विचार / लेख

एक सामाजिक प्रयोग
09-Aug-2020 8:56 PM
एक सामाजिक प्रयोग

गिरीश मालवीय

जनवरी की एक सर्द सुबह थी, अमेरिका के वाशिंगटन डीसी का मेट्रो स्टेशन। एक आदमी वहां करीब घंटा भर तक वायलिन बजाता रहा। इस दौरान लगभग दो हजार लोग वहां से गुजरे, अधिकतर लोग अपने काम से जा रहे थे। उस व्यक्ति ने वायलिन बजाना शुरू किया। उसके तीन मिनट बाद एक अधेड़ आदमी का ध्यान उसकी तरफ गया। उसकी चाल धीमी हुई वह कुछ पल उसके पास रूका और फिर जल्दी से निकल गया।

4 मिनट बाद : वायलिन वादक को पहला सिक्का मिला। एक महिला ने उसकी टोपी में सिक्का और बिना रूके चलती बनी। छह मिनट बाद एक युवक दीवार के सहारे टिककर उसे सुनता रहा, फिर उसने घड़ी पर नजर डाली और चलता बना। 10 मिनट बाद : एक 3 वर्षीय बालक वहां रूक गया, पर जल्दी में दिख रही उसकी माँ उसे खींचते हुए वहां से ले गई। माँ के साथ लगभग घिसटते हुए चल रहा बच्चा मुड़-मुडक़र वायलिन वादक को देख रहा था। ऐसा ही कई बच्चों ने किया और हर बच्चे के अभिभावक उसे घसीटते हुए ही ले गए।

45 मिनट बाद : वह लगातार बजा रहा था, अब तक केवल छ: लोग ही रूके थे और उन्होंने भी कुछ देर ही उसे सुना। लगभग 20 लोगों ने सिक्का उछाला पर रुके बगैर अपनी सामान्य चाल में चलते रहे। उस आदमी को कुल मिलकर 32 डॉलर मिले। 1 घंटे बाद : उसने अपना वादन बंद किया। फिर से शांति छा गई। इस बदलाव पर भी किसी ने ध्यान नहीं दिया। किसी ने वादक की तारीफ नहीं की।

किसी भी व्यक्ति ने उसे नहीं पहचाना। वह था- विश्व के महान वायलिन वादकों में से एक जोशुआबेल, जोशुआ 16 करोड़ रुपए की अपनी वायलिन से इतिहास की सबसे कठिन धुन बजा रहे थे। महज दो दिन पहले ही उन्होंने बोस्टन शहर में मंचीय प्रस्तुति दी थी, जहां प्रवेश टिकिटों का औसत मूल्य 100 डॉलर (लगभग 6500 ) रुपए था ।
यह बिल्कुल सच्ची घटना है!

जोशुआ बेल प्रतिष्ठित समाचार पत्र ‘वाशिंगटन पोस्ट ’ द्वारा ग्रहणबोध और समझ को लेकर किये गए एक सामाजिक प्रयोग का हिस्सा बने थे। इस प्रयोग का उद्देश्य यह पता लगाना था कि किसी सार्वजनिक जगह पर किसी अटपटे समय में हम खास चीजों और बातों पर कितना ध्यान देते हैं? क्या हम सुन्दरता या अच्छाई की सराहना करते हैं? क्या हम आम अवसरों पर प्रतिभा की पहचान कर पाते हैं ?

इसका एक सामान्य अर्थ यह निकलता है- जब दुनिया का एक श्रेष्ठ वादक एक बेहतरीन साज़ से इतिहास की सबसे कठिन धुनों में से एक बजा रहा था, तब अगर हमारे पास इतना समय नहीं था कि कुछ पल रुककर उसे सुन सकें, तो सोचिए, हम कितनी सारी अन्य बातों से वंचित हो गये हैं, लगातार वंचित हो रहे हैं? इसका जिम्मेदार कौन है?अब आप कुछ पल बैठिए और सोचिए आपने जिंदगी की इतनी तेजी से भागदौड़ में कितनी खूबसूरत चीजें मिस कर दीं।’

 

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