खेल

-केवीएल पावनी कुमारी
युवा वेटलिफ्टर केवीएल पावनी कुमारी ने उस उम्र में वज़न उठाना शुरू कर दिया था जिस उम्र में बच्चे सामान्य तौर पर अपना स्कूल बैग उठाने में कठिनाई महूसस करते हैं.
पावनी कुमारी कहती हैं कि उनके माता-पिता अपनी बेटी की उर्जा का इस्तेमाल बेहतर तरीके से करना चाहते थे. पावनी का घर आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम ज़िले के जी कोठापल्ली गांव में है. उन्होंने साल 2011 में हैदराबाद के तेलंगाना स्पोर्ट्स एकैडमी में एडमिशन लिया था. उस वक्त उनकी उम्र महज़ आठ साल थी.
पावनी और उनके परिवार की प्रतिबद्धताएं उस समय रंग दिखाने लगीं जब उन्होंने राज्य और राष्ट्रीय स्तर के टूर्नामेंटों में अपने आयु वर्ग में हिस्सा लेना शुरू किया.
2020 उनके लिए एक उल्लेखनीय साल साबित हुआ क्योंकि इस साल उन्होंने एशियन यूथ और जूनियर वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप के जूनियर और युवा वर्ग में दो सिल्वर मेडल हासिल किए. इन प्रतियोगिताओं का आयोजन उज़्बेकिस्तान के ताशकंद में हुआ था.
उतार-चढ़ाव भरा रहा सफर
एक सुदूर ग्रामीण क्षेत्र से आने की वजह से पावनी के लिए स्पोर्ट्स सुविधाओं को हासिल करना एक चुनौती भरा काम था. उनके माता-पिता ने बहुत कम उम्र में इसकी वजह से उन्हें घर से दूर भेजने का मुश्किल फैसला लिया.
कोच पी मानिकयाल राव ने एकैडमी में उन्हें अपनी शागिर्दी में प्रशिक्षित किया. इस युवा वेटलिफ्टर का कहना है कि उनके कोच के प्रशिक्षण ने उन्हें एक वेटलिफ्टर के तौर पर अपनी करियर को एक मुकाम देने में अहम भूमिका निभाई.
एकैडमी के दिनों में जब छुट्टी होती थी तब वो अपने घर जाने के बजाए एकैडमी से बाहर रहकर प्रतिस्पर्धाओं की तैयारी करती थीं.
पावनी की ट्रेनिंग सही चल रही थी तभी ज़िंदगी ने एक खिलाड़ी के तौर पर उनका कड़ा इम्तेहान लिया. उनके गरीब किसान पिता को साल 2018 में खराब स्वास्थ्य की वजह से अपनी खेती छोड़नी पड़ी.
इससे परिवार पर आर्थिक दबाव बढ़ गया और पावनी को अपना फोकस बरकरार रखने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा. वो उनके लिए एक बेहद बुरा दौर था जो 2019 तक चला.
हालांकि उनका परिवार उन्हें आर्थिक तौर पर मदद देने में सक्षम नहीं था लेकिन भावनात्मक और मानसिक रूप से समर्थन में कोई कमी नहीं थी.
वो आखिरकार साल 2019 में अपने इस बुरे दौर से बाहर निकल पाई. इस साल अक्टूबर में बिहार के बोधगया में 15वाँ यूथ (सब-जूनियर ब्यॉज एंड गर्ल्स), 56वाँ मेन और 32वाँ वीमेन (जूनियर) नेशनल वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप का आयोजन हुआ था.
उन्होंने युवा वर्ग में बेस्ट वेटलिफ्टर (भारोत्तोलक) का खिताब जीता और टूर्नामेंट में दो रिकॉर्ड बनाए.
बोधगया में किए गए उनके प्रदर्शन से उन्हें अपना आत्मविश्वास बढ़ाने में बहुत मदद मिली. उन्होंने उज़बेकिस्तान के ताशकंद में आयोजित हुए एशियन यूथ और जूनियर वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में प्रदर्शन जारी रखा.
उन्होंने अपने इस पहले अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट के यूथ और जूनियर दोनों ही वर्गों में सिल्वर मेडल हासिल किया.
ताशकंद में उनके प्रदर्शन से उन्हें एक पहचान मिली. पावनी मानती हैं कि यह उनकी एक लंबे करियर की शुरुआत है.
वो कहती हैं कि वो देश के लिए ओलंपिक मेडल जीतने का सपना देखती हैं और इसके लिए कड़ी मेहनत करने को तैयार हैं.
पावनी के मुताबिक महिला खिलाड़ी के लिए कोचिंग तो महत्वपूर्ण है ही लेकिन नैतिक और आर्थिक सहयोग एक कामयाब करियर के लिए सबसे ज्यादा अहम है.
वो युवा महिला खिलाड़ियों को बड़े स्तर पर बेहतर प्रदर्शन करने के लिए शारीरिक और मानसिक दोनों ही रूप से मज़बूत होने की सलाह देती हैं. (bbc.com)