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नई दिल्ली, 9 मार्च। सरकार नियंत्रित तेल कंपनियां (ओएमसी) अब फ़िलहाल तेल की क़ीमतें नहीं बढ़ाएंगी. इससे कम से पेट्रोल-डीज़ल के बढ़े दामों की मार जेल रहे लोगों को कुछ राहत तो ज़रूर मिलेगी. बिज़नेस स्टैंडर्ड की ख़बर के अनुसार, इस क़दम को विधान सभा चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है.
बीते एक हफ़्ते से अधिक समय से सरकार पेट्रोल-डीज़ल के बढ़े दामों को लेकर लगातार विपक्ष के निशाने पर है. पेट्रोल-डीज़ल के दाम तो बढ़े हैं ही साथ ही रसोई गैस में दाम में हुई 125 रुपए की बढ़त ने आम लोगों को काफी परेशानी में डाल दिया है.
पेट्रोल-डीज़ल के बढ़े दामों के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने का एक प्रमुख कारण इस पर लगने वाला कर है. बिज़नेस स्टैंडर्ड ने सरकारी अधिकारियों के हवाले से लिखा है कि सरकार ने अनौपचारिक तौर पर ही सही तीन कंपनियों को फ़िलहाल के लिए दाम नहीं बढ़ाने के लिए कहा है.
एक सरकारी अधिकारी के हवाले से अख़बार लिखता है कि कुछ राज्यों ने अपने यहां तेल की ख़रीद पर कर में कटौती की है लेकिन आम लोगों को इसका बहुत फ़ायदा नहीं मिलेगा. जैसे- पश्चिम बंगाल ने पेट्रोल और डीज़ल पर एक रुपये प्रति लिटर कर कम किया है. राजस्थान ने कर को 38 फ़ीसदी से कम करके 36 फ़ीसदी कर दिया है और असम में भी कोरोना वायरस के कारण जो अतिरिक्त राशि कर के रूप में ली जी रही थी उसे वापस ले लिया है. मेघालय में भी मामूली ही सही पर कटोती की गई है.
लेकिन तेल क़ीमतों को नहीं बढ़ाने के आदेश से तेल कंपनियों की चिंता ज़रूर बढ़ सकती है. (bbc.com/hindi)