जयपुर, 14 अगस्त (आईएएनएस)| राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने विधानसभा में विश्वास मत जीत लिया है। इसके साथ ही सदन की कार्यवाही 21 अगस्त तक स्थगित कर दी गई है। इस दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा पर जमकर निशाना साधा और कहा कि ऐसे समय में जब पूरी दुनिया कोरोनावायरस से लड़ रही है, बीजेपी सरकार गिराने का काम कर रही है।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने राजस्थान को गोवा या मध्यपदेश नहीं बनने दिया। गहलोत ने कहा कि पूरी पार्टी संगठित है और एकजुट है।
आपको बता दें कि सचिन पायलट के व्रिदोह के बाद गहलोत सरकार पर संकट के बादल छा गए थे, लेकिन अब सरकार खतरे से बाहर है।
नई दिल्ली, 14 अगस्त (आईएएनएस)| भारतीय जनता पार्टी महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को बिहार विधानसभा चुनाव में उतारने की तैयारी में है। उन्हें राज्य का चुनाव प्रभारी बनाया जा सकता है। यह जानकारी पार्टी सूत्रों ने दी है। बिहार चुनाव के मोर्चे पर फडणवीस को लगाने के पीछे उनकी नेतृत्व क्षमता, चुनावी रणनीति बनाने में कुशलता के साथ ही सुशांत सिंह राजपूत फैक्टर को भी अहम वजह माना जा रहा है। भाजपा की नेशनल यूनिट के एक नेता ने आईएएनएस से देवेंद्र फडणवीस को बिहार चुनाव में अहम जिम्मेदारी मिलने की पुष्टि की, हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अभी औपचारिक घोषणा होनी बाकी है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि जिस तरह से सुशांत सिंह राजपूत का मामला सुर्खियों में आया है बिहार के लोग महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार से नाराज हैं और वे भावनात्मक रूप से इस पूरे मामले से जुड़े हैं। ऐसे में महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के राजनीतिक प्रतिद्वंदी देवेंद्र फडणवीस को बिहार चुनाव के मोर्चे पर लगाकर पार्टी बड़ा दांव चलने की कोशिश में है। फडणवीस उद्धव ठाकरे सरकार पर लगातार हमलावर रहे हैं। बीजेपी अगर सुशांत सिंह राजपूत के मामले को चुनावी मुद्दा बनाएगी तो फडणवीस इसमें कारगर भूमिका निभा सकते हैं।
पार्टी के एक दूसरे नेता ने आईएएनएस से कहा कि राष्ट्रीय महासचिव और बिहार के प्रभारी भूपेंद्र यादव महाराष्ट्र चुनाव में भी प्रभारी रहे थे। उस वक्त देवेंद्र फडणवीस और उन्होंने मिलकर धारदार चुनावी रणनीति बनाई थी। यह अलग बात है कि गठबंधन से शिवसेना के अलग हो जाने के कारण महाराष्ट्र में सरकार नहीं बन सकी। लेकिन पार्टी का प्रदर्शन और स्ट्राइक रेट अपेक्षा के अनुरूप था। ऐसे में चुनावी रणनीति बनाने में कुशल माने जाने वाले दोनों नेताओं की जोड़ी के जरिए भाजपा बिहार में सफलता हासिल करना चाहती है।
नई दिल्ली / जयपुर, 14 अगस्त (आईएएनएस)| बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने राजस्थान में फ्लोर टेस्ट के दौरान अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ वोट करने के लिए अपने पूर्व विधायकों को एक व्हिप जारी किया है। गौरतलब है कि शुक्रवार से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र के दौरान फ्लोर टेस्ट आयोजित किया जा सकता है। पिछले साल बसपा के छह विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए थे। इसे बसपा ने अवैध करार दिया था और अदालत में चुनौती दी थी।
यह व्हिप पार्टी महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा द्वारा जारी किया गया है। उन्होंने छह विधायकों को दसवीं अनुसूची के सेक्शन 2 (1) (ए) के तहत जारी व्हिप के अनुसार वोट करने या दसवीं अनुसूची के 2 (1) (बी) के तहत अयोग्यता का सामना करने के निर्देश दिए हैं।
यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी गया, लेकिन राजस्थान हाईकोर्ट में यह मामला लंबित होने के कारण कोई आदेश पारित नहीं किया गया।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट में दावा किया कि राजस्थान में 7 दिसंबर, 2018 को हुए विधानसभा चुनाव में बसपा द्वारा जारी किए गए टिकटों पर पार्टी के छह विधायक चुने गए थे।
ये छह विधायक -- संदीप यादव, वाजिब अली, दीपचंद खेरिया, लखन मीणा, जोगेंद्र अवाना और राजेंद्र गुढ़ा हैं, जिन्होंने बाद में सितंबर 2019 में कांग्रेस का दामन थाम लिया था।
