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ग्वादर क्रिकेट स्टेडियम: जिसके लिए गुजराँवाला से मँगाई गई 90 टन मिट्टी
05-Feb-2021 10:30 AM
ग्वादर क्रिकेट स्टेडियम: जिसके लिए गुजराँवाला से मँगाई गई 90 टन मिट्टी

-हुमैरा कँवल

पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में ग्वादर के तट से थोड़ा आगे बढ़ें, तो यहाँ आकाश की ऊँचाई को छूते माउंट बातील के साथ-साथ मछुआरों और नाव बनाने वालों की बस्तियाँ दिखाई देती हैं. मरीन रोड के ख़त्म होते ही पोर्ट रोड शुरू हो जाता है जो ग्वादर बंदरगाह की तरफ जाता है.

ये रोड पाकिस्तान ने चीन की मदद से बनाया है.

बंदरगाह के सुरक्षा चेक पोस्ट से थोड़े पहले दाहिनी तरफ ग्वादर का क्रिकेट स्टेडियम है. माउंट बातील के आँचल में बना ग्वादर का यह क्रिकेट स्टेडियम आपको रुकने के लिए मजबूर कर देता है.

यह कला का एक असाधारण नमूना लगता है और यही अद्वितीयता इसे दुनिया के सबसे ख़ूबसूरत क्रिकेट स्टेडियमों की सूची में शामिल करती है.

पहाड़ के आँचल में बने, इस स्टेडियम में ख़ूबसूरत हरी घास का मैदान, पक्की पिच और दर्शकों के बैठने के लिए जगह बनाई गई है. भूरे रंग के मुख्य प्रवेश द्वार पर सीनेटर मोहम्मद इसहाक़ बलूच के नाम की प्लेट लगी हुई है.

स्टेडियम का नाम उनके ही नाम पर रखा गया था और ग्वादर के लोग इसके लिए आज भी उनके आभारी हैं.

ग्वादर स्टेडियम का मुख्य द्वार हर समय खुला रहता है. स्थानीय खिलाड़ियों के अलावा, यहाँ पर्यटक भी आते हैं और तस्वीरें लेते हैं. लेकिन इस स्टेडियम में खेलने के लिए, ग्वादर में मौजूद पाकिस्तानी सेना के अधिकारियों से लिखित अनुमति लेनी होती है.

ग्वादर का यह स्टेडियम पहली बार ख़बरों में उस समय आया, जब पाकिस्तान की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोईन ख़ान और फिर यूनिस ख़ान ने यहाँ का दौरा किया.

इसके बाद, पिछले साल पाकिस्तान सुपर लीग की टीम पेशावर ज़ुलमी के अंडर-19 ट्रायल के बाद भी इस स्टेडियम ने सुर्ख़ियां बटोरी थीं.

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'ब्रिटिश अधिकारी क्रिकेट खेलने ग्वादर आते थे'
ग्वादर जैसे दूर दराज़ के शहर के लोगों को क्रिकेट में दिलचस्पी अब से नहीं है, बल्कि 1950 के दशक में पाकिस्तान में शामिल होने से भी पहले से है.

पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी और स्थानीय न्यू स्टार क्रिकेट क्लब के वर्तमान अध्यक्ष और ग्वादर क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष हनीफ़ हुसैन ने मुझे क्रिकेट और ग्वादर की कहानी सुनाई.

उन्होंने कहा कि ग्वादर में क्रिकेट की शुरुआत ओमान सल्तनत के समय से ही हो गई थी. यहाँ का इस्माइली समुदाय क्रिकेट खेलता था. जियोनी तहसील में ब्रिटिश अधिकारी रहते थे, वो भी क्रिकेट खेलने आते थे.

उनके अनुसार, यहाँ के पहले क्रिकेट क्लब का नाम ग्वादर इलेवन था. यह 60 के दशक का अंत था. फिर 70 के दशक में इस्माइली क्रिकेट क्लब बन गया. इसके बाद 1978 में आसिफ़ इलेवन नामक क्रिकेट क्लब का गठन किया गया, जो पहला बलूच क्रिकेट क्लब था.

