राजनांदगांव

मेडिकल कॉलेज की तुलना में जिला अस्पताल में हर माह 250 से ज्यादा हो रही प्रसूति
03-Nov-2022 12:19 PM
 मेडिकल कॉलेज की तुलना में जिला अस्पताल में हर माह 250 से ज्यादा हो रही प्रसूति

  दो चिकित्सक खूंटे और कोठारी के कंधे पर भार 
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 3 नवंबर।
राजनांदगांव जिला चिकित्सालय अब अपने पुराने कार्य क्षमता के जरिये  विशेषकर प्रसूति महिलाओं के लिए बेहतर तरीके से काम कर रहा है। राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज के स्थापना होने से जिला अस्पताल का अस्तित्व खतरे में था। अस्पताल को यथावत बनाए रखने की दिशा में हुए प्रयास के बाद रोजाना 10 से 12 प्रसूति कराए जा रहे हैं। तुलनात्मक रूप से मेडिकल कॉलेज से बेहतर  रूप से महिलाओं की डिलीवरी कराई जा रही है। जच्चा-बच्चा के लिए जिला अस्पताल में एक सुरक्षित  माहौल बन गया है।

एक जानकारी के मुताबिक हर माह 250 से अधिक महिलाओं की सफल डिलीवरी हो रही है। खास बात यह है कि जिला अस्पताल में पदस्थ डॉ. विमल खूंटे और डॉ. तरूण कोठारी पर ही महिलाओं की डिलीवरी का भार है। कार्य अधिक होने के बावजूद दोनों चिकित्सक पूरी शिद्दत के साथ महिलाओं का प्रसूति करा रहे हैं। बताया जा रहा है कि मेडिकल कॉलेज में जिला अस्पताल की तुलना में साधन-संसाधन बेहतर हैं। वहां की डिलीवरी संख्या की तुलना में जिला अस्पताल के आंकड़े बेहतर स्थिति में है।

बताया जा रहा है कि डॉ. खूंटे और डॉ. कोठारी  के नेतृत्व में हर दिन सफल डिलवरी हो रही है। स्थानीय  100 बिस्तर अस्पताल भवन में प्रसूति के लिए दूर-दराज से लोग पहुंच रहे हैं। न सिर्फ स्थानीय शहर से बल्कि अन्य जिलों से भी डिलीवरी के लिए महिलाएं पहुंच रही है। बताया जा रहा है कि जिला अस्पताल में पहले भी अच्छी खासी तादाद में प्रसूति हो रही थी।  मेडिकल कॉलेज के अस्तित्व में आने के कारण जिला अस्पताल बंद होने की नौबत पर था।

स्त्री रोग विशेष डॉ. खूंटे की एक विशेष साख भी है। समूचे जिले में उनको अच्छे चिकित्सकों में गिना जाता है। जिला अस्पताल में अब धीरे-धीरे प्रसूति महिलाओं की संख्या में वृद्धि हो रही है। हालांकि बढ़ती संख्या से दोनों चिकित्सकों के कंधे पर जवाबदारी बढ़ी है। बताया जा रहा है कि जिला अस्पताल प्रशासन ने राज्य सरकार से नए स्त्री रोग चिकित्सकों की पदस्थापना करने की भी मांग की है, लेकिन सरकारी स्तर पर इस मांग को अब तक अधूरा रखा गया है।

बताया जा रहा है कि मेडिकल कॉलेज में गिनती की ही प्रसूति हो रही है। मेडिकल कॉलेज के बजाय जिला अस्पताल में लोगों का दोनों चिकित्सकों पर भरोसा है। पिछले कुछ महीनों से प्रसूति कराने की संख्या में बेहिसाब बढ़ोत्तरी हुई है। बहरहाल जिला अस्पताल प्रबंधन सीमित साधनों के बीच जच्चा-बच्चा की सेहत को दुरूस्त बनाने की दिशा में पूरजोर प्रयास कर रहा है।
 


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