सचिन पायलट के साथ हुए विवाद के बाद कांग्रेस सरकार विधायकों की संख्या के मामले में सुरक्षित है, क्योंकि पार्टी के पास आवश्यक बहुमत से अधिक विधायक हैं। वहीं कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक में पायलट और अशोक गहलोत ने पार्टी ऑब्जर्वर की मौजूदगी में हाथ मिलाया।
वहीं सीएलपी की बैठक से पहले दोनों नेता -- अशोक गहलोत और सचिन पायलट भी मिले।
बैठक में गहलोत ने बीती बात को भुलाने का आह्वान करते हुए कहा, "अपने ताउ अपने होते हैं। हम इन 19 विधायकों के बिना भी सदन के पटल पर बहुमत साबित कर सकते थे, लेकिन तब चारों ओर खुशी नजर नहीं आएगी।"
गहलोत ने आगे कहा, "हम खुद ही अविश्वास प्रस्ताव को आगे बढ़ाएंगे। हम अपने उन विधायकों की शिकायतों को भी हल करेंगे जो हमसे नाराज हैं।"
वहीं भाजपा ने गुरुवार को घोषणा की कि वह विशेष विधानसभा सत्र शुरू होने पर गहलोत सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी।
सिंधिया समर्थक मंत्रियों के विभागों में कद्दावर अफसरों की नियुक्ति कर उनके हाथ-पैर बाँध दिए गए हैं, ऐसे में कई मंत्री सिंधिया से भी नाराज, वे खुद को घुटन में महसूस कर रहे हैं
पंकज मुकाती
(राजनीतिक विश्लेषक)
शिवराज सिंह चौहान, चूकने वाले राजनेता नहीं हैं। वे ज्योतिरादित्य सिंधिया के बढ़ते कद को बौना करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। सिंधिया समर्थकों को वे लम्बी पारी नहीं खेलने देंगे। चौथी बार के मुख्यमंत्री के मुँह से शहद और चेहरे पर भोलापन जरूर है, पर वे हैं भीतर उतने से ही शातिर। सिंधिया के समर्थक मंत्रियों को बड़े पद भले मिल गए हो पर उनकी कमान शिवराज ने पिछले दरवाजे से अपने हाथ में ले ली हैं। शिवराज ने अपने खास अफसरों को इन मंत्रियों के विभागों का जिम्मा दे दिया है।
ऐसे में सभी मंत्री बेहद बेचैन और गुस्सा हैं। शिवराज ने तबादले में चुन-चुनकर अफसरों की नियुक्ति की है। अब ऐसे मंत्रियों के विभागों की फाइल आगे बढऩा मुश्किल हैं। एक तरह से सिंधिया समर्थकों के विभाग शिवराज के अफसर ही चलाएंगे। ये मंत्री सिर्फ शोभा की सुपारी बने रहेंगे। सूत्रों के अनुसार भाजपा हाईकमान भी सिंधिया के जिद के आग झुक भले गया हो, पर वो पूरे अधिकार सिंधिया को नहीं देना चाहता। एक तरह से सिंधिया के मंत्रियों के बाड़ाबंदी कर दी गई है। कुछ मंत्रियों ने दबी जुबान ये भी कहना शुरू कर दिया इससे तो कांग्रेस में ही अच्छे थे।
मध्यप्रदेश में तबादलों की जो सूचियां पिछले दिनों आई उसने साबित कर दिया कि भाजपा ने सिंधिया के खिलाफ राजनीति शुरू कर दी है। कुछ बड़े और दबंग अफसरों की नियुक्ति ने इस पर मुहर लगा दी है। कई कद्दावर और शिवराज के करीबी अफसरों की नियुक्ति सिंधिया समर्थक मंत्रियों के विभागों में की गई है।
ऐसे नियुक्तियों ने मंत्रियों के हाथ-पैर बाँध दिए हैं। कई मंत्री नाराज है। खासकर तुलसी सिलावट और गोविन्द सिंह राजपूत तो अपने विभागों में कोई काम ही नहीं करा पा रहे। शिवराज इन दोनों को हर हल में नाकाबिल साबित करना चाहते हैं। इसके पीछे साफ़ रणनीति है सिंधिया के दो करीबियों को कमजोर करना। एक तरफ से मंत्रियों के विभागों में शिवराज ने जासूस नियुक्त कर दिए हैं।
देरी का फायदा उठाया
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जब देखा कि सिंधिया जिद पर अड़े हैं। विभागों से लेकर ट्रांसपोर्ट कमिश्नर तक में उनकी चल रही है। ऐसे में शिवराज ने मंत्रिमंडल के साथ ही अफसरों के जरिये खुद को मजबूत कर लिया। सिंधिया सर्मथक मंत्रियों में इसे लेकर गुस्सा है। सूची देखेंगे तो साफ़ झलकता है कि शिवराज के करीबी मंत्रियों के यहां कमजोर अधिकारी नियुक्त किये गए। जबकि सिंधिया समर्थकों के विभागों की कमान ऐसे अफसरों को सौंपी गई जो हर फाइल में कोई रेड लाइन लगाकर उसे रोक सके।
नरोत्तम मिश्रा से भी तकरार सामने आया
शिवराज के सामने मुख्यमंत्री पद के दावेदार के तौर पर उभर रहे नरोत्तम मिश्रा को विभाग में राजेश राजौरा की नियुक्ति कर दी गई है। नरोत्तम और राजेश राजौरा के बीच कभी भी अच्छे सम्बन्ध नहीं रहे। अफसरशाही और कैबिनेट में सभी ये बात अच्छे से जानते हैं कि राजेश राजौरा कभी भी मंत्रियों की नहीं सुनते। वे अपने हिसाब से काम करने के आदि हैं।
अब सिंधिया समर्थकों के विभाग पर नजर डालते हैं। तुलसी सिलावट के विभाग में अब एसएम मिश्रा की नियुक्ति कर दी गई है। बिसाहू लाल सिंह के विभाग में फैज अहमद किदवई जैसा नाम है। राजवर्धन सिंह दत्ती गांव के विभाग में अब विवेक पोरवाल प्रमुख रहेंगे।
क्या उपचुनाव के नतीजों तक मंत्रियों की बाड़ाबंदी की गई ?