वे बताते हैं कि "इसके बाद कई क्रिकेट क्लब बनते रहे. न्यू स्टार क्रिकेट क्लब 1983 में बना था. इस समय, इस क्षेत्र में लगभग 60 क्रिकेट क्लब हैं जिनमें अकेले ग्वादर में क्लबों की संख्या 20 से अधिक हो चुकी है."

बंदरगाह बना और ग्वादर के लोगों का मैदान छिन गया
लेकिन इस क्रिकेट ग्राउंड को कब बनाया गया और फिर यह स्टेडियम कब बना?

इसके जवाब में, उन्होंने कहा कि "यह साल 1989 की बात है. ग्वादर के मछुआरों के पास बंदरगाह नहीं थी जिसे जेटी कहा जाता है. जब जेटी का निर्माण होने लगा, तो मौजूदा क्रिकेट मैदान को ख़त्म करना पड़ा."

उनका कहना था कि "ग्वादर का पहला क्रिकेट मैदान कंजन था. फिर वो जेटी (बंदरगाह) के निर्माण में चला गया. उस समय हमारे क्षेत्र के बुज़ुर्ग तत्कालीन सीनेटर मोहम्मद इसहाक़ बलूच के पास गए और उन्हें बताया कि हमारा ग्राउंड जेटी में चला गया है. मोहम्मद इसहाक़ बलूच अच्छे नेता थे. उन्होंने डेढ़ या दो लाख रुपयों में ये ज़मीन ख़रीद कर, माउंट बातील के आँचल में मौजूद इस जगह पर ग्राउंड की बुनियाद रखी."

हनीफ़ हुसैन ने कहा कि "तब ग्वादर नगर निगम समिति के अध्यक्ष, कहदा मोहम्मद ने इसके लिए दोबारा से सीमांकन कराया और फिर एक छोटा-सा पवेलियन बनवाया गया. स्टेडियम तैयार होने के बाद, ज़िला कैबिनेट के प्रमुख इमाम बख़्श इमाम ने सभी छात्रों को बुलाया और उनसे पूछा कि स्टेडियम का नाम क्या होना चाहिए."

"सभी छात्रों ने एक साथ कहा कि इसका नाम सीनेटर मोहम्मद इसहाक़ बलूच स्टेडियम रखा जाना चाहिए. इस तरह इसका ये नाम रख दिया गया."

हनीफ़ हुसैन कहते हैं कि "उस समय यहाँ सीमेंट की पिच बनी हुई थी. पर समय बीतता गया और यहाँ मैच खेले जाते रहे. इसी दौरान, साल 2013 से 2014 के बीच ग्वादर से निर्वाचित विधायक मीर हमल कलमाती ने 55 लाख की ग्रांट दी जिससे एक पवेलियन, अंडर ग्राउंड टैंक सहित दो कमरों का निर्माण कराया गया. यह काम कम्यूनिकेशन एंड वर्क्स ने कराया."

गुजराँवाला की 90 टन मिट्टी
हनीफ़ हुसैन ने बताया कि "साल 2017 में, पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने स्टेडियम में हार्ड पिच बनाने के लिए, हमें गुजराँवाला से 90 टन मिट्टी मँगाकर दी थी जिससे स्टेडियम में तीन पिच बनायी गई थीं. ये मिट्टी तीन ट्रकों में मंगाई गई थी और एक ट्रक का किराया डेढ़ लाख रुपये था. उस समय, पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के मुख्य क्यूरेटर ज़ाहिद ने, पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड की मदद से तीन पिच, बाउंड्री रूफ़ और दूसरी ज़रूरी चीज़ें बनवाई थीं."

उन्होंने बताया, "उस समय तक, ग्वादर के इस स्टेडियम में खेलने के अधिकार यानी 'प्लेइंग राइट्स' नहीं थे, क्योंकि स्टेडियम पंजीकृत नहीं था जिसके लिए ये सभी व्यवस्थाएं आवश्यक थीं. फिर एक साल के काम के बाद, साल 2018 में ग्वादर स्टेडियम को प्लेइंग राइट्स मिल गए."

साल 2017 में, नवाज़ शरीफ़ ने ग्वादर का दौरा किया और एक अरब रुपये डेवलपमेंट फ़ंड देने की घोषणा की.

