विचार / लेख

मिजोरम का एक जिम्मेदार बच्चा
08-Jul-2025 10:44 PM
मिजोरम का एक जिम्मेदार बच्चा

-सनियारा खान

आज विश्व भर के कुछ शक्तिशाली लोग किसी न किसी बहाने से हमें ये सिखाने की कोशिश रहे हैं कि अब के समय में हमारे लिए युद्ध सब से ज़्यादा ज़रूरी हो गया है। हम सभी को कठोर बन कर एक दूसरे को मारना आना चाहिए। लेकिन ऐसे ही समय में पूर्वोत्तर के एक राज्य मिजोरम से एक छह साल का छोटा बच्चा डेरेक चि ललछानहाईमा (Derek C.Lalchhanhima) हम सभी को इंसानियत का पाठ पढ़ाने की कोशिश कर रहा है।

एक दिन डेरेक खेल-खेल में अपनी छोटी सी साइकिल चला रहा था। तभी अचानक उसकी साइकिल के नीचे पड़ोसी के यहां की एक मुर्गी का चूजा आ गया। ये देख कर डेरेक बहुत ज़्यादा दुखी हो गया। वह उस घायल चूज़े को उठा कर पास ही के एक हॉस्पिटल में ले गया। उसके पास उसकी पॉकेट मनी के रूप में दस का एक नोट था। उसे लगा कि डॉक्टर दस रुपया फीस ले कर उस चूजा को ज़रूर अच्छा कर देंगे। वह जा कर एक डॉक्टर के हाथ पैर पकड़ कर चूज़े को ठीक कर देने की विनती करने लगा। लेकिन वह चूजा पहले ही मर चुका था।

डॉक्टर की बात सुनकर वह रोने लगा। आंसू बहाते हुए वह डॉक्टर से कह रहा था कि वे कैसे भी उसे अच्छा कर दें। उसी समय उसकी तस्वीर ली गई थी। वह तस्वीर सोशल मीडिया में वायरल हो गई। रोते हुए उस चूज़े को ठीक करने के लिए वह बच्चा जिस तरह डॉक्टर से विनती कर रहा था, उस तस्वीर से लोगों के दिल पिघलने लगे। उसकी वह निर्दोष और मासूम तस्वीर देखकर हर कोई उसके बारे में बातें करने लगे है। उसकी स्कूल में उसे जानवरों के लिए प्रेम देख कर प्रमाणपत्र दिया गया। साथ ही उसे एक मिजो शाल दे कर सम्मानित भी किया गया। जानवरों के लिए उस बच्चे के दिल में जो प्यार था, उसे देख कर PETA India की तरफ से भी उसे एक संवेदनशील बच्चा मान कर पुरस्कार दिया गया।

विश्व भर के जानवरों से संवेदना रखनेवाले बच्चों के नामों के बीच डेरेक का भी नाम शामिल हो गया। इस घटना  से एक और बात समझ में आई कि डेरेक के माता पिता और बाकी घरवाले जरूर उसे बचपन से ही जिम्मेदारी निभाना सिखाते आए होंगे। यहां तो आए दिन हम सुनते हैं कि एक्सीडेंट करके लोग घायलों को सडक़ पर मरने के लिए छोडक़र भाग जाते हैं।

ऐसे लोग जरा भी नहीं सोचते कि कम से कम घायल को हॉस्पिटल तक जल्दी से पहुंचाकर उसकी जान बचाने की कोशिश तो कर सकते हैं। वे सिर्फ और सिर्फ खुद को बचाने में लगे रहते हैं।

देखा जाए तो डेरेक के साथ साथ उसके घरवाले भी सम्मान के हकदार हैं, क्योंकि वे लोग बचपन से ही डेरेक को अपने किए की जिम्मेदारी लेना सिखा रहे हैं। हर घर में ये होता तो बहुत सारे दूसरे लोग समय से पहले मौत के मुंह में न समाते।


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