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार ऐसा कभी होता नहीं। मंत्री अपनी पसंद के अफसर रखते आये हैं। मंत्री और अफसरों के बीच सम्बन्ध अच्छे न होंगे तो कभी भी कोई काम आगे नहीं बढ़ सकेगा। भाजपा की रणनीति से जुड़े रहे लोगों का मानना है कि सिंधिया का जो कद भाजपा में बड़ा और भविष्य के लिहाज से चमकदार दिखाया जा रहा है, ऐसा है नहीं।
भाजपा नहीं चाहती कि उपचुनाव के नतीजों तक सिंधिया समर्थकों के विभागों में कोई बड़े फैसले हो सके। साथ पार्टी एक रणनीति के तहत इन मंत्रियों पर नजर रखे हुए हैं। बहुत संभव है कि चुनाव के नतीजों के बाद बड़े स्तर पर मंत्रियों के पर कतरे जाएँ। खासकर तुलसी सिलावट और गोविन्द सिंह राजपूत के कद को भाजपा कमजोर करना चाहती है। (politicswala)
मनोज पाठक
पटना, 12 अगस्त (आईएएनएस)| बिहार के विपक्षी महागठबंधन में अब तक सार्वजनिक तौर पर भले ही सीटों के विभाजन का फॉमूर्ला तय नहीं हुआ है, लेकिन अंदरखाने में कहा जा रहा है कि इसके लिए गठबंधन में शामिल दलों के बीच कई दौर की बातचीत हो गई है। इस बीच हालांकि कांग्रेस ने 243 विधानसभा सीटों में से 80 सीटों पर दावा ठोंक दिया है। इधर, इसे लेकर गठबंधन में शामिल छोटे दल संशय की स्थिति में हैं।
महागठबंधन में शामिल प्रमुख दल कांग्रेस के 80 सीटों पर दावा ठांेकने के बाद अन्य छोटे दल सकते में आ गए हैं। हालांकि सूत्रों का यह भी कहना है कि महागठबंधन इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए प्रमुख घटक राजद और कांग्रेस के बीच 163 और 80 फॉमूर्ला बनाकर सीट बंटवारे के सौदे के करीब पहुंच गए हैं।
फिलहाल बिहार में 243 विधानसभा सीटें में से 81 पर राजद और 27 पर कांग्रेस का कब्जा है। सूत्रों का कहना है कि दोनों दल इस पर भी सहमत हो गए हैं कि राजद अपने 163 सीटों के कोटे से विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) सहित महागठबंधन के अन्य दलों को समायोजित करने की कोशिश करेगी, जबकि कांग्रेस, राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा को समायोजित करेगी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह ने कहा है कि विधानसभा चुनाव में पार्टी कम से कम 80 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इससे कम सीटों पर पार्टी चुनाव मैदान में नहीं जाएगी। उन्होंने अपनी मांग से पार्टी आलाकमान को भी अवगत करा दिया है।
उन्होंने यहां तक कहा, "हमारी 80 सीटों की मांग कोई नई नहीं है। हाल में पार्टी के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल के साथ हुई बैठक में भी यह मुद्दा उठाया गया था। कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर की पार्टी है। पिछले चुनाव में महागठबंधन में जनता दल यूनाइटेड भी सहयोगी था, लेकिन इस बार जदयू महागठबंधन का हिस्सा नहीं है। ऐसे में उसकी हिस्सेदारी वाली सीटों पर कांग्रेस की दावेदारी बनती है।"
इधर, राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी भी स्वीकार करते हुए कहते हैं कि सीट बंटवारे को लेकर बातचीत चल रही है, लेकिन अब तक बहुत कुछ साफ नहीं है। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि हमलोग एक मजबूत गठबंधन चाहते हैं।
इधर, गठबंधन में समन्वय समिति नहीं बनने पर अभी भी नाराजगी बनी हुई है। गठबंधन में शामिल छोटे दल के नेता खुलकर तो कुछ खास नहीं बोलते लेकिन एक नेता ने नाम नहीं प्रकाषित करने की षर्त पर इतना जरूर कहते हैं कि समन्वय समिति बने बिना सीट बंटवारे की बात बेमानी है। हमलोग गठबंधन में षामिल है, किसी खास दल से गठबंधन थोडे हुए है कि खास पार्टी हमें सीट देगी।
बहरहाल, बिहार में समय पर चुनाव होने के आहट के साथ ही पार्टियों में सीट बंटवारे को लेकर रस्साकसी शुरू हो गई है। अब देखने वाली बात है कि किसके हिस्से में कितनी सीटें आती हैं।
जयपुर, 11 अगस्त (आईएएनएस)| सचिन पायलट और उनके खेमे के कांग्रेस विधायकों के बागी तेवरों से उत्पन्न संकट का समाधान होने के बाद, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंगलवार को कहा कि वह उनकी शिकायतों को जानने और उनका दिल जीतने की कोशिश करेंगे। गहलोत कांग्रेस विधायक दल की बैठक की अध्यक्षता करने के लिए जैसलमेर रवाना होने से पहले मीडिया से बात कर रहे थे, जहां उनके खेमे के विधायक रह रहे हैं।
उन्होंने कहा, "बतौर मुख्यमंत्री अपने विधायकों का दिल जीतना मेरी जिम्मेदारी है, अगर उनके पास मुझसे नाराज होने का कोई कारण है। हम यह पता लगाने की कोशिश करेंगे कि उनसे क्या वादे किए गए थे और क्यों वे नाराज हैं।"
गहलोत ने बताया कि कांग्रेस आलाकमान द्वारा विधायकों की शिकायतों को देखने के लिए 3 सदस्यीय समिति बनाई गई है।
हालांकि, कांग्रेस में पायलट की वापसी पर जब गहलोत की राय जानने की कोशिश की गई तो वह इस सावल को टाल गए। इससे पहले, मुख्यमंत्री ने पूर्व उममुख्यमंत्री को 'निकम्मा' और 'नकारा' तक कह डाला था।
जुलाई में उपमुख्यमंत्री और पीसीसी प्रमुख के पद से बर्खास्त किए गए पायलट पार्टी नेतृत्व से मिलने के बाद सड़क मार्ग से राज्य की राजधानी जयपुर लौट रहे हैं और उनका समर्थकों द्वारा विभिन्न स्थानों पर स्वागत किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने भाजपा पर भी निशाना साधते हुए कहा कि उनकी सभी योजनाएं और अनुमान बुरी तरह विफल रही हैं।