उस समय तो स्टेडियम के बारे में कोई योजना तैयार नहीं थी, इसलिए कुछ नहीं हो सका. इसके बाद, ग्वादर विकास प्राधिकरण ने इस स्टेडियम के लिए डेढ़ करोड़ रुपये देने की घोषणा की.

ग्वादर क्रिकेट स्टेडियम के ठीक बगल में पानी के फ़िल्ट्रेशन का एक प्लांट है जिसे चैंबर एंड कॉमर्स के सदस्य नावेद कलमाती के अनुरोध पर, मुख्यमंत्री जाम कमल ने ठीक करने का आदेश दिया है. इसी प्लांट से मिलने वाले पानी से ग्वादर विकास प्राधिकरण को ग्राउंड को हरा भरा रखने में मदद मिली.

अब यहाँ ज़िला क्रिकेट समिति के अध्यक्ष ज़ाहिद सईद हैं जिनकी देखरेख में सजावट का काम किया गया है.

माजिद बशाम 2001 से क्रिकेट खेल रहे हैं. उन्होंने बताया कि "पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोईन ख़ान तीन-चार साल पहले यहाँ आए थे. जब लोगों ने उन्हें देखा, तो वे उन्हें मैदान में ले आए."

"मैंने भी उनके साथ क्रिकेट खेला और उनका कैच भी पकड़ा था. फिर यूनिस ख़ान को बुलाया गया. इसके बाद पेशावर ज़ल्मी आए. उन्होंने अंडर-19 ट्रायल किए, शुरुआती तौर पर 16 लड़कों का चयन भी किया. लेकिन फ़िलहाल इसके बारे में कोई ख़बर नहीं है."

माजिद कहते हैं कि "अभी हमने सेना से अनुमति ली है, हमारे अभ्यास मैच चल रहे हैं, अगले महीने से मैदान पर हमारा नियमित टूर्नामेंट शुरू होगा."

क्रिकेट किट और खेल के दूसरे सामान का प्रबंध कौन करता है?

माजिद बशाम ने इस पर कहा कि "आप जानते हैं कि क्रिकेट एक महँगा खेल है, हम अपनी किट का प्रबंध ख़ुद करते हैं. हम तीन या चार सौ रुपये में गेंद ख़रीदते हैं. बल्ला किसी खिलाड़ी के पास होता है या कोई किसी अमीर आदमी से खेलने के लिए माँग लाता है."

ये खिलाड़ी नेट प्रैक्टिस के लिए शुष्क ज़मीन को पसंद करते हैं, क्योंकि उनका कहना है कि घास की देखभाल करना और इसे अच्छी स्थिति में रखना मेहनत के काम के साथ-साथ महँगा काम भी है. जिसके लिए प्रशासन और सेना सहायता करते हैं. लेकिन उन्हें उम्मीद है कि ग्वादर में और भी क्रिकेट स्टेडियम बनाए जाएंगे.

पिछले कुछ दिनों में वहाँ रहने के दौरान, मैंने सड़क पर एक बार भीड़ देखी, मेरे गाइड ने बताया कि "आज यहाँ जनरल साहब और डीसी साहब भी आ रहे हैं क्योंकि आज यहाँ क्रिकेट मैच खेला जा रहा है."

इस मैच के अलावा वहाँ हेवी बाइक्स पर शहर में एक रैली दाखिल होती हुई भी दिखाई दी. यह रैली कराची से आई थी. ये सब लोग क्रिकेट स्टेडियम की ओर बढ़ गए.

ग्वादर के 60 क्रिकेट क्लबों के खिलाड़ियों में मछुआरे, पहलवान, व्यापारी सभी क्षेत्रों के लोग शामिल हैं.

हमें यहाँ से कोई राष्ट्रीय क्रिकेटर तो नहीं मिला, लेकिन उन्हें प्रांतीय स्तर पर खेलने के लिए सम्मानित किया गया है.

अब ख़बरों में आने के बाद, यहाँ के खिलाड़ियों को उम्मीद है कि अब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी इस ख़ूबसूरत स्टेडियम में आएंगे और उनकी प्रतिभा को देखेंगे. (bbc.com)
 


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