राजनीति
भोपाल, 28 अक्टूबर| मध्य प्रदेश के विधानसभा के उप-चुनाव में बयानों के बाण लगातार तल्ख हेाते जा रहे हैं। कांग्रेस के उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार करने आए आचार्य प्रमोद कृष्णन ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को धार्मिक ग्रंथ के तीन मामा शकुनी, कंस और मरीच का मिश्रण बताए जाने पर सियासी माहौल गर्मा दिया है। कांग्रेस उम्मीदवारों के समर्थन में प्रमोद कृष्णन ने मंगलवार केा शिवपुरी जिले और मुरैना के विधानसभा क्षेत्रों में जनसभाओं को संबोधित किया था। इन सभाओं में कृष्णन के निशाने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान रहे। इस दौरान उन्होंने कहा था कि पहला मामा मरीच जिसने रूप बदलकर सीता माता का हरण कराया था, दूसरा मामा कंस, जिसने अपनी सत्ता को बचाने के लिए बहन के बच्चों को मार दिया था और तीसरा मामा शकुनि जो छल फरेब करके पांडवों का सर्वनाश करना चाहता था। इन तीनों मामाओं को मिला दें तो मामा शिवराज बनता है।
कृष्णन के इस बयान के बाद से राज्य मंे सियासी बवाल मचा हुआ है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि, कांग्रेस के अधिकृत स्टार प्रचारक प्रमोद कृष्णन द्वारा जिस प्रकार की अभद्र आपत्तिजनक और शर्मनाक भाषण मुरैना जिले में कांग्रेस के मंच से दिया गया, इसके लिए कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ जिम्मेदार हैं। कमल नाथ प्रदेश के लाखों भांजे-भांजियों से क्षमा याचना करें और प्रमोद कृष्णन को प्रचार करने पर प्रतिबंध लगाएं।
रजनीश अग्रवाल ने कांग्रेस और कमल नाथ से सवाल किया है कि क्या स्वयं कांग्रेस ऐसी भाषा का विरोध कर निर्वाचन आयोग में शिकायत करेगी?
वहीं कांग्रेस के प्रवक्ता अजय सिंह यादव ने प्रमोद कृष्णन का बचाव करते हुए कहा कि, आचार्य प्रमोद कृष्णन धार्मिक व्यक्ति है, अब वह जो भी बात करेंगे धर्म आधारित उदाहरणों पर ही करेंगे। मप्र में भाजपा ने अधर्म, अनीति के रास्ते पर चलकर सरकार बनाई है अब ऐसे में इसी तरह के उदाहरण दिए जा सकते हैं। भाजपा के नेताओं को इस प्रकार से बौखलाना नहीं चाहिए। प्रदेश की जनता भी जानती है किस तरह से लोकतंत्र की हत्या करके महापाप कर भाजपा ने सरकार बनाई है। (आईएएनएस)
गया, 28 अक्टूबर| भाजपा के वरिष्ठ नेता और बिहार के कृषि मंत्री प्रेम कुमार वोट डालने के दौरान कमल के फूल की प्रिंट वाला मास्क पहने एक मतदान केंद्र पहुंचने पर विवादों में आने के बाद अब सफाई दी है। इधर, निर्वाचन आयोग ने भी कार्रवाई करने के संकेत दिए हैं। कुमार गया शहर से भाजपा के उम्मीदवार हैं और वे इस सीट से छह बार चुने गए हैं।
कृषि मंत्री प्रेम कुमार बुधवार को गया के स्वराजपुरी के रोड नंबर 120 स्थित मतदान केंद्र अपना वोट डालने साइकिल से पहुंचे थे। प्रेम कुमार ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, लेकिन इस दौरान उन्होंने कमल छाप वाला मास्क पहना रखा था। उन्होंने मतदान के दौरान भी इसे नहीं निकाला और कमल छाप का निशान का मास्क लगाकर ही वोट दिया। इसके बाद यह मामला विवादों में आ गया।
इधर, बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी एच आर श्रीनिवास ने कहा कि अगर कोई भी आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करता है, तो कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि गया के अधिकारी इस मामले को देख रहे हैं।
इधर, मंत्री प्रेम कुमार ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा कि गलती से ऐसा हो गया। उन्होंने कहा कि ऐसी उनकी कोई मंशा नहीं थी। उन्होंने कहा, ''मेरी ऐसी कोई मंशा नहीं थी और मुझे किसी ने इस तरफ ध्यान भी नहीं दिलाया। अधिक व्यस्तता के कारण भाजपा का मास्क पहन के मैं वोट देने चला गया था।''
बिहार में 16 जिलों की 71 सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं जबकि दो और चरण की वोटिंग 3 और 7 नवंबर को होनी है। बिहार चुनाव के बाद मतों की गिनती 10 नवंबर को होगी। (आईएएनएस)
पटना, 27 अक्टूबर| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर बिहार चुनाव के दौरान तीन चुनावी सभाओं को संबोधित करने के लिए बिहार पहुंच रहे हैं। इससे पहले राजद के नेता और महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने मंगलवार को उनसे 11 सवाल पूछे हैं। तेजस्वी ने कहा कि दरभंगा एम्स की घोषणा 2015 में हुई लेकिन ऐन चुनाव के पहले ही उसका काम शुरू करने की घोषणा क्यों की गई?
तेजस्वी इस चुनाव में किसी भी मुद्दे को हाथ से नहीं छोड़ना चाहते हैं। यही कारण है कि चुनाव के दौरान उन्होंने मृजफरपुर बालिका गृह में लड़कियों से कथित दुष्कर्म का मामला उठाया है। उन्होंने प्रधानमंत्री से पूछा है, ''प्रधानमंत्री जी, मुजफ्फरपुर भी आ रहे हैं। सत्ता संरक्षण में मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड में 34 अनाथ बच्चियों के साथ हुए दुष्कर्म के मुख्य आरोपी को मुख्यमंत्री ने बचाया ही नहीं बल्कि उसके घर जन्मदिन की पार्टी में भी गए, उसे निरंतर वित्तीय मदद की और चुनाव भी लड़वाया? क्या प्रधानमंत्री जी डबल इंजन सरकार के इस घृणित कार्य पर बोलेंगे?''
तेजस्वी ने दरभंगा और मुजफ्फरपुर में सुपर स्पेशलिटी अस्पताल नहीं बनाने तथा स्किल विश्वविद्यालय नहीं खोलने को लेकर भी प्रधानमंत्री से सवाल पूछे हैं।
उन्होंने बिहार के गंदे शहरों को लेकर भी प्रधानमंत्री से सवाल करते हुए कहा, ''प्रधानमंत्री को बिहारवासियों को बताना चाहिए कि देश के टॉप 10 सबसे गंदे शहरों में बिहार के 6 शहर क्यों हैं? पटना और बिहार की इस बदहाली का जिम्मेवार कौन है?''