उन्होंने कहा, "उस स्थिति की कल्पना कीजिए जब उनके द्वारा हायर किए गए 3 विमान खड़े ही रह गए क्योंकि विधायकों ने एक नई जगह जाने से इनकार कर दिया था। वे कैम्पिंग के लिए भी अपने विधायकों को ले जाना चाहते थे, वह भी नहीं किया जा सका। मंगलवार को एक होटल में विधायकों की एक बैठक भी होने वाली थी, वह भी रद्द हो गया। देखिए, वे कितनी बुरी तरह से विफल हुए हैं।"
गहलोत ने कहा कि वह कांग्रेस के उन विधायकों का बहुत सम्मान करते हैं जो एक महीने तक होटलों में रहे और उनमें से एक भी प्रतिद्वंद्वी खेमे में शामिल नहीं हुआ।
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार 5 साल पूरे करेगी और अगले विधानसभा चुनाव में भी सत्ता में आएगी।
तिरुअनंतपुरम, 11 अगस्त (आईएएनएस)| कांग्रेस नेता राहुल गांधी को फिर से पार्टी अध्यक्ष बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। केरल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रमेश चेन्निथला ने मंगलवार को कहा कि राहुल गांधी ही देश में ऐसे नेता हैं जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विकल्प हो सकते हैं। चेन्निथला ने राहुल गांधी को एक पत्र लिख कर पार्टी का फिर से अध्यक्ष बनने की अपील की है।
चेन्निथला ने कहा, "मोदी सरकार के सत्तावादी शासन का एक मात्र विकल्प राहुल गांधी हैं। ऐसे वक्त जब कि कुछ मीडिया हाउस एक तरफा खबरें चला रहे हैं, राहुल गांधी ही एक ऐसे नेता हैं जो अन्याय के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।"
उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ता राहुल गांधी के कांग्रेस पार्टी का फिर से अध्यक्ष बनने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो इससे पार्टी कार्यकतार्ओं में नया जोश पैदा होगा और फिर हम पुराने मुकाम पर पहुंच पाएंगे ।
उन्होंने कहा कि मौजूदा पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की तबीयत खराब रहती है, ऐसे में पार्टी एक अभूतपूर्व संकट के दौर से गुजर रही है ।
चेन्निथला ने कहा, "बीजेपी की कुटिलता और मजबूती की काट के लिए आपके युवा और गतिशील नेतृत्व की काफी जरूरत है। आपने जो चुनाव की हार की जिम्मेदारी लेते हुए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था उससे पार्टी की लोकतांत्रिक जड़ों को काफी मजबूती मिली है । लेकिन अब वक्त आ गया है कि आप अपने फैसले पर फिर से विचार करें । पांच राज्यों में चुनाव आने वाले हैं।"
राहुल गांधी को लिखे पत्र के अंत में चेन्निथला ने उनसे अपील की कि पूरे देश के कांग्रेस कार्यकर्ता और उदारवादी जनता की आकांक्षा के मद्देनजर आप देश को फिर से लोकतांत्रिक परम्परा की ओर ले चलें ।
नई दिल्ली, 2 अगस्त (आईएएनएस)| राहुल गांधी के करीबी राज्यसभा सदस्यों द्वारा 10 साल के संप्रग शासन के दौरान कांग्रेस के प्रदर्शन के बारे में आत्मनिरीक्षण की बात कहने की बहस के बीच, पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने रविवार को पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का बचाव किया। उन्होंने भाजपा पर हमला किया और उसे 'शकुनी' कह डाला। आनंदपुर साहिब निर्वाचन क्षेत्र के सांसद तिवारी ने ट्वीट किया, "दुर्भाग्य से संप्रग अपने खिलाफ साजिशों से पार नहीं पा सका। शकुनियों से भरी दुनिया में इसकी अगुवाई सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह जैसे सज्जन लोगों ने किया था और कर रहे हैं।"
जब आईएएनएस ने तिवारी से उनकी 'शकुनी' टिप्पणी के बारे में संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि भाजपा ने तत्कालीन संप्रग सरकार के खिलाफ भयावह अभियान का नेतृत्व किया।
तिवारी ने संकेत दिया कि भयावह अभियान 2जी और कोयला ब्लॉक आवंटन मुद्दा था, जिसमें भाजपा ने कैग रिपोर्ट का हवाला देते हुए भ्रष्टाचार का आरोप लगाया, जिसके कारण 2014 के चुनाव में संप्रग की हार हुई।
तिवारी ने कहा कि संप्रग सरकार की उपलब्धि को पीएमओ अभिलेखागार में देखा जा सकता है और सरकार ने आरटीआई, आरटीई, मनरेगा, खाद्य सुरक्षा और अन्य विकासात्मक कार्यों में बहुत काम किया है।
नई दिल्ली, 31 जुलाई (आईएएनएस)| देश में तीन तलाक कानून लागू होने के एक साल पूरे होने पर शुक्रवार को मोदी सरकार के तीन केंद्रीय मंत्रियों ने देश भर की मुस्लिम महिलाओं को वीडियो कांफ्रेंसिंग से संबोधित किया। मुस्लिम महिला अधिकार दिवस पर बोलते हुए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि 1980 के दशक में कांग्रेस के पास मुस्लिम बहनों के हक में फैसला करने का मौका था, लेकिन उनके लिए वोट ज्यादा महत्वपूर्ण था मुस्लिम बहनों का जीवन नहीं। स्मृति ईरानी ने कहा कि सही जंग उन बहनों ने लड़ी, जिन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जिन्होंने इस नाइंसाफी से सभी के लिए जंग लड़ी। उन्होंने कहा कि आज का दिन सिर्फ मुसलमान बहनों का दिन नहीं है, बल्कि हर महिला का दिन है, जो चाहती है कि महिलाओं को हर दिन समाज में सम्मान मिले।
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि माना जाता है कि महिलाओं की लड़ाई महिलाएं लड़ती हैं लेकिन हमारे देश का इतिहास रहा है, सभ्यता और परंपरा रही है कि जब तक कोई कुरीति समाज के सामने प्रस्तुत होती है, तो भाई भी अपना योगदान देने से चूकते नहीं।
