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दुबई, 29 सितंबर। तिलक वर्मा एशिया कप के फाइनल के दौरान जब क्रीज पर आए तो पाकिस्तान के खिलाड़ियों ने उनके खिलाफ ‘काफी टीका-टिप्पणी’ की जिसने इस भारतीय बल्लेबाज को उनके अब तक के करियर की सबसे शानदार पारियों में से एक खेलने के लिए प्रेरित किया।
शुरुआती ओवरों में विकेट गिरने के कारण भारतीय टीम मुश्किल स्थिति में थी। दोनों टीमों के बीच तनाव वाले माहौल के बीच तिलक को बहुत कुछ कहा भी गया, लेकिन उन्होंने अपना संयम बनाए रखा और काफी दबाव वाली परिस्थितियों में कमाल की बल्लेबाजी की।
तिलक ने ‘बीसीसीआई डॉट टीवी’ पर टीम के साथी खिलाड़ी शिवम दुबे के साथ बातचीत में कहा, ‘‘मैं बल्ले से जवाब देना चाहता था वे बहुत सारी बातें कह रहे थे और मैं सिर्फ अपने बल्ले से जवाब देना चाहता था। अब वे मैदान पर दिखाई नहीं दे रहे हैं।’’
दुबे और तिलक के बीच पांचवें विकेट के लिए 60 रन की साझेदारी ने भारत को दो गेंद शेष रहते एशिया कप जिताने में मदद की। तिलक 53 गेंदों पर 69 रन बनाकर नाबाद रहे।
दुबे ने इसके बाद हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, ‘‘मुझे लगता है कि मेरे बल्ले ने भी बात की, उनके पास मुझे कहने के लिए ज्यादा कुछ नहीं था’’
तिलक ने कहा कि स्टेडियम के माहौल ने उन्हें इतने बड़े मुकाबले में बेहतरीन प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित किया।
इस बायें हाथ के बल्लेबाज ने कहा, ‘‘ दर्शकों से ‘वंदे मातरम’ के जयकारे सुनकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए थे। मैं बस ‘भारत माता की जय’ कहना चाहता हूं।’’
दुबे ने मध्यक्रम में 33 रन की आक्रामक पारी खेलने के अलावा अनुभवी हार्दिक पांड्या की अनुपस्थिति में मैच का पहला ओवर फेंकने की कड़ी चुनौती से शानदार तरीके से निपटा। दुबे की गेंदबाजी पर कुछ समय पहले तक गंभीर सवाल था लेकिन उन्होंने एशिया कप में शानदार प्रदर्शन से इस मामले में काफी सुधार किया।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरी गेंदबाजी के पीछे बहुत कड़ी मेहनत और भारतीय टीम के समर्थकों की प्रार्थनाएं हैं। प्रबंधन द्वारा बहुत समर्थन और आत्मविश्वास दिया गया है। यह एक महत्वपूर्ण मैच था, मुझे एक बड़ा मौका मिला। बहुत मजा आया।’’ (भाषा)