उल्लेखनीय है कि बुधवार को नरेंद्र मोदी बिहार में तीन चुनावी सभाओं को संबोधित करने आ रहे हैं। प्रधानमंत्री बुधवार को दरभंगा, मुजफरपुर और पटना में रैली को संबोधित करेंगें।
बता दें कि बुधवार को ही बिहार में पहले चरण में 71 सीटों पर मतदान होना है। (आईएएनएस)
ग्वालियर, 27 अक्टूबर| पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस पार्टी के स्टार प्रचारक सचिन पायलट मध्य प्रदेश में होने जा रहे 28 विधानसभा उपचुनाव के प्रचार के लिए आ रहे हैं। पायलट अपने दो दिवसीय प्रवास के दौरान शिवपुरी, मुरैना, भिण्ड और ग्वालियर जिले की विभिन्न विधानसभाओं में कांग्रेस उम्मीदवारों के पक्ष में जनसभाएं करेंगे। कांग्रेस के ग्वालियर-चंबल इलाके के मीडिया प्रभारी के.के. मिश्रा ने बताया कि पायलट मंगलवार को शिवपुरी जिले की करैरा विधानसभा के नरवर, पोहरी विधानसभा के सतनबाड़ा, मुरैना जिले की जौरा विधानसभा के कैलारस, ग्वालियर एवं ग्वालियर पूर्व विधानसभा क्षेत्र में चुनावी सभा लेंगे। उनका रात्रि विश्राम ग्वालियर में रहेगा।
पायलट 28 अक्टूबर को मुरैना के रनचोली, भिण्ड जिले की मेहगांव विधानसभा, गोहद विधानसभा, ग्वालियर जिले की डबरा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में चुनावी सभा को संबोधित करेंगे। (आईएएनएस)
औरंगाबाद (बिहार), 26 अक्टूबर| भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने सोमवार को यहां राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के 10 लाख लोगों को रोजगार देने के वादे पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सत्ता में रहने पर नौकरी छीनने वाले आज रोजगार देने की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उस दौर में नौकरी करने वाले नौकरी छोड़कर भाग गए थे।
औरंगाबाद में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए भाजपा अध्यक्ष ने महागठबंधन में राजद के वामपंथी दलों के साथ गठबंधन को विध्वंसक बताते हुए कहा कि इन दोनों बिहार में अराजकता ही फैलाई है।
उन्होंने कहा कि उजाले के महत्व का पता तब ही चलता है, जब अंधेरे का पता हो। मैं कहना चाहता हूं कि विकास का पता तब ही चलता है जब वह दिन याद हो।
भाजपा अध्यक्ष ने खुद को बिहार में रहने की बात कहते हुए कहा कि पहले क्या स्थिति थी बिजली की। बिजली आती नहीं थी कि चली जाती थी। मुश्किल से 24 घंटे में दो घंटे रहती थी। किसानों को डीजल पंप से सिंचाई करना पड़ता था। आज किसानों के लिए अलग फीडर लग रहा है।
नड्डा ने प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करते हुए कहा, पहले जब बिहार में कोई चुनावी सभा करता था तो जाति, धर्म की बात होती थी, समाज को बांटने की बात होती थी, लेकिन चुनाव में आज हमारे उम्मीदवार विकास की बात करते हैं, सरकार की उपलब्धियां बताते हैं, ये बदलाव आया है। जब नरेंद्र मोदी आए हैं उन्होंने राजनीति का चाल, चरित्र बदल दिया है। इसे हमें याद रखना होगा।
नड्डा ने कोरोना काल की चर्चा करते हुए कहा कि पहले देश में एक भी पीपीई किट नहीं बनता था लेकिन आज देश पीपीई किट दूसरे देशों को दे रहा है। आज देश में तीन लाख से ज्यादा वेंटिलेटर है।
उन्होंने राजग के प्रत्याशी को वोट देने की अपील करते हुए कहा, राजद का चरित्र अभी तक नहीं बदला है। मैं व्यक्तिगत रूप से बिहार की मिट्टी को पहचानता हूं और इसीलिए कह सकता हूं कि डबल इंजन की सरकार बिहार के लिए जरूरी है। (आईएएनएस)
मनोज पाठक
पटना, 26 अक्टूबर| केंद्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के कंधे से कंधा मिलकार चल रही लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने बिहार चुनाव में अकेले चुनाव मैदान में उतरकर ऐसा सियासी दांव चला है, जिसमें भाजपा के सहयोगी जनता दल (युनाइटेड) का खेल बिगाड़ कर रख दिया है। कल तक बिहार में ''बडे भाई'' की भूमिका में दंभ भरने वाले जदयू की हालत ऐसी हो गई है कि भाजपा ने भी समाचार पत्रों में दिए गए विज्ञापनों में नीतीश कुमार की तस्वीर नहीं लगाई है, जिससे कई तरह की संभावनाओं को बल मिल रहा है।
दीगर बात है कि राजग नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर चुनावी मैदान में है।
लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान ने पार्टी की कमान संभालते ही अलग स्टैंड लिया, जिससे पार्टी को मजबूती से स्थापित किया जा सके। अब वे खुद को स्थापित करने की जद्दोजहद में हैं। यही वजह है कि कई मौकों पर उन्होंने अपना स्टैंड जदयू से अलग दिखाया।
चुनाव के पहले से ही चिराग पासवान सरकार की कई योजनाओं के क्रियान्वयन व अफसरशाही पर सवाल उठाने से पीछे नहीं रहे। जब जदयू ने समय पर चुनाव कराने की बात की तो चिराग ने चुनाव आयोग को पत्र के जरिये कोरोना संक्रमण के चलते अभी चुनाव नहीं कराने की मांग कर दी। उस समय ही यह आशंका को बल मिल गया कि चिराग कोई बड़ा निर्णय लेंगे।
चिराग ने इस चुनाव में कुल 136 प्रत्याशी मैदान में उतार दिए, जिनमें दो का मखदुमपुर और फुलवारी में नामांकन रद हो गया। इस तरह अब 134 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें से अधिकांश प्रत्याशी जदयू के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरे हैं। लोजपा का हालांकि गोविदंगज, लालगंज, भागलपुर, राघोपुर, रोसड़ा और नरकटियागंज में भी प्रत्याशी है जहां से भाजपा चुनावी मैदान में है।
लोजपा के प्रवक्ता और अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रमुख अशरफ असांारी कहते हैं कि गोविंदगंज और लालगंज उनकी सीटिंग सीट थी, शेष चार पर भाजपा के साथ उनका दोस्ताना संघर्ष है। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि इस चुनाव के बाद लोजपा भाजपा के साथ बिहार में सरकार बनाने वाली है।
इधर, चिराग ने भी उन सभी सीटों पर भाजपा प्रत्याशी को जीताने की अपील की है, जहां से लोजपा के प्रत्याशी नहीं हैं। हालांकि भाजपा और जदयू लगातार लोजपा को अलग होने की बात करते हुए बयान दे रही है।
कहा जा रहा है कि लोजपा इस चुनाव में नरेंद्र मोदी की छवि का प्रचार करके कम से कम 10-15 सीटें जीतना चाहती है, ऐसे में अगर भाजपा और जदयू मिलकर 122 के सरल बहुमत आंकड़े को हासिल करने में पीछे रह जाते हैं तो लोजपा की भाजपा के सहयोगी के तौर पर महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।
राजग की ओर से जदयू जहां 115 सीटों पर चुनाव लड़ रही है वहीं भाजपा 110 सीटों पर चुनाव मैदान में है। भाजपा ने अपने हिस्से की 11 सीटें राजग में शामिल विकासशील इंसान पार्टी को दी है जबकि जदयू अपने हिस्से की सात सीटें हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) को दी है।
इधर, भाजपा द्वारा समाचार पत्रों में दिए गए विज्ञापनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर तो है, लेकिन नीतीश कुमार की तस्वीर को स्थान नहीं दिया गया है। हाल ही में विभिन्न एजेंसियों द्वारा जारी किए गए सर्वे में नीतीश की लोकप्रियता में कमी को दशार्या गया है।