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने संसद और संसद के बाहर मुस्लिम महिलाओं के अधिकार के लिए जंग छेड़ दी। आज का दिन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई देने का दिन है, जिनकी वजह से देश की मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से छुटकारा मिल सका। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में 2014 से बड़े बदलाव लाने में सफल हुए हैं।
केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साहसिक फैसले की वजह से तीन तलाक से मुस्लिम बहनों को छुटकारा मिल सका। तीन तलाक कानून लागू होने के बाद देश में तीन तलाक से जुड़े मामलों की संख्या में 82 प्रतिशत की कमी हुई है।
रविशंकर प्रसाद, नकवी और महिला एवं ईरानी ने इस दौरान वाराणसी, लखनऊ, मुंबई आदि स्थानों की मुस्लिम महिलाओं से वीडियो कांफ्रेंसिंग से बात की। सभी महिलाओं ने तीन तलाक कानून को लेकर अपने अनुभव साझा किए।
नई दिल्ली, 27 जुलाई (आईएएनएस)| पूर्व कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी ने सोमवार को लद्दाख में चीनी घुसपैठ को लेकर मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि "सच्चाई को छुपाना" और चीन को भारतीय भूमि पर कब्जा करने की अनुमति देना "राष्ट्रविरोधी" है जबकि लोगों का ध्यान इस ओर खींचना "देशभक्ति" है। गांधी ने श्रृंखला में अपना चौथा वीडियो संलग्न करते हुए एक ट्वीट में कहा, "चीनी लोगों ने भारतीय भूमि पर कब्जा कर लिया है। इस सच्चाई को छिपाना और उन्हें इसे लेने की अनुमति देना देशद्रोह है। जबकि लोगों का ध्यान इस ओर आकर्षित कराना देशभक्ति है।"
'चीन पर कठिन सवाल' शीर्षक वाले वीडियो में केरल के वायनाड से कांग्रेस सांसद ने कहा, "एक भारतीय के रूप में, मेरी पहली प्राथमिकता देश और उसके लोग हैं।"
सरकार पर हमला करते हुए गांधी ने कहा, "आप ऐसे लोगों पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं जो चीन पर प्रधानमंत्री से आपके सवाल कहते हैं?"
कांग्रेस नेता ने कहा, "अब, यह बहुत स्पष्ट है कि चीनी हमारे क्षेत्र में प्रवेश कर चुके हैं। यह चीज मुझे परेशान करती है। यह मेरे खून को उबालता है कि कुछ अन्य देश हमारे क्षेत्र में कैसे आ सकते हैं?"
उन्होंने कहा, "अब यदि आप एक राजनेता के रूप में चाहते हैं कि मैं चुप रहूं और अपने लोगों से झूठ बोलूं, जबकि मैं पूरी तरह आश्वस्त हूं क्योंकि मैंने सैटेलाइन तस्वीरें देखी हैं।"
राहुल ने आगे कहा, "मैंने सेना के पूर्व अधिकारियों से बात की है। यदि आप चाहते हैं कि मैं झूठ बोलूं कि चीनियों ने इस देश में प्रवेश नहीं किया है तो मैं झूठ नहीं बोलूंगा। मैं ऐसा नहीं करूंगा। मुझे परवाह नहीं है कि इससे मेरा पूरा करियर नरक में चला जाए पर मैं झूठ नहीं बोलूंगा। मुझे लगता है कि जो लोग हमारे देश में चीनियों के घुसने के बारे में झूठ बोल रहे हैं, वे लोग राष्ट्रवादी नहीं हैं।"
उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि जो लोग झूठ बोल रहे हैं और कह रहे हैं कि चीनी, भारत में नहीं हैं, वे देशभक्त नहीं हैं। इसलिए मुझे परवाह नहीं है इसकी कीमत मुझे राजनेता के तौर पर चुकानी पड़े।"
बता दें कि सर्वदलीय बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा था कि चीन ने भारत की भूमि में प्रवेश नहीं किया है। इसके बाद 17 जुलाई को, गांधी ने अपना पहला वीडियो जारी किया था और सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाया।
जयपुर, 24 जुलाई (आज तक)। राजस्थान के रण में लगातार सियासी उठापटक का खेल जारी है। शुक्रवार को हाई कोर्ट का फैसला आना है, इससे पहले भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने बड़ा बयान दिया है। सतीश पूनिया का कहना है कि अगर प्रदेश में परिस्थितियां बनती हैं, तो सचिन पायलट भी राजस्थान के मुख्यमंत्री बन सकते हैं।
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बोले कि सचिन पायलट मुख्यमंत्री बनने के लिए ही बगावत किए हैं और देश में ऐसा इतिहास रहा है कि जिनके पास कम विधायक रहे हैं, वह भी मुख्यमंत्री बने हैं।
जब सतीश पूनिया से उन परिस्थितियों के बारे में सवाल हुआ तो उन्होंने कहा कि कई बार ऐसे समीकरण बनते हैं, जब छोटे दल के लोग मुख्यमंत्री बनते हैं। हालांकि, बीजेपी ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है क्योंकि अभी तक राजस्थान में राजनीतिक हालात स्पष्ट नहीं है।
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस अपने अंतर्विरोध की वजह से खत्म हो रही है, जहां पर सचिन पायलट जैसे नेता को पार्टी छोडऩी पड़ रही है। कांग्रेस का इतिहास रहा है कि हाथ से निकल के नेता अपने आप को स्थापित किए हैं।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विधानसभा सत्र बुलाए जाने के सवाल पर पूनिया ने कहा कि जब मामला कोर्ट में है, तब विधानसभा का सत्र नहीं बुलाया जा सकता है क्योंकि दो संवैधानिक संस्थाएं आपस में अपने अधिकार को लेकर नहीं टकरा सकती हैं।
