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संसद जैसा एक कैंटीन हमारे शहरों में भी खुलवा दो
01-Dec-2025 8:56 PM
संसद जैसा एक कैंटीन हमारे शहरों में भी खुलवा दो

-चन्द्र शेखर गौर

देश में खाने-पीने की चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं पर संसद कैंटीन में परोसी जाने वाली कई चीजों के दाम अभी भी ऐसे है कि सडक़ किनारे ठेले वाले की रेट लिस्ट में भी कई चीजों के दाम इससे ज्यादा होते होंगे ।

संसद कैंटीन में परोसी जाने वाली चीजों में से कुछ के दाम तवा रोटी 3, तंदूरी रोटी 4, नॉन 6, लच्छा पराठा 8।

माननीयों के लिए कई तरह की चाय-कॉफी का इंतजाम किया गया है चाय का सबसे कम दाम 5 है वहीं मसाला चाय, दार्जिलिंग चाय, अर्ल ग्रे चाय, अदरक चाय और कॉफी का दाम 10, नेस्कैफे कॉफी 23 है।

नौ तरह के सूप हैं सभी का दाम 25 है।

दाल, सब्जी, चावल, चपाती और पापड़ वाली मिनी थाली का दाम 50 है।

पनीर, दाल, सब्जी, चावल, चपाती, दही, सलाद, पापड़ और मिष्ठान्न वाली पूरी थाली का दाम 100 है।

नॉन वेज थाली का दाम 200 है।

दो तरह की व्यंजन सूची है एक 20 पन्नों की है इसमें करीब 140 तरह के व्यंजन है और दूसरी सूची 24 पन्नों की इसमें करीब 190 तरह के व्यंजन है।

ऐसे में जब खाने पीने की चीजों की महंगाई आसमान पर है जैसे आटा 40-45 किलो, दाल 120- 165 किलो तक, दूध 60- 70 लीटर दही 100- 120 किलो, पनीर 300 किलो, घी 700 किलो ऐसे समय में भी दिल्ली में पांच सितारा होटल संचालित करने वाली भारतीय पर्यटन विकास निगम (आईटीडीसी) इतने कम दाम में एक से एक तरह के लजीज व्यंजन बिना किसी सब्सिडी (वित्तीय सहारे) के बेच रही है तो इस सरकारी कंपनी से एक गुजारिश हमारी भी है कि इससे एक चौथाई व्यंजन सूची वाला एक कैंटीन हमारे शहरों में भी खुलवा दे इससे महंगाई का दंश तो कुछ कम होगा और हां हमें 140 या 190 व्यंजन सूची वाला कैंटीन नहीं चाहिए हमारे लिए तो 20- 25 व्यंजन सूची वाला कैंटीन ही काफी है...यही एक बड़ी कृपा होगी ।

बीते माह यह व्यंजन सूची मुझे भारतीय पर्यटन विकास निगम से आरटीआई में मिली है जब मैंने आईटीडीसी से संसद कैंटीन संचालित करने के लिए लोकसभा सचिवालय और आईटीडीसी के मध्य हुए करार की कॉपी मांगी तो आईटीडीसी ने मुझे यह सामान्य सी जानकारी यह कहते हुए देने से इनकार कर दिया कि यह वाणिज्यिक गोपनीयता / व्यापार रहस्य का मामला है और जब मैंने यह पूछा कि संसद कैंटीन में परोसे जाने वाले व्यंजन की प्रति नग लागत कितनी आती है तो इसे भी वाणिज्यिक गोपनीयता और व्यापार रहस्यों का मामला बताते हुए देने से मना कर दिया.. अरे भई हम यही तो जानना चाह रहे थे कि आप दोनों सरकारी निकायों में कौनसा और कैसा करार हुआ है और जो आप इतने कम दाम में बिना किसी वित्तीय सहारे के इतने तरह के व्यंजन बेच रहे हो उसकी वास्तविक लागत आती क्या है ?

इसमें कौन सी गोपनीयता जैसी बात है मैंने कोई परमाणु रिएक्टर बनाने की तकनीक तो नहीं मांगी है सिंपल कैंटीन संचालन से जुड़ी जानकारी है । आप इसे क्यों छुपाना चाहते हो बल्कि आपको तो यह जानकारी सार्वजनिक कर देनी चाहिए जिससे जनता भी यह जान और सीख सके कि इतनी महंगाई में भी इतने किफायती दाम में खाना कैसे बनाया और खिलाया जाता है।


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