रायपुर

एक लिपिक का पहले जिले फिर अंतर जिला तबादले,अब मामला कोर्ट जाएंगे
03-Jul-2025 6:45 PM
एक लिपिक का पहले जिले फिर अंतर जिला तबादले,अब मामला कोर्ट जाएंगे

रायपुर, 3 जुलाई। लिपिकीय संवर्ग के तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों के  तबादले में नई नीति से परे आदेश सामने आ रहे हैं। एक ही कर्मचारी का पहले जिले में तथा अंतर जिले में दो-दो आदेश जारी किया गया है। कर्मचारी नेता विजय कुमार झा ने बताया हे कि रायपुर जिले के प्रभारी मंत्री केदार कश्यप मंत्री हैं। जिनके अनुमोदन से कलेक्टर रायपुर द्वारा जिला स्तर पर स्थानांतरण आदेश जारी किया गया है। दूसरी ओर राज्य शासन ने भी राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा के अनुमोदन के बाद आदेश जारी किया है। जो  दूसरे जिले में स्थानांतरण किया गया है, जो प्रथम दृष्टया भाजपा कांग्रेस के राजनीतिक गुटबाजी होना प्रतीत हो रहा है। श्री झा ने उदाहरण स्वरूप बताया है कि श्री विद्यासागर सहायक ग्रेड 2 जो वर्तमान में मंदिर हसौद तहसील कार्यालय में पदस्थ है, उनका स्थानांतरण आरंग से कलेक्टर कार्यालय रायपुर किया गया। वहीं राज्य शासन ने उनका स्थानांतरण गरियाबंद कर दिया गया है। इसी प्रकार अभनपुर तहसील में पदस्थ श्री रत्नाकर साहू का कलेक्टर रायपुर ने आरंग स्थानांतरण किया है। दूसरी ओर राज्य शासन ने उन्हें नारायणपुर भेजा है। आयुक्त रायपुर संभाग रायपुर के रीडर कैलाश सोनी का रायपुर जिले से बाहर सुकमा स्थानांतरण किया गया है। कैलाश ठाकुर जो तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निज सचिव थे, उन्हें तहसील कार्यालय रायपुर से जशपुर पदस्थ किया गया है। श्रीमती उषा धावडे महिला कर्मचारी हैं जिन्हें दुर्ग से गरियाबंद भेजा गया है। इस प्रकार राज्य शासन ने 84 लिपिकों को उनके इच्छा के विरुद्ध बरसात एवं शिक्षा सत्र में उनके जिले से बाहर 200 किलोमीटर दूरी तक स्थानांतरण कर दिया है। श्री झा ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि दो मंत्रियों में आपसी सामंजस्य न होने के कारण एक मंत्री जिले के अंदर और दूसरा मंत्री जिले के बाहर स्थानांतरण कर दिया है। वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग में एक पीडि़त महिला नाम न छापने के शर्त पर बताई है कि वह रायगढ़ से राजनांदगांव स्थानांतरण करना चाहती है। उन्हें स्वास्थ्य विभाग से यह जानकारी दी जा रही है कि यह अंतर जिला स्थानांतरण है और इसलिए जिले से बाहर नहीं हो सकता। ऐसी स्थिति में राजस्व विभाग जिले से बाहर स्थानांतरण कर रहा है, तो स्वास्थ्य विभाग जिले से बाहर स्थानांतरण से इंकार कर रहा है।

कुल मिलाकर तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों को राजनीति कोप भाजन का शिकार होना पड़ रहा है। अनेक कर्मचारी नौकरी छोडऩे या निलंबित होने के लिए तैयार है किंतु परिवार को छोडक़र डेढ़ 200 किलोमीटर दूर जाने की स्थिति में नहीं है। ऐसे भर्राशाही को उच्च न्यायालय को स्वयं संज्ञान में लेकर राज्य सरकार को नोटिस करना चाहिए। वैसे अनेक लिपिक उच्च न्यायालय की शरण में जाने के लिए तैयार है। उन्हें न्यायपालिका से ही न्याय की उम्मीदें हैं।


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