बीजेपी नेता ने कहा कि सरकार को हाई कोर्ट के फैसले और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए और उसके बाद ही सदन की बैठक बुलानी चाहिए। गौरतलब है कि कांग्रेस की ओर से लगातार आरोप लगाया जा रहा है कि सचिन पायलट और भारतीय जनता पार्टी मिलकर गहलोत सरकार को गिराना चाहते हैं। दूसरी ओर सचिन पायलट की ओर से कहा जा रहा है कि वह अभी भी कांग्रेस पार्टी में हैं और पार्टी के अंदर रहकर ही अपनी लड़ाई लड़ेंगे।
जयपुर, 20 जुलाई (आईएएनएस)। राजस्थान के विधायक राजेंद्र गुडा ने रविवार को यहां कहा कि खरीद-फरोख्त मामले के आरोपी संजय जैन ने उनसे कुछ महीने पहले संपर्क किया था और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मिलाने के लिए भी कहा था।
गुडा बसपा के पांच अन्य विधायकों के साथ कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। गुडा ने कहा, जैन मुझे भाजपा विधायकों से मिलाना चाहता था। उसने मुझसे यह भी कहा कि मैं वसुंधरा राजे से मिलूं। उस समय हम कांग्रेस में शामिल नहीं हुए थे और हम बसपा विधायक के रूप में थे। उन्होंने कहा कि भाजपा ने कांग्रेस सरकार को गिराने की साजिश एक लंबे समय से शुरू कर दी थी।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा ने दो दिन पहले तीन आडियो क्लिप जारी किए थे, जिसमें कथित तौर पर कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और जैन के बीच विधायकों की खरीद-फरोख्त से संबंधित बातचीत शामिल थी।
गुडा ने पुष्टि की कि वह गहलोत सरकार के साथ हैं। उन्होंने कहा, हमारी सरकार सदन में बहुमत साबित करेगी, क्योंकि इसके पास संख्या है। सचिन पायलट के बगावती सुर के बाद से कांग्रेस सरकार एक बड़े संकट का सामना कर रही है। पायलट ने घोषणा की थी कि गहलोत सरकार अल्पमत में है, क्योंकि उनके पास 30 विधायकों का समर्थन है।
उसके बाद से ही गहलोत खेमे के विधायक एक पांच सितारा होटल में डेरा जमाए हुए हैं, जबकि पायलट खेमे के विधायक मानेसर के एक होटल से निकलने के बाद कथित तौर पर दिल्ली में विभिन्न होटलों में ठहरे हुए हैं।
बसपा प्रमुख मायावती ने शनिवार को गहलोत सरकार पर बसपा के छह विधायकों को तोडऩे का आरोप लगाया था और राजस्थान में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि गहलोत ने बसपा के साथ धोखा किया और कुछ महीने पहले इसके छह विधायकों को कांग्रेस में शामिल करा लिया।
मायावती ने कहा, गहलोत भाजपा पर आरोप लगा रहे हैं कि वह उनके विधायकों को तोड़ रही है, लेकिन उन्होंने खुद राजस्थान में बसपा के छह विधायकों को तोडक़र यही काम किया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि गहलोत ने खुलेआम दल-बदल कानून का उल्लंघन किया है और बसपा के साथ दूसरी बार धोखा किया है। उन्होंने बसपा विधायकों को कांग्रेस में शामिल करा लिया। उन्होंने मांग की, राज्यपाल कलराज मिश्र को राज्य में राजनीतिक अस्थिरता का संज्ञान लेना चाहिए और राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करनी चाहिए।
जयपुर, 18 जुलाई । राजस्थान में कांग्रेस पार्टी के बागी विधायकों या सचिन पायलट को हाईकोर्ट से शुक्रवार को भले ही अंतरिम राहत मिली हो लेकिन प्रदेश के अशोक गहलोत सरकार ने उन्हें चौतरफा घेरना शुरू कर दिया है। सरकार के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने शुक्रवार को एसओजी में एफआईआर दर्ज कराने के साथ ही भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में भी एफआईआर दर्ज करा दी है। इस बारे में एसओजी के डीजी आलोक त्रिपाठी की ओर कहा गया है कि ब्यूरों में जो एफआईआर दर्ज की गई है वो भ्रष्टाचार को लेकर हुई है।
हॉर्स ट्रेडिंग मामले दोनों जांच एजेंसियों में पहले से ही जांच कर रही है और अब सरकार ऑडियो क्लिप्स मामले में भी कानूनी शिकंजा कसने की तैयारी में है। उधर, बीएसपी सुप्रीमो मायावती भी इस सियासी दंगल में कूद पड़ी हैं। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा है कि गहलोत ने पहले दल-बदल कानून का खुला उल्लंघन और बीएसपी के साथ लगातार दूसरी बार दगाबाजी करके पार्टी के विधायकों को कांग्रेस में शामिल कराया है। अब जग-जाहिर तौर पर फोन टेप कराके इन्होंने एक और गैर-कानूनी व असंवैधानिक काम किया है।
राजस्थान पुलिस के विशेष कार्यबल यानी एसओजी ने शुक्रवार को राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार को अस्थिर करने के लिये विधायकों की खरीद फरोख्त वाले ओडियो टेप में कथित रूप से नाम आने पर संजय जैन को गिरफ्तार कर लिया है। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एटीएस एवं एसओजी) अशोक राठौड के अनुसार जैन को सोशल मीडिया पर वायरल हुई ऑडियो रिकॉर्डिंग के आधार पर दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस के अनुसार जैन को बृहस्पतिवार और शुक्रवार को पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया है। गहलोत सरकार को गिराने के कथित षडयंत्र वाले सोशल मीडिया पर वायरल हुए तीन ओडियो टेप में से एक टेप में कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा, गजेन्द्र सिंह और संजय जैन के बीच कथित बातचीत के खिलाफ जांच की मांग को लेकर कांग्रेस के मुख्य सचेतक महेश जोशी की ओर से देशद्रोह का मामला दर्ज करवाया गया था। एसओजी ने विधायकों की कथित खरीद फरोख्त और कथित ओडियो टेप रिकार्डिंग मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए (देशद्रोह) और 120 बी (षडय़ंत्र)के तहत शुक्रवार को दो प्राथमिकी दर्ज की। (navbharattimes.indiatimes.com)
