राजनांदगांव

जागरूकता के अभाव में विलुप्त हो रहे विषहीन सर्प - गजेन्द्र
30-Oct-2024 2:52 PM
जागरूकता के अभाव में विलुप्त  हो रहे विषहीन सर्प - गजेन्द्र

राजनांदगांव, 30 अक्टूबर। शासकीय दिग्विजय स्वाशासी महाविद्यालय राजनादगांव के प्राचार्य डॉ. अंजना ठाकुर के मार्गदर्शन तथा विभागाध्यक्ष डॉ. किरण लता दामले के नेतृत्व में विश्व सरीसृप जागरूकता दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. माजिद अली ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते डॉ. किरण लता दामले ने मुख्य अतिथि का सम्मान करते परिचय दिया तथा पर्यावरण एवं इकोसिस्टम के लिए उनके योगदान को इंगित किया। 

मुख्य अतिथि प्रसिद्ध सरीसृप वैज्ञानिक डॉ. एचकेएस गजेंद्र ने विद्यार्थियों को बताया कि सांपों की उत्पत्ति पहली बार लगभग 128 मिलियन वर्ष पहले दक्षिणी गोलार्ध के गर्म, वनीय पारिस्थितिकी तंत्र में भूमि पर हुआ था। वे संभवत: प्राचीन महाद्वीप लॉरेशिया से आए थे। ये अपनी जीभ तथा अपने मुंह की छत में स्थित जैकबसन ऑर्गन से गंध सूंघते हैं। वे अपने आसपास के अन्य जानवरों की गर्मी का पता लगा सकते हैं। सांप अपने निचले जबड़े से जमीन पर होने वाले कंपन को महसूस करके सुनते हैं। सांपों की पलकें नहीं होती, बल्कि उनके पास एक पारदर्शी परत होती है, जो उनकी आंखों की रक्षा करती है और उन्हें खुली आंखें रखकर सोने में मदद करती है।

डॉ. गजेंद्र ने सांप काटने पर सर्वप्रथम क्या प्राथमिक उपचार करना चाहिए तथा उसे कैसे बचाव करना चाहिए, चलचित्रों के माध्यम से छात्रों को समझाया। कार्यक्रम के अंत में डॉ. संजय ठिसके ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में प्रो. गुरप्रीत सिंह भाटिया, प्रो. चिरंजीव पांडेय, प्रो. करुणा रावटे, एसएल देवांगन, राहुल देवांगन, रितेश भान्डेकर आदि उपस्थित थे। 
 


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