हालांकि भाजपा के अध्यक्ष संजय जायसवाल कहते हैं कि भाजपा चुनावी मैदान में मुख्यमंत्री नीतीश के नेतृत्व में उतरी है, इसमें किसी को असमंजस में नहीं रहना चाहिए।
इधर, जदयू के अजय आलोक कहते हैं कि कई 'युवराज' चुनावी मैदान में अपने अस्तित्व को बचाने के लिए हैं, 10 नवंबर को सबकुछ स्पष्ट हो जाएगा। (आईएएनएस)
संदीप पौराणिक
भोपाल, 26 अक्टूबर| मध्यप्रदेश में विधानसभा के उपचुनाव कांग्रेस में हुई बगावत के कारण हो रहे हैं, मगर उसके बाद भी कांग्रेस में बगावत का दौर थमने का नाम नहीं ले रही है। आगामी लगभग एक हफ्ते में उप-चुनाव के लिए मतदान होने वाला है और इस बीच कांग्रेस को कई और झटके लगने के आसार बने हुए हैं।
राज्य में लगभग सात माह पूर्व कांग्रेस के तत्कालीन 22 विधायकों के विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिए जाने और भाजपा में शामिल होने से कांग्रेस की कमल नाथ के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई थी। उसके बाद से कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने वालों का सिलसिला थमा नहीं है। पहले एक-एक कर तीन विधायकों ने सदस्यता छोड़ी और भाजपा का दामन थामा तो चुनाव से ठीक पहले दमोह से कांग्रेस विधायक राहुल लोधी ने रविवार को विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया।
पार्टी सूत्रों की माने तो कांग्रेस के कई और विधायक भाजपा के संपर्क में है और संभावना इस बात की है कि मतदान के कुछ दिन पहले भी कुछ विधायक कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो सकते हैं। भाजपा ऐसा करके कांग्रेस के मनोबल को गिराने के साथ जनता के बीच यह संदेश देना चाह रही है कि कांग्रेस की किसी भी सूरत में सत्ता में वापसी संभव नहीं है। ऐसा जनमानस के बीच संदेश जाने पर भाजपा को बड़ी जीत हासिल हो सकती है और उसी के अनुसार भाजपा आगे बढ़ रही है।
राज्य की विधानसभा की स्थिति पर गौर करें तो पता चलता है कि वर्तमान में कुल 29 स्थान रिक्त है, उनमें से 28 स्थानों पर उप-चुनाव हो रहे हैं। इस तरह राज्य में जिस भी दल के पास 115 विधायक होंगे, वही सरकार बना लेगा। भाजपा के पास 107 विधायक पहले से ही हैं, उसे पूर्ण बहुमत के लिए आठ विधायकों की जरुरत है। उसे चार निर्दलीय विधायकों ने अपना समर्थन पहले ही दे दिया है। वहीं सपा-बसपा के भी विधायक सरकार के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। इस तरह भाजपा को एक विधायक की जरुरत है। बाहर से समर्थन देने वालों को अलग कर दिया जाए तो भाजपा को ज्यादा से ज्यादा आठ सीटों पर जीत जरूरी है। कांग्रेस के पास 87 विधायक हैं और उसे पूर्ण बहुमत के लिए 28 विधायकों की जरुरत है। इस तरह उसे उप-चुनाव में सभी स्थानों पर जीत जरुरी है। वहीं निर्दलीय और सपा-बसपा के विधायकों का समर्थन हासिल करने पर कांग्रेस को कम से कम 21 सीटें जीतना जरुरी है।
राजनीतिक विश्लेशक शिव अनुराग पटेरिया का कहना है कि राज्य के विधानसभा के उप-चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में न तो माहौल है और न ही अंक गणित। भाजपा इस बात को मतदाता ही नहीं अपने दल के नेताओं के बीच भी स्थापित करना चाहती है। साथ ही दल बदल करने की सोच रहे नेताओं को भी साफ संदेश दिया जा रहा है। इसी रणनीति पर भाजपा काम कर रही है। यही कारण है कि कांग्रेस के नेता को जोड़ने में परहेज नहीं किया जा रहा है। आने वाले दिनों में कुछ और विधायक भाजपा में आ जाएं तो किसी को अचरज नहीं हेाना चाहिए। (आईएएनएस)
भोपाल, 25 अक्टूबर| मध्य प्रदेश में कांग्रेस को रविवार को एक और झटका लगा जब दमोह विधानसभा क्षेत्र के विधायक राहुल लोधी ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।
प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा ने रविवार को संवाददाताओं को बताया कि दमोह से विधायक राहुल लोधी ने दो दिन पहले इस्तीफा देने की बात कही थी, जिस पर उन्हें सोच विचार करने को कहा गया था, राहुल लोधी ने शनिवार को फिर अपना इस्तीफा देने की इच्छा जाहिर की। रविवार को नवरात्रि के नवमीं के दिन राहुल लोधी ने इस्तीफा दे दिया।
ज्ञात हो कि राज्य में तत्कालीन 22 विधायकों ने अपनी विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थामा था, जिससे कमल नाथ की सरकार गिर गई थी। उसके बाद तीन और विधायकों ने इस्तीफा दिया और अब राहुल लोधी ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। (आईएएनएस)
पटना, 24 अक्टूबर| बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 28 अक्टूबर को होना है, इससे चार दिन पहले शनिवार को राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) ने घोषणा पत्र जारी की। घोषणा पत्र को 'वचन पत्र' बताते हुए रालोसपा ने रोजगारों को रोजगार देने का वादा किया है। रालोसपा के प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा द्वारा जारी घोषणा पत्र में 'उपेंद्र हैं, तो उम्मीद है' का नारा देते नौजवानों को रोजगार, विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा का वादा किया गया है।
उन्होंने नारा देते हुए कहा, 'न 15 साल वाली ये सरकार, न 15 साल वाली वो सरकार। अबकी बार शिक्षा और रोजगार वाली सरकार।'
रालोसपा के घोषणा पत्र में 25 सूत्री कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गई है, जिसमें दवाई, कड़ाई, कमाई, सिंचाई, कार्रवाई, सुनवाई को सम्मिलित किया गया है। शहर में वार्ड क्लिनिक और गांवों में 2,000 की आबादी पर एक क्लिनिक खोलने का वादा किया गया है जबकि नवोदय विद्यालय की तर्ज पर सभी जिलों में स्कूल की स्थापना करने और मुफ्त शिक्षा देने का वादा किया गया है।
घोषणा पत्र में 'युवा आयोग' का गठन करने का वादा भी किया गया है। सम्राट अशोक, चंद्रगुप्त मौर्य और चाणक्य की प्रतिमा स्थापित करने का भी वादा लोगांे से किया गया है।
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट (जेडीएसएफ) के बैनर तले चुनाव लड़ रही है। इस मोर्चे में मायावती की पार्टी बसपा और असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम के अलावा अन्य पार्टियां शामिल हैं। (आईएएनएस)
नवादा, 23 अक्टूबर| बिहार विधानसभा चुनाव में सत्ता तक पहुंचने के लिए सभी राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। इसी क्रम में शुक्रवार को महागठबंधन के दो दिग्गज कांग्रेस के राहुल गांधी और राजद के तेजस्वी यादव एक मंच पर पहुंचे और विरोधियों पर जमकर निशाना साधा। नवादा के हिसुआ में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए तेजस्वी ने कोरोना काल के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री आवास से बाहर नहीं निकलने को लेकर आड़े हाथों लिया और करारा सियासी हमला बोला।
उन्होंने आरोप लगाया कि जब लोगों को उनकी जरूरत थी तब वे 'घर में कैद थे' और आज बाहर निकलकर वोट मांग रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब प्रवासी मजदूर अन्य राज्यों से लौट रहे थे तब भी कोरोना काल था और आज भी कोरोना काल है। उस समय मुख्यमंत्री घर से नहीं निकले, लेकिन आज जब वोट मांगना हुआ तो रैली कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, नीतीश कुमार 144 दिनों तक मुख्यमंत्री आवास में बंद थे। लेकिन अब वो घर से बाहर आ गए हैं, क्यों? तब भी कोरोना था, अब भी कोरोना है। लेकिन अब उनको आपका वोट चाहिए, तो उनको बाहर आना पड़ा है।
