यात्रियों से खचाखच भरी वह ट्रेन आज के ही दिन सहरसा स्टेशन जा रही थी. लेकिन बागमती नदी से गुजरते हुए वह पानी में समा गई. हजार लोग मारे गए. इसकी बरसी तो मनती है पर हादसे रोकने के खास उपाय नहीं निकले.
साल 1981 में वह ट्रेन आज ही के दिन बिहार के मानसी स्टेशन से सहरसा जा रही थी. आंकड़ों के मुताबिक इस पर 800 लोग सवार थे, जबकि गैरसरकारी आंकड़ों के मुताबिक यात्रियों की संख्या इससे कई गुना ज्यादा थी. ट्रेन को रास्ते में बागमती नदी पर बने पुल से गुजरना था. लेकिन इसी दौरान वह फिसल कर नदी में गिर पड़ी और इसके नौ में से सात डिब्बे डूब गए. उस वक्त मॉनसून का मौसम था और नदी का जलस्तर काफी ऊंचा था. पटरियां भी गीली थीं और उनमें फिसलन का खतरा था.
हादसे की सही वजह का पता नहीं लग पाया लेकिन कई जगहों पर रिपोर्टें छपीं कि एक गाय को बचाने के लिए ड्राइवर ने जबरदस्त ब्रेक लगाया और उसका नियंत्रण खो गया. प्रतिष्ठित हिस्ट्री चैनल की वेबसाइट ने इस हादसे को अपने रिकॉर्ड में रखा है. उसका कहना है, "जब ट्रेन बागमती नदी पर बने पुल के पास पहुंची, एक गाय पटरियों को पार कर रही थी. गाय को हर हाल में बचाने के लिए ड्राइवर ने पूरी ताकत से ब्रेक लगा दिया. ट्रेन के डिब्बे गीली पटरियों पर फिसल गए और कम से कम सात डिब्बे सीधे नदी में जा गिरे. जलस्तर काफी ऊंचा और डिब्बे सीधे मटमैले पानी में डूब गए."
उस वक्त सूचनाओं का प्रवाह अपेक्षाकृत धीमा होता था और विदेशी मीडिया को ज्यादा विश्वसनीय माना जाता था. अगले दिन न्यूयॉर्क टाइम्स ने खबर लगाई, जिसमें भारत की दो प्रमुख समाचार एजेंसियों के हवाले से रिपोर्ट छापी गई. इसमें कहा गया, "शुरुआती रिपोर्टों में कहा गया कि ट्रेन में 500 लोग सवार थे लेकिन दो भारतीय अधिकारियों का कहना है कि मरने वालों की संख्या 1000 से बहुत ज्यादा 3000 तक पहुंच सकती है." हादसे के बाद गोताखोरों ने कई दिनों तक पानी में तलाशी की लेकिन बताया जाता है कि कई लोगों के शव पानी के साथ बह गए.
भारत में आम तौर पर ट्रेनें अपनी क्षमता से ज्यादा यात्रियों को ढोती हैं. दुनिया का सबसे बड़ा रेल तंत्र 160 साल से ज्यादा पुराना है. लेकिन उसके डिब्बे और तकनीक भी बहुत पुराने हैं. पश्चिमी देशों में अगर ट्रेन 400 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकती है, तो उसकी सुरक्षा के लिए भी उतनी ही ज्यादा व्यवस्था होती है. ट्रेनों के दरवाजे बंद करना जरूरी हैं और जब तक दरवाजे बंद नहीं होते, ट्रेन चल ही नहीं सकती. ट्रेनों में क्षमता के अनुसार मुसाफिरों को बिठाया जाता है और छतों पर बैठना तो असंभव है.
1907 -पर्सिल नाम का पहला डिटर्जैन्ट बाज़ार में आया।
1942- अमेरिका में पहली बार ऐडलीन ग्रे ने नायलॉन पैराशूट से छलांग लगाई।
1995 - पाकिस्तान में बाल अपराधियों को कोड़े मारने अथवा उनकी फ़ांसी की सज़ा प्रतिबंधित की गई।
1997 - बैंकॉक में भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका एवं थाईलैंड ने बिस्टेक नामक आर्थिक सहयोग समूह का गठन किया।
2002 - इस्रायली सेना ने रामल्ला में फिलीस्तीनी नेता यासिर अराफात के मुख्यालय पर हमला किया।
2004 - भूतपूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन का निधन।
2005 - ईरान गैस पाइप लाइन योजना पर भारत और पाकिस्तान में सहमति।
2007 - दक्षिण अफ्रीका की नस्ल विरोधी नेता विनी मैडिकिजेला मंडेला के कनाडा प्रवेश पर रोक।
2008 - कर्नाटक में बी. एस. येदयुरप्पा की अगुवाई वाली बीजेपी की पहली सरकार ने विश्वास मत हासिल किया। अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में जापानी लैव कीबो ने कार्य करना शुरू किया।
1891 -कन्नड कहानी के प्रवर्तक और Óकन्नड की संपत्तिÓ के रूप में ख्याति प्राप्त कवि, कहानीकार, उपन्यासकार, नाटककार, अनुवादक और आलोचक मास्ति वेंकटेश अय्यंगार का जन्म हुआ।
1930 - हिन्दी फि़ल्म अभिनेता सुनील दत्त का जन्म हुआ।
1936 - प्रसिद्ध फि़ल्म निर्माता डी. रामानायडूृ का जन्म हुआ।
1918- अमेरिकी जैव रसायनज्ञ ऐड्विन गेर्हार्ड क्रेब्स का जन्म हुआ, जिन्होंने प्रोटीन उत्क्रमणीय फॉस्फोरिलीकरण की खोज की जिसके लिए उन्हें एडमण्ड एच. फिशर के साथ सन् 1992 में शरीर क्रिया विज्ञान/चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार मिला।
1850- जर्मन भौतिकीविद् फर्डिनैन्ड ब्राउन का जन्म हुआ, जिन्हें नोबेल पुरस्कार गुग्लिएमो मार्कोनीके साथ वायरलैस टेलीग्राफी के विकास के लिए वर्ष 1909 का नोबेल पुरस्कार मिला। ब्राउन कैथोड किरण ओसिलोस्कोप के आविष्कारक थे। (निधन-20 अप्रैल 1918)
1956-अमेरिकी पुरातत्वविद् हाइरैम बिंघम का निधन हुआ, जिन्होंने सन् 1911 में पेरू में माचू पिच्चू की खोज की। यह खोज उन्होंने तब की जब वे वहां इंका सभ्यता की राजधानी की तलाश में गए थे। (जन्म-19 नवम्बर 1875)
1878- स्कॉटलैण्ड के मंत्री और स्टरलिंग सायकल इंजन के आविष्कारक रॉबर्ट स्टरलिंग का निधन हुआ, जिन्होंने हीट इकोनोमाइजऱ के लिए पेटेन्ट प्राप्त किया। (जन्म-25 अक्टूबर 1790)।