राजनांदगांव
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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 3 अगस्त। गौरवपथ स्थित पद्मश्री गोविंदराम निर्मलकर ऑडिटोरियम में 2 अगस्त को शिवमहापुराण कथा का ऑनलाइन प्रसारण शुरू हुआ। यह आयोजन आगामी 8 अगस्त तक जारी रहेगा। कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने जिला प्रशासन और पुलिस की चाक-चौबंद व्यवस्था के बीच श्रोताओं को शिवमहापुराण की कथा सुनाई।
पं. मिश्रा ने कहा कि बारिश और कीचड़ के कारण मुंगेली में कथा नहीं हुई। इसमें प्रशासन को दोष नहीं है, प्रशासन चाहता है कि कथा हो, लेकिन सुरक्षा जरूरी है। कथा आप लोगों के भाग्य में लिखी थी, शिवजी की कृपा से सावन के शिवरात्रि में कथा सुनने का अवसर मिला।
शिवमहापुराण कथा के पहले दिन पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा कि सबसे बड़ी पूंजी माता-पिता और समय है। दोनों चले जाएंगे तो कभी लौटकर वापस नहीं आएंगे। इसका सदुपयोग करें। उन्होंने कहा कि ज्ञानी और अज्ञानी को समझाना सरल है, लेकिन अभिमानी को समझाना कठिन है। रावण को मंदोदरी ने समझाया, लेकिन वह अपने अभिमान में नहीं समझे और नतीजा सामने है, अभिमानी मत बनो। पराया धन और पराई स्त्री जीवन बर्बाद कर देती है। शिवभक्त लकड़हारा दंपत्ति की कथा सुनाई। कठिन परिश्रम करने वाले दंपत्ति बारिश में बेलपत्र के पेड़ के नीचे पहली बार भूखे खड़े थे। पार्थिव शिवलिंग बनाकर बेलपत्र चढ़ाकर पूजा की और भगवान शिव ने दर्शन दिए। उन्होंने पार्थिव शिवलिंग का निर्माण व पूजा का महत्व बताया।
पं. मिश्रा ने सावन में बेलपत्र या कोई एक पेड़ जहां जगह मिले, वहां लगाने और उसकी सुरक्षा का संकल्प लेने कहा। उन्होंने कहा कि यह प्रकृति के लिए जरूरी है, पूरी पृथ्वी हरी-भरी होगी तो जल और आने वाला कल बचेगा। शिवमहापुराण में यह वर्णन है, केवल पार्थिव शिव लिंग बनाकर पूजा की जा सकती है। बालू और मिट्टी का शिवलिंग बनाने से आशय करोड़ों कणों से बने शिवलिंग पर जल चढ़ाकर उसकी पूजा का अवसर मिलता है।