उन्होंने कहा कि प्रवासी मजदूरों को अब भी रोजगार नहीं मिला है। आम लोग अभी भी बेरोजगार हैं।
तेजस्वी ने भोजपुरी भाषा में लोगों में जोश भरते हुए कहा कि अगर वे सत्ता में आए तो पहली कैबिनेट की बैठक में 10 लाख लोगों को रोजगार देने के प्रस्ताव को मंजूर करेंगे।
उन्होंने कहा कि आज बजट की आधी राशि खर्च नहीं की जाती है, वह सब वापस लौट जाता है। उन्होंने कहा कि पर्यटन क्षेत्रों का विकास कर भी रोजगार दिया जाएगा।
इस रैली को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी संबोधित किया और केंद्र और राज्य सरकार पर निशाना साधा। राहुल गांधी ने कृषि कानूनों को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि ये कानून किसानों पर आक्रमण करने के लिए लाए गए हैं।
बिहार चुनाव में शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी तीन रैली को संबोधित कर रहे हैं। (आईएएनएस)
लखनऊ, 23 अक्टूबर| उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की दस सीटों के लिए सभी पार्टियों में जोर आजमाईश शुरू हो गयी है। भाजपा ने उम्मीदवारों के चयन के लिए मंथन तेज है। ऐसे में बहुजन समाज पार्टी द्वारा अपना उम्मीदवार उतारने के फैसले से निर्विरोध निर्वाचन की संभावना खत्म होती दिख रही है। पार्टी ने अपने नेशनल कोआर्डिनेटर रामजी गौतम को चुनाव मैदान में उतारने का फैसला लिया है। बसपा की इस चाल से भाजपा के नौ सदस्यों के जीतने की राह जहां कठिन होगी वहीं, सपा और कांग्रेस के सामने भी पशोपेश के हालत हो सकते हैं।
दरअसल, विधायकों की संख्या के आधार पर होने वाले इस चुनाव में भाजपा के आठ व सपा के एक सदस्य की जीत तय है। भाजपा का एक और सदस्य तब ही जीत सकता है जब विपक्ष साझा प्रत्याशी न खड़ा करे। न बसपा और न ही कांग्रेस खुद के दम पर अपना प्रत्याशी जिता सकती है। विधानसभा में मौजूदा सदस्य संख्या के आधार पर जीत के लिए किसी भी प्रत्याशी को 36 वोटों की आवश्यकता होगी। भाजपा ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन उसके आठ उम्मीदवारों की जीत तय है। बसपा द्वारा उम्मीदवार उतारने का फैसला किए जाने से ऊहापोह की स्थिति बन गई है।
समाजवादी पार्टी ने अपना एक उम्मीदवार प्रो. रामगोपाल यादव का नामांकन कराकर स्पष्ट कर दिया कि उसके पास दस वोट अतिरिक्त होने के बावजूद वह किसी और को खड़ाकर करने का संकेत नहीं दे रही है। सपा द्वारा केवल उम्मीदवार खड़ा करने से भाजपा को निर्विरोध निर्वाचन की आश थी। भाजपा को भरोसा था कि पर्याप्त वोट न मिलने से विपक्षी दलों की एकता को झटका लगेगा। ऐसे में भाजपा अपने 9 सदस्यों को राज्यसभा की दहलीज तक पहुंचाने में कामयाब हो जाएगी। ऐसी स्थिति में बसपा की प्रमुख मायावती पार्टी के नेशनल कोआर्डिनेटर रामजी गौतम को चुनाव लड़ाकर एक तीर से कई निशाना साधना चाह रही हैं।
बसपा विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा ने बताया कि पार्टी ने बिहार के प्रभारी रामजी गौतम को अपना प्रत्याशी बनाया है। 26 अक्टूबर को उनका नामांकन किया जाएगा। विधानसभा में बसपा के पास 18 विधायक हैं। पार्टी को एक सीट निकालने के लिए करीब 39 प्रतिशत मतों की जरूरत होगी। इससे साफ है कि उसे दूसरे दलों से सहयोग लेना पड़ेगा।
गौरतलब है कि बहुजन समाज पार्टी के विधायकों की संख्या वैसे तो 18 ही हैं, लेकिन इनमें भी मुख्तार अंसारी, अनिल सिंह सहित दो-तीन और के वोट उसे मिलने की उम्मीद नहीं है। फिर भी मायावती प्रत्याशी उतारकर, भाजपा के नौवें उम्मीदवार के निर्विरोध निर्वाचित होने की संभावना को खत्म कर बड़ा संदेश देना चाह रही हैं। बसपा नेताओं का कहना है कि मायावती के इस फैसले से कांग्रेस, सपा व अन्य विपक्षी दलों द्वारा पार्टी को भाजपा की बी-टीम के रूप में प्रचार करने पर खुद-ब-खुद ब्रेक भी लग जाएगा।
दूसरी तरफ अगर बसपा प्रत्याशी को सपा व कांग्रेस समर्थन नहीं देंगी तो पार्टी को पलटवार करने का मौका मिलेगा। बसपा प्रत्याशी के हारने की स्थिति में पार्टी नेताओं द्वारा जनता के बीच यह सवाल उठाया ही जाएगा कि आखिर भाजपा का मददगार कौन है। वैसे सूत्रों का कहना है कि भाजपा को हराने के लिए सपा, कांग्रेस के साथ ही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अलावा कई निर्दलीय का भी बसपा को समर्थन मिल सकता है। बसपा की नजर भाजपा के असंतुष्टों पर भी है। (आईएएनएस)
मनोज पाठक
पटना, 23 अक्टूबर| ऐसे तो आम तौर पर किसी भी चुनाव के पहले राजनीतिक दलों द्वारा वादों की झड़ी लगाई जाती रही है, लेकिन बिहार में इस साल हो रहे विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दल नौकरियों की बारिश कर रहे हैं। अगर सच में राजनीतिक दल इतनी नौकरियां उपलब्ध करा दें तो बिहार में पलायन की समस्या ही दूर हो जाए।
वैसे, सबसे मजेदार बात है कि पिछले 30 साल से बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस, जनता दल युनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सत्ता में रही है, लेकिन आज भी यहां के युवाओं को शिक्षा या नौकरी के लिए अन्य राज्यों में पलायन करना पड़ता है।
इस चुनाव में यही राजनीतिक दल अपने-अपने घोषणा पत्र में नौकरी और रोजगार की झड़ी लगाकर, युवाओं को आकर्षित करने में जुड़े हैं। हालांकि इस दौरान सभी राजनीतिक दल 'खुद की कमीज दूसरों से सफेद' बताने को लेकर एक-दूसरे की आलोचना करते हुए सवाल भी उठा रहे हैं।
महागठबंधन में शामिल होकर साथ में चुनाव मैदान में उतरे राजद और कांग्रेस ने जहां बिहार के 10-10 लाख युवाओं को नौकरी देने का वादा किया है वहीं, भाजपा ने 19 लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा अपने घोषणा पत्र में किया है।
भाजपा की नेता और केन्द्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को पटना में भाजपा के '5 सूत्र, एक लक्ष्य, 11 संकल्प' के विजन डाक्यूमेंट को जारी किया। इस घोषणा पत्र में बीजेपी ने 19 लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा किया है।
भाजपा ने अपने घोषणापत्र में वादा किया है कि एक हजार नए किसान उत्पाद संघों को आपस में जोड़कर राज्यभर के विशेष सफल उत्पाद जैसे- मक्का, फल, सब्जी, चूड़ा, मखाना, पान, मशाला, शहद, मेंथा, औषधीय पौधों के लिए सप्लाई चेन विकसित करेंगे जिससे 10 लाख रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। इसके अलावा स्वास्थ और शिक्षा क्षेत्रों में भी रोजगार देने का वादा किया गया है।
इससे पहले काग्रेंस ने बुधवार को अपना घोषणा पत्र जारी किया था। कांग्रेस के इस घोषणा पत्र में 10 लाख युवाओं को रोजगार और जिन लोगों को रोजगार नहीं मिलेगा, उन्हें 1500 रुपये मासिक बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया गया है।
इधर, जदयू ने भी कौशल विकास कर लोगों को रोजगार देने का वादा किया है।