जयपुर, 13 जुलाई (भाषा)। राजस्थान में चल रही सियासी धक्कामुक्की के बीच बड़ी संख्या में कांग्रेस के विधायक मुख्यमंत्री आवास पर पहुंचे। विधायक दल की बैठक सुबह 10.30 पर होनी थी लेकिन यह दोपहर 12 बजे के बाद शुरू हुई। यहां सीएम गहलोत का समर्थन करने के लिए कांग्रेस के विधायकों के साथ केंद्रीय नेतृत्व द्वारा भेजे गए कांग्रेस के नेता भी नजर आए। सभी नेताओं ने वहां मीडिया की तरफ विजयी मुद्रा में इशारा किया। कांग्रेस लगातार इस बात का दावा कर रही है कि राजस्थान में गहलोत सरकार को कोई खतरा नहीं है। इसे सीएम गहलोत का पायलट के खिलाफ शक्ति प्रदर्शन माना जा रहा है।
राजस्थान के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने इससे पहले कहा कि गहलोत सरकार के पास जादुई आंकड़ा मौजूद है। राज्य सरकार कहीं नहीं जाएगी। पार्टी नेताओं के मुताबिक विधायक दल की बैठक में भाग लेने के लिए कांग्रेस के साथ साथ बीटीपी के दो, माकपा के एक, राष्ट्रीय लोकदल के एक विधायक सहित अनेक निर्दलीय विधायक पहुंचे हैं।
नई दिल्ली, 13 जुलाई। हार्दिक पटेल को गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किए जाने के बाद कुछ अखबारों ने इसे सोनिया गांधी के करीबी कहे जाने वाले अहमद पटेल की गुजरात की राजनीति पर पकड़ कमजोर होने का संकेत बताया है।
इकोनॉमिक टाइम्स अखबार ने लिखा है कि कांग्रेस पार्टी ने इस पीढ़ीगत बदलाव के जरिए एक मजबूत संदेश देने की कोशिश की है। साथ ही यह नियुक्ति कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष के पूर्व राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल की गुजरात कांग्रेस की राजनीति पर पकड़ कमजोर होने का संकेत भी है।
रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस पार्टी के सीनियर नेताओं के बीच इस निर्णय से असंतोष का माहौल बना हुआ है जबकि प्रदेश बीजेपी के नेताओं को चिंता हो रही है कि हार्दिक पटेल ना सिर्फ पाटीदारों के, बल्कि सूरत के हीरा उद्योग से जुड़े प्रवासियों के भी वोट खींच सकते हैं। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हार्दिक पटेल की नियुक्ति का निर्णय राहुल गांधी ने लिया है जो पार्टी में एक नई ऊर्जा डालने का उनका प्रयास है।
दिल्ली के एक बड़े कांग्रेसी नेता ने इकनॉमिक टाइम्स से कहा, हार्दिक पटेल को कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने का फैसला बहुत ही सधा हुआ फैसला है। वे बहुत ही सक्रिय नेता हैं और जमीनी स्तर पर कांग्रेस को खड़ा करने में सहायक साबित होंगे। इसलिए उन्हें एक महत्वपूर्ण पद दिया गया है, पर ये प्रदेश कांग्रेस का सबसे बड़ा पद नहीं है।
नियुक्ति के बाद हार्दिक पटेल ने कहा, मैंने पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं से बात की। कुछ ने मुझे ख़ुद बुलाया और सभी मेरे इस पद पर नियुक्त होने से खुश हैं। हर किसी का मुझे समर्थन है। आखिरकार हम सब चाहते हैं कि गुजरात में एक बार फिर कांग्रेस की सरकार बने।
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, हार्दिक पटेल पिछले कुछ समय से लगातार कांग्रेस पार्टी की अध्यक्षा सोनिया गांधी से मिल रहे थे। हार्दिक ने गुजरात में जमीनी स्तर पर कांग्रेस के लिए काम करने की इच्छा भी जाहिर की थी।
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा है कि कांग्रेस पार्टी हार्दिक पटेल को राष्ट्रीय स्तर का पद देना चाहती थी लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया और कहा कि अभी वे राज्य स्तर पर ही काम करना चाहते हैं। (bbc.com/hindi)
भोपाल, 12 जुलाई। राजस्थान में सियासी उठा पठक के बीच एमपी में कांग्रेस को एक और बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस विधायक प्रद्युमन सिंह लोधी भी पार्टी छोड़ दिया है। लोधी ने सीएम शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली है। सीएम शिवराज सिंह चौहान से मिलने से पहले प्रद्युमन सिंह लोधी पूर्व सीएम उमा भारती से मिलने उनके आवास पर गए थे।
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा ने कहा है कि हम विधायक प्रद्युमन सिंह लोधी को सीएम शिवराज सिंह से मिलवाने ले जा रहे हैं। सीएम आवास में प्रद्युमन सिंह लोधी ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली है। इस मौके पर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें मिठाई खिलाई है। सदस्यता ग्रहण करते वक्त सीएम शिवराज सिंह चौहान के साथ प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी मौजूद थे।
सदस्यता ग्रहण करने के दौरान सीएम शिवराज सिंह चौहान ने लोधी को मिठाई खिलाई है। चर्चा है कि लोधी को भी राज्यमंत्री बनाया जा सकता है। इसके साथ ही कांग्रेस के अन्य भी कई विधायक बीजेपी के संपर्क में हैं।
बुंदेलखंड में झटका
2018 के विधानसभा चुनाव में बड़ा मलहरा विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की ललिता यादव और कांग्रेस के कुंवर प्रद्युम्न सिंह लोधी (मुन्ना भैया) के बीच मुकाबला था। यहां कांग्रेस के कुंवर प्रद्युम्न सिंह लोधी (मुन्ना भैया) ने जीत दर्ज की थी। बुंदेलखंड में कांग्रेस को यह दूसरा बड़ा झटका है। इससे पहले मंत्री रहे गोविंद सिंह राजपूत भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हो गए थे।
