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जंगलों की कटाई पर हमेशा ही खामोश क्यों?
18-Apr-2024 2:50 PM
जंगलों की कटाई पर हमेशा ही खामोश क्यों?

कनुप्रिया

शाकाहार और माँसाहार की सतत चलती बहसों के बीच मुझे यही कहना है कि मैं माँसाहार नहीं करती, राजस्थान से हूँ जो कि देश का सबसे अधिक शाकाहारी प्रदेश माना जाता है तो इसका भी असर हो सकता है। अंडा खाती हूँ कभी कभी, मगर जानवरों के प्रति कभी क्रूरता न की हो इसके दोष से पूर्णतया बरी हूँ कह नहीं सकती।

रेशम पहनती हूँ कभी कभी, चमड़े के बैग इस्तेमाल किये हैं, ऊन भी इस्तेमाल की है, गाय का दूध भी पिया है, इन सबमे कहीं न कहीं क्रूरता होती है। इसके अलावा लकड़ी का फर्ऩीचर है घर मे, जो जंगलों को काटकर बनता है, जिन जगहों पर रही हूँ जिन कॉलोनियों में वो कभी जंगल रहे होंगे, हज़ारों जानवरो का घर उजड़ा होगा, बच्चे मरे होंगे तो मेरा फ्लैट बना होगा, जिन खेतों से खाना आता है उनकी जमीन भी जंगलों को साफ़ करके बनाई गई होगी, जंगलों की ज़मीन बहुत उपजाऊ होती है। फिर जिन इंडस्ट्रीज़ का माल काम मे लेती हूँ वो भी जंगलों को उजाड़ कर बनाई गई होंगी। जिन मंदिरों में घण्टा बजाकर पूजा की है वहाँ भी कोई जंगल रहा होगा। तो मैं नहीं जानती अप्रत्यक्ष तौर पर कितने जानवरों के बसेरे उजाडऩे में मेरा हाथ रहा है, दुनिया की कितनी जीव प्रजातियाँ नष्ट हुई होंगी तो मेरे जीवन का कारोबार चल रहा है।

मैं ये भी नहीं जानती कि पूरी दुनिया शाकाहारी हो जाए तो उसके लिये खेत लगेंगे और उन खेतों के लिये कितने जंगल उजड़ेंगे।

शाकाहार मांसाहार स्वाद की चॉइस तो हो सकती है मगर जो शाकाहार के लिये श्रेष्ठता भाव से ग्रस्त हैं उनसे मुझे पूछना है कि जितनी शिद्दत से वो शाकाहार पर बोलते हैं उतनी ही शिद्दत से जब जंगल काटे जाते हैं तब क्यों नहीं बोलते, तब क्या उन्हें जानवरो के प्रति क्रूरता नजऱ नहीं आती? जो आदिवासी जंगल बचाते हैं उनके पक्ष में खड़े क्यों नहीं होते? जो लोग प्रकृति और और उसके संसाधन बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, उनके संघर्ष पर आपका जानवर प्रेम कहाँ चला जाता है।

जो इन सब मामलों में चुप रहकर महज शाकाहार पर बोलते हैं, जंगल उजाड़ कर जीव की बात करने वाले, महज पाखंडी हैं इसके सिवा कुछ नहीं। उनका और मेरा शाकाहार महज दूसरों को नीचा दिखाने वाला श्रेष्ठता बोध है, यह श्रेष्ठता बोध मेरे धर्म से आता है या जाति से , पता नहीं।

मुझे तो बस ये जानना है कि अगर ऐसे लोग सचमुच ही बहुत बड़े जीव प्रेमी हैं तो उनकी दीवारें धनिकों के लालच के लिये जंगलों की कटाई पर हमेशा ही ख़ामोश क्यों रहती हैं?


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