इधर, राजद नेता तेजस्वी यादव ने पार्टी का घोषणा पत्र जारी करते हुए संकल्प लिया है कि उनकी सरकार बनते ही पहली कैबिनेट में युवाओं को 10 लाख रोजगार देने पर मुहर लगेगी। इस मामले को वे सभी चुनावी सभाओं में जिक्र भी कर रहे हैं।
तेजस्वी के रोजगार देने के वादे को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने सवाल उठाए कि आखिर इतना पैसा कहां से आएगा।
सुषील मोदी ने कहा, यदि वास्तव में दस लाख लोगों को सरकारी नौकरी दी जाए तो राज्य के खजाने पर 58,415.06 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। इसके अलावा पूर्व से कार्यरत 12 लाख से ज्यादा कर्मियों के वेतन मद में होने वाले खर्च 52,734 करोड़ को इसमें जोड़ लें तो यह राशि 1,11,189.06 करोड़ होती है।
उन्होंने राजद के वादे को ढपोरशंखी तक बता दिया।
इधर, भाजपा के घोषणा पत्र में 19 लाख रोजगार देने को लेकर राजद नेता तेजस्वी यादव ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि राजद के 10 लाख नौकरियों पर सवाल उठाने वाले अब 19 लाख लोगों को रोजगार देने की बात कर रहे हैं। उन्होंने इसे छलावा बताते हुए कहा कि हमारे निर्णय के बाद इन्हें रोजगार देने की चिंता सता रही है।
इधर, सुशील मोदी कहते हैं, भााजपा और दूसरे दलों में यही फर्क है कि दूसरे जहां तारे तोड़ लाने जैसे वादे कर केवल सत्ता हथियाना चाहते हैं, वहां भाजपा सिर्फ वही बात करती है, जिसे जमीन पर लागू किया जा सके।
उन्होंने आगे कहा, हम कोरा वादा नहीं, सेवा का संकल्प करते हैं, इसलिए घोषणा पत्र में 19 लाख लोगों को रोजगार देने का निश्चय किया है। हमने इसका ब्योरा भी दिया है कि ये अवसर लोगों को कैसे दिलाएंगे।
बहरहाल, इस चुनाव में नौकरियों की बारिश हो रही है, अब देखने वाली बात है किस राजनीतिक दल के वादों पर लोग ज्यादा विश्वास करते हैं और उन्हें सत्ता तक पहुंचाते हैं। (आईएएनएस)
पटना, 22 अक्टूबर| राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद भले ही चारा घोटाला के मामले में सजा काट रहे हों, लेकिन अपने ट्विटर हैंडल से वे बिहार विधानसभा चुनाव में लगातार अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। लालू के ट्विटर हैंडल से लगातार विरोधियों पर निशाना साधा जा रहा है। इसी क्रम में गुरुवार को लालू के ट्विटर हैंडल से किए गए ट्वीट से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मुख्य 'मौका' मंत्री और उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को उप मुख्य 'धोखा' मंत्री बताया गया है।
लालू के ट्विटर हैंडल से एक कार्टून भी पोस्ट किया गया है, जिसमें नीतीश, सुशील मोदी को मौका मांगते दिखाया गया है, जबकि जनता उनसे कितना मौका देने की बात कह रही है।
लालू ने कार्टून के साथ ट्वीट करते हुए लिखा, ''मुख्य-मौका मंत्री जी और उप मुख्य-धोखा मंत्री जी, जनता ने बहुत दिया आपको मौका और आप ने दिया जनता को धोखा।''
उल्लेखनीय है कि लालू ट्विटर के जरिए लगातार विरोधियों पर निशाना साध रही है। लालू चारा घोटाला के मामले में जेल में बंद हैं। फिलहाल स्वास्थ्य कारणों से वे रांची के रिम्स में भर्ती हैं। (आईएएनएस)
मनोज पाठक
पटना, 22 अक्टूबर| आम तौर पर चुनाव के पूर्व सत्ता तक पहुंचने की महत्वकांक्षा में नेताओं का दल बदलकर ''निजाम'' बदलने की परंपरा पुरानी है, लेकिन कोरोना काल में हो रहे बिहार विधानसभा चुनाव में रिश्तों पर भी सियासत भारी पड़ रही है, जिस कारण मतदाताओं में भी संशय है।
बिहार के इस चुनावी मैदान में सास और बहू भी एक-दूसरे के आमने-सामने खड़ी हैं वहीं चाचा-भतीजा भी एक-दूसरे के लिए ताल ठोंक रहे हैं। रिश्तेदारों के बीच मचे घमासान से मतदाता भी संशय में है कि वह किसे वोट दे, क्योंकि उनके ताल्लुकात दोनों पक्षों से अच्छे हैं। ऐसे में रिश्तेदारों के बीच हो रहे इस चुनावी दंगल का रोमांच और भी अधिक बढ़ गया है।
विधानसभा चुनाव में रामनगर ऐसी सीट है, जहां सास और बहू आमने-सामने हैं। यहां भाजपा विधायक भागीरथी देवी को उनकी बहू निर्दलीय रानी कुमारी से कड़ी टक्कर मिल रही है। यहां दोनों के चुनावी मैदान में उतर जाने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है। रामनगर का दो बार प्रतिनिधित्व कर चुकी भागीरथी देवी के मुकाबले उनकी बहू राजनीति में भले ही नई हों लेकिन वे क्षेत्र में भावनात्मक रूप से वोट मांग रही हैं।
रानी का कहना है कि एक-एक घर में जाएंगी और विकास के दावे और वादे की सच्चाई बताएंगी। इधर, भागीरथी देवी कहती हैं कि जनता-जनार्दन मालिक हैं। चुनाव में वही फैसला करते हैं।
सीमांचल की जोकीहाट सीट पर इस बार दिग्ग्ज नेता रहे तस्लीमुद्दीन के दो पुत्र आमने-सामने हैं। इस सीट से पांच बार तस्लीमुद्दीन विधायक रहे हैं। इसी सीट से उनके मंझले पुत्र सरफराज आलम चार बार विधायक बने। विधायक रहते हुए उन्होंने तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद 2018 में अररिया लोकसभा क्षेत्र के उपचुनाव में राजद प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल की। इसके बाद उन्होंने जोकीहाट विधायक के पद से इस्तीफा दे दिया।
यहां हुए उपचुनाव में उनके छोटे भाई शाहनवाज आलम राजद के टिकट पर जोकीहाट से विधायक बने। इसके बाद के 2019 में लोकसभा चुनाव में सरफराज आलम हार गए और अपनी परंपरागत जोकीहाट सीट पर वापस आए और राजद से टिकट मिल गया। इसके बाद उनके छोटे भाई शाहनवाज आलम एआइएमआइएम के तरफ से चुनावी मैदान में उतर आए।
इधर, भोजपुर के शाहपुर विधानसभा क्षेत्र में जेठानी और देवरानी के बीच रोचक मुकाबला है। पूर्व विधायक मुन्नी देवी को भाजपा ने एक बार फिर अपना उम्मीदवार बनाया है तो उनकी जेठानी शोभा देवी बतौर निर्दलीय चुनावी अखाड़े में उतर आई हैं। पिछले चुनाव में शोभा देवी के पति विशेश्वर ओझा भाजपा के उम्मीदवार थे।
सारण जिले के मढ़ौरा विधानसभा सीट से पूर्व विधायक रामप्रवेश राय के पुत्र आनंद राय निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं उनके चाचा जयराम राय भी निर्दलीय ही मैदान में उतर चुके हैं।
बहरहाल, राज्य के कई विधानसभा क्षेत्रों में सियासत की सीढ़ियां चढ़ने के लिए नेता रिश्तों को दरकिनार कर चुनावी मैदान में ताल ठोंक रहे हों, लेकिन देखने वाली बात होगी मतदाता किसे तरजीह देते हैं।
बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा के लिए तीन चरणों में होने वाले चुनाव के लिए मतदान 28 अक्टूबर, तीन नवंबर और सात नवंबर को होगा जबकि मतगणना 10 नवंबर को होगी। (आईएएनएस)
लखनऊ, 22 अक्टूबर| कोरोना संकट के बंदिशों के बीच उत्तर प्रदेश में हो रहे उपचुनाव के लिए भाजपा गुरुवार से प्रचार अभियान में जुटेगी। पार्टी के स्टार प्रचारक मैदान में होगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह तीन क्षेत्रों में जनसभा करेंगे। वहीं उप मुख्यमंत्री केशव मौर्या और डा. दिनेश शर्मा भी चुनाव मैदान में प्रचार के लिए कूदेंगे। भाजपा के प्रदेश् मीडिया प्रभारी मनीष दीक्षित ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और स्वतंत्रदेव सिंह अमरोहा की नौैगांव सादात विधानसभा, बुलंदशहर, और टूंडला में पार्टी के समर्थन में जनसभा करेंगे।
