राजनांदगांव

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 7 अगस्त। कोयला ढुलाई के लिए सिलसिलेवार यात्री ट्रेनों को रद्द किए जाने के मनमाने फैसले का असर व्यापारिक जगत पर भी पड़ रहा है। खासतौर पर त्यौहार के सीजन में व्यापारियों को बाहरी राज्यों से सामानों की खेप आपूर्ति में अड़चने पैदा हो रही है। वहीं लोकल ट्रेनों के पहिये थमने से देहात इलाकों के मजदूरों की कमी से दुकानों में व्यापार करना मुश्किल हो चला है।
राजनांदगांव शहर के बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठानों में कामकाज के लिए दिहाड़ी मजदूर लोकल ट्रेनों का उपयोग करते हैं। कोरोनाकाल के दौरान भी ट्रेनें स्टेशनों में खड़ी रही। जिसके चलते कई दुकानों में सालों से कार्यरत दैनिक मजदूरों को काम से पृथक कर दिया गया। वहीं घाटे के चलते दुकानदारों को अपना व्यापार समेटना पड़ा। कोरोनाकाल का वीभत्स दौर खत्म होने के बाद अब भी अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं लौटी है। हालात से बखूबी वाकिफ रेल मंत्रालय का सीधा ध्यान कोयला परिवहन पर ज्यादा ध्यान है। यानी ट्रेनों को तरजीह दिए जाने पर रेल्वे की दिलचस्पी नहीं है। अब मेन्टेनेंस के नाम पर धड़ाधड़ ट्रेनों को रद्द करने से व्यापार पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। आने वाले दिनों में लोक त्यौहारों के अलावा कई बड़े त्यौहार भी हैं।
अगस्त के महीने में छत्तीसगढ़ की महिलाओं का सबसे तीज पर्व है। तीज पर्व में महिलाओं की बाजार में आवाजाही होने से तेज खरीदारी होती है। साड़ी-गहने के अलावा महिलाओं के पसंदीदा सौंदर्य प्रसाधन के सामानों की भी खूब बिक्री होती है। स्थानीय थोक व्यापारियों को साडिय़ों की खेप के लिए ट्रेनों पर निर्भर रहना पड़ता है, लेकिन ट्रेनों के एकाएक रद्द किए जाने के निर्णय से कारोबार को सम्हालना मुश्किल हो रहा है। त्यौहारी सीजन में लोगों की आवाजाही भी एक से दूसरे राज्य की ओर होती है।
ट्रेनों के रद्द होने से रिश्तेदारी और व्यवहार निभाना भी लोगों के लिए चिंता का विषय बन गया है। दो दिन पहले रेल्वे ने 68 ट्रेनों को एकमुश्त रद्द करने का ऐलान कर दिया, जिसमें छत्तीसगढ़ और समता सुपरफास्ट एक्सप्रेस से दिल्ली और अन्य राज्यों के व्यापारियों से स्थानीय कारोबारियों को संपर्क करने में दिक्कतें हो रही है। यह भी सच है कि राजनंादगांव व डोंगरगढ़ के अलावा बीच के स्टेशनों में चाय और अन्य कारोबार से जुड़े लोगों को भी ट्रेनों के रद्द होने से घाटा सहना पड़ रहा है।