इतिहास
दुनिया के अलग अलग हिस्सों में मदर्स डे अलग तारीखों पर मनाया जाता है. भारत में भी मदर्स डे मई माह के दूसरे रविवार को मनाते हैं. लेकिन माओं को सम्मान देने का यह चलन सदियों पुराना है. प्राचीन ग्रीक और रोमन इतिहास में इस दिन के मनाए जाने के बहुत पुराने प्रमाण मिलते हैं. उनके इस दिन को मनाने के पीछे धार्मिक कारण जुड़े थे.
इंग्लैंड में भी 17वीं शताब्दी में लेंट यानि 40 दिनों के उपवास के दौरान चौथे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता था. चर्च में प्रार्थना के बाद बच्चे अपने अपने घर फूल या उपहार लेकर जाते थे. युगोस्लाविया और कई और देशों में भी इसी तरह के किसी ना किसी दिन के होने के प्रमाण मिलते हैं.
धीरे धीरे यह चलन 19वीं शताब्दी तक बिल्कुल खत्म हो गया. मदर्स डे मनाने की आधुनिक शुरुआत का श्रेय अमेरिकी महिलाओं जूलिया बार्ड होवे और ऐना जार्विस को जाता है. अमेरिकी गृह युद्ध पर लिखे अपने गीत के जरिए खास पहचान बनाने वाली अमेरिकी लेखिका और कवयित्री जूनिया वार्ड होवे ने 1972 में सुझाव रखा कि 2 जून का दिन शांति और सद्भावना को समर्पित कर सभी माओं के लिए मनाया जाना चाहिए. कई सालों तक लगातार वह इस दिन बोस्टन में सम्मेलन और दूसरे कार्यक्रमों का आयोजन करती रहीं. लेकिन यह चलन ज्यादा दिन तक नहीं चल पाया और धीरे धीरे खत्म हो गया.
ऐना जार्विस को अमेरिका में मदर्स डे के आधुनिकीकरण की जननी माना जाता है. हालांकि ऐना ने खुद कभी शादी नहीं की और उनकी कोई संतान भी नहीं थीं लेकिन इस चलन की शुरुआत उन्होंने अपनी मां की याद में की थी. ऐना की मां एक समाज सेविका थीं और वह अक्सर ऐना से अपनी यह इच्छा जाहिर किया करती थीं कि एक दिन सारी दुनिया की माओं का सम्मान होना चाहिए और उन्हें समाज में उनके योगदान के लिए सराहा जाना चाहिए. 1905 में उनकी मृत्यु होने पर ऐना ने तय किया कि वह उनकी यह इच्छा जरूर पूरी करेंगी. प्रारंभ में उन्होंने अपनी मां के लिए चर्च में फूल भेजने शुरू किए फिर अपने सहयोगियों के साथ उन्होंने सरकार से इस दिन को सरकारी छुट्टी का दिन और आधिकारिक रूप से मदर्स डे के नाम से घोषित किए जाने की मांग की. 1914 में राष्ट्रपति वूडरो विल्सन ने मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे के रूप में घोषित कर दिया.
- 1882-स्टैथेस्कोप की डिज़ाइन के लिए विलियम एफ. फोर्ड को पेटेंट जारी किया गया।
- 1944-पहला नेत्र बैंक न्यूयॉर्क शहर में खुला।
- 2000 - जाफना प्राय:द्वीप के एलीफेंट दर्रे पर कब्ज़े के लिए लिट्टे के साथ हुए संघर्ष में श्रीलंका के 358 सैनिक मारे गये।
- 2002 - कराची विस्फोट में पाकिस्तान के ही संगठन का हाथ होने के संकेत।
- 2004 - चेचेन्या में एक विस्फोट में वहां के राष्ट्रपति अखमद कादरोव का निधन।
- 2005 - मास्को में रूस द्वारा द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जर्मनी सेना पर विजय की 60वीं वर्षगांठ के जलसों में भारत के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने भाग लिया।
- 2008 - अमेरिका ने पाकिस्तान को 8.1 करोड़ डॉलर की सैन्य सहायता देने से इंकार किया।
- 2010 - भारत की वंदना शिवा को विकासशील देशों में महिला सशक्तिकरण और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में सहयोग देने के लिए वर्ष 2010 के सिडनी शांति पुरस्कार के लिए चुना गया। उन्हें चार नवंबर को सिडनी ओपेरा हाउस में यह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
- 1540 - उदयपुर, मेवाड़ में शिशोदिया राजवंश के राजा महाराणा प्रताप का जन्म हुआ।
- 1866 - स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी, विचारक एवं सुधारक गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म हुआ।
- 1986 - माउंट एवरेस्ट, हिमालय पर पहुंचने वाले सर्वप्रथम व्यक्ति तेनजि़ंग नोर्गे का निधन हुआ।
- 1998 - प्रसिद्ध भारतीय गजल गायक और अभिनेता तलत महमूद का निधन हुआ।
- 1850- अमेरिकी इलेक्ट्रिकल इंजीनियर तथा उद्योगपति ऐडवर्ड वेस्टन का ब्रिटेन में जन्म हुआ, जिन्होंने वेस्टन इलेक्ट्रिकल इन्स्ट्रूमेंट कम्पनी की स्थापना की। उन्होंने इलेक्ट्रोप्लेटिंग डायनमो का आविष्कार किया। उन्होंने 1875 में डायनमो तथा निकल प्लेटिंग एनोड को पेटेन्ट कराया। (निधन-20 अगस्त 1936)
- 1845- स्वीडन के वैज्ञानिक, इंजीनियर तथा अन्वेषक कार्ल गुस्टाफ पैट्रिक डी लैवल का जन्म हुआ, जिन्होंने उच्च गति की टर्बाइन का विकास किया। वर्ष 1877 में इन्होंने उच्च गति के सेन्ट्रीफ्यूगल क्रीम सेपरेटर का निर्माण किया जो मक्खन उत्पादन की दिशा में एक महत्वपूर्ण खोज थी। (निधन-2 फरवरी 1913)
- 1850- फ्रांसीसी रसायनज्ञ जोसफ लुइस गे लुसैक का निधन हुआ, जिन्होंने गैसों पर अनुसंधान किया। इन्होंने बताया कि जल का निर्माण करने में हाइड्रोजन और आक्सीजन गैसें 2 और 1 के अनुपात में परस्पर संयोग करती हैं। (जन्म-6 दिसम्बर 1778)
- 1931- अमेरिकी भौतिकशास्त्री अल्बर्ट अब्राहम माइकेलसन का निधन हुआ, जिन्होंने प्रकाश की गति का सही मापन किया और स्पेक्ट्रोस्कोपिक और मेट्रोलोजिकल जांच में कार्य किया तथा परिशुद्धदर्शी उपकरण के लिए 1907 में उन्हें भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला। (जन्म-19 दिसम्बर 1852)