उन्होंने बताया कि 24 अक्टूबर को उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा बुलंदशहर में जनसभा को संबोधित करेंगे। 27 अक्टूबर को मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष कानपुर की घाटमपुर तथा उन्नाव की बांगरमउ सीट के लिए प्रचार करेंगे। 28 को उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद दो चुनावी जनसभा को संबोधित करेंगे। केशव मौर्या 29 को तीन सभाएं करेंगे। प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 31 अक्टूबर को मल्हनी और देवरिया की जनसभाओं में प्रत्याशियों के लिए वोट मांगेगे।
इसके अलावा सरकार के मंत्रियों, सांसदों, विधायकों व पार्टी के प्रदेश पदाधिकारियों की सभाएं और बैठक तय की गयी है। ये नेता पार्टी की योजना के अनुरूप पार्टी उम्मीदवार के समर्थन में प्रचार अभियान को गति देंगे। वहीं दूसरी ओर संगठन महामंत्री सुनील बंसल भी उपचुनाव वाले क्षेत्रों में पार्टी के पदाधिकारियों व कार्यकतार्ओं के साथ लगातार बैठकों को सिलसिला जारी कर रखा है। (आईएएनएस)
पटना, 22 अक्टूबर| बिहार विधानसभा चुनाव के लिए गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी कर दिया। पटना में आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पार्टी की चुनावी घोषणा पत्र को जारी किया। घोषणा पत्र में पांच सूत्र, एक लक्ष्य और 1 संकल्प को स्थान देते हुए आत्मनिर्भर बिहार बनाने का संकल्प दोहराया गया है। घोषणा पत्र में कोरोना वैक्सीन का मफुत टीकाकरण का वादा भी किया गया है।
बिहार के लिए भाजपा ने अपने विजन डाक्यूमेंट में 11 संकल्प किए हैं। इनमें सबसे पहला है कि अगर सत्ता में आए तो कोरोना वैक्सीन का मुफ्त टीकाकरण किया जाएगा।
इस मौके पर वित्त मंत्री ने कहा कि देश के विकास के लिए बिहार का विकास आवश्यक है, इसके लिए राष्ट्रीय जनतािंत्रक गठबंधन (राजग) को इस चुनाव में जीतना जरूरी है।
भाजपा के घोषणा पत्र में बिहार के 1000 नए किसान उत्पाद संघों को आपस में जोड़कर राज्य के विशेष उत्पाद जैसे मक्का, फल, चूड़ा, मखाना, पान, मसाला, शहद, मेथा औषधीय पौधों के सप्लाई चेन विकसित कर 10 लाख लोगों को रोजगार देने का वादा किया गया है।
घोषणा पत्र में भाजपा कहा है, 'हमारा संकल्प है कि 10 हजार चिकित्सक, 50 हजार पारामेडिकलकर्मियों सहित राज्य में कुल एक लाख लोगों को स्वास्थ्य विभाग में नौकरी के अवसर प्रदान करेंगे। साथ ही प्रधानमंत्री द्वारा दरभंगा एम्स का संचालन 2024 तक प्रारंभ किया जाएगा।''
घोषणा पत्र में गांव, शहर सबका विकास, आत्म निर्भर बिहार बनाने का संकल्प लिया गया है। इसके अलावा स्वस्थ समाज, आत्मनिर्भर बिहार और सशक्त कृषक, समृद्ध किसान का नारा दिया गया है।
चुनावी घोषणा पत्र के लोकार्पण समारोह में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सांसद डॉ. संजय जायसवाल, बिहार चुनाव प्रभारी देवेन्द्र फडणवीस, बिहार भाजपा प्रभारी भूपेन्द्र यादव, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, गिरिराज सिंह, नित्यानंद राय व अश्विनी कुमार चौबे सहित राज्य के कई मंत्री उपस्थित रहे। (आईएएनएस)
एमपी चुनाव
पंकज मुकाती
इंदौर, 21 अक्टूबर (‘छत्तीसगढ़’)। बगावत अब शिवराज सरकार की नाक के नीचे तक आ गई है। इस बगावत से ग्वालियर-चम्बल में तो दिक्कत है ही, अब सांची में भी नाक कटती दिख रही है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोडक़र भाजपा में आये मंत्री प्रभुराम चौधरी बेहद मुश्किल में है। एक तो गद्दार और बिकाऊ से उनकी हालत वैसे ही गड़बड़ है। अब स्थानीय भाजपा नेताओं ने भितरघात करके उनको हराने की मुहिम छेड़ दी है।
जानकारी के मुताबिक भाजपा के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री गौरीशंकर शेजवार ने चुनाव से दूरी बना रखी है। वे खुद तो प्रचार नहीं कर रहे हैं। साथ ही प्रचार करने वालों को धमकी भी दे रहे हैं। खबर है कि शेजवार के समर्थक प्रभुराम चौधरी के खिलाफ वोट देने की मुहिम भी चला रहे हैं।
स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं ने शेजवार की शिकायत भाजपा आलाकमान से भी की है। केंद्रीय नेतृत्व ने भी इसे गंभीरता से लिया है। माना जा रहा है कि जल्द ही भाजपा शेजवार पर अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकती है।
सांची में कांग्रेस से आए प्रभुराम चौधरी ने 2018 के विधानसभा चुनाव में गौरीशंकर शेजवार के बेटे मुदित शेजवार को शिकस्त दी थी। इस इलाके में वैसे भी शेजवार मंत्री रहते कोई मजबूत पकड़ नहीं बना सके हैं। खुद शिवराज सिंह इस इलाके में कई दौरे कर चुके हैं।
चौधरी के भाजपा में आने के बाद से ही शेजवार परिवार की सियासत पर खतरा दिखाई दे रहा था। तभी ये कहा जा रहा था कि प्रभुराम चौधरी को शेजवार परिवार का समर्थन शायद ही मिले। भाजपा की तमाम कोशिशों के बावजूद ऐसा ही हो रहा है।
सांची में भाजपा के पोस्टर्स में शेजवार को ज्यादा तवज्जो नहीं मिल रही है वहीं चौधरी के समर्थकों ने युवा मोर्चा की तर्ज पर सिंधिया युवा मोर्चा बना लिया है जिससे न सिर्फ शेजवार बल्कि भाजपा कार्यकर्ता भी नाराज हैं।
शेजवार के सामने कमजोर दिख रहे चौधरी
सांची गौरीशंकर शेजवार का गढ़ माना जाता है और प्रभुराम और शेजवार खुद एक दूसरे के घोर विरोधी रहे हैं। दोनों ही पांच बार चुनाव में आमने-सामने आ चुके हैं। जिनमें से तीन बार शेजवारको और दो बार चौधरी को जीत हासिल हुई थी। 2018 में चौधरी ने मुदित शेजवार को हराकर तीसरी बार इस सीट पर जीत दर्ज की है।
लखनऊ, 21 अक्टूबर| उत्तर प्रदेश में 10 सीटों पर होने वाले राज्यसभा चुनाव के लिए बुधवार को समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी व पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. राम गोपाल यादव ने नामांकन पत्र दाखिल किया। इस दौरान उनके साथ सपा मुखिया अखिलेश यादव और प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम भी मौजूद थे। राज्यसभा की जिन 10 सीटों पर चुनाव होने जा रहे हैं उनमें चार सीटें समाजवादी पार्टी के पास हैं, लेकिन अब विधायकों की संख्या के अनुसार उसे केवल एक सीट से ही संतोष करना होगा। मुख्य निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार शुक्ला द्वारा चुनाव कार्यक्रम जारी करते ही समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रो. राम गोपाल यादव को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया था।
यूपी से राज्यसभा की सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए घोषित कार्यक्रम के अनुसार, 20 अक्टूबर को चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद नामांकन शुरू हो गए।
नामांकन करने के बाद रामगोपाल यादव ने कहा कि पार्टी नेतृत्व को राज्यसभा के लिए पांचवीं बार उम्मीदवार बनाने के लिए धन्यवाद। देश और प्रदेश की सारी जनता दुखी है। उन्होंने कहा कि आज ऐसी कोई बात नहीं कहना चाहता जो सत्ताधारी दल के मन को दुखे।
