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आरबी श्रीकुमार को मिली अंतरिम ज़मानत, गुजरात दंगों में सबूत गढ़ने की साज़िश का आरोप
28-Sep-2022 10:20 PM
आरबी श्रीकुमार को मिली अंतरिम ज़मानत, गुजरात दंगों में सबूत गढ़ने की साज़िश का आरोप

-सुचित्र मोहंती

गुजरात हाई कोर्ट ने रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी आरबी श्रीकुमार को अंतरिम ज़मानत दे दी है.

ज़किया जाफ़री मामले में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद गुजरात के पूर्व डीजीपी रहे आरबी श्रीकुमार को सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के साथ गिरफ्तार किया गया था.

ये अंतरिम ज़मानत गुजरात हाई कोर्ट के जस्टिस इलेश जे वोरा ने दी है. इसकी पुष्टि खुद उनकी बेटी दीपा श्रीकुमार ने बीबीसी से की है.

बीबीसी से बात करते हुए दीपा श्रीकुमार ने कहा कि वे लोग भी आदेश की कॉपी का इंतज़ार कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, "हां, गुजरात हाई कोर्ट के जस्टिस इलेश जे वोरा ने मेरे पिता को ज़मानत दे दी है. अब हमें राहत मिली है."

गुजरात की अहमदाबाद सत्र अदालत ने इस साल 30 जुलाई को सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता और गुजरात के पूर्व डीजीपी श्रीकुमार की ज़मानत अर्ज़ी ख़ारिज कर दी थी. 

उन पर गुजरात दंगों की जांच को गुमराह करके ‘निर्दोष लोगों’ को फंसाने के लिए सबूत गढ़ने की कथित साज़िश का आरोप है.

गुजरात दंगे और आरबी श्रीकुमार की भूमिका

गुजरात दंगे भड़कने के दो महीने बाद आरबी श्रीकुमार ने राज्य के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (गुप्तचर) का कार्यभार संभाला था.

फ़रवरी 2002 में गोधरा में एक रेलगाड़ी को आग लगाए जाने की घटना के बाद बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे जो कई महीने तक जारी रहे थे. दंगों में 2000 से ज़्यादा लोग मारे गए थे.

साल 2004 में दो सदस्यों वाला एक आयोग उन दंगों की जाँच कर रहा था.

श्रीकुमार ने आयोग को बताया था कि कुछ पुलिस अधिकारियों ने उनके विभाग को यह बताया था कि दंगों के दौरान वह निस्सहाय और अक्षम महसूस कर रहे थे क्योंकि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के ही निर्देश माने जा रहे थे.

उन्होंने बताया कि पुलिस अपनी कार्रवाई मई में ही शुरू कर सकी जबकि दंगे फ़रवरी में भड़के थे. (bbc.com/hindi)


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