिल करने की क्षमता है. ये इसलिए भी अहम है क्योंकि यूक्रेन लगातार पश्चिमी देशों से हथियारों की मदद मांग रहा है और ये दावा कर रहा है कि अगर उसे मदद मिलती रही तो वह रूस को हरा देगा.
यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्री कुलेबा का कहना है कि ताज़ा घटनाक्रम ये साबित करता है कि यदि यूक्रेन की सेना को पश्चिमी मदद मिली तो वह तेज़ी से इस युद्ध को समाप्त कर सकती है.
यूक्रेन ने इसी सप्ताह देश के पूर्वी इलाक़ों में अपना जवाबी आक्रमण शुरू किया है. हालांकि इस दौरान अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों की नज़र यूक्रेन के दक्षिणी क्षेत्र पर टिकी थी. ये माना जा रहा था कि यहां यूक्रेन खेरसोन को मुक्त करने के लिए आगे बढ़ सकता है.
विश्लेषकों का मानना है कि रूस ने अपने सबसे मज़बूत सैन्यबलों को इस शहर की सुरक्षा में तैनात कर दिया है.
यूक्रेन के एक अधिकारी के मुताबिक पूर्वी क्षेत्र में बढ़त बनाने के साथ-साथ यूक्रेन दक्षिण में भी आगे बढ़ रहा है.
यूक्रेन की सेना की दक्षिणी कमान की प्रवक्ता नतालिया गुमेनयुक का कहना है कि यूक्रेन की सेना दक्षिणी मोर्चे पर दो किलोमीटर से लेकर कई किलोमीटर तक आगे बढ़ी है.
लेकिन यह भी माना जा रहा है कि दक्षिणी मोर्चे पर रूस की सेनाओं ने सुरक्षात्मक घेराबंदी कर ली है और अपनी रक्षा पंक्तियों को मज़बूत किया है. यहां यूक्रेन की सेना को कड़ी टक्कर मिल रही है.
वहीं स्थानीय अधिकारियों के मुताबिक खारकीएव में रूस के रॉकेट हमले में एक व्यक्ति की मौत हो गई और कई घायल हो गए.
वहीं यूक्रेन के ऊर्जा नियामक इनर्जोएटम का कहना है कि रूस के नियंत्रण वाले ज़ेपोरीज़िया परमाणु संयंत्र का अंतिम रिएक्टर भी बंद हो गया है और अब ये प्लांट बिजली नहीं बना रहा है.
ये रिएक्टर प्लांट की अपनी ज़रूरतों के लिए बिजली बना रहा था. बाहर से बिजली आपूर्ति शुरू होने के बाद इसे बंद कर दिया गया है.
यूक्रेन के ऑपरेटर का कहना है कि आपात स्थिति से बचने के लिए ये सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि प्लांट को आने वाली बिजली लाइनों पर बमबारी बंद की जाए. (bbc.com/hindi)