यूपी से राज्यसभा की 10 सीटों के लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा मुख्य निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार शुक्ला ने 13 अक्टूबर को की थी। इन 10 सीटों के लिए चुनाव की अधिसूचना 20 अक्टूबर को जारी हो गई। राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल 25 नवंबर को खत्म हो रहा है। नामांकन 27 अक्टूबर तक भरे जाएंगे। 28 अक्टूबर को नामांकन पत्रों की जांच होगी। दो नवंबर तक नाम वापस लिए जा सकेंगे। नौ नवंबर को सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक मतदान होगा। उसी दिन शाम पांच बजे से मतगणना होगी और परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे। (आईएएनएस)
पटना, 21 अक्टूबर| बिहार चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से अलग होकर चुनाव लड़ रही लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने बुधवार को अपना घोषणा पत्र जारी किया। लोजपा के प्रमुख चिराग पासवान ने घोषणा पत्र जारी करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जोरदार सियासी हमला बोला। घोषणा पत्र का नाम 'विजन डाक्यूमेंट 2020' दिया गया है। चिराग ने विजन डॉक्यूमेंट में 'बिहार फस्र्ट, बिहारी फस्र्ट' का नारा दिया है। विजन डॉक्यूमेंट जारी करने के पहले चिराग पासवान ने अपनी मां रीना पासवान से आशीर्वाद लिया। 'नया बिहार, युवा बिहार' के नारे के साथ लोजपा के विजन डाक्यूमेंट में 'समान काम के बदले समान वेतन' का वादा किया गया है।
इस डॉक्यूमेंट में स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, उद्योग, रोजगार, पलायन, कृषि, बाढ़-सूखा, शहरी और ग्रामीण विकास से लेकर कानून व्यवस्था, शासन प्रणाली तक की बातें की गई हैं।
लोजपा ने अपने घोषणा पत्र में बिहार में सामान वेतन लागू किया जाएगा का वादा किया गया है जबकि बेरोजगारों को आकर्षित करने के लिए बिहार में सभी सरकारी पदों को भरे जाने का वादा किया गया है। घोषणा पत्र में लोजपा की सरकार बनने पर युवा आयोग का गठन करने और माता सीता का भव्य मंदिर निर्माण करने का वादा किया गया है। बिहार में कोटा की तर्ज पर कोचिंग फैक्ट्री बनाने की बात भी कही गई है।
चिराग ने कहा कि उनकी सोच बिहार को फिर से गौरवशाली बनाने की है। लोजपा प्रमुख ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि वो बांटो और राज करो नीति पर बिहार में सत्ता में रहे, यही कारण है कि 15 साल सरकार चलाने के बाद भी वे नाली, गली और खेत में पानी पहुंचाने की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके (नीतीश) के नेतृत्व में बिहार के विकास की कल्पना करना उचित नहीं है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 21 अक्टूबर| बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव 23 अक्टूबर को अपनी पहली संयुक्त रैली को संबोधित करेंगे। कांग्रेस पार्टी सूत्रों ने बुधवार को ये जानकारी दी।
महागठबंधन की एकता दिखाने और 28 अक्टूबर को होने वाले पहले चरण के मतदान से पहले पार्टी कार्यकतार्ओं में जोश भरने के लिए महागठबंधन के नेताओं द्वारा इस तरह की पहली रैली बिहार के नवादा जिले के हिसुआ में 23 अक्टूबर को आयोजित की जाएगी।
कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि रैली का मकसद बिहार के मतदाताओं को संदेश देना है कि महागठबंधन मजबूत हो और इसके सभी घटक दल एकजुट रहे।
राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव अपने पिता लालू प्रसाद की अनुपस्थिति के बावजूद भारी भीड़ खींच रहे हैं। राजद नेता ने कहा कि संयुक्त रैली धार्मिक अल्पसंख्यकों को संदेश देगी कि वे एकजुट रहें क्योंकि जनता दल-यूनाइटेड भी उनको लुभाने की कोशिश में है। (आईएएनएस)
मनोज पाठक
पटना, 21 अक्टूबर| राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व वाले महागठबंधन में कांग्रेस और वामपंथी दल मिलकर चुनाव मैदान में है। ऐसे में राजद का अधिकांश सीटों पर जनता दल (युनाइटेड) से मुकाबला है।
इस चुनाव में पिछले चुनाव से परिस्थितियां बदली हैं। पिछले चुनाव में जदयू, राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ी थी, जबकि इस चुनाव में जदयू, भाजपा और दो अन्य छोटे दलों के साथ चुनाव मैदान में है। राजद इस चुनाव में कांग्रेस और वामपंथी दलों के साथ चुनाव मैदान में है।
वर्ष 2015 के चुनाव में नीतीश कुमार की अगुवाई में चुनाव मैदान में उतरी राजद 101 सीटों पर चुनााव लड़ी थी जबकि इस चुनाव में वह 144 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। महागठबंधन में सबसे मजबूत और पिछले चुनाव में सबसे बड़े दल राजद का इस चुनाव में अधिकांश सीटों पर जदयू से मुकाबला है।
इस चुनाव में 77 सीटों पर नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जदयू के उम्म्ीदवार राजद के उम्मीदवार के सामने हैं। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की ओर से जदयू जहां 115 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, वहीं भाजपा 110 सीटों पर चुनाव मैदान में है।
भाजपा के सिर्फ 51 प्रत्याशी ही राजद के सामने है। ऐसे में भाजपा के लिए अन्य 59 सीट इन 51 सीटों से अपेक्षाकृत आसान माना जा रहा है। इस चुनाव में राजद के पांच प्रत्याशी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के आमने-सामने हैं जबकि 11 सीटों पर राजद प्रत्याशी का मुकाबला विकासशील इंसान पार्टी से है।
सूत्र कहते हैं कि चुनाव पूर्व सर्वे के आधार पर राजद ने नीतीश से लोगांे की नाराजगी का लाभ उठाने के लिए अपने अधिाकांश प्रत्याशी जदयू के प्रत्याशी के सामने उतारे हैं।
वैसे, राजद के नेता इससे इनकार कर रहे हैं। राजद के एक नेता बताते हैं कि जमीनी हकीकत, पार्टी की क्षेत्रवार मजबूती और जातीय समीकरणों के आधार पर प्रत्याशी उतारे गए हैं। यह महज संयोग है कि अधिकांश प्रत्याशियों का मुकाबला जदयू के प्रत्याशी से है। उन्होंने बताया कि राजद के लिए भाजपा और जदयू एक समान है।
राजद के अन्य एक नेता का कहना है कि तेजस्वी यादव महागठबंधन के मुख्यमंत्री के उम्मीदवार हैं और तय है कि इस चुनााव के बाद वे मुख्यमंत्री पद संभालेंगे। उन्होंने कहा कि महागठबंधन की जीत तय है, हालांकि कुछ सीटों पर जीतों का अंतर 2000 से 3000 हो सकता है।
इधर, लोजपा प्रमुख चिराग पासवान भी खुले तौर पर भाजपा उम्मीदवारों का समर्थन कर रहे हैं और नीतीश का विरोध कर रहे हैं। लोजपा अधिकांश ऐसे क्षेत्रों से अपने प्रत्याशी उतारी है जहां जदयू चुनाव लड़ रही है। ऐसे में लोजपा ने भाजपा से नाराज होकर अलग हुए नेताओं को भी टिकट थमाया है, जो जदयू के लिए परेशानी पैदा कर रहे हैं।
भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे और दियारा क्षेत्र से लोजपा के प्रत्याशी राजेंद्र सिंह कहते भी हैं कि उन्हें व्यक्तिगत आधार पर भाजपा कार्यकतार्ओं का साथ मिल रहा है। वे कहते हैं कि नेताओं का अपना व्यक्तिगत आधार भी होता है।
इधर, जद यू के प्रवक्ता के.सी. त्यागी का कहना है कि राजद के ऐसे किसी भी चाल से उनकी पार्टी चिंतित नहीं है। उन्होंने कहा कि विकास के मुद्दे पर वे चुनावी मैदान में हैं और राजग का नेतृत्व नीतीश कुमार कर रहे है। लोगों को यह तय करना है कि नीतीश कुमार चाहिए या कोई और।
