राजनांदगांव

मेडिकल कॉलेज की हालत पर कांग्रेस-भाजपा में सियासी जंग
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 6 नवंबर। राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज में नियमित और संविदा चिकित्सकों की एक बड़ी टीम ने सामूहिक इस्तीफा देकर अस्पताल की चिकित्सकीय व्यवस्था के लिए चुनौती खड़ी कर दी है। इस्तीफा देने वालों में एचओडी से लेकर सहायक व्याख्याता शामिल हैं। इन चिकित्सकों पर ही मेडिकल कॉलेज में उपचार करने का सीधा भार रहा है।
बताया जा रहा है कि राज्य सरकार की प्रैक्टिस पर शर्त लगाने से नाराज होकर 20 चिकित्सकों ने अपने पद से त्याग पत्र दे दिया है। इस्तीफा देने से मेडिकल कॉलेज में भर्ती मरीजों की मुसीबत खड़ी हो गई है। मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. प्रकाश खूंटे लंबी छुट्टी पर चले गए हैं। त्यागपत्र के कारण कैंसर, सर्जरी, हड्डी, नेत्र, मेडिसिन और स्त्री रोग समेत अन्य महत्वपूर्ण विभाग में चिकित्सकों के पद रिक्त हो गए हैं। हालांकि राज्य सरकार की ओर से चिकित्सकों का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है।
बताया जा रहा है कि पिछले दिनों राज्य सरकार ने सरकारी अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सकों के निजी अस्पतालों में जाने पर रोक लगा दी है। ऐसे में कई व्यवहारिक कारणों का हवाला देकर चिकित्सकों ने इस्तीफा देना ही मुनासिब समझा। चिकित्सकों का आरोप है कि आपातकालीन स्थिति में घर पर उपचार करना संभव नहीं है। मसलन हृदय रोग एवं अन्य जानलेवा बीमारी के उपचार के लिए चिकित्सकों को अन्यत्र उपचार कराने की सलाह देना पड़ेगा, तभी ऐसे मरीजों का बेहतर उपचार संभव है। राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज में वर्तमान में 70 से ज्यादा नियमित और संविदा चिकित्सक कार्यरत हैं। पहले से ही मेडिकल कॉलेज में चिकित्सकों की कमी रही है। तकरीबन 3 माह पहले विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह की पहल पर दर्जनभर चिकित्सकों को संविदा नियुक्ति के तहत पदस्थ किया गया था। अब सीनियर और अनुभवी चिकित्सकों के इस्तीफे से अस्पताल की व्यवस्था लडख़ड़ा गई है। पिछले कुछ सालों में लगातार कई चिकित्सकों ने मेडिकल कॉलेज से इस्तीफा दिया है। राज्य सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद स्थानीय मेडिकल कॉलेज में उपचार को लेकर पुख्ता व्यवस्था नहीं बन पा रही है।
बताया जा रहा है कि राज्य सरकार ने जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों के निजी अस्पतालों में सेवा देने के बढ़ते चलन को रोकने की दिशा में नए निर्देश जारी किए हैं। सरकार के निर्देश में कई तरह की पाबंदियां भी लगाई गई है।
चिकित्सकों के कड़े फैसले के कारण मेडिकल कॉलेज की चिकित्सकीय व्यवस्था पूरी तरह से बेपटरी हो गई है। बताया जा रहा है कि इस्तीफा वापस नहीं लेने की स्थिति में मेडिकल कॉलेज की मान्यता पर भी खतरा हो सकता है। इस बीच इस्तीफा देने वालों में मुख्य रूप से डॉ. प्रकाश खूंटे, डॉ. आशीष डुलानी, डॉ. चेतन साहू, लक्की नेताम, डॉ. धनंजय ठाकुर, डॉ. अनिल चंद्रा, डॉ. सीएस इंदौरिया, डॉ. रूबी साहू, डॉ. अनंत सराफ, डॉ. निकिता पारख, डॉ. ज्योति चौधरी, डॉ. मानस, डॉ. संकेत मिंज समेत अन्य चिकित्सक शामिल हैं। उधर कांग्रेस और भाजपा में चिकित्सकीय व्यवस्था को लेकर आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया है। कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर भाजपा पर हमलावर है।
चिकित्सकों की समस्या पर रमन ने कहा- सब होगा ठीक
विधानसभा अध्यक्ष डॉॅ. रमन सिंह ने चिकित्सकों के सामूहिक त्यागपत्र के विषय पर कहा कि स्थानीय स्तर पर चिकित्सकों से कलेक्टर के जरिये समस्या को सुलझाने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उनकी जो भी परेशानी है, उसे दूर किया जाएगा। साथ ही राज्य सरकार से चिकित्सकों को लेकर जारी शर्तों पर पुन: विचार करने कहा जाएगा।
पूर्व सीएम के क्षेत्र की स्थिति दयनीय- कुलबीर
शहर कांग्रेस अध्यक्ष कुलबीर छाबड़ा ने चिकित्सकों के एकमुश्त इस्तीफा देने के निर्णय को लेकर भाजपा सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। विशेषकर उन्होंने पूर्व सीएम व मौजूदा विस अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्य है कि पूर्व सीएम के क्षेत्र की स्थिति काफी दयनीय है। लगातार चिकित्सक इस्तीफा दे रहे हैं, जो कि चिंता का विषय है। उन्होंने सवाल उठाया कि मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था को बेहतर बनाने स्पीकर कब सुध लेंगे।