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ये ट्रेंड हम और आप ही बना रहे हैं समाज के लिए
28-May-2025 8:06 PM
ये ट्रेंड हम और आप ही बना रहे हैं समाज के लिए

-सिद्धार्थ ताबिश

मैं देखता हूँ कि मेरे दोस्तों और आस पड़ोस के लोगों के बच्चे, जो अभी पढ़ रहे हैं, आई फोन लेकर घूमते हैं। और उनके माता पिता इस बात पर हैरान होते हैं कि मेरे सत्तरह साल (17) के लडक़े के पास आई फोन तो दूर की बात, अभी साधारण मोबाइल तक नहीं है। घर में एक पुराना फोन पड़ा है जिसमे ठीक से आवाज भी नहीं आती है, वही बस रहता है। अगर मेरी पत्नी घर में नहीं हैं तो मुझे बच्चों का हाल लेने के लिए उसी पुराने फोन पर फोन करना होता है, जिसमें रुक-रुक कर आवाज आती है। और मेरे बच्चों को इस से कोई दिक्कत नहीं है। मेरे सत्रह साल के बेटे के पास कोई मोबाइल नहीं है।

मेरी पत्नी हैं नहीं आजकल, वो दस दिन के लिए विपस्सना ध्यान के लिए गईं हैं, तो न ही उनसे फ़ोन पर बात हो सकती हैं और न ही उनका कोई हाल मिल सकता है। घर में ज़्यादातर सारा काम हम और बच्चे कर रहे हैं। आज सुबह मेरे बड़े बेटे की स्कूल वैन नहीं आई थी तो मैं स्कूल छोडऩे गया था।

बेटा बारहवीं में है। वो खाना लेकर नहीं गया था क्यूंकि जल्दी जाना था उसे। खाना बन नहीं पाया था। जब मैंने उसे स्कूल छोड़ा तो पूछा कि तुम क्या खाओगे आज, तो कहने लगा कि पापा मेरे पास बहुत पैसे हैं मैं यहीं कैंटीन में कुछ ले लूंगा।  मैंने पूछा कितने पैसे हैं तुम्हारे पास? तो उसने जेब से बीस रुपये निकाले। मैंने कहा बेटा इतने में शायद ठीक से न खा पाओ, तो कहने लगा नहीं पापा, इस से ज्यादा पैसे मुझे नहीं चाहिए होते हैं। मैंने जबरदस्ती उसे 100 रुपये दे दिए। वो किसी तरह से नहीं ले रहा था, कह रहा था कि मैं इतने सारे पैसे का क्या करूँगा। मुझे पता था कि वो उसमें से सारे पैसे बचा के घर ले आएगा। अभी मैने पूछा तो पता चला कि 80 रुपए बचा कर लाया है।

ये सब मैंने अपने बच्चों को कभी नहीं सिखाया है। ये सब वो खुद से देखकर सीख रहे हैं। मैं अपने बच्चों से सब कुछ शेयर करता हूँ। पैसों की समस्या उनको बताता हूँ, काम अच्छा चलता है तब बताता हूँ। एक एक बात अपने बच्चों से शेयर करता हूँ मैं। मेरा बेटा जब कभी मेरे साथ कहीं बाहर  जाता है तो कुछ भी खरीदने से पहले मुझ से धीरे से पूछ्ता है ‘पापा आपके पास पैसे हैं क्या?’ भले उसे एक टी शर्ट ही क्यूँ न लेनी हो

मेरे बच्चों को पता है कि उनके पापा सैमसंग का फ़ोन इस्तेमाल करते हैं तो वो क्यूँ आई फ़ोन मांगें। और घर में जब सारी सुविधाएँ हैं तो किसलिए किस बात का उन्हें दिखावा करना है? मैं हर कुछ दिन पर अपने बच्चों से कहता रहता हूं कि बेटा तुम लोग बहुत किस्मतवाले हो। जो तुम्हें मिला है वो भारत में नब्बे प्रतिशत लोगों को नहीं मिलता है।। ये बात उनके दिल में घर कर गयी है। इसीलिए वो अब हर चीज में खुश रहते हैं।

हम अपने समाज और अपने बच्चों के लिए उदाहरण स्वयं सेट करते हैं। उदाहरण के लिए। हम अपनी कोई भी फोटो किसी सोशल मीडिया पर डालते हैं, तो वो फोटो ज़्यादातर हमारे घरों की नहीं होती है। किसी बहुत बड़े होटल, किसी बहुत बड़ी दुकान, कोई बहुत महंगा प्रोडक्ट हाथ में लेकर, आई फ़ोन और आई पैड को आईने में दिखाकर, महंगी गाड़ी के साथ, महंगे कपड़ों के साथ, महंगे ब्रांड के साथ, किसी बड़े सेलिब्रिटी के साथ, कोई बहुत पैसे वाली शख्सियत के साथ हमारी ज़्यादातर फोटो होती हैं। हमारा ये व्यवहार समाज में क्या सन्देश देता है? ये समाज के युवाओं को बताता है कि ‘यही सब चीजें दिखाने’ वाली हैं। बाकी इससे कम या सस्ता जो भी है, वो सब छिपाने वाला है। ये ट्रेंड हम और आप ही बना रहे हैं समाज के लिए।

आप जब इस मानसिकता से चलेंगे। तो आपके बच्चे कैसे आपसे अलग हट कर सोचेंगे? और ये समाज और कोई नहीं हमारे और आपके बच्चों से ही बनता है।


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