बहरहाल, बिहार में चुनावी सरगर्मी बढ गई है और सभी दल सत्ता तक पहुंचने के लिए पूरा दमखम से जुटे हुए हैं। ऐसे में जदयू तेजस्वी के इस चाल से कैसे निपट पाता है, यह देखने वाली बात होगी। (आईएएनएस)
सांवेर से भाजपा प्रत्याशी तुलसी सिलावट के शपथ पत्र में कमाई के आंकड़े देखकर अर्थशास्त्री भी हैरान होंगे, आखिर लॉकडाउन में ये बढ़ोतरी कहां से आई
पंकज मुकाती
इंदौर, 21 अक्टूबर (‘छत्तीसगढ़’)। बिकाऊ के नारों के बीच तुलसी सिलावट की कमाई में हुई बढ़ोतरी ने सबको चौंका दिया। शिवराज और भाजपा दोनों तुलसी पहलवान के लिए बेहद लकी साबित हुए। शिवराज का साथ उन्हें मालामाल कर गया। पिछले आठ महीने में तुलसी सिलावट की कमाई में 80. 80 फीसदी का इजाफा हुआ। वो भी लॉकडाउन के आठ महीनों में। जब आठ महीने में सारे कारोबार बंद थे तब सिलावट ने किस जादू से इतना पैसा कमाया? ये सवाल सांवेर की जनता के मन में भी है।
सांवेर से भाजपा प्रत्याशी सिलावट की आय की जानकारी उनके अग्रिम आयकर रिटर्न में सामने आई। पिछले सप्ताह नामांकन दाखिले के साथ सिलावट ने अपना शपथ पत्र भी जारी किया। इसमें उन्होंने पिछले आठ महीने में आमदनी में 80 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी बताई है। यानी कांग्रेस की ड्योढ़ी छोडक़र भाजपा में कदम रखना फायदे का सौदा साबित हुआ।
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शपथ-पत्र के साथ सिलावट ने अपनी इनकम टैक्स रिटर्न की जो जानकारी दी है उसके अनुसार 2019-20 के मुकाबले 2020-21 में उनकी आमदनी 80.80 प्रतिशत बढ़ी है। दूसरी तरफ कांग्रेस प्रत्याशी गुड्डू की आय कम हुई। 2017-18 में उन्होंने अपनी आय 1.07 करोड़ बताई थी जो 2019-20 में घटकर 40.61 लाख ही रह गई।
शपथ पत्र के अनुसार सिलावट के पास कुल 91 लाख 87 हजार 721 रुपए की चल संपत्ति है वहीं करीब 8.63 करोड़ की अचल संपत्ति है। आंकड़ों में देखें तो कमलनाथ सरकार में मंत्री रहते तुलसी सिलावट नुकसान में रहे। 2018-19 में उनकी आमदनी 6.46 लाख थी जो 2019-20 में घटकर 6.18 रह गई। मतलब, मंत्री बनने का कोई फायदा नहीं मिला। मगर, मार्च 2020 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी। भाजपा का दामन थाम लिया।
लॉकडाउन में कमाई से अर्थशास्त्री भी हैरान
24 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना के चलते लॉकडाउन घोषित कर दिया था। व्यापार से लेकर कारोबार तक घाटे में रहे। नौकरियां चली गई। मगर, लॉकडाउन के बावजूद तुलसी सिलावट ने कमाई बढ़ाने का कमाल कैसे कर दिखाया?अर्थशास्त्री यही समझने में लगे हैं।
लखनऊ, 21 अक्टूबर| समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का कोविड परीक्षण पॉजिटिव आने के बाद से वे गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती हैं और सांसद मोहम्मद आजम खान अभी भी जेल में हैं। इसके बाद भी 3 नवंबर को होने जा रहे उप-चुनावों के लिए स्टार प्रचारकों की सूची में इन दोनों के नाम हैं। 7 विधानसभा सीटों के लिए समाजवादी पार्टी ने मंगलवार की शाम को स्टार प्रचारकों की सूची जारी की, जिसमें सपा सांसद जया बच्चन का नाम गायब है।
पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, "यह हमारे वरिष्ठ नेताओं के प्रति सम्मान दर्शाने का एक तरीका है। वे भले ही शारीरिक रूप से प्रचार करने में सक्षम न हों, लेकिन उनका आशीर्वाद हमारे साथ है।"
स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल अन्य नामों में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, उपाध्यक्ष किरणमय नंदा, पार्टी महासचिव प्रोम गोपाल यादव, इंद्रजीत सरोज, राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता राम गोविंद चौधरी और प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल शामिल हैं।
अब तक किसी भी नेता ने वर्चुअली या भौतिक रूप से अभियान शुरू नहीं किया है। (आईएएनएस)
भोपाल, 20 अक्टूबर| मध्यप्रदेश में होने वाले 28 विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव में 355 उम्मीदवार ही मैदान में रह गए हैं। यह स्थिति नाम वापसी के बाद बनी है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, राज्य में नाम वापसी की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। प्रदेश के 19 जिलों के 28 विधानसभा क्षेत्रों में 35 अभ्यर्थियों ने नाम वापस लिए। नाम वापसी के बाद 355 विधिमान्य अभ्यर्थी शेष हैं।
राज्य में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है। वहीं बसपा ने भी सभी 28 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। इसके चलते कई स्थानों पर मुकाबला त्रिकोणीय भी हो सकता है। राज्य में तीन नबंवर को मतदान होना है और नतीजे 10 नवंबर को आएंगे।
राज्य की विधानसभा की वर्तमान स्थिति पर गौर करें तो 230 सदस्यों वाली विधानसभा में 28 स्थान रिक्त हैं, जिन्हें भरने के लिए उपचुनाव होने जा रहे हैं। विधानसभा इस समय में 202 सदस्य हैं, जिनमें भाजपा के 107 और कांग्रेस के 88 सदस्य हैं। इस तरह सदन में पूर्ण बहुमत के लिए भाजपा को नौ सीटें जीतना जरूरी है। वहीं कांग्रेस को सत्ता में वापसी के लिए सभी 28 सीटों पर जीत दर्ज करनी होगी। (आईएएनएस)
पटना, 20 अक्टूबर| बिहार चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से अलग होकर अकेले चुनाव लड़ रही लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद प्रिंस राज मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर पहुंचे और उनसे तथा राजद के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद कई तरह के कयास लगाए जाने लगे हैं। लोजपा नेता मंगलवार की सुबह राबड़ी देवी आवास पहुंचे और तेजस्वी यादव से मुलाकात की। मुलाकात के बाद आवास से बाहर निकले पिं्रस राज ने हालांकि इसे राजनीतिक मुलाकात नहीं बल्कि पारिवारिक मुलाकात बताया।
प्रिंस राज ने पत्रकारों से कहा, मैं अपने बड़े पापा दिवंगत रामविलास पासवान के श्रद्धांजलि सभा में शामिल होने को लेकर न्यौता देने राबड़ी आवास आया था। राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव से मुलाकात हुई है। इसे राजनीति से जोड़ना सही नहीं है।
उन्होंने कहा कि दिवंगत नेता पासवान का सभी नेताओं से संपर्क था। कई लोगों से व्यक्तिगत तौर पर जाकर आयोजन में आने का निमंत्रण दे रहा हूं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का श्राद्धकर्म मंगलवार को पटना के आवास पर है, इसमें कई नेताओं के पहुंचने की संभावना है।
इधर, इस खबर के बाद से बिहार के सियासी गलियारों में तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे हैं।
गौरतलब है कि लोजपा अकेले चुनाव मैदान में उतरी है और लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान लगातार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साध रहे हैं।
सोमवार को तेजस्वी ने कहा था कि नीतीश कुमार ने चिराग पासवान के साथ सही व्यवहार नहीं किया है। (आईएएनएस)