उमा भारती यहां से लड़ती थीं चुनाव
2003 के विधानसभा चुनाव में उमा भारती मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं, तब वह बड़ा मलहरा सीट से ही विधायक चुनी गईं थीं। हालांकि उनका कार्यकाल काफी छोटा रहा और आठ महीने बाद ही उन्हें सीएम की कुर्सी छोडऩी पड़ी थी।
पहले ही आ चुके हैं 22 विधायक
लोधी से पहले भी कांग्रेस के 22 विधायक बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। 22 में से 12 लोग शिवराज कैबिनेट में मंत्री बन चुके हैं। लोधी को लेकर अब तक 23 विधायक कांग्रेस छोड़ चुके हैं। चर्चा है कि आने वाले दिनों में कुछ और लोग पार्टी छोड़ सकते हैं। (navbharattimes.indiatimes.com)
जयपुर, 11 जुलाई। प्रदेश की राजनीति में पिछले डेढ़ महीने से चल रहे अंदरूनी सियासी घमासान को लेकर एसओजी ने शुक्रवार को बड़ा खुलासा किया है। इस खुलासे में दो मोबाइल नंबर पर हुई बातचीत के अनुसार एसओजी ने खुलासा किया है कि प्रदेश की सरकार को गिराने की भाजपा नेताओं ने कोशिश की है। बातचीत में सामने आया है कि मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री के बीच झगड़ा चल रहा है ऐसी स्थिति में कांग्रेस व निर्दलीय विधायक तोडक़र सरकार गिराई जाए। भाजपा नेता द्वारा कांग्रेस से कुशलगढ़ विधायक रमिला खडिय़ा को अपने पक्ष में करने की बात भी सामने आई है। इस बातचीत को तथ्य मानकर एसओजी ने मामले में एफआईआर दर्ज कर ली है।
एसओजी द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में हवाला दिया गया है कि 13 जून 2020 को अवैध हथियार तस्करी की रोकथाम व अवैध विस्फोटक पदार्थ की तस्करी की रोकथाम के लिए दो मोबाइल नंबरों को सर्विलांस पर लिया गया। मोबाइल नंबर से हो रही बातचीत में प्रकट होता है कि मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री के बीच झगड़ा चल रहा है। ऐसी स्थिति में सत्तापक्ष कांग्रेस पार्टी व निर्दलीय विधायकों को तोडक़र सरकार गिराई जाए।
सूत्रों से मिली सूचना से यह भी जानकारी में आया है कि कुशलगढ़ विधायक रमिला खडिय़ा को एक भाजपा नेता द्वारा अपने पक्ष में करने का प्रयास किया जा रहा है। बागीदौरा से कांग्रेस विधायक महेंद्रजीत सिंह मालवीय के संबंध में भी ये बात करते हैं कि पहले वह उपमुख्यमंत्री के पाले में थे, उन्होंने पाला बदल लिया है। कांग्रेस विधायकों एवं निर्दलीय विधायकों को 20-25 करोड़ रुपए के प्रलोभन देने की जानकारी भी सूत्रों से प्राप्त हुई है।
इन दो मोबाइल नंबरों की बातचीत में सामने आया है कि वर्तमान सरकार को गिरा कर नया मुख्यमंत्री बनाया जाएगा, लेकिन भाजपा का कहना है कि मुख्यमंत्री हमारा होगा और उपमुख्यमंत्री को केंद्र में मंत्री बना दिया जाएगा। लेकिन उप मुख्यमंत्री का कहना है कि मुख्यमंत्री वो बनेंगे, यह भी इन वार्ताओं में सामने आया है।
राज्यसभा चुनाव से पहले सभी विधायकों के इक_े किए जाने पर इन नम्बरों पर बातचीत हुई है कि 25-25 करोड़ वाला मामला अब टांय टांय फिस्स हो गया है। यह भी बातचीत से ज्ञात हुआ है कि राज्यसभा चुनाव से पहले राजस्थान सरकार को गिराने की पूरी तैयारी हो गई थी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्यसभा चुनाव से पहले भाजपा द्वारा विधायकों को 25-25 करोड़ का प्रलोभन देकर खरीदने की बात कही थी। इसी संबंध में मुख्य सचेतक महेश जोशी का भी परिवाद प्राप्त हुआ था कि वर्तमान कांग्रेस सरकार के विधायकों व समर्थन दे रहे विधायकों को प्रलोभन देकर राज्यसभा चुनाव में वोटिंग को प्रभावित करने व सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रहे हैं।
उप मुख्यमंत्री के दिल्ली दौरे के संबंध में बातचीत करते हैं कि बड़े बड़े राजनीतिक फैसले दिल्ली में हो रहे हैं और 30 जून के बाद घटनाक्रम तेजी से बढ़ेगा। बातचीत में यह भी प्रकट हुआ है कि इस तरह वर्तमान सरकार को गिरा कर नई सरकार का गठन करवा कर ये लोग 1-2 हजार करोड़ रुपए कमा सकते हैं। यह भी कहते हैं कि वह तभी होगा जब इनके हिसाब से मुख्यमंत्री बनेगा। मंत्रिमंडल विस्तार की बातचीत में प्रकट होता है कि विस्तार करेंगे तो 4 आएंगे, 6 नाराज भी होंगे।
उप मुख्यमंत्री के ग्रह नक्षत्रों की बात करते हुए कहते हैं कि 30 जून के बाद इनके ग्रहों में तेजी आएगी और 5 से 10 दिन के बाद ये शपथ लेंगे। दो-तीन दिनों में विधायकों और खास तौर पर निर्दलीय विधायकों के पास धन राशि लेकर उनसे संपर्क साधने की सूचना भी सूत्रों से प्राप्त हुई है। इन बातचीत से स्पष्ट है कि यह वार्ताकार सरकार गिराने की योजना में अन्य लोगों के साथ सम्मिलित हैं और इसके पश्चात पैसा कमाने की योजना बना रहे हैं।
एसओजी ने आगे हवाला देते हुए अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि इस बातचीत से यह स्पष्ट है कि वर्तमान में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई राजस्थान सरकार के विरुद्ध घृणा की भावना से सत्ता पक्ष कांग्रेस व निर्दलीय विधायकों की खरीद-फरोख्त के प्रयास किए जा रहे हैं। इस संबंध में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर अनुसंधान किया जाना उचित रहेगा।
(Politalks.News)